एपिसोड – 42: रघु आ गया?
“एक्सक्यूज मी!” मेल्विन ने रघु के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “क्या तुम्हारा नाम रघु है?”
मेल्विन को अपनी आंखों के सामने देखकर उस आदमी के पसीने छूटने लगे थे। उसने अब भी मेल्विन के सवाल का जवाब नहीं दिया था। मेल्विन ने उस शख्स को ऊपर से नीचे तक गौर से देखा। उस शख्स का हुलिया बिल्कुल उस हुलिए से मैच कर रहा था जिसका जिक्र मेल्विन की मां ने किया था।
“जी… जी नहीं!” उसने शख्स ने घबराते हुए कहा, “मेरा नाम रघु नहीं है।”
“अच्छा, तो फिर तुम यहां किसे ढूंढ रहे हो?” मेल्विन ने पूछा, “तुम यहां के तो नहीं दिखते।”
“मैं… जी, मैं यहां का नहीं हूं। मैं गुजरात से हूं। मेरा नाम विश्वास है विश्वास पटेल। मैं यहां एक कैफे ढूंढ रहा था।”
मेल्विन उस शख्स की बातों पर यकीन नहीं करना चाहता था लेकिन अगर वो कह रहा था कि वो रघु नहीं है तो फिर मेल्विन भी इसमें क्या कर सकता था।
“ठीक है, शायद मुझे ही गलतफहमी हो गई होगी।” मेल्विन ने कहा, “क्या तुम्हें भूख लगी है?”
“नहीं, कैफे मतलब जहां कंप्यूटर पर लोग कुछ काम करते हैं, वो।” विश्वास नाम के उस शख्स ने कहा।
“कैफे उस तरफ आगे है।”
“ओके, थैंक्यू!” विश्वास इतना कहकर जल्दी–जल्दी वहां से आगे बढ़ गया।
मेल्विन ने बिना वक्त गवाएं पीछे से उसका एक छोटा सा वीडियो शूट कर लिया था।
“मुझे लगता नहीं कि इसने कुछ भी सही कहा है मुझसे।” मेल्विन ने उसके जाने के बाद अपने आपसे बातें करते हुए कहा, “लेकिन रघु मुझसे झूठ क्यों बोलेगा? मां का कहना था कि इस तरह का एक शख्स मुझे ढूंढते हुए घर आया था। अगर रघु मुझे ढूंढ रहा है तो फिर मेरे सामने आने पर वो मुझे पहचानने से क्यों इनकार करेगा।”
मेल्विन को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। वो वापस ऑफिस में आ गया।
इस बात का जिक्र मेल्विन ने अपनी मां से किया।
“इस वीडियो में तो उसका चेहरा ही दिखाई नहीं दे रहा है।” मेल्विन की मां ने रात के खाने के वक्त मेल्विन के शूट किए वीडियो को देखने के बाद कहा, “रघु को उस दिन मैंने पहली और आखिरी बार देखा था। उसके चेहरे के अलावा कुछ भी देखकर मैं पक्का नहीं बता सकती कि वो रघु है या कोई और।”
“मां, आप ये वीडियो बार–बार देखिए। अपने दिमाग में इस आदमी का चेहरा बनाइए, सोचिए वो चेहरा रघु से मिलता है या नहीं।”
मेल्विन के कहने पर उसकी मां ने यही किया। उन्होंने वो वीडियो कई बार देखा। लेकिन तब भी उनके चेहरे पर एक कन्फ्यूजन थी।
“नहीं मेल्विन, मैं सच में पक्का नहीं कह सकती की ये रघु ही है या कोई और।” मेल्विन की मां ने कहा, "तुम मुझे ये वीडियो मेरे मोबाइल पर भेज दो। मैं इसे बाद में फिर देखूंगी। तब शायद मैं कुछ क्लियर कह पाऊंगी।”
मेल्विन ने वो वीडियो अपनी मां के मोबाइल पर फॉरवर्ड कर दिया।
“वैसे ये तुम्हें कहां मिला मेल्विन?”
“मेरे ऑफिस के बाहर यह कुछ तलाश कर रहा था। मैंने जब उसके पास जाकर उसका नाम पूछा तो उसने खुद को रघु होने से इनकार कर दिया। जबकि उसका हुलिया ठीक आपके बताएं हुलिए की तरह ही था। वो लंगड़ा रहा था और उसका एक हाथ सड़ रहा था जिस पर मक्खियां भिनभिना रही थीं। उसकी हालत मरियल सी थी।”
“हो सकता है उसे देखकर तुम्हें रघु की याद आ गई हो और फिर तुम्हारे दिलोदिमाग ने उसे रघु न मानने से इनकार कर दिया हो। हमारे साथ कई बार ऐसा होता है। शायद वो कोई और रहा हो। अगर रघु भी था तो हमें उससे क्या लेना–देना। उसे तब तुम्हारी जरूरत रही होगी, लेकिन अब नहीं है, इसलिए शायद वो तुमसे मिलना नहीं चाहता।”
“हां मां, शायद ऐसा ही हुआ हो!” मेल्विन ने कहा। फिर उसने अपने कल के प्लान के बारे में बताते हुए कहा, “मिस्टर कपूर ने एक आर्ट एग्जिबिशन रखा है कल शाम को। उसमें उन्होंने मुझे खास आने को कहा है। लेकिन उससे पहले मेरे एक करीबी दोस्त ने मुझे अपने बर्थडे पार्टी इनवाइट किया है। वो भी कल शाम को ही है। अब मुझे समझ में नहीं आ रहा है मां कि आखिर मैं दो जगहों पर एक ही समय में कैसे अवेलेबल रहूं।”
“एक को मना कर दो मेल्विन!” मेल्विन की मां ने बिना ज्यादा सोचे हुए कहा, “एक जगह कंसंट्रेट करोगे तो उस पल को अच्छे से एंजॉय कर पाओगे।”
“पर किसे मना करूं? जो मेरा पिछले 17 सालों से बॉस है या फिर जो मेरे बॉस से ज्यादा खास है?”
“जिसने बाद में इनवाइट किया उसे।” मेल्विन की मां ने कहा, “तुमने एक को टालकर तो रखा है न?”
“हां मां, मैंने मिस्टर कपूर को कह दिया है कि मैं कल एक अपने दोस्त के बर्थडे पार्टी में रहूंगा। लेकिन साथ में मैंने 8 बजे से पहले एक घंटे के लिए इवेंट में आने को कह दिया है।”
“तो फिर ऐसा ही कर लो।”
“वीटी से मलाड आने के बाद मेरी शक्ल स्कूल से घर लौटे थके–हारे बच्चे जैसी हो चुकी होगी मां। मैं पार्टी क्या ही एंजॉय करूंगा।”
“फिर अपने दोस्त को बोल दे कि तू उसके बर्थडे पार्टी में अब अगले साल ही शामिल हो पाएगा।”
“ये तो बिल्कुल मुमकिन नहीं है मां।” मेल्विन ने साफ इनकार करते हुए कहा, “दोस्त को नाराज करने की पोजीशन में नहीं हूं मां! बॉस को तो फिर भी मनाया जा दिया है। उनसे 17 साल पुराना रिश्ता है। लेकिन मेरे दोस्त से ये रिश्ता तो अभी–अभी जुड़ा है न।”
“पीटर तुम्हारा नया दोस्त है!” मेल्विन की मां ने है हैरान होते हुए कहा।
“मैं पीटर की बात नहीं कर रहा हूं मां! ये मेरा एक नया दोस्त है।”
“कौन रॉबिन, जिसे तू बार बार गलती से रेबेका कहकर बुला देता है?”
“मां, क्या आप मेरी टांग खींच रही हैं?” मेल्विन ने अपनी मां की बात समझने की कोशिश करते हुए पूछा।
“नहीं मेल्विन, मैं भला तुम्हारी टांग क्यों खींचने लगी। क्या वो रोबिन भी नहीं है जिसके बर्थडे में कल तुम जा रहे हो?”
“कल रॉबिन का ही बर्थडे है मां।”
“तो तुमने किया डिसाइड किया है? उसे क्या गिफ्ट करने वाले हो तुम?”
“मैं उसे एक फोटो फ्रेम देने वाला हूं। पिछली बार मैंने उसे अपना एक स्केच दिया था। इस बार मैं फोटो फ्रेम देकर उस गिफ्ट को पूरा करने वाला हूं।”
मेल्विन ने खाना खत्म कर लिया था। उसकी मां जब प्लेट उठाकर किचन की ओर चली गई तब मेल्विन एक बार फिर गहरे ख्यालों में डूब गया।
“मैं नहीं मान सकता कि रघु का काम पूरा हो चुका है। वो ऑफिस के बाहर मुझे ही ढूंढ रहा था। मैं कल ही उस कैफे में जाकर रघु के बारे में पूछताछ करूंगा। पता करूंगा कि रघु कैफे में गया था या नहीं।”
अगली सुबह मेल्विन की मुलाकात जब रामस्वरूप जी से हुई तब उन्होंने कहा, “कार्ड का मैटर मुझे ठीक लगा मेल्विन! तुम कल मुझे एक सैंपल दिखा दो तो मैं कार्ड प्रिंट करवाने के ऑर्डर दे दूं।”
“ठीक है रामस्वरूप जी, मैं कल आपको एक सैंपल लाकर दे दूंगा।” मेल्विन ने कहा, “बाकी शादी में और किसी मदद की जरूरत हो तो बताइएगा।”
“मुझे मदद की जरूरत है मेल्विन!” लक्ष्मण ने कहा तो बाकी सब भी उनकी बात सुनने लगे थे।
“कैसी मदद?” मेल्विन ने पूछा।
“मैंने अपनी होने वाली वाइफ की सिस्टर से एक शर्त लगा लिया है।” लक्ष्मण ने कहा, “उसने मुझसे कहा है कि वो मेरे जूते चोरी करके मुझसे एक लाख की डिमांड करने वाली है। मुझे अपने नब्बे लाख बचाने हैं।”
“नब्बे लाख क्यों? मतलब मैं इसमें तुम्हारी कैसे मदद कर सकता हूं लक्ष्मण? मैं कुछ समझा नहीं।”
“मैं अपनी साली को किसी तरह इस बात पर राजी करना चाहता हूं कि वो 10 हजार से ज्यादा की मांग न करें।” लक्ष्मण ने कहा, “क्या तुम ऐसा कोई तिकड़म लगा सकते हो?”
मेल्विन का जवाब सुनने के लिए पीटर, डॉक्टर ओझा और रामस्वरूप जी भी करीब आ गए थे। रोज की तरह आज भी उन्हें लोकल में खड़े होकर सफर करना पड़ रहा था।
“लक्ष्मण, ज्यादा से ज्यादा तुम यही कर सकते हो कि उस दिन 2–3 हजार का कोई शूज पहनकर शादी में जाओ। फिर उसे कह दो कि हमारे यहां जूते के दाम के दुगने या तीन गुने से ज्यादा पैसा नहीं दिया जाता।”
“लेकिन मेल्विन मैंने 45 हजार का शूज पसंद कर लिया है। मेरी होने वाली वाइफ में मेरे लिए उस शूज को पसंद किया है।”
“फिर तो मामला गंभीर है। मुझे सोचने में वक्त लगेगा लक्ष्मण!” मेल्विन ने कहा तभी लोकल मलाड रेलवे स्टेशन पर आकर खड़ी हो गई थी। रेबेका और डायना ट्रेन में चढ़ चुकी थीं। पीटर वहां से हटकर डायना के करीब चला गया था।
“मैं क्या कहता हूं लक्ष्मण, तुम्हारी शादी में अभी 3 हफ्ते हैं। तब तक हम सब मिलकर कुछ न कुछ सोच लेंगे।” मेल्विन ने कहा, “मैं जरा अभी आता हूं।”
मेल्विन वहां से जल्दी–जल्दी रेबेका की तरफ आ गया।
“हाय रेबेका, कैसी हो तुम?” मेल्विन ने कहा। उसकी आवाज में घबराहट थी।
“हाय मेल्विन! मैं ठीक हूं। लेकिन तुम्हें क्या हुआ? तुम इतने घबराए हुए क्यों हो?” रेबेका ने मेल्विन के चेहरे पर आई घबराहट को देखते हुए पूछा।
“मैं बेहद नर्वस महसूस कर रहा हूं रेबेका!” मेल्विन ने धीरे से उसके कान में कहा, “मैं तुम्हारी फैमिली से मिलने के लिए खुद को मेंटली रूप से तैयार नहीं कर पा रहा हूं।”
“इसमें इतना घबराने वाले कौन सी बात है मेल्विन?” रेबेका ने पूछा, “तुम्हें अपने मन में कुछ भी ऐसा–वैसा ख्याल लाने की जरूरत नहीं है। मेरी बर्थडे पार्टी है। मॉम–डैड तुमसे मिलना चाहते हैं। ये तुम्हारा कोई इंटरव्यू नहीं है जो तुम इतना नर्वस हो रहे हो। न तुम टीनएजर्स हो जो बात क्या करूंगा ये सोचकर परेशान हो।”
“एक्जेक्टली मैं यही सोचकर परेशान हूं रेबेका। ऊपर से ऑफिस या एक जरूरी एवेंट को अटेंड करके वहां आऊंगा इसलिए मुझे तैयार होने का बिल्कुल मौका नहीं मिलेगा।”
“आज के दिन तुम किसी इवेंट में पार्टिसिपेट करने वाले हो?” रेबेका ने पूछा, “ये तुमने का डिसाइड किया मेल्विन?”
“ऑफिस के किसी इवेंट में पार्टिसिपेट करने या ना करने का डिसीजन में कैसे ले सकता हूं रेबेका? ये तो मेरे बॉस मिस्टर कपूर के हाथ में है। कल अचानक से उन्होंने इस इवेंट के बारे में मुझे बताया। वे चाहते हैं कि मैं हर हाल में इस इवेंट में शामिल रहूं।”
“और मेरे बर्थडे पार्टी का क्या? मेल्विन क्या तुम पार्टी में लेट आने वाले हो? देखो अगर ऐसा है तो मैं ये बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करूंगी। तुम्हारे बिना मैं पार्टी नहीं शुरू करने वाली।”
“मैं पार्टी में टाइम पर पहुंच जाऊंगा रेबेका। तुम इसकी चिंता मत करो। तुम फिलहाल इस बात की चिंता करो कि मैं तुम्हारे मॉम–डैड से क्या बातें करूंगा?”
“मेल्विन, तुम उनसे मेरा हाथ मांगने नहीं आ रहे हो। इसलिए तुम्हें इतना सोचने की जरूरत नहीं है। तुम बस इतना सोचो कि यह तुम्हारे लिए एक दूसरा इवेंट है जिसमें तुम्हें पार्टिसिपेट करना है।”
रेबेका की इस बात पर मेल्विन की आंखें शर्म से झुक गई। रेबेका को ये देखकर हंसी आ गई।
“मेल्विन शरमा रहे हो?” रेबेका ने मुस्कुराते हुए कहा, “आज पहली बार मैं तुम्हें शर्माते हुए देख रही हूं।”
इससे पहले कि मेल्विन रेबेका को कुछ जवाब देता उसकी नजर ट्रेन की उस कंपार्टमेंट में एक शख्स पर पड़ी। उस शख्स को देखकर मेल्विन की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई।
“क्या हुआ मेल्विन, तुम कहां खो गए?” रेबेका ने मेल्विन को एकटक दूसरी तरफ देखते हुए पूछा।
“रेबेका, वो लंगड़ा आदमी। उसे मैं जानता हूं। वो भी बहुत खतरनाक है।” मेल्विन ने कहा। कंपार्टमेंट में भीड़ इतनी ज्यादा थी कि वो शख्स एक बार दिखने के बाद दोबारा दिखा ही नहीं।
“तुम किसकी बात कर रहे हो मेल्विन? कौन है वहां?” रेबेका ने पूछा लेकिन मेल्विन का पूरा ध्यान अब भी उसी तरफ था। वो बेचैनी से किसी को ढूंढने लगा था। कंपार्टमेंट में हलचल मच गई थी। पीटर और मेल्विन के दूसरे साथियों की नजर भी उस पर पड़ी।
“मेल्विन, क्या बात है? कहां जा रहे हो तुम?” पीटर ने मेल्विन को भीड़ में कहीं खोते देखकर पूछा।
“पीटर, वो रघु… वो रघु मेरा पीछा करते हुए यहां तक आ चुका है। आज मैं उसे यहां से जाने नहीं दूंगा। ये मेरा पालघर से पीछा करते हुए यहां तक आया है।”
रघु के बारे मेल्विन ने अपने साथियों को जानकारी दी थी। उसका नाम मेल्विन के मुंह से सुनते ही सब चौकन्ने हो गए। सबकी निगाहे अब रघु को ढूंढने लगी थीं।
क्या मेल्विन और उसके साथी रघु को ढूंढ पाएंगे? आखिर रघु मेल्विन का पीछा क्यों कर रहा था? क्या वो सचमुच रघु ही था या फिर वो विश्वास पटेल था? रेबेका की बर्थडे पार्टी में क्या होने वाला था जिससे मेल्विन की आने वाली जिंदगी पूरी तरह बदल जाने वाली थी? क्या मेल्विन की मां रेबेका को कभी एक्सेप्ट करेंगी?
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