अंकित ने खिड़की से देखा, हवा का बवंडर अब शांत हो गया था जैसे बाहर कुछ हुआ ही न हो, लेकिन उसको पता नहीं था ये तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी थी।  

उधर श्रुति ने अंकित से छुपकर गुलाब की हालत देखी। उसकी  पत्तियां टूट चुकी थी। श्रुति ने उसको एक तरफ़ लावारिस हालत ने फेंक  दिया। उसकी ऊँगली में काटा चुभने की वजह से उसका अचानक सर भारी और बॉडी हेवी होने लगी और वो सो गयी।  

अंकित बेड पर लेटा-लेटा थोड़ी देर पहले उनके साथ हुए इंसिडेंट के बारे में सोच रहा था। अजय का इतनी लेट तक सोना, गुलाबों की अचानक रंगत बदलना, पत्तियों का बवंडर, और अचानक सब-कुछ शांत हो जाना, सबकुछ थोड़ा अजीब  लग रहा था।  

अब ये गुलाबों का नशा था या किस्मत का खेल, लेकिन थोड़ी देर बाद अंकित की भी आंख लग चुकी थी और वे दोनों तब-तक सोते रहे, जब तक की बाहर बिजली कड़कने की तेज़ आवाज़ से उनकी नींद नहीं खुली।  

अंकित को अचानक ऐसा लगा जैसे बिजली आसपास ही कहीं गिरी हो और वो घबराकर उठ के बैठा। अंकित जल्दी से खिड़की के पास गया तो बाहर का नज़ारा देखकर काँप गया था। बाहर सबकुछ बर्बाद हो चुका था, पेड़-पौधे, रोड, बिजली के तार सबकुछ नष्ट हो चुके थे।  

अंकित ने घबराकर श्रुति को उठाने के लिए जैसे ही हाथ लगाया, वो और घबरा गया था। श्रुति तेज़ बुख़ार में तप रही थी। अंकित ने उसको उठाने की कोशिश की,  

अंकित - श्रुति उठो। ....... तुम्हें तेज़ बुखार है, हमें जल्दी डॉक्टर के पास चलना पड़ेगा।  

श्रुति ने धीरे-धीरे अपनी आंखे खोली और कुछ सेकंड में ही फिर से बंद कर लीं। अंकित श्रुति की आंखे देखकर सिहर उठा, क्योंकि श्रुति की आंखों में वही सुर्ख रंग उतर आया था, जो उसने गुलाब के फूल में देखा था। अंकित ज़ोर से चीखा,

अंकित - श्रुति.......आंखे खोलो, मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा......  

अंकित ने घबराया हुआ था। वो तेज़ी से दौड़ता हुआ निचे गया, लेकिन अजय उसे कही नहीं दिखाई दिया। अंकित ने अजय को आवाज़ दी लेकिन उसे कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। अंकित, वापस आने के लिए जैसे ही पलटा, अचानक उसके कानों में रोने की आवाज़ पड़ी,

अंकित इस आवाज़ से सिहर उठा। वह तेज़ी से ऊपर भागा, लेकिन श्रुति की हालत और भी बिगड़ चुकी थी। उसका शरीर अब बर्फ़ जैसा ठंडा हो रहा था, और उसका चेहरा पीला पड़ चुका था।

अंकित ने हड़बड़ाकर अपना मोबाइल देखा, लेकिन हमेशा की तरह अभी भी नेटवर्क नहीं था. उसने इधर-उधर देखा और जल्दी से श्रुति को अपनी बाहों में उठाकर जैसे ही ग्राउंड फ़्लोर पर पंहुचा। वो रोने की आवाज़ अब बदलकर किसी महिला की हो चुकी थी.  

अंकित तेज़ी से बाहर निकला तो वहां सबकुछ बर्बाद हो चुका था। गुलाब के खूबसूरत पौधे अब उखड़े हुए ज़मीन पर पड़े थे और उसके सर पर काले बादल मंडरा रहे थे. अंकित बिना कुछ सोचे सीधे अपनी कार की तरफ़ भागा। मेन गेट से बाहर निकलते ही वहां का खौफनाक मंज़र देखकर वो अपने होशो-हवास खो बैठा। अंकित की कार और नौकुचियाताल जाने वाली सड़क टूटकर निचे खाई में मिल चुकी थी.  

अंकित ने श्रुति की तरफ़ देखा। श्रुति उसकी बाहों में झूल चुकी थी। होम-स्टे के रहस्य में उलझकर श्रुति की सांसे उखड़ चुकी थी।  

इधर शादी के बाद से ही निशांत के घर की ख़ुशी कहीं गुम सी हो गयी थी। पहले निहारिका के पापा की डेथ, फिर आर्यन और अन्नू की रहस्य्मय मौत और अब ये सुसाइड नोट वाली थ्योरी। निशांत ने घर आकर निहारिका को सुसाइड वाली बात बताई तो निशांत की तरह उसको भी इस बात पर ज़रा भी यक़ीन नहीं हो रहा था कि अन्नू ने पहले आर्यन का मर्डर किया और फिर खून से सुसाइड नोट लिखकर सुसाइड कर लिया।  

 

निहारिका और निशांत अपने घर की बालकनी में बैठे, अपने दोस्तों के साथ उनकी मेमोरी को याद कर रहे थे। निहारिका ने निशांत से कहा,  

 

निहारिका - ऐसा कैसे हो सकता है निशांत? अन्नू कितना प्यार करती थी हमारे आर्यन को। वो दोनों कभी भी एक-दूसरे के बिना रह ही नहीं पाते थे और अब पुलिस कह रही है, अन्नू ने आर्यन का मर्डर करके उसी के खून से सुसाइड नोट लिखा, इट्स इम्पॉसिबल निशांत, ऐसी हरकत तो कोई हैवान ही कर सकता है बस, अन्नू नहीं।  

निहारिका को बात करते हुए भी डर लगने लगा था, इसलिए वो निशांत के पास ही बैठी थी। अचानक निशांत उठने लगा तो निहारिका ने पूछा,  

 

निहारिका - कहां जा रहे हो? मुझे अकेले को बहुत डर लगने लगा है।  

 

नरेशन - निशांत फिर से बैठते हुए बोला,  

 

निशांत - डर तो मुझे भी लगने लगा है निहारिका। आजकल हमारे साथ कितना-कुछ अनएक्सपेक्टेड हो रहा है न?  

 

निशांत थोड़ी देर कुछ सोचता रहा, और फिर बोला,  

 

निशांत - मुझे एक बात समझ नहीं आ रही कि अगर मान लिया जाए कि उन लोगों ने सुसाइड किया था, फिर पुलिस को उनकी डेथ बॉडी क्यों नहीं मिली निहारिका?  

 

निहारिका  - आपने पुलिस से नहीं पूछा क्या निशांत इस बारे में?

 

निहारिका ने अचानक से निशांत से पूछा,  

 

निशांत - पूछा था निहारिका लेकिन उनका कहना है कि अन्नू ने आर्यन का मर्डर करने के बाद उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे और उसके खून से सुसाइड नोट लिखने के बाद कार से आर्यन की बॉडी के साथ कहीं दूर चली गयी.  

 

आर्यन की बात सुनकर निहारिका और ज़्यादा डरने लगी थी. उसने निशांत का हाथ पकड़ लिया और चौंकते हुए पूछा  

 

निहारिका -  निशांत जब अन्नू की न डेथ बॉडी मिली और न ही वो ज़िंदा मिली, फिर पुलिस कैसे कह सकती है, अन्नू ने सुसाइड कर लिया?

 

अचानक जैसे निहारिका ने निशांत का दिमाग खोल दिया हो। निशांत ने इस एंगल से तो सोचा ही नहीं था। निशांत को समझ नहीं आया, आख़िर पुलिस ने बिना छानबीन के कैसे मान लिया कि अन्नू ने सुसाइड कर लिया होगा? हो सकता है कि अन्नू जिंदा हो निहारिका? निशांत अचानक उठकर खड़ा हो गया और निहारिका से बोला,  

 

निशांत - हमें कुछ करना होगा निहारिका, मुझे लगता है ये केस अभी ख़त्म नहीं हुआ है।  

 

निहारिका ने आर्यन की बात का कोई ज़वाब नहीं दिया। वो उठकर बालकनी में कुछ सोचते हुए इधर से उधर घूमने लगी। हलकी बारिश होने लगी थी और ठंडी हवा उसके चेहरे को छूकर निकल रही थी, लेकिन उसकी आँखों में डर और बेचैनी साफ दिखाई दे रही थी।

निशांत ने निहारिका की ओर देखा। उसका चेहरा तनाव से भरा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर निहारिका को क्या इतना परेशान कर रहा है। वह धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा और उसके पास खड़ा हो गया।

निशांत - तुम्हें किस बात की इतनी चिंता हो रही है, निहारिका?

निहारिका ने एक लंबी सांस ली, उसकी आंखों की गहराई में एक अनकहा डर था। उसने अपनी आंखें बंद कीं, जैसे वो किसी अजीब ख्याल से जूझ रही हो। फिर उसने निशांत की ओर देखा, उसकी आवाज में हल्का सा कंपन था।

निहारिका - मुझे समझ नहीं आ रहा, लेकिन निशांत... कुछ बहुत गलत हो रहा है हमारे साथ। मुझे लगता है हमें इस केस से अब दूर ही रहना चाहिए।

निशांत को निहारिका की बात थोड़ी अजीब लगी। उसने निहारिका का हाथ अपने हाथ में लिया और समझाते हुए कहा,  

निशांत - निहारिका मैं तुम्हारी चिंता समझता हूँ लेकिन आर्यन और अनु हमारे अपने लोग थे। अगर हमने उसके बारे में पता नहीं लगाया या उनको इंसाफ़ नहीं दिलाया तो उनकी आत्मा हमें कभी माफ नहीं करेगी।  

निहारिका- मैंने बोल दिया न निशांत, नहीं मतलब नहीं। मैं अपने पापा को पहले ही खो चुकी हूँ और अब मैं तुमको नहीं खोना चाहती.  

निहारिका ये बोलते-बोलते फूट-फूट कर रो पड़ी थी।  अभी निशांत, निहारिका को समझा ही रहा था कि उसके मोबाइल पर उसके पुराने बिज़नेस पार्टनर का कॉल आया।  

निशांत -  हैलो मिस्टर पारीख, आज कैसे याद किया।  

नरेशन - निशांत, तुमने मुझे एक बार नौकुचियाताल में वो एक होम-स्टे का नाम सजेस्ट किया था न? मैंने वो डेस्टिनेशन अपने साले, अंकित और उसकी वाइफ श्रुति के लिए बुक किया था, लेकिन तीन दिन से वो लोग वहां से लापता है, उनका कुछ पता नहीं लग पा रहा।  

पारीख की आवाज़ में घबराहट थी और उसकी बात सुनकर निशांत के चेहरे की हवाईयां उड़ने लगी. उसके हाथ से मोबाइल गिर चुका था।  

क्या निशांत सुलझा पायेगा अंकित, श्रुति, आर्यन और अन्नू की मौत का राज़? जानने के लिए पढ़ते रहिए ।  

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