निशांत सोच में पड़ गया था, अगर वो आवाज़ अंकित की नहीं थी, तो फिर किसकी थी। निशांत ने घड़ी में देखा, रात के 11 बज चुके थे, इसलिए वो काफ़ी देर सोचता रहा, इस वक़्त राजवीर को कॉल करे या न करे।
उसने काफ़ी देर तक सोच विचार करने के बाद राजवीर को कॉल किया लेकिन राजवीर ने कॉल अटेंड नहीं किया। निशांत ने थोड़ी देर रुककर फिर से कॉल किया, लेकिन राजवीर ने इस बार भी नहीं उठाया। निशांत फ्रस्टेट होकर बेड पर लेट गया लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी।
उसके रूम में ज़ीरो वॉल्ट का नीला बल्ब जल रहा था, उसकी हल्की लाइट में निशांत को कभी आर्यन और अन्नू के हँसते हुए चेहरे, उसकी आँखों के सामने दिखाई देने लगते, तो कभी उसके कानों में फिर से अंकित की घबराई हुई आवाज़ गूंजती।
निशांत रात भर कभी इधर से उधर करवट बदलता, तो कभी बेड से नीचे उतर कर अपने कमरे में इधर से उधर घूमने लगता। निशांत को लग रहा था, उन सबकी परेशानी का कारण वो ही है, क्योंकि उसने ही उनको उस होम-स्टे में भेजा था और अब आराम से अपने घर में बैठा हुआ है।
सैडनेस, टेंशन, रिग्रेट और कुछ न कर पाने की विवशता ने उसको अंदर से इतना तोड़ दिया था कि उसकी आँखों से आँसू फूट पड़े और वो काफ़ी देर अपनी बालकनी में खड़ा-खड़ा धीमीं आवाज़ में रोता रहा।
निशांत लगभग घंटे भर तक बालकनी में बैठा रहा। निशांत अब थोड़ा शांत हो चुका था, जैसे उसने सोच लिया था कि वो सच का पता लगाकर ही रहेगा, चाहे अब कुछ भी हो जाये। उसने कल सुबह नौकुचियाताल जाने का डिसाइड किया और फिर वो जाकर सो गया।
सुबह की धूप खिड़की से होकर निशांत के चेहरे पर पड़ने लगी तो निशांत की नींद खुल गयी। निशांत के पिछले कुछ दिन काफ़ी तनाव और परेशानी में गुज़रे थे, लेकिन आज वो अपने आप में थोड़ा बेटर फील कर रहा था। वो कहते है न कि दर्द बढ़ते-बढ़ते, एक टाइम के बाद दवा का काम करने लगता है, कुछ ऐसा ही निशांत के साथ हो रहा था। वो अब किसी भी आने वाली परेशानी से निपटने के लिए अपने आप को मेंटली प्रिपेयर कर चुका था।
निशांत को निहारिका कहीं नज़र नहीं आ रही थी। उसने आवाज़ लगाई,
निशांत - निहारिका… कहां हो तुम?
निशांत ने निहारिका को पूरे घर में ढूंढ लिया लेकिन वो कहीं नहीं मिली। निशांत जल्दी से घर के टेरेस पर गया तो देखा निहारिका अपने आंसू छुपाने की कोशिश कर रही थी।
इतनी सुबह-सुबह निहारिका को इस तरह आंसू छुपाते हुए देखकर निशांत को कुछ अजीब तो लगा लेकीन पिछले एक महीने से उसके साथ सबकुछ अजीब ही हो रहा था, इसलिए वो इस बार हैरान नहीं हुआ। निशांत ने अपने नार्मल लहज़े में निहारिका से पूछा,
निशांत - क्या हुआ निहारिका इतनी सुबह-सुबह यहां बैठकर आंसू क्यों बहा रही हो?
निहारिका ने निशांत की टालने की कोशिश की। तभी निशांत ने नोटिस किया, निहारिका अपने हाथो में पीछे कुछ छुपाने की कोशिश कर रही थी। निशांत ने निहारिका को हग करने के बहाने से देखा, निहारिका के हाथों में न्यूज़ पेपर था।
निशांत- खबरों से शहरों में आग लगते तो देखा है, लेकिन ख़बर पढ़कर आंसू पोंछते हुए किसी को पहली बार देख रहा हूँ। लगता है मेटर थोड़ा गंभीर है।
निहारिका ने इतनी देर से अपने आंसुओ का बांध रोक रखा था लेकिन निशांत के पूछने के बाद उसने फूट-फूट कर रोते हुए न्यूज़ पेपर, निशांत को पकड़ा दिया। उसने न्यूज़ पेपर खोलकर देखा, न्यूज़ पेपर के फ्रंट पेज़ पर अंकित और श्रुति के फ़ोटो के साथ उनकी मौत की ख़बर छपी थी, जोकि निहारिका के आँसू गिरने से भीग चुकी थी।
निशांत ने न्यूज़ पड़ी लेकिन उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं था। शायद निशांत ने अपने-आप को इसके लिए पहले से प्रीपेयर कर रखा था।
निशांत न्यूज़ पढ़ने के बाद चुपचाप एक सीढ़ी पर जा बैठा और काफ़ी देर तक कुछ सोचता रहा और उठकर तेज़-तेज़ कदमों से चलता हुआ, जैसे ही नीचे उतरने के लिए आगे बड़ा, निहारिका ने उसका रास्ता रोक लिया। शायद वो समझ गयी थी, निशांत के माइंड में क्या चल रहा है। निशांत ने निहारिका को प्यार से समझाते हुए कहा-
मुझे मत रोको निहारिका, मुझे नौकुचियाताल जाना ही होगा और सच का पता लगाना ही होगा। घर में बैठकर युद्ध नहीं लड़े जाते निहारिका, उसके लिए मैदान में उतरना ही पड़ता है।
निहारिका- नहीं निशांत, वो कोई नार्मल जग़ह नहीं है, जो आप अकेले ही चले जाओगे, आपको मेरी कसम है, आप वहां नहीं जाओगे।
निशांत- आर्यन मेरे छोटा भाई जैसा था निहारिका। तुम इतनी जल्दी कैसे भूल सकती हो? हमने कितना वक्त साथ में बिताया है। उसके क़ातिल का पता लगाना मेरा फ़र्ज है निहारिका, वरना उसकी आत्मा मुझे आख़िरी वक्त तक माफ़ नहीं करेगी निहारिका।
निशांत बोलते-बोलते इमोशनल हो गया था लेकिन निहारिका ने भी जिद पकड़ ली थी कि अगर वहां जाना है तो मुझे भी अपने साथ लेकर चलना होगा। निशांत उस होम-स्टे के खतरों से वाकिफ़ था, इसलिए वो निहारिका को अपने साथ लेकर जाना नहीं चाहता था। उसने थोड़ा ग़ुस्सा दिखाते हुए निहारिका को समझाने की कोशिश की।
निशांत- समझने की कोशिश करो निहारिका, मैं वेकेशन मनाने नहीं!!! आर्यन की मौत की गुत्थी सुलझाने जा रहा हूँ। वो जग़ह बिलकुल भी सेफ नहीं है, और ऐसी जग़ह मैं तुम्हें कैसे लेकर जा सकता हूँ? अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं घर वालों को क्या जवाब दूंगा?
निहारिका नहीं मानी और निशांत को उसे अपने साथ लेकर जाने के लिए राज़ी होना पड़ा। निशांत और निहारिका छत से निचे आये तो देखा, निशांत के मोबाइल पर इंस्पेक्टर राजवीर का कॉल आ रहा था। निशांत ने देखा और अपना मुँह बनाते हुए कॉल काट दिया, शायद वो इंस्पेक्टर राजवीर से बात ही नहीं करना चाहता था।
अगली सुबह दिल्ली की सड़कों पर कोहरा छाया हुआ था। सर्दी ने शहर में पैर पसार लिए थे, पर निशांत के घर के माहौल मे गर्मी थी.आज निशांत और निहारिका नौकुचियाताल जा रहे थे, और उन दोनों को ही पता था, वे लोग एक ऐसी जगह जा रहे है, जहां से जिंदा वापस आने की भी गारंटी नहीं थी, इसलिए दोनों के दिलों मे अज़ीब सी बेचैनी थी।
निशांत ने निहारिका की तरफ देखा, वो बाहर से अपने आप को स्ट्रांग दिखाने की कोशिश कर रही थी लेकिन अंदर से बहुत डरी हुई थी। निशांत ने निहारिका की आँखों मे देखा और उसके कंधे पर अपने हाथ रखकर बोला,
निशांत- निहारिका मैं जानता हूँ, तुम अंदर से बहुत डरी हुई हो। अभी भी टाइम है, एक बार और सोच लो, क्योंकि हम जिस रास्ते पर जाने वाले है, वहाँ से पीछे मुड़ने का कोई ऑप्शन है निहारिका।
निहारिका - तुम मेरी फ़िक्र छोड़ो निशांत और कार निकालो।
निशांत और निहारिका ने रोड पर खड़े होकर कोहरे मे ढ़के अपने घर को ऐसे देखा जेसे आखिरी बार देख रहे हो और कार में बैठकर दोनों नौकुचियाताल के लिए निकल पड़े। एक ऐसी जगह, जहां से उनका कोई अपना अब तक जिंदा वापस नहीं आया था।
निशांत और निहारिका नॉर्मल होने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उनके दिलों मे एक अज़ीब सी बेचैनी और डर बना हुआ था। और उनका ये डर तब और ज़्यादा बड़ गया था, जब कार धीमे-धीमे पहाड़ों की ओर बढ़ने लगी।
रास्ते में घने पेड़, और धुंध से ढके पहाड़ उन्हें लगातार उस रहस्यमयी और खौफनाक जगह के बारे में याद दिला रहे थे, जहां वे जा रहे थे। निहारिका की आँखों में डर साफ दिख रहा था। उसे वो तमाम बातें याद आ रही थीं, जो उसने होम-स्टे के बारे में सुनी थीं—लोगों का रहस्यमय तरीके से गायब होना, बिना वजह के मौतें, और गुलाब के बगीचे में छिपे अजीब राज़।
निशांत: निहारिका, मैं जानता हूँ कि तुम डरी हुई हो, लेकिन हमें ये करना ही होगा। आर्यन, अन्नू, अंकित और श्रुति की मौत का सच मुझे जानना ही होगा।
निशांत का कॉन्फिडेन्स उसकी आवाज़ में साफ झलक रहा था, पर निहारिका के मन में सवाल उठ रहे थे। उसे लग रहा था कि इस जगह के बारे में जो अफ़वाहें फैली हैं, वह शायद सच हों। पर निशांत को कुछ और ही लग रहा था। उसने निहारिका की तरफ देखते हुए कहा,
निशांत- निहारिका, मुझे लगता है कि कोई इंसान ही इन हत्याओं के पीछे है, जो इस जगह को हॉन्टेड बताकर लोगों के डर का फायदा उठा रहा है और उनका मर्डर कर रहा है।
अभी वे दोनों बातें कर ही रहे थे कि निहारिका अचानक बुरी तरह चीख पड़ी।
निहारिका - निशांत……
आखिर क्यों चीख़ी थी निहारिका? क्या निशांत, आर्यन ओर बाकी लोगों की मौत का राज़ जान पाएगा? या फिर खुद भी अजय का अगला शिकार बन जाएगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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