हिना को मैसेज टाइप करते देख अनिकेत की हार्टबीट बढ़ चुकी थी। सवाल के ज़वाब में हिना ने फिर से एक सवाल पूछा,
Heena (asking) - “लाइफ में कुछ ज़्यादा ही अकेले हैं क्या आप?
इस सवाल के साथ एक स्माइली भी सेंड की थी। अनिकेत को उसको सवाल समझ नहीं आया और उसने पूछा, “क्यों?”, तो हिना ने लिखा,
Heena (in message) - इतने बड़े मुल्क का एक बंदा सरहद पार दोस्त ढूंढ रहा है न? वो भी ऑनलाइन, इसलिए पूछा। वैसे हमें आपसे दोस्ती करने में क्या परेशानी हो सकती है। वैसे भी सरहद के उस पार हमारा एक भी दोस्त नहीं। इसी बहाने हमें आपके मुल्क के बारे में भी थोड़ी जान लेंगे, वरना हमारा मीडिया तो आपके मुल्क के बारे में हमेशा नेगेटिव न्यूज़ ही बताता है।
अनिकेत उससे जानना चाहता था कि पाकिस्तान का मीडिया, इंडिया के बारे में क्या कहता है, लेकिन हिना ने बात टालते हुए कहा,
Heena (denied & laugh) - सब आज ही पूछ लेंगे क्या आप? कुछ बातें कल के लिए छोड़ दीजिये, वरना हमसे बात करने के लिए आपको बहाने नहीं मिल पाएंगे।
वो शायद अनिकेत के दिल की बात समझने लगी थी। हिना का मैसेज पढ़कर वो ज़ोर से खिलखिलाकर हँस दिया था। हिना ने उससे शब्बा खेर कहा और ऑफलाइन हो गयी।
अगले दिन सुबह वो उठा, तो उठते ही उसको कल रात को हिना की कही आख़िरी बात याद आ गयी। वो काफ़ी देर लेटे हुए मुस्कुराता रहा और उठकर सीधा आईने के सामने जाकर खड़ा हो गया। पता नहीं क्यों, लेकिन अनिकेत आज काफ़ी देर तक अपने आप को आईने में देखकर ख़ुश होता रहा। उसके चेहरे पर एक अलग ही नूर दिख रहा था। ऑफिस के लिए तैयार होते टाइम भी उसने आज आईने के सामने कुछ ज़्यादा ही टाइम लगा दिया था। आख़िर मे उसने टाइम देखा, तो जल्दी से अपना फेवरेट परफ़्यूम लगाया और रूम से बाहर निकल गया।
कहते हैं न कि नयी-नयी मुहब्बत में इंसान इतना डूब जाता है कि उसको और कुछ याद ही नहीं रहता है। हालाँकि अनिकेत का लव एट फर्स्ट साइड था, लेकिन वो जानता था कि शायद हिना को भी उससे बात करना अच्छा लगता है, वरना वो उससे इतनी बातें ही क्यों करती, जबकि अब तो टूर्नामेंट भी पूरे एक साल के लिए postpone हो चुका था। “शायद” शब्द प्रेम में जितना इस्तेमाल किया जाता है, उतना और कही नहीं। ये शब्द प्रेमियों को हिम्मत भी देता है और कन्फ्यूज़न में भी रखता है।
अनिकेत पूरे रास्तें हिना के ख़यालों में खोया रहा था। इसी चक्कर में आज उसकी बाइक की स्पीड भी थोड़ी कम ही थी। वो ऑफिस पहुँचा तो देखा, आज उसको 30 की जग़ह पूरे 40 मिनिट लगे थे। उसके 10 मिनिट “शायद” शब्द के भेंट चढ़ चुके थे। टूर्नामेंट कैंसिल होने का असर पाकिस्तान के साथ-साथ उसके ऑफिस में भी साफ़-साफ़ दिख रहा था। उसके बॉस ने उसकी टीम को किसी और जगह शूट के लिए भेज दिया था। जो कुछ लोग बचे थे, वो आज थोड़े चिल मोड में थे।
उन सबके बीच अनिकेत ही ऐसा था, जिसके चेहरे पर एक अलग ही ख़ुशी दिख रही थी। उसका खिला हुआ चेहरा देखकर उसके एक कलीग ने पूछा, “क्या बात आज कुछ ज़्यादा ही ख़ुश लग रहे हो भाई? चेहरा ब्लश कर रहा है, आख़िर बात क्या हैं? लड़की प्रपोज़ल एक्सेप्ट कर लिया क्या?” उसका हवा में चलाया तीर सीधे अनिकेत के दिल पर लगा। ऐसे में रिएक्शन तो होना ही था। उसने चौंककर पूछा,
Aniket (shocked) - कौन सी लड़की?
“मुझे क्या पता? तुमने किस लड़की को प्रपोज़ किया था।” उसके कलीग ने मुस्कुराकर कहा। अनिकेत को तब जाकर समझ आया कि वो किसी रेंडम लड़की की बात कर रहा था। उसने fake smile देकर कहा,
Aniket (fake smile) - कहां यार रवि भाई। इश्क़-मुहब्बत करना किस्मत में ही नहीं है शायद। दिन ऑफिस में निकल जाता है और रात सोने में, ऐसे में इश्क़ के लिए वक़्त ही कहां मिल पाता है?
“अच्छा मतलब इश्क़ के लिए दिल के साथ-साथ वक़्त की भी ज़रूरत होती है? अच्छा किया आपने बता दिया, मुझे पता नहीं था”, उसके कलीग ने उसको टोंट मारा। अनिकेत ने उसकी बात काटकर कहा,
Aniket (laugh) - शायद इस ज़माने में इश्क़ करने के लिए दिल और वक़्त के साथ-साथ पॉकेट में पैसों की भी ज़रूरत लगती है रवि भाई।
रवि मुस्कुराया और वापस अपनी डेस्क की ओर बढ़ गया। उसने बॉस के केबिन की ओर देखा, बॉस आज ऑफिस आये ही नहीं थे। बिना कैप्टन की टीम कब तक मोटिवेटेड रह सकती थी? इसलिए आज पूरा ऑफिस ही चिल मोड पर था। अनिकेत भी अपनी डेस्क पर बैठा-बैठा काफ़ी देर तक बोर होता रहा। फ्री माइंड में उसको हिना की कही कोई बात आती और वो मुस्कुरा देता। उसको अकेले में मुस्कुराते देख उसके कलीग्स का डाउट अब यकीन में बदलने लगा था।
अनिकेत बेसब्री से हिना के मैसेज का इंतज़ार कर रहा था। हालाँकि मैसेज वो भी कर सकता था, लेकिन वो देखना था कि हिना उसको पहले मैसेज करती है या नहीं। इसी बेसब्री में वो 3-4 बार ऑफिस कैफेटेरिया में जाकर उसकी फेवरेट कुल्हड़ चाय भी पीकर आ चुका था, मगर उसका मैसेज नहीं आया। अब उसका सब्र का बांध टूटने लगा था। उसने बड़बड़ाकर चेयर से उठते हुए कहा,
Aniket (complaining) - तूने शायद उसके बारे में कुछ ज़्यादा ही सोच लिया है। वो तुझे 2 दिन पहले जानती भी नहीं थी, फिर तुझे मैसेज क्यों करने लगी? और वैसे भी वो तुझे बस एक नॉर्मल दोस्त समझती है, और कुछ नही। दिन भर उसके बारे में इतना ज़्यादा सोचने में कोई सेन्स नहीं है अनिकेत।
यही सब सोचता हुआ, वो अपने आप को समझाने की कोशिश कर रहा लेकिन उसका दिल फिर भी मानने के लिए तैयार नहीं था। उसको बार-बार यही लग रहा था कि किसी काम में बिज़ी होगी हिना, वरना वो मुझे मैसेज ज़रूर करती। वो सोच ही रहा थी कि तभी उसके मोबाइल और दिल, दोनों एक साथ वाइब्रेट हुए। अनिकेत ने जल्दी से मोबाइल देखा और हिना का मैसेज देखकर ख़ुशी और हैरानी से पागल हो गया। हिना के मैसेज ने प्यासे के लिए पानी का काम किया था। उसने जल्दी से मैसेज पढ़ा, तो और ज़्यादा ख़ुश हो गया था। उसने लिखा था,
Heena (asking) - आप याद कर रहे थे क्या हमें?
मैसेज पढ़कर वो सोच में पढ़ गया। उसको समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर वो ज़वाब क्या दे? थोड़ी देर सोचकर उसने ज़वाब दिया,
Aniket (denied) - क्यों? मैं क्यों याद करूँगा आपको? आपने ही तो बोला था न कि हम आपके है कौन?
Heena (romantic) - “हमारी हिचकियों पर तो आपका ही नाम लिखा था। हिचकियाँ हमसे कह रही थीं कि बहुत दूर बैठा कोई आपको याद कर रहा है, इसलिए पूछ लिया। अब हम दोस्त बन चुके है न? तो हो सकता है आप हमारे बारे में कुछ सोच रहे हो? ख़ैर कोई बात नहीं, और कोई याद कर रहा होगा। हमारा भला सोचने वालों की कमी थोड़ी न है।
हिना ने अनिकेत को क्लीन बोल्ड कर दिया था। वो इश्क़ ही क्या? जो अपने प्रेमी का दिल न जलाये। उसके पास अब सच एक्सेप्ट करने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं था। आख़िर में उसको कहना ही पड़ा,
Aniket (accept) - हाँ, अब आपने टूर्नामेंट कैंसिल कराकर हमें फ्री बैठा दिया न, तो हम सोच रहे थे कि अब आपसे जब भी बात होगी, तब आपसे पाकिस्तान के बारे में ज़रूर पूछेंगे। आख़िर हमें भी तो पता चले कैसा है आपका देश। ख़ुद अपनी आँखों से देखना तो पॉसिबल हो नहीं पाया, इसलिए आपकी आँखों से ही पाकिस्तान दिखा दीजिये।
Heena (taunt) - अच्छा। हमें तो लगा था आप हमारे बारें में जानना चाहते होंगे। ख़ैर कोई बात नहीं हम नहीं तो हमारा देश ही सही।
अनिकेत को अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं था। हिना ऑफलाइन हो चुकी थी। अपनी गलती पर अनिकेत अपना सर पीट कर रह गया था। उसने कॉल करने का भी सोचा, मगर हिम्मत नहीं कर पाया।
शाम को वो ऑफिस से निकला तो काफ़ी अपसेट था। हिना ने अब तक उसका मैसेज सीन नहीं किया था। वो उसको मैसेज पर सॉरी भी बोल चुका था। पार्किंग में जाकर उसने बाइक स्टार्ट की, तभी उसके पास वीरेंद्र का कॉल आया। उस दिन के बाद से अनिकेत की उससे बात नहीं हुई थी. उसने अपने दोस्त को कॉल करके सॉरी बोलने की कोशिश भी की थी, मगर उसने कॉल नहीं उठाया था। अनिकेत ने बाइक का इंजन ऑफ किया और कॉल उठाकर बोला,
Aniket (regret) - उस दिन की गलती के लिए सॉरी यार, लेकिन गलती तेरी भी है। इतनी सी बात के लिए कोई अपने जिगरी यार से इतना रूठता है। मैंने कितनी बार कॉल किया तुझे, पर तूने एक बार ही नहीं उठाया मेरा कॉल, और न ही मेरे मैसेजेस का रिप्लाय किया।
अनिकेत उससे नाराज़ था। वीरेंद्र को अपनी गलती पर रिग्रेट फील हो रहा था। उसने सॉरी बोलते हुए कहा, “यार तूने थोड़ा ग़ुस्सा दिला दिया था, पर ज़्यादा दिन तक अपने भाई से ग़ुस्सा नहीं रह पाया और आज कॉल कर दिया। चल आज दोनों कही मिलकर अपनी नाराज़गी दूर करते हैं।
Aniket (excited) - तो फिर आ जा मेरे रूम पर।
“नहीं तेरे रूम पर नहीं, किसी लाउन्ज में चलते हैं। कितने दिनों से दोनों साथ नहीं बैठे है। गला सूखने लगा है अब तो।
अनिकेत का mood भी कुछ ठीक नहीं था, इसलिए वो अपने दोस्त को पीने के लिए मना नहीं कर पाया। किसी लाउन्ज में जाने की उसकी इच्छा नहीं थी। उसने वीरेंद्र को अपने रूम पर आने के लिए मनाया। उसको रूम पर आने में भी कोई प्रॉब्लम नहीं थी, इसलिए उसने तुरंत ही हामी भर दी। अनिकेत ने कॉल कट किया और बाइक स्टार्ट की।
लगभग 8 बजे दोनों दोस्तों की महफ़िल जम चुकी थी। 2 दिन पहले अनिकेत ने अपने दोस्त को इतना कुछ बोल दिया था कि उसने 2 दिन तक उससे बात तक नहीं की थी। आज दोनों अपनी-अपनी गलतियों को गिलास में घुलकर हमेशा के लिए पी जाना चाहते थे। वीरेंद्र ने दोनों के लिए पेग बनाए, दोनों ने ग्लास टकराकर अपनी दोस्ती के नाम चियर्स किया और घूँट लेना स्टार्ट कर दिया।
अनिकेत, अपने दोस्त को लाउन्ज की फीलिंग देना चाहता था। उसने अपने म्यूजिक सिस्टम में नुसरत साहब के गाने चलाये और साउंड थोड़ा और बड़ा दिया। उनकी जादुई आवाज़ का सुरूर, अनिकेत को व्हिस्की के सुरूर से ज़्यादा लग रहा था। नुसरत के गानों ने उसको हिना की याद दिला दी थी और वो बार-बार अपना मोबाइल चैक करने लगा।
हिना ने उसके मैसेजेस अभी तक चैक नहीं किये थे, जिससे उसका एक्साइटमेंट थोड़ा कम हो गया था। वीरेंद्र उसको बार-बार मोबाइल चैक करते हुए थोड़ी देर तो नोटिस करता रहा और आख़िर में उससे रहा नहीं गया। उसने सेकंड पेग में बर्फ़ डालते हुए पूछ ही लिया, “तेरे ग्लास में बर्फ़ ज़्यादा डाल दूँ क्या?” अनिकेत उसकी बात का मतलब समझ नहीं पाया, इसलिए कन्फ्यूज़ होकर पूछा, “क्यों”?
वीरेंद्र ने हँसते हुए कहा, “बर्फ़ से दिल को थोड़ा सुकून मिलेगा। पता नहीं कौन है ऐसा, जो मेरे भाई को बेचैन कर रहा है?” अनिकेत, वीरेंद्र को सच बताना नहीं चाहता था। वो उसकी सोच जानता था, इसलिए उसने झूठ बोलते हुए कहा,
Aniket (drunk) - अरे ऐसा कुछ नहीं है भाई, अगर ऐसा कुछ होता, तो तुझे नहीं बताता क्या मैं? सबसे पहले तुझे ही इन्फॉर्म करता मैं।
“मैं मान ही नहीं सकता हूँ भाई। इश्क़ हमने भी किया है। तू जिस यूनिवर्सिटी में अभी एडमिशन ले रहा है, हम उसके प्रिंसिपल रह चुके है। ऐसी ही बेचैनी से हम भी गुज़रें हैं, हमने भी तेरी तरह हर 1 मिनिट के बाद अपना मोबाइल चैक किया है। कई रातें जागतें हुए काटी है। इश्क़ के मरीज़ को देखते ही पहचान जाता हूँ मैं।”
इतना कहकर उसने ग्लास होंठों से लगाया और एक ही घूँट में ख़ाली कर दिया। अनिकेत उसको हैरानी से देखा रहा था। वीरेंद्र किसी की यादों में खो गया था। वो थोड़ी देर ख़ामोश बैठा और बोला, “इश्क़ एक ऐसी दवा है, जिसको पीये बिना आदमी का इलाज़ होता ही नहीं है।”
उसने इससे पहले अपने दोस्त को कभी इतना इमोशनल नहीं देखा था। वीरेंद्र ने इस बारे में उसको कभी बताया भी नहीं था, शायद ज़रूरत ही नहीं पड़ी थी। उसने अपने हाथ पीछे करके फ़र्श पर टिकाये और कमरे की ओर देखकर अपनी गीली ऑंखें छुपाते हुए ज़ोर से बड़बड़ाया,
“इश्क़ वो रोग है प्यारे, जो इंसान के एक-एक अंग को रोगी बना देता है। इश्क़ वो बला है, जो इंसान से उसकी आँखों की नींद तक छीन लेता है, इसलिए इस जान के दुश्मन से दूर ही रह प्यारे, वरना जिस दिन दिल टूटेगा, तब हमारी बात समझ आएगी, पर तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।”
क्या नशे में धुत होकर, हिना के बारें में अपने दोस्त को सच बता देगा अनिकेत? क्या वीरेंद्र उसकी बातों को सिरियसली लेगा? या फिर लड़की को भुलाने के लिए देगा दोस्ती की कसम?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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