रिश्तों की गहराई कभी-कभी दोस्ती और प्यार के बीच की सरहद को धुंधला कर देती है।

श्रेया और संकेत के बीच वो प्यार था, जिसने उन्हें एक-दूसरे के सबसे करीब लाया। लेकिन अब, वही प्यार जिम्मेदारियों और फैसलों के बोझ तले दबने लगा था।

और इस बीच, राज धीरे-धीरे श्रेया की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बनता जा रहा था।

संकेत और श्रेया के बीच प्यार अब भी गहरा था, लेकिन जिम्मेदारियों की कड़ी धूप ने उस प्यार की नमी को सुखाना शुरू कर दिया था।

ऐसे में राज की मौजूदगी श्रेया के लिए किसी सुकून भरे अहसास से कम नहीं थी।

जहाँ संकेत और श्रेया के बीच की खामोशियां बढ़ने लगी थीं, वहीं राज की बातें, उसकी मस्ती और उसकी हर छोटी-छोटी कोशिश, श्रेया के चेहरे पर मुस्कान वापस ला रही थी।

जहाँ संकेत अपने पारिवारिक दबावों और अपनी उलझनों में फंसा हुआ था, वहीं श्रेया अपने परिवार की जिम्मेदारियों के बोझ तले दबती जा रही थी।

ऐसे में राज ने अपनी मौजूदगी से न सिर्फ श्रेया का दिल हल्का किया, बल्कि उसकी मुश्किलों में उसे प्रैक्टिकल सुपूर्त  भी दिया।

राज की सबसे बड़ी ताकत उसकी कैजुअल और हैप्पी-गो-लकी attitude थी। वो श्रेया के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए हमेशा कुछ न कुछ नया सोचता।

राज ने कभी श्रेया पर अपनी presence थोपने की कोशिश नहीं की। वो बस एक सच्चा दोस्त बनकर उसके साथ खड़ा रहा।

जब भी श्रेया किसी प्रॉब्लेम में होती, राज उसके लिए एक concrete solution लेकर आता।

एक दिन श्रेया लाइब्रेरी में बैठी अपने नोट्स में उलझी हुई थी। उसकी आँखों में थकान और परेशानी साफ झलक रही थी। तब राज उसके पास आया।)

 

राज :

"अरे मैडम, ये क्या हाल बना रखा है? लगता है, आजकल सिर्फ किताबों से ही बातें करती हो।"

 

श्रेया :

"राज, ये प्रोजेक्ट मुझे पागल कर देगा। मुझे समझ नहीं आ रहा कि इसे कैसे खत्म करूं।"

 

राज :

"रुको, ये देखो। मैंने तुम्हारे प्रोजेक्ट के लिए कुछ रिसर्च की है। शायद ये तुम्हारी मदद कर सके। और हां, घर की टेंशन को यहां लाने की जरूरत नहीं है। अभी तुम्हारा फोकस सिर्फ पढ़ाई पर होना चाहिए।"

 

 

राज की ये छोटी-छोटी कोशिशें श्रेया के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं थीं।

जब श्रेया को लगता था कि वो अकेले सब कुछ संभाल नहीं पाएगी, तब राज अपने practical और calm attitude से उसकी परेशानियों को हल्का कर देता था।

राज कभी श्रेया के फैसलों पर सवाल नहीं उठाता था। वो समझता था कि श्रेया अपनी family responsibilities को निभाने के लिए कितनी मेहनत कर रही है।

वो उसकी परेशानियों को हल्का करने की कोशिश करता, लेकिन साथ ही उसे याद दिलाता कि खुद को भूलना नहीं है।

 

एक दिन गार्डन में राज और श्रेया साथ बैठे थे। राज स्केचबुक में कुछ ड्रॉ कर रहा था। श्रेया उसे देख रही थी, लेकिन उसकी आँखों में अब एक हमेशा के लिए घर कर चुकी चिंता अब भी दिख रही थी।

श्रेया :

"राज, कभी-कभी लगता है कि मैं अपने परिवार और अपने सपनों के बीच फंस गई हूँ। ऐसा लगता है कि मैं दोनों को ठीक से नहीं संभाल पाऊंगी।"

 

राज :

"श्रेया, तुम्हें पता है कि तुम कितनी मजबूत हो? तुम्हारे जैसे लोग अपने सपनों को पूरा करने के साथ-साथ अपने परिवार का सहारा भी बनते हैं। लेकिन ये तभी हो पाएगा, जब तुम खुद को भी वक्त दोगी।"

"तुम्हारे पापा और माँ तुम्हारे लिए जो कर रहे हैं, वो कभी कम नहीं होगा। लेकिन वो ये भी चाहेंगे कि उनकी बेटी एक दिन अपने पैरों पर खड़ी हो। और मैं यकीन दिलाता हूँ, तुम वो कर सकती हो। बस खुद पर भरोसा रखो।"

 

 

राज की ये बातें श्रेया को बार-बार याद  कराती थीं कि मेहनत और संघर्ष कभी वैस्ट  नहीं होता। वो सिर्फ एक दोस्त नहीं था, बल्कि एक ऐसा इंसान था जो उसकी मुश्किलों में उसे आईना दिखाता था।

राज का मस्तीभरा स्वभाव और उसके छोटे-छोटे मजाक श्रेया को उसकी परेशानियों से थोड़ा-सा दूर ले जाते।

जहाँ संकेत के साथ उसकी बातचीत अब ज्यादा गंभीर और तनावपूर्ण हो गई थी, वहीं राज के साथ बिताया हर पल उसे एक नयापन और हल्कापन महसूस कराता।

 

एक दिन कैंटीन में राज और श्रेया एक टेबल पर बैठे थे। राज अपनी कॉफी के ऊपर एक funny face बना रहा है। श्रेया ने पहले उसे घूर और फिर हंस पड़ी।

 

राज :

"देखो, ये मेरी 'कॉफी आर्ट' है। शायद इसके लिए मुझे भी कोई फेलोशिप मिल जाए!"

 

श्रेया :

"तुम पागल हो, राज। कभी-कभी मुझे लगता है कि तुम हर चीज़ को इतना हल्का कैसे ले लेते हो?"

राज :

"क्योंकि श्रेया, जिंदगी में हर चीज़ को सीरियसली लेने से सिर्फ झूरइयाँ  आती  हैं। और मैं बूढ़ा नहीं दिखना चाहता!"

 

 

ये छोटी-छोटी बातें, ये हंसी के पल... यही वो पल थे, जो श्रेया की ज़िंदगी में खोई हुई सुकूनभरी खुशियों को वापस ला रहे थे।

राज का किरदार श्रेया की ज़िंदगी में एक नई उम्मीद बनकर उभर रहा था।

वो संकेत की तरह उसे कभी उसकी जिम्मेदारियों से भागने के लिए नहीं कहता था।

वो उसे उसके हालात के साथ लड़ने के लिए प्रेरित करता था।

लेकिन... राज की बढ़ती नजदीकियों ने संकेत के मन में एक नई हलचल पैदा कर दी थी।

संकेत के लिए, राज अब सिर्फ एक दोस्त नहीं रह गया था। वो उस प्यार के लिए खतरा बन गया था, जो उसने और श्रेया ने मिलकर संजोया था।

दरअसल, संकेत और राज के अप्रोच में प्यार और दोस्ती का फर्क था।

 

प्यार में एक ऐसा अधिकार होता है, जो बिना कहे अपने आप महसूस हो जाता है।

वहीं दोस्ती में एक सहारा होता है, जो बिना किसी शर्त के आपको हर मुश्किल से बाहर निकालने की ताकत देता है।

संकेत के लिए, प्यार एक ऐसा अहसास था, जो श्रेया के साथ हर पल को खास बना देता था।

उसके साथ बिताया हर लम्हा, हर हंसी, हर तकरार... संकेत के दिल में एक गहरा जुड़ाव पैदा करता था।

वो श्रेया को अपने जीवन का सबसे अहम हिस्सा मानता था। लेकिन उसके प्यार के साथ एक अनजाना सा अधिकार भी था।

वो चाहता था कि श्रेया उसके साथ वक्त बिताए, अपने संघर्षों में भी उसके साथ रहे।

संकेत का प्यार गहरा था, लेकिन उसमें एक उम्मीद भी थी कि श्रेया उसके लिए अपने समय और भावनाओं में एक खास जगह बनाए।

वहीं दूसरी तरफ, राज के लिए, दोस्ती में कोई अधिकार नहीं होता।

वो बिना किसी शर्त के श्रेया का साथ देता था।

उसने कभी श्रेया से ये उम्मीद नहीं की कि वो हर वक्त उसके साथ हो।

राज की मौजूदगी में एक सहजता थी—जैसे वो जानता था कि उसकी दोस्ती का मकसद सिर्फ श्रेया की खुशियों को संजोना है।

वो उसकी जिंदगी में कोई जगह पाने के लिए नहीं, बल्कि उसे उसकी उलझनों से बाहर निकालने के लिए वहां था।

जहाँ संकेत हर छोटे-बड़े फैसले में अपनी जगह चाहता था, वहीं राज ने अपनी जगह खुद बनाए बिना भी अपनी अहमियत साबित कर दी।

संकेत का प्यार पोससेसीवे  था, और यही बात उसे बेचैन करती थी।

उसके लिए श्रेया का किसी और के साथ हंसना, किसी और के साथ अपनी परेशानियाँ बांटना, एक अनकही काम्पिटिशन  की तरह था।

उसकी आँखों में, राज सिर्फ एक दोस्त नहीं था। वो एक ऐसा शख्स बन गया था, जो धीरे-धीरे उन पलों का हिस्सा बन रहा था, जो कभी सिर्फ संकेत और श्रेया के हुआ करते थे।

दूसरी ओर, राज ने कभी श्रेया से ज्यादा पाने की कोशिश नहीं की।

वो जानता था कि श्रेया के जीवन में पहले से ही बहुत जिम्मेदारियां हैं।

वो उसकी मुश्किलों को समझता था, उसे सहारा देता था, लेकिन कभी उससे कोई उम्मीद नहीं रखता था।

उसकी दोस्ती का आधार न तो अधिकार था, न ही कोई मांग।

 

राज के हर कदम में एक कैल्क्यलैशन  थी।

राज ने संकेत के बताई सारी बातों को सिर्फ एक दोस्त की तरह सुना था।
वो इन जानकारियों को अपने लिए एक रास्ता बना रहा था।
वो जानता था कि अगर उसने संकेत से बिल्कुल अलग तरीका अपनाया, तो शायद श्रेया उसके करीब आ जाएगी।

जहाँ संकेत ने अपने प्यार में एक अधिकार महसूस किया, वहीं राज ने श्रेया को उस अधिकार से मुक्त महसूस करने का मौका दिया।
वो उसे सुनता था, उसके विचारों को वैलिडेट  करता था, और कभी भी अपने इरादों को सामने नहीं आने देता।

राज को पता था कि श्रेया के दिल में अभी भी संकेत के लिए प्यार है।
लेकिन वो ये भी समझ गया था कि श्रेया अपनी जिम्मेदारियों और संघर्षों में घिरी हुई है।
संकेत का प्यार, जो कभी श्रेया को सुकून देता था, अब उसे कभी-कभी एक दबाव की तरह महसूस होने लगा था।
राज ने यही कमजोरी देखी।

 

लेकिन सवाल ये था—क्या ये सब सिर्फ एक सच्ची दोस्ती थी?
या फिर, क्या राज धीरे-धीरे श्रेया के दिल में अपनी जगह बनाने के लिए ये सब कर रहा था?
वो संकेत से जो बातें सुनता था, उन्हें ध्यान में रखकर अपने हर interaction को सावधानी से ढाल रहा था।

राज जानता था कि श्रेया किस तरह की बातें सुनकर सुकून पाती है, वो किन चीज़ों से घबराती है, और किन लम्हों में उसे सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
वो इन पलों में श्रेया के साथ था—उसे हंसाने, उसका हौसला बढ़ाने, और उसकी उलझनों को हल्का करने के लिए।

लेकिन कहीं न कहीं, ये सब राज के मन में एक अनकही चाहत का हिस्सा था।
वो चाहता था कि श्रेया उसे उस नजर से देखे, जिस नजर से उसने कभी संकेत को देखा था।
राज को पता था कि अगर उसने सही समय पर सही बातें कीं, अगर उसने खुद को उस 'परफेक्ट' दोस्त के रूप में पेश किया, तो शायद श्रेया का दिल उसकी तरफ झुकने लगे।


कभी-कभी, दोस्ती और प्यार के बीच की रेखा इतनी धुंधली हो जाती है कि आप समझ नहीं पाते कि कब एक रिश्ता दूसरे में बदलने की कोशिश कर रहा है।
राज उस रेखा के साथ खेल रहा था।
और श्रेया? वो अभी भी इस बात से अनजान थी कि राज की दोस्ती में सिर्फ सहारा ही नहीं, बल्कि एक छिपी हुई चाहत भी थी।

 

 

 

अब राज और श्रेय कैंपस गार्डन के एक कोने में बेंच पर बैठे थे। राज के हाथ में स्केचबुक थी, और वो श्रेया को कुछ दिखा रहा है।)

 

राज :

"देखो, ये है तुम्हारा स्केच। तुम्हारे चेहरे की वो गहरी सोच, तुम्हारी आँखों में वो डेटर्मीनाशन है ।

 

श्रेया :

"राज, ये कितना सुन्दर  है! तुम्हें ये सब कब आता है? मैं तो पढ़ाई में उलझी थी और तुमने मेरे अनदेखे पल इतनी खूबसूरती से कैद कर लिए।"

 

राज :

"जब तुम काम में डूबी रहती हो, तब भी तुम्हारी आँखें बहुत कुछ कहती हैं। बस, मैंने वही कैप्चर किया।"

 

 

उन दोनों के बीच की ये सहजता अब उनके आसपास के माहौल का हिस्सा बन चुकी थी।

लोग उन्हें एक साथ देखते, उनकी हंसी सुनते। लेकिन इन सबके बीच, एक ऐसा दिल था, जो चुपचाप टूट रहा था।

वहीं दूसरी तरफ कैंपस के एक और कोने में संकेत अपने दोस्तों के साथ खड़ा था। उनकी बातचीत अधूरी ही रह गई, जब संकेत की नजर गार्डन में बैठे राज और श्रेया पर पड़ी। दोनों हंस रहे थे, किसी बात पर ठहाके लगा रहे थे।

संकेत का दिल एक पल के लिए धड़कना भूल गया।

श्रेया, जो कभी उसकी हर खुशी की वजह हुआ करती थी, आज किसी और के साथ वो हंसी बांट रही थी।

राज और श्रेया का ये सहज रिश्ता संकेत के लिए एक चुभन बन गया था।

 

 

संकेत अपने दोस्तों की बातों को अनसुना करता हुआ, चुपचाप वहाँ से चला आया। उसकी आँखों में गहरी बेचैनी और दर्द साफ झलकने लगा।

 

संकेत के दिल में अब सिर्फ प्यार नहीं, बल्कि एक गहरी बेचैनी और असमंजस ने घर बना लिया था।

क्या वो राज और श्रेया की बढ़ती नजदीकियों को लेकर गलत सोच रहा था?

या फिर... क्या ये रिश्ता वाकई उसकी जिंदगी से कुछ अनमोल छीन रहा था?

 

संकेत :

"क्या मैं उसे खो रहा हूँ?"

 

 

अगले दिन संकेत ने गार्डन में श्रेया को अकेले देखा। उसने उसके पास जाने का फैसला किया। जब दोनों का सामना हुआ तो दोनों के बीच थोड़ी खामोशी थी, जो संकेत ने आखिरकार तोड़ने की कोशिश की। 

संकेत :

"श्रेया, तुम्हारे और राज के बीच... सब ठीक है?"

 

श्रेया :

"हाँ, सब ठीक है। राज एक अच्छा दोस्त है। वो हमेशा मुझे सपोर्ट करता है। लेकिन तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो?"

 

संकेत :

"बस... मैंने तुम्हें दोनों को साथ में देखा। और मुझे लगा... शायद मैं अब तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा नहीं रहा।"

 

श्रेया :

"संकेत, तुम मेरे लिए हमेशा मायने रखोगे। लेकिन अभी हमारी परिऑरिटीस  अलग हैं। राज मेरी मदद करता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उसने तुम्हारी जगह ले ली है।"

 

 

श्रेया की बातों में सच्चाई थी। लेकिन संकेत के मन में जो शक और दर्द था, वो इतनी आसानी से मिटने वाला नहीं था।

प्यार, दोस्ती, और रिश्तों की उलझनें अब और भी गहरी हो चुकी थीं।

 

क्या संकेत अपने दिल में उठते इस तूफान को शांत कर पाएगा?

क्या श्रेया और राज के बीच की बढ़ती नजदीकियां उनके रिश्ते को बदल देंगी?

और सबसे बड़ा सवाल—

क्या श्रेया और संकेत अपने प्यार को इन मुश्किल हालातों में भी बचा पाएंगे?

 

जानने के लिए पढ़ते  रहिए... "कैसा ये इश्क है"।

 

 

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