‘हां, वर्जीना लिजा!'
'लकिन वह तो अमेरिकी मूल की है ब्रिटिश पासपोर्ट पर आई थी, इण्डिया उसे पसन्द आया और वह यहीं की नागरिका बन गई।'
यूसुफ मुस्कराया और बोला, 'और वह अपने शहर की मिस ब्यूटी भी है। उसके पास ऐसे फोटो का एलबम है। यहां उसने बहुत बड़ी कास्मेटिक्स कम्पनी का ब्यूटी काण्टेस्ट भी जीता है।'
'हां, वहीं।’
यूसुफ की मुस्कराहट गहरी हो गई, उसने कहा, 'मॅडम! वह प्यौर इण्डियन क्रिश्चियत है। कलकत्ता की पैदायश है। उसका बाप पूना की एक कम्पनी में मैनेजर लगा था।वहां आकर बस गया। उसे वर्जीना की गतिविधियां नापसन्द थीं, चाहता था कि वर्जीना शादी करके इज्जतदार जिन्दगी गुजारे लेकिन वर्जीना उन लड़कियों में से नहीं थी। जो किसी एक मर्द से ही सन्तुष्ट हो सकें।'
"मैडोना होस्टल में वह एक पहचान वाली के माध्यम से ही आई थी मैडोना ने उसमें स्पार्क देखा और फिर उसे विदेशी पासपोर्ट के साथ भारत की नागरिकता दिलाने की पब्लिसिटी और कास्मैटिक्स कम्पनी की विश्व सुन्दरी इन सबके खर्चे मंडोना ने उठाए-आज मैडोना न सिर्फ उससे लाखों कमा रही है बल्कि बड़े-बड़े उद्योगपतियों को अगर मिनिस्टरों से एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट के लायसेंस मिलने में कठिनाई हो रही हो तो वह मैडोना से संपर्क करते हैं और वर्जीना एक रात में करोड़ों के कोटे पास करा देती है।’
'अच्छा, तो वह इण्डियन क्रिस्टेन कीलर है।'
'यही समझ लीजिए।'
यूसुफ ने कुछ क्षण रुककर कहा, ‘वर्जीना की चमक-दमक और उड़ान देखकर दूसरी लड़कियों के दिल भी मचल उठते हैं कि वह भी दूसरी वर्जीना बन जाएं।’
इंस्पेक्टर मोना चुप रही और सूरज यह सब इस तरह सुन रहा था, जैसे वह कोई सपना देख रही हो। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि वह अपने देश भारत के वासियों की बातें सुन रहा है या यूरोप के किन्हीं देशवासियों की।
कुछ देर बाद इंस्पेक्टर मोना ने कहा, 'अच्छा, युसुफ! ठीक है, तुम्हें अगर आलिया की लाश मिल जाए तो मैडम तुम पर किसी तरह का शक तो नहीं करेंगी?"
यूसुफ की आंखें फटी रह गई। उसने आश्चर्य से कहा, 'यानी आप मुझे आजाद कर रही हैं?'
"हां।"
'और आप चाहेंगी कि मैं पुलिस का खबरी बन जाऊं?'
इंस्पेक्टर मोना ने बुरा सा मुंह बनाकर कहा, 'तुम मौत के डर से उस औरत के सारे भेद उगल गए जिसका नमक खाते हो तो हमारे खबरी बनकर क्या कर सकोगे? हमें तुम्हारी सेवाएं नहीं चाहिए।'
'त त तो फ फ फिर?’
'कुछ नहीं, तुम्हारी गिरफ्तारी मैडोना को चौकन्ना कर देगी और मैं यह नहीं चाहती। मेरी ओर से तुम मुक्त हो। आलिया के चाचा के रूप में तुम्हें उसकी लाश मिल जाएगी। लेकिन तुम अपने आपको वहां किस तरह सुरक्षित रखोगे यह तुम्हारी जिम्मेदारी है। अगर तुमने मैडोना को चौकन्ना किया तो याद रखो तुम्हें फिर दुनिया की कोई (शक्ति एक ऐसी गोली. से न बचा सकेगी जो तुम्हारी खोपड़ी की धज्जियां उड़ा देगी, फिर तुम एक घूंसे में किसी का भेजा न उड़ा सकोगे।' यूसुफ का चेहरा फीका-सा पड़ गया।
इंस्पेक्टर मोना ने लापरवाही से कहा– 'अब तुम मुक्त हो।'
फिर वह सूरज के साथ बाहर निकली तो तेजी से यूसुफ उसके पीछे आया। मोना उस थाने के इंचार्ज से कह रही थी, 'इसे छोड़ दो और सिविल सर्जन के नाम एक क्लीयरेंस लैटर दे दो कि इसका नाम जोजफ है इसकी पुष्टि हो गई है और इसकी भतीजी ऐलिया की लाश इस के हवाले कर दी जाए मेरा हवाला देना।'
"बेहतर है।'
यूसुफ ने जल्दी से कहा- 'अरे सुनिए तो मैडम।'
'शटअप!'
इंस्पेक्टर मोना सूरज के साथ बाहर आ गई । कुछ देर बाद उसकी गाड़ी सड़क पर दौड़ रही थी और सूरज उसके बराबर ही बैठा था। वह इस तरह चुप था जैसे उसके मुंह में जबान ही न हो। उसकी समझ में तो अब तक यही नहीं आ रहा था कि इंस्पेक्टर मोना ने एक अपराधी को अपने साथ इस तरह क्यों घुमाना शुरू कर दिया है जैसे वह मोना का असिस्टेंट हो।
सूरज ने अपने बचपन के घरेलू हालात से लेकर धीरज के भागकर मंबई आने के बाद अपने घराने पर बीती करुण गाथा के साथ ही मुंबई पहुंचने के बाद धीरज के माध्यम से नौकर मिलने से ले कर प्रिंसिपल का अपने साथ व्यवहार, फिर भाभी अथवा भाई की रखेल सीमा के आवरण तक सब कुछ सविस्तार इंस्पेक्टर मोना को बताया और अन्त में बोला,
"मुझे तो ऐसा लगता है जैसे मैं किसी दूसरी दुनिया में आ गया हूं। यह दुनिया ही नहीं जिसमें मैंने जन्म लिया, होश संभाला और जवान हुआ। प्रिंसिपल की उम्र की औरतें जो हमारी पड़ोसनें हैं- मुझे बेटा समझती हैं और मैं उन्हें मां के तुल्य समझता हूं। मेरी दीदी की उम्र शादी के बिना पैंतीस वर्ष हो गई लेकिन आज भी वह सवेरे उठकर सबसे पहले पूजा करती है। पड़ोस के नौजवान उन्हें अपनी सगी दीदी के समान समझते हैं और उनका आदर करते हैं।'
मोना चुपचाप उसका चेहरा एकटक देखती रही, फिर बोली, 'तुम्हें यह सब कैसा लगता है?'
'ऐसा लगता है कलियुग का जो वर्णन हम रामचरितमानस में पढ़ते थे, वह मैं अपनी आंखों से देख रहा हूं। इंस्पेक्टर मोना ने उठते हुए एक ठण्डी सांस ली और बोली,
'कालचक्र के अनुसार सूरज और धरती की गति भी बदलती है। कल जहां मरुस्थल थे आज वहां वन उपवन हैं, सागर की सीमाएं घटा घटाकर मानव भवन निर्माण कर रहा है हमें भी समय के साथ बदलना है वरना हम दुनिया से बहुत पीछे रह जाएंगे।'
सूरज ने मोना को अपलक देखते हुए कहा, 'तो क्या हम समय के साथ बदल रहे हैं? बदलाव इसी को कहते हैं जो मैंने यहां आकर कुछ दिनों में देखा है?'
'नहीं, यह बदलाव नहीं है। इस बदलाव का उदाहरण ऐसा ही है जैसे बन्दर किसी नाई को उस्तरा चलाते देखकर अपनी ही नाक काट ले।'
कुछ क्षण रुक उसने फिर कहा, 'बदलाव का तात्पर्य विकास अवश्य है, लेकिन अपनी सभ्यता और संस्कृति को तजना कदाचित नहीं है। दुनिया वेग से उन्नति कर रही है, लेकिन आज भी किसी भी धर्म का मानने वाला अपने धर्म को नहीं बदला- लोगों ने इमारतों के डिजाइन बदल दिए हैं, लेकिन आज भी मन्दिर मस्जिद और गुरुद्वारों के 'डिजाइन वही हैं-युगों पहले व्यक्ति जिस तरह पूजा-पाठ करता था। हरेक धर्म का व्यक्ति आज भी उसी तरह पूजा - पाठ करता है।'
सूरज ने होंठों पर जीभ फेरकर कहा, "तो फिर, यह सब क्या है?' इंस्पेक्टर मोना ने ठण्डी सांस लेकर कहा, 'यह सब बदलाव की दौड़ में आगे निकलने की कोशिश और उस कोशिश में ठोकर खाने का नतीजा है सूरज।' सूरज चुपचाप मोना को देखता रहा।
मोना ने कहा, 'पहले हम सोमरस पीते थे आज वहीं व्हिस्की का रूप धारण कर गया है। व्हिस्की पीना पाप नहीं है, लेकिन उसके नशे में किसी की इज्जत लूटना या अपनी प्रतिष्ठा को भोग विलास का रास्ता बनाना अवश्य पाप भी है, अपराध भी।’
"किसी काल में विवाह एक पवित्र बन्धन था और तलाक एक मजबूरी की जरूरत आज विवाह एक फैशन अथवा व्यापार है और तलाक जरूरत नहीं वासना पूर्ति में बदलाव का साधन बन गई है। नर के लिए भी नारी के लिए भी।’
'पहले के युग में बादशाह कनीजें रखते थे, राजा दासियाँ, वे खरीदी हुई समझी जाती थीं, लेकिन आज रखेल रखना फैशन और भोग-विलास बन गया है। रखेल रहना-अपनी बढ़ती हुई आवश्यकताएं पूरी करने का मार्ग|’
'पहले वेश्याएं नाचने-गाने और रईसों का दिल बहलाने का साधन थीं। आज वेश्या एक साधारण व्यापार की वस्तु बनकर बाजार में सज गई है लखपति से लेकर एक पन्द्रह बीस की दिहाड़ी कमाने वाला तक अपनी काम-पिपासा पूरी कर सकता है।
मोना ने रुककर एक ठण्डी सांस ली और बोली 'तीव्रता से बढ़ती इस काम तृप्ति की मनोवृति ने पहले सिर्फ मर्द को जानवर बनाया था। अब इस लाइन में औरतें भी आ खड़ी हुई हैं। क्यों न हो जब औरत को आज समाज में किसी भी बात पर मर्द की बराबरी का अधिकार मिला हुआ है तो वह इस काम में भी पीछे क्यों रहे।’
'पहले मर्द किसी औरत का अपहरण करके उसका शील भंग कर देता था और कुकर्मी और पिशाच कहलाता था। आज औरतें मर्दों का अपहरण करती हैं और अपनी काम पिपासा शांत करती हैं फिर भी औरत पीड़ित और अत्याचार सहने वाली है। मर्द अत्याचारी और व्याभिचारी है।’
'मर्द अपनी पत्नी पर सौतन ले आता है या रखेल रख लेता है तो पत्नी के लिए अत्याचारी है, लेकिन कोई उस औरत को अत्याचारी नहीं कहता जो अपनी ही जाति की सौतन या रखेल बनकर आती है। औरतों के नंगे बैनर लगते हैं तो औरतें मद के विरोध में रोष प्रकट करती हैं प्रदर्शन के रूप में वही औरतें, उस औरत को पकड़कर खुले बन्दो नंगा नहीं घुमातीं जो अपनी नंगी तस्वीर खिंचवाकर उसके बैनर बनने पर कोई विरोध नहीं करती।'
कुछ देर के लिए मोना चुप हुई तो सूरज ने धीरे से कहा, 'आप स्वयं औरत हैं इतने वैभवशाली स्थान में रहती हैं और आपके विचार! आप मेरे लिए एक महान महिला हैं।’
मोना, ‘मैंने आपके बारे में कई बार बहुत गलत ढंग से सोच लिया था।'
मोना ने हल्की सांस लेकर कहा, 'इसमें तुम्हारा दोष नहीं। तुमने यहां आकर औरत का जो रूप देखा उसे कैसे बदल सकते थे। आखिर में भी तो इसी शहर की औरत हूं।"
'अब आपको विश्वास है कि मैं निर्दोष हूं?"
'विश्वास तो बहुत पहले हो चुका था। सूरज ने हाथ जोड़े और गिड़गिड़ाकर बोला— 'तो फिर आप मुझे यहां से किसी तरह निकाल दीजिए मैं वापस अपने शहर जाना चाहता हूं, आपका उपकार मैं ज़िंदगी भर नहीं भूलूंगा।' मोना ने उसे एकटक देखा और बोली, 'क्या तुम समझते हो? तुमने जो कुछ आज यहां देखा है वह यहीं तक सीमित रहेगा?"
'जी, मैं समझा नहीं।'
'बाढ़ उठती है तो वहां तक पहुंचती है जहां तक पानी का जोर रहता है। यौन गन्दगी की यह बाढ़ जोर मारती हुई पश्चिम से हमारे देश के महानगरों तक आ पहुंची है। जब यहां से जोर मोरेगी तो जब तक तुम्हारे बाल सफेद होंगे तुम्हारे शहरों में भी यही सब कुछ दिखाई पड़ेगा जो यहां दिखाई पड़ रहा है।'
सूरज ने झुरझुरी सी लेकर कहा, 'नहीं-नहीं, यह नहीं हो सकता।'
'यह होगा सूरज! हो सकता है तुम्हारी अपनी सन्तान भी इस बाढ़ की चपेट में आ जाए।'
'नहीं नहीं, ऐसा मत कहिए।"
'अगर इस बाढ़ को रोकना है तो तुम्हें मेरा साथ देना होगा।'
'आप और मैं इस बाढ़ को रोकेंगे!’
'मोनाजी! क्या कभी दो तिनके भी हवा का रुख बदल सके हैं।’
'सूरज! परमाणु का एक छोटा-सा कण कितना बड़ा विनाश लाता है। क्या तुमने विज्ञान में पढ़ा नहीं?"
'पढ़ा है, मगर।'
'सूरज! किसी न किसी को शुरूआत तो करनी ही होती है और काम वही पूरा होता है जो शुरू किया जाता है जो काम शुरू ही नहीं किया जाएगा वह पूरा कैसे होगा और जो काम शुरू होना है उसे कोई न कोई तो शुरू करेगा ही।'
‘मगर....?’
'नहीं, सूरज ! ध्यानपूर्वक सुनो, अगर मर्द होती तो मैं ही शुरूवात कर देती लेकिन ईश्वर ने मुझे औरत बनाया है और मैंने जब से अपनी यह पोस्ट संभाली है तब से मैं तुम जैसे ही किसी मर्द की तलाश में थी जिस पर मैं भरोसा कर सकूं।'
'मोना जी।'
'हां, सूरज! मैंने तुम्हें बहुत तलाश के बाद पाया है और तुम्हें मेरे इस लक्ष्य में मेरा साथ देना ही होगा।' 'मोनाजी! मैं एक अभियुक्त हूं- प्रिंसिपल ने मेरे वारंट निकलवा रखे हैं।'
'तुम आज मेरे साथ कहां-कहां गए हो? किसी ने तुम्हें एक अभियुक्त के रूप में पहचाना? इसलिए कि इंस्पेक्टर मोना के साथ देखे जाने वाले व्यक्ति पर किसी को उंगली उठाने का भी साहस नहीं हो सकता।"
'लेकिन, मेरे पिताजी मेरी दीदी?"
मोना ने कुछ मनीआर्डर फार्म निकालकर मेज पर रखते हुए कहा, 'इन पर अपने पिता का नाम-पता लिख दो एक हजार रुपए तक का मनीआर्डर जा सकता है। मैं दो-तीन चार-पांच जितने मनीआर्डर चाहो अभी भेज दूंगी और हर महीने कम से कम पांच हजार रुपए उन्हें मिलते रहेंगे।"
सूरज ने अचरज से कहा- 'लेकिन, यह उधार या कर्ज?"
'उधार या कर्ज नहीं तुम्हारी तनख्वाह।”
"तनख्वाह? 'हां, आज से तुम मेरे मातहत हो—निजी मातहत मैं तुम्हारे घर के लिए खर्च अलग भेजूंगी और तुम्हारी हरेक आवश्यकता यहां पूरी करने के खर्च उठाऊंगी।'
'लेकिन।'
'नहीं, सूरज! तुम किसी बात के लिए न नहीं करोगे। पहले तुम ये मनीआर्डर फार्म भरो और इस नोट बुक पर अपने पिता का पता लिख दो।'
सूरज ने ठण्डी सांस ली और बैठकर उसने पांचों मनीआर्डर फार्म भरे और मोना की दी हुई नोट बुक पर अपने पिता का पूरा पता लिख दिया।
क्रमशः
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