"तुम्हारी माँ मुझे पसंद नहीं करती?" रेबेका ने अचानक सिर उठाया। उसकी आँखें चौड़ी हो गईं।
मेल्विन के चेहरे पर एक अजीब हंसी आ गई, "ठीक है, हो सकता है कि तुम्हारा अंदाजा सही हो। वो तुम्हें अभी नहीं जानती। लेकिन वो अपनी परंपरा को लेकर काफी स्ट्रिक्ट है। लेकिन मुझे जानता है कि मैं एक ऐसी लड़की से रिलेशनशिप में रहने जा रहा हूँ, जो मेरे बारे में बहुत कुछ नहीं जानती फिर भी मेरे साथ खड़ी है।"
रेबेका ने सिर हिलाकर समझाते हुए कहा।
"मेरे मॉम–डैड चाहते हैं कि मैं किसी डॉक्टर या इंजीनियर से शादी करूँ। उन्हें कभी इस बात की परवाह नहीं रही कि मैं किससे प्यार करती हूँ। उन्हें बस अपनी पसंद से मतलब है।" रेबेका ने गहरी साँस ली। उसके कंधे उदासी से झुक गए, "जबकि जिस लड़के से मैं प्यार करती हूँ? वो एक कलाकार है। उन्हें लगता है कि ये एक ऐसा दौर है जहां कलाकारों की कोई इज्जत नहीं होती।"
"तुम्हारी खुशी मेरे लिए मायने रखती है। आखिर में उन्हें भी ये समझना होगा। मुझे यकीन है, वे मान जाएँगे।" मेल्विन ने अपनी आवाज़ धीमी और गंभीर रखते हुए कहा।
ट्रेन रेलवे स्टेशन पर रुकी। अचानक हुए शोर–शराबे ने उनकी बातचीत को रोक दिया था।
आज छुट्टी का दिन था। मेल्विन ने रेबेका से मिलने का ये प्रोग्राम बनाया था। ट्रेन रुकी तो वे हलचल भरी रात में बाहर निकले। उनके नए रिलेशनशिप की तासीर शाम की ठंडी हवा से बिल्कुल अलग थी।
"थैंक्यू मेल्विन!" रेबेका ने कहा। उसकी आँखें मेल्विन की आंखों से जा मिली थीं, "तुमसे बात करके मेरा मन हल्का हो जाता है। कभी कभी बहुत डर लगता है कि पता नहीं तुम मुझे समझो या न समझो।"
"ऐसी कोई बात नहीं होने वाला रेबेका!” उसने जवाब दिया, "और शायद… मुझे नहीं पता कि मैं सही हूं या नहीं लेकिन मेरी मां के बारे में तुम्हारा ख्याल कहीं न कहीं ठीक ही है।"
रेबेका मेल्विन की बात सुनकर उदास हो गई।
“तुम्हें शायद इस बात से फर्क नहीं पड़ना चाहिए रेबेका।” मेल्विन ने कहा, “मेरी मां क्या सोचती है ये मेरी प्रॉब्लम है। वो मैं देख लूंगा। तुम ये सोचो कि तुम्हारी फैमिली हमारे इस रिलेशनशिप को कैसे एक्सेप्ट करेगी?”
“मैं उन्हें समखाऊंगी मेल्विन।” रेबेका ने मेल्विन की आंखों में देखते हुए कहा, “फिलहाल ये सब छोड़ो और जिस लिए आज हम मिले हैं उसे एंजॉय करते है। आओ, मैं तुम्हें यहां के सबसे अच्छे कैफे में ले चलती हूं।”
रेबेका मेल्विन को लेकर शानदार कैफे के अंदर घुस गई।
“इस कैफे में तुम कुछ भी ऑर्डर कर दो, यहां की हर एक चीज बहुत शानदार है।” रेबेका ने कहा, “मैं यहां अपने कॉलेज के दिनों से आती रही हूं।”
“अच्छा, ये बात है!” मेल्विन ने खुश होते हुए कहा, “फिर तो मैं यहां कि हर एक चीज बारी–बारी ऑर्डर करके टेस्ट करूंगा।”
मेल्विन ने उस कैफे में कुछ चीजें आर्डर करके टेस्ट की। वो सचमुच बहुत इंप्रेस हुआ था।
“मुझे इस कैफे के बारे में पहले मालूम नहीं था। अगर मालूम होता तो मैं यहां पहले ही आ चुका होता। ये सच में लाजवाब है। थैंक यू रेबेका, मुझे यहां लाने के लिए।”
“मेरे साथ रहोगे तो तुम्हें ऐसे ही अच्छी-अच्छी जगह दिखाऊंगी। ये तो कुछ भी नहीं।” रेबेका ने मुस्कुराते हुए कहा।
“अच्छा, ऐसी बात है।” मेल्विन भी मुस्कुराया, “चलो फिर हमारा साथ लंबे समय तक चलेगा। वैसे आगे का क्या प्लान है तुम्हारा?”
“कल स्कूल में बच्चों के एग्जाम हैं। कल ज्यादा लोड नहीं रहेगा। मूवी देखने चलें?” रेबेका ने मेल्विन से पूछा।
“मूवी क्यों?” मेल्विन ने पूछा, “क्या शिवाजी मंडल में कोई शो नहीं लगा आज?”
*क्या तुम्हें शो देखने का मन है मेल्विन?” रेबेका ने पूछा।
“पता नहीं, मुझे नहीं मालूम। लेकिन तुमने अभी मूवी का नाम लिया तो मुझे याद आया। अगर मूवी ही देखना है तो मैं इससे बेटर सजेशन शो देखने का ही दूंगा।”
“आज शिवाजी मंडल में कोई शो नहीं लगा है। अब बताओ, मूवी देखने का मन है?”
“कौन सी मूवी लगी है अभी?” मेल्विन ने पूछा।
“हॉलीवुड की कोई सुपर हीरो फिल्म है। इसमें किसी देश का राष्ट्रपति लाल दानव बन जाता है।”
“क्या कोई ऐसी मूवी नहीं है जिसे हम देख सके? ये तो बच्चों के देखने वाली मूवी लग रही है।” मेल्विन ने कहा।
“क्या तुमने सुपर हीरो वाली मूवी को बच्चों की मूवी कहा मेल्विन? वो भी हॉलीवुड की फिल्म को।” रेबेका ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा।
“मुझे ऐसी फिल्मों में कोई इंटरेस्ट नहीं है रेबेका! शायद आज हमारा दिन ही खराब है। जूहू बीच पर कुछ देर चले?”
“हां, ये अच्छा आईडिया है। भला जूहू बीच पर जाने से कौन मना कर सकता है।” जूहू बीच का नाम सुनते हुए रेबेका के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई थी।
उस दिन देर रात तक मेल्विन और रेबेका जुहू बीच पर बैठे बातें करते रहे। शाम के बाद वहां से सूरज को डूबने हुए देखने का अलग ही मजा आता है। इस याद को उन दोनों ने सजों कर रख लिया था।
उस रात मेल्विन को बहुत अच्छी नींद आई थी। बेड पर लेटते ही उसे कब नींद आ गई थी उसे पता ही नहीं चला। सुबह 6 बजे तक उसे कोई होश नहीं था।
फोन की घंटी की आवाज सुनकर मेल्विन की आंखें खुली। उसने बिना फोन की स्क्रीन की ओर देखे ही कॉल रिसीव करते हुए कहा, “हां मां, कैसी हो?”
हेलो मेल्विन, मैं ठीक हूं बेटे।” मेल्विन की मां ने कहा। उनकी आवाज कुछ रुखी हुई लग रही थी “क्या तुम अभी सो रहे हो?”
“हां, कल रात देर से सोया।” मेल्विन ने जगने की कोशिश करते हुए कहा, “बस अब जल्दी से तैयार होकर ऑफिस पहुंच जाऊंगा।”
मेल्विन की ये बात सुनकर उसकी मां मुस्कुराने लगी। उन्होंने कहा, “तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे अभी छोटे बच्चे हो मेल्विन और मैं तुम्हें जल्दी से उठकर स्कूल पहुंचने के लिए कह रही हूं। मैंने तो बस…!” मेल्विन की मां इतना कह कर रुक गई।
“क्या बात है मां? क्या तुम मुझसे कुछ कहना चाहती हो?” मेल्विन ने अपनी मां की आवाज से अंदाजा लगाते हुए पूछा।
“मैंने तुम्हें एक खास बात बताने के लिए फोन किया है मेल्विन।” मेल्विन की मां ने इतना कहकर एक गहरी सांस ली।
मेल्विन अब अपने बेड से उठकर ब्रश करने के इरादे से वॉशरूम की ओर चला आया था।
“खास बात! कैसी खास बात मां?” मुंह में टूथब्रश होने की वजह से मेल्विन की आवाज बदल गई थी।
“रघु के बारे में?” मेल्विन की मां ने कहा तो मेल्विन के कान खड़े हो गए।
“रघु के बारे में कौन सी खास बात मां?” मेल्विन ने वाश बेसिन में थूकते हुए पूछा। उसके दिमाग में पिछले दिनों रघु के बारे में देखे भयंकर सपने का ख्याल घूम गया।
“जिस डायरी के पन्ने तुम पिछले कुछ महीनो से ढूंढ रहे हो, वो डायरी रघु मेरे पास लेकर आया था।” मेल्विन की मां ने कहा तो मेल्विन की आंखें हैरानी से बड़ी हो गईं।
“व्हाट! क्या रघु घर पर जाकर डायरी के वे पन्ने तुम्हें देकर गया है?” मेल्विन ने हैरान होते हुए पूछा, “ये रघु आखिर क्या खेल खेल रहा है मां, मुझे कुछ समझ में नहीं आता। जरूर उसने तुम्हें नकली डायरी के पन्ने दिए होंगे? अगर उसे ये करना ही था तो फिर उसने अपनी पहचान मुझसे क्यों छुपाई? क्यों उसने मुझसे कहा कि वो रघु नहीं है?”
“नहीं मेल्विन, ये डायरी भी सच है और इसमें लिखी कहानी भी।” मेल्विन की मां ने कहा, “आज पूरी रात मैंने इस डायरी के पन्ने को बड़ी मुश्किल से पढ़ा है। मेरा दिमाग अभी इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहा है कि मैंने जो पढ़ा है वो सच है। जबकि मैं जानती हूं कि ये सच है। क्योंकि मैं तुम्हारे पिता को इतना तो जानते ही थी कि उनकी भाषा समझ सकूं। ये डायरी जरूर तुम्हारे पिता की हैंडराइटिंग में नहीं है लेकिन इसे तुम्हारे पिता ने ही किसी की मदद से लिखवाया है।"
“मां, तुम क्या कह रही हो? मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।” मेल्विन ने कहा, “तुमने ये कहकर मेरे तो होश ही उड़ा दिए हैं। मैं जब भी रघु और उसकी डायरी के बारे में बोलने की कोशिश करता हूं एक नई कहानी मेरे सामने आ जाती है।"
“मेल्विन, मुझे डर लग रहा है। मुझे बहुत ज्यादा डर लग रहा है। तुम जल्दी से आकर ये पन्ने मेरे पास से ले जाओ।” मेल्विन की मां की आवाज में अब घबराहट आ गई थी, “मैं तुम्हें ये फोन पर नहीं बताना चाहती थी मेल्विन। मैं तुम्हें सिर्फ अपने पास बुलाना चाहती थी। लेकिन मैं जानती थी कि तुम फिर से मेरे लिए इतनी जल्दी वक्त नहीं निकल पाओगे। अभी-अभी तो तुम रेबेका को लेकर यहां आए थे। लेकिन अब तुम्हें इन डायरी के पन्नों के लिए यहां आना ही होगा मेल्विन!”
“मां, घबराओ नहीं। तुम मुझे वो सारे पन्ने व्हाट्सएप पर भेजो। मैं उन्हें यहीं से पढ़ूंगा।” मेल्विन ने कहा।
“ये काम से कम 100 पन्ने हैं मेल्विन। ये इतनी बुरी हालत में है कि मैं इनका फोटो खींचकर तुम्हें नहीं भेज सकती। कागज के पन्ने सूखे पत्ते की तरह झर रहे हैं।”
अपनी मां की बात सुनकर मेल्विन सोच में पड़ गया। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो ऑफिस छोड़कर अपनी मां के पास कैसे जाये। उसने फोन पर कहा, “मां, तुम फोन रखो। मैं ऑफिस से छुट्टी लेने की कोशिश करता हूं। जैस ही मुझे छुट्टी मिलती है, मैं तुरंत तुम्हारे पास आने की कोशिश करता हूं। तब तक तुम घबराना नहीं मां। रघु जरूर हमें डराने की कोशिश कर रहा है। तुम अपने आपको संभालने की कोशिश करो। मैं आता हूं।”
“जल्दी करो मेल्विन। मैं तुम्हारा इंतजार कर रही हूं।” मेल्विन की मां ने इतना कहा और फोन कट कर दिया।
अपनी मां के फोन कट करते ही मेल्विन ने तुरंत महेश को कॉल लगाया।
“हेलो महेश, क्या तुम ऑफिस के लिए निकल गए हो?” महेश से कॉल उठाते ही मिल्विन ने उससे पूछा।
“नहीं मेल्विन, मैं आज ऑफिस नहीं आ रहा हूं। मैं अभी तुम्हें ही फोन करने वाला था। आज मेरा कुछ काम ऑफिस में अटका हुआ है, क्या तुम उसे देख लोगे?” महेश ने मेल्विन से पूछा।
“व्हाट! ये तुम क्या कह रहे हो महेश? क्या तुम भी आज ऑफिस नहीं आ रहे हो?” मेल्विन हैरानी और बढ़ गई थी।
“क्या! मेल्विन, क्या तुम भी आज ऑफिस नहीं आ रहे हो?” महेश ने भी वही सवाल मेल्विन से करते हुए पूछा, “अगर आज हम दोनों ऑफिस नहीं जाएंगे तो फिर हम दोनों का काम कौन करेगा मेल्विन?”
“नहीं महेश, हम दोनों में से किसी एक को तो आज ऑफिस जाना ही होगा।” मेल्विन ने कुछ सोचते हुए कहा।
“आज तुम ऑफिस क्यों नहीं जा रहे हो?” महेश ने पूछा।
“मैं जिस सच्चाई को न जाने की कसम मैं बार-बार खाता हूं वो सच्चाई मुझे बार-बार अपनी तरफ खींचने लगती हैं महेश। मां को डायरी के वो पन्ने रघु के हाथ से मिल चुके हैं। मां उस डायरी को पढ़ने के बाद बहुत परेशान है। मैं इसलिए ही मां के पास जा रहा हूं। लेकिन आज तुम ऑफिस क्यों नहीं आ रहे हो महेश?”
“मैं इस समय अस्पताल में हूं मेल्विन। आज मेरी वाइफ की डिलीवरी है। मैं इस समय बड़ी मुसीबत में फंसा हुआ हूं यार।” महेश ने अपनी प्रॉब्लम मेल्विन को बताते हुए कहा।
“ये तो सच में बहुत बड़ी प्रॉब्लम है। मैं कुछ और चक्कर चलाता हूं महेश। तुम अपने वाइफ का ख्याल रखो।” मेल्विन ने इतना कहा और फोन कट कर दिया।
फोन कट करने के बाद मेल्विन अपने आप से बात करने लगा, “अब मैं घर कैसे जाऊंगा? क्या मुझे बॉस से सीधे इस बारे में बात करना चाहिए? क्या वो मेरी बात समझेंगे?”
मेल्विन के दिमाग में एक साथ कई सवाल घूमने लगे थे।
थक–हारकर पर उसने अपने बॉस मिस्टर कपूर को कॉल किया।
“हेलो सर, मैं मेल्विन बोल रहा हूं।” मेल्विन ने अपने बॉस के कॉल उठाते ही कहा।
“हां मेल्विन, कहो क्या बात है? इतनी सुबह कैसे कॉल किया?” मिस्टर कपूर ने पूछा।
“सर, मैं आज ऑफिस नहीं आ पाऊंगा।” मेल्विन ने सीधे मुद्दे पर आते हुए कहा।
“ये तुम क्या कह रहे हो मेल्विन? अभी थोड़ी देर पहले मेरे पास महेश का फोन आया था। वो भी आज ऑफिस नहीं आ रहा है। तुम जानते हो न आज ऑफिस में कितनी बड़ी मीटिंग है। इतने शॉर्ट नोटिस से तुम लोग आज छुट्टी क्यों ले रहे हो?”
“महेश एक जेनुइन रीजन की वजह से आज ऑफिस नहीं आ पा रहा है सर। उतना ही जेनुइन रीजन मेरा भी है। सर, मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हूं कि मुझे आज के दिन छुट्टी दे दीजिए। मैं कल लौटकर आपके लिए डबल काम करने के लिए तैयार हूं लेकिन जैसे भी हो आज आप मुझे छुट्टी की परमिशन दे दीजिए।”
“तुम्हारा आज ऑफिस न आने का क्या रीजन है मेल्विन?” मिस्टर कपूर ने पूछा, “क्या मैं ये जान सकता हूं?”
क्या मेल्विन अपने बॉस को घर जाने का रीजन बताएगा? क्या वो रीजन जानने के बाद मिस्टर कपूर मेल्विन का साथ देंगे? आखिर रघु मेल्विन की पीठ पीछे कौन सा खेल खेल रहा है? उस डायरी में क्या लिखा है जिसे पढ़कर मेल्विन की मां इतनी घबरा गई है? जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग।
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