मैथिली के घर दरवाज़े के बाहर कोई और नहीं बल्कि कुमार खड़ा था। उसे याद आया कि पिछली बार जब कुमार उसके घर आया था, कितना बवाल हुआ था। इसलिए इस वक्त मैथिली पूरी तरह से डर गई थी। कुमार वहीं पर खड़ा था और मैथिली को घूरे जा रहा था। तभी कुमार ने कहा, "मुझे लगता है कि हमें बात करनी चाहिए।"
मैथिली अब बुरी तरह से घबरा गई और वो कुमार को वहाँ से जाने का इशारा करने लगी मगर कुमार तो अपनी ज़िद पर अड़ा हुआ था।
मैथिली(कड़क आवाज़ में) : "कुमार तुम अपनी हद पार कर रहे हो, मैं तुम्हें बार बार नहीं समझाऊंगी....आखिर तुम क्यों कर रहे हो ये सब, क्या मिल जाएगा तुम्हें ये सब करके?"
कुमार ने देखा मैथिली की आँखों में परेशानी साफ साफ झलक रही है। उसने मैथिली को समझाया कि वो उसे नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता, ना ही उसे कोई दुख देना चाहता है। वो तो बस उसकी भलाई के लिए सब कुछ कर रहा है। जैसे ही मैथिली ने ये सब कुछ सुना, उसने चिल्लाते हुए कहा,
मैथिली(चिढ़ते हुए) : "भलाई!!! तुम्हें लगता है कि तुम मेरा पीछा करोगे, अचानक से रात में मेरे घर के सामने आ जाओगे तो इसमें मेरी भलाई है? कुमार सच तो ये है कि अब मुझे तुमसे डर लगने लगा है....(pause)...एक वक्त था जब स्कूल में तुम मेरे सबसे अच्छे स्टूडेंट थे.... तुम्हें बचाने के लिए न जाने मैंने क्या क्या किया था...क्या तुम वो सब कुछ भूल गए, तुम तो एहसान फरामोश निकले..."
कुमार(हड़बड़ा कर) : "नहीं....नहीं मैथिली..ऐसा मत कहो तुम मुझे थप्पड़ मार लो, मुझे बेइज्जत कर लो मगर एहसान फरामोश मत कहो क्योंकि मुझे सब कुछ याद है...अगर तुमने उस वक्त मेरी मदद ना की होती तो शायद मुझे स्कूल से निकाल दिया गया होता।"
मैथिली: "जब तुम्हें सब कुछ याद है तो फिर ये सब क्यों कर रहे हो, क्यों मुझे परेशान कर रहे हो?”
मैथिली ने कहा। कुमार जो अब तक कठोर बनने की कोशिश कर रहा था वो अचानक ही emotional हो गया। उसने रोते हुए मैथिली को वो बस हमेशा से ये चाहता था कि वो और मैथिली साथ रहे। जब से जीतेंद्र बीच में आया, सब कुछ बदल गया। मैथिली उसको ज्यादा व्यक्त देने लगी, हर वक्त उसके बारे में सोचने लगी। कुमार एक एक करके अपनी सारी बातें मैथिली को बताते हुए समझाने की कोशिश कर रहा था। वहीं मैथिली ने जब सब कुछ सुना, उसने एक गहरी सांस लेते हुए कहा,
मैथिली(आराम से) : ये मेरी ज़िंदगी है कुमार! मैं किसके साथ कितना वक्त बिताऊ यह मेरे अलावा और कोई नहीं डिसाइड करेगा। जीतेंद्र और मेरी शादी पक्की हो चुकी है और वह होकर रहेगी कुमार। ”
कुमार(गुस्से से बात काट कर) : "नहीं यही तो गलत है, वो जीतेंद्र तुम्हारे लिए सही नहीं है, तुम उससे शादी तोड़ दो, ये सही नहीं है, मैं तुम्हें बता रहा हूँ और अगर तुमने ये शादी नहीं तोड़ी तो फिर बहुत कुछ गलत हो जाएगा।"
मैथिली ने देखा कि शादी शब्द सुनते ही कुमार का टोन बदल गया था। मैथिली को लगा था कि कुमार शांत हो जाएगा या माफी मांगकर वापस चला जाएगा मगर अचानक से उसने देखा कि कुमार ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा। कुमार की हँसी की वजह मैथिली समझ नहीं पाई। वो बड़ी बड़ी आँखों से उसे देखे जा रही थी। तभी कुमार ने ताली बजाते हुए कहा,
कुमार(हंसते हुए) : "वाह!!....मैथिली... वाह!!....तुम क्या मुझे डरा रही हो.... क्या कर लोगी तुम मेरे साथ और क्या गलत होगा मेरे साथ....तुमने मेरे प्यार को ठुकरा कर पहले ही गलत कर दिया है....(pause)....एक बात तुम कान खोल कर सुन लो...मैथिली तुम सिर्फ़ मेरी हो, सिर्फ मेरी और तुम्हे जीतेंद्र से और बाकी सभी मर्दों से खतरा है, ये बात जान लो....."
"कुमार....तुम पागल हो चूके हो...तुम्हारा दिमाग खराब हो चुका है...." इतना कहने के बाद मैथिली ने कुमार को चेतवानी दी और वहाँ से जाने लगी। मगर तभी कुमार ने उसे रोकते हुए कहा,
कुमार(धमकी देते हुए) : "मैथिली अगर तुम इस तरह से जा रही हो तो फिर सोच लो तुम्हारे साथ कुछ भी हो सकता है। "
कुमार के मुँह से जैसे ही यह बात मैथिली ने सुनी तो वह बर्दाश्त नहीं कर पाई। वो बड़बड़ाते हुए कुमार के पास आई और उसने उसका कॉलर पकड़ते हुए कहा,
मैथिली(गुस्से से) : "क्या बकवास कर रहे हो तुम...तुम्हें शर्म आनी चाहिए इतने छोटे लड़के होकर इस तरह गुंडों वाली बातें कर रहे हो और तुमने क्या कहा....मेरे साथ कुछ भी हो सकता है...(Pause)...क्या कर लोगे तुम... हाँ एक थप्पड़ लगाऊंगी, सारा प्यार का भूत उतर जाएगा।"
तभी कुमार ने मैथिली का हाथ कसकर पकड़ते हुए कहा, "
कुमार(हँसते हुए पागल की तरह): मारो... मुझे मारो, मैं तो चाहता हूँ कि तुम मुझे मारो, और तुम्हें यही चाहिए तो मैं ज़िंदगी भर तुमसे मार खाकर भी खुश रहने को तैयार हूँ! बोलो! मिलेगा ऐसा लड़का कहीं? करेगा कोई इतना प्यार तुमसे कभी?
कहते हुए कुमार मैथिली का हाथ पकड़कर खुद के गालों पर एक के बाद एक थप्पड़ मारने लगा, मगर तभी मैथिली ने अपना हाथ उसके हाथों से छुड़ाते हुए कहा,
मैथिली(चिल्लाते हुए) : "बस...बहुत ड्रामा हो गया। कुमार मैं बार बार तुम्हे नहीं समझाऊंगी अगर तुमने कुछ भी करने की कोशिश की....मुझे या मेरे परिवार को किसी को भी कुछ भी हुआ तो मैं सब कुछ भूल कर पुलिस के पास चली जाऊंगी।
कुमार को उम्मीद नहीं थी कि मैथिली के मुँह से वो ऐसे शब्द सुनेगा? उसे एक पल के लिए तो यकीन ही नहीं हुआ कि मैथिली ने उसे पुलिस की धमकी दी थी। एकाएक ही कुमार को कुछ ऐसा याद आ गया, जिसके बाद वो शांत हो गया। मैथिली को कुमार का ये अंदाज देखकर हैरानी हुई, जो कुमार अभी तक आवेश में था, वो अचानक से शांत होकर चुपचाप सर झुकाकर खड़ा हो गया था। मैथिली ने एक बार फिर से कुमार को धमकाया और वहाँ से तेज कदमों से अपने घर की ओर जाने लगी। कुमार मैथिली को जाते हुए तब तक देखता रहा जब तक वो उसकी आँखों से ओझल ना हो गई। उसके जाने के बाद ही कुमार सिर पकड़कर जमीन पर बैठ गया। उसने अचानक ही पागलों की तरह हंसते हुए कहा,
कुमार(ज़ोर से) : "मैंने जिससे प्यार किया था वो मुझे पुलिस में ले जाने की धमकी देती है, ये क्या कैसा प्यार है.....आखिर क्यों मैथिली... तुम इतना क्यों बदल गई ...अभी थोड़ी देर पहले तुमने ही कहा था हम दोनों का रिश्ता कितना अच्छा था। मैं वो पल आज भी नहीं भूल सकता, जब तुम्हारे कारण स्कूल में मुझे दोबारा जाने का मौका मिला था।"
ये कहते कहते अचानक से कुमार पुरानी यादों में चला गया, जब कुछ साल पहले उसके साथ एक बड़ी घटना घटी थी।
<फ्लैश्बैक इफेक्ट>
"कुमार, तुम्हारे स्कूल की फीस छह महीने से बाकी है, कभी कुछ बहाना तो कभी कुछ बहाना! ऐसा अब और नहीं चलेगा। स्कूल की फीस भरो नहीं तो हमें तुम्हें निकालना पड़ेगा"
कुमार चुप था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या जवाब दे। उसकी खामोशी को देखकर Principal ने फिर से चिल्लाना शुरू कर दिया और कारण जानने की कोशिश करने लगा। कुमार अपनी मजबूरी और बुरी हालत किसी को भी बताना नहीं चाहता था, क्योंकि उसे शर्म आती थी मगर जब उसने देखा कि Principal चुप ही नहीं हो रहा, वो लगातार बोले जा रहा है तो उसे भी गुस्सा आ गया। उसने टेबल पर हाथ मारते हुए कहा,
कुमार(गुस्से से) : "आप कैसे Principal हैं? आपको पैसों की पड़ी है, क्या आज तक ऐसा कभी हुआ है कि मेरे खिलाफ़ कोई शिकायत आयी हो या आप को मेरे बारे में कुछ भी गलत सुनने को मिला हो.... नहीं ना....हाँ, मैं मानता हूँ की फीस देने में देरी हुई हैं मगर उसके भी कई कारण हैं। हम कोई अमीर परिवार से तो हैं नहीं। इसके बाद भी आप समझने की कोशिश नहीं कर रहे.....(Pause)...लोग सही कहते हैं, आजकल पढ़ाई एक धंधा बन चुका है और आप जैसे लोग इस धंधे को..."
कुमार आगे बोलता कि तभी एक जोरदार थप्पड़ उसके गालों पर पड़ा। Principal ने उसे घसीटते हुए बाहर निकाल दिया और कहा, "दफ़ा हो जाओ यहाँ से.... जाकर बाहर नेतागिरी करना और वहाँ भाषण देना...मेरे स्कूल में ये सब नहीं चलेगा.....अब तुम स्कूल तभी आओगे, जब तुम थोड़ी तमीज़ सीख लोगे और अपनी फीस के पैसे जुगाड़ लोगे।"
कुमार को हाथ पैर जोड़ते हुए Principal के सामने गिड़गिड़ाने लगा मगर Principal ने उसे धक्का देते हुए कहा, "कहा ना...दफ़ा हो जाओ यहाँ से...." कुमार खुद को संभाले हुए स्कूल से जाने लगा। उसे आज बहुत ही बुरा लग रहा था। स्कूल के बाहर ही गेट के सामने कुछ सोचकर कुमार बैठ गया। काफी देर हो गई, स्कूल में छुट्टी हुई। स्कूल खत्म होते ही जब प्रिन्सपल घर जाने के लिए वहाँ से निकला तो कुमार ने एक बार फिर उनके सामने जाकर लाचारी से कहा,
कुमार(लाचारी से) : "मुझसे गलती हो गई सर प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिए, बस मैं थोड़ा सा गुस्से में आ गया था। मुझे पता है कि गुस्सा करना बहुत ही खराब है....प्लीज़ मुझे एक मौका दे दीजिये, मैं फीस भर दूंगा।"
Principal ने उसकी एक ना सुनी। वो उसे नज़रअन्दाज़ करते हुए आगे बढ़ गए। इसके बाद कुमार 2-3 दिन स्कूल आया, मगर उसे अंदर जाने नहीं मिला। एक दिन वह दीवार फांदकर स्कूल में घुस तो गया, मगर उस दिन उसकी बहुत पिटाई हुई। कुमार को पता था कि अगर घर में माँ बाबा को पता चला कि उसे स्कूल से निकाल दिया गया है तो उसे उल्टा अपने बाबा से मार पड़ती और माँ उसे डांटती इसलिए कुमार का कैसे भी करके स्कूल में दोबारा जाना बहुत जरूरी था। कुमार हताश होते हुए छुट्टी के समय घर जा रहा था तभी अचानक से उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। कुमार ने जैसे ही मुड़कर देखा, सामने मैथिली मैडम खड़ी थी।
उन्हें देखते ही कुमार ने अपने आंसुओं को पोंछा और फिर झूठी मुस्कान के साथ कहा, "मैडम आप यहाँ आप अभी तक घर नहीं गयीं?" तभी मैथिली मैडम ने एक लेटर कुमार को थमाते हुए कहा,
मैथिली(मुस्कुरा कर) : "ये लो कल से स्कूल आ जाना, मैंने Principal सर से बात कर ली है, तुम दो तीन महीने में आराम से फीस जमा कर देना। Principal सर कुछ नहीं कहेंगे और हाँ कल स्कूल आओ तो एक माफी नामा ले आना अपनी बदतमीज़ी के लिए...."
Narrator:
कुमार ने जब ये सब सुना, उसे अपने कानो पर यकीन ही नहीं हुआ। उसने चौंकते हुए कहा, "मैडम मगर ये सब कैसे....आपने?" तभी मैथिली ने उसके बालों पर हाथ फेरते हुए कहा, "
मैथिली: मुझे लगता है कि एक अच्छे स्टूडेंट को कभी भी पैसों के कारण पढ़ाई से दूर नहीं करना चाहिए। चलो अब घर चलते हैं, काफी देर हो गई है।"
<फ्लैश्बैक खत्म>
उस पल को याद करते हुए कुमार के शरीर में एक अलग ही ऊर्जा दौड़ पड़ी। उसे वो सब कुछ याद आ गया था कि कैसे मैथिली ने उसकी पढ़ाई के लिए उसकी मदद की थी। कुमार अचानक से दौड़ते हुए मैथिली के घर के पीछे एक टीले पर जाकर चढ़ गया और उसने अपनी दूरबीन से मैथिली को देखने की कोशिश की। मैथिली खिड़की के सामने ही बैठ कर कुछ सोच रही थी। उसे देखते ही अचानक से कुमार को मैथिली की धमकी याद आई, जब उसने पुलिस में जाने के बारे में कहा था।
उस धमकी को याद करते ही कुमार को फिर से गुस्सा आने लगा। उसने अपनी मुट्ठियां भींचते हुए कहा,
कुमार(गुस्से से) : "ठीक है मैथिली, अगर तुम पुलिस में जाओगी तो तुम एक बात याद रखना, पुलिस भी तुम्हें बचा नहीं पाएगी क्योंकि मुझसे बेहतर तुम्हें कोई नहीं बचा सकता पुलिस भी नहीं ये याद रखना।"
इतना कहते ही कुमार के चेहरे पर एक कुटील मुस्कान आ गई। उसके दिमाग में उसकी अगली चाल जैसे तैयार हो चुकी थी! कुमार सोच ही रहा था की किसी ने उसका गला पकड़ लिया। कौन था यह शख्स? क्या यह जीतेंद्र था?
जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग।
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