अनिकेत को पता नहीं था, उसका एक मैसेज कितना बड़ा भूकंप ला सकता था। वो काफ़ी देर तक इस बारे में सोचता रहा और फिर कुछ सोचकर मुस्कुरा दिया। उसको एक ऐसा आइडिया मिल गया था, जिससे वो उस लड़की को सच बता भी सकता था और उस पर कोई ऑब्जेक्शन भी नहीं लिया जा सकता था। उसने मैसेज टाइप करना शुरू किया,

Aniket (in message) - Sorry to say, but मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि बोर्ड, मैचेस की डेट एक साल के लिए एक्सटेन्ड करने वाला है? मुझे पिछले 2 दिनों से ऐसी ही फीलिंग्स आ रही है।

अनिकेत ने मैसेज सेंड कर दिया। उसकी उम्मीद के मुताबिक़ ही लड़की ने मैसेज तुरंत सीन कर लिया था। मैसेज पढ़कर वो चौंक गयी थी। उसने तुरंत ही मैसेज किया, जिसमें लिखा था,

Heena (shocked )  - “व्हाट? ख़ुदा के लिए ऐसा कुछ मत बोलिये। ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। भरोसा रखिये, सब अच्छा ही होगा। बात इतनी भी नहीं बिगड़ी है, जो बोर्ड को मैच की डेट पूरे एक साल के लिए एक्सटेन्ड करनी पड़े।”

उसका मैसेज पढ़कर अनिकेत मुस्कुरा दिया। वो जानता था कि ऐसा ही होने वाला था। उसने तुरंत मैसेज किया,

Aniket (in message) - ऐसा बोलकर आप मेरी फीलिंग्स की तोहीन कर रही है। ऐसा हो भी तो सकता है न?

Heena (requesting) - “आप दिल में ऐसी फीलिंग्स ही न लाइए। आप हमारे दिल की फीलिंग्स भी तो समझिये। ख़ैर प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद पता चल ही जायेगा कि ख़ुदा आपकी सुनता है या फिर हमारी। फ़िलहाल के लिए हमें थोड़ा अर्जेंट काम है। अभी के लिए बॉय।

वो आज फिर से लड़की का नाम पूछने से चूक गया था। वो उस लड़की का नाम जानना चाहता था, मगर वो ऑफलाइन हो चुकी थी। अनिकेत के होठों पर अपनी पहली जीत और पहली हार की मुस्कुराहट आ गयी थी।

लकड़ी से बात करने में उसको वक़्त का भी एहसास नहीं रहा था। वो ये भी भूल चुका था कि उसके बॉस ने उसको सिर्फ़ 2 घंटे की लीव दी थी। अनिकेत को जैसे ही ये बात याद आई, उसके चेहरे की मुस्कराहट गायब हो गयी। उसने घबराकर टाइम देखा। अपने रूम पर उसको 4 घंटे से भी ऊपर हो चुके थे। अब उसकी आँखों के सामने उसका बॉस का ग़ुस्से से तमतमाया हुआ चेहरा घूमने लगा था। उसने जल्दी से अपना हेलमेट उठाया और रूम से बाहर निकल गया।

अनिकेत ऑफिस पहुंचा, तो घबराया हुआ था। वो समझ गया था, आज दूसरी बार भी उसको बॉस से जमकर डॉट पड़ने वाली है। बॉस की डॉट से बचने के लिए उसने बहाना भी सोच लिया था। यही सब सोचकर वो तेज़-तेज़ क़दमों से चलता हुआ बॉस के केबिन के सामने पहुँचा। ट्रांसपेरेंट ग्लॉस डोर में जब उसने बॉस को फोन पर किसी से बात करते देखा, तो वहीं रुक गया।

उसने अनिकेत को देखा तो फोन रखा और उसको अंदर आने का इशारा किया। वो जैसे ही अंदर गया, उसके बॉस ने टाइम देखते हुए कहा, “मैं तुमसे टाइम को लेकर कुछ नहीं कहूंगा। बस मैं तुम्हारे मुँह से वो सच सुनना चाहूंगा, जो मैं जानना चाहता था।” उसकी ये बात सुनकर अनिकेत ने राहत की साँस ली और एक्साइटेड होकर कहा,

Aniket (excited)  - सर इस सच को जानने में मुझे बहुत एफर्ट लगाने पड़े हैं। बहुत टाइम लग गया सर। मैंने भी सोच लिया था कि आज चाहें कुछ भी जाये, पर आज सच जानकर ही रहूँगा। (pause) इन्वेस्टर्स के बैक ऑउट करने के पीछे और कोई नहीं, बल्कि इंडियन लॉबी का हाथ है। कुछ रसूख़दार इंडियंस और फ़ोरेन गवर्नमेंट ने अटैक के बाद उन फॉरेन इन्वेस्टर्स पर प्रेशर बनाया था, जिसकी वजह से उनको इन मैचेस से अपने हाथ खींचने पड़े।”

उसके सच बताते ही बॉस के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी थी। उसने अपनी डेस्क पर हाथ मारते हुए कहा, “मुझे इसका पहले से डाउट था, बस कन्फर्म करना चाहता था। गुड जॉब अनिकेत। अब मुझे तुम्हारे सोर्स के बारे में भी बता दो, वो हमें PCL के बारें में बहुत इन्फॉर्मेशन दे सकता है।

Aniket (denied) - सॉरी सर। मैं उसके बारे में आपको इन्फॉर्मेशन नहीं दे सकता। (pause) हाँ, एक बात और सर। आज बोर्ड प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाला है।

“करने वाला है? ये कहो कि ऑलरेडी कर चुका है। तुम्हारे आने से पहले मैं वही न्यूज़ देख रहा था।” उसके बॉस ने कहा। उसकी बात सुनकर अनिकेत को थोड़ी हैरानी हुई। वो कुछ बोलता उससे पहले ही उसके बॉस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो प्ले कर दिया। बोर्ड ने PCL को पूरे एक साल के लिए Postpone कर दिया था। उसके बॉस का प्रिडिक्शन एक बार फिर सही निकला था। उसने अनिकेत से जो कहा था, ठीक वैसा ही हुआ था। अपनी जीत पर उसका बॉस मुस्कुरा रहा था और अनिकेत मैच पोस्टपोन होने से अपसेट खड़ा था।

अनिकेत की आधी जीत भी हुई थी और आधी हार भी। जीत इसलिए, क्योंकि उसने उस पाकिस्तानी लड़की को टूर्नामेंट postpone होने के बारे में पहले ही बता दिया था और आधी हार इसलिये, क्योंकि टूर्नामेंट postpone होने से उसका पाकिस्तान जाकर उस लड़की से मिलने का ख़्वाब, अब सिर्फ़ ख़्वाब बनकर ही रह गया था।

उसके बॉस से कुछ कहे बिना वो केबिन से बाहर निकला और अपनी डेस्क पर जाकर बैठ गया। उसके अरमानों की माला टूटकर बिखर चुकी थी। डेस्क पर सर रखकर वो काफ़ी देर तक सोचता रहा, तभी उसका मोबाइल वाइब्रेट हुआ। उसने बेमन से मोबाइल चैक किया। उस पाकिस्तानी लड़की ने उसको मैसेज किया था, जिसमें लिखा था,

Heena (explain) - “आपका प्रिडिक्शन सच निकला। आपने हमारा दिल तोड़ दिया।”

इस मैसेज के साथ उसने हार्ट-ब्रेक की इमोजी भी सेंड की थी। अनिकेत ने मैसेज का कोई ज़वाब नहीं दिया। हार्ट तो उसका भी ब्रेक हुआ था। वो समझ चुका था कि वो इश्क़ की जिस ट्रैन में सवार हुआ था, उसमें अब एक साल के लिए ब्रेक लग चुका था। अब बात आगे बढ़ाने से कोई मतलब नहीं था.

शाम को ऑफिस से निकलने के बाद वो अपने कमरे पर नहीं गया था। इसके पीछे का कारण, उसके मकान मालिक का डर नहीं था, बल्कि आज उसका अपने रूम पर जाने का मन ही नहीं था। उसके अपसेट होने के पीछे, एक नहीं बल्कि कई कारण थे। वो पाकिस्तान जाकर अपने दादाजी का पैतृक गाँव देखना चाहता था।

वे रावलपिंडी के पास के एक गांव के रहने वाले थे, जो 1947 के बटवारें के बाद भारत आ गए थे। उनके दिल में अपना गांव छोड़ने का दर्द आख़िरी साँस तक बना रहा था। वे अनिकेत से अक्सर कहा करते थे, “बेटा मैं तो अपने गांव वापस नहीं जा पाया, लेकिन तू एक बार जाकर मेरा गांव ज़रूर देखकर आना। बोल? करेगा न मेरी ये एक छोटी सी ख़्वाहिश पूरी?”

अनिकेत इमोशनल होकर अपना सर हिला देता था। उसको कहा पता था कि दादाजी की गांव की पगडंडियों ने अब उनसे अपना मुँह मोड़ लिया था। उनका गांव अब उनका नहीं रहा था। चाँद तक पहुँचने वाला इंसान, कभी-कभी छोटी-छोटी ख़्वाहिशें पूरी क्यों नहीं कर पाता, ये बात अनिकेत को आज समझ आई थी। उसने अपनी बाइक रोकी और पार्क में रखी एक बेंच पर जाकर बैठ गया।

शाम को पूरा शहर थककर अपने घरों की और लोट रहा था, इसलिए सड़क पर शोर कुछ ज़्यादा ही था। उसका ध्यान पार्क में खेल रहे बच्चों की और गया और काफ़ी देर उनको बिंदास खेलते हुए देखता रहा। वो सोच रहा था,

Aniket (thinking) - कितना अच्छा होता है न बचपन भी। न किसी बात की टेंशन और न ही कोई परेशानी। बस खेलते रहो। बचपन में बिना कुछ सोचे समझे मैं खिलोने तोड़ देता था, आज ज़िंदगी मुझे उसी तरह ही तो तोड़ रही है। लाइफ में पहली बार एक चेहरा पसंद आया था, लेकिन इश्क़ का अफ़साना शुरू होने से पहले ही किस्मत ने उसको अपने आख़िरी अंजाम तक पंहुचा दिया। मैं, न तो दादाजी की इच्छा पूरी कर पाया और न ही अपनी।

अपने दोनों पैरों पर हाथ रखकर वो काफ़ी देर तक अपनी लाइफ के बारे में सोचता रहा। धीरे-धीरे पार्क से बच्चों की आवाज़ भी कम हो गयी थी। रात का अँधेरा बढ़ने लगा तो अनिकेत भी जाने के उठकर खड़ा हुआ। उसने टाइम देखने के लिए अपना मोबाइल निकाला, तो उसी पाकिस्तानी लड़की का मैसेज देखकर चौंक गया। उसको उम्मीद नहीं थी कि टूर्नामेंट कैंसिल होने के बाद उसका कोई मैसेज आएगा। हालांकि अब उसकी उस लड़की से बातें करने की कोई ख़ास इच्छा बची नहीं थी। उसने बेमन से मैसेज देखा। लड़की ने लिखा था,

Heena (excited)  - “लगता है ख़ुदा आपकी हर बात सुन लेता है। उसके ख़ास बंदे हो आप।”

उसने कन्फ्यूज़ होकर उस मैसेज को 2-3 बार फिर से पढ़ा, लेकिन उसको मैसेज का मतलब समझ नहीं आया। उसने पूछा,

Aniket (confused) - क्यों? ऐसा क्यों बोल रही है आप? मुझे तो नहीं लगता कि भगवान मेरे दिल की बात सुनता है, अगर ऐसा होता तो आज मैं अकेला पार्क में नहीं, बल्कि आपके सामने बैठा होता न। I mean टूर्नामेंट कैंसिल ही नहीं होता न?

Heena (upset) - “हमारे सामने क्यों बैठे होते? हम तो Physiotherapist हैं। प्लेयर्स की चोंट ठीक कर रहे होते। जलवे तो आपके है, आराम से बैठकर कैमरे में ख़ूबसूरत चेहरों को देखते रहते आप।”

लड़की ने इस मैसेज के साथ स्माइली सेंड की तो पढ़कर उदास बैठे अनिकेत के चेहरे पर भी स्माइल आ गयी। ज़वाब में उसने भी स्माईली सेंड की और लड़की का नाम पूछ ही रहा था कि तभी गार्ड ने पार्क से बाहर निकलने के लिए विसल बजा दी। उसने चौंककर टाइम देखा। रात के 10 बज चुके थे। पार्क बंद होने का टाइम हो चुका था। उसने जल्दी से अपना हेलमेट उठाया और पार्क से बाहर निकलते हुए एक मैसेज में पूछा,

Aniket (in message) - कुछ ख़ूबसूरत चेहरे बातें तो बहुत करते हैं, पर न जाने क्यों अपना नाम नहीं बताते हैं।

Heena (excited)  - ख़ूबसूरत चेहरे अक्सर बिना पूछे अपना नाम नहीं बताते हैं जनाब। आपने उससे नाम नहीं पूछा होगा, इसलिए उसने बताया नहीं होगा।

Aniket (asking) - बंदा अब पूछ रहा है, फिर भी वो चेहरा सिर्फ़ बातें ही बना रहा है। अब तो आपका नाम बताकर बन्दे के दिल की बेक़रारी का इलाज़ कर दीजिये Physiotherapist साहिबा।

Heena (funny)  - अच्छा आप हमारा नाम पूछ रहे हैं। हमें लगा आप किसी ख़ूबसूरत चेहरे की बात कर रहे हैं। By the way, my name is Heena Abdul khan.”

 

Aniket (thinking) - Wow what a beautiful name. हिना मतलब मेहँदी, क्या बात है।

 

(to heena) - “अब हम पूछेंगे कि आप ख़ूबसूरत नहीं है क्या? फिर आप कहेंगी कि ख़ूबसूरती तो निगाहों का खेल हैं, इसलिए हम आपसे पूछेंगे ही नहीं। कुछ कन्फ्यूज़न बना रहे, वो ही अच्छा होता है।

अनिकेत आज अपने रूम पर काफ़ी लेट पहुँचा था। खाना वो अक्सर मेस में ही खाया करता था। कभी मन होता और फ्री रहता, तब रूम पर खाना बना लिया करता था, वरना नहीं। टूर्नामेंट कैंसिल होने से वो उदास तो था, लेकिन हिना से बात करने के बाद उसकी उदासी थोड़ी कम ज़रूर हो गयी थी या ये समझ लीजिये कि पार्क में हुई बातों से उसका चेहरा अभी तक ख़िला हुआ था। हालाँकि वो थोड़ा कन्फ्यूज़ भी था। उसको समझ नहीं आ रहा था कि जब उसका पाकिस्तान जाना पॉसिबल ही नहीं है? फिर वो हिना की ओर ही खींचा क्यों चला जा रहा था? उसने अपने आप से पूछा, तो ज़वाब आया,

Aniket (thinking) - ज़रूरी तो नहीं कि हर मुहब्बत अपने अंजाम तक पहुँचे। दोस्ती भी तो अपने आप में एक बड़ी चीज़ होती है न? मैं हिना को अपनी दोस्त भी तो समझ सकता हूँ न? ज़रूरी तो नहीं कि उसके दिल में भी मेरे लिए फीलिंग्स हो? और 2 दिन की जान-पहचान में कैसी फीलिंग्स?

अनिकेत को उसका ज़वाब मिल चुका था, जिसका प्रूफ हिना के मैसेज ने दे भी दिया था। उसने पूछा,

Heena (fake angry ) - आपको हमारी ख़ूबसूरती से क्या मतलब हो सकता है? आप तो हमारे कुछ लगते भी नहीं? आप तो हमारे दोस्त भी तो नहीं है न?”

उसकी बात सही थी, अनिकेत को अपनी गलती का एहसास हो चुका था। वो समझ गया था कि उसने लिमिट क्रॉस कर दी थी। उसको ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। उसने हिना से माफ़ी मांगते हुए कहा,

Aniket (shemful)  - सॉरी, मेरा वो मतलब नहीं था। मैंने कुछ ज़्यादा ही सोच लिया था। हालाँकि मैं आपको दोस्त तो समझता ही हूँ।

 हिना ने मैसेज सीन किया और मैसेज टाइप करने लगी। वो मुझे एक दोस्त भी समझती है या नहीं? यहीं सोचकर अनिकेत के दिल की धड़कने एक बार फिर से बढ़ चुकी थी।

क्या आगे अनिकेत की एक तरफ़ा फीलिंग्स की आग को हवा देगी हिना? या फिर कर देगी बात बंद? हिना के बारे में ऐसा कौन सा खुलासा करेगा वीरेंद्र कि सुनकर खिसक जाएगी अनिकेत के पैरों के नीचे की ज़मीन?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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