कैफै में अर्जुन के साथ आ रहे शख्स को देखकर अनिका और मीरा दोनों एक जगह ठिठकी खड़ी थीं, जैसे वक्त थम गया हो। उनकी आँखों के सामने दोनों एक जैसे चेहरे थे, जिन्हें दोनों अलग-अलग नामों से जानती थीं। अमन और अर्जुन, दोनों के चेहरे में कोई फर्क नहीं था, और इस सच ने उन्हें अंदर तक बिखेर कर रख दिया था, अनिका हैरान परेशान दोनों को देख रही थी, उसने अर्जुन के पीछे चल रहे शख्स को देखकर कहा
अनिका- अमन..... तुम अर्जुन....तुम दो हो?
ये सवाल करते हुए अनिका ने अपनी जगह से एक कदम आगे बढ़ाया, उसकी आँखों में अविश्वास और गुस्सा एक साथ झलक रहा था। उसने अमन की तरफ देखा, फिर अर्जुन की ओर। उसे ये सब अब भी भ्रम लग रहा था, अनिका ने अपने गुस्से को काबू में रखते हुए पूछा,
अनिका- तुम और अर्जुन ट्विनस हो, मैंने सही कहा ना? तुम लोग इतने दिनों से हमसे ये छिपा रहे थे।
अनिका के गुस्से और उसकी परेशानी को देखते हुए अमन ने एक गहरी सांस ली। उसकी आँखों में एक उलझन, एक पश्चाताप की भावना और बेचैनी थी। लेकिन उसने खुद को संभालते हुए जवाब दिया,
अमन- सही कहा, मैं और अर्जुन हम जुड़वां भाई हैं.... लेकिन ये कोई खेल नहीं है अनिका। हमारा सच है, जो इस तरह बाहर आएगा ये हमें नहीं पता था।
ये सुनते ही अनिका का दिल जैसे टूटकर बिखर गया था, वो खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही थी। मीरा ने भी पीछे खड़ी होकर ये सुन लिया, और उसकी हालत भी अनिका जैसी ही थी। इस सच ने जिसने उसे खुद के फैसले पर ही सोचने के लिए मजबूर कर दिया था। अनिका ने अमन की ओर घूरते हुए कहा,
अनिका- तुमने हमें कभी कुछ क्यों नहीं बताया? तुमने पहले ही ये सब साफ क्यों नहीं किया? क्या तुम्हें पता भी है कि हम दोनों पर इसका क्या असर हो रहा है? कल मैंने मीरा को कितना भला-बुरा कहा, मैंने पहली बार अपनी दोस्त पर शक किया। ये सोचकर कि शायद अर्जुन ही अमन है, और मीरा को ये बात पता है....
अनिका की बात सुनकर अमन ने अपना सिर नीचे झुका लिया। और फिर उसने धीमी आवाज़ में कहा,
अमन- मुझे खुद ही नहीं पता था कि ये सब हो रहा है। ये कोई साजिश नहीं थी, अनिका। मैं बस सही समय का इंतजार कर रहा था, लेकिन हालात ने इस पूरे मामले को उलझा दिया। मुझे नहीं पता था कि अर्जुन जिस लड़की को डेट कर रहा है, वो तुम्हारी दोस्त है, अगर पता होता तो शायद मैं खुश ही होता, लेकिन अब....
अर्जुन ने भी अपने भाई का साथ दिया और अपनी गहरी आवाज़ में कहा,
अर्जुन- सच मानो, हमें भी नहीं पता था कि ये सब कुछ ऐसे सामने आएगा।
अर्जुन अपनी बात पूरी कर पाता उससे पहले मीरा ने उसे रोकते हुए कहा
मीरा- अच्छा, अगर तुम्हें इन बातों का पता नहीं था तो मैं जब भी तुमसे तुम्हारी फॅमिली के बारे में पूछती थी, तो तुम मुझे टाल क्यों देते थे। हम इतने क्लोज़ तो थे ना कि तुम मुझे ये सब बता सको। और अब क्यों बताया ये सब, कल की बात सुनकर ना.. जब मैंने अस्पताल में तुमसे रिश्ता तोड़ने और अनिका का साथ देने की बात कही तब तुमने ये फैसला किया कि अब तुम हमें सच बताओगे? आखिर क्यों? क्यों राज़ रखा तुमने ये सब?
मीरा की बात सुनकर अनिका हैरान हो गई, क्योंकि उसने भी कल मीरा के लिए अपने प्यार की कुर्बानी देने का फैसला किया था और अमन को वो मैसेज भेजा था। अनिका ने सारी कड़ियों को मिलाते हुए अमन की तरफ देखा और फिर तंज भरी मुस्कान के साथ कहा
अनिका- तुम दोनों ने हमें धोखा क्यों दिया? ये जानते हुए भी कि हम तुम्हें लेकर कितनी सीरियस हैं, तुमने हमें यूं अंधेरे में क्यों रखा?
अमन ने धीरे से सिर झुकाया। उसने सोचा था कि शायद इस सवाल का जवाब देना आसान होगा, लेकिन अनिका की आवाज़ में दर्द ने उसे बोलने से रोक दिया। उसने फिर धीरे से कहा,
अमन- हमें खुद ये समझ नहीं आ रहा था कि इस सच्चाई को कैसे बताएं। ऐसा नहीं था कि हम तुम्हें अपने परिवार के बारे में नहीं बताना चाहते थे, लेकिन इसे हमारी मजबूरी समझ लो। अगर हमें पता होता कि चीजें इतनी उलझ जाएंगी, तो हम शायद पहले ही सब कुछ साफ कर देते। ये सब कुछ बस एक गलतफहमी थी, जिसने हमें भी उतना ही उलझा दिया है जितना तुम्हें।
मीरा, जो अब तक खुद को काबू की हुई थी, उसकी आंखों से भी आंसू बहने लगे। उसने अर्जुन की ओर देखते हुए कहा,
मीरा- तुम लोगों ने हमारे साथ खेल क्यों खेला? क्या तुम्हें हमारी भावनाओं की जरा भी परवाह नहीं थी? और अर्जुन तुम्हें तो शायद मेरी ज़िंदगी की भी परवाह नहीं थी, तुम बार-बार मुझसे खुदपर भरोसा करने को कहते थे, मेरा दिल मुझे रोकता था, लेकिन फिर भी मैंने भरोसा किया....पर क्या तुम्हें मुझपर भरोसा था।
अर्जुन ने मीरा को शांत कराते हुए कहा
अमन : हमने तुम्हें कभी धोखा देने की कोशिश नहीं की, मीरा। ये सब बस हालात का खेल था। हमें खुद इस सच्चाई के बारे में नहीं पता था, ये छोटी सी बात इस तरह सबकी ज़िंदगियों को उलझनों से भर देगी हमें नहीं पता था।
मीरा ने एक अविश्वास के साथ अर्जुन को देखा, एक तरफ जहां मीरा और अनिका का सामना शायद उनकी ज़िंदगी के सबसे बड़े सच से हो रहा था, वहीं दूसरी ओर शहर से बाहर बनी एक सुनसान हवेली के कमरे में सन्नाटा पसरा हुआ था, सूरज की रोशनी एक रोशनदान से आ रही थी, उस कमरे की दीवारों को देखकर लग रहा था कि वो अपने भीतर बहुत गहरे रहस्य छिपाए हुए थी,हवा भी वहाँ डरते-डरते सांस ले रही थी। कमरे के बीचों-बीच एक पुराना, धूल से ढका हुआ पियानो रखा हुआ था। और आज इसी कमरे में ज्योति मौजूद थी। उसकी आँखों में डर साफ झलक रहा था। उसकी उंगलियां बार-बार आपस में मचल रही थीं, जैसे वो खुद को संभालने की कोशिश कर रही हो। ज्योति ने चारों ओर देखकर मन ही मन में कहा “ये कैसी सी जगह है, यहाँ तो उसने कभी नहीं बुलाया। क्या तेरा भी राकेश जैसा हाल होने वाला है ज्योति...?”
ज्योति ने ये बात सोचते हुए अपने बगल में खड़े हुए आदमी को देखा, जो अपने हाथ पीछे बांधे खड़ा था। उसके चेहरे पर अजीब-सा ठंडापन था, ऐसा लग रहा था मानों उसे यहाँ कुछ भी अजीब नहीं लग रहा था। कुछ देर बाद कमरे का दरवाज़ा खुला तो वहाँ से एक बूढ़ा आदमी अपनी लाठी के सहारे चलता हुआ आया, लेकिन उसे देखकर ज्योति के दिल की धड़कनें तेज़ हो गई। डर उसकी आँखों से छलकने लगा। वो आदमी बिना इधर-उधर देखे सीधा पियानो के पास जाकर बैठ गया....उसके सफेद बाल और झुर्रियों से भरा चेहरा उसके अनुभव और उसके रहस्यों की अजीब सी गवाही दे रहा था। उसके बदन पर डॉक्टर के कपड़े थे, लेकिन उसके हाव-भाव और औरा काफ़ी भयानक थी। ज्योति ने उसे देखकर अपने बगल में खड़े आदमी से पूछा “सर, हमेशा लैब में रहते हैं... फिर यहाँ क्यों? मतलब वैसे मैं कभी उनसे नहीं मिली पर आपने एक बार बताया था” आदमी ने ज्योति की बात पर मुस्कुराते हुए कहा “जब कोई खास वजह होती है ना, तब ही डॉक्टर यहाँ बुलाते हैं। खास वजह यानी जब उन्हें या तो ज़िंदगी देनी हो या फिर ज़िंदगी लेनी हो…”
आदमी की बात सुनकर ज्योति का गला सूख गया, उसने डरते हुए इधर-उधर देखा। वहीं उस बूढ़े ने अपनी उंगलियों को धीरे-धीरे पियानो की कीज़ पर चलाना शुरू किया। बूढ़ा बहुत मस्त होकर पियानों बजा रहा था, जैसे उसके लिए इस दुनिया में और कुछ ना बचा हो। उसके पैर कांपने लगे, वो आदमी, जो उसके साथ आया था, बिल्कुल निश्चल खड़ा था, उसकी आंखें बूढ़े आदमी पर टिकी थीं, ज्योति उससे कुछ पूछने को हुई कि तभी अचानक, बूढ़े ने पियानो बजाना बंद कर दिया। बूढ़े ने धीरे से अपनी गर्दन मोड़ी और ज्योति की तरफ देखा। उसकी आंखों में एक अजीब-सा डरावना ठहराव था, जिससे ज्योति की सांसे एक पल के लिए थम गईं। उसने अपने होंठों को हल्के से हिलाया और कहा
डॉक्टर- “कितना वक्त हुआ है, ज्योति?”
बूढ़े के सवाल पर ज्योति ने अपने हाथ में बंधी घड़ी को देखा और काँपते हुए कहा “सर, शाम के 6.30 बजे हैं.....”ज्योति का जवाब सुनकर बूढ़े ने ज़ोर-ज़ोर से हँसना शुरू कर दिया, वहीं ज्योति के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे उसकी जुबान जैसे से दांतों के बीच अटक गई हो। ज्योति के साथ खड़े आदमी ने उसने बड़ी शांति से कहा, आठ महीने बीत चुके हैं, डॉक्टर मुझे लगता है, हमने इस लड़की पर विश्वास करके भूल कर दी है। इसने हमारा बहुत टाइम खराब किया है, इसका अपने काम से ज़्यादा इधर-उधर ध्यान रहता है, ना तो इसे कुछ पता होता है, ना ये कोशिश करती है। पिछले तीन महीनों से इसने एक भी सैम्पल नहीं भेजा है। और कल भी इसने.... झूठी इनफार्मेशन दी थी.... और मैंने भी उसी के आधार पर आपको…”आदमी की बात पूरी भी नहीं हुई थी, कि बूढ़े ने उसे अपने हाथ से इशारा कर चुप रहने को कहा उसके बाद बूढ़े डॉक्टर ने धीरे-धीरे अपनी कुर्सी से उठकर ज्योति की तरफ कदम बढ़ाए। उसकी आंखों में एक भयानक ठंडक थी। उसने अपनी आंखें ज्योति पर गड़ा दीं, जैसे उसे परख रहा हो, उसने ज्योति के हाथों को अपने हाथों में लेकर कहा
डॉक्टर- क्या तुम जानती हो, ज्योति, अगर कोई हमारा काम पूरा नहीं करता तो उसका अंजाम क्या होता है?”
ज्योति ने इस सवाल पर डरते हुए बूढ़े की तरफ देखा और हामी में अपना सिर हिलाया, ज्योति के होंठ काँप रहे थे, उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। उसने घबराहट में अपने हाथ बूढ़े के हाथों में से खींचे और उसके पैरों में गिर पड़ी। उसने गिड़गिड़ाते हुए कहा “मुझे बस कुछ और वक्त चाहिए... प्लीज़... बस कुछ और दिन... मैं अपना काम पूरा कर दूंगी। मुझे मौका दीजिए... प्लीज़।”बूढ़े ने एक पल के लिए कोई रिएक्शन नहीं दिया, फिर उसने एक गहरी सांस ली और सिर घुमाते हुए उस आदमी की तरफ देखा बूढ़े आदमी ने उसे पास ही में रखी लकड़ी काटने की मशीन लाने का इशारा और फिर उसने ज्योति की तरफ देखते हुए कहा,
डॉक्टर- तुम्हें वक्त दिया गया था, ज्योति। लेकिन अब वो वक्त खत्म हो चुका है”
बूढ़े की ये बात सुनकर ज्योति की हालत खराब हो गई, तभी उसके कानों में लकड़ी काटने की मशीन की आवाज़ पड़ी, जिसे देखकर ज्योति के पाँव तले से ज़मीन खिसक गई, उसने चिल्लाते हुए कहा नहीं, नहीं,.... आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते..... बूढ़े ने ठंडी निगाहों से उसकी तरफ देखा और उसके कंधे पर हाथ रखा। जैसे उसमें कोई इंसानियत बाकी ही नहीं थी। उसने ज्योति को धीमे से कहा
डॉक्टर- “मैं कुछ भी कर सकता हूँ.....हाहाहाहह ”
ज्योति की हालत से बेखबर अनिका और मीरा इस वक्त उसी कैफै में खड़ी थी जहां अमन और अर्जुन के सच से उनका सामना हुआ था। चारों तरफ सिर्फ खामोशी थी, जैसे कोई बड़ा तूफान आने से पहले की शांति हो। अमन की आवाज़ में गहरी चिंता और बेचैनी थी, वो समझा रहा था, सफाई पेश कर रहा था, लेकिन अनिका के चेहरे पर सिर्फ नाराजगी थी
अमन- मेरा यकीन मानो, अनिका। हमें सच में नहीं पता था कि हम दोनों तुम्हारी और मीरा की जिंदगी में एक साथ आ रहे हैं। ये सब बस एक इत्तेफाक था। कल जब अर्जुन मीरा से मिलने अस्पताल गया, तो मैं उसके साथ ही था। मैं बाहर गाड़ी में इंतजार कर रहा था और तभी मैंने तुम्हें अस्पताल से निकलते हुए देखा। मैंने सोचा कि तुम्हें रोक लूं, लेकिन फिर रुक गया क्योंकि मैंने तुमसे पहले झूठ बोला था...”
ये सुनते ही अनिका की आंखें और चौड़ी हो गईं। वो नाराजगी से अमन को घूरने लगी, मानो उसकी बातों पर कोई भरोसा नहीं था। उसकी आवाज़ में गुस्से की तासीर थी,
अनिका- झूठ? और कितने झूठ बोले हैं तुमने? क्या रह गया है अब?
अमन ने गहरी सांस ली, उसकी आंखों में पछतावा साफ झलक रहा था। उसने नज़रें झुका लीं और बोला,
अमन- मैं जयपुर से चार दिन पहले ही वापस आ गया था, लेकिन मैं तुमसे मिलने नहीं आया। मैं कुछ चीज़ों को सुलझाने में लगा हुआ था, और मुझे लगा कि तुम्हें अभी सब बताने की जरूरत नहीं है। लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरा इस तरह छुपे रहना इतनी बड़ी गलतफहमी को जन्म दे देगा। मेरा भरोसा करो, अनिका। मैंने तुमसे इसके अलावा कोई और झूठ नहीं बोला। ये सब बस एक इत्तेफाक था… माफ कर दो मुझे।
अमन की बात खत्म होते ही कमरे में सन्नाटा पसर गया। अनिका की आंखें अमन पर टिकी हुई थीं, वो गुस्से और दुख के बीच फंसी हुई थी। वो एक झटके में उठ खड़ी हुई और मीरा की तरफ मुड़कर बोली,
अनिका- मुझे इन दोनों पर भरोसा नहीं है, मीरा। चलो यहां से, ये सिर्फ धोखा दे सकते हैं, प्यार नहीं कर सकते। आज भी कोई नई कहानी सुना रहे हैं, कहानी में एक या दो इत्तेफाक होते हैं, लेकिन इनकी तो पूरी कहानी ही इत्तेफाक है।
अनिका ने एक ठोसपन के साथ मीरा को चलने का इशारा किया, लेकिन मीरा ने अनिका का हाथ थामकर कहा
मीरा- नहीं, अनिका... मुझे नहीं लगता कि अब ये दोनों झूठ बोल रहे हैं।
अनिका को मीरा के इस जवाब से जैसे जोर का धक्का लगा। उसने हैरानी से मीरा को देखा, मानों उसे मीरा से उम्मीद ना हो। लेकिन फिर अनिका ने खुद को संभालते हुए कहा
अनिका- ठीक है... तो तुमने प्यार और दोस्ती में से प्यार को चुना.... तुमसे ये उम्मीद नहीं थी...
अनिका के ये बात कहकर आगे बढ़ गई। आखिर क्या होगा अब मीरा और अनिका की दोस्ती का अंजाम? क्या अनिका का शक जीतेगा या मीरा का विश्वास? क्या हुआ ज्योति के साथ? कौन है वो बूढ़ा डॉक्टर?
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