डिनर टेबल पर काव्या के मम्मी पापा कुछ देर आँखें बंद करके अपने पितृों को याद कर रहे थे और चंचल काव्या के बगल में बैठी अपने फ़ोन में इंस्टाग्राम स्क्रोल कर रही थी। काव्या को अपने सामने बैठे पीयूष के चेहरे को देख कर ही गुस्सा आ रहा था। इसलिए उसने भी आँखें बंद कर ली थीं। आँखें बंद करते ही काव्या के दिमाग़ में सिर्फ़ आर्यन का ही खयाल आ रहा था। घर पर अभी जिस तरह का माहौल था, आर्यन उसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था, साथ ही काव्या का भी मन कर रहा था कि जितनी जल्दी हो सके वह यहाँ से निकल जाए।

कुछ देर बाद जब डिनर शुरु हुआ तो सब लोग शांति से बैठे खाना खाने में लग गए थे। धीरे-धीरे पीयूष और काव्या के पापा में बातचीत हो रही थी जिसे देख कर काव्या का गुस्सा और बढ़ता जा रहा था। काव्या कि माँ अचानक चंचल से बोली,

काव्या की मॉम: "क्या सोचा है तूने? घर वापिस आने का इरादा है या अपनी बहन की तरह तुझे भी बाहर ही बसेरा बनाना है?"

इस पर चंचल ने अपने अंदाज़ में कहा,

चंचल: "अभी फिगर आउट नहीं किया है। पर जल्दी करके आपको बात दूँगी!"

ये सुनते ही मॉम का मुंह बन गया था। तभी पीयूष ने सबका अटेन्शन अपनी तरफ़ लेते हुए पूछा।

पीयूष: "माफ़ करना आंटी जी, लेकिन इस उम्र में बच्चों को घर से बाहर भेज देना चाहिए जिससे वह घर से बाहर की दुनिया को और समझ पाए।"

पीयूष के इतना बोलने से ही काव्या ने गुस्से में पूछ लिया,

काव्या: "वैसे आप यहाँ क्या कर रहे हैं? इसको किस लिए यहाँ बुलाया गया है?"

काव्या के ऐसा बोलने से उसकी मॉम बोलीं, "

काव्या की मॉम: पीयूष तुम्हारा बॉयफ्रेंड ज़रूर था पर इस घर से भी उसका कोई रिश्ता रहा है! "

काव्या अब इन सवाल जवाब से पीछे नहीं हट सकती थी। बहस की शुरुआत हो चुकी थी। काव्या के पापा हमेशा की तरह शांत हो कर चुप चाप सुन रहे थे। काव्या ने जवाब देते हुए कहा,

काव्या: "जो भी आप लोगों के बीच रिश्ता था। उसकी शुरुआत मेरे से ही हुई थी और जब मेरा नहीं रहा तो अब आपके बीच का रिश्ता क्या ही मैटर करता है?"

काव्या की बात सुनकर पीयूष बोला,

पीयूष: "सॉरी काव्या! पर रिश्तों में कंफ्यूजन हो जाती है। पर कुछ रिश्ते दोबारा मन जाते हैं। मुझे पता है, मैने ग़लत किया। बहुत ग़लत किया। पर गलती इंसान से ही होती है और आज मैं तुम्हारी पूरी फैमिली के सामने तुमसे माफ़ी भी मांगता हूँ।"

पीयूष को यूं माफ़ी मांगते देख कर काव्या की मॉम से निकला।

काव्या की मॉम: "देखो कितना अच्छा लड़का है! आज की दुनिया में कौन अपने किए की माफ़ी मांगता है!"

चंचल जो अभी तक चुप चाप डिनर पर फोकस कर रही थी। उसने मॉम को तुरंत लुक दिया। काव्या को वहाँ बैठे-बैठे घुटन महसूस हो रही थी जैसे उसका पूरा परिवार उसके बारे में न सोच कर पीयूष की हरकतों को जस्टफाइ करने में लगे थे।

उसने पीयूष को नफ़रत भरी नज़र से देख कर कहा,

काव्या: "पीयूष! अगर तुम चाहते हो कि मैं तुम्हें माफ़ कर दूं तो तुम यहाँ से निकल जाओ और जैसा कि मैंने पहले कहा था, अपनी शक्ल यहाँ मत दिखाना!"

काव्या की मॉम तुरंत बोल पड़ीं,

काव्या की मॉम: "अरे! इतना घमंड किस बात का है तुझे? कमाने लगी है, अपने नए घर में रहने लगी है। तो तुझे लग रहा है कि तुझे किसी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। बाकियों की फैमिली में माँ बाप बॉयफ्रेंड बनने तक नहीं देते। हमने तो फिर भी तेरे प्यार को देख कर पीयूष को घर का हिस्सा मान लिया था और अब तुझस्से ये रिश्ता नहीं निभाया जा रहा। आजकल की लड़कियों को कुछ ज़्यादा ही आज़ाद होने का शौक हो गया है!"

काव्या की मॉम लगातार एक टीवी सीरियल में आने वाले डायलॉग की तरह बोली जा रही थीं। कुछ समय बाद जब चंचल को लगा ये ज़्यादा हो गया था। उसने टोकते हुए कहा,

चंचल: "बस करो मॉम! कुछ सोच समझ कर बोलना आप ज़रूरी नहीं समझते क्या? उस बंदे ने दी के साथ चीटिंग करी थी और आप लोग उसको यहाँ बैठा कर डिनर करवा रहे हो!"

चंचल को अचानक से अपनी बहन की साइड लेते देखकर मॉम चिढ़ते हुए बोलीं,

काव्या की मॉम: "तू क्या बोल रही है? तू ख़ुद बिना बताए यहाँ से गायब जब हुई थी तो किसने तुझे रखा था अपने घर?"

बहस शुरू हो चुकी थी। काव्या को लगने लगा था उसने यहाँ आने का सोचा ही क्यों। धीरे-धीरे चीजें काव्या के लिए और बेकार होने लगीं थी और काव्या के पापा शांत बैठे सब सुन रहे थे। काव्या ने अचानक गुस्से में वहाँ से उठते हुए कहा,

काव्या: "आप लोगों को बुला कर मेरे पास्ट के बारे में ही बातें करनी थी, तो मुझे न ही बुलाते। क्योंकि मैं तो अपने पास्ट से निकल चुकी हूँ और मुझे दोबारा उस दलदल में नहीं जाना।"

तभी पीयूष बोला,

पीयूष: "हाँ पास्ट से तुम निकल चुकी हो। वह तो मुझे पता चल गया है। अब तुम्हारा फ्लैटमेट ही..."

ये कहते-कहते पीयूष रुक गया था और उसके बाद काव्या के पापा ने अचानक से खाना-खाना छोड़ दिया और काव्या को देखने लगे थे। काव्या की मॉम भी काव्या को आंखें फाड़े देख रहीं थीं। क्या पीयूष ने जान बूझ कर आर्यन का ज़िक्र उसके घरवालों के सामने किया था? ये सोच कर काव्या का पारा पीयूष के लिए चढ़ने लगा था।

काव्या की मॉम ने पूछा,

काव्या की मॉम: "तुम्हारा? कौन है फ्लैटमेट? किसी लड़के के साथ रह रही है तू?"

काव्या ने कोई जवाब नहीं दिया। उसको रोना आने लगा था इस तरह से उसके साथ सवाल जवाब होते देखकर। इसके पहले उसका ब्रेकडाउन होता, चंचल ने काव्या का हाथ कसकर पकड़ लिया। चंचल के हाथ पकड़ते ही काव्या की आंखें छलछला उठी थीं।

चंचल ने मॉम को चुप कराते हुए,

चंचल: "प्लीज चुप हो जाओ मम्मा!"

पीयूष को देखते हुए उसने चिल्लाया,

चंचल: "... और तू क्या बकवास कर रहा है? काव्या दी ने सही किया कि तेरे पास रुकने नहीं दिया। पहले दी को चीट करके किसी और के साथ गया फिर वहाँ भी बात नहीं बनी तो वापिस दी के पास चला आया।"

काव्या के पापा जो अब चुप हो कर सारा तमाशा सुन रहे थे। अचानक से चुप्पी तोड़ते हुए उन्होंने कहा,

काव्या के पापा: "बस! बहुत कर लिया सबने तमाशा। घर में सबको पितरों की शांत करने के लिए बुलाया गया। पर तुम लोगों को किसी की नहीं पड़ी। शांत बनाने के बजाय यहाँ तमाशा खड़ा कर दिया और मैने पहले ही कह दिया था इस घर के कुछ उसूल हैं। यहाँ से बाहर रहना एक बात थी पर किसी लड़के के साथ रहना? क्या ये तुम दोनों को सही लगता है?"

काव्या के पापा के सीधा ऐसा बोलने से, काव्या को ऐसा लगा कि अब आर्यन वाली बात सामने आ ही चुकी थी। तो उसको छुपा कर रखने का कोई फायदा नहीं था। जिस मेंटल पीस को बचाने के लिए उसने इस बारे में बात करना ज़रूरी नहीं समझा। अब जब इतना बवाल मच चुका था तो इस बारे में बात करना कुछ ज़्यादा नहीं होगा। काव्या ने अपने आंसुओं को पोछा और सबके सामने बोला,

काव्या: "हाँ मुझे ग़लत नहीं लगता। मैं एक लड़के के साथ रह रही हूँ।"

ये सुनकर काव्या की मॉम को शॉक लगा क्योंकि उनको काव्या ने मॉल में उस दिन ये बताया था कि वह किसी लड़की के साथ रह रही थी। अब ये जानते हुए कि उनकी दोनों लड़कियाँ किसी अनजाने लड़के के साथ रह रही थीं उनको चक्कर आने लगे।

काव्या ने अपनी बात को आगे रखते हुए कहा,

काव्या: "और क्या हो गया, किसी के लड़के के साथ रहने में? ये मेरी अपनी चॉइस है। आपके उसूल मैं तब तक मान सकती हूँ जब तक वह मेरी ज़िन्दगी में मुझे एक्सप्लोर करने से नहीं रोक रहे और रही बात यहाँ आ कर ड्रामा क्रीऐट करने की। तो इसके ज़िम्मेदार तो आप दोनों ख़ुद हैं। क्योंकि ये जानते हुए भी पीयूष से मेरा ब्रेक अप चुका था, ये आदमी मुझे धोखा दे कर किसी और के साथ शादी करने चला गया था। उसको यहाँ बुला कर आप किसके लिए रिश्ते निभा रहे हैं? आपके लिए आपके बच्चों की ख़ुशी से ज़्यादा कुछ और इम्पॉर्टन्ट है तो वह बच्चे आपके उसूलों को क्यों ही मानें!"

काव्या के ये बोलते हुए घर में सन्नाटा छा गया था। काव्या का बोलते-बोलते गला रूंध गया था पर उसने अपने माँ पापा से सवाल पूछा,

काव्या: "मैं पूछती हूँ, क्या ज़रूरत थी इस आदमी को यहाँ बुलाने की? किसके लिए आपने इसको यहाँ बुलाया था?"

चंचल ने भी काव्या का साथ देते हुए कहा,

चंचल: "बिल्कुल, ये कौन-सा हमारी फैमिली का मेंबर है? जो इसको यहाँ बुलाया गया।"

पीयूष के चेहरे का रंग उतर गया था। उसके बारे में जब काव्या और चंचल इस तरह बात कर रहे थे। काव्या के पेरेंट्स ने पहली बार दोनों बहनों को एक साथ इस तरह अपने लिए लड़ते हुए देखा था।

उनके पूछे गए सवालों का जवाब देने के लिए उनकी मॉम ने बोला,

काव्या की मॉम: "पीयूष को इस घर में इसलिए बुलाया गया है, जिससे कि हम तुम्हारे रिश्ते की बात आगे बढ़ा पाएँ। तुम दोनों को फिर से मिला पाएँ और हमारी सोच पर सवाल उठा रही हो तुम दोनों आज, जिन्होंने तुम दोनों को इतना बड़ा किया है, वह माँ बाप अभी भी तुम लोगों की भलाई के बारे में सोच रहे हैं इसलिए हमने काव्या का घर ऐसे इंसान से बसाने के लिए जिससे उसने इतना प्यार किया था, घर बुलाया था। पर इसने तो हमें ही विलेन बना दिया।"

काव्या हैरान थी कि उसके घरवाले अभी भी पीयूष के साथ उसकी शादी की बात कैसे कर सकते थे। काव्या ने सख़्त लहजे में पूछा,

काव्या: "आपको सच में लगता है, ऐसा आदमी जो एक बार धोखा दे कर छोड़ के जा सकता है, वह मेरे लिए सही होगा? क्या वह मुझे दोबारा छोड़ के नहीं जायेगा?"

पीयूष चाह कर भी अपनी नजरें ऊपर नहीं कर पा रहा था। काव्या के इस तरह सवाल करने से उसे लगा जैसे अगर उसने अभी कुछ बोला नहीं तो सब उसे ग़लत ही समझेंगे। उसने धीरे से बोलते हुए कहा,

पीयूष: "काव्या! मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई थी। उस वक़्त मेरा दिमाग़ फिर चुका था। पर अब मैं पूरा बदल चुका हूँ। तुम ये क्यों नहीं देखती कि तुमको मनाने के लिए मैंने कितनी कोशिशें की। तुमको तुम्हारा पसंदीदा रिकार्ड प्लेयर भेजा। तुमसे मिलने रेस्टोरेंट तक आया। मैने ही तुम्हारे लिए वह गाउन भी चूस किया था, जो तुम्हारे फ्लैटमेट आर्यन ने तुम्हें गिफ्ट किया था।"

ये सुनते ही काव्या शॉक्ड हुई थी कि गाउन वाली बात आर्यन ने उसे नहीं बताई थी और आर्यन और पीयूष पहले मिल चुके थे, इस बात को ले कर कभी आर्यन ने उससे बात नहीं की।

पीयूष आगे काव्या से बार-बार सॉरी बोलता जा रहा था। उसने यहाँ तक कि काव्या को उसके घरवालों के सामने वादा करते हुए कहा,

पीयूष: "मैं वादा करता हूँ कि मैं ये गलती दोबारा नहीं करूंगा। मैं तुम्हे कभी छोड़ कर नहीं जाऊंगा।"

ये सब सुन कर काव्या की सांसे और गहरी होती जा रही थीं। पीयूष के इस ड्रामे का असर काव्या पर पड़े न पड़े, उसके घरवालों पर पूरा पड़ रहा था।

तभी काव्या के पापा ने काव्या के सामने अपनी बात को कठोर शब्दों में रखते हुए कहा,

काव्या के पापा: "मुझे कुछ नहीं सुनना। मैने फ़ैसला कर लिया है, पीयूष के घरवालों के साथ बात करके मैं तुम्हारा और पीयूष का रिश्ता पक्का करना चाहता हूँ!"

इस पर काव्या ने भी ऐलान कर दिया,

काव्या: "और मैं ये रिश्ता नहीं बनाना चाहती। तो आप क्या मेरे साथ जबरदस्ती करेंगे?"

काव्या के ऐसा बोलने से काव्या की मॉम की आंखें और चौड़ी हो गई थी। उसके पापा ने काव्या को ऐसे देखा जैसे काव्या ने इस तरह से बर्ताव करके उनके दिल को दुख पहुँचाया हो।

काव्या की मॉम बोलीं,

काव्या की मॉम: "ठीक है! फिर घर में मातम मनाने भी मत आना। बेटा तो है नहीं, बेटियों से भी कोई उम्मीद नहीं रखी जाएंगी।"

इमोशनल ड्रामा सुनकर काव्या थक चुकी थी। उसने अपना पर्स उठाया और वहाँ से निकलने की तैयारी करने लगी। चंचल ने गुस्से से घरवालों की तरफ़ देखा और फिर पीयूष की तरफ़ देख कर उसका दिमाग़ और खराब हो गया था। उसने भी काव्या का साथ दिया और वह दोनों अपने पेरेंट्स को पीयूष के साथ छोड़ कर निकल आए थे।

काव्या को ख़ुशी भी थी और हैरानी भी कि उसके साथ पहली बार उसकी बहन चंचल थी। उसने चंचल का हाथ पकड़ा। हालांकि चंचल ने ज़्यादा कुछ इमोशन्स दिखाए नहीं पर काव्या का हाथ पकड़े चलती रही।

काव्या को खुशी भी थी और हैरानी भी कि उसके साथ पहली बार उसकी बहन चंचल थी। उसने चंचल का हाथ पकड़ा। हालांकि चंचल ने ज़्यादा कुछ इमोशन्स दिखाए नहीं पर काव्या का हाथ पकड़े चलती रही।

घर पर पीयूष ने काव्या के पेरेंट्स से ये कहा,

पीयूष: “आप लोग चिंता मत करिए। काव्या आपके पास लौटकर ही वापिस आयेगी। ये मेरा वादा है!”

काव्या और चंचल रास्ते में कैब से घर जाते हुए यही सोच रहे थे कि आखिर ऐसी क्या वजह थी जिसकी वजह से उनके मम्मी पापा, पीयूष के साथ ही रिश्ता करवाने पर तुले थे। चंचल ने इस बारे में काव्या से कहा,

चंचल: “तुम्हे नहीं लगता, पापा का पीयूष के साथ शादी करने को ले कर इतना फोर्स करना अजीब सा था। मेरा मतलब है, कुछ और भी बात है जिसकी वजह से वो दोनों तुम्हारी शादी पीयूष से करने में उतावले  लग रहे थे।”

काव्या ने चंचल की बातों में सहमति जताई। काव्या को भी यही बात लग रही थी जैसे इन सब चीज़ के पीछे पीयूष की कुछ चाल तो थी।

आखिर किस वजह से काव्या के घरवाले उसे पीयूष के साथ शादी करवाने के लिए पीछे पड़े थे? क्या पीयूष अपनी कोशिशों में कामयाब हो पाएगा? क्या काव्या और आर्यन के बीच फिर से आएगा कोई भूचाल? जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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