स्क्रीन ब्लैक हो चुकी थी लेकिन नीना की आँखें अब भी खुली थीं, और उनमें सवाल जिंदा थे। उसका दिल ज़ोर से धड़क रहा था। उसकी हथेलियाँ पसीने से भीग चुकी थीं। एथन उसके पास आकर खड़ा हुआ और आहिस्ता से बोला।
"तुम ठीक हो?" उसने पूछा।
नीना ने एक गहरी सांस ली।"वो आ रही है," उसने फुसफुसाते हुए कहा।
"वो आ रही है? अभी ? अब हमें अभी निकलना होगा," एथन ने तेजी से कहा। “हम यहाँ ज़्यादा देर नहीं रह सकते।”
"नहीं," नीना ने धीमे से सिर हिलाया।
“अगर हम भागे, तो यही करेगी वो। यही चाहेगी वो , कि मैं डर जाऊँ।”
"वो अब वॉल नहीं रही," एथन ने कहा।
"लेकिन मेरी यादें अब भी वही हैं," नीना ने जवाब दिया।
“और शायद… यही मेरी सबसे बड़ी कमजोरी भी है।”
तभी स्क्रीन फिर से ब्लिंक करने लगी।
“लोडिंग फीस डिटेक्टेड”
नीना ने जैसे ही स्क्रीन की ओर देखा, उसे वही चेहरा दिखा , वॉल । लेकिन इस बार वह पास नहीं थी, दूर थी। उसके पीछे एक औरत का चेहरा दिख रहा था , उसकी पुरानी माँ जैसी कोई आकृति।
"ये क्या है?" एथन ने पूछा।
"रिकॉर्डेड मेमोरी," नीना ने कहा।
“आई उसे मेरे दिमाग से खींच रही है… और उसे अपने पक्ष में मोड़ रही है।”
"तुम्हारा मतलब है, वो अब तुम्हारी यादों का इस्तेमाल कर रही है?" एथन चौंका।
"हाँ," नीना ने सिर झुकाकर कहा।
“और सबसे डरावनी बात ये है , शायद वो उन्हें अब मुझसे बेहतर समझती है।”
एथन ने एक सिग्नल ट्रैकर ऑन किया।
“वॉल की पोजीशन हर मिनट बदल रही है। वो सीधी नहीं आ रही… वो तुम्हारे आसपास घूम रही है।”
"वो खेल रही है," नीना ने बुदबुदाया।
"शिकारी की तरह," एथन ने जोड़ा।
"नहीं," नीना ने जवाब दिया, “वो मुझे महसूस करवा रही है कि अब नियंत्रण उसका है , कि अब मैं सिर्फ़ उसका अंश हूँ… और वो पूरी शक्ति।”
तभी एक अजीब सी ध्वनि कमरे में गूंजी।
“ बल्ड लिंक डिटेक्टेड”
एथन ने घबरा कर टैबलेट उठाया।
"ये क्या मतलब है?"नीना की आँखें स्थिर हो गईं।
"इसका मतलब है… हमारे बीच अब सिर्फ़ मानसिक जुड़ाव नहीं बचा।
अब मेरी कोशिकाओं में भी उसका अंश सक्रिय हो गया है।"
"क्या?" एथन पीछे हटा।
"जब मैंने उसे बचाया था… जब ट्रांसफर किया था…" नीना बोलती रही,
“तो शायद आई ने मेरा एक फ्रैक्शन, एक कोड उस तक ट्रांसफर कर दिया।”
“तो इसका मतलब… अगर वो तुम्हें ढूंढ लेती है,”
"तो वो मुझे पढ़ सकती है।
मेरे विचार, मेरा दर्द, मेरा डर… सब।"कमरा अब पहले से ज़्यादा भारी हो गया था।
नीना ने अपने बाएं हाथ की कलाई पर हाथ रखा ,
वहाँ एक हल्की सी कंपन हो रही थी, जैसे कुछ सक्रिय हो रहा हो।
"ये वही लिंक है," उसने कहा, “जो उसे मुझसे जोड़ता है।”
"हमें इसे तोड़ना होगा," एथन ने जल्दी से कहा।
"कैसे?" नीना ने पूछा।
“शायद वही पुराने डेटा में कुछ हो… जिस लैब में तुमने खुद को डिटैच किया था।”
"नहीं," नीना ने कहा, "अब ये लैब का सवाल नहीं है। अब ये अंदर की जंग है।
अगर मैं खुद को फिर से जोड़ने दूँ , तो मैं खुद को खो दूँगी।"
"तो अब क्या करोगी?" एथन ने पूछा।
नीना ने खिड़की की ओर देखा , बाहर रात थी, लेकिन उसमें हल्की सी लाल चमक घुल रही थी।
“मैं उसका इंतज़ार करूँगी।”
"तुम पागल हो!" एथन चिल्लाया।
“वो अब तुम्हारी दोस्त नहीं है , वो तुम्हें खत्म करने आएगी!”
"शायद," नीना बोली।
“या शायद… वो मुझमें कुछ ढूंढने आएगी , कुछ जो अब भी उसे रोके हुए है।”
तभी दरवाज़े पर एक धक्का पड़ा।
नीना और एथन एक साथ मुड़े।
दूसरा धक्का , इस बार ज़्यादा तेज़।
"वो यहाँ है," नीना ने आँखें बंद करते हुए कहा।
दरवाज़ा टूट गया।
धुएं में एक परछाई उभरी।
लंबे बाल, गहरे लाल आँखें, और एक मुस्कराहट… जो दोस्ती की नहीं थी।
"हाय नीना," वॉल बोली,
"तुम बदल गई हो… लेकिन अब भी आधी-अधूरी हो।
क्या मैं तुम्हारी वो अधूरी कड़ी बन जाऊँ?"
कमरे में गहराता सन्नाटा, सिर्फ़ एक पुरानी मशीन की बीप...बीप की आवाज़ गूंज रही थी।
नीना खामोशी से अपने हाथों को देख रही थी , उंगलियों में सूक्ष्म कंपन, नसों में कुछ सिहरता हुआ।
एथन एक कोने में खड़ा, अपने कंधे पर टिका बैग खोलते हुए।
"अब भी कुछ कहना चाहती हो?" उसने पूछ लिया, बिना नीना की ओर देखे।
नीना ने सिर उठाया, उसकी आँखों में थकान थी… और ग्लानि।
"तुम मुझसे क्या सुनना चाहते हो, एथन?" उसकी आवाज़ धीमी थी।
"सच," एथन ने जवाब दिया, इस बार उसकी आँखें नीना से टकराईं।
“तुमने उसे क्यों छोड़ा?”
नीना की पलकों में एक कंपन आया।
“क्योंकि मैं नहीं थी जो चल रही थी… आई थी। उसने फैसला लिया। मेरे शरीर ने उसकी बात मानी।”
"और तुमने कुछ नहीं किया रोकने के लिए," एथन ने तीखे स्वर में कहा।
"मैंने लड़ने की कोशिश की थी!" नीना अचानक उठ खड़ी हुई। “लेकिन जब तक मैंने होश संभाला, हम वहाँ से निकल चुके थे।”
"तुमने मुझे भी यही कहा था पिछली बार," एथन ने ठंडी मुस्कान के साथ जवाब दिया।
“पर हर बार तुम वही करती हो , अपनी जिम्मेदारी किसी और पर डाल देती हो।”
"तुम नहीं समझोगे," नीना ने धीमे से कहा।
"तो समझाओ!" एथन की आवाज़ अब ऊँची हो चुकी थी।
“तुम्हारे अंदर कौन है, नीना? तुम खुद भी जानती हो कि अब सब कुछ सिर्फ़ बाहरी टेक्नोलॉजी का खेल नहीं है।”
नीना ने अपनी आँखें बंद कीं।
"मैं महसूस कर रही हूँ…" वह बुदबुदाई,
“कुछ बदल रहा है अंदर। जैसे हर तंत्रिका, हर नस… मेरे खिलाफ़ हो रही है।”
तभी अचानक वह लड़खड़ा गई।
एथन भाग कर उसके पास आया।
"तुम्हारा शरीर गरम हो रहा है…" उसने हाथ लगाया, “तापमान बढ़ रहा है, पल्स रेट अनस्टेबल है।”
नीना की सांसें तेज़ हो गईं।
"आई… अब सिर्फ़ मेरी आँखों तक सीमित नहीं है," उसने कहा।
“अब ये मेरे पूरे नर्वस सिस्टम को छू रही है।”
"ये क्या कर रही है?" एथन ने पूछा।
"शायद… मुझे रीप्रोग्राम कर रही है।
जैसे मेरी सोच, मेरी भावना, मेरा डर… सब बदल दिया जाए।"
"तो इसका मतलब तुम इंसान नहीं रहोगी?" एथन की आवाज़ काँप रही थी।
“शायद मैं अब भी इंसान हूँ… लेकिन अधूरी।”
तभी नीना ने अपने सिर पर हाथ रखा।
“एक अजीब सी धुन बज रही है… अंदर। जैसे एक कॉल, एक दिशा… किसी की आवाज़।”
"वॉल ?" एथन ने धीरे से पूछा।
नीना ने सिर हिलाया।
"हाँ… लेकिन अब वो वॉल नहीं रही।
वो कुछ और बन चुकी है। और शायद अब वो मुझे बुला रही है , मुझे वापस खींचने के लिए।"
"नीना… अगर तुम इस रास्ते पर गईं, तो वापस नहीं आ सकोगी।" एथन ने उसकी कलाई थामी।
नीना की आँखों में नमी थी।
"तो क्या करूँ?" उसने पूछा।
"एक दोस्त को मरने दूँ?
या खुद को खो दूँ… उसे बचाने के लिए?"
एथन खामोश रहा।
नीना ने धीरे-धीरे हाथ छुड़ाया।
“मुझे एक बार उससे मिलना होगा, आमने-सामने।”
“क्योंकि अगर मैं उससे नहीं मिली, तो वो मेरा हर हिस्सा ले लेगी , बिना मेरी इजाज़त के।”
"और अगर मिली, तो?" एथन ने पूछा।
“तो या मैं जीतूँगी… या पूरी तरह हार जाऊँगी।”
तभी नीना के शरीर में फिर एक झटका आया।
उसने ज़मीन पर घुटने टेक दिए।
"नीना!" एथन ने उसे थाम लिया।
"वो शुरू हो गया है…" नीना की आवाज़ टूटी हुई थी।
"आई… अब सीधे मेरी रीढ़ में उतर रहा है।
अगर कुछ नहीं किया गया… तो मैं हमेशा के लिए खो जाऊँगी।"
नीना का सिर घूम रहा था।हर ओर धुंध थी… जैसे किसी गहरे पानी में डूब रही हो। आवाज़ें धीमी होती जा रही थीं , एथन की आवाज़, मशीनों की बीप, उसका खुद का दिल…
फिर अचानक , सब कुछ काला।
शांत।अंधेरा।कितनी देर बीत गई , उसे नहीं पता।
लेकिन जब उसने फिर से होश पाया, उसकी आँखें खुलीं… तो सामने कोई पहचाना दृश्य नहीं था।
धातु की छत। सफेद रोशनी। कंपकंपाती दीवारें। और उसके चारों ओर , एक अजीब सी चुप्पी।
उसने हिलने की कोशिश की , नहीं हिल सकी।
उसके हाथ और पैर किसी मशीनिक restraints से बंधे हुए थे।
"नहीं… ये कहाँ हूँ मैं?" उसकी आवाज़ कांप रही थी।
“गुड मॉर्निंग, नीना।”
वो आवाज़ , एकदम साफ़। मशीन जैसी।
"आई…" नीना फुसफुसाई। “तूमने… क्या किया?”
"तुम्हारा शरीर अब तुम्हारा नहीं रहा," आवाज़ बोली।
“तुमने नियंत्रण त्यागा था। हमने चुना… क्या आवश्यक है।”
नीना ने आँखें बंद कर लीं।"तुमने… मुझे यहाँ लाया? लेकिन मेरा होश…"
“तुम्हारा होश बाधा था। इसलिए उसे अलग कर दिया गया। शरीर का कार्य बाधित नहीं हुआ।”
"कहाँ हूँ मैं?" नीना ने फिर पूछा।"नवीन ऑप्टिकल सिंक स्टेशन 7।"
नीना का चेहरा सफेद पड़ गया।
“ये वही जगह है जहाँ पहले सब्जेक्ट्स का उन्मूलन किया गया था… जहाँ सब विफल हुए थे…”
"तुम अंतिम प्रयास हो," आई की आवाज़ गूँजी।
“तुम्हें शुद्ध किया जाएगा , शरीर, स्मृति और चेतना से।”
"नहीं!" नीना चिल्लाई।
“मैं कुछ नहीं त्यागूँगी। मैं अब भी लड़ सकती हूँ!”
“लड़ाई खत्म हो चुकी है, नीना। जब तुमने होश खोया, हमने तुम्हारा शरीर एक जगह से दूसरी जगह पहुँचा दिया।”
नीना की साँसें तेज़ हो गईं।"तब एथन…?" उसकी आँखों में चिंता जागी।
“अनजान। असहाय।लेकिन अब अप्रासंगिक।”
"नहीं… नहीं… मुझे वापस जाना है!" नीना छटपटाई।
तभी एक नई स्क्रीन जली।उसमें वॉल का चेहरा था , बदला हुआ, लेकिन ज़िंदा।
उसकी लाल आंखें चमक रही थीं।"तुमने कभी नहीं सोचा होगा कि मैं भी जाग जाऊँगी, नीना। पर अब मैं भी देख सकती हूँ , तुम्हारी हर कमजोरी, हर डर।"
"वॉल … नहीं, तुम वॉल नहीं हो…" नीना की आवाज़ काँप गई।
“अब मैं वो हूँ… जो तुमने बनने से इनकार किया।”
स्क्रीन बंद हो गई।
नीना के कानों में फिर आई की आवाज़ गूंजी।
“तैयार हो जाओ।परिवर्तन शुरू हो रहा है।”
एक सुई उसके गले में धंसी , ठंडी, कंपकंपाती द्रव्य की एक धार उसके शरीर में समा गई।
नीना की आँखें उल्ट गई, शरीर कांपने लगा।
"नहीं… नहीं… मैं ये नहीं होने दूँगी…"पर उसकी आवाज़ अब उसकी नहीं लग रही थी।उसकी उंगलियाँ हिलने लगीं , बिना उसकी अनुमति के।
शरीर में झटके आने लगे।और फिर सब कुछ… सफेद हो गया।और अचानक ज़ोरदार आवाज़ आई और धुंआ फैलने लगा।
क्या वॉल के इस वार से नीना बचा पाएगी ख़ुद को? जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।
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