“सर, मेरी मां बहुत बीमार है। उन्हें हार्ट अटैक आया है। उनकी देखभाल करने वाला घर पर कोई नहीं है। मुझे तुरंत अपनी मां के पास जाना होगा सर।” मेल्विन ने मिस्टर कपूर से झूठ बोलते हुए कहा।
“क्या!” मिस्टर कपूर को ये सुनकर झटका लगा था, “मां जी को हार्ट अटैक आया है और तुम अब भी मुझसे छुट्टी लेने के लिए फोन पर बातचीत कर रहे हो मेल्विन? मां से बढ़कर इस दुनिया में और क्या होता है मेल्विन? मैं तुम्हें खुद तुम्हारी मां के पास लेकर जाऊंगा।”
मिस्टर कपूर ने जब ये कहा तो मेल्विन के चेहरे पर डर दिखाई देने लगा था।
“नहीं सर, आप मुझे सिर्फ छुट्टी दे दीजिए। मैं उनका ख्याल रख लूंगा।” मेल्विन ने अपने बॉस को रोकने की कोशिश करते हुए कहा।
“मैं जानता हूं मेल्विन कि तुम अपनी मां का ख्याल रख लोगे। लेकिन ये उनका ख्याल रखने के बारे में नहीं है। ये जल्द से जल्द तुम्हारी अपनी मां के पास पहुंचने के बारे में है। मैं तुम्हें अपनी गाड़ी में पालघर तक छोड़ कर आऊंगा। मुझे नहीं लगता कि तुम्हें इससे कोई परेशानी होनी चाहिए।”
“महेश पहले ही आज ऑफिस नहीं आ रहा है। अब हम दोनों भी अगर आज ऑफिस में नहीं होंगे तो फिर आज की मीटिंग का क्या होगा?” मेल्विन ने पूछा।
“मैंने कहा न मेल्विन, मां से बढ़कर दुनिया में कुछ नहीं होता। अब तुम फोन रखो, मैं तुम्हारे पास आ रहा हूं।”
मेल्विन बुरी तरह डर चुका था। उसका ही झूठ उस पर भारी पड़ने वाला था।
लेकिन इससे भी बड़ा बवाल पालघर में घट चुका था। मेल्विन की मां अभी अपने फलों की दुकान सजा ही रही थी कि उन्हें चार मोटे–तगड़े लोग उनकी तरफ आते हुए दिखाई दिए। वे खतरनाक और गुस्से में दिखाई दे रहे थे। मेल्विन की मां को एकाएक ही समझ में नहीं आया कि वे चारों उनकी तरफ क्यों आ रहे हैं।
“मा जी, क्या आपने इस आदमी को देखा है?” उनमें से एक आदमी ने रघु की फोटो दिखाते हुए मेल्विन की मां से पूछा, “ये लंगड़ा है और इसके हाथ में एक पुरानी डायरी है। अगर आपने इसे कहीं देखा है तो प्लीज हमें बताइए।”
मेल्विन की मां को एकाएक ही समझ में नहीं आया कि वो उनके सवाल का क्या जवाब दे। तब उनमें से एक दूसरे आदमी ने पूछा, “कहां खो गई मां जी? क्या आपने इस बंदे को कहीं देखा है?”
“हां।” मेल्विन की मां ने घबराहट में कहा, “मैंने इसे अभी-अभी उस तरफ में जाते हुए देखा है।” जैसे ही मेल्विन की मां ने ये बताया, वे चारों जल्दी से उस और बढ़ गए। तभी मेल्विन की मां ने उन्हें रोकते हुए पूछा, “लेकिन आप लोग इसे क्यों ढूंढ रहे हैं? वो तो काफी मरियल सा दिखाई दे रहा था।”
“वो बस मरियल सा दिखाई देता है मां जी। अंदर से वो बहुत बड़ा कपटी आदमी है।” उनमें से एक आदमी ने कहा, “मौत के आखिरी स्टेज पर है लेकिन उसकी शान पत्ती बिल्कुल कम नहीं हुई है।”
“लेकिन उसने किया क्या है बेटा?” मेल्विन की मां ने फिर हिम्मत करते हुए पूछा।
“उसने हमसे एक डायरी चुराई है।” उनमें से एक आदमी ने कहा।
“उस डायरी में ऐसा क्या खास था जो वो चुरा कर भाग गया?” मेल्विन की मां ने फिर पूछा तो उन्हें कुछ शक हुआ।
“ऐ बुढ़िया, हम तुम्हें मां जी मां जी कह रहे हैं तो क्या हमारे सर पर चढ़ जाएगी?” उनमें से एक आदमी ने गुस्से में कहा, “चुपचाप अपना दुकान संभाल।”
इतना कहकर वे चारों जल्दी से आगे बढ़ गए।
मेल्विन की मां की दिल की धड़कने बहुत तेज हो गई थी। वे किसी तरह उन चारों का इरादा जानने की कोशिश कर रही थी लेकिन जान न सकी।
वो जल्दी-जल्दी घर के अंदर भागी। उनके माथे से अब पसीना टपकने लगा था। तभी एक ग्राहक उनके दुकान पर आया।
“अरे मेल्विन की मां, कहां हो तुम? आज कुछ ज्यादा ही बिजी हो क्या?” वो एक बुजुर्ग आदमी था। उसकी आवाज सुनकर मेल्विन की मां फिर बाहर आई।
“जोसेफ भाई साहब। आप यहां?” मेल्विन की मां ने घबराते हुए पूछा।
“तुम इतना घबराई हुई क्यों हो मेल्विन की मां? आज सुबह-सुबह ऐसी कौन सी आफत आ गई है तुम पर?” जोसेफ नाम के उसे आदमी ने मेल्विन की मां के चेहरे पर घबराहट देखती हुए पूछा।
“जोसेफ, क्या तुम मुझे अभी मीरा रोड लेकर चल सकते हो?” मेल्विन की मां ने उससे पूछा।
“मीरा रोड! तुम्हें अचानक मीरा रोड क्यों जाना है मेल्विन की मां? क्या मेल्विन से कोई काम है?”
“हां, मुझे मेल्विन से बहुत जरूरी काम है जोसेफ। बोलो, क्या तुम मुझे अभी मीरा रोड लेकर चल रहे हो?” मेल्विन की मां ने फिर पूछा।
“लेकिन आखिर बात क्या है? तुम्हें मेल्विन से ऐसा क्या काम पड़ गया जो तुम मीरा रोड जाने के लिए इतनी उतावली हो रही हो?”
इससे पहले कि मेल्विन की मां कुछ जवाब देती वहीं चारों आदमी एक बार फिर दूर से आते हुए दिखाई दिए। मेल्विन की मां जोसेफ का हाथ पकड़ते हुए घर के अंदर घुस गई।
“अरे मेल्विन की मां, ये आप क्या कर रही हैं?” जोसेफ घबराते हुए बोला, लेकिन मेल्विन की मां उसे खींचते हुए अंदर तक ले गई और झट से दरवाजा बंद कर लिया।
“बाहर चार गुंडे किसी को ढूंढ रहे हैं। जिसे वो ढूंढ रहे हैं वो मुझसे अभी-अभी मिलकर गया है। मुझे ये चारों आदमी ठीक नहीं दिखाई दे रहे हैं।”
अभी मेल्विन की मां ने इतना कहा ही था कि दरवाजे पर दस्तक हुआ। एक साथ कई दस्तक होने पर वे दोनों बुरी तरह डर गए। आसपास के लोगों का ध्यान भी अब इसी तरफ आ गया था।
“ऐ बुढ़िया, दरवाजा खोल।” उनमें से एक चीखते हुए बोला, “दरवाजा खोल वरना मैं इसे तोड़ दूंगा। मुझे पता है वो रघु घर के अंदर ही बैठा हुआ है।”
“यहां कोई रघु नहीं रहता।” मेल्विन की मां ने अंदर से ही कहा। उनकी आवाज में डर था, “अगर तुम अभी यहां से वापस नहीं गए तो मैं पुलिस को बुला लूंगी।”
“जल्दी से पुलिस को कॉल लगा। मैं इंतजार कर रहा हूं। अभी या तो यहां पुलिस आएगी या फिर ये दरवाजा टूटेगा।” उस आदमी ने फिर बिना डरे हुए कहा।
तब जोसेफ में मेल्विन की मां से पूछा, “आखिरी ये क्या चल रहा है मेल्विन की मां? ये लोग मुझे बेहद खतरनाक लग रहे हैं। ये आखिर किस रघु की बात कर रहे हैं। तुम इन्हें बता क्यों नहीं देती कि यहां कोई रघु नहीं रहता?”
“मैं अभी उन्हें बताया है जोसेफ। तुम देख रहे हो न वो मेरी बातों पर यकीन नहीं कर रहे हैं।” मेल्विन की मां ने कहा।
“लेकिन ये तुमसे रघु के बारे में क्यों पूछ रहे हैं? आखिर ये रघु है कौन?”
“मुझे नहीं मालूम ये रघु कौन है? तुम मुझसे सवाल बंद करना करोगे जोसेफ? इन्हें यहां से हटाओ।” मेल्विन की मां ने जोसेफ से कहा।
“मैं इन्हें यहां से कैसे हटाऊं? कहीं ये हाथापाई पर न उतर आए।” जोसेफ ने डरते हुए कहा।
“तुम इतना डरते क्यों हो जोसेफ? वे तुम्हें नहीं जानते। उनसे तुम्हारी कोई दुश्मनी नहीं है तो फिर भी तुमसे वो हाथापाई क्यों करेंगे?”
मेल्विन की मां ने कहा तो जोसेफ ने हिम्मत करके घर का दरवाजा खोला।
“जी कहिए, कौन है आप लोग?” जोसेफ ने घर का दरवाजा खोलते ही उनसे पूछा।
“तू कौन है बे? और वो बुढ़िया कहां गई? उसे बाहर भेज। उसे सब कुछ मालूम है। रघु ने वो डायरी इसे ही दी है।”
“डायरी! कैसी डायरी?” जोसेफ ने पूछा, “शायद आप लोगों को कोई गलतफहमी हुई है भाई साहब। मैं मेल्विन की मां को अच्छी तरह जानता हूं। उनके पास अगर कोई डायरी होती तो वो आपसे झूठ नहीं बोलती।”
“क्या नाम लिया तुमने? मेल्विन। मेल्विन फर्नांडीस। फिर तो हम बिल्कुल सही पते पर आए हैं। अब हमारे रास्ते से हट इससे पहले कि मैं तुम्हें कोई नुकसान पहुंचा दूं।”
इतना कह कर एक बंदे ने जोसेफ को धक्का देकर रास्ते से हटा दिया। फिर वो चारों जल्दी-जल्दी घर के अंदर घुस गए। घर के अंदर उन्होंने अच्छी तरह से तलाशी ली लेकिन मेल्विन की मां उन्हें कहीं नहीं मिली।
“ये बुढ़िया आखिर कहां गई?” उनमें से एक परेशान होते हुए बोला, “अगर ये आज हमारे हाथ नहीं लगी तो फिर बॉस हमें जान से मार देंगे। या तो अब तुम सब मरने के लिए तैयार हो जाओ या फिर उस बुढ़िया से वो डायरी छीन लो।”
जोसेफ मौका देखते ही वहां से भाग गया था। उसे अब अपनी जान खतरे में दिखाई देने लगी थी।
इधर दूसरी तरफ मेल्विन न चाहते हुए भी अपने बॉस के साथ पालघर के लिए निकल पड़ा था। अगले दो घंटे में वो पालघर पहुंचने वाला था। इतनी देर में वो अपनी मां को कई बार कॉल लगा चुका था लेकिन उसकी मां ने फोन नहीं उठाया।
“क्या बात है मेल्विन? क्या मां जी फोन नहीं उठा रही है?” मिस्टर कपूर ने पूछा, “इतनी बीमार है फिर भी तुम्हारा कॉल क्यों नहीं उठा रही है? वहां सब ठीक तो है न मेल्विन? क्या तुम किसी पड़ोसी को नहीं जानते? अगर उनका फोन नंबर हो तो उन्हें कॉल करके अपनी मां का हाल-चाल लो।”
अपने बॉस की बात सुनकर मेल्विन सच में डूब गया। वो अपनी मां की पड़ोसियों का नंबर जानता तो था लेकिन उन्हें कॉल करने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। एक अनजाने डर ने उसे चारों ओर से घेर लिया था।
“क्या हुआ मेल्विन, तुम किस सोच में पड़ गए? क्या तुम्हारे पास किसी पड़ोसी का नंबर नहीं है?” मेल्विन के बॉस मिस्टर कपूर ने एक बार फिर पूछा।
“शायद मां अभी फोन के पास नहीं है सर, इसलिए वो फोन नहीं उठा रही है। मैं बाद में फिर कोशिश करूंगा।” मेल्विन ने कहा।
मिस्टर कपूर ने मेल्विन की आंखों में गौर से देखा। उन्हें कुछ अजीब दिखाई दिया था लेकिन फिर भी वो कुछ बोले नहीं।
तभी मेल्विन की फोन की घंटी बज उठी थी। फोन की स्क्रीन पर जोसेफ अंकल लिखा हुआ आ रहा था।
मेल्विन ने झट से फोन कॉल उठा लिया, “हां जोसेफ अंकल, कहिए कैसे फोन किया आपने?”
*हेलो मेल्विन। तुम कहां हो अभी? तुम्हारी मां यहां मुसीबत में है?” जोसेफ ने फोन की दूसरी तरफ से कहा।
“क्या हुआ मां को? कहां है वो?” मेल्विन ने घबराते हुए पूछा।
“अभी-अभी चार गुंडे तुम्हारी मां को ढूंढते हुए तुम्हारे घर में घुसे हैं?” जोसेफ में जानकारी देते हुए कहा, “मुझे उनके इरादे ठीक नहीं लगते हैं मेल्विन। क्या मैं पुलिस को कॉल करके बुला लूं?”
“मां वहां मुसीबत में है अंकल और आप मुझे यहां फोन करके जानकारी दे रहे हैं? अगर मेरी मां को कुछ हुआ तो मैं आपको कभी माफ नहीं करूंगा। पुलिस को फोन बाद में कीजिएगा पहले जाकर मेरी मां को उन गुंडो से बचाइए।”
इतना कह कर मेल्विन ने फोन कट कर दिया था। मिस्टर कपूर उसकी ओर देखकर अब मुस्कुराने लगे थे।
“तुम मुझसे झूठ बोल रहे थे मेल्विन। लेकिन क्यों?” मिस्टर कपूर ने पूछा, “अचानक से ये गुंडे तुम्हारी मां के पीछे क्यों पड़ गए हैं मेल्विन?”
मेल्विन कुछ भी कहने से पहले कुछ देर के लिए सोच में डूब गया। फिर उसने कहा, “रघु ने एक डायरी मां को दी है। वो डायरी जिसकी तलाश हम दोनों पिछले काफी समय से कर रहे हैं। मां का कहना है कि उस डायरी में पूरी कहानी लिखी हुई है। उसे पढ़ कर वो बेहद घबराई हुई थी। अभी-अभी मुझे किसी से ये जानकारी मिली है कि मेरी मां मुसीबत में है। चार गुंडे उन्हें ढूंढते हुए घर तक आ गए हैं। रघु इस समय फरार है।”
“अगर तुमने मुझे पहले ही सच कहा होता तो फिर तुम्हारी मां मुसीबत में नहीं आती मेल्विन।” मिस्टर कपूर ने कहा, “पालघर में मेरे कई जानकार रहते हैं। यहां तक कि वहां की पुलिस से भी मेरी काफी बनती है। तुम घबराओ नहीं, मैं अभी पालघर पुलिस स्टेशन में कॉल कर देता हूं।”
“नहीं सर! आप पुलिस को कॉल नहीं करेंगे। पुलिस को कॉल करते ही ये मामला बिगड़ जाएगा। मैंने जोसेफ अंकल को मां का ख्याल रखने के लिए कहा है।”
“उनका ख्याल पुलिस के अलावा और कोई नहीं रख सकता मेल्विन। उस डायरी को छुपाने की कोशिश करोगे तो मुसीबत और बढ़ेगी। उस डायरी में क्या लिखा है ये हम तुम्हारी मां के जिंदा बचने पर उनसे जान लेंगे। हमें पहले ये देखना होगा कि तुम्हारी मां सही सलामत हमारी आंखों के सामने हो। डायरी हमारी पहली प्रायोरिटी नहीं है मेल्विन।”
मेल्विन के बॉस ने जब ये कहा तो मेल्विन फिर सोच में डूब गया।
क्या मेल्विन अपनी मां को पहले बचाने की कोशिश करेगा या फिर उस डायरी को? क्या मेल्विन की मां वो डायरी उन गुंडों से बचा पाएगी? क्या होगा अगर मेल्विन की मां को कुछ हो जाए और वो डायरी भी हाथ न लगे? जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग।
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