जैसे-जैसे राकेश माधवानी अपनी बात बोलते जा रहे थे वैसे वैसे मीडिया के लोग इसकी लाइव टेलीकास्टिंग कर रहे थे। एक-एक शब्द एक एक बात डायरेक्ट देश के लोगों तक पहुंच रही थी। अपनी और अपनी कंपनी की इतनी इंसल्ट होता देखकर,  कैलाश रावत ने इशारे से लॉयर मानसी से उनका पक्ष रखने को कहा। जिस पर मानसी ने तुरंत खड़े होते हो कहा”

मानसी :  माय लॉर्ड, आय ऑब्जेक्ट….. मेरे क्लाइंट मिस्टर कैलाश रावत एक रिप्यूटेड बिसिंसमैन हैं। और उनके खिलाफ इस तरह की बाते करके ये मेरे मुवक्किल सरासर उनकी इंसल्ट कर रहे हैं।”

जस्ट साहिब मीनाक्षी जो पहले ही, मानसी से चिड़ी हुई थी।, उसने तुरंत उसे मना करते हुए कहा” ऑब्जेक्शन ओवररूल्ड ! वादी अपना पक्ष रखे। परिवादी को बोलने का पूरा मौका मिलेगा।”

मानसी जज साहिबा की बात सुनकर चुप होकर अपनी जगह बैठ गई। कैलाश रावत ने जैसे ही देखा कि धीरे-धीरे उसका केस कमजोर पड़ता जा रहा है तो उसने अपने बेटे की तरफ देखा और अगले ही पल उसके बेटे अर्जुन ने, अपने फोन पर कुछ मैसेज किया जिससे दूसरी तरफ से जवाब आया” मैंने बहुत कोशिश की पर ये लोग जमीन देने को तैयार ही नहीं हो रहे। जिस तरह से ये वकील सब की पोल खोल रहा हैं। उस हिसाब से मुझे डर हैं की कही मैं फंस ना जाऊ।” उस आदमी ने अपना फोन जेब में रख लिया। ये आदमी कोई और नहीं बल्कि गांव वालों का हमदर्द था जो चंद पैसों की लालच में इन अमीर बिल्डर से मिल गया।

वहीं दूसरी तरफ राकेश माधवानी अपनी बात कहकर एक पेन ड्राइव जज साहिबा की तरफ बढ़ाते हुए बोला”

राकेश: यह पेन ड्राइव है मैं चाहता हूं कि कोर्ट में से सबके सामने प्ले किया जाए। इस केस को एक क्लेरिटी मिल सके। “

राकेश की बात पर सब लोग काफी ज्यादा हैरान रहे थे और ध्यान से सामने की पेन ड्राइव की तरफ देखने लगे इस पेन ड्राइव में एक वीडियो प्ले हो रहा था। यह वीडियो उस वक्त का था जब कल, कैलाश रावत अपने बेटे से ऑफिस में बात कर रहा था। अब आप भी सोच रहे होंगे कि जब ऑफिस में कोई था ही नहीं तो इस रिकॉर्ड कैसे और किसने किया। इसका पूरा क्रेडिट किसी और को नहीं बल्कि अर्णव को जाता है जिसने, कैलाश रावत के बेटे अर्जुन का फोन हैक कर लिया और उसके कमरे और वॉइस रिकॉर्डर को ऑन करके सब कुछ साफ-साफ सुना और इस पेन ड्राइव में कॉपी करके राकेश माधवानी को भेज दिया। इस वीडियो के प्ले होते ही सब कुछ साफ-साफ समझ आ गया। कैलाश रावत अपने सिर पकड़ कर बैठ गया क्योंकि उसने अपनी इतने सालों की मेहनत, पावर, रेपुटेशन सब कुछ चंद मिनटों में गवा दी थी। तभी गांव वालों की भीड़ में से एक आदमी खड़े होकर बाहर जाने लगा। उस आदमी को बाहर जाता देखकर, इंस्पेक्टर विक्रम ने अपने कुछ कांस्टेबल की तरफ इशारा किया और तुरंत उसे आदमी को पकड़ लिया गया। उस आदमी को पुलिस की तरफ में देखकर हर कोई हैरान रह गया सब लोग अजीब अजीब सी बातें करने लगे तभी राकेश ने उसे आदमी की तरफ देखते हुए कहां”

राकेश: अरे अरे सरपंच साहब, आप कहां चले? अभी आपके बारे में तो हमने बताया ही नहीं।”

राकेश माधवनी ने कोर्ट में कुछ डॉक्यूमेंट सबमिट करते हुए कहा”

राकेश: यह सरपंच साहब के बैंक के डॉक्यूमेंट है जिनमें, एक हफ्ते पहले के कुछ बैंक ट्रांजैक्शन शो हो रहे है। जिस रात गांव वालों पर हमला हुआ था, उसी दिन सुबह सरपंच साहब ने कैलाश रावत के बेटे अर्जुन रावत से मुलाकात की थी। और उस मुलाकात के 15 मिनट बाद ही सरपंच साहब के अकाउंट में एक करोड रुपए ट्रांसफर कर दिए गए थे।”

जैसे ही वहां बैठे हुए गांव वालों ने यह बात सुनी तो, हर कोई हैरान रह गया।

गांव वालों को विश्वास नहीं हो रहा था जिसे उन्होंने अपना हम साथी माना था। जिसकी भरोसे वह लोग लड़ाई लड़ने चले थे उसी ने बीच रास्ते में उनका साथ छोड़ दिया और दुश्मनों से मिल गया।

गांव वालों को अपनी तरफ यूं खूनी आंखों से देखा हुआ देखकर, गांव का सरपंच अपनी लड़खड़ाती हुए आवाज में बोला” ये….यह झूठ बोल रहा है। मैंने ऐसा कुछ नहीं किया।”

सरपंच अपनी सफाई देने की कोशिश कर रहा था हालांकि वहां सुनने वाला कोई नहीं था। तभी राकेश माधवानी ने कोर्ट से आगे कहा” इतना ही नहीं सरपंच ने खुद अपने गांव पर हमला करवाया और, इसे डकैती और चोरी का नाम देने की कोशिश की। हालांकि इसमें जितना सोचा नहीं था उससे ज्यादा मामला बढ़ गया और उसके बाद उसने, अर्जुन रावत को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया कि अगर, अर्जुन ने सरपंच को 2 करोड रुपए और नहीं दिए तो वह यह पूरा मामला बाहर निकाल देगा।”

जैसे-जैसे काम वाले यह बातें सुन रहे थे वैसे-वैसे, उनका खून खौलता जा रहा था। चंद पैसों के लिए इस आदमी ने अपने ही गांव वालों को मरवा दिया। कितने ही बूढ़े, बच्चे मारे गए। औरतों के साथ गलत किया गया, पर इस आदमी के माथे पर शिकन तक नहीं आई।

गांव वाले अब और सब्र नहीं रख सकते थे उनमें से कुछ लोग खड़े हो गए और, सरपंच की तरफ जबरदस्ती बढ़ने की कोशिश करते हुए बोले” हम तुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे तूने अपने ही गांव वालों को मरवा दिया। अरे निर्लज, बुढ़ापे में कहां लेकर जाएगा इन पैसों को? “

इतना कहकर वह लोग उसकी तरफ मारने के लिए बढ़ने लगे। हालांकि, पुलिस ने उन लोगों को सही वक्त पर पकड़ लिया और कोर्ट ने भी तेज आवाज में आर्डर देते हुए कहा” आप सब लोग कोर्ट की गरिमा बनाए रखें वरना हमें आपको बाहर भेजना पड़ेगा।”

अपनी बात साबित करने के लिए जल्दी ही राकेश माधवानी ने उन लुटेरो की गैंग के सरदार को भी कोर्ट में पेश कर दिया, जिसे विक्रम ने कल रात को ही पकड़ लिया था। गैंग के सरदार ने भी, अपना गुनाह कबूल कर लिया और सबके सामने सच आ गया।

सबको सुनने के बाद जब साहिबा मीनाक्षी ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा”  सारे सबूत और गवाहों को मध्य नजर रखते हुए कोर्ट यह फैसला करती है कि, नांदेड़ गांव के इतने  निर्दोष लोगों को मारने के लिए सरपंच को उम्र कैद की सजा सुनाई जाती हैं।

और सरपंच के कहने पर यह काम करने के लिए गैंग के सरदार को भी उम्र कैद की सजा सुनाई जातीहै। और पुलिस को ऑर्डर देता है कि जल्द से जल्द सरकार की बाकी साथियों को पड़कर उन्हें भी जेल में डालें।

लाइफ फॉरेवर कंपनी के मालिक और बेटो ने जिस तरह से नांदेड़ गांव के लोगों को परेशान किया और उनकी वजह से ही ये सब शुरू हुआ हैं….कोर्ट लाइफ फॉरएवर के मालिक को ऑर्डर देता हैं की वो पीड़ितों के परिवार को 2 _ 2 लाख का मुआवजा दे और साथ ही कैलाश रावत को 1 साल की सजा दी जाती हैं।” जैसे ही कोर्ट ने यह फैसला दिया, तो उसके कुछ मिनट बाद ही कैलाश रावत कोई कॉल आया और जैसे उसने कॉल रिसीव किया तो धड़ाम से उसका फोन नीचे गिर गया और वह वहीं पर बेसुध सा बैठ गया।

असल में कुछ मिनट पहले उसके पास जो फोन आया था वह कैलाश रावत के असिस्टेंट का था। जिसने उसे फोन पर बताया कि उसकी कंपनी के शेयर्स बुरी तरह डाउन चले गए हैं और निवेशक अपना पैसा मांग रहे हैं।

देखते ही देखते पल भर में पूरी कंपनी डूब गई। कोर्ट स्थापित हो गई सब लोग अपने घरों को चले गए और मुजरिमों को जेल में डाल दिया गया।

कोर्ट में इस वक्त सिर्फ विक्रम और राकेश ही थे। विक्रम ने राकेश की तरफ देखते हुए कहा” भूल मत जाना आज महीने का आखिरी दिन है और तेरा मेरा फ्रेंडशिप डे भी। अपने अड्डे पर मिलते हैं रात को 8:00 बजे।” जैसे ही विक्रम की बात सुनी तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने मुस्कुराकर हां कहा और दोनों अपने घर आ गए।

रात के 8:00 बजे राकेश, एक बड़ी पर पुरानी सी बिल्डिंग की छत पर बैठा था। विक्रम अभी तक नहीं आया था तभी, राकेश का ध्यान अपने माथे पर लगी चोट पर गया और उसे आज सुबह की सारी घटना याद आने लगी कि कैसे, सरपंच ने सुबह उसके कोर्ट आने वाले रास्ते पर , कांच कांच बिछवा दिए थे और इस गाड़ी की टायर भी फ़ैल करवा दिए थे। जिसकी वजह से राकेश का एक्सीडेंट होते होते बचाओ और बहुत मुश्किल से उसने अपनी जान बचाई।

राकेश  यह सब सोच ही रहा था कि तभी, विक्रम वहा आ गया और उसने अपने सामने, चील्ड बीयर की बॉटल कैन रखते हुए कहा” आज का केस भी तुम जीत ही गए।” इतना कहकर दोनों चीयर्स कर कर दारु पीने लगे और मुंबई शहर को देखने लगे। इतनी ऊंचाई से ये शहर और भी खूबसूरत लग रहा था। चारों तरफ लाइटिंग और कभी ना रुकने वाला के सफर। मुंबई की यही तो खासियत थी यह शहर कभी सोता ही नहीं था दिन हो या रात हर कोई बस दौड़ता रहता था। कोई अपने सपनों के पीछे तो कोई पैसों के पीछे। कोई लड़की के पीछे तो कोई जिम्मेदारियां के पीछे, हर कोई दौड़ ही रहा था।

पर आज राकेश और विक्रम की जिंदगी थम गई थी। विक्रम ने बियर पीते हुए कहा” तुझे याद है 8 से 10 साल पहले हम इसी तरह मिले थे। तू दारू के नशे में धुत था और मैं तुझे पुलिस स्टेशन लेकर जा रहा था। उस वक्त अचानक ही तू मेरे गले लग गया और मुझे अपनी जिंदगी और अपने बेटे के बारे में बताने लगा। मैं भी नया-नया इस शहर में आया था और पुलिस की वर्दी भी नई नई पहनी थी। उस रात कितनी बार कोशिश की की तुझे पुलिस स्टेशन ले जाऊ पर तेरी बातें सुनकर हिम्मत ही नहीं हुई। और मैं तुझे अपने घर ले गया। और तो और तूने दारू पीकर मुझ पर ही उल्टी कर दी थी। पता हैं उस दिन मुझे कितना गुस्सा आया था ?”

विक्रम बोल ही रहा था तभी राकेश ने बोला”

राकेश: हां और एक बार तो तू मुझे अपने घर से बाहर भी देखने वाला था पर तेरे अंदर की इंसानियत जाग गई और तूने मुझे साफ कर कर अच्छे से खाना खिला कर सुला दिया। उसके बाद अगले दिन जब मुझे होश आया और मैं अपना सिर पकड़ कर बैठा था उस वक्त, तूने मुझे नींबू पानी बन कर दिया और उसके बाद मुझ पर बरस पड़ा कितना गुस्सा किया था तूने उस दिन मुझ पर। क्या कह रहा था, कौन ऐसे पीकर रोड पर चलता है? कुछ हो जाता तो मुझे, और पता नहीं क्या-क्या।”

तभी विक्रम ने हंसते हुए कहा” हां और उसके बाद, जब तूने मुझे कहा कि तू लॉ की प्रेक्टिस करना चाहता हूं, ताकि अंशुल को इंसाफ दिला सके, तो मुझे लगा की अभ्यास आदमी में बोला रहा हैं। पर जब तेरी मैंने LLB का रिजल्ट देखा तो मैं एकदम हैरान ही रह गया। और उसके बाद तो तूने, शर्मा जी के साथ मिलकर पूरी प्रैक्टिस की और आज देख कितना बड़ा लॉयर बन गया।”

विक्रम की बात सुनकर राकेश हंसते हुए बोला”

राकेश: लॉयर में कोई बड़ा है छोटा नहीं होता। और तूने तो मेरी कितनी मदद की सारे केस तेरे भरोसे ही सॉल्व करता हूं। अगर तू ना होता तो भगवान जाने में क्या होता? कितनी बार अपनी बेटी को याद करके मैं टूट जाता था अपनी पुरानी जिंदगी को याद कर कर, एक-एक हफ्ते तक किसी से बात नहीं करता था, उस वक्त मेरे मुश्किल वक्त से तूने ही मुझे निकला था। मैं पीने के बाद पता नहीं क्या-क्या बकवास करता था और तू सब कुछ सुनता था। सच में विक्रम अगर उसे वक्त तूने मुझे संभाला न होता, तो शायद आज मैं जिंदा भी होता या नहीं पता नही।

“इतना कहकर फिर से राकेश की आंखों में आंसू आ गए।

विक्रम ने जब देखा कि राकेश फिर से पुरानी बातें याद कर रहा है तो उसने राकेश का ध्यान डायवर्ट करते हुए कहा” तुझे याद है तेरा वह पहला ऑफिशल केस, जब टू प्रैक्टिस कर रहा था…. शादी में सालियों ने जीजा का जूता देने से मना क्या कर दिया, जीजा ने तो सालियों पर ही चोरी का केस ठोक दिया।”विक्रम जोर जोर से हंसने लगा और राकेश भी उसका साथ देने लगा।

तभी राकेश ने कुछ याद करते हुए कहा”

राकेश: अच्छा तुझे वो केस याद है 7 साल पहले वाला केस, जिसमे एक लड़की ही अपनी शादी में तमाशा कर दिया था। और विदाई के बाद लड़के के साथ जाने से मना कर दिया था क्योंकि लड़का, उसके मनपसंद की गाड़ी नहीं लेकर आया था।”

इस पर विक्रम ने कहा” हां और उप्पर से ये केस भी तेरे पास आया। तू कहां अच्छे केसेस ढूंढ रहा था और तुझे इस तरह के फनी केसेस मिल रहे थे। तू कोर्ट में लड़ना चाहता था और इन केसेस में तो कोर्ट तक जाने की जरूरत ही नहीं थी।”

अपने पुराने दिनों को याद करके दोनों हंसे जा रहे थे। धीरे-धीरे ये शहर भी कुछ पल के लिए थमने लगा। बात करते-करते सुबह के 3 बज गए थे। राकेश और विक्रम दोनों ने मुश्किल से एक दूसरे को संभाला और वहीं से नीचे बने विक्रम के फ्लैट में जाकर सो गए। क्या होगा आगे? जानने के लिए पढ़ते रहिए 

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