पारीख ने जब उसके साले, अंकित और अंकित की वाइफ श्रुति को उसी होम-स्टे में भेजने और उनके वहां से लापता होने की बात निशांत को बताई तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया था। उसकी आँखों में दहशत गहरी हो गई थी। उसकी सांसें तेज़ हो रही थीं। निशांत ने घबराकर पारीख से पूछा,

निशांत - ला..... लापता मतलब? आपको कैसे पता वो लापता है? आप उसको वहां भेजने से पहले एक बार मुझसे पूछ तो लेते!

निशांत इतना पेनिक था कि उसकी सुनकर पारीख ख़ुद घबरा गया था। उसने निशांत से इतना घबराने का कारण पूछा, लेकिन निशांत ने पारीख की बात काटते हुए पारीख से पूछा  

निशांत -  “आप ..... आपको कैसे पता अंकित और उसकी वाइफ लापता है?  

 

“पिछले 6 दिनों से उनका कॉल नहीं लग पा रहा, दोनों के मोबाइल स्विच ऑफ आ रहे है। हमें तो कुछ समझ नहीं आ रहा, क्या करना चाहिए?” पारीख ने थोड़ा घबराते हुए पूछा।  

 

निशांत - बात ऐसी है मि. पारीख कि मैंने वो होम-स्टे अपने हनीमून के लिए बुक किया था लेकिन निहारिका के पापा की डेथ की वज़ह से में वहां नहीं जा पाया तो मेरे एक दोस्त और उनकी वाइफ अन्नू वहां गए थे लेकिन उन दोनों की रहस्य्मयी तरीके से मौत हो चुका है, उन  दोनों की न वहां लाश मिली और न कोई सुराग।  

निशांत ने पारीख को सब-कुछ बता दिया था।  “क्या?”, उस होम-स्टे की सच्चाई सुनकर पारीख के मुँह से बस इतना ही निकला और उनके हाथ से मोबाइल गिर गया और फोन डिस्कनेक्ट हो गया । शायद पारीख बेहोश हो गए थे और ऐसा ही कुछ हाल निशांत का था, वो धड़ाम से सोफ़े पर बैठ गया।  

निहारिका, निशांत के पास ही खड़ी थी लेकिन उसको निशांत और पारीख के बीच की बात समझ नहीं आई थी। उसने घबराते हुए निशांत से पूछा,

 

निहारिका : "निशांत! क्या हुआ? किसका कॉल था? आप इतने घबराए हुए क्यों हो?"

 

निहारिका ने घबराकर निशांत की तरफ देखा, जो बिना कुछ कहे सोफ़े पर बैठा था। निहारिका ने उसको बाँह पकड़कर हिलाया। निशांत ने अपनी आँखें उठाईं तो उसकी आँखों में वही खौफ साफ दिखाई दे रहा था। निहारिका के सवालों का जवाब देते हुए उसकी आवाज़ काँप रही थी।

 

निशांत : "अ...अंकित और श्रुति...वे लोग भी उस होम-स्टे से गायब हो चुके है, निहारिका। छः दिन हो गए... वो लोग उस होमस्टे में लापता हैं। किसी से कोई कॉन्टेक्ट नहीं हो पा रहा।"

 

निहारिका  -  क्या ?  

 

निशांत ने निहारिका को पूरी बात बताई तो वो गहरी सोच में डूब चुकी थी। उसको समझ नहीं आ रहा था, आर्यन की मौत के बाद भी निशांत ने पारीख को उस होम-स्टे में क्यों भेजा। निहारिका ने इस बारे में निशांत से पूछा तब उसने धीमे आवाज में कहा...

 

निशांत : मैंने पारीख को वो होमस्टे तब सजेस्ट किया था, जब मैंने अपने लिए बुकिंग की थी और मैंने बस नॉर्मल डेस्टिनेशन के रूप में सजेस्ट किया था। मुझे नहीं पता था कि पारीख बिना मुझसे पूछे ही अपने साले को वहाँ भेज देगा।

कमरे में अब एक अजीब सा सन्नाटा छा गया था। निहारिका ने निशांत की ओर देखा,  उसकी आँखों में वही ख़ौफ़ था जो उसने पहले महसूस किया था, और अब वह उसे और गहरा महसूस हो रहा था।

निशांत अपना सर घुटनों पर रखकर बैठा था, तभी वो अचानक उठा और अपनी जेब से मोबाइल निकाला और उसने जल्दी से इंस्पेक्टर राजवीर को कॉल किया। उसने बिना देरी किए राजवीर को सारी बात बताई, और अंकित और श्रुति के बारे में जानकारी दी। उसकी आवाज़ में घबराहट थी, और उसकी सांसें तेज़ हो रही थीं।

 

निशांत: इंस्पेक्टर, मेरे दोस्त पारीख का साला और उसकी पत्नी नौकुचियाताल के उसी होमस्टे में गए थे...और वो लोग 5 दिन से लापता हैं। उनसे कोई कॉन्टेक्ट नहीं हो पा रहा इंस्पेक्टर।  

 

इंस्पेक्टर राजवीर ने शॉक्ड होते हुए बोला, “क्या?”

राजवीर को समझ नहीं आ रहा था ऐसे कैसे हो सकता है? क्योंकि उसने अपनी पूरी टीम के साथ उस होम-स्टे की दो दिन पहले ही तलाशी ली थी और वहां कोई नहीं मिला था। निशांत की बात सुनकर राजवीर हैरान रह गया था लेकिन उसने निशांत को समझाते हुए कहा,

"आप चिंता मत कीजिए, हम तुरंत वहाँ जा रहे हैं। मैं खुद जाकर देखूंगा कि क्या हो रहा है।"

कॉल खत्म होते ही निशांत और निहारिका के चेहरों पर घबराहट और बढ़ गई। दोनों को इस बात का यकीन हो चला था कि जो कुछ भी हो रहा है, वह सामान्य नहीं है। इसी बीच, पारीख भी निशांत के घर आ गया था।

पारीख का चेहरा घबराहट से भरा था। उसकी आँखों में चिंता और डर था। वह चुपचाप निशांत और निहारिका के पास बैठ गया। उसे देखकर लग रहा था जैसे वह भी किसी अजीब डर का शिकार हो चुका था। उसने धीरे से निशांत से पूछा,

"निशांत... कुछ पता चला? कुछ खबर मिली?"

 

निशांत: "इंस्पेक्टर राजवीर वहां जा रहे हैं। अभी तक कुछ नहीं मिला है, लेकिन उम्मीद है कि वो कुछ पता करेंगे।"

 

कमरे में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया। तीनों लोग अब बस इंस्पेक्टर राजवीर के कॉल का इंतजार कर रहे थे। घड़ी की टिक-टिक उन्हें और बेचैन कर रही थी। हर सेकंड जैसे घंटों में तब्दील हो गया था।

तीन घंटे बीत चुके थे। कमरे में सिर्फ घड़ी की आवाज़ सुनाई आ रही थी और उनके दिलों की धड़कनें। निहारिका और पारीख एक जगह बैठकर घबराहट से इधर-उधर देख रहे थे। निशांत बार-बार अपने फोन को देख रहा था, लेकिन अब तक कोई खबर नहीं आई थी।

 

अचानक फोन की घंटी बजी, और निशांत ने तेजी से फोन उठाया।

 

निशांत: "हैलो... इंस्पेक्टर? क्या मिला? क्या आप उन्हें ढूंढ पाए?"

 

इन्स्पेक्टर राजवीर ने एक गहरी साँस ली और कहा,  "मैंने खुद होमस्टे जाकर एक-एक कोना छान मारा। हर जगह देखा... लेकिन... वहाँ कोई नहीं है। न अंकित, न श्रुति। मुझे वहाँ कुछ भी नहीं मिला।"

इंस्पेक्टर की बात सुनकर पारीख का चेहरा सफेद पड़ चुका था। निशांत और निहारिका समझ गए थे, उन लोगों का भी वही हाल हुआ होगा, जो आर्यन और अन्नू के साथ हुआ था। निशांत को लग रहा था, ये सब उसकी वजह से हुआ है. निशांत एक गहरे अपराध बोध में डूब गया था।  

रात गहरी हो चुकी थी। निशांत और निहारिका के मन में अभी भी बस सवाल ही सवाल थे। तभी, निशांत के फोन पर एक अनजान नंबर से कॉल आया। निशांत अब फोन बजते ही अनजाने भय से काँप जाता था। उसने डरते हुए फोन उठाया,

 

अंकित- "निशांत! हमें... हमें बचा लो! वो हमें मार देगा। हम इस विला में फंसे हुए हैं... यहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं है।"

 

फोन उठाते ही एक घबराई हुई अनजानी आवाज़ सुनकर निशांत काँप गया लेकिन वो समझ गया था, सामने से कौन बोल रहा होगा? उसने डरी हुई आवाज़ में पूछा,  

 

निशांत: कौन, अंकित?

 

अंकित : हां मैं अंकित ही हूँ "हम... हम उसी होमस्टे में हैं, निशांत। वो चीज़... वो हमें ढूंढ रही है। हमने भागने की कोशिश की, लेकिन हर दरवाजा बंद हो गया। हम फंस गए हैं। श्रुति... श्रुति बहुत डरी हुई है। प्लीज... हमें बचा लो, वो हमें मार देगा"

 

निशांत के हाथ से फोन लगभग छूटने वाला था। उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं। उसने जल्दी से फोन कसकर पकड़ा और जवाब दिया...

 

निशांत : "तुम..... तुम हो कहा? राजवीर की टीम ने उस होम-स्टे में तुम्हें एक-एक कोने में ढूंढा, तुम कहीं नहीं मिले। हैलो अंकित, हैलो....

 

अंकित का कॉल डिस्कनेक्ट हो गया था। निशांत उसी अनजाने डर से काँप रहा था। उसको डर था कही अंकित और श्रुति के साथ भी वैसा ही न हो जाए, जैसा आर्यन और अन्नू के साथ हुआ। उसके मन में सवाल बहुत सारे थे और जवाब एक भी नहीं। और समय... वो तो बिलकुल भी नहीं था।  

 

निहारिका  - “लेकिन निशांत…. अंकित ने पारीख की जगह आपको कॉल क्यों किया?”

 

निहारिका ने अपनी आंखें बड़ी करते हुए निशांत से पूछा। निशांत अचानक चौंक गया था। उसकी आंखें चौड़ी हो गयी थी। निशांत नेतुरंत पारीख को कॉल किया और अंकित के कॉल की पूरी बात बताते हुए पूछा,  

 

निशांत-  मुझे एक बात समझ नहीं आ रही, अंकित ने आपकी जगह मेरे पास कॉल क्यों किया? और उसके पास मेरा नंबर कैसे आए? आपने दिया था क्या मेरा नंबर उसको?

 

निशांत ने पारिख से पूछा तो वो कन्फ्यूज़ हो गया था। उसने घबराकर कहा, “ नहीं निशांत, मेरे पास उसका कोई कॉल नहीं आया”।  

निशांत अपने मोबाइल में हमेशा ऑटो-रिकॉर्डिंग मोड़ ऑन करके रखता था। उसने पारीख को रिकॉर्डिंग सेंड की और अंकित की आवाज़ पहचानने के लिए कहा। पारीख ने रिकॉर्डिंग सुनी तो वो हैरान रह गया। उसने तुरंत निशांत को कॉल किया,  

“निशांत ये आवाज़ अंकित की नहीं, किसी और की है.”

 

निशांत : क्या ?

 

आख़िर अंकित का नाम लेकर कौन कर रहा था निशांत से बात? क्या निशांत बचा पायेगा अंकित को या फिर उसका भी आर्यन की तरह ही होगा हाल? जानने के लिए पढ़ते रहिए। 

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