मीरा और अर्जुन कमरे में एक दूसरे के सामने खड़े थे, मीरा की आँखों में एक अजीब सा खिंचाव था, अर्जुन से जो सवाल उसने पूछा था, अर्जुन ने अब तक उसका कोई जवाब नहीं दिया। मीरा शक भरी नज़रों से अर्जुन को देख रही थी। मीरा ने अपनी मुट्ठी भींच ली, और एक बार अपनी आँखें बंद कर थोड़े गुस्से के साथ कहा 

मीरा- बोलो, अर्जुन तुम्हें कैसे पता मुझे बुखार था? क्या कुछ ऐसा है जो मुझे मालूम होना चाहिए लेकिन मैं  नहीं जानती। 

मीरा का ये सवाल अर्जुन के दिल में सीधे तीर की तरह लगा। एक पल के लिए अर्जुन के चेहरे पर हल्की सी घबराहट उभर आई। ऐसा लगा जैसे उसे ये सवाल सुनने की उम्मीद नहीं थी। उसकी आँखें नीचे झुक गईं, और उसका चेहरा अचानक फीका पड़ गया। मीरा उसकी आँखों में छिपी बेचैनी को भांप रही थी। उसने एक पल के लिए सोचा कि शायद अर्जुन कुछ छिपा रहा हो। अर्जुन ने मीरा की ओर देखा और अपने चेहरे से बेचैनी का भाव हटाते हुए कहा 

अर्जुन- मैं जब यहाँ आ रहा था, तो रास्ते में उस इलेक्ट्रॉनिक शॉप के पास रुका था। वहाँ दुकानदार तुम्हारे पापा का नाम लेकर कह रहा था कि उनकी बेटी को बुखार है। शायद तुम वहाँ अपनी खोई बिल्ली को ढूँढने गई थी। 

 मीरा ने एक पल के लिए अर्जुन की बात पर यकीन किया, लेकिन फिर तुरंत कुछ अजीब सा महसूस हुआ। उसके माथे पर शिकन आ गई। वो सोच में पड़ गई कि अर्जुन को इतना सब कुछ इस तरह पता चला, मीरा के मन में शक और बढ़ गया। उसने अर्जुन की ओर देखा और फिर अपनी नज़रें घुमाते हुए कहा 

मीरा- उसका नाम जैक है, बिल्ली नहीं बिल्ला है। मुझे और अनिका को बारिश में मिला था, गली में ही रहता था। लेकिन दो-तीन दिन से वो दिख नहीं रहा, और जो दिख रहा है, वो समझ नहीं आ रहा। उसे ही ढूँढने गए थे, सी सी टीवी में फुटेज देखने। 

 मीरा के चेहरे पर हल्की सी बेचैनी अब साफ दिखने लगी थी। अर्जुन  ने उसके शब्दों के पीछे छिपे झूठ को पकड़ लिया था, लेकिन अर्जुन ने मीरा को ये महसूस नहीं होने दिया, वो उसे देखकर मुस्कुराता ही रहा। खुद को संभालते हुए बात को मोड़ने की कोशिश की और फिर मीरा की आँखों में झाँकते हुए कहा 

अर्जुन- पक्का ये ही बात थी???  खैर, तुम क्यों गई थी, ये तो तुम्हें ही पता होगा। अगर तुम नहीं बताना चाहती, तो कोई बात नहीं। मुझे खुद ही सब पता चल जाएगा, तुम्हारा दिल और मेरा दिल अब एक ही तो है। मैं जान जाऊंगा सब....। वैसे... तुमने वो पेंडेंट अभी तक क्यों नहीं पहना?"

अर्जुन के इस सवाल ने मीरा को सोच में डाल दिया था। मीरा ने हल्का खाँसते  हुए अपनी गर्दन पर हाथ रखा। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या जवाब दे। पेंडेंट की बात उसने हंसी में टालने की कोशिश की, लेकिन उसकी नकली हंसी को अर्जुन पहचान रहा था। मीरा, अर्जुन की तेज़ निगाहों को जानती थी लेकिन उसने फिर भी अपनी हंसी को बरकरार रखते हुए जवाब दिया और कहा 

मीरा- वो पेंडेंट बहुत महंगा है, ऐसे ही घर में कैसे पहन लूँ? उसे पहनकर रखूंगी तो वो खराब भी हो सकता है। 

अर्जुन मीरा की इस हंसी के पीछे छिपी सच्चाई को जानता था। दोनों के बीच की खामोशी अब और गहरी हो गई थी। अर्जुन ने एक आखिरी बार मीरा की आँखों में देखा, जैसे कि वो अब भी जवाब ढूंढ रहा हो। लेकिन मीरा ने उसकी आँखों से बचने की कोशिश की। अर्जुन ने फिर एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा 

अर्जुन- मुझे भूख लगी है, कुछ खाने को मिलेगा? तुमसे मिलने की जल्दी थी तो मैंने डिनर मिस कर दिया। 

अर्जुन की बात पर मीरा ने हाँ में गर्दन हिला दी, और उसे बैठने का इशारा करते हुए कमरे से बाहर निकल गई। मीरा अपनी सोच में डूबी हुई सीढ़ियों ने नीचे उतर रही थी, उसके दिल में अब भी एक अजीब सी बेचैनी थी। उसे अर्जुन का आज यहाँ अचानक आ जाने की वजह प्यार बिल्कुल नहीं लग रही थी। मीरा ने किचन में से एक प्लेट में अर्जुन के लिए कुछ खाने का सामान लिया और वापस कमरे की तरफ बढ़ गई। मीरा जब वापस कमरे के बाहर पहुंची तो उसने महसूस किया कि कमरे के भीतर एक अजीब सी खामोशी थी। उसने दरवाजा खोला और देखा कि अर्जुन वहां नहीं था। कमरे का हर कोना वैसा ही था जैसा उसने छोड़ा था, लेकिन अर्जुन  जैसे गायब हो गया हो। एक बार फिर मीरा का दिल बहुत तेज़ी से धड़कने लगा। मीरा ने वॉशरूम  के दरवाज़े को खटखटाते हुए कहा 

मीरा- अर्जुन, अर्जुन.... क्या तुम अंदर हो....?

मीरा को कोई जवाब नहीं मिला, उसने दरवाज़े को हल्का अंदर की तरफ धकेला तो वहाँ कोई नहीं था। मीरा को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि अर्जुन अचानक कहाँ चला गया। क्या वो वाकई यहां था? या फिर ये सब उसका भ्रम था? उसकी आँखें कमरे के हर कोने में उसे ढूंढ रही थीं, लेकिन अर्जुन का कोई निशान नहीं था। उसका मन अब और भी उलझ गया था। उसने खुद के माथे पर हाथ रखते हुए कहा 

मीरा- क्या ये सब सच था? या फिर भ्रम.... 

मीरा खिड़की की तरफ बढ़ी और उसने बाहर झाँका, जैसे अर्जुन को ढूँढने की कोशिश कर रही हो। लेकिन बाहर सन्नाटा पसरा था। उसके मन में हज़ारों सवाल उठ रहे थे। मीरा धीरे-धीरे वापस आकर अपने बेड पर बैठ गई। उसके हाथ-पैर बिल्कुल ठंडे थे। और उसकी साँसें तेज हो रही थी, मीरा ने कुछ सोचते हुए फोन उठाया, और अर्जुन को कॉल करने की कोशिश की, लेकिन उसका नंबर बंद आ रहा था। इस बात ने मीरा के दिल में एक नए ही डर को जन्म दे दिया था। मीरा ने खुद से सवाल करते हुए कहा 

मीरा- क्या मुझे चीजें दिखने लगी हैं? क्या सच में मुझे कोई दिमागी बीमारी....

जहां एक तरफ मीरा अपने सवालों में उलझे जा रही थी, वहीं मीरा के घर से बहुत दूर शहर से बाहर बने एक फार्म हाउस  के एक कमरे में मीरा और अनिका की ज़िंदगी से जुड़ा एक राज़ खुलने वाला था। इस कमरे में एक आदमी मौजूद था. कमरे में गहरी खामोशी थी, सिर्फ़ हल्की-हल्की साँसों की आवाज़ सुनाई दे रही थी। बंधा हुआ आदमी कुर्सी पर बैठा हुआ था,  उसकी कलाईयां रस्सियों से कसकर बंधी हुई थीं। उसके मुँह में ठूँसा हुआ कपड़ा उसकी चीखों को दबा रहा था, पर उसकी आँखें खुली हुई थीं, ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें जानबूझकर खुला छोड़ा गया है। वो बुरी तरह छटपटा रहा था, लेकिन उसकी हर कोशिश नाकाम साबित हो रही थी। कमरे की दीवारें भी जैसे उसकी तड़प को देखकर बेजान खड़ी थीं। उसका शरीर पसीने से भीगा हुआ था, और उसकी आँखों में डर साफ़ झलक रहा था। उस आदमी की आँखें कमरे के हर कोने को स्कैन कर रही थीं, जैसे कोई रास्ता खोज रही हों, लेकिन वहाँ से भागने का कोई मौका उसके पास नहीं था। दीवारों पर कुछ अजीब सी छायाएँ पड़ रही थीं, जो इस कमरे को माहौल को और भी डरावना बना रही थीं। उसकी साँसें तेज हो रही थीं, दिल की धड़कनें इतनी तेज थीं कि उसे लग रहा था कि उसका दिल अभी बाहर आ जाएगा। तभी अचानक कमरे का दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी और दरवाज़ा ज़ोर से खुला। उस आदमी ने दरवाजे की तरफ देखा तो उसकी आँखों में डर और उम्मीद दोनों ही दिखाई देने लगे। तभी उसके कानों में एक मर्दाना आवाज़ पड़ी 

अर्जुन: “ज़्यादा इंतज़ार तो नहीं करना पड़ा ना?”

दरवाज़े से एक नौजवान लड़का कमरे में दाखिल हुआ। उसके हाथ में एक गुलाब का फूल था। उस बंधे हुए आदमी की आँखें उस फूल को देखकर कुछ समझने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन उसका दिमाग खाली था। जैसे ही रोशनी उस नौजवान के चेहरे पर पड़ी, उस आदमी की आँखें चौंधिया गईं। वो चौंक गया और उसकी साँसे अटक गई, क्योंकि उसके सामने एक जाना-पहचाना चेहरा था, ये नौजवान कोई और नहीं बल्कि अर्जुन था। आदमी को डरा हुआ देखकर अर्जुन उसके पास गया और बोला 

अर्जुन- ये गुलाब का फूल तुम्हें याद ही होगा? है ना? यही तो तुमने अनिका को भेजा था, याद है?

अर्जुन की बात सुनकर उस आदमी के चेहरे पर अजीब सी घबराहट उभर आई। उसकी आँखों में सवाल थे, लेकिन मुँह में ठुंसे कपड़े की वजह से वह कुछ बोल नहीं पा रहा था। अर्जुन उसके और पास आया, और फूल को उसकी नाक के पास ले जाकर सूँघने का इशारा किया। आदमी ने अपना मुंह दूसरी तरफ किया लेकिन अर्जुन ने उसके बाल खींचते हुए उसकी नाक को फूल से सटाकर, दांत भींचते हुए कहा 

अर्जुन- क्या हुआ? इसे नहीं सूँघोगे, इसी तरह तो तुम लड़कियों को बेहोश करते हो? है ना? 

अर्जुन के चेहरे पर एक शातिर मुस्कान थी। उसकी आँखों में वह ठंडापन था जो आदमी को अंदर तक झकझोर रहा था। अर्जुन ने धीरे-धीरे उस आदमी के मुँह से कपड़ा खींचा, और उस आदमी की साँसें अचानक तेज हो गईं। उसने जोर से एक सांस लीऔर फिर घबराई हुई आवाज़ में हकलाते हुए बोला : "त...तुम क्या चाहते हो? तुम मुझसे अनिका का बदला लेना चाहते हो? क्या तुम...तुम ही उसका बॉयफ्रेंड हो?

आदमी की बात सुनते ही अर्जुन की हंसी फूट पड़ी, लेकिन ये हंसी किसी मजाक की नहीं, बल्कि एक खतरनाक खेल की थी। अर्जुन ने उसके चेहरे के पास जाकर हल्के से फुसफुसाया।

अर्जुन- अनिका? हाँ, मैंने उसका नाम सुना है, लेकिन... बदला? नहीं, नहीं। ये तो बस एक खेल है। तुमने मीरा के साथ जो किया, वो याद है ना?

मीरा का नाम सुनकर बंधे हुए आदमी की आँखें और बड़ी हो गईं। उसकी हालत और खराब हो गई। वो समझने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अर्जुन की बातें उसे उलझा रही थीं। कमरे की हवा अब और ठंडी हो चुकी थी। बंधे हुए आदमी के माथे से पसीना टपकने लगा था। उसकी आँखें अर्जुन के हर कदम पर टिकी थीं। अर्जुन  ने एक गहरी सांस ली, फिर उसकी ओर झुकते हुए बोला।

अर्जुन- तुमने मीरा पर वो केमिकल डाला था, जिससे वो हकीकत और भ्रम में फर्क नहीं कर पाए, है ना? तुम ही हो जिसने उसे वाशरूम में बंद किया था। तुमने ही उसे अनिका की तस्वीरें भेजी थी, याद है? देखो इस बात को कुबूल कर लो, शायद मैं तुम्हें कुछ दिन और जिंदा रहने की मोहलत दे दूँ। 

अर्जुन की धमकी सुनते ही उस आदमी की आँखों में डर उमड़ आया। उसकी सांसें तेज हो गईं, वो जैसे अपने बचाव में कुछ बोलना चाहता था, लेकिन उसकी आवाज़ जैसे गले में अटक गई थी। अर्जुन  ने एक पल के लिए उसकी घबराहट का लुत्फ़ उठाया और फिर उसे और उलझाने के लिए एक और सवाल दागा।

अर्जुन- अच्छा चलो ये बताओ...यही फूल तुमने अनिका को भेजा था, है ना? 

आदमी ने एक हल्की सी आवाज़ में अर्जुन की बात नकारते हुए कहा :  मैं...मैंने कुछ नहीं किया। मुझे नहीं पता तुम क्या कह रहे हो। मैं किसी अनिका और मीरा को नहीं जानता.... और जानता भी हूँ तो तुम कौन होते हो ये सवाल करने वाले? तुम उस अनिका का बदला लोगे मुझसे, सज़ा दोगे मुझे?

आदमी का सवाल सुनकर अर्जुन ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा। ठीक उसी समय कमरे का दरवाज़ा एक बार फिर खुला, और इस बार एक और आदमी कमरे में दाखिल हुआ। उसके हाथों में एक बिल्ली थी। कमरे में अचानक जैसे अजीब सी ठंडक छा गई। उस आदमी ने कमरे में कदम रखते ही सीधा बंधे हुए आदमी की ओर देखा और कहा।

अमन : "किसने कहा कि ये तुम्हें अनिका को परेशान करने की सजा देगा? नहीं, नहीं। ये सजा तुम्हें मीरा को परेशान करने की देगा, क्योंकि अनिका को परेशान करने की सज़ा मैं दूँगा।

जैसे ही यह बात उस आदमी के कानों में पड़ी, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। वह आदमी जो बिल्ली को पकड़े हुए था, अब धीरे-धीरे रोशनी के घेरे में आया, और उसका चेहरा साफ दिखने लगा। उसे देखते ही बंधे हुए आदमी के होंठ कांपने लगे। उसके चेहरे पर भयानक डर उतर आया। उसकी आँखों में जैसे खून उतर आया, उसे देखकर साफ़ था कि वो जान चुका है कि मौत अब उसके सामने है...आदमी ने घबराते हुए पूछा : "तुम...तुम कौन हो?"

अमन (हँसते हुए )… "मुझे जानने की ज़रूरत नहीं। तुमने जो किया, उसका अंजाम आज तुम्हारे सामने है। तुम सोच रहे थे कि ये खेल बस यूँ ही चलने दिया जाएगा? नहीं। तुमने गलत लड़कियों को अपना शिकार बनाना चाहा, वो तो पहले से ही किसी और का शिकार हैं। तो अब जो किया है, उसकी सज़ा भुगतने के लिए तैयार हो जाओ। 

बंधे हुए आदमी की आँखों में अब सिर्फ़ डर था। उसे पता था कि वो किसी गहरे जाल में फँस चुका है, जहाँ से निकलने का कोई रास्ता नहीं है। उसके सामने खड़े दोनों लोग उसकी ओर ऐसे देख रहे थे जैसे शिकारी अपने शिकार को देख रहे हो, तभी अर्जुन ने अपनी जेब से एक इन्जेक्शन निकाला और आदमी की तरफ बढ़ा। आदमी ने चिल्लाते हुए कहा नहीं, नहीं..... मुझे माफ कर दो, मुझे माफ कर दो.... 

मीरा के लिए अगला दिन हर दिन से कुछ अलग था, वो आज कॉलेज नहीं गई थी। सुबह से शाम कब हुई मीरा को नहीं पता चला। मीरा का कमरा जाते हुए सूरज की हल्की रोशनी में डूबा हुआ था। खिड़की से शाम की ठंडी हवा अंदर आ रही थी, लेकिन मीरा को कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। वो बेड से उठने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसकी तबीयत अब भी ठीक नहीं थी। उसके कदम धीरे-धीरे फर्श पर पड़ रहे थे, जैसे कि वह खुद को उठाने की ताकत जुटा रही हो। तभी उसके फोन की घंटी बज उठी। मीरा ने फोन उठाकर देखा तो स्क्रीन पर अनिका का नाम चमक रहा था। उसने तुरंत कॉल उठाया, मीरा कुछ कहती उससे पहले ही अनिका ने तेज़ आवाज़ में कहा 

अनिका- मीरा, तुम जानती हो क्या हुआ? जिस लड़के की हम तलाश कर रहे थे... वो मर चुका है।

अनिका की बात सुन मीरा के चेहरे पर अचानक हैरानी और चिंता की लकीरें खिंच गईं। उसकी आवाज़ में घबराहट झलक रही थी।

मीरा- क्या? कौन लड़का? क्या बोल रही हो?

अनिका- मीरा वही लड़का जिसे कल हमने सीसी टीवी में देखा, जिसने तुम्हें बंद किया, जिसने वो गुलाब का फूल रखा और जानती हो उसकी बॉडी के पास से वो फूल भी मिला है। मीरा मैंने कहा था ना मैंने उसे पहले भी कहीं देखा है, वो बात सच थी, वो लड़का... जो मेडिकल स्टोर पर काम करता था। हमारे कॉलेज के पास। आज दोपहर में ही पता चला कि उसने नदी में कूदकर अपनी जान दे दी। सारी जगह पुलिस है, कह रहे हैं कि उसके घर से लड़कियों की अश्लील तस्वीरें, बहुत सारे केमिकल्स  और कैट फूड मिला है। 

 अनिका की बात सुनकर मीरा के दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। वो लड़का, जिसकी बात अनिका कर रही थी, वही तो था जिसकी वजह से उनके सामने ये सारे सवाल खड़े हो रहे थे। उसकी मौत की खबर ने मीरा को सकते में डाल दिया। वह कुछ और पूछने वाली ही थी कि तभी उसे खिड़की के बाहर से कुछ गिरने की आवाज़ सुनाई दी। मीरा फोन को एक हाथ में पकड़े हुए तेज़ी से खिड़की की ओर दौड़ लगाई। उसकी आँखें खिड़की के बाहर देख रही थीं, जहाँ उसे कुछ हरकत महसूस हुई। फिर अचानक मीरा के कदम थम गए। उसकी नजरें खिड़की के बाहर घूम रहे जैक  पर पड़ी, वही बिल्ला जिसका जिक्र उसने अर्जुन से किया था। मीरा ने हैरान होकर अनिका से कहा 

मीरा(हैरानी से) "जैक  मिल गया अनिका, वो यहीं है.... 

मीरा की नजरें अब भी जैक  पर टिकी थीं, लेकिन उसके दिमाग में अब और भी कई सवाल उभर रहे थे, जिनका जवाब उसे जल्द ही चाहिए था। मीरा ने जैक  से अपनी नज़रें हटाते हुए अनिका से कहा 

मीरा- अनिका, अर्जुन और अमन को मिलाने का वक्त आ गया है। जल्दी से मेरे घर आओ.... 

अब क्या करने वाली है मीरा? क्या अनिका और मीरा पता लगा पायेंगी सच? 

जानने के लिए पढ़ें अगला चैप्टर

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.