6 साल का एक बच्चा अपने घर के बाहर खेल रहा था। तभी उसे दो छोटी छोटी लड़कियों की आवाज आई” आरव….आरव क्या आप हमारे साथ खेलोगे ? ….चलो हम तीनो बाहर जाकर खेलते हैं।” इन लड़कियों की बात सुनकर आरव भी खुश होकर उनके साथ खेलने के लिए चला जाता है। उसके हाथ में एक बॉल थी ।
एक करीब 40 साल की औरत एक बड़े से घर में काम कर रही थी तभी एक वेल ड्रेस्ड हाई क्लास औरत परेशान होती हुई सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए जोर जोर से आवाज लगा रही थी” आरव…..आरव बेटा कहा हो आप…? आरव…. कमला तुमने आरव को कहीं देखा क्या? पता नहीं कहां चला गया। मुझे बहुत टेंशन हो रही हैं।”
अपनी मालकिन की बात सुनकर कमला जल्दी से उनके पास आई और बोली” पता नहीं मैडम जी, अभी तक तो आरव बाबा यही खेल रहे थे, अब कहां चले गए? आप परेशान मत होइए ।”
कमला की बात सुनकर कामिनी ने उससे कहा” एक काम करो कमला तुम आरव को यहां ढूंढो मैं बाहर ढूंढती हूँ।”
अपने ऑफिस में बैठे राकेश माधवानी रोज की तरफ चाय पीते हुए अखबार पढ़ रहे थे और तभी उनके फोन पर एक कॉल आया। राकेश ने जैसे ही फोन उठाया तो सामने से उनके दोस्त और इंस्पेक्टर विक्रम ने कहा” राकेश तुम जल्दी से आकर मुझे मिलो। वो बच्चो के किडनैपिंग और मर्डर केस के बारे में कुछ इंफॉर्मेशन मिली हैं।
विक्रम की बात सुनकर राकेश भी तुरंत उससे मिलने पहुंच गया।
सुबह सुबह मुंबई के ही एक पुलिस स्टेशन में अफरा तफरी मची हुई थी। लगभग कांस्टेबल से लेकर सीनियर ऑफिसर तक हर कोई अपने सामने के नजारे को देख डर से कांप रहा था। एक 12 साल की और एक 10 साल की लड़की पुलिस स्टेशन में खड़ी होकर ऑफिसर अर्जुन के सामने कह रही थी ” पिछले कुछ टाइम में जितने भी बड़े घरों के बच्चे किडनैप हुए हैं और मरे हैं उन सब को हमने ही मारा है। 6 बच्चे…..पूरे 6 बच्चों को मारा है हमने…. हमें गिरफ्तार कर लीजिए !” इन दोनों बच्चियों की बात सुनकर तो जैसे पुलिस स्टेशन में खड़े लोग भी हैरान रह गए। वो दोनो ही लड़कियां जिनका नाम प्रीति और नेहा था, ऑफिसर की आंखों में बिना किसी दुख के ये बात कबूल कर रही थी की इन्होंने ही 6 बच्चों को मारा है। पर किसी को भी इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था। ऑफिसर अर्जुन ने सख्त आवाज में कहा” देखो बच्चों….ये मजाक करने की जगह नहीं है। चुपचाप अपने मां बाप के पास जाओ !”
अर्जुन की बात सुनकर प्रीति ने उसकी आंखो में देखते हुए कहा” हमारा कोई नही है। हम दोनो बहने ही ये सारी हत्याएं कर रही थी।
ऑफिस में बैठे बैठे जैसे ही ये सारी बाते राकेश ने सुनी तो उसने विक्रम से हैरान होकर पूछा ”तो तुम चाहते हो कि मैं उन दोनों लड़कियों के खिलाफ केस लडू?”
राकेश की बात सुनकर विक्रम ने सीरियस फेस के साथ कहा” नहीं!..... मैं चाहता हूँ की तुम उनके लिए केस लड़ो राकेश।…..मुझे लगता है की जरूर सच्चाई कुछ और हैं। “
विक्रम की बात सुनकर राकेश ने साफ लहजे में मना करते हुए कहा”
राकेश: इस केस में लड़ने जैसा कुछ भी नहीं है। उन लड़कियों ने अपने स्टेटमेंट में जो भी कहा वो सब सच है। ये क्लियर ओपन एंड शट केस हैं। मैं इसमें क्या ही कर सकता हूं?”
राकेश को मना करता देख इंस्पेक्टर विक्रम ने अपनी जगह से खड़े होते हुए कहा” अगर इन दोनों बच्चियों की जगह तेरा बेटा होता तो भी तू यही कहता क्या ? क्या तू सच में एक और ना इंसाफी होते देख सकता हैं?”
अपनी बात कहकर इंस्पेक्टर विक्रम वहा से चले गए और राकेश अपने अतीत की एक गहरी सोच में डूब गया।
आज कोर्ट पीड़ितों के परिवारों से खचाखच भरा हुआ था। किसी की आंखों में आंसू थे तो कुछ लोग इस उम्मीद में थे की शायद उनका बच्चा आज भी जिंदा हो। ये आज तक का इंडिया का सबसे बड़ा चाइल्ड सीरियल किलर केस था। इन दोनो लड़कियों की तस्वीरे मुम्बई ही नहीं बल्कि इंडिया के छोटे से छोटे लोकल न्यूज पेपर में छप चुकी थी। मीडिया यहां की हर एक बात को रिकॉर्ड कर लेना चाहती थी। तभी चीफ इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर अर्जुन शर्मा अपनी टीम और उन दोनों लड़कियों को लेकर कोर्ट के अंदर आए । इन दोनों बच्चियों को अपने सामने देखकर किसी को विश्वास नहीं हुआ। 10 - 12 साल की ये लड़किया कैसे इतने लोगो को मार सकती थी? ये सवाल सबके दिमाग में था। पर इन दोनों लड़कियों के चेहरे पर अभी भी एक मुस्कान थी, और आंखो में वहा बैठे लोगो को लेकर एक अलग ही चमक….जैसे इन्हे कोई पछतावा ही ना हो। इन लड़कियों को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे इन्हे लोगो को रोता देख अलग ही खुशी मिल रही थी। दूर बैठा राकेश लगातार इन दोनों लड़कियों को ऑब्जर्व कर रहा था। विक्रम के कहने पर उसने ये केस ले तो लिया था मगर अभी भी उसे यही लग रहा था की इस केस में लड़ने जैसा कुछ नही है। तभी जज साहिबा मीनाक्षी रावत आई, जिन्हे उनके कठोर डिसीजन के लिए जाना जाता था। अपनी सीट पर बैठते ही उन्होंने हथौड़े से आवाज करी और वहा बैठा हर इंसान चुप होकर सामने देखने लगा। तभी जज साहिबा ने सुनवाई शुरू करने को कहा। अपने सामने राघवेंद्र चौहान जैसे बड़े वकील को देखकर राकेश जी भी सोच में पढ़ गए। तभी राघवेंद्र जी अपनी जगह से खड़े होते हुए बोले “ मी लॉर्ड….. पिछले कुछ महीनो से मुंबई में जो भी विक्षिप्त बच्चों के किडनैपिंग और मर्डर हुए हैं उसमे इन्ही दो नाबालिग लड़कियों का हाथ हैं। इस केस में कुछ भी छुपा हुआ नहीं है। इन दोनो लड़कियों ने, दिमागी तौर पर कमजोर 6 बेगुनाह बच्चों को मारा है। और खुद अपना ये गुनाह कबूल किया है। मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हु की जल्द से जल्द इन्हें मौत की सजा सुनाई जाए जिससे उन सभी पीड़ित बच्चों और उनके परिवार को इंसाफ मिल सके।”
अपनी बात कहकर राघवेंद्र जी अपनी जगह बैठ गए। तभी जज साहिबा ने उन दोनों लड़कियों की तरफ देखते हुए पूछा” क्या आप दोनो के पास अपना पक्ष रखने के लिए कोई वकील हैं ?”
जज साहिबा के इस जवाब का इंतजार तो सभी लोग कर रहे थे। सब देखना चाहते थे की आखिर, ऐसा कौनसा वकील है जो इन खूनियो की तरफ से केस लड़ रहा हैं? चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। और सब लोग सामने ही देख रहे थे। जज साहिबा की बात सुनकर उन दोनों लड़कियों में से किसी ने कुछ नहीं कहा बस चुप चाप सामने देखती रही। तभी एक चीरती हुई आवाज वहां बैठे लोगो के कानों में पड़ी “
राकेश: सस्पेक्ट की तरफ से मैं उन्हें रिप्रेजेंट कर रहा हूँ माय लॉर्ड !”
जैसे ही ये बात वहां बैठे लोगो ने सुनी तो चारो तरफ अफरा तफरी मच गई। हर कोई अजीब अजीब सी बाते करने लगा। कुछ लोगो को विश्वास ही नहीं हो रहा था की राकेश माधवानी जैसा बड़ा लॉयर इन साइको किलर के लिए लड़ रहा हैं। अपनी बात कहकर राकेश माधवानी ने एक नजर राघवेंद्र चौहान की तरफ देखा और फिर सामने की तरफ आकर खड़ा हो गया। जज साहिबा ने भी राकेश को प्रोसीड करने का ऑर्डर दे दिया था। तभी राकेश ने उन दोनों लड़कियों की तरफ देखते हुए तेज आवाज में कहा”
राकेश: माय लॉर्ड, भले ही इन दोनो लड़कियों ने सबके सामने अपना गुनाह कबूल किया हो, मगर मुझे अभी भी नही लगता की ये हत्याएं इन दोनो लड़कियों ने की हैं।”
जैसे ही राकेश ने अपनी बात कही तो उन दोनों लड़कियों ने एक साथ चिल्लाकर कहा” ये सारे खून हमने ही किए हैं। हम खूनी हैं। हमे सजा दो। ” इन लड़कियों की इतनी तेज आवाज सुनकर एक बार के लिए तो कोर्ट में मौजूद लोग भी कांप उठे थे। दोनो की आंखे ऐसे लाल थी जैसे दोनों की आंखो में खून तैर रहा हो। इस वक्त उनसे सब को डर लग रहा था।
जैसे ही कोर्ट में बैठे लोगो ने ये बात सुनी तो सब लोग हैरानी से एक दूसरे के कानो में कुसर फुसुर करने लगे। तभी राघवेंद्र जी खड़े हुए और बोले” माय लॉर्ड, मेरे काबिल वकील राकेश माधवानी शायद भूल गए हैं की कोर्ट और कानून सबूतों के आधार पर चलते हैं किसी के मानने या ना मानने से नहीं।”
जज साहिबा को भी राघवेंद्र जी की बात सही लगी और उन्होंने राकेश जी को आर्डर देते हुए कहा” अगर डिफेंस लॉयर के पास कोई सबूत है तो पेश करें।”
जज साहिब की बात सुनकर राघवेंद्र जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई क्योंकि उन्हें लग रहा था कि हमेशा की तरह यह केस भी वह जीत जाएंगे। शुरू में जब राघवेंद्र जी के पास ये केस आया तो उन्होंने तुरंत ही यह केस अपने हाथों में ले लिया। क्योंकि वह जानते थे कि यह इंडिया का बहुत बड़ा सीरियल किलर केस हैं और इसमें ज्यादा कोई छानबीन भी नहीं है। यह केस पूरी तरह ओपन और शट केस हैं। और कोई बड़ा लॉयर कभी भी इस केस को उनके अपोजिशन में नहीं लड़ेगा। हालांकि अपने सामने राकेश माधवन जैसे बड़े लॉयर को देखकर उन्हें एक बार के लिए काफी हैरानी हुई। पर फिर भी उनका अपने ऊपर से विश्वास एक सेकंड के लिए भी नहीं डगमगाया।
जज साहिबा की बात सुनकर राकेश माधवानी ने उन दोनों लड़कियों से सवाल करने की इजाजत मांगी और उन दोनों लड़कियों से पूछा” तुम दोनों ने पुलिस को दिए अपने स्टेटमेंट में कहा कि पिछले कुछ दिनों में मुंबई में जितने भी बच्चों के अपहरण और मर्डर के केस हुए है वह सब तुम दोनों ने किए हैं, क्या यह सच है?” राकेश जी का सवाल सुनकर उन दोनों लड़कियों ने तुरंत हां में सिर हिलाते हुए कहा कि यह दोनों ही इतने महीनो से यह सब कर रही है।
इन दोनों की बात सुनकर राकेश जी ने एक और सवाल इन दोनों से किया”
राकेश: तुम दोनों 6 बच्चों का मर्डर कर चुकी हो, ऐसा तुम दोनों को कहना है। और इसके पीछे तुम दोनों की कोई ठोस वजह भी होगी मैं उसे जानना चाहता हूं।”
राकेश के इस सवाल को जज साहिब भी बहुत ध्यान से सुन रही थी। तभी उन दोनों लड़कियों ने कहा” अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो भगवान हमसे खुश नहीं होंगे। हमें पता है भगवान ने हमें इस धरती पर ऐसे मानसिक तौर पर विक्षिप्त बच्चों को उनके पास पहुंचाने के लिए भेजा है जिन्हें उनके घर वाले संभाल नहीं सकते। हम ही उन्हें इस धरती से मुक्ति देंगे।”
इन दोनों लड़कियों की बात सुनकर कोर्ट में बैठा हर एक इंसान हैरान रह गया किसी को भी अपनी कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। 10 से 12 साल के बच्चे जिन्हें यह भी नहीं पता होता कि जिंदगी होती क्या है वह आज इतने बच्चों की जिंदगी लेकर बैठी थी, इस बात पर विश्वास कर पाना सबके लिए मुश्किल हो रहा था। खास करके उनका दिया हुआ जवाब सबको हैरान कर रहा था।
राकेश माधवानी ने एक और सवाल उन लोगों से करते हुए पूछा”
राकेश: तुम्हें यह बात किसने कही? किसने सिखाया तुम्हें कि तुम भगवान की दूत हो और तुम ही को मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को मार कर ऊपर भेजना है?”
राकेश माधवानी के सवाल के बावजूद उन दोनों लड़कियों ने कोई जवाब नहीं दिया और बस लगातार जमीन को देखती रही जैसे किसी ने उनके दिमाग में यह बात फिट कर दी होगी वह उनका नाम कभी नहीं लेंगी।
कुछ देर तक जब दोनों कुछ नहीं बोली तो राकेश माधवानी ने जज साहिबा की तरफ देखते हुए कहा
राकेश: “मैं आपसे यही साबित करना चाहता था कि यह दोनों लड़कियां अपनी मर्जी से यह सब नहीं कर रही जरूर किसी ने इन्हे यह सब करने के लिए मजबूर किया है। मैं कोर्ट से गुजारिश करता हूं कि मुझे सही सबूत जुटाने के लिए कुछ वक्त दे। “
दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद और दोनों लड़कियों की बताए हुए तर्क सुनकर जज साहिब मीनाक्षी रावत ने भी 2 दिन में सबूत के साथ राकेश माधवानी को पेश होने के ऑर्डर दिए।
जैसे ही अदालत बर्खास्त हुई सभी लोग वहां से खड़े होकर चले गए पर राघवेंद्र चौहान अपनी जगह से खड़े होते हुए राकेश माधवानी के पास आया और कुछ सेकेंड तक उसे घूरता रहा। राकेश माधवानी ने भी कुछ नहीं कहा और जवाब में बस चुपचाप उनकी तरफ देखता रहा। तभी राघवेंद्र ने राकेश की तरफ एक उंगली से पॉइंट करते हुए कहा” लगता है तुम्हारे पास कैसेस की कमी हो गई है इसीलिए तो इन मर्डरर को बचा रहे हो।
जीते होंगे तुमने बहुत कैसे पर आज तुम्हारे सामने राघवेंद्र चौहान खड़ा है और मेरा तुमसे वादा है कि मैं इन दोनों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवा कर रहूंगा।”
इतना कह कर राघवेंद्र वहां से अपनी फाइल उठा कर चले गए और राकेश ध्यान से उसे देखते रहे। इस वक्त उनके पास इंस्पेक्टर विक्रम आए और उन्होंने राकेश का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उन्होंने यह केस लेकर अच्छा किया। राकेश भले ही कुछ बोल ना रहा हो पर मन ही मन उसे भी लग रहा था कि जरूर कुछ तो इस केस के साथ अजीब है।
अपनी सोच में खोए हुए राकेश अपनी फाइल उठाकर वहां से चला गया।
लगभग शाम के वक्त मुंबई के ही पुलिस स्टेशन में फोन की घंटी बजी और जैसे ही सब इंस्पेक्टर रश्मि गुप्ता ने फोन उठाया तो उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा। उसने हैरानी से अर्जुन शर्मा की तरफ देखा।
क्या मोड़ लेगी ये कहानी, क्या राकेश माधवनी दिला पाएंगे असली कातिल को सजा? इस कहानी को जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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