अंधकार में डूबा एक कमरा। मशीनों की धीमी गूंज... और एक लगातार बीप की आवाज़ सुनाई दे रही थी।

बीप... बीप... बीप…

धीरे-धीरे, नीना वास्केज़ की आँख खुली। यह इंसान की आँख नहीं लग रही थी। दृश्य धुंधला था, हर चीज़ पर एक हल्की हरी चमक थी — जैसे कोई नाइट विज़न कैमरा।

नीना की पलकें धीरे-धीरे काँपीं। उसकी सांसें तेज़ चलने लगीं। उसका सिर भारी था — जैसे उसके दिमाग़ के अंदर मशीनें सरसरा रही हों।

नीना (अपने आप से, कमज़ोर आवाज़ में): “मैं... ज़िंदा हूं? मैं कहां हूं?”

उसकी आंखें अब पूरी तरह खुल चुकी थीं। वह एक ठंडी स्टील की मेज पर बंधी हुई थी। हाथ और पैर दोनों से जकड़ी — जैसे कोई लाइव एक्सपेरिमेंटल सब्जेक्ट।

उसके चारों ओर धातु की मशीनें थीं जिन पर ब्लिंक करती हुई लाइट्स जल-बुझ रही थीं। छत से लटकती हुई नलिकाओं में नीले तरल बह रहे थे। दीवारों पर प्रोजेक्शन की तरह डिजिटल डेटा चल रहा था — कोड्स, न्यूरल एक्टिविटी, और उसका नाम: नीना सब्जेक्ट 13

उसकी नजरें घूमीं... हर चीज़ उसकी आंखों से स्कैन हो रही थी — साइबरनेटिक आई अब ऑटोमेटिक मोड पर था।

एक मशीनी आवाज़ धीरे-धीरे उसके दिमाग में गूंजने लगी:

मशीनी आवाज़: “न्यूरल नेटवर्क रीकनेक्शन: 62% कम्प्लीट। सेंसरी स्टेबलाइजेशन इन प्रोग्रेस। विजुअल ट्रैकिंग: एक्टिवेटेड।”

नीना हड़बड़ाई। उसका शरीर हल्का कांपने लगा, लेकिन वह खुद को हिला नहीं सकती थी। उसकी धड़कनें इतनी तेज़ थीं कि सीने के अंदर मानो विस्फोट हो रहा हो।

नीना (कमज़ोर आवाज़ में): “मैं कहां हूं?”

मशीनें उसकी आवाज़ पर प्रतिक्रिया दीं — एक स्क्रीन पर उसकी हार्टरेट तेज़ी से ऊपर जाने लगी।

नीना (थोड़ा ज़ोर से): “कोई है?”

उसकी सांसें अब डर और घुटन से तेज़ हो रही थीं।

तभी कमरे के कोने में एक दरवाज़ा धीरे से खुला। हल्की पीली रोशनी भीतर आई... और उसके साथ एक परछाई।

एक आदमी धीरे-धीरे कमरे में दाखिल हुआ — डॉ. एलिस्टेयर क्रॉस। सफेद लैब कोट पहने, उसकी चाल धीमी थी, लेकिन उसकी आंखों में एक असहज सुकून था — जैसे शिकारी उस जानवर के पास पहुंच चुका हो जो अब भाग नहीं सकता।

डॉ. क्रॉस (मुस्कराते हुए): “तो, तुम जाग गई।”

नीना (आँखों में आग के साथ): “तुमने मुझे किडनैप किया... तुमने... तुमने मेरे अंदर ये सब...”

डॉ. क्रॉस (ठंडी मुस्कान के साथ): “तुमने खुद को चुना था, नीना। मैंने तो सिर्फ वो पूरा किया... जो तुमने शुरू किया था।”

नीना (तेज़ आवाज़ में): “कहाँ हूँ मैं?”

डॉ. क्रॉस टेबल के पास आया और सामने लगे एक कंट्रोल पैनल को ऑन किया। चारों ओर दीवारों पर holographic स्क्रीनें चमकने लगीं — हर स्क्रीन पर उसका ब्रेन स्कैन, उसकी यादें, और एक अजीब सी एक्टिविटी: आईं टू कोर 98%

डॉ. क्रॉस: “ये तुम्हारी नई घर है। तुम्हारे सच का दर्पण। तुम्हारी असली शख्सियत की प्रयोगशाला।”

नीना (चिल्लाते हुए): “छोड़ो मुझे!”

तभी उसकी बॉडी फिर झटकने लगी — आई सिस्टम ने अस्थिर मानते हुए एक शॉर्ट न्यूरल लॉकडाउन शुरू कर दिया।

डॉ. क्रॉस (बटन दबाते हुए): “सावधान।”

बीप... बीप... बीप… अलार्म बढ़ गया।

नीना की आंखों से अब डेटा बहने लगा। उसे सामने खड़ा डॉ. क्रॉस अब एक साधारण इंसान की तरह नहीं बल्कि आउटलाइन, हार्टबीट डेटा, एंडोक्राइन रेस्पॉन्स और माइक्रो फेसियल रीडिंग्स के रूप में दिखने लगा।

नीना (कांपते हुए): “ये मेरी आंखें नहीं हैं।”

डॉ. क्रॉस: “नहीं। अब ये सिर्फ तुम्हारी आंखें नहीं हैं। ये तुम्हारी पहचान हैं।”

क्रॉस उसकी ओर झुका और फुसफुसाया:

डॉ. क्रॉस (फुसफुसाते हुए): “तुमने झूठ बोला था कि तुम अंधी हो... अब तुम सच में देखोगी — इतना गहराई से, कि तुम खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाओगी।”

 

नीना ने अपने आँसुओं को रोकने की कोशिश की। अब उसे यह समझ आ रहा था कि वह कितनी बड़ी मुसीबत में थी। डॉ. क्रॉस एक बड़ी मशीन के पास गए और उसे ऑन किया।

डॉ. क्रॉस: “हमें तुम्हारे नेचुरल सर्वाइवल इंस्टिंक्ट्स की जरूरत थी। किसी ऐसे व्यक्ति की जिसने अपने जीवन में कई बार पहचान बदली हो, जो अपने लिए नए रास्ते खोजने में माहिर हो।”

 

डॉ. क्रॉस ने स्क्रीन पर कुछ ग्राफ्स दिखाए। एक लाइन नीना के मस्तिष्क की गतिविधि को दिखा रही थी, और दूसरी, आँख के इम्प्लांट की। दोनों लाइनें धीरे-धीरे एक-दूसरे के करीब आ रही थीं।

डॉ. क्रॉस (उत्साहित): “देखो, यह कितना खूबसूरत है। तुम्हारे न्यूरॉन्स और आई के सिस्टम अब एक साथ काम कर रहे हैं। सिंक्रोनाइजेशन लगभग 68% पूरा हो चुका है।”

नीना (भयभीत): “मतलब क्या है इसका?”

डॉ. क्रॉस: “मतलब यह है कि तुम अब भी 'तुम' हो, लेकिन जल्द ही तुम्हारा दिमाग और आई के सिस्टम के बीच का अंतर मिट जाएगा।”

नीना ने अपनी सांस रोक ली। उसके दिमाग में एक अजीब सी सनसनी हो रही थी, जैसे कोई उसके विचारों को छू रहा हो।

नीना (परेशान): “मुझे... मुझे कुछ अजीब महसूस हो रहा है। जैसे... जैसे कोई और मेरे दिमाग में है।”

डॉ. क्रॉस (उत्साहित होकर): “हाँ! यह शुरू हो गया है। तुम अब ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ कनेक्ट हो रही हो। वह तुम्हारे विचारों को पढ़ रही है, और तुम उसके।”

नीना (भयभीत होकर): “नहीं! इसे रोको! कृपया इसे रोको!”

डॉ. क्रॉस: “मैं नहीं रोक सकता, नीना। यह हमारे प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य है - एक ऐसा मानव-मशीन इंटरफेस बनाना जो पूरी तरह से एकीकृत हो। एक ऐसा सिस्टम जो मानव की इंटुइशन और मशीन की प्रोसेसिंग पावर का उपयोग कर सके।”

नीना के दिमाग में अजीब सी तस्वीरें और आंकड़े तैरने लगे। वह समझ नहीं पा रही थी कि यह सब क्या था। उसकी बाईं आँख में दर्द होने लगा, और वह देख सकती थी कि उसके सामने डेटा का एक वर्चुअल स्क्रीन तैर रहा था।

डॉ. क्रॉस (स्क्रीन को देखते हुए): “वाह! यह तो उम्मीद से भी तेज़ प्रगति कर रहा है। 70%... 71%... तुम्हारा दिमाग इसे स्वीकार कर रहा है।”

 

नीना ने महसूस किया कि उसके शरीर की बंधी हुई पट्टियाँ थोड़ी ढीली हो गई थीं। शायद मशीन के साथ उसके कनेक्शन के कारण सिस्टम में कुछ बदलाव आ रहा था। उसने धीरे से अपना हाथ हिलाया।

नीना (दर्द से बोलती हुई): “डॉक्टर क्रॉस, तुम्हें नहीं लगता कि यह गलत है? तुमकिसी इंसान के दिमाग के साथ छेड़छाड़ कर रहे हो। तुम इंसानियत के साथ खिलवाड़ कर रहे हो और यह बहुत गलत बात है इसके लिए भगवान तुम्हें कभी माफ नहीं करेगा अभी भी मौका है अपनी गलती सुधारो और छोड़ दो मुझे जाने दो।”

डॉ. क्रॉस (गर्व से): "गलत? इंसानियत के विकास के लिए यह अगला कदम है, नीना। अगर हम अपने दिमाग को तकनीक के साथ एकीकृत कर सकें, तो हम असीमित ज्ञान और क्षमताओं तक पहुँच सकते हैं। और किस भगवान की बात कर रही हो तुम भगवान में ही हूं मैं तुम्हें एक नई जिंदगी दी है तुम्हारा अस्तित्व में एक नयापन लाया है तुम्हारा भगवान सिर्फ मैं हूं।

नीना को अपने दिमाग में कुछ और चित्र दिखाई दिए - एक बिल्डिंग का ब्लूप्रिंट, एक सुरक्षा सिस्टम का कोड, एक मिलिट्री बेस का नक्शा। वह समझ गई कि आई उसे यह सब क्यों दिखा रहा था।

नीना (आरोप लगाते हुए): “ तुम इसका इस्तेमाल जासूसी के लिए करना चाहते हैं, है ना? एक ऐसा इंसान जो कंप्यूटर सिस्टम में घुस सके और डेटा चुरा सके? तुम अपने आप को मेरा भगवान कहते हो तुम शैतान हो रक्षा हो तुम अपने मतलब के लिए एक जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हो और एक जान क्या तुमने तो न जाने कितने लोगों की जान ली है तुम हत्यारे हो तुम्हारी जगह जेल में है"

डॉ. क्रॉस (सिर हिलाते हुए): “नीना,नीना बहुत बोलती हो तुम शायद इसीलिए क्योंकि तुम इतनी मजबूत हो यह मिशन तुम्हारे साथ कंप्लीट हो रहा है और कोई इतना मजबूत था ही नहीं जो इस मिशन को एस्टेब्लिश कर सके, तुम्हारे सर पर मौत मंडल आ रही है तुम जिंदा रहोगी या नहीं रहोगी और रहोगी भी तो किस तरह रहोगी तुम्हें नहीं पता लेकिन तुम तुम्हारे जोश में कोई कमी नहीं आ रही है खैर तुम्हारा गुस्सा जायज है लेकिन यह  सिर्फ़ जासूसी नहीं, नीना। यह उससे कहीं बड़ा है। यह एक नई प्रजाति की शुरुआत है - मानव और मशीन का संगम।”

नीना (डरी हुई): "और मेरा क्या होगा? मैं कौन होऊँगी जब यह सब पूरा हो जाएगा? इस बारे में कभी तुमने सोचा है मेरी जिंदगी बर्बाद करने का हक किसने दिया तुम्हें डॉक्टर क्रॉस एक बार बस तुम मुझे खोल दो फिर देखो मैं तुम्हारा क्या हाल।करती हूं।

डॉ. क्रॉस (उत्साह से): “तुम्हें अभी भी समझ नहीं आ रहा है तुम्हें मेरा शुक्रिया अदा करना चाहिए और तुम मेरे साथ बदतमीजी कर रही हो खैर मेरा दिल बहुत बड़ा है मैं तुम्हारी हर बदतमीजियों के लिए तुम्हें माफ कर सकता हूं,तुम कुछ बेहतर बनोगी। एक सुपरह्यूमन। एक ऐसा व्यक्ति जो पलक झपकते ही दुनिया के किसी भी कंप्यूटर सिस्टम में एक्सेस पा सकता है, जो अंतहीन डेटा प्रोसेस कर सकता है।”

नीना (विद्रोही स्वर में): “और अगर मैं ऐसा नहीं बनना चाहती तो?”

डॉ. क्रॉस ने उसकी ओर एक कठोर नज़र से देखा। उनके चेहरे पर एक पल के लिए करुणा का भाव था, लेकिन वह जल्दी ही गायब हो गया।

डॉ. क्रॉस (निराश स्वर में): “बहुत देर हो चुकी है, नीना। प्रोसेस अब रुक नहीं सकता। सिंक्रोनाइजेशन 78% पूरा हो चुका है।”

 

नीना ने महसूस किया कि उसका सिरदर्द बढ़ रहा था। उसकी बाईं आँख से अब नीली रोशनी तेज़ी से निकल रही थी। उसके सामने डेटा स्ट्रीम्स और कोड की लाइनें तैर रही थीं, जिन्हें वह समझ सकती थी, भले ही उसने कभी प्रोग्रामिंग नहीं सीखी थी।

नीना (दर्द से कराहते हुए): “प्लीज... इसे रोको। मेरा दिमाग... यह सब बहुत ज्यादा है।”

डॉ. क्रॉस (निर्दयता से): “हम रोक नहीं सकते, नीना। तुम अब पॉइंट ऑफ़ नो रिटर्न के करीब पहुँच रही हो। जल्द ही, आई तुम्हारे लिए सोचेगा, और तुम आई के लिए।”

नीना (रोते हुए): “मैं ये नहीं चाहती! मैं अपनी जिंदगी वापस चाहती हूँ! मुझे जाने दो मुझे छोड़ दो,”

डॉ. क्रॉस (कठोरता से): “तुमने झूठ बोलकर जीने का फैसला किया था, नीना। अब तुम एक ऐसे तरीके से जीवित रहोगी जिसकी तुमने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।”

डॉ. क्रॉस ने एक टेबल से एक इंजेक्शन उठाया। उसमें एक नीला तरल पदार्थ था, जो नीना की आँख की रोशनी के समान था। वह इंजेक्शन को हिलाते हुए नीना के पास आए।

डॉ. क्रॉस (धीमे स्वर में): “यह आई के कनेक्शन को पूरा करेगा। इसके बाद, प्रोसेस अपरिवर्तनीय हो जाएगा।”

नीना (रोते हुए, याचना करते हुए): “प्लीज़ मत करो... डॉक्टर क्रॉस, मुझे माफ़ कर दो। मैं कभी किसी को नहीं बताऊँगी कि यहाँ क्या हुआ।”

डॉ. क्रॉस (दृढ़ता से): “मैं जानता हूँ कि तुम नहीं बताओगी। क्योंकि तुम वह नहीं रहोगी जो अभी हो।”

नीना ने अपनी पूरी ताकत लगाकर अपने हाथ को पट्टी से निकालने की कोशिश की। उसने महसूस किया कि आई के कारण उसकी शक्ति बढ़ रही थी। पट्टी टूट गई और उसका हाथ आज़ाद हो गया।  वह हैरानी से अपने शरीर में इस बदलाव को महसूस करने लगी।

 

डॉ. क्रॉस चौंका, लेकिन उन्होंने जल्दी से प्रतिक्रिया दी। जब नीना उठने की कोशिश कर रही थी, वह तेज़ी से उसके पास पहुँचाऔर इंजेक्शन उसकी गर्दन में लगा दिया।

डॉ. क्रॉस (उत्तेजित होकर): “बहुत देर हो चुकी है, नीना। आई अब तुम्हारा हिस्सा बनने जा रहा है।”

नीना (चीखते हुए): “नहीं!”

नीले तरल पदार्थ के प्रवेश करते ही, नीना के शरीर में एक तेज़ झटका लगा। उसकानरेशन:

अचानक, नीना के शरीर में एक और झटका लगा। उसका सिर पीछे झुक गया और उसके मुँह से एक भयानक चीख निकली। उसके शरीर से नीली बिजली की लहरें निकलने लगीं, जो चारों ओर फैल गईं। नीना चिल्लाने लगी वह नहीं जानती थी कि वह अब अगला पल अपनी जिंदगी का देख भी पाएगी या यह उसकी जिंदगी का आखिरी क्षण है।

 

क्या डॉक्टर क्रॉस नीना के भीतर जो बदलाव कर रहा है उसे नीना हंड्रेड परसेंट एक कंप्यूटर,एक मशीन बनकर रह जाएगी?  क्या नीना खो अपने आप को हमेशा के लिए जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।

 

 

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