कोर्ट से बाहर आते ही विक्रम ने राकेश से कहा तुम्हें क्या लगता है पकड़ ले उन दोनो को? “
विक्रम की बात सुनकर राकेश उसे मना करते हुए बोला” नहीं अभी नहीं। पहले कुछ जरूरी जानकारी निकलवाते हैं।” राकेश की बात सुनकर विक्रम ने भी आगे कुछ नहीं कहा क्यू की वह जानता था कि राकेश हर एक काम बहुत सोच समझकर करता है।
इधर राघवेंद्र चौहान अर्जुन शर्मा को अपने पास बुलाकर उससे बोला”तुम लोग किस तरीके से कम कर रहे हो? हमें यह बात पहले तो नहीं पता चली? मैं यह केस किसी भी हालत में नहीं हर सकता। चाहे जो हो जाए उस राकेश माधवनी से पहले इन लड़कियों की मां को लेकर आओ और उन्हें अरेस्ट करो।” राघवेंद्र चौहान की बात सुनकर अर्जुन शर्मा को भी गुस्सा आ गया और उसने बात को संभालते हुए कहा ” मैं सरकार के लिए काम करता हूं आपके लिए नहीं मिस्टर चौहान। आपसे ज्यादा जल्दी मुझे उन लोगों को पकड़ने की है। प्लीज थोड़ा पेशंस रखिए।” अपनी बात कह कर ऑफिस अर्जुन वहां से चले गए।
इधर एक जंगल में एक बड़े से पेड़ के नीचे पत्थर पर बैठकर एक औरत गुस्से से चिल्ला रही थी” मैंने कहा था कि मेरे बारे में पता नहीं चलना चाहिए और वह दोनों अपना मुंह खोले बिना नहीं रह सकी। चाहे जो हो जाए पर मैं जेल नहीं जाऊंगी। मुझे भगवान का काम पूरा करना है। इस दुनिया में जितने भी विक्षिप्त मानसिकता के बच्चे हैं उन सबको भगवान के पास पहुंचना है क्योंकि यहाँ उन्हें कोई प्यार नहीं करता है।” औरत की बात सुनकर सामने बैठा इंसान इसे शांत करते हुए बोला”आज तक मेरे कहने पर तूने कितने की बच्चों को इस पापी संसार से मुक्त किया है , भगवान का काम किया है तेरे साथ कभी कुछ गलत नहीं होगा। आज शाम से पहले एक और बच्चे की बली चढ़ानी होगी उसके बाद कोई तेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।” यह आदमी काले कपड़े पहनकर बैठा हुआ था और उसके गले में कुछ मालाए पड़ी थी। वो लगातार कुछ मंत्र का जाप किया जा रहा था। जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि वह आदमी जादू टोना करता है।
अपने सामने बैठे आदमी की बात सुनकर उस औरत ने खुश होते हुए पूछा” तो क्या भगवान मुझे खुद दर्शन देंगे वह मुझसे खुश तो हो जाएंगे बाबा जी?”
इस औरत की बात सुनकर वह तांत्रिक हंसते हुए बोला” तुमने बहुत अच्छा काम किया है और तेरी बेटियां, उन्होंने तेरा साथ दिया। तू चिंता मत कर भगवान तुझसे बहुत खुश होंगे। इसलिए तो वह सारी बली मैं तेरे हाथों से दिलवाई। जा जाकर एक और बच्चे का इंतजाम कर, हमें आज रात 12:00 से पहले उसकी बलि देनी है।” इस तांत्रिक की बात सुनकर वो औरत खुश होते हुए वहां से चली गई और हमेशा की तरह वापस अपने काम में लग गई।
इधर राकेश ने अपने असिस्टेंट अर्णव को कुछ जरूरी जानकारी जुटाने के लिए भेजा था। अर्णव भी समझ गया था कि इस बार मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है इसीलिए उसने, हर एक छोटी से छोटी बात के बारे में पता लगाया था। राकेश जो अपने कैबिनेट में बैठकर किसी सच में खोया हुआ था उसने अर्णव को आता हुआ देखकर पूछा”कुछ पता चला?”
अर्णव ने खुश होते हुए कहा” सर बहुत कुछ पता चला है जो इस केस को हमारे हक में कर देगा।” और इतना कहकर अर्णव ने एक पेन ड्राइव राकेश को पकड़ा दी।
जैसे-जैसे राकेश उसे पेन ड्राइव को देख रहा था वैसे उसकी आंखें बड़ी हो रही थी उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि, यह केस इतना संगीन हो सकता है।
राकेश ने अर्णव की तरफ देखते हुए कहा”
राकेश : ठीक हैं अर्णव तुम जाओ, बाकी मैं देख लूंगा। कल कोर्ट में मिलते हैं।”
अर्णव के जाते ही राकेश ने तुरंत ऑफिसर अर्जुन शर्मा को फोन मिलाया” ऑफिसर Arjun Sharma, मैं जानता हूं कि आप इस वक्त उस औरत के बारे में पता लग रहे हैं। कुछ जरूरी बातें हैं जो मुझे पता चली है। अगर आप चाहे तो इस केस को अपने नाम कर सकते हैं।” और इतना कहकर राकेश ने अर्जुन को कुछ जरूरी बातें बता कर फोन रख दिया।
हियरिंग होने में अभी 12 घंटे बाकी थे और अर्जुन शर्मा को जो काम राकेश माधवानी ने बताया था वह इन 12 घंटे में होना जरूरी था। अर्जुन शर्मा तुरंत अपनी टीम के साथ, मुंबई के ही बैकवर्ड इलाके में बने एक मंदिर के पास गया और वहां से उस तांत्रिक को चारो तरफ से घेर लिया। पुलिस को देखकर तांत्रिक ने भागने की बहुत कोशिश की पर तभी अर्जुन ने उसे एक थप्पड़ मारते हुए कहा” तू जैसे ढोंगी बहुत देखे हैं जो मासूम बच्चों की जान लेकर यहां आराम से बैठा है। बहुत शौक है ना तुझे ढोंग करने का, चल बेटा तू अब जेल में ही यह सब करना।”
अर्जुन की बात सुनकर तांत्रिक ने गुस्से से कहा”तुम लोग मुझे गिरफ्तार कर सकते हो पर भगवान का नेक काम कभी नहीं रुकेगा वह अपने काम को अंजाम जरूर देगी।” इस आदमी की बात सुनकर अर्जुन को हंसी आ गई और उसने कुछ देर तेज तेज हंसने के बाद अपने फोन में एक वीडियो प्ले कर दिया। जैसे-जैसे तांत्रिक वह वीडियो देख रहा था वैसे-वैसे उसके हाव भाव बदलते जा रहे थे।” तुम दोनों अब जेल में ही तांत्रिक तांत्रिक खेलना। हवलदार गिरफ्तार करो इसे, और लेकर चलो। “
अगले दिन कोर्ट में सब लोग मौजूद थे पर सबके साथ दो लोग और थे जो आज नए थे। पहला तांत्रिक और दूसरी वो औरत जिसने उसके कहने पर यह सब किया। उन दोनों लड़कियों ने जैसे ही सबके सामने अपनी मां को देखा तो उनकी हिम्मत जवाब दे गई और डरते हुए उन दोनों ने अपनी नज़रें नीचे कर ली।
तभी जज साहिबा मीनाक्षी रावत ने सुनवाई को शुरू करने का ऑर्डर दिया। और इसी के साथ राकेश माधवानी खड़े होते हुए बोले”
राकेश : my लॉर्ड आज आपके सामने जो दो लोग खड़े हैं वह कोई और नहीं बल्कि, 6 बच्चों के असली हत्यारे हैं जिन्होंने बिना सोचे समझे अपने अंधविश्वास के चलते इतने बच्चों की जान ले ली। “
जैसे ही राकेश माधवनी ने अपनी बात कही तो सामने खड़ी औरत चिल्लाते हुए बोली” हत्यारे नहीं है हम भगवान के भेजे हुए दूत हैं जिन्होंने इस धरती पर से अच्छे लोगों को भगवान के पास भेजा है । कहा था मैंने इन दोनों को की अपना मुंह मत खोलना भगवान के लिए खुद को मरने देना पर देखो इन्होंने सब बिगाड़ दिया।”
जैसे-जैसे कोर्ट में बैठे हुए लोग यह बातें सुन रहे थे वैसे-वैसे सबको हैरानी हो रही थी कैसे कोई मां अपनी ही सगी औलादे को इस तरह करने के लिए छोड़ सकती है। पर क्या आप जानना नहीं चाहेंगे कौन थी ये औरत? चलिए हम बताते हैं आपको।
राकेश माधवानी ने गुस्से से उस औरत की तरफ देखते हुए कहा”
राकेश : तुमने अपने अंधविश्वास के चलते इतने बच्चों को मार डाला कमला, भगवान तुम्हें कभी माफ नहीं करेगा और तुम्हें इसी जन्म में यही सजा मिलेगी। पहले नागपुर फिर पुणे और अब मुंबई में आकर तुम अमीर घरों के लोगों के यहां काम पकड़ती और फिर उनका विश्वास जीतकर उनके बच्चों को इस तरह मार डालती थी। क्या मिला तुम्हें यह सब करके और किसके कहने पर तुम यह सब कर रही थी इस छोटे तांत्रिक के? बोलो !”
राकेश आज पहली बार इतनी तेज गुस्से में चिल्ला रहा था जिससे वहां बैठे लोग भी एक बार के लिए डर गए थे। तभी कमला ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा” इन अमीर लोगों को कुछ नहीं आता बच्चे पालने भी नहीं आते। खासकर की वो बच्चे जो ख़ास है, कोई अपाहिज तो दिमाग से अगर काम तेज हो तो उसे समाज अलग नज़र से क्यों देखता है? समाज छोरो ! उनके अपने माँ बाप , दोनों मां-बाप बेचारे बच्चे को अकेला रोने के लिए बिलखने के लिए छोड़ देते हैं। मैं देखती हूं मेरा दिल दुखता है बच्चे को रोते हुए देखकर इसीलिए तो उसे हमेशा हमेशा के लिए ऐसे मां-बाप और दुख दर्द से मुक्त कर देती हूं।”
कमला जैसे-जैसे बोल रही थी वैसे-वैसे वहां बैठे मां-बाप का दिल धक कर कर बैठ जा रहा था। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई औरत इतनी नीचे भी हो सकती है। जज साहिबा मीनाक्षी रावत तो गुस्से से कमला को देख रही थी एक औरत होने के नाते वह कैसे इस बात को जाने दे सकती थी कि यह औरत इतने बच्चों को मार कर भी अपने आप को भगवान का दूत कह रही है।
सब लोगों को खुद को इस तरह देखा देख कर कमला ने किसी साइको की तरह हंसते हुए कहा” 13 साल पहले जब मेरे पति ने मुझे छोड़ा था तब मेरी गोद में दो बच्चियां थी। ना कोई काम था ना कोई धंधा, तब मैंने इन दोनों बच्चियों को अकेले पाला है।
कितनी बार कोशिश की इन दोनों को कहीं छोड़ आऊ, पर नही हुआ मुझ से। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरी की जिंदगी में इतनी तकलीफे इतने दुख क्यों है? फिर एक बार मेरी पहचान तांत्रिक बाबा से हूंई उन्होंने मुझे बताया कि, मुझसे भगवान खुश नहीं है क्योंकि, मैं उनका दिया काम नबी कर रही। बाबा जी ने मुझसे कहा कि मुझे दिमाग की तौर पर कमजोर बच्चों को, इस पापी दुनिया से मुक्ति दिलानी होगी।
पहले बच्चे को मारते वक्त तो मुझे बहुत दुख हुआ और फिर मजा आने लगा धीरे-धीरे मैंने अपनी बेटियों को भी शामिल कर लिया। मैं जैसा कहती वो वैसा करती। सब कुछ सही जा रहा था। पर तभी आरव को, जब मेरी बेटियां बहला फुसलाकर लेकर जा रही थी, तो मुझे लगा की जरूर बाहर के केमरे में ये कैद हो गया होगा। मैं पकड़ी ना जाऊं इसलिए मैंने सरेंडर करने को कहा। धमकी दी की अगर उन दोनों ने गलती से भी मेरा नाम ले दिया तो, मैं उन्हें बाकी के बच्चों की तरह ही मौत दूंगी। सब कुछ मेरे हिसाब से हो रहा था और पता नहीं कैसे इन लोगों को मेरे बारे में पता चल गया?” इतना कहकर वह गुस्से से ऑफिसर अर्जुन और राकेश माधवानी की तरफ देखने लगी।
कमला की बात सुनकर राकेश माधवानी ने अपने पास रखी हुई एक पेन ड्राइव कोर्ट में सबमिट करते हुए जब साहिब से आग्रह किया कि उसे सबके सामने प्ले किया जाए। जैसे जैसे वीडियो प्ले हो रहा था वैसे-वैसे हर कोई हैरान रह गया था यह कल शाम को हुई कमला और शांति के बीच की बातचीत थी जिसे अर्णव ने रिकॉर्ड कर लिया था। असल में जब से कमला भेस बदलकर राकेश और विक्रम से टकराई थी तब से राकेश को उस पर शक हो रहा था। कमला के पैरो पर एक निशान था, और यह निशान, बिल्कुल वैसा ही था जैसे उनकी बेटियों ने बताया था। और रही बात तांत्रिक की तो, असल में जिस दिन आरव की डेड बॉडी मिली थी उस दिन, राकेश और विक्रम ने यह बात नोटिस की थी कि मारने से पहले आरव को रस्सी से बांधा गया था और उसे किसी पूजा का हिस्सा बनाया गया था। आरव के शरीर पर कई ऐसे निशान थे जो इस बात की गवाही दे रहे थे कि वो बार-बार खुद को खोलने की कोशिश कर रहा था, पर इस दौरान उस पर कई बार हाथ से उठाया गया था।
ये वीडियो देखने के बाद राकेश ने कोर्ट को बताया कि कमला सब बच्चों को एक ही तरीके से मारती थी। वह पहले बड़े घरों के बच्चों को बहलाती फुसलाती और उन्हें किडनैप करके इस तांत्रिक के पास लेकर जाती। ये तांत्रिक पहले उसकी पूजा करता और उसके बाद उसके शरीर के एक-एक हिस्से को काटकर फेंक देता। इन सब कोई इकट्ठा करके कमला वहीं पास की खाली जमीन पर इन्हें दफना देती। जिससे गायब हुए बच्चों की बॉडी कभी मिलती ही नहीं थी। कमला की सनक इतनी बढ़ती जा रही थी कि वह साल में कम से कम दो बच्चों को जरूर मरती थी। और बच्चों को गायब करने में प्रीति और नेहा भी उनका साथ दे रही थी।
सब बातें सुनने के बाद जज साहिब मीनाक्षी रावत ने निर्णय लेते हुए कहा” कमला देवी को 6 बच्चों को करने और कोर्ट को गुमराह करने के लिए मौत की सजा दी जाती है। और उनका साथ देने के लिए तांत्रिक को उम्मीद कैद की सजा दी जाती है।
कमला ने अपनी दोनों नाबालिक बेटियों को भी जबरदस्ती इस काम में घसीटा और उनका शोषण किया इसलिए, प्रीति और नेहा मानसिक रूप से स्टेबल नहीं हैं। प्रीति और नेहा ने अपनी मां के दबाव में आकर यह सब काम किया इसीलिए उन्हें बाल सुधार गृह में भेजा जाता है। “
कोर्ट का ऑर्डर मिलते ही वहां बैठे सभी लोगों की आंखों में आंसू आ गए। जिन मां बाप ने अपने बच्चों को खाया था, वह सब जज साहिब की फैसले से खुश थे कि उनके बच्चों को इंसाफ मिला।
राघवेंद्र चौहान भी आज खुश थे। इस केस को कोई नहीं जीता था पर सत्य की जीत हुई थी। कोर्ट डिसमिस हुई और सब लोग अपने घर चले गए।
राकेश कुछ देर तक कोर्ट में अकेले बैठे रहे किसी गहरी सोच में डूबे हुए , राकेश को अपना अतीत याद आने लगा , राकेश माधवानी का बेटा , अंशुल माधवानी। क्या होगा आगे? जानने के लिए पढ़ते रहिए
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