अगली सुबह होने के साथ ही सब कुछ normal हो गया। कुमार जो पिछली रात को मैथिली को पाने के लिए कुछ सोच रहा था, अब वो एक सही समय का इंतज़ार करने लगा। वो नहीं चाहता था कि पिछली बार जिस तरह वो मैथिली के घर अपने मां बाबा को लेकर चला गया था और वहां हंगामा हुआ था, वैसा ही कुछ इस बार हो।  

कुमार को लगा था कि मैथिली से बात करने का तरीका school ही है, इसलिए वो school आ गया था। मगर तीन period बीत जाने के बाद भी कुमार को school में कहीं भी मैथिली नहीं दिखाई पड़ी। वो अपने class में उदास बैठा हुआ था, उसका मन ज़रा भी नहीं लग रहा था, तभी एक लड़के ने कुमार के सिर मर टपली मारते हुए कहा," क्या हुआ कुमार आज तो मैथिली मैडम नहीं आई, इसके बाद भी तू class में बैठा है…”

उस लड़के का सीधा इशारा कुमार को चिढ़ाने का था। उसके ऐसा कहते ही क्लास के सभी बच्चे कुमार को चिढ़ाने लगे क्योंकि जब मैथिली होती थी, उस वक्त कुमार अपनी मनमानी करता था। वो class monitor नहीं था, इसके बाद भी वो class में हुकुम चलाता था। कुमार ने तभी उन लोगों से कहा,

कुमार(चिढ़ कर) : “देखो मुझे परेशान मत करो वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा, मेरा दिमाग़ ख़राब मत करो….”  

Narrator- कुमार भी अब गुस्से में आ गया था मगर बच्चे उसे चिढ़ाना बंद नहीं कर रहे थे। वो जानते थे कि आज मौका अच्छा है। ठीक उसी वक्त class के एक  लड़के ने कहा, “हां दिमाग़ तो ख़राब रहेगा ही…. सुनने में आया है कि तू मैथिली मैडम से प्यार करता है…उनसे शादी के सपने देख रहा है….”  

“अरे!... अरे!... कुमार तुझे school की लड़कियों ने भाव नहीं दिया क्या…. और तो और तूने अपनी ही class teacher को….”

कुमार (बात काटते हुए) : “मेरे बारे में जो बोलना है बोल लो…मगर please मेरी feelings का मज़ाक मत बनाओ…..तुम सब की भी कोई न कोई crush है…. मैंने कभी तुम्हें तो कुछ नहीं कहा….”

“तू कहेगा भी क्या…. कुमार तू बेफ़कूफ है, पागल है तू पागल, जाकर किसी doctor से इलाज़ करवा….” कुमार को जैसे ही उस लड़के ने कहा, उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।  

“मैं पागल नहीं हूं, तुम सब लोग पागल हो।" कहते हुए कुमार पैर पटकता हुआ class से बाहर जाने लगा, मगर तभी एक लड़के ने उसका पैर फंसा कर, कुमार को ज़मीन पर गिरा दिया। कुमार को गिरता देख class में मौजुद सारे लड़के लड़कियां हंसने लगे। सब के सामने कुमार की बेइज्जती हो गई थी। उसने उस लड़के का collar पकड़ते हुए कहा,

कुमार(दांत पीसते हुए) : “बस अब बहुत हुआ….तब से मैंने बर्दाश्त किया मगर अब नहीं….तुमने अपनी हद पार कर दी है…”

कहते हुए कुमार उस लड़के पर एक के बाद एक punch से वार करने लगा। अगले ही पल उस लड़के के दो तीन दोस्त कुमार के सामने आ गए और  class में झगड़ा शुरू हो गया था। सारे लोग कुमार को चिढ़ाने करने में लगे हुए थे।  

“कुमार तूने मुझ पर हाथ उठाकर अच्छा नहीं किया।" उस लड़के ने कहा और कुमार को मारने लगा।  

क्लास में शोर बढ़ने लगा था। अचानक से शोर सुन कर बगल वाले class से जीतेंद्र दौड़ कर वहां आया। जीतेंद्र को देखते ही वो लड़के कुमार से अलग हो गए। जीतेंद्र ने पूछा,

जीतेंद्र(कड़क आवाज़ में) : “क्या हो रहा था यहां…. तुम सब school लड़ाई करने आते हो….”

“Sir गलती कुमार की थी….हमने कुछ नहीं किया था….” इसी तरह एक एक करके वो लड़के कुमार पर इल्ज़ाम लगाने लगे। कुमार ने तभी आख़िर में कहा,

कुमार(गुस्से से) : “लड़ाई की शुरुआत तुम लोगों ने की थी…मैं तो चुप चाप बैठा था…. मैथिली के बारे में तुमने कहना शुरू किया…मैं उसके ख़िलाफ़ एक शब्द भी बर्दाश्त नहीं करूंगा….”

कुमार ने ये class के लड़कों को देखकर कहा था मगर उसका इशारा जीतेंद्र की ओर था, कुमार ये बता देना चाहता था कि मैथिली सिर्फ़ उसकी है। जीतेंद्र को भी अचानक से कुमार की बात सुन कर, वो रात याद आ गई, जब कुमार ने मैथिली को propose किया था। जीतेंद्र गुस्से से बिफर पड़ा, मगर वो इस वक्त कुछ कर नहीं सकता था। उसने order देते हुए कहा,

जीतेंद्र(गुस्से से) : “कुमार तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आओगे...( Pause)... जाओ और ground के 10 चक्कर लगाओ, तब तुम्हारी अक्ल ठिकाने आएगी…जाओ अब यहां से…”  

कुमार जीतेंद्र को गुस्से से घूरने लग गया। उसे समझ नहीं आया कि सिर्फ़ उसे ही सज़ा क्यों मिली। थोड़ी ही देर में कुमार जीतेंद्र को देखकर ये समझ गया  कि जीतेंद्र उससे बदला ले रहा है। कुमार ने जाते जाते कहा,

कुमार (ताना मारते हुए)- "तुम कितना भी गुस्सा कर लो पर मैथिली से तुम्हारी शादी कभी नहीं होगी, वो सिर्फ़ मेरी है…मेरी।”

कुमार ने धीरे से कहा था ताकि उसकी बात सिर्फ़ जीतेंद्र सुने, जीतेंद्र उसकी बात सुनते ही आग बबूला हो गया। मैथिली से ना मिल पाने के कारण वो पहले से ही खीजा हुआ था, कुमार के इस ताने ने आग में घी का काम किया। जीतेंद्र कुमार को गुस्से से घूरते हुए बोला, "क्या कहा तुमने, ज़रा फिर से कहना।"  

कुमार(हंसते हुए) : “मुझे पता है तुमने मेरी बात सुन ली थी…. दोबारा कह दूंगा तो बर्दाश्त नहीं होगा….”

इस बार जीतेंद्र अपने ऊपर काबू नहीं रख पाया। उसने गुस्से में कुमार को दो तीन थप्पड़ लगा दिए। पूरा class सन्नाटे में चला गया जीतेंद्र को इतने गुस्से में देख कर। जीतेंद्र ने चिल्ला कर कहा,

जीतेंद्र (गुस्से से): "तुम एक पागल लड़के हो, तुम कुछ करने या बोलने से पहले एक भी बार नहीं सोचते। तुम जैसों को सुधारना मुझे आता है….”

जीतेंद्र के मन में जो आ रहा था, वह उसे बोले जा रहा था। जीतेंद्र के मन में भी गुस्सा था। क्लास के बच्चे भी जानते थे कि जीतेंद्र और मैथिली की शादी होने वाली थी मगर कुछ कारणों से रुक गई थी, वहीं जीतेंद्र ने आख़िरी बार कहा,

जीतेंद्र (चेतावनी देते हुए): “कुमार ये मेरी आखिरी warning है, अगर तुमने मैथिली के बारे में कुछ भी कहा तो इसके बाद मैं principal office जाकर तुम्हारे शिकायत कर दूंगा।"

इतना कहते हुए जीतेंद्र वहां से जाने लगा। जीतेंद्र के जाते ही वह लड़के कुमार की तरफ मुस्कुराते हुए देख कर बोले, “देखा जीतेंद्र sir भी तुमसे नफरत करते हैं और मैथिली मैडम तुम जैसे ढक्कन से प्यार तो कभी नहीं कर सकती। पागल कुमार…आज से तेरा यही नाम….” कहते हुए वो लड़के ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे।  

कुमार ने इस बार कुछ नहीं सोचा और गुस्से में आकर उसने उस लड़के का सिर bench पर पटक दिया, अगले ही पल वो लड़का बेहोश होकर गिर पड़ा। Class में एक बार फिर से हंगामा हो गया। सारे लोग कुमार से घबराने लगे। थोड़ी ही देर में ये बात Principal तक पहुंच चुकी थी और उन्होंने  कुमार और उन बाकी लड़कों को अपने ऑफिस में बुलाया।  

Principal ने चारों को घूरते हुए कहा, "क्या हुआ क्यों झगड़ रहे थे...( Pause)... और कुमार क्या तुम गुंडे हो….तुमने उस लड़के का सिर bench पर पटकने से पहले एक बार भी नहीं सोचा….अभी तो वो होश में है…लेकिन अगर उसे कुछ हो जाता तो….”

कुमार (घबराते हुए)- " पर sir पहले ये लोग मुझे चिढ़ा रहे थे, उसके बाद ही मेने इन पर हाथ उठाया और फिर धीरे धीरे बात बहुत ज़्यादा बढ़ गई। मेरा लड़ाई करने का कोई इरादा नहीं था।”

कुमार अपनी तरफ़ से सफाई दे रहा था कि उन लड़कों में से एक ने कहा , "नहीं sir ये झूठ बोल रहा है, लड़ाई पहले इसने शुरू की थी…. ये हमें उल्टी सीधी बातें बोल रहा था…”

ठीक उसी वक्त जीतेंद्र भी वहां आ गया। उसे देखते ही कुमार समझ गया कि उसका खेल ख़त्म। उसने मन ही मन कहा,  

कुमार (मन ही मन)- "जीतेंद्र के बच्चे तुझे भी अभी टपकना था, मेरी life का सबसे बड़ा पनौती तू ही है।"

कुमार जहां ये सब सोच रहा था, वहीं जीतेंद्र Principal को बताने लगा कि वो कुमार को पहले भी Warning देकर आया था। जीतेंद्र ने आगे कहा,

जीतेंद्र(गुस्से से) : “कुमार बहुत बतदमीज हो गया है sir…इसको मैंने कहा था कि ये ground का चक्कर लगाए…इसने वो भी नहीं किया और मेरे जाने के बाद इसने फ़िर से लड़ाई की….”

जीतेंद्र की बात सुनते ही Principal ने कहा, "कुमार क्या जीतेंद्र sir सही कह रहे है?” Principal की बात सुनकर कुमार ने अपनी नजरें नीचे कर ली। जीतेंद्र को ये सही मौका लगा, कुमार को सबक सिखाने का। उसने मौके का फायदा उठाते हुए कहा,  

जीतेंद्र(बिगड़ते हुए) - "sir ये क्या बताएगा…. मैं आपको बताता हूं….इसने मुझसे जुबान लडाने की भी कोशिश की है और तो और इसकी कई ladies teachers पर बुरी नजर है, मैथिली मैडम के बारे में भी ये क्या सोचता है…इसके class के बच्चे आपको बता देंगे…(pause)... आप ख़ुद सोचिए, क्या इस तरह के students से हमारे school का नाम ख़राब नहीं होगा।”

जहां जीतेंद्र की बात सुनकर Principal हैरान थे वहीं कुमार भी एक पल के लिए सकपका गया। कुमार ने तुरंत घबराते हुए कहा, "नहीं sir…. ये झूठ बोल रहे हैं। मेरी नज़र किसी भी…”

Principal ने मगर कुमार को बोलने ही नहीं दिया। उन्होंने पहले उन लड़कों को डांटा और वहां से भेज दिया। उनके जाते ही Principal ने कुमार की तरफ देखकर कहा, " कुमार क्या तुम्हें अपनी सफाई में कुछ और कहना है ?"

इससे पहले कि कुमार कुछ बोल पाता, जीतेंद्र ने बीच में कहा,

जीतेंद्र ( तपाक से)- " सफाई की कोई गुंजाइश ही नहीं है, सारी की सारी गलती इसी की है sir, आपको इसे punishment देनी चाहिए ताकि बाकी बच्चों को पता चले कि इसके जैसी ग़लती करने की सज़ा क्या होती है।”

जीतेंद्र की बात सुनकर कुमार ने उसे गुस्से से घूरा।जीतेंद्र कुमार को बस एक बार सबक सिखाना चाहता था। यह सब सुनते ही Principal ने कुमार से कहा, "कुमार मैंने सोचा नहीं था कि तुम इतने शैतान बच्चे हो।"  

कुमार(उदासी से)- " नहीं sir आप गलत समझ रहे हैं….”

कुमार की बात पर Principal ने गुस्से से कहा,  "तो तुम कहना चाहते हो कि जीतेंद्र sir झूठ बोल रहे हैं।"

Principal की बात सुनकर कुमार ने कुछ सोचा और कहा, "

कुमार: जी sir जीतेंद्र sir झूठ बोल रहे हैं, ये मुझसे बदला ले रहे हैं, क्योंकि मैंने इनकी शादी के बारे में कुछ कहा था…."  

कुमार अब ख़ुद ही फंस चुका था, जीतेंद्र के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई थी। वहीं Principal ने कुमार को घूरते हुए कहा, "मैं तुम्हें स्कूल से एक महीने के लिए suspend करता हूं, उम्मीद है एक महीने बाद जब तुम school आओगे तो ख़ुद को बदल कर आओगे…”

कुमार (घबराते हुए) - " नहीं sir प्लीज ऐसा मत कीजिए मैं आपके सामने हाथ जोड़ता हूं। मेरे मां बाबा को जब ये पता चलेगा, वो ये बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे…वो मुझे बहुत मुश्किल से पढ़ा रहे हैं sir….”

कुमार ने Principal के सामने बहुत हाथ पैर जोड़े पर उसकी एक नहीं सुनी गई। Principal ने गुस्से से कहा, “ये सब तुम्हें तब सोचनी चाहिए थी, जब तुमने झगड़ा किया था।"

कुमार ने जीतेंद्र से भी request की मगर जीतेंद्र ने ऐसा दिखाया, जैसे वो उसकी बातें सुन ही नहीं रहा हो। काफ़ी देर तक गिड़गिड़ाने के बाद भी जब कुछ नहीं हुआ तो कुमार समझ गया कि अब कुछ नहीं होने वाला। उसे अचानक ही मैथिली की याद आ गई, पिछली बार fees ना भर पाने के कारण जब कुमार को school आने से मना किया गया था, मैथिली ने ही उसकी मदद की थी, मगर अब सब कुछ बदल चुका था। कुमार ने जीतेंद्र को घूरते हुए मन में कहा,

कुमार (गुस्से से)- "जीतेंद्र तुझे तो मैं छोडूंगा नहीं...बस एक बार मौका मिल जाए, तुमने मेरा future बर्बाद कर दिया है….”

स्कूल की छुट्टी होने में अभी कुछ देर थी और  कुमार के दिल में एक अलग ही तूफान उठा था। वो यही सोच रहा था कि जीतेंद्र से बदला कैसे लिया जाए, साथ ही उसके दिमाग़ में ये भी बात चल रही थी कि घर जाकर वह क्या जवाब देगा कि उसे स्कूल से क्यों suspend कर दिया गया है। कुमार को डर था कि कहीं उसके बाबा इस बार कुछ कर ना लें।

थोड़ी ही देर में school की छुट्टी हुई, कुमार को एक लड़के ने टक्कर मारते हुए कहा, "क्या हुआ कुमार बोला था ना जीतेंद्र sir तुमसे नफरत करते हैं... आइंदा से हमसे पंगा लेने से पहले सोच लेना।"  

कुमार ने इस बार कुछ नहीं कहा और वो school से बाहर एक सुनसान रास्ते की ओर जाने लगा।  

कुछ ही देर में कुमार को उसी रास्ते पर जीतेंद्र आता हुआ दिखाई पड़ा, उसका दिमाग़ पहले से ही ख़राब था, कुमार को यही सही मौका लगा बदला लेने का। जीतेंद्र उस सुनसान रास्ते पर अकेला घर की तरफ जा रहा था। कुमार ने एक पेड़ के पीछे छुपते हुए कहा,  

कुमार(शैतानी मुस्कराहट के साथ)- "जीतेंद्र आज मैं तुझे हमेशा के लिए मैथिली से दूर कर दूंगा। बस बहुत हुआ…. आज तुझे पता चलेगा कि कुमार कौन है…”

कहते हुए कुमार ने एक बांस का डंडा उठाया और जीतेंद्र के पीछे जाने लगा। उस रास्ते पर जगह जगह कई सारी घनी झाड़ियां थी, कुमार उन्हीं के बीच छुपता हुआ आगे बढ़ रहा था। वहीं दूसरी तरफ जीतेंद्र को एक पल के लिए लगा कि कोई उसका पीछा कर रहा है। उसने जैसे ही मुड़कर देखा, उसे कहीं कोई नज़र नहीं आया। उसने खुद से कहा,

जीतेंद्र (मन ही मन) - " मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि जैसे कोई मेरा पीछा कर रहा है, हो सकता है ये मेरा वहम हो….”

जीतेंद्र इसे अपना वहम समझ आगे बढ़ने लगा। वहीं कुमार को तभी एहसास हुआ कि वो अब ज़्यादा देर नहीं कर सकता था। उसने ख़ुद को मजबूत किया और झाड़ी से निकल कर जीतेंद्र के पीछे जाने लगा। कुमार डंडे से जीतेंद्र पर वार करने ही वाला था कि एक आवाज़ ने उसे रुकने पर मजबूर कर दिया,

A male voice: “कुमार…. ये क्या करने जा रहे थे तुम?”

कुमार ने जैसे ही उस शख़्स को देखा, उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गई। कौन है यह शख्स?

जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग।

 

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