रश्मि गुप्ता ने जैसे ही अपने सीनियर अर्जुन शर्मा की तरफ देख कुछ इशारा किया तो वह भी तुरंत अपनी सीट से खड़े हो गए। और जल्दी से रश्मि के पास आते हुए उसे पूछने लगे। तभी रश्मि ने फोन रखते हुए कहा” सर बिजनेसमैन राम भारद्वाज के पोते की डेड बॉडी उसके घर के बाहर मिली हैं और ये बच्चा भी बिलकुल उसी तरह से मारा गया हैं जैसे बाकी के बच्चे मारे गए थे। “
जैसे ही अर्जुन शर्मा ने यह बात सुनी तो उसका दिमाग हिल गया। क्योंकि उसके हिसाब से तो ये केस कब का सॉल्व हो गया था बस दोषियों को सजा मिलनी बाकी थी। उसने मन ही मन सोचा की कही वो कोई गलती तो नही कर रहा। एक बार के लिए उसका शक उन्ही केसेस पर जाने लगा जो इससे पहले हुए थे। पर उनमें तो ऑलरेडी कातिल ने सरेंडर कर दिया था और वो इस वक्त जेल में था। अर्जुन को कुछ समझ नहीं आया और वह रश्मि और बाकी टीम के साथ तुरंत उस लोकेशन पर पहुंचा जहां यह किडनैपिंग हुई थी।
इस वक्त राम भारद्वाज के घर पर अफरा तफरी मची हुई थी। आरव के मां बाप का तो रो रो कर बुरा हाल था। अर्जुन ने उन्हें खुद को संभालने के लिए कहा और ध्यान से उस पूरे घर में रखे सामान को देखने लगा। हर सामान अपनी जगह पर था। बिल्कुल भी, ऐसा नहीं लग रहा था की कुछ यहां से गायब करने की कोशिश की गई हो। सेम केस में होने की वजह से अभी तक विक्रम और राकेश माधवानी को भी इसकी इनफॉर्मेशन दे दी गई थी। और दोनो भारद्वाज जी के घर पहुंच गए थे। जैसे ही राकेश और विक्रम ने घर के अंदर रखी 6 साल के आरव की बॉडी देखी, तो एक बार के लिए उन दोनो का दिल भी पसीज गया।
आरव की बॉडी को देख राकेश माधवानी की कुछ अतीत की याद ताजा हो गई और उसके सामने किसी बच्चे का मासूम चेहरा आने लगा। विक्रम ने जब देखा की राकेश किसी गहरी सोच में हैं तो उसने, उसे कंधे से हिलाते हुए कहा” कहा खो गए राकेश..? “ राकेश जल्दी से सिर हिलाते हुए बोला” नहीं…कुछ नही।” और इतना कहकर वो फिर से बॉडी को ध्यान से देखने लगा। तभी उसे बॉडी पर कुछ अजीब दिखाई दिया, ये देख राकेश विक्रम को आंखो से इशारा कर, उस बॉडी की फोटो को खीच वहा से बाहर चला गया। वही दूसरी तरफ, कमला और बाकी नौकर अभी तक हॉल में आकर खड़े हो गए थे। कमला का तो रो रो कर बुरा हाल था। वो पिछले 6 महीने से भारद्वाज के यहां काम कर रही थी। इन 6 महीनो में उसने घर के सभी लोगो का मन जीत लिया था। और आरव, वो तो उसके लिए अपने बच्चे जैसा था। विक्रम ने जब सब नौकरों को वहा इकट्ठा देखा तो, एक एक कर सब से सवाल करने लगा। सभी लोग काफी ज्यादा घबराए हुए थे। और आरव को लेकर सब दुखी भी थे। तभी अर्जुन की नजर कमला पर गई और उसने ध्यान से कमला को देखते हुए पूछा” तुम कब से काम कर रही हो यहां? “ कमला ने 6 महीने बता दिया। तभी, कमला ने कहा” साहेब आप मुझ पर शक कर रहे हैं? मैं आरव बाबा को अपने बेटे की तरह मानती थी। मैं खुद दो बेटियों को मां हू, मैं भला क्यों किसी मां की कोख उजाडूंगी?” इतना कहकर कमला रोने लगी। उसे देखकर पता नही क्यों पर, अर्जुन को कुछ अजीब सी फीलिंग आ रही थी। उसने रश्मि की तरफ इशारा किया और वहा से बाहर आ गया। उन लोगो के जाते ही कमला अपने आंसू पोंछ कर बाकी सब के साथ काम पर लग गई।
इधर, राकेश और विक्रम के दिमाग में अलग ही कुछ चल रहा था। दोनो, तुरंत उस जेल में गए जहां, उन दोनो लड़कियों प्रीति और नेहा को रखा गया था। जैसे ही प्रीती और नेहा ने अपने सामने किसी की परछाई देखी तो दोनो, अपना सिर ऊपर उठा कर किसी साइको की तरह हसने लगी। जेल में इस वक्त जितने भी कैदी थे वो सब, एकदम शांत हो गए। हर कोई उनकी इस डरावनी हंसी से अंदर तक सहम गया था। इन दोनो की ये डरावनी हंसी इन सलाखों में किसी खौफनाक आवाज की तरह राकेश और विक्रम के कानो में गूंज रही थी। एक बार डरकर इन दोनो ने अपने कदम पीछे ले लिए। और फिर कुछ हिम्मत करके राकेश ने उन दोनो लड़कियों से पूछा”
राकेश : क्या सच में तुम दोनो ने मर्डर किए हैं।?”
राकेश की बात सुनकर उन दोनो लड़कियों ने एक बार एक दूसरे को देखा और फिर जोर से चिल्लाते हुए बोली” कितनी बार बोले हम, उन सब बच्चो को हमने ही मारा हैं।”
उनकी चीख सुनकर राकेश ने फिर से पूछा”
राकेश : अगर तुम दोनो ने वो मर्डर किए हैं तो आरव को किसने मारा? तुम दोनो तो सुबह से यहां बंद हो। तुम उसकी डेड बॉडी घर तक कैसे पहुंची?”
इस बार राकेश की आवाज में भी एक गुस्सा था जिसे वो दोनो लड़किया भी महसूस कर पा रही थी। राकेश की बात सुनकर उन दोनो लड़कियों ने कहा” अच्छा हुआ वो बच्चा भी मर गया…. अब वो ऊपर भगवान के पास सुरक्षित रहेगा। हा हा हा “
इन दोनो की बात सुनकर राकेश ने गुस्से से कहा”
राकेश : तुम दोनो को कोई हक नही हैं किसी को मारने का। मैं भले ही तुम्हारे लिए केस लड़ रहा हूं, पर अगर मुझे पता चला की इनके पीछे सच में तुम हो, तो तुम दोनो को, में खुद फांसी की सजा दिलवाऊंगा !”
इतना कहकर राकेश तुरंत वहा से बाहर आ गया। तभी एक पागल सी दिखने वाली बूढ़ी औरत, जिसे एक हवलदार पकड़ कर ले जा रहा था, उसने राकेश और विक्रम को देखते ही उनके पास आकर कहा” हत्यारन हैं दोनो…..इन दोनो ने ही उन बच्चो को मारा हैं।…..भगवान इन्हे इनके किए की सजा जरूर देगा। “ इतना कहकर वो जोर जोर से हंसने लगी। राकेश ने जब उस बूढ़ी औरत के मुंह से उन बच्चियों का जिक्र सुना तो वो एकदम हैरान रह गया। उसने उस बूढ़ी औरत से पूछा”
राकेश : तुम्हे कैसे पता….तुम जानती हो इन लड़कियों को? बताओ मुझे !”
राकेश बोल ही रहा था की तभी, एक लेडी कॉन्स्टेबल भागते हुए आई और बोली” सर ये पागल हैं। यहां खड़ी होकर कह रही थी की बिना किसी जुर्म के इसे जेल में डाल दे, पर हम ऐसा नहीं कर सकते। इसीलिए इसे बाहर छोड़ कर आती हु। इतना कहकर वो लेडी कॉन्स्टेबल उस बूढ़ी औरत को वहा से ले जाने लगी। राकेश और विक्रम तब तक उस औरत को देखते रहे जब तक वो उनकी आंखो से ओझल नहीं हो गई।
इधर, पुलिस स्टेशन में ऑफिसर अर्जुन अपने टीम मेट के साथ कोई जरूरी इनफॉर्मेशन निकलवाने में लगे हुए थे। तभी रश्मि उनके पास आते हुए बोली” सर, इससे पहले नागपुर और पुणे में भी इन दोनो लड़कियों को देखा गया है। ज्यादातर दोनो साथ ही रहती थी। और कुछ फोटोज से पता चला हैं की इनके साथ कई बार कुछ बच्चे भी दिखे हैं। पर ज्यादा डिटेल में कुछ पता नहीं चल पाया।”
रश्मि की बात ध्यान से सुनकर अर्जुन ने उसे पूछा” और उस बाई का क्या? मैंने तुमसे कहा था ना उसके बारे में पता करो ! “
रश्मि ने अर्जुन से कहा” सर, ये बाई कमला, पिछले 6 महीने से यहां मुंबई में हैं। पर इससे पहले ये नागपुर और पुणे में थी। और इसकी 2 बेटियां भी हैं। पर उनका कुछ पता नहीं चला। उसका पति नहीं हैं, विधवा हैं। अगर आप कहे तो उठा ले उसे?”
रश्मि की बात सुनकर अर्जुन कुछ देर चुप खड़ा रहा। तभी, उसके फोन पर एक मैसेज आया और अगले ही पल उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।
अगले दिन कोर्ट में एक बार फिर भीड़ लग गई थी। चारो तरफ से लोग इस केस के बारे में जानने आए थे। हर तरफ शोर ही शोर था। तभी इन दोनो लड़कियों प्रीति और नेहा को इंस्पेक्टर अर्जुन खुद अपने साथ लेकर आए। और दोनो से अलग आज इनके चेहरे पर कुछ शांति थी। जिसे सब लोग समझ रहे थे। तभी जज मीनाक्षी रावत आई और हथौड़ा बजा कर इन्हें शांत रहने के लिए कहा। चारो तरफ तेज शांति छा गई। मीडिया वाले बेसब्री से इस न्यूज को कैद करने की होड़ में लगे हुए थे। तभी जज साहिबा ने मामले को आगे बढ़ाने को कहा।
राघवेंद्र चौहान खड़े होते हुए बोले” माय लॉर्ड, पूरा देश जानता हैं की इस केस में कुछ भी नया नहीं पता चला हैं। बच्चा बच्चा भी जनता हैं की इन्ही दोनो लड़कियों ने, उन मासूम 6 बच्चो को बेरहमी से मारा हैं। और अब यहां आत्म समर्पण करने आई हैं। मैं कोर्ट से गुजारिश करता हूँ की बिना समय बर्बाद करे इन दोनो लड़कियों को मौत की सजा सुनाई जाए।” इतना कहकर राघवेंद्र जी वापस अपनी जगह पर बैठ गए। इधर, जज साहिबा मीनाक्षी रावत ने राकेश जी की तरफ देखते हुए कहा” क्या डिफेंस लॉयर के पास कोई सबूत हैं, जिससे ये साबित हो सके की, ये दोनो लड़कियां बेगुनाह हैं?”
जज साहिबा की बात सुनकर राकेश माधवानी खड़े होते हुए बोले”
राकेश : माय लॉर्ड, अपनी कोई भी दलील देने से पहले मैं कोर्ट में किसी को बुलाना चाहूंगा, जिससे ये साबित होगा की ये दोनो लड़कियां मानसिक तौर पर विशिप्त हैं और पिछले कई समय से ये इलाज करवा रही हैं।”
जैसे ही राकेश माधवानी की बात खत्म हुई तो पूरे कोर्ट में एक बार फिर से घनघौर शांति छा गई। सब लोग उस इंसान के आने का इंतजार करने लगे। तभी, एक 40 साल का आदमी अंदर आया, दिखने में साफ पर सिंपल सिले हुए पैंट शर्ट। चेहरे पर चस्मा और शरीर दुबला पतला। उस इंसान ने एक नजर सामने खड़े राकेश और विक्रम की तरफ देखा और फिर अपनी जगह खड़ा हो गया। तभी जज साहिबा ने पूछा” क्या कहना चाहते हैं आप.. खुलकर बताइए।”
वो आदमी सामने देखते हुए बोला” मेरा नाम समीर नायर हैं। मैं एक एनजीओ चलाता हूँ। पिछले साल मैं एनजीओ के काम से नागपुर गया था। तभी मैंने देखा की ये दोनो लड़कियां एक औरत के साथ मिलकर किसी 5 - 6 साल के बच्चे को ले कर कही जा रही हैं। वो बच्चा लगातार रोए जा रहा था। तभी, इनके साथ जो औरत थी, उसने उस बच्चे को जोर से मारा और उसे घसीटते हुए वहा से ले गई। मैं उस वक्त जितना पीछा कर सकता था मैंने किया पर तभी, ये मेरी नजरो से गायब हो गई।”
इस आदमी की बात सुनकर राकेश ने इनसे कहा”
राकेश : आप कैसे कह सकते हैं की ये दोनो वही किडनैपर हैं? “
राकेश की बात सुनकर उस आदमी ने कहा” मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं क्योंकि, इनमें से एक के पैरो पर एक अजीब सा निशान हैं। उसे ये चोट तब लगी थी, जब उस बच्चे को ले जाते वक्त ये गिर गई थी। और पत्थर में इनका पैर उलझ गया था।”
इस आदमी की बात सुनकर सब लोगों का ध्यान उन लड़कियों के पैरो पर आ गया। और तभी उनमें से एक लड़की ने चीखते हुए कहा” हम पागल नहीं हैं। उस दिन चोट हमे नही बल्कि मां को लगी थी। उनका पैर उलझा था उस पत्थर में।”
इतना कहकर वो शांत हो गई। इस लड़की की बात सुनकर सब लोग इन्हें ध्यान से देखने लगे। तभी, जज साहिबा नें कहा” पर तुम दोनो ने कहा था की तुम अनाथ हो! तो फिर, झूठ क्यों कहा।” जज मीनाक्षी रावत की बात सुनकर वो दोनो लड़कियां एकदम सहम गई और चुप हो गई। तभी राकेश ने जज साहिबा से कहा”
राकेश : मैं यही साबित करना चाहता था की ये दोनो लड़कियां झूठ बोल रही हैं। बिना किसी बड़े इंसान की मदद के ये 6 हत्याएं कर ही नही सकती।”
एक बार के लिए पूरे कोर्ट में शांति छा गई। तभी, जज साहिबा ने राघवेंद्र चौहान से पूछा” क्या आप किसी तरह का क्रॉस क्वेश्चन करना चाहते हैं?” जिस पर कुछ सोचते हुए राघवेंद्र जी ने खड़े होते हुए कहा” मैं एक बार के लिए मान लेता हूँ की, जो भी अभी मेरे मुवक्किल ने कहा वो सब सच हैं। पर, सवाल ये उठता हैं कि अगर इन सब में इनकी मां भी शामिल हैं तो, इस वक्त वो कहा हैं? और ये लड़कियां क्यों उसे छुपाने की कोशिश कर रही हैं?”
इन सभी सवालों के जवाब तो, कोर्ट को भी जानना था और बाकी लोगो को भी। तभी जज साहिबा ने राकेश माधवानी की तरफ देखते हुए कहा” डिफेंस लॉयर क्या आपके पास इसका कोई भी जवाब हैं?”
राकेश ने एक नजर विक्रम और सामने खड़े ऑफिसर अर्जुन को देखा और उसके बाद जवाब देते हुए कहा”
राकेश : जी, माय लॉर्ड। इस सबूत को जुटाने के लिए मुझे कुछ वक्त चाहिए।
राकेश की बात सुनकर जज साहिबा ने केस का ब्रीफ लिखते हुए कहा” ठीक हैं। सबूत को जुटाने के लिए और उसे अदालत में पेश करने के लिए आपको कल तक का समय मिलता हैं। कोर्ट डिसमिस” इतना कहकर मीनाक्षी रावत वहा से चली जाती हैं।
धीरे धीरे सभी लोग वहा से चले जाते हैं। तभी वो दोनो लड़कियां राकेश के पास आकर बोली” तुम कभी मेरी मां को नहीं पकड़ पाओगे। मेरी मां भगवान के लिए काम करती हैं। उन बच्चो को ऊपर जाकर ही आराम मिलेगा।” इतना कहकर वो दोनो पागलों की तरह हंसते हुए वहा से चली गई।
कौन थी वो पागल औरत? और क्या राकेश पेश कर पाएगा असली गुनहगार को । जानने के लिए पढ़ते रहिए
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