अनिकेत अपने मकान मालिक के ऑरा से डरा हुआ था। उसने जैसे ही अपने कमरे की डोर- बेल की आवाज़ सुनी, वो और ज़्यादा पैनिक हो गया। वो अब किसी भी कंडीशन में अपने मकान मालिक से मिलना नहीं चाहता था। उधर लगातार बेल बज रही थी और इधर अनिकेत पैनिक होकर बचने के लिए आइडिया सोच रहा था, लेकिन घबराहट की वजह से वो कुछ नहीं सोच पा रहा था। आख़िर में उसने घबराकर पूछा,
Aniket (shocked) - क…. कौन है?
“मैं हूँ वीरेंद्र, दरवाज़ा क्यों नहीं खोल रहा?” उसके इतना बोलने के बाद एक झटके के साथ दरवाज़ा खुला। अनिकेत ने उसकी कॉलर पकड़ कर अंदर खींचा और जल्दी से दरवाज़ा बंद कर दिया। वो पिछली रात के बाद से ही वीरेंद्र से नहीं मिलना चाहता था। पिछली रात उसके दोस्त ने जो कहा था, उससे अनिकेत समझ गया था कि वीरेंद्र की सोच सही नहीं है, इसलिए वो अब उससे थोड़ा दूर ही रहना चाहता था। उसने वीरेंद्र को दीवार की ओर धकाते हुए फुसफुसाकर पूछा,
Aniket (angry/ slow ) - बार-बार बेल बजाने की जगह, एक बार आवाज़ नहीं दे सकता था क्या? और ऐसा क्या काम आ गया तुझे, जो बिना कॉल किये ही मेरे कमरे पर आ गया? क्या तुझे पता नहीं, दिन में ऑफिस रहता है मेरा?
उसको छोटी सी बात का बतंगड़ बनाते देखकर वीरेंद्र को उस पर ग़ुस्सा भी आ रहा था और वो हैरान भी था। वो अभी तक दीवार से चिपका हुआ था। अचानक हुए इस इंसिडेंट की वजह से उसकी साँसे बढ़ चुकी थी और वो हैरानी से अनिकेत को घूरते हुए सोच रहा था, “मैंने ऐसा क्या कर दिया, जो ये इस तरह की हरकत कर रहा है? हो क्या गया है इसको?” उसने अनिकेत को धक्का मारकर अपने आप को छुड़ाया और खड़ा होकर हाँफने लगा। इधर अनिकेत बड़बड़ाते हुए कह रहा था,
Aniket (angry & slow) - तेरी ये हर टाइम मज़ाक की आदत अच्छी नहीं लगती मुझे। इंसान का मूड कैसा है? ये देखे बिना बस शुरू हो जाता है। आख़िर तुझे दिन में यहां आने की ज़रूरत क्या थी? आने से पहले मुझे कॉल करना था न?
अब वीरेंद्र को अपने दोस्त पर ग़ुस्सा आ गया। उसने चिल्लाकर कहा, “तो अब तेरे पास आने से पहले मुझे परमिशन लेनी पड़ेगी क्या? और मैं तेरे पास नहीं आया था, ये बस एक को-इंसीडेंस था। मैं तेरी गली से निकलकर जा रहा था, नीचे तेरी बाइक देखी, तो तुझे कॉल लगाया, लेकिन वो स्विच ऑफ़ बता रहा था, इसलिए डायरेक्ट ऊपर आ गया। मैंने बस गलती यही कर दी कि तुझे आवाज़ नहीं दी। उसके लिए सॉरी, जा रहा हूँ मैं।”
इतना बोलकर वो कमरे से बाहर निकल गया। अनिकेत को अब अपनी गलती पर रिग्रेट हो रहा था। उसको समझ आ चुका था कि वो टेंशन में उससे कुछ ज़्यादा ही बोल गया था. वीरेंद्र को मनाने के लिए वो उसके पीछे दौड़ा। उसने भी अब कसम खा ली थी कि वो अब न तो कभी अनिकेत के रूम पर आएगा और न ही कभी उससे बात करेगा। अनिकेत पीछे से चिल्ला रहा था,
Aniket (loud) - भाई एक मिनिट मेरी बात तो सुन। सॉरी यार, मैं किसी और बात से परेशान था। तू बार-बार डोरबेल बजा रहा था, इसलिए डर गया था। रुक जा यार वीरेंद्र।
उसके सॉरी बोलने के बाद भी वीरेंद्र नहीं रुका। उसके चिल्लाने की आवाज़ सुनकर उसका मकान मालिक बाहर निकलकर आ गया था। उसको देखते ही अनिकेत सीढ़ियां पर ही खड़ा रह गया। वो ग्राउंड फ्लोर पर होता, तो बाहर भाग जाता और फिर मकान मालिक पूरी लाइफ ढूंढता, तब भी वो नहीं मिलता, मगर वो बीच सीढ़ी पर खड़ा था। वीरेंद्र ने बाइक स्टार्ट की और अपने दोस्त को प्रॉब्लम में अकेला छोड़कर चला गया। मकान मालिक की सच्चाई जानने के बाद अब उसको अपने सामने देखते ही अनिकेत का पूरा शरीर कांप रहा था।
उसको इस तरह अपने से डरते देखकर, हैरान तो उसका मकान मालिक भी था। अनिकेत कुछ बोलता, उससे पहले ही उसने कहा, “तेरी प्रॉब्लम सॉल्व हो गयी है. मेरे सोर्सेस ने पता लगा लिया है कि PCL से उसके इन्वेस्टर्स ने बैक ऑउट क्यों किया?” ये सुनकर उसको थोड़ी राहत ज़रूर मिली थी, लेकिन अभी भी उसका डर ख़त्म नहीं हुआ था। उसने डरते हुए पूछा,
Aniket (asking & scared ) - क….क क्यों किया था अंकल?
“तू सबसे पहले तो मुझसे डरना बंद कर। मेरे चेहरे पर अचानक सींग उग आये है क्या? भूत दिख रहा क्या muतुझे? जो कांप रहा है? इतनी ही प्रॉब्लम है तो कल ख़ाली कर देना मेरा रूम। तू इतने सालों से मेरे पास रह रहा था, इसलिए तुझ पर भरोसा करके अपने बारे में थोड़ा बता दिया था। उसने डरने की कौन सी बात है? पूरा mood ख़राब कर दिया मेरा।”
उसको दो बातें सुनाकर उसका अंकल मुड़ा और वापस अपने कमरे में घुस गया। वो अभी तक सीढ़ियों पर ही खड़ा था। वो कुछ भी डिसाइड करने की कंडिशन में नहीं था। उसको PCL का सच भी जानना भी था और वो अंकल के पास जाना भी नहीं चाहता था। वो सीढ़ी पर ही बैठ गया। बिना सच जाने, उसका वहां से जाने का कोई मलतब नहीं था। वो काफ़ी देर तक सोचता हुए बड़बड़ाता रहा ,
Aniket (thinking & panic) - मेरी एक गलती से मेरा पूरा करियर बर्बाद हो जायेगा। बिना इन्फॉर्मेशन के ऑफिस जाने का मतलब, अपनी जॉब से फायर होना। इस अंकल के पास जाना भी तो किसी ख़तरे से कम नहीं है। कहां फँस गया यार? इधर कुआँ है और उधर खाई। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। पता नहीं ये अंकल अब मुझे PCL के बारे में सच बताएगा भी या नहीं?
यही सब सोचता हुआ वो काफ़ी देर वही बैठा रहा और अचानक उठकर उसके मकान मालिक के घर की मेन एन्ट्रेंस पर पहुंचा। उसने खिड़की से झांक कर देखा तो वो ग़ुस्से में अपना मुँह फुलाये बैठा था। उसको देखकर अनिकेत को अपनी सोच पर डाउट होने लगा और वो सोच रहा था,
Aniket (thinking ) - ये अंकल किस एंगल से लग रहा है कि ये सीक्रेट सर्विस एजेंट होगा या फिर दो नंबर के धंधे करता होगा। बच्चों की तरह मुँह फुलाकर बैठा हुआ है। इसके बारे में मैंने कुछ ज़्यादा ही सोच लिया था शायद। PCL का राज़ जानने के लिए अब इसको किसी तरह बेवकूफ़ तो बनाना ही पड़ेगा।
(to landlord) - अंकल आप तो बुरा मान गए। मैं आपसे नहीं, अपने दोस्त से डर रहा था। उसने अचानक रुम में आकर मुझे डरा दिया था, इसलिए मेरी बॉडी शिवरिंग कर रही थी. आपसे डरने के कोई कारण ही नहीं है मेरे पास, फिर क्यों डरूंगा। अब अपने छोटे भाई पर ग़ुस्सा करना बंद करो और मुझे PCL के बारे में बताओ प्लीज़।
उसका मकान मालिक यही तो चाहता था कि वो उसको एक नॉर्मल इंसान समझे। उसने अपनी एक्टिंग से अनिकेत को कन्वेंस कर लिया था। अपनी जीत पर ख़ुश होकर उसने अपने चेहरे से ग़ुस्से का कवर उतारा और डोर खोलकर बोला, “तू जानना चाहता है न? PCL से उसके इन्वेस्टर्स ने हाथ क्यों खींचे? तो सुन। उन्होंने हाथ खीचें नहीं थे, बल्कि उनको ऐसा करने के लिए मज़बूर किया गया था।”
Aniket (shocked) - व्हाट? लेकिन कोई उनको मज़बूर क्यों करेगा? और सबसे बड़ी तो ये हैं कि वे लोग किसी और की बात मानेंगे ही क्यों?
“तुझे ये तो पता है न? दुनिया के हर देश में इंडियंस मौज़ूद है? और वे बहुत important पोस्ट पर बैठे हुए है। आज पूरा world, हम इंडियंस की पॉवर का लोहा मानता है, ये बात जानता है न तू? तो फिर समझ ले कि इंडियन लॉबी ने उसको PCL से अपना इन्वेस्टमेंट वापस लेने के लिए मज़बूर किया था। आख़िर में हारकर उनको ऐसा करना भी पड़ा। अब इससे ज़्यादा और कुछ मत पूछना मुझसे।”
उसने अनिकेत को समझाने की कोशिश की, पर उसको अपने मकान मालिक की बात ज़्यादा कुछ समझ नहीं आई थी। वो इतना ज़रूर समझ गया था कि इंडिया से उलझने का ईनाम मिला था पाकिस्तान को। उसने अपना दूसरा और सबसे important सवाल पूछा,
Aniket (confused) - अच्छा अंकल ये तो बता दीजिये कि PCL, अब फिर से कब स्टार्ट हो सकता है? कोई डेट या फिर मंथ?
अब उसके मकान मालिक सुनील शुक्ला को उस पर डाउट होने लगा था। उसने अनिकेत को घूरकर देखते हुए पूछा, “सच बता, तू PCL के मैचों पर पैसे लगता है न? आख़िर तुझे PCL में इतना इंट्रेस्ट क्यों हैं?”
Aniket (irritated) - कैसी बातें कर रहो हो अंकल आप. आपको कितनी बार बताना पड़ेगा कि मेरी कंपनी ने PCL के मैचों को कवर करने के लिए एग्रीमेंट किया है। हम लोग पाकिस्तान में जाकर मैचेस शूट करने के लिए टीम भी बना चुके थे, लेकिन हमें उन लोगों ने VISA ही नहीं दिया, फिर India-pakistan के बीच ये सब हो गया और अब तो टूर्नामेंट ही कैंसिल हो गया।
अंकल थोड़ा रिलैक्स हुआ और PCL मैचेस की नेक्स्ट डेट बताई। उसकी बात सुनकर अनिकेत शॉक्ड रह गया था। सोफ़े से अचानक उठते हुए उसने तेज़ आवाज़ में पूछा ,
Aniket (shocked) - what? Are you sure?
ज़वाब में उसके मकान मालिक ने मुस्कुराकर अपनी पलकें झपका दी। एक अधूरे ज़वाब के साथ वो बाहर निकला और अपने रूम में जाने के लिए आगे बढ़ गया।
अनिकेत सीढ़ियां चढ़ते हुए काफ़ी थका हुआ लग रहा था। ऐसा लग रहा था, जैसे अपने मकान मालिक का ज़वाब सुनने के बाद उसकी बॉडी में जान ही नहीं बची हो। इसी कंफ्यूज़न के साथ वो अपने रुम के अंदर आया और बेड पर गिर गया। उसको सुनील के दावें पर पूरी तरह बिलीव नहीं हो रहा था, तभी उसको PCL ग्रुप की उसी लड़की के बारे में याद आया जिसको उसने पिछली रात मैसेज किया था। सच जानने के लिए अनिकेत ने उसे मैसेज किया,
Aniket (in message) – Hiiii, any update about our visas?
उसको उस लड़की से बात करने का एक नया बहाना मिल चुका था। वो एक बार फिर से सारी टेंशन भूलकर उससे बात करने के लिए एक्साइटेड हो गया था। उस लड़की की ये एक ख़ासियत भी थी कि वो तुरंत उसका मैसेज सीन reply देती थी। इस बार भी उसने जैसे ही मैसेज सीन किया, अनिकेत एक्साइटमेंट में बेड से उठकर बालकनी में जाकर खड़ा हो गया।
उसके दिल की धड़कन एक बार फिर बढ़ चुकी थी। लड़की ने उसके मैसेज का ज़वाब देते हुए कहा,
Heena (in message) - सॉरी, हम आपको मैसेज करने ही वाले थे. हमने इसके बारे में अपने सीनियर से पूछा था, तब उन्होंने हमारे सामने ही किसी को कॉल करके आपके VISA के बारे में अपडेट लिया और कहा कि VISA डिपार्टमेंट ने अभी इस मामलात में कोई डिसीज़न नहीं लिया है। थोड़ा वक़्त और लग सकता है।
अनिकेत ने मैसेज पढ़ा, तब तक उसने सेंकड मैसेज सेंड कर दिया था, जिसमें उसने लिखा था,
Heena (in message) - India-pakistan टेंशन के बाद PCL के बोर्ड मेंबर्स की लगातार मीटिंग्स चल रही है। यहां हालात कुछ ठीक नहीं लग रहे हैं। कुछ भी हो सकता है। अभी कुछ कहना मुश्किल है. बोर्ड आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करने वाला है। उसके बाद कुछ क्लियर हो सकता है।
ये मैसेज पढ़कर अनिकेत मुस्कुरा दिया। उसे पहले से ही पता था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या होने वाला है। वो उस लड़की को सच बताकर उसे इम्प्रेस करना चाहता था, तभी उसको उसके बॉस की वार्निग याद आ गयी और रुक गया। हालाँकि वो ये भी जानता था कि लड़की को इम्प्रेस करने के लिए इससे अच्छा मौका फिर नहीं मिल सकता था। वो सोच रहा था,
Aniket (thinking) - क्या करना चाहिए मुझे? सच बता दूँ क्या? लड़की PCL का सच जानकर पहले तो मेरी बात पर यकीन ही नहीं करेगी। वो मुझे बार-बार मैसेज करेगी। उससे बात करने के लिए इससे अच्छा जरिया और क्या हो सकता है? फिर जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेरी बात सच निकलेगी, तो मुझसे इम्प्रेस हो जाएगी और फिर तो..... कहने ही क्या अनिकेत बाबू (Laugh)
वो बहुत ज़्यादा एक्साइटेड हो गया था। उसने ये तो सोच लिया था कि लड़की इम्प्रेस हो जाएगी, पर वो ये नहीं देख पा रहा था कि उसका एक मैसेज, पूरे PCL बोर्ड में हड़कंप मचा सकता था और उसका एक मैसेज भारत-पाकिस्तान के बीच फिर से टेंशन क्रिएट कर सकता था।
क्या PCL का सच उस लड़की को बता पायेगा अनिकेत? क्या उसकी एक गलती फँसा देगी उसको किसी बड़ी मुसीबत में? आख़िर क्या है उस अनजान लड़की की असली सच्चाई?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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