जहां एक तरफ ट्रेन के एक्सीडेंट के बाद से ही साधुपुल गांव और किलोरी गांव में सब लोग दुखी थे।  शिमला में ये रेलवे लाइन पहाड़ो से होकर दोनो गांव को बाकी शहरों से जोड़ती थी। लेकिन अब उस एक्सीडेंट की वजह से कुछ दिनो के लिए यहां पर आने वाली trains को कैंसल कर दिया था।

ऐसे मे एक्सीडेंट में बचे लोगो का कहना था की उस समय उनके सामने एक घोड़ा और एक आदमी आ गया था, जिसकी वजह से एक्सीडेंट हुआ था। लेकिन पुलिस वालो ने अपनी जांच में पाया था की एक्सीडेंट लोको पायलट की वजह से हुआ था, उसने तेज स्पीड में गाड़ी को एकदम से रोका था। जिसकी वजह से पीछे के सारे ट्रेन के डब्बे पलट गए थे। और गिरते वक्त लोको पायलट एक नुकीली चीज़ पर गिर गया था ।

पुलिस वाले ये बात मानने को तैयार नहीं थे की इसके पीछे किसी अंग्रेजी भूत का हाथ था। लेकिन सोनू और अन्नू को पता था की जरूर दाल में कुछ काला है, इसलिए उन दोनों ने इसकी जांच करने की शुरुवात की।

दोनों   साधुपुल गांव के पीछे उसी सुनसान रेलवे ट्रैक पर गए, चारों ओर पहाड़ों की हरियाली थी। दूर एक ट्रेन के डब्बों के पलटे हुए हिस्से पड़े थे। शाम का समय था, चारो तरफ हल्का हल्का अंधेरा हो रहा था। सोनू और अन्नू, दोनों अपने हाथों में टॉर्च लिए, एक्सीडेंट वाली जगह पर पहुंचे। जहां पर अलग सी एक स्मेल आ रही थी, और चारो तरफ खामोशी फैली हुई थी

अन्नू - सोनू देख, इस जगह की हालत देखकर समझ आ रहा है, वो एक्सीडेंट कितना खतरनाक हुआ था। वैसे क्या सच में तुझे लगता है कि इसमें किसी भूत का हाथ है? या कही काका के भूत की वजह से, अब हम नॉर्मल चीज में भी भूत वाले एंगल तो नही देख रहे।

सोनू - देख अन्नू, लोगों ने जो भी कहा, हमें उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हो सकता है की ये नॉर्मल एक्सीडेंट का केस हो, लेकिन मुझे पता नहीं क्यों लग रहा है कि कुछ तो गड़बड़ है।

अचानक से दोनो को एक सिहरन महसूस होने लगी। दोनों ज़ोर से कंपकंपाने लगे

सोनू(थोड़ा कांपते हुए) - तुमने सुना? ये कोई आवाज थी?

अन्नू - हां, मुझे भी ऐसा ही लगा। चलो, आगे बढ़कर देखते हैं। अब हमें सच्चाई का पता लगाना ही होगा।

ये बोलकर दोनों आगे बढ़ने लगे, तभी रेलवे ट्रैक के किनारे उन्हे कुछ आवाजे सुनाई दी

अन्नू (डरते हुए) -  ये आवाज़ क्या है? कहीं वो भूत तो नहीं है?

सोनू - नही, ये आवाज पीछे जंगलों में से आ रही है! कोई जानवर के चलने की आवाज है।

तभी अन्नू की नजर बगल में पड़े ट्रेन के चक्के पर पड़ी। अन्नू ने उस पर हाथ रखा ,वो अभी भी गरम था।

अन्नू - देख सोनू, ये चक्का तो उसी ट्रेन का है। ऐसा लग रहा है जैसे ट्रेन के पलटने के बाद ये चक्का यहां पर आकर गिर गया था।

सोनू (सोचते हुए) - हां, हो सकता है। लेकिन अगर पुलिस वाली थ्योरी माने तो उनका कहना था की लोको पायलट ने तेज़ स्पीड में इमरजेंसी ब्रेक मारा था, जिसकी वजह से पीछे के ट्रेन के डब्बे पलटे लेकिन सारे डब्बे एक तरफ ही कैसे पलटे। अगर नॉर्मली ट्रेन पीछे से उतरती है तो वो किसी भी तरफ गिर सकती है, कभी कभी ऐसा भी होता है की आधे ट्रेन के डब्बे इस तरफ हो और आधे डब्बे उस तरफ हो। लेकिन सारे ट्रेन के डब्बे एक ही तरफ थे। कुछ तो गड़बड़ है।

ये बोलते बोलते तभी, सोनू को नीचे कुछ चमकीला नजर आया। उसने उसे उठाया

सोनू - देख अन्नू, ये क्या है? एक पुराना बटन।

अन्नू (हैरानी से) - ये तो किसी uniform का बटन लगता है। लोको पायलट का हो सकता है?

सोनू - नही, इस पर कुछ बना हुआ भी है। देख कुछ इंग्लिश में लिखा है?

ये बोलकर सोनू उस बटन को गौर से देखने लगा, जिसपर उसे कुछ लिखा था,,

सोनू - अन्नू, हमारा शक बिलकुल सही था। ये बटन एक ब्रिटिश आर्मी की यूनिफॉर्म का है। जिसपर लिखा है “God save the king” ये ब्रिटिश आर्मी वालो का था।

अन्नू - लेकिन ब्रिटिश आर्मी और उनके लोग तो 1947 के बाद ही यहां से चले गए थे, फिर ये अब यहां? कैसे?

सोनू - वही तो पता लगाना है हमे. आखिर ये बटन आया कहां से?

अन्नू (आवाज़ में हल्की घबराहट) - मुझे ऐसा लग रहा है कि हमें यहां से जल्दी निकलना चाहिए। हमें भी ज़मीन पर पड़ी सूखी लकड़ी लेने की आदत है

सोनू - चुप कर ! हमें और जांच करनी होगी। हमें पता लगाना होगा कि वो घोड़ा और वो आदमी कौन थे। और आखिर ये बटन यहां कैसे आया।

तभी दोनो को अचानक से एक परछाई दिखाई दी। दोनों ये देखकर ठिठक गए और डरकर एक दूसरे की तरफ देखने लगे।

अन्नू(धीरे से) - वो क्या है? तुझे दिखा वो ?

सोनू - चल, देखते हैं।

दोनों धीरे-धीरे उस परछाई की ओर बढ़ने लगे, लेकिन एकदम से वो परछाई गायब हो गई। सामने एक पुराना ट्रेन का डब्बा उल्टा पड़ा हुआ था, जिसके दरवाजे खुले थे। जो ट्रेन के एक्सीडेंट के बाद बिखरा हुआ था। चारों ओर अंधेरा और खामोशी थी।

अन्नू(फुसफुसाते हुए) - हमें अंदर जाना चाहिए?

सोनू(घबराते हुए) - हां, लेकिन ध्यान से।

सोनू और अन्नू धीरे-धीरे ट्रेन के डब्बे के अंदर घुसे ,जिसमे दरवाजे के खुलने से एक हल्की सी आवाज आई। डब्बे के अंदर, हर जगह अंधेरा फैला हुआ था, और केवल उनकी टॉर्च की रोशनी में कुछ चीजें  चमक रही थी। अंदर की सीटें उलटी पड़ी थी, कपड़े और सामान बिखरा पड़ा था। कुछ सूटकेस खुले पड़े थे, जिनमें से कपड़े बाहर निकल रहे थे, जैसे कि यात्रियों ने भागने की कोशिश की थी। लेकिन वो सफल नहीं हो सके। बिखरे हुए सामान के बीच कुछ किताबें और पर्सनल सामान भी था, जैसे की एक पुराना कैमरा, कुछ खिलौने, और एक सोने का ब्रेसलेट।

इन सब चीजों को देखकर लग रहा था कि एक्सीडेंट के बाद यात्रियों में हड़बड़ी थी, और वो अपनी जान बचाने के लिए अपना सामान छोड़कर भाग गए। सोनू और अन्नू ने एक बार फिर चारों ओर नज़र  डाली। वो दोनो अभी भी बिखरे हुए सामान के बीच चल रहे थे.

डब्बे की दीवारों पर खरोंचे थी, जो बता रही थी कि ट्रेन के अचानक रुकने के कारण यात्रियों को कितना नुकसान हुआ। सीटों पर लगी कुशनिंग जगह-जगह से उखड़ी हुई थी, ये सब उस भयानक पल की याद दिला रहा था, जब सब कुछ एकदम बदल गया था। उस समय का डर और हड़बड़ी अभी भी इन सामानों में ज़िंदा थी। एक्सीडेंट का दर्द और चीखे इस डब्बे के हर कोने में बसी हुई थी, और सोनू और अन्नू इसे महसूस कर रहे थे।

अन्नू और सोनू उस जगह से वापिस आ गए और आगे की इन्फोर्मेशन पता लगाने के लिए गांव की एक पुरानी लाइब्रेरी में पहुंच गए। जहां पर सारी पुरानी किताबे और अखबार रखे थे। उस पुरानी लाइब्रेरी में, जहाँ धूल से भरे खिड़कियों के रास्ते में हल्की रोशनी आ रही थी। चारों ओर किताबों की अलमारियां थी, इनमे शिमला का इतिहास और पुरानी कहानियों से भरी किताबें रखी गई थी। अन्नू और सोनू एक टेबल पर बैठे थी, जहां पर पुरानी किताबें और अखबारों के कागज़ बिखरे हुए थे। तभी अन्नू एक किताब के पन्ने पलटते हुए अचानक रुक गया।

अन्नू - देख सोनू, यहां एक फोटो है।

अन्नू ने उस किताब को सोनू की ओर मोड़ा, सोनू ने उस फोटो को ध्यान से देखा। उस फोटो में एक ब्रिटिश आर्मी की यूनिफॉर्म में एक आदमी खड़ा था, जिसके पास उसका घोड़ा था। सोनू ने उस फोटो को गौर से देखा तो उसकी यूनिफॉर्म में बिलकुल वैसा ही बटन लगा हुआ था।

सोनू -  देख अन्नू, इस फोटो में बिलकुल वैसा ही बटन है, जैसा हमे उस रेलवे ट्रैक के पास पड़ा हुआ मिला था।

अन्नू (गंभीरता से) - तेरा शक बिलकुल सही था, सोनू। मुझे तो लगता है ये वही आदमी है।।देख, इसके नीचे लिखा है की ये ब्रिटिश आर्मी में कर्नल की पोस्ट पर था, इसका नाम जेम्स हडसन था। जो किलोरी गांव के पास बने एक किले में रहता था, लेकिन ये हिन्दुस्तानियों से बहुत नफरत करता था। इसको ब्रिटिश सरकार ने शिमला की रेलवे लाइन बनाने का काम दिया था, शिमला का सारा रेलवे का काम इसके अंडर ही आता था।लेकिन इसकी और इसके घोड़े की 1935 में एक दिन मौत हो गई थी।

सोनू - कैसे? ये लिखा है क्या?

अन्नू - नही इसमें बस इतना ही लिखा है।

तभी अन्नू बगल से एक अखबार उठाया, जो अंग्रेजों के ज़माने  का अखबार था, जिसके पीले पन्ने समय की गवाही दे रहे थे। जिसे पढ़ते हुए अन्नू की आंखे चमकने लगी

अन्नू - देख, इस अखबार में लिखा है कि वो अंग्रेजी कर्नल जेम्स रोज शिमला के इंडियंस पर अत्याचार करता था और उन्हें खूब मारता था और उनसे गुलामों की तरह काम करवाता था। इसलिए एक दिन कुछ हिन्दुस्तानियों ने मिलकर उसे और उसके घोड़े को मार दिया और दोनों को साधुपुल गांव के उसी तालाब में फेंक दिया था।

सोनू (सोचते हुए) - ये तो हमारे गांव का तालाब है, वो एक्सीडेंट भी वैसे तालाब के ठीक पीछे वाले रेलवे ट्रैक के पास ही हुआ था।

अन्नू (धीरे से) - इसका मतलब उसकी आत्मा दुबारा वापिस आ गई है।

सोनू - हां और ये सब उस रात के बाद से शुरू हुआ, जब ट्रेन का एक्सीडेंट हुआ था। तो इसका मतलब है की ये सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है। वो कर्नल जेम्स और उसका घोड़ा... अब उनकी आत्मा यहां भटक रही है।

अन्नू - लेकिन अब हम क्या करेंगे। वो तो भूत है, उससे हम कैसे लड़ पाएंगे, काका अहलूवालिया होते तो कितना अच्छा होता।

सोनू - हमे इस बार इस भूत से खुद निपटना होगा, अगर हमें इस गांव को बचाना है, तो हमें इस अंग्रेजी भूत की कहानी को समझना होगा और उसके लिये हम उस किले की ओर जाना होगा।

दोनों इस प्लान को ध्यान में रखते हुए लाइब्रेरी से बाहर निकल गए। उनके चेहरे पर एक नई उम्मीद झलक रही थी, दोनों वहां से सीधा किलोरी गांव के उस किले की ओर बढ़े। शाम का समय था। अन्नू और सोनू किले की दीवार पर बैठे थे, जहां सूरज ढल रहा था, और हवा में एक अलग सी ठंडक थी।

अन्नू - सोनू, पक्का वो अंग्रेजी भूत अपने घोड़े के साथ यहां पर आया था . अभी मैं इस गांव में रहने वाले मनोज से बात कर रहा था, उसने बताया की कुछ दिनो से इस किले के आसपास डरावनी आवाजे सुनाई दे रही है। और उसने उस अंग्रेजी भूत के बारे में भी बहुत सारी बाते बताई।

सोनू - क्या बाते?

अन्नू - उसने कहा की, कुछ दिनो से जब सूरज ढल जाता है, उसके बाद इस किले की दीवार पर कोई परछाई दिखती है, जो एक घोड़े के साथ घूम रही होती है। सोनू, वैसे अगर तेरी बात सच है और अगर वो अंग्रेजी भूत वापिस आ गया है, तो हमें क्या करना चाहिए? क्या हमें गांव वालों को चेतावनी देनी चाहिए?

सोनू(जोश के साथ) - लग गए घोड़े , म। मेरा मतलब

हां, हमें गांव वालो को जरूर बताना चाहिए। लेकिन मुझे लगता है, उससे पहले हमें कुछ और information जुटानी चाहिए। शायद हमें किले के अंदर जाकर देखना चाहिए।

अन्नू - किले के अंदर? अरे, तू पागल हो गया है क्या? वहां जाना तो और भी खतरनाक है। अगर वो अंग्रेजी भूत  ं हुआ तो...

सोनू - कुछ नही होगा हमे अन्नू,। सोच अगर हमने इसके पीछे का सच जान लिया, तो शायद हम उनके गांव वालों की मदद कर पाएंगे।

अन्नू - लेकिन वो हमारे गांव की दिक्कत थोड़ी है

सोनू - चाहे ये हमारा गांव की दिक्कत नही है, लेकिन वो अंग्रेजी भूत किलोरी गांव से निपटने के बाद हमारे गांव भी आ सकता है। इसलिए हमे पहले ही उसे रोक देना चाहिए

अन्नू(कुछ सोचते हुए) - ठीक है, लेकिन हम रात से पहले वापस आ जाएंगे।

सोनू - ठीक है, चल चलते हैं।

दोनों खड़े होकर किले के अंदर की तरफ चले गए।

 

आखिर किले में उस अंग्रेजी भूत और उस भूतिया घोड़े का ऐसा कौन सा राज छुपा है। क्या अन्नू और सोनू उस अंग्रेजी भूत का सामना कर पाएंगे? क्या उससे गांव वालो को बचा पाएंगे?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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