डेविड ने देखा घर के अंदर कोई नहीं है। उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ। गुस्से में वो घर के अंदर जाने के लिए बढ़ा, मगर ट्रांसपेरेंट डिजिटल वॉल के कारण उसे एक झटका लगा और वो दूर जा गिरा। डेविड की अपने ही लोगों के सामने बेइज्जती हो गई थी। उसने गुस्से से चिल्ला कर कहा, "ओरायन.... तुम सोच नहीं सकते कि तुमने मुझे कितना गुस्सा दिलाया है...." इतना कहने के बाद डेविड ने अपने सभी लोगों को देखते हुए कहा, "बॉयज़.... अपनी सारी पावर लगा दो...सारी इंटेलिजेंस लगा कर कैसे भी उस ओरायन के बच्चे को मेरे सामने लाओ...बस अब बहुत हो चुका है।" एक तरफ़ टेक्नोटोपिया में डेविड ने अपना फरमान जारी कर दिया था तो वहीं दूसरी तरफ़ अचानक से ओरायन और लूना ने देखा, वो फिर से आर्केडिया के दूसरे हिस्से में पहुँच चुके हैं। लूना ने जैसे ही ये देखा, उसने सिर पकड़ते हुए कहा,
लूना: "ओरायन हम यहां क्यों आए हैं...तुम जानते हो ना कि यहां एल्डर्स और उनके गार्ड्स मुझे जी-जान से ढूंढने में लगे हैं..."
ओरायन: "सॉरी लूना... लेकिन मेरे पास इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं था... डेविड को दीवार तोड़ता देख, मैंने एटलस की मदद से पोर्टल खोला और वापस आ गया।"
इस वक्त दोनों के पास और कोई जगह नहीं थी, जहां जाकर वो छुप सकें। दोनों के मन में यही सवाल उठ रहा था कि आख़िर कब तक वो इस तरह एक दुनिया से दूसरी दुनिया भटकते रहेंगे। "लूना... इस बार हमें परमानेंट सॉल्यूशन ढूँढना होगा.... नहीं तो हमारी जिंदगी मुश्किल में पड़ जाएगी।" ओरायन ने गहरी सांस लेते हुए कहा।
लूना ओरायन को आर्केडिया के उस हिस्से में ले जाने लगी, जहां पर एल्डर्स को लूना पर शक न हो। इस वक्त रात के 3 बज रहे थे, ओरायन चारों तरफ़ चमकते हुए, जीव-जंतु को देखते हुए अपने लॉजिक से समझते हुए आगे बढ़ रहा था। उसकी छटपटाहट देख, लूना ने कहा, "तुम फिर से तर्क खोजने में लग गए...?" ओरायन ने मुस्कुरा कर कहा, "शायद इस बार मैं कुछ और समझ सकूँ.... पिछली बार मैं तुम्हारी दुनिया को समझ कहां पाया था... लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।" ओरायन दूसरी बार आर्केडिया में आया था, लेकिन यहाँ की हर चीज़ अब भी उसके तर्कपूर्ण दिमाग को चुनौती दे रही थी। हर जादू, हर भावना उसकी दुनिया से अलग थी।
चलते-चलते दोनों एक बड़ी सी नदी के पास पहुंच गए, इस बार ओरायन ने देखा नदी का पानी चमक रहा है और पानी के ऊपर कुछ छोटे-छोटे जीव बैठे हैं, जो चारों तरफ़ खुशबू फैला रहे थे।
ओरायन:"लूना... ये कैसा जादू है....पिछली बार मैंने ये सब क्यों नहीं देखा?"
लूना:"वो इसलिए क्योंकि... रात के 12 बजे के बाद नदी अपना रंग रूप बदलती है...और उसके बाद ही ये जीव-जंतु बाहर आते हैं..."
ओरायन चारों तरफ़ की खूबसूरती को देख, सब कुछ भूल कर उन्हीं में खो गया था। उसका मन कर रहा था कि वो इन सब की एक तस्वीर ले ले, मगर उसे तभी एहसास हुआ कि आर्केडिया के अंदर आते ही, उसका ए.आई. एटलस शट डाउन हो गया है। ओरायन के सामने बड़ी सी नदी थी, उसे समझ नहीं आया कि इसके बाद कहां जाना है। वो लूना से कुछ पूछने ही वाला था कि तभी उसने देखा, लूना नदी के किनारे खड़ी होते हुए बोली, "जल्दी आओ ओरायन.... हमें नदी पार करके उस पार जाना है..." "पागल हो गई हो लूना... इतनी बड़ी नदी हम कैसे पार करेंगे... मुझे तैरना नहीं आता..." कहते हुए ओरायन लूना के पास गया। लूना ने सामने नदी की तरफ़ इशारा किया, ओरायन ने देखा, रस्सी से बना हुआ एक बड़ा सा पुल वहां खड़ा हो गया है। ओरायन को यकीन ही नहीं हुआ। "यहाँ हर चीज़ सोचने पर काम करती है।" कहते हुए लूना ओरायन का हाथ पकड़ कर पुल को पार करने लगी। ओरायन को बार-बार यही डर सता रहा था कि कहीं पुल अचानक से गायब तो नहीं हो जाएगा। उसने लूना का हाथ कस कर पकड़ लिया था, इसी बीच दोनों एक-दूसरे के काफ़ी क़रीब आ गए थे। ये पहली बार था, जब दोनों एक-दूसरे के इतने क़रीब थे।
ओरायन को जैसे ही अपनी गलती का एहसास हुआ, उसने थोड़ा दूर जाते हुए कहा, "सॉरी... वो मैं थोड़ा डर गया था...सो..." लूना ये सुनकर मुस्कुरा पड़ी। पुल पार करने के बाद, ओरायन ने जैसे ही पीछे देखा तो पाया वो पुल गायब हो चुका है। उसने सरप्राइज होते हुए कहा, "ये तो तर्कहीन है, फिर भी काम करता है... मुझे यहां डीप रिसर्च की ज़रूरत है।" चलते-चलते दोनों आगे बढ़ रहे थे, उनको एहसास ही ना रहा कि सुबह के 5 बज चुके हैं। लूना ने देखा, ओरायन के चेहरे पर एक परेशानी के भाव हैं।
लूना:"ओरायन सब ठीक है ना...या कुछ बात है?"
ओरायन ने तपाक से जवाब दिया,
ओरायन:"हां... हां सब एकदम ठीक है... क्या हो सकता है।"
ओरायन कह तो रहा था मगर उसके चेहरे के एक्सप्रेशंस से ऐसा नहीं लग रहा था। लूना ने दो से तीन बार और पूछा मगर ओरायन ने वही जवाब दिया। कुछ देर बाद, ओरायन ने ही सामने से कहा,
ओरायन:"लूना तुम आगे बढ़ो... मैं ज़रा यहां रुक कर.... इस नजारे को फोटो में कैद करना चाहता हूं...अपनी दुनिया में नोवा को दिखाऊंगा..."
लूना:"हां तो मैं भी रुकती हूं... तुम अकेले..."
ओरायन:"नहीं... नहीं तुम आगे बढ़ो न... मैं आता हूं। वैसे भी मैं बच्चा थोड़ी ना हूं... जाओ...जाओ.."
लूना को ओरायन की हरकत अजीब लग रही थी मगर वो बिना बहस किए आगे बढ़ गई। उसके कुछ कदम आगे जाने के बाद ओरायन ने हड़बड़ाकर इधर-उधर देखते हुए कहा, "यार!!... इस लड़की के सामने मैं कैसे कहता कि मुझे टॉयलेट जाना है.... इधर कहां जाऊं.... हां... उस झाड़ी के पीछे चला जाता हूं।" कहते हुए ओरायन दौड़ते हुए झाड़ी के पास गया, मगर तभी उसने देखा, वहां पर एक छोटा सा कमजोर दिखने वाला लोमड़ी बैठा हुआ है, जो ओरायन को घूर रहा था। "ए!... चल भाग यहां से....." ओरायन ने धमकाते हुए कहा, उसे लगा वो छोटा सा कमजोर लोमड़ी क्या ही कर लेगा। मगर उसकी आँखों के सामने, वो लोमड़ी एक खूंखार शेर में बदल गया। शेर को देखते ही ओरायन की हालत ख़राब हो गई, उसके हाथ-पांव कांपने लगे। उसने बड़ी मुश्किल से चिल्लाते हुए कहा, "लू...लूना... बचाओ...." इधर तब तक वो शेर गुर्राते हुए ओरायन के पास आने लगा, शेर ओरायन पर वार करने ही वाला था कि अचानक से जादूई रोशनी वहां पर आई, देखते ही देखते वो शेर एक सफ़ेद बिल्ली में बदल गया और वहां से भाग निकला। "वैसे तुम यहां क्या करने आए थे?" पीछे से लूना ने ओरायन को घूरते हुए कहा। ओरायन को अभी तक विश्वास नहीं हुआ था कि वहां के जानवर इस तरह से बदल सकते हैं। लूना ने ओरायन की हालत पर हंसकर कहा,
लूना:"मैंने कहा था ना...यहाँ हर चीज़ अनोखी है..... खैर, तुमने बताया नहीं तुम यहां क्या कर रहे थे?"
ओरायन:"वो... बस ऐसे ही...मेरा मतलब है कि हमारी दुनिया में पानी पीने के कुछ घंटे बाद, लोगों को जाना होता है ना...तुम्हारी दुनिया में कैसा सिस्टम है...मतलब..."
लूना ने अंदाज़ा लगाते हुए कहा, "तुम्हें बाथरूम जाना है..."
"नहीं... मतलब हां... अब तुम्हारी दुनिया में तो कहीं पब्लिक टॉयलेट भी नहीं है....तो सोचा झाड़ियों के पीछे..." कहते हुए ओरायन झेंपते हुए चुप हो गया। लूना उसकी झिझक को देख अपनी हंसी नहीं रोक पाई, उसे इस तरह हंसते हुए देख ओरायन उसे घूरने लगा। अगले ही पल लूना ने अपनी हंसी रोकते हुए कहा, "तुम मेरे साथ आगे तक चलो... वहां पर कुछ बस्ती है... तुम्हारी परेशानी का समाधान हो जाएगा वहां।"
ओरायन: चुपचाप आगे बढ़ने लगा। थोड़ी ही दूर चलने के बाद, ओरायन ने देखा आस-पास का माहौल एकदम से बदल गया है। वहां चारों तरफ़ एक बहुत ही खूबसूरत बागीचा था, उस बागीचे में लगे सारे फूल हवा में उड़ रहे थे।
"इस बागीचे को पार करने के बाद हमें बस्ती मिलेगी...." कहते हुए लूना ओरायन को वहां के रंग-बिरंगे फूल दिखाने लगी। ओरायन का ध्यान तभी उस जगह के कुछ ख़ास पक्षियों के ऊपर गया, जो कि फूलों से बने हुए थे। ओरायन को समझ नहीं आ रहा था कि आर्केडिया में इस तरह की अनोखी चीज़ें और कितनी हैं, जिसे उसने अभी तक नहीं देखा था। पर असल में ओरायन ने अभी तक आर्केडिया का 25 प्रतिशत हिस्सा ही देखा था। दोनों उस बागीचे को पार कर, जैसे ही आगे बढ़े, एक नया अजूबा ओरायन का इंतज़ार कर रहा था। सामने उसे एक बड़ी सी बस्ती दिखाई पड़ी, मगर उस बस्ती में सारे घर हवा में उड़ रहे थे।
लूना:"आर्केडिया का ये हिस्सा बाकी हिस्से से अलग हैं ओरायन.... यहां इनका अपना नियम है...और सबसे ख़ास बात ये है कि यहां पर चारों एल्डर्स का राज़ नहीं चलता... इनका रहन-सहन बहुत अलग है..."
ओरायन:"वो सब ठीक है.... मगर हम इन घरों में जायेंगे कैसे...और कब मैं अपनी किडनी को आराम दूंगा..."
लूना:"अच्छा हां ... एक मिनट रुको.... मैं यहां के मुखिया से बात कर के आती हूं..."
कहते हुए लूना जैसे ही एक घर के नीचे जाकर खड़ी हुई, बादलों से बनी हुई एक सीढ़ी वहां पर आ गई। ओरायन ये सब देख हैरान भी था और उत्साहित भी। उसने मन में कहा, "यहां तो गुरुत्वाकर्षण का नियम भी काम नहीं करता..." थोड़ी देर बाद, लूना ने ऊपर उड़ रहे घर की खिड़की से ओरायन को आवाज़ देते हुए कहा, "ऊपर आ जाओ ओरायन..." ये सुनते ही ओरायन आगे बढ़ा, मगर उसे बादल से बनी सीढ़ी पर पैर रखने से डर लग रहा था। लूना के ज़ोर देने के बाद, जैसे ही उसने पहली सीढ़ी पर पैर रखा, उसे ऐसा लगा जैसे वो रूई पर खड़ा है। ओरायन जल्दी-जल्दी सीढ़ियां चढ़ता हुआ, ऊपर घर के अंदर चला गया। उसने देखा, घर के कोने में एक बाथरूम बना हुआ था, जैसे उसकी दुनिया में होता था। थोड़ी देर बाद ओरायन जैसे ही बाहर आया, लूना उसे एक कमरे के अंदर ले जाती हुई बोली, "फिलहाल के लिए हम यहीं रहेंगे... मैंने मुखिया से बात कर ली है... इस वक्त ये जगह सुरक्षित है हमारे लिए।" ओरायन को ये सुनकर थोड़ा सुकून मिला, वो भटक कर थक चुका था। ओरायन लूना से बात कर ही रहा था कि तभी उसे एक धुन सुनाई पड़ी। ओरायन के कान खड़े हो गए, उसने महसूस किया कि इस धुन की आवाज़ खिड़की के बाहर से आ रही है। ओरायन खिड़की से झांक कर यहां-वहां देखने लगा, मगर उसे चारों तरफ़ बादल ही बादल दिखाई दे रहे थे। तभी लूना ने उसके बगल में आकर कहा, "ये धुन यहां की हवा में से आ रहा है... सुबह के वक्त इस जगह जब भी ऐसी शीतल हवा चलती है... यहां संगीत की धुन सुनाई देती है.... जो पूरे आर्केडिया में इसी बस्ती में सुनने को मिलती है।" ओरायन इस चीज़ को जान कर खुश हो गया और कान बंद करके हवा से निकल रहे धुन को सुनने लगा।
एक पल के लिए ओरायन को लगा कि वहां सब कुछ कितना है, जहां उसकी दुनिया में हर तरफ़ मशीन का शोर है तो वहीं इस दुनिया में एक सुकून है। ओरायन की नज़र तभी सामने खड़ी लूना के चेहरे पर पड़ी, जिसे ओरायन पास से देख रहा था। हवा में उड़ रहे लूना के रेशमी बाल, उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे। ओरायन को अंदर से एक अलग फीलिंग आने लगी, उसने तभी ख़ुद को संभालते हुए कहा, "ये... ये क्या हो रहा है मुझे?... आज से पहले मैंने ऐसा कुछ फील नहीं किया है... लेकिन जो भी हो... मुझे ये सब नहीं सोचना चाहिए... मेरा मक़सद कुछ और है।" दोपहर के वक्त ओरायन खाना खाने के लिए, कमरे से बाहर आया। इस वक्त लूना कमरे में ही थी। ओरायन ने बाहर आकर हॉल में देखा, उस घर की एक औरत अपने 5 साल के बच्चे को खाना खिलाने के लिए उसके पीछे भाग रही है और वो बच्चा खाने से बचने के लिए, एक कमरे से दूसरे कमरे में भाग रहा है। ओरायन ने ऐसा कुछ पहले कभी नहीं देखा था। वो किनारे खड़े होकर ये सब कुछ देखने लगा।
इधर बच्चा जैसे ही दूसरे कमरे से बाहर आया, अपनी मां से टकरा गया और मां के हाथ से खाने का कटोरा गिर गया। "देख बर्बाद हो गया ना खाना... तुम्हे प्यार से खिलाती हूं तो खाता नहीं है..." कहते हुए वो औरत झल्ला कर अपने बच्चे को मारने लगी। वो बच्चा वहीं ज़मीन पर बैठ कर रोने लगा, ओरायन ये सब कुछ बड़े ध्यान से देख रहा था। वो औरत पैर पटकती हुई किचन में चली गई और मिठाई लाकर बच्चे को चुप कराने लगी, "अच्छा अब चुप हो जाओ... आगे से मस्ती मत करना..." ओरायन ये देख, बुरी तरह से हैरान हो गया। पीछे से लूना ने उसके पास आकर पूछा, "क्या हुआ....क्या सोच रहे हो?"
ओरायन:"लूना.... ये किस तरह का प्यार है.... अभी अभी जो मां बच्चे की बदमाशी पर गुस्से से उसे मार रही थी...वही मां एक पल में उस बच्चे के रोने पर उसे प्यार करने लगी.... आज तक मैंने टेक्नोटोपिया में ऐसा कुछ नहीं देखा है...."
लूना:"ये मां का प्यार है ओरायन... और इसे समझा नहीं जा सकता.... बल्कि महसूस किया जा सकता है।"
ओरायन को एहसास हो रहा था कि इस दुनिया में कितना कुछ है, उसने सोचते हुए कहा, "तुम्हारी दुनिया में लोग दिल से जुड़ते हैं। मैं समझ रहा हूँ कि इमोशंस कितने महत्वपूर्ण हैं।"
"ये हमारी ताकत है और शायद ये तुम्हारी दुनिया में भी काम आए ओरायन..." लूना ने समझाया। ठीक उसी वक्त पर वहां उस बस्ती का मुखिया आया, उसने परेशानी वाले भाव में कहा, "लूना... हमारी बस्ती में वो होने जा रहा है, जो आज तक इतिहास में कभी नहीं हुआ..."
"क्या मतलब मुखिया जी..." लूना ने चौंक कर पूछा, जिसके जवाब में मुखिया ने कहा, "एल्डर्स को पता चल गया है हमने तुम्हें शरण दी है... वो अपने सैनिक को लेकर यहां आ रहे हैं.... और ये हमें मंजूर नहीं लूना... हम सब उन चारों एल्डर्स को अपना दुश्मन मानते हैं।"
ओरायन और लूना को समझ नहीं आने लगा कि आख़िर वो करे तो करे क्या?
दोनों ने परेशान नज़रों से एक-दूसरे को देखा। क्या हुआ आगे? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
No reviews available for this chapter.