अनिका और मीरा अपने अहसासों को डायरी में बंद कर सो चुकी थी, लेकिन अर्जुन और अमन के लिए ये रात अभी खत्म नहीं हुई थी। शहर में बना एक होटल का जिसमें हल्की रोशनी थी, पर्दे बंद थे और शराब की बोतलें मेज पर बिखरी पड़ी थीं। अर्जुन और अमन, दोनों अपने-अपने गिलास थामे सोफे पर बैठे थे। अर्जुन की आँखों में हल्की बेचैनी और चेहरे के हाव-भाव से साफ था कि वो कितनी टेंशन में है, उसकी पेशानी पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही थीं। दूसरी ओर, अमन अपनी उंगलियों से गिलास घुमाते हुए किसी सोच में डूबा था। अर्जुन ने धीरे से अपने गिलास से एक घूँट लिया और नजरें नीचे करते हुए बोला,

अर्जुन- मुझे समझ नहीं आता, यार। मीरा मुझपर इतना भरोसा करती है, लेकिन मैं उसे धोखा दे रहा हूँ। अंदर ही अंदर घुटन होती है, पर कर भी क्या सकते हैं, हम दोनों के लिए यही सही है।

अमन ने सिर उठाया, उसकी आँखों में भी हल्की बेचैनी थी। कुछ देर चुप्पी रही, फिर उसने धीरे से कहा,

अमन- अनिका भी बहुत अच्छी लड़की है। कभी-कभी सोचता हूँ, वो इस सब के लायक नहीं है। लेकिन हम मजबूर हैं, भाई। हमें ये सब करना ही होगा, वरना हम दोनों के लिए कोई रास्ता नहीं बचेगा।

अर्जुन ने नज़रें मिलाते हुए अमन की ओर देखा, लेकिन कुछ कहा नहीं। एक लंबी साँस खींचते हुए उसने अपने गिलास को मेज पर रख दिया और बोला, "हमें ये दिखावा बनाए रखना होगा, चाहे कितना भी मुश्किल हो।" कुछ पल की खामोशी के बाद अमन ने अर्जुन से पूछा,

अमन- पर तू उस दिन मीरा की माँ से क्यों मिला था? मुझे डर है, ये हमारी एक बड़ी गलती साबित हो सकती है।

अर्जुन ने बिना किसी हिचकिचाहट के जवाब दिया,

अर्जुन- मैं मिलना नहीं चाहता था, लेकिन मीरा की क्लासमेट है, ज्योति, वही... उसने हमें कैफे में देख लिया था। मीरा थोड़ी डर गई थी, इसलिए मुझे मिलना पड़ा। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है।"

अर्जुन की आवाज में हल्की घबराहट थी, लेकिन वह खुद को संभालने की कोशिश कर रहा था।

अर्जुन- अगर हम अपने मकसद तक पहुँचने के लिए छोटे-मोटे खतरे उठाते हैं, तो कोई बात नहीं। सबसे बड़ी बात ये है कि इस वक्त मीरा और अनिका, दोनों हम पर यकीन कर रही हैं।

अमन ने अर्जुन की बात ध्यान से सुनी, फिर अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए बोला,

अमन- मीरा के बारे में तो ठीक है, तुझे उस पर भरोसा है, पर अनिका को लेकर तुझे क्यों शक है?"

अर्जुन ने थोड़ी देर तक सोचा, फिर गंभीरता से कहा

अर्जुन- अनिका... मुझे लगता है वो जरूर हमारे बारे में और पता लगाने की कोशिश करेगी। मुझे उस पर पूरी तरह भरोसा नहीं हो रहा। और अब तो वो पेंडेंट भी नहीं है हमारे पास। न जाने इन दोनों ने उसे कहाँ रख दिया है। हमें कोई ऐसा चाहिए जो इन दोनों पर नजर रख सके।

कमरे की हवा में एक अजीब सी बेचैनी थी। अर्जुन की आवाज में तनाव साफ झलक रहा था। उसकी आँखों में गहरी चिंता थी, मानो वो हर पल कुछ खोने के डर से जूझ रहा हो। अमन ने उसकी बात सुनी, लेकिन वो भी अंदर ही अंदर अपने ख्यालों में डूबा हुआ था। वो जानता था कि अनिका और मीरा, दोनों को वो एक बड़े खेल के मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन उनका मकसद उन दोनों की जान से कहीं बड़ा था। कुछ पलों की खामोशी के बाद अमन ने गहरी साँस ली और कहा,

अमन- हमें बहुत सतर्क रहना पड़ेगा। मीरा और अनिका की नज़रें हम पर हैं, लेकिन ये लड़कियाँ इतनी आसानी से कुछ नहीं छोड़ेंगी।

अर्जुन- हाँ, हमें उन्हें और ज्यादा भरोसे में लेना होगा। और जो पेंडेंट है... उसे हमें जल्द से जल्द वापस हासिल करना होगा। वो हमारी आखिरी कड़ी है।

कमरे में अब सिर्फ गिलास में शराब उड़ेलने की आवाज़ आ रही थी। अर्जुन ने गिलास से दो घूंट और लिए। उसकी आंखों में थकान और माथे पर चिंता की लकीरों को लिए उसने अपने चेहरे को हल्के से रगड़ा और टेबल पर पड़ा फोन उठाकर किसी का नंबर डायल करने लगा। अमन, जो अब तक गहरे ख्यालों में डूबा था, अर्जुन की इस हरकत पर चौंक उठा। उसने अपने गिलास को नीचे रखा और अर्जुन से पूछा,

अमन- इतनी रात को किसे फोन कर रहे हो?

अर्जुन ने फोन पर नजरें टिकाए हुए जवाब दिया, "

अर्जुन- यार, उस लालची विनय को फोन कर रहा हूँ। और किसे करूँ? उसी ने तो मुझे मीरा के बेहोश होने की खबर दी थी। वही जानता है ‘D’ के बारे में भी। पर ना जाने क्यों आज सुबह से उसका कोई फोन नहीं आया। उसने कहा था कि ‘D’ की लोकेशन देगा।

अर्जुन की आवाज में एक अनकही बेचैनी थी, उसने विनय का नंबर डायल किया, लेकिन दूसरी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। अर्जुन के माथे पर शिकन और गहरी हो गई। उसने फोन को थोड़ी देर और बजने दिया, लेकिन जब उधर से कोई आवाज नहीं आई, तो उसने झुंझलाहट में फोन काट दिया और झुँझलाते हुए कहा

अर्जुन- ये कमीना कहाँ गया? साले ने मुझे 25 लाख रुपये भी ले लिए और अब फोन नहीं उठा रहा है।

अर्जुन के इस सवाल का जवाब कई मील दूर एक नदी के किनारे सटे जंगल में छुपा हुआ था। रात की ठंडी हवा में सिर्फ पत्तियों की सरसराहट और नदी के पानी की धीमी आवाज गूंज रही थी। जंगल के उस किनारे पर एक लड़की खड़ी थी। उसकी आँखों के सामने एक घर जल रहा था, जिसकी लपटें आसमान तक उठ रही थीं। वो लड़की कोई और नहीं ज्योति ही थी, उसके हाथ में एक लिफाफा और एक फोन था जो बार-बार बज रहा था, लेकिन वो उसे नजरअंदाज कर सिर्फ उस जलते हुए घर को देख रही थी।

ज्योति की आँखों में एक अजीब सा खालीपन था, मानो उसमें कोई भावनाएं ही न बची हों। लेकिन उसके दिल के भीतर एक तूफान मचल रहा था। उसकी आँखों के सामने वो भयानक मंज़र घूम रहा था जब उसने बूढ़े डॉक्टर को विनय की जान लेते हुए देखा था। वो डॉक्टर विनय को मारने से पहले बहुत ज़ोर से शैतानों की तरह हंसा था, और वो हंसी अब भी ज्योति के कानों में गूंज रही थी। उसकी वो चीखें, वो खून, सब कुछ ज्योति की यादों में अब भी ताजा था।

वो घड़ी तब और भी डरावनी हो गई थी जब ज्योति डॉक्टर के सामने गई थी, और उसने उसे कपड़े बदलने का मौका दिया था। ज्योति को याद है कि जब वो कपड़े बदलकर आई, तो डॉक्टर ने उसे एक लिफाफा थमाया था। उस लिफाफे में एक छोटा सा लाइटर और कुछ पैसे थे। डॉक्टर की वो सर्द आवाज अब भी उसके दिमाग में गूंज रही थी,

डॉक्टर- तुम्हें ये काम करना होगा, तभी तो तुम मेरी भरोसेमंद बनोगी।

ज्योति ने अपने काम को अंजाम दे दिया था, उसके दिल में एक ठंडापन था, एक घुटन भरी सच्चाई कि अब उसके पास कोई रास्ता नहीं बचा था…

ज्योति ने धीमे से अपने हाथ में पकड़े फोन को देखा, जो अब भी बज रहा था। उसने बिना किसी भाव के अपने फोन से एक फोटो खींची—उस जलते हुए घर की। उसकी उंगलियाँ काँप रही थीं जब उसने वो फोटो किसी को मैसेज में भेजी। उसके साथ उसने एक छोटा सा मैसेज लिखा “क्या अब मैं भरोसेमंद हूँ?

वो एक पल के लिए वहां स्थिर खड़ी रही, फिर उसने उस फोन को देखा जो अब भी उसके हाथ में बज रहा था। वो फोन था विनय का, जिसे बार-बार अर्जुन call कर रहा था। बिना एक पल की देरी किए, उसने वो फोन उस जलती हुई आग में फेंक दिया। लेकिन जैसे ही उसने ये कदम उठाया, उसकी आँखों से आंसुओं की एक बाढ़ सी आ गई। वो जोर-जोर से चीखने लगी, उसकी आवाज उस रात के सन्नाटे को चीरते हुए जंगल में गूंजने लगी। उसकी चीखें दर्द और असहायता से भरी थीं। 

आग की लपटें अब भी ऊपर उठ रही थीं, लेकिन ज्योति की आँखें अब शांत हो गई थीं। वो अब एक ऐसी सच्चाई का सामना कर रही थी जिसे वो कभी मानना नहीं चाहती थी, उसका खुद अस्तित्व अब दूसरों की मौत पर टिका था। जंगल अब भी शांत था, और आग की लपटों की चमक उसके चेहरे पर पड़ रही थी। ज्योति ने एक आखिरी बार उस जलते घर को देखा और फिर धीमी चाल में जंगल की अंधेरी गहराइयों में खो गई।

कुछ घंटों बाद रात की अंधेरी चादर धीरे-धीरे उजाले में बदल रही थी। अनिका हमेशा की तरह तैयार होकर कॉलेज जाने के लिए घर से निकली। हालांकि, आज कुछ अलग था। मीरा को डॉक्टर ने अभी भी आराम करने को कहा था, इसलिए वो कॉलेज नहीं आ रही थी। अनिका अभी मोड़ तक पहुंची थी कि वहाँ उसे अर्जुन दिखा। अनिका उसे देख कर हैरान रह गई। वो उसके पास जाकर धीरे से बोली,

अनिका- तुम? यहां क्या कर रहे हो?

अर्जुन ने मुस्कराते हुए अनिका को देखा और बोला,

अर्जुन- मैं मीरा का इंतजार कर रहा था।

अनिका उसकी बात सुनकर चौंकी। उसने आश्चर्य में कहा,

अनिका- मीरा का इंतजार?  मीरा तो मगर आज नहीं आएगी, वो तो आराम कर रही होगी। उसने तुम्हें ये क्यों नहीं बताया?"

अर्जुन के चेहरे पर एक पल के लिए असमंजस की छाया आई, लेकिन उसने जल्दी से खुद को संभालते हुए कहा,

अर्जुन- शायद भूल गई होगी। कोई बात नहीं, मैं बाद में मिल लूंगा। तुम चाहो तो मैं तुम्हें कॉलेज छोड़ दूं।

अनिका ने तुरंत मना करते हुए कहा, "

अनिका- नहीं, इसकी कोई जरूरत नहीं है। मैं चली जाऊंगी। वैसे भी तुम तो अब मीरा के घर जा चुके हो, उसकी मम्मी से भी मिल चुके हो, तो उसके घर पर मिल लो।

अनिका के इस सवाल पर अर्जुन के चेहरे पर हल्की सी शिकन आ गई। उसने थोड़ी झिझक के साथ कहा,

अर्जुन- हाँ, जा तो सकता हूँ, लेकिन ऐसा रोज-रोज मिलना... अजीब लगता है।

अनिका ने उसकी बात पर सिर हिला दिया, जैसे उसकी बात से सहमत हो। फिर अचानक उसके मन में एक सवाल उठा। उसने अर्जुन की तरफ घूरते हुए पूछा,

अनिका- अर्जुन, एक बात बताओ... मीरा कॉलेज में बेहोश हुई, ये बात तुम्हें कैसे पता चली?

अनिका का सवाल सुनकर अर्जुन एक पल के लिए सकपका गया। उसने जल्दी से जवाब देते हुए कहा,

अर्जुन- मुझे... मुझे कैसे पता चली? हाँ, वो मैं... कॉलेज गया था उस दिन। मेरे दोस्त का भाई तुम्हारे कॉलेज में पढ़ता है, वो मीरा को जानता है, उसी ने मुझे बताया। वरना मुझे कौन बताता?

अर्जुन का जवाब अनिका के कानों में असामान्य सा लगा। उसकी हिचकिचाहट और बेचैनी को अनिका ने साफ महसूस किया। लेकिन उसने अपनी शक भरी नजरें छुपाने की कोशिश की और मुस्कुराते हुए उसकी बात मानने का नाटक किया। अनिका कुछ देर बाद कॉलेज पहुँच गई। वो क्लास में थी पर उसका ध्यान कहीं और था। उसने धीरे से अपनी डायरी निकाली और उसमें लिखने लगी

अनिका- अर्जुन कुछ छिपा रहा है। वो मीरा को धोखा दे रहा है, कुछ तो है, वो दिखता कुछ और है लेकिन उसकी असलियत उसकी दिखावट से बहुत अलग है।

ये लिखने के बाद उसने एक गहरी सांस ली। और उसके बाद अनिका ने अपनी डायरी बंद कर दी। तभी अचानक उसकी नजर उससे तीन सीट दूर बैठी थी ज्योति पर गई। अनिका ने ज्योति को देखा तो वो हैरान रह गई....उसने चौंकते हुए खुद से कहा

अनिका- ज्योति ने ये क्या किया?

आखिर ऐसा क्या हुआ ज्योति के साथ? क्या अनिका जान पाएगी अर्जुन के बारे में कुछ नया? क्या है वो खेल जिसके मोहरे हैं अनिका और मीरा? 

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