एक 4 माले के ऑफिस में बैठा 5 फीट 5 इंच का लल्लन पटेल कंप्यूटर के आगे आंखे गड़ाए लगातार अपनी उंगलियां कम्प्यूटर के की बोर्ड पर चला रहा था। उसके माथे पर आती कुछ पसीने की बूंदे थी और आंखो पर एक चश्मा।  लगातार 3 घंटे से काम करके वो काफी ज्यादा थक गया था। तभी उसने पास से गुजर रहे ऑफिस बॉय से कहा” काका, एक चाय पिला दो गरम गरम दिमाग खुल जाएगा। “

लल्लन की बात सुनकर काका ने हंसते हुए कहा” अभी लाता हूं, ।” एक बेहद मिडिल क्लास परिवार से आने वाला लल्लन अच्छे से जानता था की मेहनत करके कमाने का मजा क्या होता हैं। इसीलिए वो ऑफिस में भी सबसे बहुत अच्छे से बात करता था। 4 साल हो गए थे उसे यहां, इस कंपनी में काम करते हुए। आज तक उसने कभी किसी से बदतमीजी से बात नहीं की थी चाहे फिर वह उससे छोटा हो या बड़ा। काका से चाय के लिए कहकर, लल्लन फिर से अपने काम पर लग गया तभी, उसके डेस्क पर रख फोन पर एक कॉल आया” कम तो माय कैबिन “ ये शब्द किसी और के नहीं बल्कि लल्लन के बॉस आशीष के थे। इस तरह बेवक्त केबिन में बुलाने पर, लल्लन थोड़ा सा डर गया। उसे लगा कि शायद उससे कोई गलती हुई है, इसीलिए वह थोड़ा झिझकते हुए बॉस के केबिन में गया और अंदर जाते ही बोला” सर आपने बुलाया?” 

बॉस, जो अपने लैपटॉप में कुछ काम कर रहे थे जैसे ही उन्होंने लल्लन को देखा तो, उसे देखते हुए थोड़ा उदास चेहरा बनाकर बोले” आई एम सॉरी लल्लन पर तुम्हें जाना होगा। मैंने बॉस से बहुत रिक्वेस्ट की, पर वो माने ही नही।” इतना कहकर आशीष ने दुखी फेस बना लिया। जैसे ही लल्लन ने यह बात सुनी तो उसका चेहरा उतर गया और वो बिना कोई बहस करें वहां से जाने के लिए जैसे ही मुडा तो आशीष से उसकी हंसी कंट्रोल नही हुई। और उसने हंसते हुए कहा” कम ऑन यार लल्लन, मैं मजाक कर रहा था। सीनियर ने कहा है कि 3 महीने बाद जो एम्पलाइज फॉरेन घूमने जा रहे हैं उनमें, तुम्हारा भी नाम है। बॉस तुम्हारे काम से बहुत खुश है। और तुम्हें चार दिन की दुबई ट्रिप दे रहे हैं। जल्दी से जाकर अपना पासपोर्ट बनवा लो।”

जैसे ही लल्लन यह बात सुनी तो, उसका मुरझाया हुआ चेहरा खिल उठा और उसने अपने बॉस से हाथ मिलाते हुए खुश होकर कहा” थैंक यू सो मच सर!” लल्लन के चेहरे की ख़ुशी छुपाए नहीं छुप रही थी। वो भागते हुए आशीष के ऑफिस से बाहर आया और वहां बैठे अपने दोस्तो से खुश होकर बोला” रौनक में दुबई जा रहा हूं 4 दिन के लिए। “ लल्लन को इतना खुश देखकर रौनक ने हंसते हुए कहा” वाह क्या बात हैं बे, तू तो बॉस के दिल पर राज कर रहा हैं आज कल। चल बढ़िया हैं। एक काम करते हैं जल्दी से पासपोर्ट बनवा लेते हैं। आज ऑफिस का काम पूरा हो जाए, उसके बाद चलते हैं।” 

रौनक, लल्लन का इस ऑफिस में सबसे पुराना और अच्छा दोस्त था। जल्दी ही ऑफिस खतम हुआ और दोनो सीधे वहा से अपना पासपोर्ट बनवाने चले गए। रास्ते में बाइक पर रौनक को कॉल आया और उसने लल्लन से माफी मांगते हुए कहा” सॉरी यार, मेरी वाइफ का कॉल था। मेरी बेटी थोड़ी बीमार हैं। मुझे अभी उसे लेकर हॉस्पिटल जाना होगा ।” 

रौनक की बात सुनकर लल्लन ने उससे कहा “ कोई बात नहीं तू घर जा, बेटी को संभाल। वो ज्यादा जरूरी है। पास में ही है मैं चला जाऊंगा। “ दोनों जल्दी ही विदा लेकर अपने-अपने रास्ते चले गए। करीब 15 मिनट बाद जैसे ही लल्लन पासपोर्ट ऑफिस पहुंचा तो, वहा इतनी लंबी लाइन देखकर हैरान हो गया। 

लल्लन खुद से ही बड़बड़ाते हुए” हे भगवान, इतनी लंबी लाइन….. लगता है शाम तक नंबर नहीं आएगा। “ इतना कह कर लल्लन चुपचाप लाइन में खड़ा रहा और वहीं खड़े-खड़े दुबई के सपने देखने लगा। कैसे वह बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को देखेगा बुर्ज खलीफा और दुबई मॉल देखकर आएगा जो शायद उसने कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था। 

करीब इसी तरह एक घंटा निकल गया और लल्लन का नंबर भी आ गया। जैसे ही लल्लन ऑफिसर के सामने जाकर बैठा तो ऑफिसर ने उससे उसका नेम पूछा और अपने सिस्टम में चेक करने लगा। 1 मिनट बाद उसने लालन की तरफ देखते हुए कहा” आपका पासपोर्ट पहले की बन चुका है फिर आप दोबारा पासपोर्ट क्यों बनवाना चाहते हैं? “

जैसे ही लल्लन ने यह बात सुनी उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा और उसने हैरान होते हुए ऑफिसर से पूछा” यह आप क्या कह रहे हैं सर, मैं तो पहली बार पासपोर्ट बनाने के लिए आया हूं।  

लल्लन की बात सुनकर ऑफिसर ने कुछ देर सोते हुए कहा” देखो अगर तुम्हारा पासपोर्ट गुम हो गया है तो तुम पुलिस में कंप्लेंट करवाओ। दोबारा पासपोर्ट नहीं बन सकता है।” 

ऑफिसर की बात सुनकर लल्लन को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ? वह कैसे यकीन करवाए कि वह जिंदगी में पहली बार पासपोर्ट ऑफिस आया था। उसने ऑफिसर से रिक्वेस्ट करते हुए कहा”सर प्लीज आप मुझे डिटेल बता सकते हैं कि मेरे नाम पर किसने पासपोर्ट बनवाया है? मैं तो आज से पहले कभी पासपोर्ट ऑफिस भी नहीं आया तो, पासपोर्ट कैसे बनवाऊंगा?”

लल्लन की बात सुनकर ऑफिसर ने माना करते हुए कहा” सॉरी,  हम ऐसा नहीं कर सकते हैं। डीटेल्स देना allow नहीं है। आप पुलिस कंप्लेंट कीजिए उसके बाद ही ऑफिशियली हम कुछ कर पाएंगे।”

लल्लन, जिसने सुबह से अभी तक अपने सपनों में पूरा दुबई घूम लिया था अपनी पूरी लाइफ जी ली थी। फर्स्ट टाइम एरोप्लेन में बैठ गया था। आसमान से सीधा जमीन पर आ गया और अब उसे समझ नहीं आया था कि वह क्या करें और क्या नहीं। 

पासपोर्ट ऑफिस से बाहर आकर उसने जल्दी से, पुलिस स्टेशन की तरफ अपनी बाइक घुमाई और तुरंत वहा के लिए निकल गया। पुलिस स्टेशन में ऑफिसर कोई और नहीं बल्कि, विक्रम सिंह ऑफिसर था। लल्लन  जल्दी से उनके पास गया और अपनी सारी बात बताते हुए उनसे बोला” मुझे सच में नहीं पता कि पासपोर्ट कैसे और किसने बनवाया। न हीं तो मैं कभी देश से बाहर गया और ना ही मैंने कभी कोई पासपोर्ट बनवाया।”

विक्रम में जैसे ही लल्लन की बात सुनी तो उसे भी काफी अजीब लगने लगा और उसने, तुरंत लल्लन  की ऑफिशियल कंप्लेंट लिखकर जांच शुरू कर दी। एक तरफ लल्लन अपने घर आ गया और दूसरी तरफ, अगले दिन सुबह सुबह विक्रम, लल्लन  के पासपोर्ट की डिटेल लेने के लिए पासपोर्ट ऑफिस चले गए। वहा जाकर उन्हें जो बात पता चली वो काफी हैरान कर देने वाली थी। विक्रम सारी डिटेल लेकर वापस पुलिस थाने आ गए और लल्लन  को भी पुलिस स्टेशन बुला लिया। और उसके सामने कुछ डॉक्यूमेंट रखते हुए कहा” क्या ये तुम हो ?”

लल्लन  में जैसे ही डॉक्यूमेंट पर अपनी फोटो और नाम देखा तो वह हैरान होते हुए बोला” सर यह मैं नहीं हूं। पर यह आदमी बिल्कुल मेरी तरह दिख रहा है उसका नाम भी लल्लन पटेल ही है। मुझे नहीं पता यह क्या हो रहा है सर। “

विक्रम ने ध्यान से लल्लन को ऊपर से नीचे तक देखा और उसके बाद उससे कहा” यह पासपोर्ट जिस इंसान का है वह इंसान काफी बड़ा बिजनेसमैन है और एक अमीर आदमी है। वहीं दूसरी तरफ तुम कह रहे हो कि आदमी तुम्हारे जैसा दिखता है इसका नाम भी बिल्कुल तुम्हारे जैसा ही हैं। इसकी सारी डिटेल भी बिलकुल वैसी ही है। 

पर यह तुम नहीं हो ऊपर से तुम कह रहे हो कि तुम एक मिडिल क्लास आती हो तो किसी कंपनी में काम करता है। “

लल्लन में जैसे ही विक्रम की बातें सुनी तो उसने विश्वास दिलाते हुए कहा” सर मैं सच कह रहा हूं मुझे नहीं पता। मैं नहीं जानता ये आदमी कौन है।” 

विक्रम ने इस केस की गंभीरता को समझा और लल्लन को घर जाने को कहा। वहीं दूसरी तरफ लल्लन  के दिमाग में यह बात घर कर गई थी। उसने सुना था कि एक ही शक्ल के सात आदमी होते हैं पर शक्ल के साथ-साथ एक ही जैसा नाम और बाकी इनफॉरमेशन एक ही जैसी कैसे हो सकती थी? कैसे पिता का नाम एक जैसा हो सकता था कैसे फिजिकल अपीरियंस एक जैसी हो सकती थी? लल्लन  को यह बात बिल्कुल भी समझ नहीं आ रही थी। 

उसने डिसाइड कर लिया था कि वह एक बार उस इंसान से जरूर मिलेगा, जिसने उसकी आइडेंटी उसकी पहचान को चुराया है। क्योंकि असली लल्लन पटेल वही था। 

मुंबई के ही एक बड़े से आलीशान घर में एक आदमी, पूरी शानो शौकत के साथ, एक हाथ में महंगा सा चाय का कप लेकर बैठा हुआ था और दूसरे हाथ से अपनी कुछ जरूरी इमेल चेक कर रहा था। तभी उसके कानो में, किसी की जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज आई। यदि कोई और नहीं बल्कि वही था जिसका पासपोर्ट बन चुका था। लल्लन पटेल। लल्लन ने तेज आवाज के साथ पूछा” रमेश ये आवाज कैसी हो रही है बाहर ?”

रमेश जो इस वक्त काफी हैरान था उसने लल्लन से कहा” सर बाहर कोई आदमी आया है और खुद को असली लल्लन पटेल बता रहा है। बार-बार कह रहा है कि वो आपसे मिलना चाहता है। “

जैसे ही लल्लन पटेल ने यह बात सुनी तो उसका सारा ध्यान रमेश की बातों पर आ गया और उसने अपना चाय का कप एक तरफ रखकर तुरंत अपनी खिड़की से बाहर झांक कर देखने लगा। रमेश को कुछ समझ नहीं आया। आखिर, उसके बॉस ऐसे क्यू रिएक्ट कर रहे हैं? उसने लल्लन  के पास जाकर पूछा” क्या हुआ सर कोई प्रॉब्लम है क्या ? अगर आप कहे तो मैं अभी उस आदमी को आपके सामने लाकर खड़ा कर देता हु। “

रमेश की बात सुनकर लल्लन ने उसे मना करते हुए कहा” इसकी कोई जरूरत नहीं है। बस इस आदमी को यहां से भेजो। मुझे ये आसपास नहीं चाहिए।”

अपने बॉस की बात सुनकर रमेश ने तुरंत नीचे खड़े लल्लन को वहां से अपने बॉडीगार्ड को कहकर बाहर फिंकवा दिया। बिचारे गरीब  लल्लन ने अभी भी तेज आवाज में धमकी देते हुए कहा” साले फ्रॉड आदमी, मैं तुझे छोड़ूंगा नहीं। तुझे कोर्ट घसीटूंगा। मैं अपनी पहचान वापस लेकर रहूंगा। “ इतना कहकर वो वापस वहा से चला गया। 

जैसे ही नीचे खड़ा लल्लन चिलाते हुए वहां से चला गया तो, अपने घर में बैठा लल्लन गुस्से से किसी को फोन मिलाने लगा।

इधर राकेश माधवानी अपने ऑफिस में बैठे अपने केसेस की फाइल पढ़ रहे थे। राकेश का पूरा दिन इसी में जाता था। या तो वो कोर्ट में केसेस लड़ते थे या फिर घर पर बने ऑफिस में बैठकर फाइल की स्टडी किया करते थे। हमेशा की तरह आज भी वही कर रहे थे। तभी गरीब लल्लन  वहा आया और राकेश से बोला” सर मेरा नाम लल्लन  पटेल है और मुझे लल्लन पटेल के खिलाफ केस करना है।” 

लल्लन की बात सुनकर राकेश ने एक नजर उसे ध्यान से देखा और फिर हंसते हुए बोला” 

राकेश: ऐसा कोई कानून नहीं है जो खुद के खिलाफ केस करने के लिए बना हो। पहले यह तो बताओ कि तुमने जुर्म क्या किया है?”

राकेश की बात सुनकर लल्लन ने उससे कहा” सर मुझे कैसे अपने खिलाफ नहीं बल्कि मालाबार हिल में रहने वाले लल्लन पटेल के खिलाफ करना है। मैं असली लल्लन पटेल हूं और उसने मेरी सारी पहचान चुरा ली। 2 दिन पहले मैं अपना पासपोर्ट बनाने के लिए पासपोर्ट ऑफिस गया था और वही मुझे पता चला कि मेरे नाम से तो पहले ही किसी ने पासपोर्ट बनवा लिया है। “

जैसे ही राकेश ने यह बात सुनी तो वो हैरान रह गया।  उसने ऐसे बहुत केस सुने थे जिसमें लोग किसी की असली पहचान चुरा लेते थे और उसके नाम पर कुछ भी काम कर लेते थे।

राकेश ने लल्लन से पूरी डिटेल ली और उस पर गहराई से रिसर्च करने लगा। 

करीब 2 दिन बाद मुंबई के एक कोर्ट में 2 तरफ वादी और परिवादी बैठे हुए थे। गरीब लल्लन की तरफ से राकेश माधवानी केस लड़ रहे थे और अमीर लल्लन की तरफ से mr. कुकरेजा इस केस को लड़ रहे थे। जैसे ही कोर्ट में जज साहब विधु अग्रवाल जी आए तो, सब लोग उन्हें देख कर खड़े हो गए और ग्रीट करने लगे। जज साहब ने केस की सुनवाई को शुरू करने का आदेश दिया। और अपने सामने रखे दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ा और सामने देखते हुए बोले” अरे शर्मा जी शायद कोई गलती हुई हैं प्रिंट होने में। यहां केस नम्बर 388 में दोनो नाम एक जैसे ही लिखे हैं। लल्लन पटेल v/ s लल्लन पटेल।…..समझ से परे हैं कौन किस पर केस कर रहा हैं।”

जज साहब की बात सुनकर उनके बगल में खड़े उनके सहायक शर्मा जी ने कहा” सर कोई गलती नही हुई हैं। दोनो पार्टी का नाम लल्लन  पटेल ही हैं।” जैसे ही जज साहेब ने यह बात सुनी तो वह हैरानी से सामने बैठे,  दोनो पटेल पार्टी को देखने लगे। दोनो ही लल्लन  बिल्कुल एक जैसे दिख रहे थे। और दोनो में बिल्कुल भी डिफरेंस नही लग रहा था।  कुछ देर की हैरानी के बाद उन्होंने सामने देखते हुए कहा” सुनवाई शुरू की जाए।”

क्या लगता है आपको क्या गरीब लल्लन पटेल खुद की असली पहचान वापस पा सकेगा? क्या राकेश माधवन जैसा टॉप लॉयर इस गुत्थी को सुलझा पाएगा और दिला पाएगा अपने क्लाइंट लल्लन  को इंसाफ?

जान ने के लिए  पढ़ते रहिये “ पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी “।

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