जब आपकी पहचान पर कोई और दावा करता हैं तो लड़ाई सिर्फ, नाम की नही रह जाती। वो लड़ाई आपके अस्तित्व की लड़ाई बन जाती है। और अब यह लड़ाई लल्लन पटेल की है जो अपनी पहचान पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुका है।
जज साहेब ने सुनवाई शुरू करने का ऑर्डर दे दिया था तभी राकेश माधवानी खड़े होते हुए बोले”
राकेश: मी लॉर्ड, मेरे क्लाइंट मिस्टर लल्लन पटेल को एक हफ्ते पहले ही पता चला कि उनकी कंपनी उन्हें 4 दिन की फॉरेन ट्रिप पर दुबई भेज रही है। जैसे ही उन्हें यह बात पता चली वह तुरंत पासपोर्ट ऑफिस अपना पासपोर्ट बनवाने चले गए। पर वहां जाकर इन्हे पता चला कि, उनके नाम पर पहले ही एक पासपोर्ट रिलीज हो चुका हैं जब मेरे क्लाइंट ने पुलिस कंप्लेंट की तो उन्हें पता चला की इनके ही जैसे दिखने वाले एक अमीर आदमी ने इनकी पहचान पर एक फैक पासपोर्ट बनवाया हैं और इनकी पहचान पर पूरी दुनिया घूम रहा हैं।”
जैसे ही जज साहब ने यह बात सुनी तो उन्होंने हैरान होते हुए मजाक में कहा” भाई आज तक हमारे साथ ऐसा क्यों नही हुआ? खैर आप कुछ कहना चाहेंगे मिस्टर पटेल….. एक तो दोनों नाम एक जैसे हैं समझ नहीं आ रहा कौन सा वादी है कौन सा परिवादी।”
जज साहेब की बात सुनकर मिस्टर कुकरेजा अपने क्लाइंट की तरफ से खड़े होते हुए बोले” मेरे क्लाइंट पर लगाए गए सारे इल्जाम बे बुनियाद है मी लॉर्ड! मेरे क्लाइंट मिस्टर लल्लन पटेल ही असली लल्लन पटेल है। और इन्होंने किसी की कोई भी पहचान नहीं चुराई है। मैं कोर्ट से अपील करना चाहता हूं कि, यहां बैठे झूठे लल्लन पटेल को इस तरह मेरे क्लाइंट की इंसल्ट करने और कोर्ट का वक्त बर्बाद करने के लिए कड़ी से कड़ी सजा मिले ताकि कोई और कभी भी इस तरह हमारा कीमती वक्त बर्बाद ना करे। “
मिस्टर कुकरेजा की बात सुनकर जज साहेब हंसते हुए बोले” अरे भाई कुकरेजा साहब केस अभी शुरू ही हुआ है और आप अभी बंद करने की बात कर रहे हैं। केस को कितना चलाना है ये हम देख लेंगे। वैसे मुझे नहीं पता था कि आप बिना पैसों के केस लड़ना शुरू कर चुके हैं। मिस्टर पटेल का केस लड़ने के लिए आप अच्छी खासी अमाउंट लेकर बैठे हैं। अगर आपके पास वक्त नहीं है तो आप पहले अपना जरूरी काम कर लीजिए। हमारे पास बहुत वक्त है हम आराम से यही बैठकर आपका इंतजार करते हैं।”
जज साहेब का ऐसा taunt सुनकर कुकरेजा का मुंह उतर गया और उसने माफी मांगते हुए अपनी सीट पर बैठना ही सही समझा। वही कुकरेजा की बात सुनकर और जज साहब की टोंट सुनकर राकेश के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने अपनी जगह पर खड़े होते हुए कहा”
राकेश: मी लॉर्ड, ऐसा कहा जाता हैं की दुनिया में, एक ही जैसे चेहरे के सात लोग होते हैं पर, सातों लोगों में भी कुछ ना कुछ अलग जरूर होता है। पर यहां मौजूद दोनों मिस्टर पटेल न सिर्फ एक जैसे दिखते हैं बल्कि उनके मां-बाप का नाम भी एक जैसा ही है। ऐसा लग रहा था जैसे एक इंसान की सारी पहचान ही मिटा दी गई हो।”
राकेश का तर्क सुनकर मिस्टर कुकरेजा अपनी जगह से खड़े होते हुए बोले” जज साहब, मैं आपके सामने कुछ डॉक्यूमेंट पेश कर रहा हूं। आप उन डॉक्यूमेंट को देखें। मेरी क्लाइंट मिस्टर पटेल के सारे डॉक्यूमेंट इसी नाम से हैं। कोई तो और उनकी 10th और 12th की मार्कशीट की मैं आपके सामने पेश कर रहा हूं जिससे आप देख सके की, मिस्टर पटेल ही असली लल्लन पटेल हैं।” अपनी बात कैसे मिस्टर कुकरेजा मुस्कुराते हुए अपनी जगह बैठ गए जैसे उन्हें इस बात का पूरा विश्वास था कि वह इस केस को जीत ही लेंगे।
जज साहेब ने राकेश माधवानी की तरफ देखते हुए पूछा” हां माधवानी साहेब बताइए, क्या कहना चाहेंगे आप इस पर। कोई सवाल यह कुछ और करना चाहेंगे आप?”
राकेश माधवानी अपनी जगह से खड़े होते हुए जज साहेब से मुस्कुराते हुए बोले “
राकेश: मी लॉर्ड, सब जानते हैं की आज कल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जमाने में लोग बैठे बैठे किसी की शकल को किसी सेलिब्रेटी की शकल से जोड़ देते हैं। ऐसे में नकली दस्तावेज बनवाना कौनसी बड़ी बात हैं। आपकी इजाजत से सब से पहले मैं एक कॉपी इन सभी दस्तावेजों की चाहता हूं ताकि इनकी पुष्टि करवा सकू। और साथ ही, मैं कोर्ट से कुछ समय की महोलत भी चाहता हु जिससे, सभी जरूरी दस्तावेज आपके सामने प्रस्तुत कर सकू।”
कोर्ट में बैठे सभी लोग राकेश माधवानी की बात से सहमत थे। कुछ देर की बहस के बाद जज साहेब ने दोनो पक्षों से कहा” कोर्ट दोनों पार्टियों को आदेश देता है कि वह और ज्यादा सबूत जुटाए और अपने आप को साबित करें। साथ ही साथ कोर्ट आदेश देता हैं की आप दोनो का डीएनए टेस्ट करवाया जाए, जिससे साबित हो सके की कौन असली लल्लन पटेल हैं। अगली सुनवाई 3 दिन बाद होगी। ” इतना कहकर जज साहेब ने सुनवाई का समापन कर दिया और जल्दी ही सब लोग अपने अपने घर चले गए।
एक बड़े से आलीशान घर में बैठे हुए मिस्टर पटेल और उनके वकील मिस्टर कुकरेजा, आपस में ड्रिंक करते हुए कुछ डिस्कस कर रहे थे। तभी कुकरेजा ने कहा” आप चिंता मत कीजिए पटेल साब….वो माधवानी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। मैं इतने सबूत इतने गवाह लाकर पेश कर दूंगा कि वह तो क्या उसके परिंदे भी आपको गलत साबित नहीं कर पाएंगे।”
कुकरेजा की बात सुनकर मिस्टर पटेल मुस्कुराते हुए बोले” मैं जानता हूं आप मुझे हारने नहीं देंगे इसीलिए तो मैंने सब वकीलों को छोड़कर आपको चुना कुकरेजा साहब। चाहे जितनने झूठ सबूत लाइए जितने झूठे कागज कोर्ट में पेश कीजिए बस, कुछ भी कर कर मुझे यह केस जितवाइए। उसके बाद आप जो मांगेंगे आपको मिलेगा।” मिस्टर पटेल की बात सुनकर कुकरेजा के चेहरे पर लालच से भरी कभी ना जाने वाली मुस्कान आ गई।
इधर लगातार, राकेश माधवानी अपने काम में लगा हुआ था। राकेश ने अपने असिस्टेंट अर्णव को अपने पास बुलाया और उससे कहा”
राकेश: तुम्हारे पास सिर्फ 36 घंटे हैं। मुझे उस अमीर मिस्टर पटेल की बचपन से लेकर अब तक की सारी छोटी से छोटी डिटेल चाहिए। वह कहां पैदा हुआ, कहां पला बढ़ा, उसके मां-बाप कौन है? कितने बहन भाई है। स्कूल में उसका व्यवहार कैसा था और उसके कॉलेज की पढ़ाई कहां हुई उसकी बीवी उसके बच्चे….. मुझे सब कुछ उसके बारे में जानना है।”
राकेश की बात सुनकर अर्णव ने उसे विश्वास दिलाते हुए कहा” डांट वरी सर, मैं उसके बारे में सब कुछ पता करके आपको जल्द से जल्द बताता हूं।” इतना कहकर अरनव तुरंत वहां से निकल गया। राकेश ध्यान से कुकरेजा के कोर्ट में सबमिट कराए हुए सारे डॉक्यूमेंट को देखने लगा। साथ ही वह अपने क्लाइंट लल्लन के डॉक्यूमेंट भी देख रहा था। दोनों डॉक्यूमेंट बिल्कुल एक जैसे लग रहे थे। और हैरानी की बात यह थी कि दोनों ने, एक ही साल में अपनी बोर्ड एग्जाम्स दिए थे।
राकेश को यह केस लगातार उलझता हुआ दिखाई दे रहा था। कुछ सोच कर उसने अपने दोस्त विक्रम को कॉल किया और उससे कहा”
राकेश: मुझे इस आमिर लल्लन पटेल की, क्राइम हिस्ट्री जानना है जल्दी पता करके बताओ कि उसके बारे में कहीं कुछ भी, कोई भी केस कोर्ट में रजिस्टर है या नहीं। या इसकी कोई रिश्तेदार या दोस्त जिन छुड़वाने के लिए क्या उनकी बेल करवाने के लिए यह कभी भी पुलिस स्टेशन आया हो, तो उसके बारे में भी मुझे सब कुछ जानना हैं।”
विक्रम ने तुरंत राकेश के दी हुई डिटेल नोट की और अपने सबसे काबिल ऑफिसर को इस काम में लगा दिया।
इधर लल्लन पटेल जब अपने ऑफिस गया तो, सब लोग उसे ही अजीब नजरों से देख रहे थे। लल्लन पटेल वर्सिज लल्लन पटेल का केस, पूरे इंडिया में आपकी तरह फैल गया था और सब लोगों को इस केस में personally काफी इंटरेस्ट था। जैसे ही लल्लन ऑफिस पहुंचा और जाकर अपनी डेस्क पर बैठा तो, उसके आसपास बैठे हुए सभी लोग उसे घेर कर खड़े हो गए और उससे अजीब अजीब तरह से सवाल पूछने लगे
एक दोस्त ने पूछा” भाई पहले तो कभी ऐसा कोई केस नहीं सुना। हां लोगो को प्रॉपर्टी के लिए डॉक्यूमेंट से छेड़छाड़ करते देखा हैं, मगर …. तुझ से कोई क्या ही ले लेगा भाई, तू तो मिडिल क्लास आदमी है और अपने मां-बाप का इकलौता बेटा है। कोई तेरे साथ यह सब क्यों कर रहा है ?”
इस लड़के की बात सुनकर एक और दोस्त ने कहा” सही कहा। तू एक काम करना अपना नाम लल्लन से कुछ और रख ले। सरनेम वहीं रहने देना। किसी को क्या पता चलता है? हमें पता है तू लल्लन पटेल है। “
इनकी बात सुनकर एक और दोस्त ने कहा” और वैसे भी जिसके खिलाफ तू लड़ रहा है वह बहुत अमीर आदमी लगता है। पैसों से कुछ भी खरीद सकता है। कल को अगर उसने तेरे साथ कुछ कर दिया तो ? ….. अच्छा होगा अगर तू इन अमीर लोगों से ना उलझे। हम गरीब लोग हैं कानून हमारे लिए नहीं बना है यह उन लोगों के लिए बना है जिनकी जेब में पैसा हैं। अब तू देख ले तुझे उस अमीर आदमी से उलझना है या फिर सेटलमेंट करना हैं।”
इन लोगों की बातें सुनकर लल्लन ने हैरान होते हुए कहा” भला इसमें मैं क्या ही सेटलमेंट कर सकता हूं? मेरा क्या ही अस्तित्व रह जाएगा ? उसने मेरे बचपन से लेकर अब तक की सारी अफिशल इनफार्मेशन को अपने नाम कर दिया। मेरा नाम, मेरी जात, मेरा धर्म सब कुछ उसने अपने नाम कर लिया। कोई मुझे क्या कहकर बुलाएगा ? तुम लोग मुझे 4 साल से जानते हो इस 4 सालों में तुम लोग मुझे हमेशा लल्लन या पटेल साहब का कर बुलाते हो। जरा सोच कर देखो। अगर मैं अपनी यह पहचान को देता हूं तो तुम लोग मुझे क्या कहोगे ?..... चाहे जो हो जाए, पर मैं कोई सेटलमेंट नही करूंगा।”
लल्लन अपनी यह सारी बातें ध्यान से कह रहा था। इस वक्त उसकी आंखों में आंसू भी थे, जिससे बहुत लोगों को बुरा भी लग रहा था। पर कोई था जो, ऑफिस में हुई इन सारी बातों को अपने घर बैठे सुन रहा था। जैसे जैसे वो इंसान ये बात सुन रहा था, वैसे वैसे उसके हाथो की मुट्ठी कसती जा रही थी।
इधर राकेश कई एक्सपर्ट से कंसल्ट कर चुका था पर उसे सपना यही कहा कि यह डॉक्यूमेंट असली है इनमें कोई भी फर्जीवाड़ा नहीं किया गया है। राकेश के लिए धीरे-धीरे यह कैसे मुश्किल होता जा रहा था क्योंकि यह सब कुछ पूरी तरह उसकी समझ से बाहर था कि आखिर सारे डॉक्यूमेंट सही कैसे निकल सकते हैं ? अगर कोई फर्जीवाडा हुआ है तो, उसका किसी न किसी तरह तो पता लगना ही चाहिए। कहीं कोई तो लूप होल होना ही चाहिए जिससे, इस केस की गुत्थी सुलझ सके।
एक तरफ अर्णव अपनी की जान लगाकर भी अपने सारे कनेक्शन यूज कर कर भी, इस बात का पता नहीं लग पा रहा था कि आखिर, कौनसा मिस्टर पटेल सही हैं। कुकरेजा जिस मिस्टर पटेल के लिए केस लड़ रहा था। अर्णव जब उसके बारे में पता करने गया तो उसकी बचपन की सारी इनफार्मेशन पूरी तरह मिटा दी गई थी। नहीं तो उसके बचपन के बारे में कुछ पता चल रहा था और ना ही उसके कॉलेज या पर्सनल लाइफ के बारे में। जिस स्कूल की बोर्ड एग्जाम की मार्कशीट, कोर्ट में पेश की गई थी उसमें भी जब अर्णव वहां जाकर पता करने लगा तो, कहीं भी आमिर मिस्टर पटेल की कोई भी बचपन की या स्कूल की फोटो दिखाई नहीं दी। कितनी ही कोशिश करने के बाद भी सिर्फ इतना पता चला कि, लल्लन पटेल नाम का एक इंसान सेंट जोसेफ स्कूल में पढ़ता था , मगर 10th पूरी होते ही वह वहां से चला गया है। स्कूल से आने के बाद अर्णव ने, उसे घर के बारे में पता लगाने की कोशिश की जहां मिस्टर पटेल बचपन में रहे थे।, हैरानी की बात थी कि वहां भी दूर-दूर तक उसकी नहीं तो कोई फोटो मिली ना ही उसकी मां-बाप की कोई फोटो मिली। अर्णव जो हर तरह से आईटी में मास्टर था और किसी न किसी तरह का जुगाड़ करके इनफॉरमेशन कलेक्ट कर ही लेता था, उसे भी इस पूरे केस में कुछ भी ऐसा नहीं मिल रहा था जो, इस केस को जीतने में उसके बॉस राकेश माधवनी की मदद कर सके।
इधर मिस्टर पटेल और कुकरेजा को, अरनव और राकेश माधवानी की पल-पल की खबर थी और उन्हें इस खेल में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि हर बार पाशा उनके हक में होता था। उन लोगो को इस वक्त अपनी जीत साफ दिखाई दे रही थी। उन्हें पता था कि चाहे जो हो जाए, पर, कोई भी उनके बारे में पता नहीं लगा पाएगा और शायद उनका सोचना सही था। राकेश माधवानी का इतने सालों का एक्सपीरियंस, और अरनव की जीनियस स्किल भी उनकी कोई मदद नहीं कर पा रही थी। एक आखरी उम्मीद अब विक्रम से बची थी।
देखना दिलचस्प होगा क्या राकेश मिस्टर पटेल के खिलाफ सबूत ढूंढ पाएगा और लल्लन को इंसाफ दिला पाएगा ?
जानने के लिए पढ़ते रहिये
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