मीरा- अनिका, हमें उन्हें एक मौका देना चाहिए।”
मीरा के इन शब्दों ने अनिका के आगे बढ़ते हुए कदमों को रोक लिया था। अनिका ने मीरा की बात सुनी, उसे हैरानी हुई। उसने एक नज़र अमन और अर्जुन की तरफ देखा, जैसे वो उन्हें समझने की कोशिश कर रही हो। लेकिन फिर उसने अपनी नज़रें मीरा पर टिका दीं, और धीमी लेकिन सख्त आवाज़ में बोली,
अनिका- "तुम्हें उन पर भरोसा हो सकता है, लेकिन मुझे नहीं। हो सकता है ये कोई खेल हो मीरा, मैं नहीं खेल सकती।
मीरा ने उसकी बात पर ना में सिर हिलाया और कहा,
मीरा- अनिका, तुम ग़लत समझ रही हो। मुझे अमन और अर्जुन की नीयत सही लग रही है। हम सिर्फ एक ग़लतफहमी का शिकार हुए हैं। क्या तुम सच में नहीं देख सकती कि अमन तुम्हारे लिए कितना परेशान है?”
मीरा की ये बात सुनकर अनिका के दिल में तूफान और तेज़ हो गया था। उसने मीरा को घूरते हुए कहा,
अनिका- मुझे परवाह नहीं है कि अमन क्या महसूस करता है। अगर तुम्हें उन पर भरोसा है, तो तुम यहाँ रह सकती हो। लेकिन मैं अब और नहीं सुन सकती इनकी कहानी।
इतना कहकर अनिका तेज़ क़दमों से कैफ़े से बाहर निकल गई। उसे जाते हुए देख अमन बेचैन हो गया। उसने तुरंत मीरा की ओर देखा, जो अभी भी शांत थी। मीरा ने अमन की बेचैनी भांप ली और धीरे से सामने देखती हुई बोली,
मीरा- अगर तुम सच में अनिका से प्यार करते हो, तो उसे जाने मत दो। मैं उसे जानती हूँ, वो गुस्से में है, पर उसकी आँखों में अभी भी तुम्हारे लिए प्यार है। बस, अब उसका भरोसा मत तोड़ना।
अमन ने बिना कुछ कहे मीरा की बात सुनी और तेजी से अनिका के पीछे दौड़ पड़ा। सड़क पर अनिका तेजी से कदम बढ़ाती जा रही थी। उसकी आँखों में आँसू थे, और उसकी सांसें भारी हो रही थीं। वो रास्ते में रुक-रुककर ऑटो की तलाश कर रही थी, लेकिन कोई भी ऑटो नहीं रुक रहा था। उसके मन में गुस्सा और दर्द दोनों उमड़ रहे थे। उसकी आँखों के सामने बार-बार अमन और अर्जुन की बातें घूम रही थीं। उसने अपने आपसे कहा,
अनिका- कैसे मैं इतनी अंधी हो सकती हूँ? और अब मेरी वाली गलती ही मीरा कर रही है, उसे मेरी नहीं बल्कि उस अर्जुन की बात पर भरोसा है।
अनिका अपने ख्यालों में गुम थी कि इसी बीच, अचानक एक बड़ी कार अनिका की तरफ बेहद तेज़ी से आ रही थी। अनिका उस कार को देख नहीं पाई और वो जैसे ही सड़क पर आगे बढ़ने वाली थी, कार लगभग उससे टकराने ही वाली थी कि उसके दिल की धड़कनें रुक सी गईं और उसने डर के मारे अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं। लेकिन तभी, एक मजबूत हाथ ने उसे पकड़कर झटके से पीछे खींच लिया। वो हाथ किसी और का नहीं, बल्कि अमन का था। अमन ने उसे कसकर पकड़ लिया, और अनिका ने खुद को उससे छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा
अनिका- अमन, छोड़ो मुझे। क्या कर रहे हो तुम? मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी।
अमन- बात मत करो, लेकिन इस तरह जान क्यों देना चाहती हो?
अनिका(छुड़ाने की कोशिश करते हुए)- मैंने कहा मेरा हाथ छोड़ो, तुम्हें क्या मैं मरूँ या जियूँ?
अमन- अनिका, अनिका..... पागल हो गई हो क्या? क्या हुआ है तुम्हें?
अनिका- छोड़ो मुझे, छोड़ो ना.....
अमन(एक झटके में)- आई लव यू, अनिका। मैंने तुमसे झूठ बोलकर बहुत बड़ी गलती की। लेकिन मैं तुम्हें जाने नहीं दे सकता, क्योंकि मुझे तुमसे सच्चा प्यार है।
अर्जुन की बात सुनकर अनिका ने उसे चौंककर देखा, उसका मुंह खुला का खुला था। अनिका की आँखों से बहते आँसू धीमे-धीमे रुकने लगे। उसकी जद्दोजहद कम हो गई और वो शांत हो गई। अमन की बातों में सच्चाई थी, और अनिका का दिल धीरे-धीरे पिघलने लगा। उसने अमन की तरफ देखा, और उसे पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि शायद उसे अमन को एक मौका देना चाहिए। पर अनिका के दिल में इस वक्त एक शक पनप रहा था। उसी समय, दूसरी तरफ कैफ़े के बाहर मीरा और अर्जुन खड़े थे। अर्जुन ने मीरा की तरफ देखा और एक सवाल किया
अर्जुन- तुम अनिका की तरह नाराज क्यों नहीं हुई?
मीरा ने कुछ पल सोचा, और फिर मुस्कुराकर बोली
मीरा- क्योंकि मुझे पता है कि तुम्हारी नीयत सही है। तुमने मुझसे झूठ नहीं बोला है, बस सच छुपाया है। दोनों में फर्क है। मुझे लगता है, तुमने जो सच छुपाया, वो गलत था , मैंने तुम्हारी आँखों में सच्चाई देखी है, और मुझे तुम पर भरोसा है। बस अब आगे से मुझे कुछ मत छुपाना।
मीरा ने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और फिर धीरे-धीरे इधर-उधर नज़र घुमाने लगी। लेकिन दूसरी तरफ, अर्जुन की मुस्कान के पीछे कुछ और ही चल रहा था। उसकी आँखों में हल्की बेचैनी झलक रही थी, जैसे वो कुछ और छिपा रहा हो। उसकी मुस्कान में जो कुछ छुपा था, वो शायद मीरा को अब तक नजर नहीं आया था। सड़क पर अनिका और अमन अब धीरे-धीरे कैफ़े की तरफ वापस लौट रहे थे, और दूर से ही मीरा और अर्जुन उन्हें देख रहे थे। मीरा ने अनिका को देखकर खुशी से हाथ हिलाया और अर्जुन की तरफ देख कहा ‘
मीरा- देखा, मैंने कहा था ना, अनिका अमन को प्यार करती है.... वो आ गई....”
वहीं मीरा को हँसता-मुस्कुराता देख अनिका मुस्कुराई लेकिन उसने मन ही मन कहा
अनिका- मीरा खुश है, मैं अभी उसे अपने किसी plan का हिस्सा नहीं बनाऊँगी। लेकिन, मैं अर्जुन और अमन पर इतनी जल्दी भरोसा नहीं करने वाली।
अनिका और मीरा की ज़िंदगी में आए इस नए मोड से अनजान, शहर के बाहर बनी जर्जर इमारत का एक कमरा गहरे अंधकार में डूबा हुआ था। सिर्फ एक धुंधली सी रोशनी, जो कोने में टंगी एक छोटी सी बल्ब से आ रही थी, जो उस सन्नाटे और डरावना माहौल को और भी रहस्यमयी बना रही थी। फर्श पर फैला ताज़ा खून, दीवारों पर छिटके हुए लाल छींटे, और कोने में पड़ी एक लाश, सब कुछ जैसे एक डरावने सपने का हिस्सा लग रहा था। लेकिन ये सपना नहीं था। ये हकीकत थी, और उस हकीकत का सामना कर रही थी ज्योति। ज्योति के चेहरे पर खून के छींटे थे, जो उस लाश के पास खड़े बूढ़े आदमी की ओर से गिरे थे। सामने वो बूढ़ा आदमी खड़ा था, जिसके हाथ में एक बड़ी वुड कटर मशीन थी। मशीन का बड़ा, घुमता हुआ ब्लेड खून से सना हुआ था, ज्योति सोच रही थी कि वो बूढ़ा उसकी भी जान ले लेगा, लेकिन जो उसने अभी-अभी देखा था, उससे उसकी पूरी दुनिया उलट-पलट हो गई थी। जो आदमी उसे यहाँ लेकर आया था, जिस पर उसे पूरा भरोसा था, वो अब उसके सामने लाश बना पड़ा था। और ये सब इसी बूढ़े आदमी ने किया था, बूढ़ा आदमी धीरे-धीरे ज्योति की तरफ बढ़ा। उसने अपने माथे पर लगे खून को अपनी शर्ट की आस्तीन से पोंछते हुए कहा,
डॉक्टर- डरो मत। इसकी मौत का सामान इसी के हाथों मंगवाया था मैंने। तुम्हें मारने के लिए नहीं, इस हरामज़ादे को मारने के लिए।
ज्योति अब और भी काँपने लगी। उसकी आँखें बूढ़े आदमी की हर हरकत पर थीं, जो अब तक शांत और बेहद खतरनाक लग रहा था। उसने धीमी और कांपती आवाज़ में पूछा, “ये... ये क्या कर रहे हैं आप? ये तो आपका आदमी था....” बूढ़े ने एक हल्की हंसी हँसते हुए कहा,
डॉक्टर- सही कहा.... लेकिन जानती हो, इसने क्या किया था? इसने मुझे डबल क्रॉस करने की कोशिश की। पैसे के लिए मेरे दुश्मनों से जा मिला था। लेकिन..... तुम तो ऐसा कुछ नहीं करोगी, है ना?
उसकी आवाज़ में एक अजीब-सा शरारतीपन था, मानो वो ज्योति को डराकर उसकी हर हरकत पर पूरा काबू करना चाहता हो। जब ज्योति ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने अचानक वुड कटर मशीन चालू कर दी। घनघनाती मशीन की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी, और ज्योति के कानों में वो मौत की दस्तक जैसी सुनाई दे रही थी। वो जोर से चीख पड़ी और अपने हाथ जोड़ लिए। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, और वो बूढ़े आदमी के पैरों में गिरकर गिड़गिड़ाने लगी “नहीं, नहीं! मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगी! मैं आपका साथ दूंगी, हमेशा साथ दूंगी। प्लीज, मुझे मत मारिए!” बूढ़े ने मशीन बंद कर दी और उसके चेहरे पर एक शातिर मुस्कान आ गई। उसने ज्योति की ओर झुकते हुए कहा,
डॉक्टर- वेरी गुड। दैट्स माइ गर्ल। वैसे मैं तो बस तुम्हारा टेस्ट ले रहा था कि अन्डर प्रेशर तुम क्या करती हो?
उसकी आवाज़ में एक खतरनाक मिठास थी, मानो वह ज्योति को अपने जाल में फंसाने की कोशिश कर रहा हो। वो धीरे से पीछे हट गया और इशारे से ज्योति को उठने के लिए कहा। ज्योति ने कांपते हुए अपने आँसू पोंछे और खुद को संभालने की कोशिश की। बूढ़े ने फिर एक बार अपनी मुस्कान के साथ कहा,
डॉक्टर- अब जाओ, इस कमरे के बगल में एक कमरा है। वहाँ जाकर अपने कपड़े बदलो। वहाँ तुम्हारे लिए तुम्हारा पहला टास्क है। इसे समझ लो, ये मेरा भरोसा जीतने का पहला कदम है। अगर कोई होशियारी की तो तुम्हें भी इस आदमी की तरह मौत मिलेगी। लेकिन अगर तुमने यह काम पूरा कर लिया, तो मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा। मैं तुम्हें इतने पैसे दूंगा कि तुम्हारे पास रखने की जगह नहीं होगी।
ज्योति उसकी बात सुनकर लगभग जड़ हो गई थी। वह समझ नहीं पा रही थी कि वो क्या करे?उसके पास कोई रास्ता नहीं बचा था। डर ने उसे घेर लिया था, और वो इस जाल में बुरी तरह फंस चुकी थी। वह धीरे-धीरे उस कमरे की ओर बढ़ने लगी, लेकिन उसके कदम लड़खड़ा रहे थे। उसकी आँखों के सामने बार-बार वह लाश और बूढ़े की खतरनाक मुस्कान घूम रही थी।जैसे ही वह दरवाजे तक पहुंची, बूढ़े आदमी ने उसे रोकते हुए पूछा,
डॉक्टर- वैसे, क्या तुम जानती हो, इस आदमी का नाम क्या था जो यहाँ मरा पड़ा है?
ज्योति ने कांपते हुए जवाब दिया, “व... विनय।उसका जवाब सुनकर बूढ़े आदमी के चेहरे पर एक और शातिर मुस्कान फैल गई। उसने धीरे से कहा,
डॉक्टर- अब से तुम मुझे डॉक्टर बुलाओगी। समझी?
ज्योति ने सिर हिलाया और फिर बिना कुछ बोले कमरे के अंदर चली गई। उसके दिल में अभी भी डर था, वो अब इस खेल का हिस्सा बन चुकी थी, और उसे इस खेल में खुद को जिंदा रखने के लिए बहुत कुछ करना था। वहीं ज्योति की ही तरह अब मीरा और अनिका ने भी अपनी आने वाली ज़िंदगी के लिए फैसला कर लिया था। रात गहरा चुकी थी, और दोनों सहेलियाँ अपने-अपने घर पर थीं। एक तरफ मीरा अपने कमरे में बैठी हुई थी, उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। वह अपने बिस्तर पर बैठी, अपनी डायरी खोलती है और उसमें मुस्कुराते हुए लिखा
मीरा- आज का दिन कितना अच्छा रहा। मुझे लगता है कि अब सब ठीक हो जाएगा। अर्जुन पर मुझे पूरा भरोसा है, और अमन भी अनिका से सच्चा प्यार करता है। सब कुछ जैसे अपनी जगह पर लौट रहा है। हमारी perfect love story बन रही है।
मीरा हर शब्द के साथ थोड़ी और खुश होती जाती है। उसे यकीन था कि उसकी और अर्जुन की जिंदगी में अब कोई problem बची नहीं। उसने अर्जुन की आंखों में सच्चाई देखी थी, और वही उसके लिए काफी था। वहीं दूसरी तरफ, अनिका का हाल बिल्कुल उल्टा था। वो अपने कमरे के कोने में एक कुर्सी पर बैठी थी, उसकी डायरी उसके हाथों में खुली थी, लेकिन उसकी आँखें उसमें नहीं, बल्कि खिड़की के बाहर अंधेरे में कहीं दूर टिकी थीं। कुछ देर तक यूँ ही बैठे रहने के बाद उसने डायरी में लिखना शुरू किया
अनिका- आज मीरा तो खुश थी, लेकिन मुझे नहीं पता, क्यों मुझे ये सब ठीक नहीं लग रहा। अर्जुन और अमन दोनों कुछ छिपा रहे हैं। मीरा को अर्जुन पर भरोसा है, लेकिन क्या वो भरोसे के लायक है? मैं जानती हूँ, कुछ तो गलत है। मैं इसे ऐसे नहीं छोड़ सकती। मुझे सच्चाई का पता लगाना ही होगा।
लिखते हुए उसके हाथ अचानक रुक गए, उसकी आँखें सिकुड़ गई। और उसने डायरी बंद कर दी। अब उसका मन पूरी तरह से सच्चाई जानने के लिए तैयार हो चुका था। वो ये खेल और नहीं खेलना चाहती थी। उसने मन ही मन फैसला किया करते हुए कहा
अनिका- वो अर्जुन और अमन की सच्चाई को सामने लाएगी, चाहे जो भी हो।
दूसरी तरफ, एक होटल के कमरे में अर्जुन और अमन बैठे थे। कमरे में हल्की रोशनी थी, और दोनों एक-दूसरे से चुपचाप बैठे हुए थे। अमन ने अर्जुन की ओर देखा, जो किसी सोच में डूबा हुआ लग रहा था।
अमन- क्या हुआ यार? इतनी चुप्पी क्यों?"
अर्जुन ने हल्की सी सांस ली और सिर झुका लिया।
अर्जुन- पता नहीं यार, आज मीरा से झूठ बोलकर अच्छा नहीं लग रहा। वो भरोसा करने लगी है मुझपर।
अमन- क्या बोल रहे हो भाई, ये करना पड़ेगा। और वो भरोसा कर रही है, ये बहुत अच्छी बात है। अब अचानक हृदय परिवर्तन करना....
अर्जुन(सिर हिलाकर)- मीरा अब मुझ पर भरोसा करने लगी है। और मुझे ये अच्छा नहीं लग रहा कि मैं उसे धोखा दे रहा हूँ। वो सच में मुझसे प्यार करती है। लेकिन... जो सच्चाई है, वो मैं उसे बता भी नहीं सकता।
अमन ने उसकी बात सुनी और थोड़ी देर तक चुप रहा। फिर उसने धीरे से कहा,
अमन- हम दोनों के लिए ये सब आसान नहीं है। लेकिन अब हम इस रास्ते पर हैं, और हमें अपना खेल सावधानी से खेलना होगा। अगर मीरा या अनिका को सच्चाई का पता चल गया, तो सब खत्म हो जाएगा। और तू जानता है, D भी हमसे ज्यादा दूर नहीं है....
अर्जुन ने अमन की ओर देखा, उसकी आँखों में एक अनकहा डर झलक रहा था। "
अर्जुन- लेकिन कब तक? कब तक हम इस झूठ को छिपा पाएंगे?एक ना एक दिन....
अर्जुन ने एक गहरी सांस ली और अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ।
अर्जुन- मैं बस उम्मीद करता हूँ कि ये खेल हमारे लिए भारी न पड़ जाए।
अमन ने उसकी बात पर कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी आँखों में भी वही चिंता थी। दोनों के बीच एक अजीब सा मौन छा गया। आखिर ऐसा क्या है जो अमन और अर्जुन अब भी छिपा रहे हैं? क्या है उस बूढ़े आदमी का राज़? कौन है “D”???
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