काव्या जब दरवाज़ा बंद करके अपने रूम में आई। तो उसने सबसे पहले शीशे में ख़ुद को देखा। उसके शरीर पर वह गाउन अच्छा तो लग रहा था पर काव्या को उसमें घुटन महसूस हो रही थी।

उसने गाउन को फाड़ दिया जैसे वह आज की हमज़ा के साथ हुई याद को मिटाना चाहती हो।

और अगली सुबह जब वह उठी तो उसने देखा आर्यन घर पर कहीं नहीं था। आर्यन के रूम में भी जा कर उसने देखा तो उसका सामान कुछ बैग में बंधा हुआ और कुछ इधर उधर बिखरा पड़ा हुआ था। ये देख कर काव्या को समझ नहीं आया कि आख़िर अचानक आर्यन कहाँ गायब हो गया था।

कुछ देर बाद चंचल आधी नींद में उठी जोकि किचन में पानी पीने आ रही थी। उसने काव्या को यूं परेशान होते हुए देख कर पूछा,

चंचल: "क्या हुआ इतना परेशान क्यों नज़र आ रही हो?"

काव्या ने कहा,

काव्या: "वो, वह आर्यन कहाँ गया? रात भर तक तुम लोग साथ बैठे रम पी रहे थे। सुबह उठ कर कहाँ चला गया? और उसका सामान ये पैक करके कैसे रखा है?"

चंचल ने एक-एक घूंट करके पानी पिया। तब तक काव्या उसके जवाब का इंतज़ार कर रही थी। पानी की आखिरी घूंट लेने के बाद उसने कहा,

चंचल: "वो चला गया!"

इस पर चौंकते हुए काव्या ने कहा,

काव्या: "चला गया? कहाँ चला गया?"

चंचल ने दोबारा वही बोला,

चंचल: "वो चला गया! उसका ये बाक़ी बचा सामान वह बाद में आ कर ले जायेगा। वह घर छोड़ कर गया।"

ये सुनते ही काव्या को ऐसा लगा जैसे उसके पैर के नीचे से किसी ने ज़मीन खींच ली हो। अभी शर्त पूरे होने में एक दिन बचा था और काव्या ने अभी तक आर्यन से कुछ कहा भी नहीं था। तो आर्यन ने अचानक ख़ुद यहाँ से जाने का फ़ैसला कैसे कर लिया। वह सोच में पड़ गई कि आर्यन के लिए शर्त इतनी भी क्या इंपोर्टेंट थी। काव्या को आर्यन के यहाँ साथ में रहने से कोई दिक्कत नहीं थी। बल्कि उसे आर्यन के साथ इस घर में अच्छा लगता था हालांकि ये बात उसने कभी आर्यन से एक्सप्रेस नहीं की थी।

काव्या ने चंचल से पूछा,

काव्या: "पर वह ऐसे अचानक क्यों गया?"

चंचल ने उबासी लेते हुए कहा,

चंचल: "कोई अपनी सेल्फ रीस्पेक्ट की धज्जियाँ कब तक उड़ाता रहेगा? उसने तुमको और ऊपर वाले लड़के को गार्डन में गले लगते हुते देख लिया था!"

काव्या ये सुन कर चौंक गई कि आर्यन ने उसे हमज़ा के साथ देख लिया था। पर आर्यन को बहुत बड़ी गलतफहमी हो गई थी क्योंकि उसे पता ही नहीं था कि हमज़ा के साथ पिछली रात हुआ क्या था और उसे आर्यन को सब कुछ बताना होगा। उसने तुरंत आर्यन को फ़ोन करने की कोशिश की। पर आर्यन का नंबर स्विच ऑफ आ रहा था। आर्यन अपने ऑफिस में आज एक दिन की छूटी बिताने के बाद वापिस आ चुका था और अपने प्रोजेक्ट की तैयारी में लग गया था। वैसे ही आर्यन का ध्यान पिछली रात की बातों से बंटा हुआ था। उसके बाद उसने अपने फ़ोन से भी distract न होने के लिए उसने फ़ोन स्विच ऑफ करके रख दिया था।

ऑफिस का काम ख़त्म करने के बाद, वह आज अपना कुछ सामान अपने कॉलेज के एक पुराने दोस्त के घर पर ले जायेगा और उसने कुछ दिन वहीं रुकने का प्लान बना लिया था। उसने तय कर लिया था कि वह वहाँ रुकने के बाद, अपने नए घर, नई बसेरे की तलाश करेगा।

वहीं दूसरी तरफ़ काव्या परेशान थी। वह आर्यन को अपनी feeling के बारे में बताना चाहती थी। सुबह उठने के बाद उसके पास हमज़ा के भी कई टेक्स्ट आए थे। जिसमें उसने बार-बार सॉरी लिखा था। काव्या अपने दिल को बार-बार नहीं दुखाना चाहती थी। वैसे भी पीयूष के साथ हुए किस्से के बाद से उसने अपने दिल को और प्रोटेक्ट कर लिया था।

हमज़ा के सारे टेक्स्ट जब काव्या सीन करके छोड़ रही थी। तो वह काव्या से मिलने नीचे घर तक आ गया। जैसे ही उसने बेल बजाई तो दरवाज़ा चंचल ने खोला था। चंचल को देखते ही हमज़ा मुस्कुराया और उसने कहा,

हमज़ा: "जी! दरअसल मुझे काव्या से बात करनी थी! वह कहाँ हैं?"

चंचल ने कहा,

चंचल: "वो तो ऑफिस निकल गई है। पर अगर आपको उसकी बहन से बात करनी है तो अंदर आ सकते हैं।"

हमज़ा कुछ देर वही खड़ा रहा। फिर कुछ सोच कर अंदर आ गया। अंदर आते ही चंचल ने हमज़ा से कहा,

चंचल: "मैं अपने लिए रेड पास्ता बना रही हूँ! तुम खाओगे?"

पास्ता सुनते ही हमज़ा को कल की रात याद आई और उसने न चाहते हुए भी हाँ कह दिया। वह अभी इस वक़्त किसी की कंपनी चाहता था। कल रात से वह अपनी की हुई चीजें याद करते हुए सो नहीं पा रहा था। उसने जेब से सिगरेट निकाली और जलाने लगा। तभी चंचल ने पूछा,

चंचल: "तुमने तो कहा था कि तुमने सिगरेट छोड़ दी है!"

सिगरेट का कश लेते हुए हमज़ा ने कहा,

हमज़ा: "हाँ मैंने छोड़ दी थी। पर आज से फिर मन कर गया। वैसे तुम पियोगी?"

हमज़ा ने अपनी सिगरेट चंचल की तरफ़ बढ़ाई। चंचल ने हमज़ा के हाथ से सिगरेट ली और बुझा कर डस्टबिन में फेंक दी। ये देख कर हमज़ा को समझ नहीं आया कि ये कैसा मज़ाक था। उसने चंचल से पूछा,

हमज़ा: "ये? ये क्या किया?"

चंचल ने आहिस्ते से कहा,

चंचल: "सिगरेट पीना सेहत के लिए हानिकारक है! इसलिए तुमको नहीं पीनी चाहिए!"

हमज़ा का गुस्सा उसके चेहरे पर दिखने ही वाला था तभी उसको अपना कल का बर्ताव याद आया और उसने शांत हो कर कहा,

हमज़ा: "मैं नहीं पीता हूँ। बस आज ही मन किया तो पीने लगा था।"

इस बात पर चंचल ने बोला,

चंचल: "जिस आदत पर इनसान बार-बार वापस आ जाए। इसका मतलब है ऐसी आदतें छूटी नहीं हैं।"

चंचल की मुंह से ये बात सुनकर हमज़ा हैरान था कि जो चंचल, कुछ समय पहले तक अपनी ही बहन के एक्स के घर जा कर, वहाँ रहने की बेवकूफी भरी हरकत कर रही थी और आज बड़ी-बड़ी बातें कर रही थीं।

उधर काव्या अपने ऑफिस जब पहुँची थी तो उसकी बॉस ने उससे उसके डिजाइंस रेडी रखने को बोल दिए थे। पर काव्या सिर्फ़ और सिर्फ़ आर्यन के बारे में सोच रही थी। उसने फिर से आर्यन के नंबर पर कॉल करने का ट्राई किया। इस बार घंटी जा रही थी पर आर्यन ने कॉल नहीं उठाया। काव्या को इतनी बेचैनी हो रही थी जैसे अगर उसने अपनी बात कहने से लेट कर दिया तो आर्यन को वह खो देगी।

काव्या ने सोचा, अब उसके पास सीधे आर्यन के ऑफिस में जाने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं था। वह अपना काम बीच में छोड़ कर आर्यन से मिलने उसके ऑफिस की तरफ़ निकल गई थी। रास्ते में जाते हुए उसने कई कॉल और टेस्ट किए पर वहाँ से किसी का भी कोई जवाब नहीं आया।

मेट्रो स्टेशन चेंज करते हुए काव्या आर्यन के ऑफिस के नजदीकी मेट्रो स्टेशन तक पहुँच रही थी। रास्ते भर उसके मन में वही संवाद चल रहा था जो वह आर्यन से करने वाली थी।

वहाँ फ़्लैट पर, रेड पास्ता बन के तैयार हो चुका था। चंचल ने हमज़ा को एक प्लेट पर निकाल कर दिया। उसके बाद उसने हमज़ा से पूछा,

चंचल: "इसके ऊपर तुम कुछ डालना चाहोगे? ओरगनो या ब्लैक पेपर?"

ब्लैक पेपर सुनते ही हमज़ा ने बोला,

हमज़ा: "नहीं! सॉरी मुझे ब्लैक पेपर से एलर्जी है।"

ऐसा बोलने के बाद उसके दिमाग़ में फिर से पिछली रात के पल याद आ गए थे।

चंचल ने बिना कुछ डाले हमज़ा को दिया। उसके बाद उसने हमज़ा से पूछा,

चंचल: "तो फिर कल तुम्हारी डेट कैसी रही?"

ये सुनकर हमज़ा को धंसका लग गया। चंचल ने तुरंत पानी ला कर दिया। पानी पीते हुए हमज़ा ने सोचा कि काव्या ने डेट की बात के साथ-साथ वह सब कुछ चंचल को बताया होगा। उसने चंचल से पूछा,

हमज़ा: "तुम्हे डेट के बारे में काव्या ने क्या बताया?"

चंचल ने कहा,

चंचल: "कुछ नहीं!"

पर सच बात तो ये था चंचल सब कुछ जानती थी। काव्या ने सुबह-सुबह ही चंचल को हमज़ा के साथ हुई डेट के बारे में बता दिया था।

चंचल ने इसीलिए हमज़ा से ब्लैक पेपर पाउडर के बारे में भी पूछा था। हमज़ा को जब लगा कि शायद काव्या ने अपनी बहन को कुछ नहीं बताया। तो उसने कुछ देर सोचते हुए कहा,

हमज़ा: "डेट एक्चुअली काफ़ी अच्छी हुई। तुमने वह गाउन देखा, वह मैने उसे गिफ्ट में दिया था। शी वास लुकिंग अमेज़िंग!"

हमज़ा के मुंह से लगातार झूठ सुनने के बाद चंचल ने पूछा,

चंचल: "अच्छा? पता चला तुमने वेटर पर चिल्ला दिया था...!"

ये सुनते ही हमज़ा के होश उड़ गए थे। उसके बाद चंचल ने आगे कहा,

चंचल: "और तो और वह ड्रेस तुमने मेरी दी को वहीं रेस्टोरेंट के वाशरूम में पहनने को बोली थीं।"

हमज़ा ने चेहरे पर पसीने की बूंदें दिखने लगी थीं। उसे ऐसा लगा जैसे कोई पुलिस ऑफिसर उससे इन्टेरगैशन कर रहा हो।

वो कुछ बोलता इससे पहले चंचल ने साफ़ साफ बोल दिया,

चंचल: "क्या हुआ मिस्टर हमज़ा, आपको आज गुस्सा नहीं आ रहा? कल तो शायद आपने अपने सारे ट्रॉमा पर अपने ऐंगर इशू दिखा दिए थे! आज क्या हुआ, मिस्टर अपरिचित?"

हमज़ा को समझ नहीं आया कि वह क्या बोले। उसने लड़खड़ाती ज़ुबान से कहा,

हमज़ा: "वो... वह एक गलतफहमी हो गई। तुम्हारी बहन ने कल की हमारी बातों को ग़लत तरह से ले लिया था!"

चंचल ने जब ये देखा कि हमज़ा अभी भी ख़ुद को डिफेंड करने में लगा था। उसने कड़वे शब्दों में कहा,

चंचल: "शक्ल अच्छी होने से ज़रूरी नहीं दिमाग़ भी अच्छा हो। खैर! अगर आपने पास्ता खा लिया हो तो वहाँ किचन में ये बर्तन धुल कर अच्छे से जाइएगा और रही काव्या दी की बात तो वह अब आपसे तो मिलने से रहीं। अब दोबारा इस घर की तरफ़ भी आने की ज़रूरत नहीं है। वैसे भी अब यहाँ रहने वाले फ्लैटमेट, पार्टनर बनने वाले हैं।"

ऐसा सुनते ही हमज़ा हक्का बक्का रह गया। पहली बार किसी ने उससे इस तरह बात की थी। जो सीधे उसके ego पर लगी थी। वह शर्मिंदा होते हुए वहाँ निकल गया था।

उधर काव्या आर्यन के ऑफिस पहुँची तो रिसेप्शन पर उससे पूछा गया।

 "मैम आपको किससे मिलना है?"

काव्या ने आर्यन का नाम बताया तो उसे पता चला आर्यन थोड़ी देर पहले ही वहाँ से निकल चुका था।

काव्या ने इसके बाद कई कॉल्स ट्राई किए पर आर्यन ने उसका कोई कॉल नहीं उठाया। मानो जैसे वह काव्या से रूठ के बैठा हो। तभी उसने चंचल को फ़ोन करके आर्यन को कॉल करके उसका पता पूछने को कहा।

चंचल ने कुछ देर बाद काव्या को बताया कि वह एक बुक स्टोर में है।

बुक स्टोर सुनते ही काव्या समझ गई थी कि आर्यन आख़िर कार कहाँ था। आर्यन पहले की तरह बुक स्टोर पर नहीं बल्कि उसके सामने के एक कैफे में बुक लिए बैठा पढ़ रहा था।

काव्या सीधे काफ़ी शॉप में घुसी और आर्यन के सामने वाली कुर्सी पर बैठते हुए बोली,

काव्या: "लगता है, आपको भी रोमांटिक नोवेल का शौक लग गया है।"

काव्या ने उसी अंदाज़ में ये बात बोली थी जब वह लास्ट बार भी आर्यन को अपना फ़्लैट मेट बनाने के लिए उससे ढूँढते इसी कॉफी शॉप में चली आई थी।

उसकी आवाज़ सुनते ही, आर्यन के होश उड़ गए। उसने चेहरे का रंग बदल गया था। उसको एक पल के लिए विश्वास नहीं हुआ कि ये काव्या ही उसने सामने बैठी थी। काव्या ने आर्यन के हाथ से बुक छीनते हुए कहा,

काव्या; "वाह! तुम सच में ये किताब पढ़ रहे हो? ब्रेक उप बाइबल!"

काव्या को अपने सामने यूं देख कर आर्यन ने कहा,

आर्यन: "तुम यहाँ? तुम यहाँ कैसे?"

इस बात पर काव्या ने मुस्कुराते हुए कहा,

काव्या: "दरअसल मैं अपने फ़्लैट मेट से मिल कर ये कहने आई थी। क्या वह मेरे साथ पार्टनर बन कर रहना चाहेगा?"

ये सुनते ही आर्यन के होश उड़ गए थे। कुछ देर तक उसे भरोसा नहीं हुआ कि काव्या ने अभी-अभी उससे क्या कहा था।

तभी वेटर ने आ कर ऑर्डर पूछा। तो काव्या ने वेटर से कहा,

काव्या: "2 हॉट कॉफी!"

पिछली बार आर्यन ने अपने लिए यही काफ़ी मंगाई थी और इस बार ये बात काव्या पहले से जानती थी।

आर्यन को कुछ समझ नहीं आ रहा था। कल से आज तक वह जिस कहानी को अपने दिमाग़ में बना चुका था। वह अचानक से काव्या के वहाँ आने पर धुंधली होती जा रही थी।

उसने काव्या से पूछा,

आर्यन: "मतलब? तुम और हमज़ा?"

काव्या जानती थी कि आर्यन के दिमाग़ ने हमज़ा को ले कर बहुत सवाल होंगे। उसने धीरे-धीरे करके सारी बात आर्यन को बताई।

सारी बातें जानने के बाद आर्यन को हमज़ा पर गुस्सा आने लगा था। उसे बिलकुल उम्मीद नहीं थी कि हमज़ा इस तरह की हरकत करेगा।

पर उसके मन में अभी भी कुछ सवाल थे जिनके जवाब वो काव्या से आनिस्टी  के साथ चाहता था।

उसने काव्या से पूछा,

आर्यन: “अगर हमज़ा इस तरह बर्ताव नहीं करता तो क्या तुम मेरे पास नहीं आती? क्या मेरे पास आने की वजह मेरे से ज्यादा हमज़ा का इस तरह से बर्ताव करना था?”

तभी वेटर ने दोनों कॉफी रखीं।

काव्या ने आर्यन की आंखों में आंखें डालते हुए कहा,

काव्या: “शायद हां भी, शायद नहीं भी! मैं तुम्हारे बारे में तब श्योर नहीं हुई थी जब हमज़ा ने कस कर मेरा हाथ पकड़ा था। मैं जान तो तब ही गई थी जब हमज़ा ने मुझे प्रपोज किया था। क्योंकि उसके प्रपोज करने के बाद भी मुझे अंदर से खुशी नहीं महसूस हो रही थी। मेरे मन में सिर्फ एक ही के लिए ख्याल दौड़ रहा था। और वो तुम थे आर्यन! वो तुम ही थे। ये बात मैं शुरू से जानती थी पर पता नही क्यों मुझे ऐसा लग रहा था, मैंने बिना परखे, तुमको हां कह दिया तो मैं खुद को फिर से हर्ट कर लूंगी। पर तुमने सब्र के साथ मेरा हर कदम पर साथ दिया। तुम सही थे, मैं डरी हुई थी। मैं बेवकूफ थी।”

ये कहने के बाद काव्या हंसने लगी। उसकी आंखों में अपने आप आंसू भी आ गए थे। इसके पहले वो कुछ बोलती, आर्यन ने काव्या का हाथ पकड़ते हुए कहा,

आर्यन: “काव्या! आई लव यू!”

काव्या की आंखें छलछला उठी थीं और उसने आर्यन के हाथ पर दूसरा हाथ रखते हुए कहा,

काव्या: “ई लव यू टू, आर्यन!”

दोनों एक दूसरे को बस देखते ही रह गए थे। कॉफी शॉप में लोग भी उन दोनों को देख रहे थे। आखिर आर्यन शर्त जीत चुका था। उसने वादा किया था कि काव्या खुद उसके पास आयेगी और आज वही सच भी हो गया था।

काव्या ने स्माइल करते हुए कहा,

काव्या: “तो फिर डील पक्की! मिस्टर पर्मानेन्ट रूम्मेट!”

तभी आर्यन के फोन में प्रज्ञा का टेक्स्ट आया।

प्रज्ञा: “हाए, आई यम बैक!”

क्या आर्यन और काव्या एक साथ पार्टनर की तरह रह पाएंगे? क्या प्रज्ञा का टेक्स्ट करना लायेगा फिर से कोई नया भूचाल? क्या हमज़ा प्रज्ञा की जिंदगी में दोबारा आने की कोशिश करेगा? जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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