कॉलेज के कॉरिडोर में क्लासेस चलने की आवाज़ आ रही थी, कॉलेज का माहौल खुशनुमा था, लेकिन क्लास के बाहर, लॉबी में, अनिका और मीरा के बीच हुई बहस ने दोनों के बीच एक अजीब सी परेशानी को जन्म दे दिया था। अनिका का गुस्सा अब उस कगार पर पहुँच चुका था जहाँ से लौटना मुश्किल था। अनिका मीरा को सच बताकर आगे बढ़ गई थी, लेकिन मीरा वहीं खड़ी हुई थी। कुछ पलों के लिए मीरा के कदम जम गए थे, लेकिन जब उसने अनिका को जाते हुए देखा तो उसने उसे आवाज़ लगाते हुए कहा
मीरा- अनिका, अनिका.... मेरी बात तो सुनो... तुम इस तरह कुछ भी नहीं बोल सकती।
अनिका मीरा की आवाज़ सुनकर अपनी जगह रुकी और बिना पीछे मुड़े कहा
अनिका- मुझे नहीं लगता मीरा, अब हमें साथ में रहना चाहिए, मुझे थोड़ा वक्त चाहिए। मुझसे दूर रहना....
अनिका की बात ने मीरा के दिल को पूरी तरह चीर कर रख दिया था। उसे अनिका की बातों का जवाब देने के लिए शब्द नहीं मिल रहे थे। वो सोच रही थी कि आखिर यह सब कहाँ जा रहा है। उसकी आँखों में उलझन और डर साफ झलक रहे थे। उसे लग रहा था कि शायद अनिका सही कह रही है, लेकिन उसकी स्थिति ने उसे उस पर विश्वास करने से रोक रखा था
अनिका ने गुस्से में क्लास से जाकर अपना बैग उठाया और आगे बढ़ने लगी। बिना पीछे देखे तेज़ी से कॉलेज की लॉबी से बाहर निकलने लगी। मीरा वहीं खड़ी रह गई, मानो ज़मीन पर जड़ें जम गई हों। उसे अनिका के शब्द भीतर तक चुभने लगे थे। उसका मन भारी हो गया था, और एक गहरी सांस लेते हुए वह अचानक लड़खड़ा गई। उसकी आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा, और उसका शरीर उसके काबू में नहीं रहा, और अगले ही पल वो जमीन पर गिर गई। और एक तेज़ आवाज़ हुई—उसके गिरने की।
“ढप्प”
अनिका कुछ ही कदम आगे बढ़ी थी कि ये आवाज़ सुनते ही उसके कदम ठिठक गए। उसने तुरंत पीछे मुड़कर देखा, और जो दृश्य उसके सामने था उसे देख उसकी धड़कनों को और तेज़ हो गई। मीरा ज़मीन पर बेसुध पड़ी थी। अनिका तेज़ी से दौड़ती हुई उसकी ओर भागी
अनिका "मीरा!"
उसके दिल की धड़कनें इतनी तेज़ हो गई थीं कि उसे लगा जैसे वक़्त ही रुक गया हो। वो मीरा के पास पहुँची और उसे हिलाने की कोशिश करते हुए कहा
अनिका- मीरा, उठो! क्या हुआ तुम्हें?
मीरा की आँखें बंद थीं, और उसका चेहरा पीला पड़ चुका था। उसकी सांसें धीमी हो रही थीं। अनिका ने चारों तरफ नज़र दौड़ाई, अनिका के चिल्लाने की आवाज़ सुनकर वहाँ और भी स्टूडेंट्स जमा हो गए। किसी ने घबराते हुए कहा, “जल्दी एम्बुलेंस बुलाओ, इसकी साँसे धीमी हो रही है”
एक स्टूडेंट ने फौरन मोबाइल निकाला और एंबुलेंस के लिए कॉल किया। सभी के बीच हलचल मच गई थी। कुछ लोग पानी लाने दौड़े, तो कुछ मीरा के आसपास खड़े होकर उसे होश में लाने की कोशिश कर रहे थे। अनिका का दिल तेज़ी से धड़क रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक ये सब क्या हो गया। अनिका ने मीरा को उठाने की कोशिश करते हुए कहा
अनिका- मीरा, मीरा, आँखें खोलो.... आँखें खोलो....
एक स्टूडेंट दौड़ते हुए पानी लाया और मीरा के चेहरे पर उसके छींटे मारे लेकिन मीरा नहीं उठी, तभी एक पीअन ने आकर कहा “चलिए, चलिए, एम्बुलेंस आ गई है....”
सभी लोग मीरा को एम्बुलेंस तक ले जाने की कोशिश करने में लगे हुए थे, लेकिन यहाँ एक शख्स ऐसा भी मौजूद था जो सारा वाकिया छिपकर देख रहा था। जब मीरा को कॉलेज के कॉरिडर से बाहर ले जाया गया तो उस शख्स ने किसी को फोन करके कहा “सैम्पल नंबर 1 को अस्पताल ले जा रहे हैं, मुझे नहीं लगा था कि प्लान क़ामयाब हो पाएगा पर अब एक उम्मीद फिर से जगी है”
एंबुलेंस के सायरन की आवाज़ पास आती गई, और कुछ ही पलों में मीरा को स्ट्रेचर पर लादकर एंबुलेंस में डाला जाने लगा। अनिका ने एम्बुलेंस के अंदर से ही पीछे मुड़कर उस कॉरिडर की तरफ देखा जहां उसने मीरा से बहस की थी, वहाँ भीड़ लगी थी, लेकिन तभी अनिका की नज़र एक कोने पर पड़ी, जहां एक आदमी अकेला खड़ा ये सब देख रहा था, अनिका ने उसे देख मन ही मन कहा
अनिका- क्या इस आदमी को मैंने कहीं देखा है? ये कॉलेज से तो नहीं है....
जब एंबुलेंस अस्पताल की तरफ रवाना हो गई, कॉलेज की भीड़ धीरे-धीरे छंटने लगी, पर भीड़ में मौजूद उस शख्स के इरादे कुछ और ही थे। जब सभी लोग वहां से चले गए, तो वह चुपचाप उस जगह पहुँचा जहाँ मीरा गिरी थी। उसकी नजर ज़मीन पर पड़े दो छोटे पेंडेंट्स पर पड़ी, जो मीरा और अनिका के थे, उसने उन्हें अपने हाथ में उठाया और एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा “अब हुआ है असली खेल शुरू” उसने धीरे से अपने हाथों से उन्हें तोड़ दिया। उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी, मानो उसने किसी गहरे रहस्य को को मिटा दिया हो। फिर वह बिना किसी को कुछ कहे वहाँ से गायब हो गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
मीरा को अस्पताल के अंदर स्ट्रेचर पर ले जाया जा रहा था। अनिका की आँखों से आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। उसकी सांसें उखड़ रही थीं और दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये सब अचानक कैसे हो गया। अनिका के साथ ज्योति भी मौजूद थी, जो उसे संभालने की कोशिश कर रही थी। लेकिन अनिका का मन चीख-चीख कर अपने आप को दोषी महसूस कर रहा था। अनिका ने waiting area में रुकते हुए मन ही मन में कहा
अनिका- मेरी वजह से ही मीरा की ये हालत हुई है, मुझे उसे कुछ भी इस तरह नहीं बताना चाहिए था।
स्ट्रेचर दूर जा चुका था, और अनिका हॉस्पिटल के वेटिंग एरिया में बेंच पर बैठी थी। उसकी आँखों के सामने बार-बार वही पल घूम रहा था जब मीरा का अचानक ज़मीन पर गिरी थी। कुछ देर बाद, मीरा की माँ, रमा, घबराई हुई अस्पताल के दरवाजे से अंदर आईं। उन्होंने डॉक्टर्स से मिलने की कोशिश की और सीधा सवाल किया : मीरा को क्या हुआ है, डॉक्टर?
डाक्टर ने रमा को कहा : घबराईए मत, मीरा को एक साइलेंट पैनिक अटैक आया है। सिचूऐशन अन्डर कंट्रोल है, लेकिन इतनी कम उम्र में मीरा को इतना स्ट्रेस किस चीज़ का है? डॉक्टर का ये सवाल सुनकर रमा कुछ पल के लिए सोच में पड़ गईं, फिर उन्होंने सिर हिलाते हुए कहा.. मीरा ने कभी कुछ बताया नहीं। डाक्टर ने जवाब दिया … “आप उसे 2 घंटे बाद ले जा सकते हैं। बस अब ध्यान रखिएगा, ऐसा कुछ ना हो” डॉक्टर इतना कहकर चले गए, वहीं अनिका डॉक्टर की बात सुनकर और परेशान हो गई क्योंकि वो जानती थी कि मीरा अभी क्यों मेंटल स्ट्रेस से जूझ रही थी, लेकिन इस वक्त उसने चुप रहना बेहतर समझा। डॉक्टर के पीछे रमा भी गई थी, कुछ देर बाद जब वो मीरा के पास से बाहर आई तो उनके चेहरे पर परेशानी साफ़ झलक रही थी। रमा ने अनिका को देखकर पूछा “आज कॉलेज में कुछ हुआ था क्या? सुबह तो मीरा बहुत खुशी से बाहर निकली थी, वो शाम से ही बहुत खुश थी, क्योंकि.....”
रमा आगे कुछ बोलती उससे पहले ही ज्योति ने बीच में बोलते हुए कहा “आंटी, आप अनिका से ये सवाल क्यों कर रही हैं? क्या पता इसी की वजह से मीरा स्ट्रेस में हो” अनिका ने ज्योति को रोकते हुए कहा
अनिका- क्या कह रही है, ज्योति?
ज्योति ने मुंह बनाकर कहा “मैं जानती हूँ कि मीरा को किस वजह से स्ट्रेस हो रहा है। असल में आज कॉलेज में अनिका ने मीरा के साथ बहुत बड़ी लड़ाई की और ये पहली बार नहीं हुआ है, अनिका पहले भी कई बार मीरा को ऐसी ही परेशान कर चुकी है। जब भी मीरा इसके साथ होती है, मीरा टेंशन में ही दिखती है। मैं मीरा की कज़िन भी हूँ अनिका, दूर की ही सही, पर मेरा उससे रिश्ता तुमसे तो गहरा ही है। है ना आंटी?”
ज्योति की बातें सुनकर रमा का चेहरा अचानक बदल गया। उनकी आँखों में गुस्से और निराशा दौड़ गईं। उन्होंने अनिका की ओर देखा, जो मायूस निगाहों से ज्योति को देख रही थी, रमा की आवाज़ कड़ी हो गई। उसने अनिका पर गुस्सा करते हुए कहा “तुम्हारी वजह से मेरी बेटी यहाँ पड़ी है, अनिका! मैं कईं दिनों से देख रही थी, तुम जब भी उससे मिलती थी तभी वो परेशान दिखती थी। आज भी यहाँ भोली शक्ल बनाकर खड़ी हो। मैंने मीरा को समझाया था कि तुमसे मेलजोल कम कर दे, पर वो मेरी सुनती कहाँ है?”
अनिका ने सिर उठाया, उसकी आँखों में दर्द और पछतावा साफ नज़र आ रहा था। वो कुछ बोलने की कोशिश कर तो रही थी, लेकिन शब्द उसके गले में अटक गए थे। रमा की बातें उसके दिल को चीर रही थीं। रमा ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा “मैं अब और कुछ सुनना नहीं चाहती, अनिका। तुम यहाँ से चली जाओ। मुझे तुम्हारी सूरत भी नहीं देखनी है। क्योंकि अगर तुम यहाँ रही, तो मेरा दिमाग और खराब हो जाएगा। अभी तक मेरी बेटी को कोई खतरा नहीं है, लेकिन तुम्हारे साथ और रहेगी तो ज़रूर खतरा होगा। जाओ यहाँ से....”
रमा ने ये बात कहकर अपना मुंह फेर लिया, वहीं अनिका की आँखों आँसू आ गए, वो अपने आँसू पोंछते हुए धीमे कदमों से अस्पताल से बाहर जाने लगी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मीरा की ये हालत उसकी वजह से है या हालातों की। वो खुद को बार-बार कोस रही थी। वो अभी अस्पताल के मेन गेट तक ही पहुँची ही थी कि उसने सामने से किसी को आते देखा। जो शख्स इस वक्त अनिका के सामने था वो कोई और नहीं बल्कि अर्जुन था, अर्जुन को आते देख अनिका के पैर जम गए, अनिका ने उसे देखकर चौंकते हुए कहा
अनिका- ये यहाँ कैसे आया?
अर्जुन हड़बड़ाहट में अस्पताल के दरवाजे से अंदर चला गया। उसने अनिका को देखा तक नहीं, ऐसा लगा मानो वो वहाँ थी ही नहीं। अनिका की आँखें चौड़ी हो गईं। अनिका के मन में और भी सवाल उठने लगे। उसने अर्जुन के पीछे जाते हुए खुद से कहा
अनिका- अगर आंटी के सामने ये चला गया, तो आंटी और गुस्सा होंगी। मुझे इसे रोकना चाहिए....
अनिका अभी ये सब सोच ही रही थी कि जैसे ही वो मीरा के कमरे के बाहर वाले कॉरिडर में पहुंची तो उसके कदम ठिठक गए। अर्जुन इस वक्त रमा के सामने खड़ा था, और रमा उसे देखकर बिल्कुल भी हैरान नहीं थी, मानों उन्हें उसके आने से कोई फर्क ना पड़ा हो। अनिका अस्पताल के कॉरिडोर में कुछ दूर खड़ी होकर सब देख रही थी। अर्जुन ने रमा से कुछ कहा, लेकिन आवाज़ इतनी धीमी थी कि अनिका को कुछ सुनाई नहीं दिया। उसने ध्यान से देखा कि रमा और अर्जुन के बीच कोई गंभीर बात हो रही है। और फिर अचानक, अर्जुन ने रमा को सांत्वना देने के लिए गले से लगा लिया। ये देखकर अनिका की आँखें चौड़ी हो गई, उसने हैरान होकर कहा
अनिका- ये क्या हो रहा है?
ये नज़ारा उसे झकझोर कर रख देने वाला था। उसने कभी नहीं सोचा था कि मीरा की माँ अर्जुन से इस तरह मिलेंगी। अनिका ने खुद से सवाल करते हुए कहा
अनिका- क्या मीरा ने अर्जुन के बारे में अपने घरवालों को बता दिया था?
अनिका इसी सवाल के साथ एक बार फिर पीछे मुड़ गई, उसने अपने मन ही मन में जाते हुए कहा
अनिका- मीरा ने शायद घर में सब बता दिया, इसका मतलब सब उसके रिश्ते से खुश हैं। शायद मैं ही वो थी जो अपनी दोस्त की खुशियों को नहीं देख पाई।
उसके मन में ये ख्याल बार-बार घूम रहा था कि वो मीरा के लिए खुश नहीं हो पाई, उसने अपने शक की वजह से मीरा को परेशानी दी। उसे ये सब खुद ही झेलना चाहिए था, अनिका ने अपने मन में फैसला करते हुए कहा
अनिका- मुझे नहीं जानना कि ये आदमी अर्जुन है या अमन। अगर वो मीरा के लिए सही है, तो मुझे खुद से ज्यादा उसकी खुशी की फिक्र होनी चाहिए। मैं अपने प्यार को खुशी-खुशी एक वहम समझ कर भूल जाऊँगी।
ये बात सोचते हुए अनिका के आँसू और भी तेज़ी से बहने लगे। उसने अपने दिल को समझाने की कोशिश की और कहा
अनिका- अगर मीरा की खुशियाँ मुझसे दूर रहने में हैं, तो मुझे उसकी ज़िंदगी से दूर ही रहना होगा। मैं कभी उसके सामने नहीं आऊंगी।
अनिका ने ये फैसला कर लिया था कि मीरा की खुशियों के लिए वो पीछे हट जाएगी। अनिका ने ये बात सोचते हुए अपना फोन निकाला और एक आखिरी बार अमन के नंबर को डायल किया, लेकिन अमन का फोन बंद था। अनिका ने फोन काट कर उसके नंबर पर मैसेज करते हुए कहा
मैं नहीं जानती तुम्हारा सच क्या है अमन, तुम कितने रूप रखते हो। लेकिन मेरे लिए अब तुम एक गुज़रा हुआ कल हो, सिर्फ एक भ्रम हो, जो शायद हुआ ही नहीं”
शाम ढलने के बाद जब अनिका घर पहुंची तो दरवाज़ा उसके भाई निकुंज ने खोला, निकुंज ने अपने हाथ में पकड़े फोन को दिखाते हुए कहा “तुम अपने दोस्तों को घर का नंबर क्यों देती हो, तुम्हारा फोन बंद है क्या?”
अनिका ने उसे एक नज़र देखा, फिर नाराजगी से कहा
अनिका- क्या बकवास कर रहे हो? कौन फोन कर रहा है?
निकुंज ने ऐंठते हुए कहा “कोई अर्जुन था, कह रहा था कि वो कल तुमसे कैफै-21 में मिलेगा। शाम 5 बजे” निकुंज की बात सुनकर अनिका की आँखें फटी की फटी रह गई, उसने निकुंज की तरफ हैरानी से देखा।
आखिर क्यों मिलना चाहता है अर्जुन अनिका से? क्या अर्जुन ही अमन है? क्या है सैम्पल-1 की सच्चाई?
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