दोनों तरफ से प्यार की शुरुआत हो चुकी थी। पर पुरानी खिलाड़ी ने दोबारा एंट्री ले ली थी। हालांकि प्रज्ञा का टेक्स्ट आर्यन ने देखा नहीं था।

काव्या और आर्यन कॉफी शॉप से बात करते करते सड़क के किनारे चलने लगे थे। आर्यन ने काव्या से हमज़ा के बारे में पूछा,

आर्यन: “तो तुम्हें कैसा लग रहा है अभी ये जानकर कि हमज़ा तो अपरिचित निकला?”

इस पर काव्या ने आर्यन की तरफ आंखे मींचते हुए देख कर बोला,

काव्या: “कैसा भी नहीं लग रहा! आजकल तो मुझे लगता है किसी पर भी ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता!”

आर्यन ने काव्या से मज़ाक करते हुए कहा,

आर्यन: “किसी पर भी नहीं मतलब मेरे पर भी नहीं?”

काव्या थोड़ा मुस्कुराई, थोड़ा सोच में पड़ी। फिर बोली,

काव्या: “तुम पर थोड़ा थोड़ा! पर अगर तुमने मुझे धोखा दिया या अपनी कोई अपरिचित सी साइड दिखाई तो फिर तुम देखना, मैं तुम्हारा क्या हाल करती हूं!”

आर्यन ज़ोर से हंसा। और हंसते हुए उसने काव्या के कंधे पर हाथ रख दिया। काव्या मुस्कुराई और दोनों कुछ देर तक सड़क के किनारे यूं ही चलते रहे।

कुछ देर बाद दोनों को ही अपने अपने ऑफिस जाना था। तो आगे से दोनों अपने अलग अलग रास्ते पर निकल गए।

काव्या जब ऑफिस पहुंची तो बॉस ने उसको चिल्लाते हुए कहा,

काव्या की बॉस: “काव्या? वेयर आर यू ? तुम्हारे डिजाइंस रेडी हैं?”

काव्या जो अभी तक आर्यन के ख्यालों में खोई हुई थी। अचानक से चौंक गई और उसे याद आया वो अपने काम को बीच में छोड़ कर चली गई थी। और उसने डिजाइंस रेडी नहीं किए थे।

इससे पहले कि वो कोई जवाब देती, बॉस ने कहा,

काव्या की बॉस: “मुझे नहीं पता, बट क्लाइंट हमारा वेट कर रही हैं। शैलजा से अब तुम्हें ही डील करना होगा।”

ये सुनकर काव्या के पसीने छूट गए थे। वो जैसे ही शैलजा के पास पहुंची। तो शैलजा ने पूछा,

शैलजा: “ई वॉन्ट टू सी  ऑप्शंस। आर यू रेडी?”

काव्या ने झिझकते हुए कहा,

काव्या: “सॉरी! मुझे थोड़े और समय की जरूरत है। और मुझे आपके स्पेस को एक बार और विजिट करना है, कुछ चीजें एक्सपेरिमेंट करने के लिए!”

काव्या ने जब ये बोला तो वहां उसकी बॉस भी मौजूद थी। जिसने ये सुनते ही काव्या को गुस्से भरी नजरों से देखा। उसकी बॉस को डर लग रहा था कि शैलजा इस बात पर कैसे रिएक्ट करेगी। उसने बीच में पड़कर काव्या पे चिल्लाते हुए कहा,

काव्या की बॉस: “ व्हाट्स रौंग विद यू, काव्या? तुम्हें ये अब तक कर लेना चाहिए था। लेकिन तुमने नहीं किया। क्लाइंट को हम ज्यादा समय तक…”

काव्या की बॉस इससे आगे कुछ कहती, शैलजा ने बीच में उसे टोक दिया। शैलजा ने कहा,

शैलजा: “इट्स ओके ! वैसे भी मैने अभी इतनी जल्दी चीजें एक्सपेक्ट भी नहीं की थीं। काव्या आराम से टाइम ले कर मुझे बता देना।”

शैलजा के मुंह से ये सुनकर काव्या की बॉस और काव्या दंग रह गए। काव्या की बॉस कुछ देर तक समझ ही नहीं पाई कि अचानक से शैलजा ने रिएक्ट क्यों नहीं किया।

काव्या ने शैलजा को थैंक यू बोला। और वहां से निकल कर अपने डिजाइंस की तैयारी करने में लग गई। आज पूरा दिन जैसे उसी का हो। काव्या को ऐसा लग रहा था जैसे कितने समय बाद वो अपनी जिंदगी के हर पल को खूबसूरती से जी रही हो। अपने घर से निकल कर उसने लाइफ में कितना कुछ एक्सपीरियंस किया था। हालांकि घर में पहले रहते हुए भी उसने रिलेशनशिप, ब्रेक अप के सफर तय किए थे पर अकेले रहने पर चीजें ज़्यादा एक्साइटिंग लग रही थीं।

घर के बारे में ख्याल आया ही था कि काव्या के पास उसकी मॉम का कॉल आया। काव्या को याद था पिछली बार उसकी मॉम ने कितना ड्रामा क्रिएट किया था।

वो थोड़ा फोन उठाने में हिचकी फिर ये सोच कर कि वो सब संभाल लेगी। उसने फोन उठा कर कहा,

काव्या: “हां मॉम बोलो!”

पर उधर से मॉम की नहीं काव्या के पापा की आवाज आई।

काव्या के पापा: “मॉम नहीं मैं बोल रहा हूं। तुम्हारा पापा!”

ये सुनते ही काव्या के होश उड़ गए। वो इसके पहले आगे कुछ भी बोलती, उसके पापा ने कहा,

काव्या के पापा: “आज तुम्हारी दादी का श्राद्ध है। तो तुम दोनों घर आ जाना। मैं नहीं चाहता मेरी मां की आत्मा को तुम लोगों की वजह से दुख पहुंचे!”

इतना बोलते ही पापा ने फोन काट दिया था। काव्या को समझ नहीं आ रहा था कि उसे खुश होना चाहिए या दुखी। ये जो कुछ भी फीलिंग थी, खुशी और दुख के बीच कहीं महसूस हो रही थी। इतने टाइम बाद उसके पापा ने उसको कॉल किया था। और घर पर भी बुलाया था। लेकिन अभी भी वो ये सब अपनी मां की आत्मा की खुशी के लिए कर रहे थे, अपनी बेटियों की खुशी के लिए नहीं। काव्या ने घर चलने के लिए चंचल को भी टेक्स्ट कर दिया था।

चंचल ने हमज़ा को ऐसा सबक दिया था जिसके बाद हमज़ा के दिमाग के सारे तार हिल गए थे। पर चंचल के पास फ्लैट पर करने को कुछ भी बचा नहीं था। वो वहां पूरे दिन बोर हुआ करती थी। बीच में कभी कभी मूवी देखती, फिर सिगरेट जला कर खिड़की के पास या कभी बालकनी में बैठ जाती।

जब अचानक काव्या का टेक्स्ट आया कि आज पापा ने घर बुलाया है तो चंचल ने सोचा “फाइनली कुछ ड्रामा आया लाइफ में!” और वो घर जाने के लिए एक्साइटेड हो गई।

उधर आर्यन अपने ऑफिस में मंद मंद मुस्कुराता हुआ अपनी डेस्क पर बैठा सीलिंग को ताड़ रहा था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि काव्या ने खुद आ कर उसे “आई लव यू” बोला। उसका दिल चाह रहा था कि वो ज़ोर ज़ोर  से नाचे और गाए। आसपास सबको बता कर चिल्लाए, कि फाइनली उसे वो मिल गया जो उसे चाहिए था।

काव्या के बारे में सोचते हुए आर्यन ने ख्यालों के महल बना लिए थे। वो दोनों साथ में कैसे फ्लैट पर अब रहेंगे, कैसे धीरे धीरे उनका रिश्ता और रहने का ढंग बदलेगा। ख्यालों की दुनिया अभी भी रुकी नहीं थी। धीरे धीरे उसके मन में शादी के भी ख्याल आने लगे थे।

अपने ख्वाबों की दुनिया में खोए हुए आर्यन को ज़रा भी इस बात की भनक नहीं थी कि उसकी जिंदगी में जल्द ही एक तेज़ आंधी चलने वाली थी।

ऑफिस का सारा स्टाफ अपने अपने प्रोजेक्ट में मशगूल था तभी आर्यन के बॉस ने कंपनी की नई एम्प्लॉय से सबका इंट्रोडक्शन कराया। सब लोग हैरान थे कि ऐसा कौन था जिसके लिए सबके सामने इस तरह एनाउसमेंट करने बॉस खुद आए थे।

आर्यन ने भी जब बॉस की तरफ देखा तो उसे अंदाजा नहीं था कि वो जिस नए एम्प्लॉय की बात कर रहे थे, वो और कोई नहीं आर्यन की एक्स प्रज्ञा ही थी।

प्रज्ञा जिसके कपड़े पहनने का स्टाइल बिलकुल बदल चुका था, सबके सामने खड़ी हुई थी। बॉस ने कहा,

आर्यन के बॉस: “हमारी कंपनी ने जिस कंपनी के साथ कॉलेबोरट  किया है उस कंपनी  की फाउंडर की ये बेटी हैं। और ये हमारे साथ ही इंटर्न की तरह शुरुआत कर रही हैं।”

आर्यन प्रज्ञा को देख कर हैरान हो गया था क्योंकि अंदाजा नहीं था प्रज्ञा उसकी जिंदगी में ऐसे कम बैक करेगी। आर्यन को समझ नहीं आया कि वर्क स्पेस में प्रज्ञा के आने की क्या वजह थी? क्या प्रज्ञा वाकई बदल चुकी थी जैसा उसने उसकी प्रोफाइल में भी देखा था। या ये सब उसका एक नया ड्रामा था।

आर्यन को प्रज्ञा का यहां अचानक आना इतना समझ नहीं आ रहा था पर उसे ये ज़रूर पता था अब प्रज्ञा, उसके और काव्या के बीच तो नहीं आ सकती थी। क्योंकि आर्यन काव्या को ले कर एक पार्टनर के तौर पर पक्का था।

प्रज्ञा ने सारे लोगों से मुलाक़ात की। और आखिरी में आर्यन के पास आ कर कहा,

प्रज्ञा: “हेलो, आर्यन सर! कैसे हैं आप?”

प्रज्ञा के मुंह से सर सुनकर आर्यन हैरान हो गया था कि ये वो प्रज्ञा का कौन सा नया रूप देख रहा था। उसने प्रज्ञा के इस अवतार पर विश्वास न करते हुए कहा,

आर्यन: “सर? प्लीज आप मुझे आर्यन ही बुलाईए! वैसे ये कंपनी ज्वाइन करने का कोई स्पेशल कारण?”

आर्यन की बात सुनकर प्रज्ञा के चेहरे पर न कोई गुस्सा आया और न ही कोई चिढ़न। उसने प्यार से स्माइल करते हुए कहा,

प्रज्ञा: “जिंदगी में जीने के लिए कुछ पर्पज चाहिए होता है। पहले टाइम में मेरा अपना कोई पर्पज नहीं था। सिर्फ दूसरों की जिंदगी में ही अपना रोल समझती थी। उन्हीं से ही अपने लिए सब कुछ एक्सपेक्ट करती थी। अपने आप को पर्पज देने के लिए मॉम की हेल्प  से मैने ये कंपनी ज्वाइन कर ली है। अब यहां रहकर मैं अपनी जिंदगी के हर एरिया  को बैलेंस कर पाऊंगी।”

आर्यन को अपने कान पर भरोसा नहीं हो रहा था। वो जो कुछ भी सुन रहा था वो सच था? आर्यन प्रज्ञा के थोड़ा पास आ कर उसको गौर से देखने लगा। जैसे ही वो प्रज्ञा के पास आया। प्रज्ञा ने उसको रोकते हुए कहा,

प्रज्ञा: “सॉरी आर्यन! मैं तुम्हें अब किस नहीं कर सकती! अब हम साथ में नहीं हैं..!”

प्रज्ञा ने जैसे ही आर्यन को रोका, आर्यन का दिमाग चकराने लगा था। उसने तुरंत झिड़कते हुए कहा,

आर्यन: “ओ! मैं तुम्हें किस करने आने वाला भी नहीं था। मैं तो बस देख रहा था कि तुम जो ये सारी बातें कह रही हो, वो सच है कि झूठ। और उसका जवाब आंखें ज्यादा अच्छे से बोल सकती थीं। क्योंकि आंखें कभी झूठ नहीं बोला करतीं।”

प्रज्ञा ने आर्यन की बात पर फिर मुस्कुरा दिया। और शांत हो कर कहा,

प्रज्ञा: “झूठ लगे, या सच लगे! मुझे अब इससे फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि अब तुम सिर्फ मेरे लिए ऑफिस में साथ काम करने वाले कलीग ही हो। चलो मैं देखती हूं मेरा काम क्या क्या है! आज तो मेरा फर्स्ट डे है, मुझे पहले हर चीज से रूबरू होना पड़ेगा, आगे काम शुरू करने के लिए!”

प्रज्ञा आर्यन को स्माइल पास करती हुई वहां से निकल गई। आर्यन वहीं खड़े सोच में पड़ गया था कि अब कौन सा ड्रामा प्रज्ञा फैलाने वाली थी? सबसे ज़रूरी बात जो उसे समझ नहीं आ रही थी वो ये थी कि प्रज्ञा के उसके ऑफिस ज्वाइन करने के बारे में वो काव्या को बात बताए कि नहीं?

काव्या कहीं ये जानकर गुस्सा ना हो जाए। क्योंकि काव्या ने पहले भी कहा था अगर आर्यन काव्या की लाइफ में आता है तो आर्यन को अपनी एक्स से हमेशा के लिए दूर रहना होगा। पर आर्यन की जिंदगी में घूम फिर कर प्रज्ञा राहु केतु की तरह आ जा रही थी।

वहीं दूसरी तरफ, काव्या अपना काम खत्म करके अपने फ्लैट पर निकलने की सोच रही थी तभी उसका मन किया कि वो आर्यन को भी अपने घर ले चले।

इसी बहाने वो उसके घरवालों से मिल लेगा। पर वो अभी अपने और आर्यन के रिश्ते के बारे में उन्हें नहीं बताना चाहती थी, यहां तक कि वो उन्हें ये भी नहीं बताना चाहती थी कि वो इस समय आर्यन के साथ रह रही थी।

ऐसा सोचते हुए उसने आर्यन को घर ले जाने का प्लान कैंसल कर दिया। उसने सोचा, अभी के लिए वो सिर्फ चंचल के साथ ही अपने घर जायेगी। वैसे भी अभी जब उसके पापा ने उसकी जिंदगी जीने के तरीके को नहीं अपनाया था। तो आर्यन के बारे में जानकर वो और ज्यादा भौखला जायेंगे।

ऑफिस से निकलने पर काव्या ने चंचल को मैसेज कर दिया था कि वो रास्ते में उसे पिक अप करके घर साथ में चल लेगी।

काव्या को लेकिन मन में उलझन सी हो रही थी क्योंकि इतने समय बाद अपने पापा से मिलना अजीब हो जायेगा। और कॉल पर पापा की बात करने के ढंग को सुनने के बाद तो काव्या को और भी ज्यादा घबराहट हो रही थी।

जैसे ही काव्या चंचल के साथ अपने घर पर पहुंची। तभी दरवाजे पर उसको पीयूष भी नज़र आया। पीयूष को वहां देख कर काव्या और चंचल के चेहरे के रंग बदल गए। उन्हें समझ ही नहीं आया कि आखिर पीयूष यहां क्या कर रहा था!

काव्या ने गुस्से में पीयूष की तरफ बढ़ते हुए पूछा,

काव्या: “तुम यहां क्या कर रहे हो?”

इस पर पीयूष ने कहा,

पीयूष: “मुझे दरअसल अंकल ने ही यहां बुलाया है।”

काव्या को भरोसा नही हुआ कि उसके पापा ने पीयूष को भी यहां बुलाया था। पीयूष और काव्या के पापा पहले काफी एक साथ अच्छा वक्त साथ में स्पेंड करते थे। पीयूष से काव्या के ब्रेक अप के बाद से ही पीयूष का काव्या के यहां आना जब बंद हो गया था। जिस वजह से काव्या के पापा और पीयूष में जो बॉन्ड बन रहा था वो भी खत्म हो गया था। अब इतने टाइम बाद काव्या के पापा ने पीयूष को अचानक कैसे घर पर बुला लिया था। ये बात काव्या को नहीं समझ आ रही थी।

तभी उन्होंने अपने घर की बेल बजाई और उसकी मॉम ने दरवाजा खोला। दरवाजा खोलने के बाद सबसे पहले मॉम की नजर चंचल पर पड़ी। उन्होंने चंचल को उसके अचानक घर छोड़ देने के बाद से देखा नहीं था। आज अचानक देख कर उनके अंदर के सारे इमोशंस एक्टिव हो गए थे।

अंदर जाते ही काव्या अपने पापा से मिली। जो डिनर टेबल पर बैठे उनका इंतजार कर रहे थे। इससे पहले वो पापा से मिलने जाती, पीयूष पापा के गले जा कर लग चुका था। जिसे देख कर काव्या का मन हुआ कि वो अभी उस घर से निकल जाए। पर वो आज के दिन कोई भी ड्रामा नही करना चाहती थी। चंचल, काव्या, पीयूष और काव्या के मां, बाप सब टेबल पर बैठे एक दूसरे को अजीब तरह से देख रहे थे। इस दौरान काव्या के मन में बस एक ही बात चल रही थी कि उसके घरवालों को पीयूष के बुलाने की वजह क्या थी?

आखिर काव्या के पापा ने पीयूष को क्यों बुलाया था? क्या प्रज्ञा के वापस आने से, काव्या और आर्यन की जिंदगी में आएगा कोई भूचाल? क्या काव्या के घरवालों को काव्या और आर्यन आर्यन के रिश्ते के बारे में पता चलेगा? जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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