अश्विन और शीना के रिलैशन्शिप के सेकंड इनिंग्स को एक महीना हो चुका था। भले ही शीना ने अश्विन से वादा किया था कि वह कभी भी उसकी प्राइवेट स्पेस में दख़्ल नहीं देगी, लेकिन, पैच अप के दो हफ़्ते बाद से ही, फिर से शीना की हरकतों ने अश्विन के नाक में दम कर रखा था।
शीना की मौजूदगी से ही अश्विन को इरिटेशन होने लगी थी। शीना फिर से काफ़ी ज़्यादा ही पोसेसिव हो गयी थी। वादे के मुताबिक़, भले ही उसने दोबारा से कभी भी अश्विन का फोन चेक न किया हो, मगर, उसके सवाल-जवाब ख़त्म होने का नाम नहीं लेते। इस वजह से, अश्विन का दम घुटने लगा और रिलैशन्शिप का भी! जब-जब शीना उसके आस-पास या साथ होती, तब-तब उसे घुटन महसूस होने लगती थी।
पिछले एक-दो दिन से, अश्विन शीना की वजह से बेहद ही ज़्यादा परेशान था, उसे लगने लगा था कि उसने शीना के साथ पैच अप करके बहुत बड़ी गलती कर दी, उसे शीना के साथ दोबारा रिलैशन्शिप में आना ही नहीं चाहिए था। जहाँ एक तरफ़ अश्विन को शीना से इतनी दिक्कतें थीं, वहीं, दूसरी तरफ़, शीना के लिये उसकी ज़िंदगी का सबसे जरूरी इंसान था अश्विन।
आख़िर, शीना ने ऐसा भी क्या कर दिया, जिस वजह से अश्विन को एक बार फिर से, शीना को बर्दाश्त करने में परेशानी होने लगी? दरअसल पिछले एक-दो दिन से, शीना की सूईं एक ऐसे बात पर अटकी थी, जिसे अश्विन हमेशा से ही अवॉइड करता आया था। शीना लगातार उससे किसी ऐसे टॉपिक पर बात करने लगी थी, जिससे वह काफ़ी चिढ़ता है - शादी।
अश्विन को यह बात तो अच्छी लगती थी कि शीना उसका ध्यान रखती है, उसकी देखभाल करती है, लेकिन, वह उसे शादी की बातों से डराने भी लगी थी। जबकि वह इस रिश्ते के लिये तैयार नहीं था, या शायद, उसे शादी जैसे रिश्ते में दिलचस्पी थी ही नहीं। हर बार शीना की बातों से अश्विन उससे थोड़ा दूर जाने लगा था।
वैसे, देखा जाये तो शीना भी अपनी जगह पर सही है, क्योंकि, अगर कोई लड़की किसी ऐसे आदमी के साथ रिलैशन्शिप में हो, जिसपर वह अपना तन, मन, धन सब कुछ न्योछावर कर सकती है, जिसे वह दिल-ओ-जान से चाहती है, तो लाज़मी है कि वह उस इंसान के साथ ज़िंदगी बिताने के बारे में सोचेगी तो ज़रूर। आख़िर इसमें शीना की क्या गलती है?
इसी दौरान उसे यह भी पता चला था कि अश्विन के पिता की तबीयत खराब होने लगी है। मगर वह काम के चक्कर में घर कैसे जाता? दिल्ली में रहकर भी, उससे जितना बन पा रहा था, वह अपने पिता के हेल्थ के लिये उतना तो कर ही रहा था।
उसकी ज़िंदगी अब एक ऐसे इंसान की तरह हो गयी थी, जो दो नाव पर पैर रखकर समंदर में तफ़री करता हो। एक तरफ़ पिता की हेल्थ प्रॉब्लेम्स उसे अंदर ही अंदर एन्जाइटी दे रही थी, तो दूसरी तरफ़, ऑफिस का काम-काज और शीना की शादी के रट के दबाव में वह बिखरने लगा था। वह हर तरफ़ से घिरा हुआ महसूस करने लगा था।
अश्विन हाँथों में फोन थामे हुए, किसी गहरी सोच में था। चिंतित आवाज़ के साथ वह मन ही मन सोचने लगा,
अश्विन: अजीब बात है, आई तो एक बार में ही मेरा कॉल रिसीव करती हैं, तो फिर आज उन्होंने मेरा फोन क्यों नहीं उठाया? कहीं घर पर कुछ हुआ तो नहीं?
दरअसल, छुट्टी का दिन था और अश्विन काफ़ी समय के बाद सुबह-सुबह उठा था। उसने सोचा कि एक बार अपनी माँ से फोन पर बात करे। वैसे भी, जबसे वह मुंबई से लौटा था, तबसे काम और शीना के चक्कर में इतना बिजी हो गया था कि उसके पास इतना भी वक़्त नहीं था कि वह अपने घर वालों या दोस्तों से ठीक से बात कर पाता।
मगर उसकी आई ने उसका कॉल नहीं उठाया। अगर वह एक बार कॉल नहीं उठातीं, तो अश्विन को समझ आ जाता कि शायद माँ बिजी होंगी लेकिन जब तीन-तीन बार कॉल करने के बाद भी उन्होंने फोन नहीं उठाया, तब उसे हल्की सी टेंशन होने लगी।
इतने में किसी ने डोर बेल बजाई। आवाज़ सुनते ही उसका खराब मूड और भी बिगड़ गया। वह जानता था कि बाहर कौन होगा। शीना किचन में खड़े होकर अश्विन और अपने लिए चाय-नाश्ता बना रही थी, और अश्विन हॉल में बैठा यही सोच रहा था कि क्या उसके घर पर सब ठीक है।
कुछ देर बाद, जब अश्विन और शीना नाश्ता करने के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठे, तो शीना ने कहा,
शीना: “अश्विन, हमें घर के पर्दे बदलने चाहिए। ये काफ़ी पुराने और मैले हो गए हैं। सोच रही थी कि आज ही शॉपिंग पर चलें। वरना कल से तुम फिरसे बिजी हो जाओगे।”
अश्विन ने उसकी बात तो सुन ली, मगर उसने पलटकर कुछ कहा नहीं। उसे चुप्पी साधे देख, शीना ने बात को बदलते हुए कहा,
शीना: “अश्विन, तुम्हें नहीं लगता कि हमें हमारे फ्यूचर के बारे में सोचना चाहिए?”
जब-जब शीना उससे यह बात कहती, तब-तब अश्विन के चेहरे पर हल्की सी घबराहट दिखने लगती। मगर इस बार, उसके चेहरे पर किसी भी तरह का कोई एक्सप्रेशन नहीं था। हाँ, वह चिंतित ज़रूर था, मगर उसकी वजह शीना नहीं थी। शीना अपनी सोच के साथ बात को आगे बढ़ाती गई।
शीना: “मैं काफ़ी दिनों से तुमसे कुछ कहना चाहती थी, कुछ पूछना चाहती थी। आज बहुत दिनों बाद मौका मिला है... बेबी, तुम्हें क्या लगता है, हमारी शादी कहाँ होनी चाहिए? कौन सी खूबसूरत जगह होगी वो जहा शीना वेड्स अश्विन लिखा होगा!
एक तो अश्विन पहले से ही काफ़ी परेशान था, फिर शीना की लगातार रीलैशन्शिप और शादी की बातों से अब वह बौखला गया था । उसके माथे की शिकन देख, शीना के चेहरे के हाव-भाव भी बदल गए। उसने सीरीअस होकर पूछा,
शीना: “तुम पिछले कुछ दिनों से इस बारे में बात करने से घबरा रहे हो। और, अश्विन, मैं यह नोटिस कर रही हूँ।”
अश्विन को महसूस होने लगा कि शीना इस रिश्ते में पूरी तरह से ईन्वोल्व्ड है। जबकि कहीं न कहीं, वह उससे काफ़ी दूर जा चुका है। वह सोचने लगा कि शायद शीना के लिए वह वरुण का बस एक रिप्लेसमेंट था। और ऐसा वह क्यों न सोचता? आख़िर वे दोनों वरुण की मौत के बाद ही तो रीलैशन्शिप में आए थे। अश्विन यह बात बख़ूबी समझ चुका था कि किसी समय में शीना ने जो सपने वरुण के साथ देखे थे, उन्हें वह अश्विन के साथ पूरा करना चाहती है। यह बात उसे हज़्म कैसे होती?
क्योंकि अश्विन भाई साहब एक ईगो वाला आदमी हैं, तो उनके लिए वरुण का रिप्लेसमेंट बनने का मतलब उनके नाज़ुक ईगो का तहस-नहस हो जाना। जबकि, अश्विन आज जिस पज़िशन पर हैं, वह भी उन्हें इसी वजह से मिली थी क्योंकि वरुण की मौत हो चुकी थी। वह ऑफिस में भी तो वरुण का रिप्लेसमेंट ही था। मगर यह उसके लिए एक अच्छा सौदा साबित हुआ था, और इसी वजह से उसने इस बात को कभी स्वीकारा नहीं। हमेशा ख़ुद से यही कहते रहा, “मुझसे बेहतर कोई नहीं है”
अश्विन कहीं खो सा गया था, न जाने किन ख़यालों में। मगर फिर जब शीना की तेज़ आवाज़ उसके कानों में पड़ी, तो उसे ऐसा लगा कि किसी ने उसे झटका देकर उसके ख़यालों की दुनिया से बाहर खींचकर असलियत में पटक दिया। उसे एहसास हुआ कि शीना बार-बार उसका नाम ले रही थी।
शीना: “मैं कब से तुमसे कुछ कह रही हूँ, कुछ पूछ रही हूँ, और तुम हो कि कोई रिस्पान्स ही नहीं दे रहे। मैं पागल हूँ क्या? मुझे अपने आप से बात करने का कोई शौक-वौक नहीं है।”
तभी उसने शीना की तरफ़ देखा। शीना टेबल से उठकर बेडरूम में गई और कुछ समय बाद अपना बैग वगैरह लेकर गुस्से में फ्लैट से निकलते हुए बोली:
शीना: “सोचा था कि आज साथ बैठकर मूवी देखूँगी। तुम्हारी फेवरेट ब्रेड लाई थी तुम्हारे लिए, खा लेना।”
भले ही शीना गुस्से में थी, लेकिन जाते-जाते भी उसने अश्विन को एहसास दिला दिया कि गुस्से में भी वह उसकी फिक्र करना नहीं छोड़ेगी। रही बात अश्विन की, तो वह बस कुर्सी पर बैठे-बैठे शीना को जाते हुए देखता रहा। उसके जाते ही, अश्विन ने एक बार फिर अपने घर फोन किया। इस बार उसकी जान में जान आई, क्योंकि उसकी माँ ने उसका कॉल उठाया। उनसे बात करते हुए अश्विन को पता चला कि उसके आई-बाबा किसी रिश्तेदार के बेटे की शादी में गए हुए थे। यह कहने के बाद,उसके आई ने लगे हाथ उससे शादी की बात छेड़ दी, तो अश्विन और भी ज़्यादा खिसिया गया।
कुछ दिनों बाद, शाम को जब अश्विन ऑफिस से अपने फ्लैट लौटा, तो उसने देखा कि उसके दरवाज़े पर ताला नहीं था। वह समझ गया कि शीना उससे मिलने आई होगी। उसने डोर बेल बजाई। कुछ समय बाद शीना ने दरवाज़ा खोला। दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई। लेकिन जैसे ही वे दोनों कमरे में गए, और अश्विन बिस्तर पर लेटा, शीना ने उससे कहा:
शीना: “अश्विन, मैं सारा समय तुम्हारे साथ रहती हूँ, यहाँ टाइम स्पेन्ड करती हूँ। तो मैं सोच रही थी की यहीं शिफ्ट हो जाऊ.”
यह सुनते ही अश्विन को एक तेज़ झटका लगा। मगर इससे पहले कि वह कुछ कहता, उसकी आई का कॉल आया। अश्विन ने शीना को अपनी उँगली दिखाकर चुप रहने का इशारा किया और फोन उठाया। लेकिन फोन उठाते ही उसके हाथ-पैर फूल गए। वह पूरी तरह सुन्न पड़ चुका था। उसके हाथ से फोन छूटकर बेड पर गिर गया।
ऐसा क्या कहा उसकी आई ने उससे? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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