दोनों सहेलियाँ अनिका और मीरा कुछ दिनों पहले तक मटरगश्ती करते हुए शहर की गलियों में घूमती थी। लेकिन आज अनिका और मीरा ‘मगन इलेक्ट्रॉनिक्स’ की दुकान में खामोशी से खड़ी थीं। उनके सामने दुकान की स्क्रीन पर सीसीटीवी फुटेज चल रहा था। मीरा ने अपने दिल की तसल्ली के लिए बार-बार प्ले किया। वीडियो में वही लड़का दिखाई दे रहा था जिसने पिछले दिन कॉलेज के वॉशरूम में मीरा को बंद किया था। मीरा के लिए उस लड़के को देखना ऐसा था, जैसे उसका डर एक बार फिर उसके सामने आकर खड़ा हो गया हो। ये डर कुछ ऐसा था जिससे मीरा और अनिका अनजान थी। अनिका ने एक नज़र मीरा को देखा और फिर डरते हुए मन ही मन कहा 

अनिका- क्या वो मुझ तक पहुँचने के लिए मीरा को ज़रिया बना रहा था, या मीरा को नुकसान पहुंचाना भी उसके मकसद का हिस्सा था?

मीरा और अनिका की आँखें स्क्रीन पर टिकी हुई थीं। दोनों की आँखों में उसी अनजान डर की परछाई थी, लेकिन किसी ने कुछ कहा नहीं। अनिका ने कई बार कोशिश की मीरा से कुछ कहने की, पर उसके शब्द जैसे होंठों पर अटक गए थे। वीडियो को जितनी बार प्ले किया गया, उतनी ही बार अनिका के दिल की धड़कनें तेज़ हो जातीं। उस लड़के का चेहरा, उसकी चाल,  सब कुछ अनिका के ज़हन में एक अजीब सी बेचैनी पैदा कर रहा था। अनिका को समझ ही नहीं आ रहा था कि अगर लड़के का निशाना वो थी तो उसने मीरा के साथ वो सब क्यों किया? मीरा ने अनिका की तरफ देखा,  जो इस वक्त घबराहट के साथ-साथ एक उलझन से भी जूझ रही थी। मीरा ने अपने मन ही मन में बोलते हुए कहा 

मीरा- क्या सच में ये वही लड़का है? जिसने मुझे वॉशरूम में बंद किया था, या फिर ये भी कोई डरावना सपना, कोई वहम है। क्या उस वक्त जो हुआ वो सिर्फ एक हादसा था या इसने जानबूझकर मुझे वहाँ बंद किया था?

वीडियो रुक गया। मीरा ने एक लंबी सांस ली, उसने महसूस किया कि अनिका भी कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी, पर उसके होठों से आवाज़ नहीं निकल रही थी। मीरा ने अनिका के कंधे पर हाथ रख कहा 

मीरा- चलो अनिका, यहां से चलते हैं

 मीरा की आवाज़ में एक चिंता और एक हमदर्दी का एहसास था, वो अनिका को संभालना चाहती थी, लेकिन इस वक्त मीरा खुद अंदर-अंदर टूट रही थी। क्योंकि जो भी कुछ उन दोनों के साथ घट रहा था वो मामूली बिल्कुल नहीं था। उसने अनिका की कलाई पकड़कर उसे दुकान से बाहर ले जाने की कोशिश की। अनिका ने मुड़कर एक बार फिर स्क्रीन की तरफ देखा, उसकी नजरें उस लड़के की तस्वीर से हटने का नाम नहीं ले रही थीं। वो लड़का ऐसा कुछ नहीं कर रहा था जो अजीब लगे, मगर उसकी चाल, उसके चेहरे का हाव-भाव सब अनिका को  डरावने लग रहे थे।  

मीरा ने फिर से अनिका का हाथ पकड़कर हल्का सा खींचा। 

मीरा- चलो, अब इसे और नहीं देखना। 

दुकान से बाहर निकलते वक्त उनके कानों में सीसीटीवी  की रिकॉर्डिंग की आवाज़ गूंजती रही। बाहर का माहौल बदला-बदला सा लग रहा था, जैसे हवा में भी कुछ भारीपन था। सड़क पर लोगों की चहल-पहल थी, मगर उनके कदम धीमे और भटकते से लग रहे थे। मीरा ने अनिका की ओर देखा, उसकी आँखें गहरी चिंता से भरी हुई थीं। मीरा ने अनिका का हाथ थामकर कहा 

मीरा- तुम डर गई हो, है ना? 

मीरा खुद डरी हुई थी, लेकिन वो अनिका  को ढाँढ़स बंधा रही थी। अनिका ने हल्के से सिर हिलाया, उसकी आँखें अब भी फुटेज में देखे गए विडिओ से बाहर नहीं निकल पाई थी। 

अनिका- वो... वो लड़का, मैंने उसे पहले भी कहीं देखा है। मगर कब और कहां, याद नहीं आ रहा। तुमने उसे कल ही पहली बार देखा होगा, लेकिन ना जाने मुझे ऐसा लग रहा है मैंने उसे कहीं तो देखा है। 

मीरा(चौंककर)- कहाँ देखा, कुछ याद करने की कोशिश करो। 

दोनों चुप हो गईं। सड़क की भीड़ जैसे उनके चारों ओर घूम रही थी, पर उनकी दुनिया रुक चुकी थी। मीरा को समझ नहीं आ रहा था कि उस फुटेज में जो कुछ उसने देखा, वो सच था या सिर्फ उसका भ्रम। अनिका के मन में भी सवालों की कतार खड़ी हो गई थी, लेकिन उनके पास उन सवालों के जवाब नहीं थे। अनिका ने हिचकिचाती आवाज़ में कहा 

अनिका- हमें कुछ करना चाहिए, मीरा। 

मीरा- लेकिन क्या? 

मीरा की आँखों में उलझन थी। अनिका ने थोड़ा डरते हुए कहा 

अनिका- ये आइडिया बुरा हो सकता है, लेकिन क्यों ना हम अमन और अर्जुन को ये सब बता दें। 

अनिका की बात सुनकर मीरा के बढ़ते कदम रुक गए, दोनों की आँखों में डर था, मीरा की आँखों में एक असहजता थी क्योंकि अर्जुन और अमन पर भी उन्हें भरोसा नहीं हो रहा था। मीरा ने अनिका से कुछ नहीं कहा वे दोनों वापस लौटने लगीं,  पर उनके कदम बोझिल और धीमे थे ऐसा लग रहा था मानों वो अनगिनत सवालों का भार अपने कंधों पर लेकर चल रही थी। 

धूप की किरणों से पूरी गली रोशन थी, लेकिन मीरा और अनिका के अंदर एक अजीब सा अंधेरा घिर रहा था। हर मोड़ पर अब शक की परछाइयाँ मंडरा रही थीं। मीरा के दिमाग में सबकुछ उस डरावने सपने की तरह ही घूमने लगा था। मीरा को अचानक एहसास हुआ कि  उसके दिल की धड़कनें तेज़ है, और उसके सामने सबकुछ धुंधला रहा है, मगर उसने खुद को संभालने की कोशिश की। अनिका ने आगे बढ़ते हुए मीरा को बिना देखे कहा 

अनिका- सब कुछ इतना उलझ क्यों गया है? सब कुछ कब ठीक होगा....?

मीरा ने अनिका के सवाल का जवाब देना चाहा पर उसके मुंह से आवाज़ ही नहीं निकली। चलते-चलते मीरा की चाल धीमी पड़ने लगी। उसकी नज़र धुंधली हो रही थी,  आँखों के सामने अंधेरा आने लगा। वो रुकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कुछ समझ नहीं आ रहा था। अनिका ने मीरा की ओर देखा, वो घबरा गई। उसने मीरा को थामने की कोशिश की, मगर तभी अचानक मीरा लड़खड़ा गई और ज़मीन पर गिर पड़ी। मीरा के गिरते ही अनिका ने चीखते हुए उसका नाम पुकारा  

अनिका- मीरा..... 

अनिका ने देखा कि मीरा के कान से खून आ रहा है, अनिका घबरा गई।  मीरा को देखकर अनिका की आँखों में आँसू भर आए। उसने चारों ओर देखा, किसी से मदद की उम्मीद में। मगर रास्ता सुनसान था। मीरा अब बेहोश होने की कगार पर थी, और अनिका उसे पकड़कर बुरी तरह कांप रही थी। अनिका ने मदद के लिए चिल्लाना शुरू किया 

अनिका- कोई मदद करो, कोई है... मदद कीजिए.... 

अनिका की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग तेज़ी से इकट्ठा हो गए। मीरा ज़मीन पर बेसुध पड़ी थी, और अनिका घबराई हुई थी, उसे उठाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। उसकी आँखों में डर और चिंता साफ दिखाई दे रहे थे। कुछ लोगों ने मीरा को संभालते हुए उठाया, और अनिका के साथ उसे उसके घर तक पहुंचाया। मीरा के घर पहुंचकर, उन्होंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया। अनिका उसके पास बैठ गई, उसके होश में आने का इंतजार करती रही। बाहर शाम हो चुकी थी, खिड़की से हल्की ठंडी हवा कमरे में आ रही थी, मगर अनिका के दिल में अजीब सी घुटन थी। उसके मन में सवालों का सैलाब था, अनिका ने मीरा की ओर देखते हुए कहा 

अनिका- मीरा के साथ पहले ये सब नहीं हुआ, अचानक उसे हो क्या गया है? कहीं कोई उससे बदला तो नहीं ले रहा?

कुछ घंटों बाद, मीरा को होश आया, मीरा ने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोली, उसे सबकुछ धुंधला सा नज़र आ रहा था। उसने इधर-उधर देखा तो उसकी नज़र पास बैठी अनिका पर पड़ी। मीरा की आँखों में थकान थी, लेकिन उसने हल्की सी मुस्कान दी।

मीरा- तुम यहीं हो... गई नहीं.... 

मीरा की आवाज़ सुनकर अनिका ने उसकी तरफ देखा, और राहत की साँस ली। 

अनिका- थैंक गॉड! तू ठीक है मीरा.... 

 मीरा ने धीरे से सिर हिलाया। फिर उसे अनिका की मुस्कान के पीछे एक डर का आभास हुआ, मीरा ने अनिका से एक मुस्कान के साथ कहा 

मीरा- डरने की कोई जरूरत नहीं है, अनिका। कल हम कॉलेज जाकर उस लड़के का पता लगाएंगे। वो जो कोई भी है, उसका जो भी मकसद है, इस सबका पता लगाएंगे। 

अनिका ने उसकी बात सुनकर हामी भरते हुए अपना सिर हिलाया, लेकिन फिर उसकी नज़र मीरा के कानों की तरफ गई। उसने झिझकते हुए पूछा 

अनिका- मीरा, तुझे याद है ना तू चक्कर खाकर गली में गिर गई थी। पर, मीरा, तेरे कानों से खून क्यों आया?

अनिका के सवाल पर मीरा ने अपने कानों को छुआ, जैसे खुद भी यकीन करना मुश्किल हो। फिर मीरा ने सवालियाँ नज़रों के साथ कहा  

मीरा- मुझे नहीं पता। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। शायद... शायद थकान से हो गया हो।

कुछ देर की बातचीत के बाद, अनिका ने मीरा से कहा, 

अनिका- तू अब आराम कर। तुझे आराम की जरूरत है। डाक्टर ने आंटी से एम आर आई कराने को कहा है। आई होप, उसकी ज़रूरत ना पड़े। मैं चलती हूँ, देर हो गई है। वैसे भी घर पर कोई नहीं है, बस मैं और छोटा भाई है। वो भी ट्यूशन से आ गया होगा। 

मीरा ने हल्के से सिर हिलाया और बेड पर लेट गई। अनिका ने उसके ऊपर चादर डाल दी और धीमे कदमों से कमरे से बाहर निकल गई। मीरा की हालत देखकर उसका मन बहुत बेचैन था, पर उसे अपने घर लौटना था। जैसे ही अनिका घर से बाहर निकली, शाम पूरी तरह ढल चुकी थी। आसमान काले बादलों से ढका हुआ था, और सड़कें लगभग सुनसान थीं। हवा में हल्की ठंडक थी, और गली के आखिरी छोर पर स्ट्रीट लाइट की हल्की रोशनी गिर रही थी। अनिका ने गहरी साँस ली और तेज कदमों से अपने घर की तरफ बढ़ने लगी। उसके मन में मीरा की हालत और उस लड़के की तस्वीरें एक के बाद एक कर उभर रही थीं। 

चलते-चलते अनिका को ऐसा महसूस होने लगा कि कोई उसका पीछा कर रहा है, कुछ पलों के लिए उसकी चाल अपने आप धीमी हो गई। उसने अपने चारों ओर नजर दौड़ाई, पर वहाँ कोई नहीं था। हल्की सी ठंडी हवा उसके बालों से टकराई, और उसके दिल की धड़कनें तेज हो गईं। उसने सोचा कि शायद ये उसका वहम था। अनिका ने इधर-उधर देखा और कहा 

अनिका- सब कुछ कैसा बदल सा गया है, हवा की आवाज़ से भी डर लग रहा है। 

अनिका ने फिर से अपने कदमों को तेज किया, मगर हर कदम पर उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसके पीछे चल रहा हो, सन्नाटे के बीच में उसके अपने कदमों की आवाज़ उसे और भी ज़्यादा डरावनी लग रही थी। गली के आखिरी छोर पर पहुंचकर उसने एक बार फिर मुड़कर पीछे देखा, पर वहाँ अब भी कोई नहीं था। फिर भी, उसके दिल में डर की एक लहर थी जो शांत होने का नाम नहीं ले रही थी। अनिका ने खुद को समझाया कि शायद ये सब उसकी थकान का नतीजा है। लेकिन फिर अचानक अनिका को लगा कि कोई उसके बिल्कुल पास से होकर गुज़रा, अनिका ने पीछे मुड़कर देखा और कहा 

अनिका(डरते हुए)- कौन है? 

अनिका तेज़ कदमों के साथ चलकर अपने घर के पास पहुंची, लेकिन उसके मन में अब भी वो अजीब सी घबराहट कायम थी। उसने घर का दरवाज़ा खोला और एक पल के लिए बाहर की तरफ देखा, जैसे किसी को खोज रही हो। फिर उसने अंदर कदम रखा और दरवाजा बंद कर दिया। अनिका के दरवाज़ा बंद करते ही वहाँ एक आदमी आकर रुका… वो अनिका के दरवाज़े पर दस्तक देने ही वाला था कि तभी उसके सिर पर किसी ने लोहे की रोड से  हमला किया और वो आदमी सड़क पर गिर गया।   वहीँ घर के अंदर अनिका अपने कमरे में गई और अपनी डायरी उठाकर देखने लगी। अनिका ने डायरी में आज की तारीख डालकर लिखते हुए कहा 

अनिका- ऐसा लगता है मैं कोई सपना देख रही हूँ, इन 5 दिनों में ज़िंदगी बहुत अजीब लगने लगी है। ये बाते ना तो मैं किसी से कह सकती हूँ, ना ही कोई समझेगा। मीरा ही मेरे साथ है, लेकिन आज डॉक्टर ने मीरा को लेकर जो बात कही, उससे मेरे मन में उसे खोने का डर उमड़ आया है। 

जहां एक तरफ अनिका मीरा को लेकर परेशान थी तो वहीं दूसरी तरफ मीरा अपने बेड के एक कोने पर बैठी थी, हाथों में डायरी और आँखों में थकान थी। मीरा अपनी डायरी के पिछले पन्नों को देख रही थी, जो उसने हाल के दिनों में ही लिखे थे। 

मीरा- कभी-कभी लगता है कि हम किसी अंधेरे राज़ की तरफ बढ़ रहे हैं। पर अभी तक कुछ भी साफ नहीं है। ये सब कुछ जुड़ा हुआ लगता है, फिर एकदम सब कुछ बहुत अलग और अटपटा। मेरे उस सपने की तरह, जहां अर्जुन ही मुझे मारने की कोशिश कर रहा था। 

डायरी में अपनी बातें लिखते वक्त मीरा की साँसें तेज हो रही थीं, जैसे उस सपने की परछाईं अब भी उसके दिमाग में दौड़ रही हो। उसके दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं। तभी अचानक कमरे की लाइट्स चली गईं। कमरे में घुप्प अंधेरा छा गया। मीरा की उँगलियाँ डायरी के पन्ने पर थम गई। मीरा अचानक ठिठक गई। एक पल के लिए उसे लगा कि ये सिर्फ बिजली का जाना है, पर फिर उसे कमरे में किसी की आहट महसूस हुई। उस वक्त मीरा की धड़कनें इतनी तेज हो गईं कि उसे अपनी रगों में खून का दौड़ना साफ सुनाई देने लगा। 

मीरा(मन ही मन)- ये सब क्या हो रहा है? 

मीरा ने डरते-डरते चारों ओर देखा, मगर उसे कुछ साफ नज़र नहीं आया। उसने धीरे से अपने बेड के नीचे झाँका और एक पुराना डंडा निकाला, जिसे वो हमेशा अपने बेड के पास रखती थी। उसके हाथ काँप रहे थे, लेकिन उसने खुद को संभाला और खिड़की की ओर बढ़ी। 

मीरा(मन ही मन में)- आज जो भी होगा, ज़िंदा बचकर नहीं जाएगा। 

मीरा धीमे कदमों से खिड़की के पास गई और डंडे को हवा में चलाकर उसने बाहर झाँका। हर तरफ सन्नाटा था, अंधेरी रात में कहीं दूर से कुत्तों के भौंकने की आवाज़ आ रही थी। उसकी आँखें खिड़की के बाहर किसी को तलाश रही थीं, मगर वहाँ कुछ भी नहीं था। सिर्फ हवा के साथ हिलते पेड़ और गली की स्ट्रीट लाइट की हल्की रोशनी। मीरा ने खुद को कोसते हुए कहा 

मीरा- जैसा सोचते हैं, वैसा हो जाता है। इतना डरना तुझे सूट नहीं करता मीरा..... 

मीरा की साँसें थोड़ी धीमी हुईं, मीरा मुड़कर चलने लगी लेकिन अचानक उसे एहसास हुआ कि कोई उसके बेड के पास खड़ा है। मीरा तुरंत वापस घूम गई। उसका दिल फिर से जोर से धड़कने लगा। उसने धीरे से पीछे मुड़कर देखा, लेकिन उसके कदम वहीं जम गए। उसकी आँखें अंधेरे में उस शख्स ओर टिकी थीं, जो अब उसके बेड के पास खड़ा था। मीरा ने चीखने की कोशिश की, लेकिन उसके मुँह से आवाज़ निकलने से पहले ही किसी ने उसका मुँह अपने हाथ से ढक लिया। उसकी आँखें चौड़ी हो गईं, डर से भरी हुईं। उसने हिम्मत करते हुए उस शख्स का सामना किया और जैसे ही वो पीछे घूमी तो उसे एहसास हुआ कि ये कोई और नहीं, बल्कि अर्जुन था।  अचानक कमरे की light भी आ गई, जिसके बाद मीरा ने खुद को अर्जुन से दूर किया और घबराकर बोली..... 

मीरा- अर्जुन? तुम यहाँ क्या कर रहे हो?

अर्जुन(शांत कराते हुए)- "श्श... मीरा,  इतनी तेज़ मत बोलो। तुम्हारे घरवाले यहीं आ जाएंगे। 

अर्जुन की बात सुनकर मीरा ने खुद को संभाला। उसकी घबराहट थोड़ी कम हुई, मगर उसके मन में सवाल उमड़ने लगे। अर्जुन का अचानक यहाँ आना उसे और भी ज़्यादा परेशान कर रहा था। उसने खुद को सँभालते हुए पूछा,  

मीरा- बताओ तुम यहाँ क्या कर रहे हो?  तुम खिड़की से आए? इतनी ऊपर। 

अर्जुन ने मीरा की आँखों में झाँकते हुए कहा 

अर्जुन- मैं ट्रेक पर ही तुमसे मिला था, अगर तुम्हें याद हो तो?  इतनी ऊपर आना तो मेरे बाएं हाथ का खेल है। 

अर्जुन की बात सुनकर मीरा के चेहरे पर हल्की हंसी आ गई, फिर अचानक उसे सुबह हुआ वाकिया याद आया। कि कैसे कोई और भी सुबह उसके कमरे में आया था। मीरा की साँसें फिर से तेज हो गईं। अर्जुन की बातें, और हाल ही में हुए अजीब घटनाएँ, मीरा इन सब के बारे में सोच ही रही थी कि तभी अर्जुन ने पूछा  

अर्जुन- वैसे अब तुम्हारा बुखार कैसा है? 

मीरा अभी अर्जुन के यहाँ अचानक आ जाने की बात से नहीं उभर पाई थी कि अर्जुन ने ये सवाल पूछकर उसे और हैरत में डाल दिया था। मीरा ने अर्जुन की तरफ शक की नज़र देखा और कहा 

मीरा- बुखार? तुम्हें कैसे पता, मुझे बुखार था? तुमने तो मुझसे दो दिन से बात नहीं की.... ना मैसेज ना फोन …? क्या चल रहा है अर्जुन?

 

आखिर कैसे पता चला अर्जुन को मीरा के बारे में? क्यों बिगड़ रही है मीरा की तबीयत? कौन कर रहा था अनिका का पीछा? 

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