वक्त बीतता जा रहा था। अगली सुनवाई की तारीख भी आने वाली थी सिर्फ कुछ ही टाइम बाकी रह गया था। राकेश ने अर्णव को जो 36 घंटे दिए थे वह भी खत्म हो गए थे पर अभी तक, राकेश के हाथ एक भी ऐसा सबूत नहीं लगा था या एक भी ऐसी इनफॉरमेशन नहीं लगी थी जो, उसे इस केस को फॉरवर्ड करने में मदद कर सके।
इस वक्त राकेश के सामने आना खड़ा था। राकेश को तो खुद विश्वास नहीं हो रहा था कि अरनव जैसा जीनियस यह छोटी सी इनफार्मेशन नहीं निकल पाया।
इधर विक्रम ने भी अपने, सिस्टम में पूरी तरह खगोल लिया था लेकिन, ऐसा कुछ भी नहीं पता चला था जिससे मिस्टर पटेल के बारे में थोड़ा सा भी शक पैदा हो। बल्कि आज से पहले इस शख्स को कभी भी, किसी भी छोटे से छोटे कैसे के लिए भी पुलिस स्टेशन के आसपास भी नहीं देखा गया था। अभी तक दोनों लल्लन पटेल ने अपने-अपने डीएनए का टेस्ट भी करवा लिया था जिसकी रिपोर्ट, अभी कोर्ट में ही सबके सामने पेश होनी थी। कोर्ट की सुनवाई में अभी सिर्फ 6 घंटे रह गए थे। सुबह के 4:00 बज रहे थे। राकेश की आंखों में अभी नींद नहीं थी। राकेश ने अपने फोन में एक मैसेज टाइप किया और सामने वाले के जवाब का इंतजार करने लगा। 3 मिनट बाद उसके फोन में एक नोटिफिकेशन आया और राकेश हड़बड़ी में उसे ओपन करके देखने लगा।
सुबह के 10:00 बज रहे थे। मुंबई के कोर्ट में मीडिया वाले पहले से अपना कैमरा सेट करके खड़े थे। कुछ पत्रकार बैठकर लाइव रिपोर्टिंग लिखने के लिए तैयार थे। देश का एक-एक इंसान इस वक्त अपना सारा काम छोड़कर टीवी पर अपनी नज़रें गड़ाए बैठा था। हर कोई जानना चाहता था कि आगे इस केस में क्या होने वाला है ? मिस्टर कुकरेजा अपने क्लाइंट के साथ वहां आ चुके थे। दोनों के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी जिसे, राकेश और लल्लन के साथ वहां बैठे सभी लोग देख सकते थे। हालांकि राकेश के चेहरे पर किसी तरह का कोई भाव नहीं था। उसे देखकर ये बता पाना बहुत मुश्किल था कि इस वक्त उसके मन में क्या चल रहा है ? और लल्लन उसके चेहरे पर अपना अस्तित्व, अपनी पहचान, खो देने का डर साफ दिखाई दे रहा था।
जैसे ही जज साहब विभु अग्रवाल वहा पहुंचे तो सब लोग अपनी जगह से खड़े होकर उन्हें ग्रीट करने लगे। जज साहेब ने अपना हथोड़ा बजाकर सबको बैठने का इशारा किया और, सब लोग अपनी अपनी जगह पर बैठ गए। जल्दी ही लल्लन पटेल वर्सिज लल्लन पटेल केस की सुनवाई शुरू हुई। जज साहब ने आज से पहले इतनी भीड़ अपने कोर्ट में नहीं देखी थी। क्योंकि आज से पहले इतना बड़ा मामला सामने भी नहीं आया था। खुश होकर उन्होंने अपने बगल में बैठे शर्मा जी से कहा” लगता है शर्मा जी आज तो मैं फेमस हो ही जाऊंगा। देखिए कितने लोग कितनी मीडिया वाले आए हैं। पूरा देश आज मुझे देख रहा है।”
जज साहब की बात सुनकर शर्मा जी ने भी मुस्कुराते हुए कहा” आप बिल्कुल सही कह रहे हैं सर। “
जज साहेब ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ हथौड़ा मारते हुए कहा” सुनवाई शुरू की जाए।”
जज साहेब की बात सुनते ही कुकरेजा पूरे कॉन्फिडेंस के साथ खड़ा हुआ और अपना पक्ष रखते हुए और कुछ रिपोर्ट रखते हुए बोला” माय लार्ड, आपके सामने जो रिपोर्ट रखी हुई है वह डीएनए रिपोर्ट्स है। यह रिपोर्ट्स अभी-अभी आई है और इनमें साफ लिखा हुआ है कि लल्लन पटेल कोई और नहीं बल्कि मेरे क्लाइंट है।”
जैसे ही वहां बैठे हुए लोगों ने यह बात सुनी तो सब की हैरानी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा। विचार लल्लन तो बेबसी से राकेश को देखने लगा पर राकेश ने एक नजर भी उसकी तरफ नहीं देखा।
कुकरेजा ने आगे अपनी रिपोर्ट में कहा” मुझे पूरी उम्मीद है कि राकेश माधवानी ने अभी तक उन दस्तावेजों की पुष्टि करवा ली होगी। और इनके सारे संशय दूर हो गए होंगे।” इतना कहकर कुकरेजा ने एक बड़ी सी छल से भरी मुस्कान राकेश माधवानी की तरफ पास कर दी।
कोर्ट ने इस बारे में जब सवाल किया तो राकेश अपनी जगह से खड़े होते हुए बोले”
राकेश: जी सर, मिस्टर पटेल के सबमिट कराये हुए सारे डॉक्यूमेंट बिल्कुल सही है।” यह बात सुनकर तो लल्लन बेचारा और ज्यादा मायूस हो गया।
तभी राकेश माधवनी ने जज साहेब की तरफ देखते हुए उनसे पूछा “जज साहेब मैं यहां किसी को बुलाना चाहता हूँ अगर आपकी इजाज़त हो तो। “
राकेश माधवानी का सवाल सुनकर जज साहेब ने तुरंत सहमति दे दी। तभी, कुकरेजा और मिस्टर पटेल ध्यान से थोड़ा सतर्क होकर राकेश माधवानी को देखने लगे।
राकेश ने एक मुस्कान के साथ किसी का नाम पुकारा और वह इंसान धीरे-धीरे चलकर कोर्ट में पेश हो गया। जैसे ही लल्लन ने अपने सामने खड़े इंसान को देखा तो उसे कुछ समझ नहीं आया। पर मिस्टर कुकरेजा और उनके क्लाइंट इस इंसान को देखकर एकदम हक्का-बक्का रह गए। सामने खड़ा इंसान कोई और नहीं बल्कि लल्लन का दोस्त रौनक था।
राकेश माधवानी ने रौनक से सवाल करते हुए पूछा”
राकेश: आप और लल्लन एक दूसरे को कितने टाइम से जानते हैं ?”
इस सवाल पर रौनक ने एक नजर लल्लन को देखा और फिर सामने देखते हुए बोला” करीब 4 साल से एक दूसरे को जानते हैं। हम दोनों एक साथ एक ही डिपार्टमेंट में काम करते हैं।”
यह सवाल सुनकर राकेश ने मुस्कुराते हुए कहा”
राकेश: रौनक तुम्हारी और लल्लन की दोस्ती कितनी गहरी है? क्या तुम दोनो एक दूसरे के बारे में सब कुछ जानते हो ?”
कोई नहीं जानता था कि राकेश इस तरीके सवाल रौनक से क्यों पूछ रहा है ? सब लोग अपनी सांसे थाम कर सामने देख रहे थे।
राकेश के सवाल पर रौनक ने थोड़ा झिझकते हुए कहा” हां हम लोग लगभग सब कुछ एक दूसरे के साथ शेयर करते हैं और एक दूसरे के बारे में बहुत कुछ जानते हैं।”
रौनक की बात सुनकर राकेश के शरीर पर मुस्कान आ गई और उसने मुस्कुराते हुए पूछा”
राकेश: तो अब यह भी बता दो, लल्लन के डॉक्यूमेंट मिस्टर पटेल तक कैसे पहुंचे ?”
जैसे ही लल्लन और बाकी लोगों ने यह सवाल सुन तो हर कोई हैरान रह गया और सवालिया लहजे में उसे देखने लगा। लल्लन को भी कुछ कुछ याद आ रहा था।
राकेश माधवानी ने कोर्ट में जज की तरफ देखते हुए कहा”
राकेश: माय लॉड, मैं अब आपको एक बहुत ही बड़ी और अहम बात बताने जा रहा हूं। यह पूरा खेल फेक डॉक्यूमेंट का खेला हुआ है। और सामने बैठे इंसान जो अपने आप को मिस्टर पटेल होने का दावा कर रहा है असल में उसका असली नाम रॉकी सावंत है। करीब डेढ़ साल पहले इसने और इसके भाई ने मिलकर गलत तरीके से बहुत सारे पैसे कमाए थे। यह वही संस्था हैं जिसमें, झूठी कॉरपोरेट कंपनी खोली गई थी और गरीब और अनपढ़ किसानो से लोन देने के नाम पर पैसे लूटे गए थे और फिर फ्रॉड करके यह सब लोग भाग गए थे। उस वक्त रॉकी का भाई अजय दुबई भाग गया था। और रॉकी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। मुंबई की कुछ पुलिस के हिसाब से रॉकी अभी भी जेल में बंद है। जबकि रॉकी आपके सामने बैठा है। मिस्टर पटेल बनकर। 6 महीने पहले इसने फ्रॉड दस्तावेजों की मदद से अपने भाई की तरह दुबई में जाकर सेटल होने के बारे में सोचा। मगर असली डॉक्यूमेंट से पकड़ा जाता है इसलिए इसने अपने जैसा कोई ऐसा आदमी ढूंढने की कोशिश की, जिसका अभी तक पासपोर्ट बना ही ना हो और जो बहुत पुराने और गरीब तबके से आता हो।
ताकि किसी को पता ही ना चले और ये आराम से फॉरेन भाग जाए । पिछले 6 महीने से यह सब कुछ चल रहा था और अगले तीन दिन में रॉकी सावंत दुबई भागने वाला था मिस्टर पटेल बनकर। मगर उससे पहले ही असली लल्लन पटेल को उसकी कंपनी की तरफ से ऑफर मिल गया दुबई जाने का और वह अपना पासपोर्ट बनवाने, पासपोर्ट ऑफिस चला गया और वहां जाकर उसे पता चला कि उसके नाम से तो पहले ही कोई पासपोर्ट बनवा चुका है।….. पर किसने यह फेक पासपोर्ट बनाया और कैसे लल्लन के डॉक्यूमेंट रॉकी तक पहुंचे यह बात आपको, रौनक बताएगा।”
जैसे-जैसे कोर्ट में बैठे हुए लोग राकेश माधवनी की बात सुन रहे थे वैसे-वैसे सबके दिमाग की बत्ती जल रही थी पर हैरानी अभी भी बनी हुई थी। लाइव न्यूज़ प्रसारण की वजह से पूरा देश इस वक्त इस मामले को देख पा रहा था और उन लोगों को भी अब इस बात की चिंता हो रही थी कहीं उन्होंने अपने डॉक्यूमेंट तो किसी को गलती से नहीं दे दिए।
वहीं दूसरी तरफ रौनक ने जब राकेश की बात सुनी तो, उसके माथे पर पसीना और घबराहट बढ़ती जा रही थी। रौनक ने पहले तो कुछ देर तक टेंटरम दिखाया और कहा” सर इन सब में मेरा क्या लेना देना ? मैं तो एक छोटा सा आदमी हूं और छोटी सी जॉब करता हूं आप चाहे तो लल्लन से पूछ लीजिए। मेरा छोटा सा परिवार है। मेरा इन सब से कोई लेना देना नहीं है।” अपनी बात कह कर रौनक कभी कोर्ट में बैठे लोगों को देखता तो कभी जब साहब और लल्लन को। कोर्ट में मौजूद सभी लोगों को देखकर साफ पता चल रहा था की, किसी को भी उसकी बातों पर विश्वास नहीं है और अब लोग सच सुनना चाहते हैं।
अचानक ही रौनक ने रोना शुरू कर दिया और उसने धीरे-धीरे सच बोलते हुए कहा” असल में 6 महीने पहले, किसी काम से हम लोगों को अपनी जरूरी डॉक्यूमेंट ऑफिस में सबमिट करने थे। तेज बारिश हो रही थी उस रात और लल्लन अपने डॉक्यूमेंट को भीगने नहीं दे सकता था। इसलिए मैंने ही उससे कहा कि यह डॉक्यूमेंट मैं अपने घर ले जाता हूं। कल ऑफिस आते वक्त ले आऊंगा। उस रात मैं जब अपने घर गया तो मैंने देखा कि, रॉकी सावंत मेरे पापा के साथ घर पर बैठा था और अपने फेक डॉक्यूमेंट बनने के लिए कह रहा था। पहली नजर जब मैं रॉकी को देखा तो मुझे बिल्कुल नहीं लगा कि रॉकी और लल्लन दो अलग-अलग लोग हैं। रॉकी बार-बार कहे जा रहा था कि वह कितने भी पैसे देने को तैयार है पर उसे जल्द से जल्द अपना काम करवाना है। पैसों की बात सुनकर में लालच में आ गया और मैंने उसे कहा कि उसका काम हो जाएगा।
और इस काम के लिए मैंने उसे ₹20 लाख मांगे थे। मैंने उसे तुरंत ही अपने बैग से निकाल कर लल्लन पटेल की डॉक्यूमेंट दे दिए और आगे का काम करवाने के लिए पापा को कह दिया। मेरे पापा कई सालों से नकली डॉक्यूमेंट बनाकर लोगों को विदेश भेजने का काम कर रहे थे। रॉकी बड़े लोगों के पास नहीं जा सकता था इसलिए उसने मेरे पापा को इस काम के लिए चुना था। मेरे पापा ने तुरंत ही उसके सारे नकली डॉक्यूमेंट इतनी सफाई से बनवाए की बड़े से बड़े एक्सपर्ट भी उसे पकड़ नहीं सकता था। जल्दी हम यह काम करके रॉकी को दे दिया और फिर रॉकी ने अपने लोगों और पावर की मदद से लालन की पिछले सारी जिंदगी चुरा ली और अपनी पुरानी जिंदगी को पूरी तरह से मिटा दिया।
इसीलिए जब उस दिन राकेश माधवनी रॉकी की जिंदगी के बारे में पता करने की कोशिश कर रहे थे तो इन्हें कुछ भी पता नहीं चला था।”
इतना कहकर रॉकी जोर-जोर से रोने लगा।” प्लीज मुझे माफ कर दीजिए मुझे बहुत बड़ी गलती हो गई कुछ पैसों की लालच भी मैंने अपने ही दोस्त के साथ यह सब किया। “
दूर बैठा लल्लन जैसे-जैसे यह बातें सुन रहा था वैसे-वैसे उसे हैरानी और दुख एक साथ हो रहा था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका अपना दोस्त उसके साथ यह सब करेगा। इस वक्त उसकी आंखों में लगातार आंसू बह रहे थे।
मिस्टर कुकरेजा के पास तो बोलने के लिए कुछ भी नहीं था। रॉकी चारों तरफ से गिर चुका था इसलिए उसने भागने की कोशिश नहीं की और वही आत्मा समर्पण कर दिया। कुकरेजा भी समझ गया था कि वही केस हार चुका है इसलिए उसने आगे कुछ भी कहने से मना कर दिया।
जल्दी ही कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और रॉकी को फिर से जेल में बंद कर दिया गया। और उसके बैंक खातों को सीज कर दिया गया। रौनक के पापा को फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए 10 साल की सजा हुई और रौनक को अपने पापा का साथ देने के लिए 2 साल की सजा हुई। कोर्ट ने आदेश दिया कि असली लल्लन पटेल का पासपोर्ट जल्द से जल्द बनाया जाए। और साथ ही साथ, उसे मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने के लिए ₹5,00,000 मुआवजा भी दिया गया।
कोर्ट डिडमिस हुई और सभी लोग चले गए पर कुकरेजा अभी भी वहीं बैठा हुआ था। उसने राकेश की तरफ देखते हुए पूछा” हाउ …..कैसे किया तूने यह सब? हमने कहीं एक भी लूप होल नहीं छोड़ा था। फिर कैसे ?”
राकेश ने जवाब दिया
राकेश: “इंसान की पहचान उसकी शक्ल या नाम से नहीं, बल्कि उसके चरित्र और कर्मों से होती है। फर्जी पहचान चाहे जितनी भी जालसाज़ी से बनाई जाए, सच्चाई की नींव पर खड़ी असली पहचान कभी नहीं डगमगाती। नाम और चेहरा बदलने से कोई अपना अतीत नहीं छुपा सकता। कानून और इंसानियत की अदालत में, पहचान की सच्चाई को कभी मिटाया नहीं जा सकता। जो सच होता है, वो हमेशा चमकता है, और झूठ चाहे जितना भी बड़ा हो, उसे अंत में ढहना ही पड़ता है।"
यह कहने के बाद राकेश ने लल्लन से कहा” तो कब जा रहे हो दुबई घूमने लल्लन ?”
राकेश का सवाल सुनकर लल्लन ने हंसते हुए कहा” अगले महीने जा रहा हूं सर । पर उससे पहले सोच रहा हूं अपना नाम बदलवा लू , यह नाम कुछ ज्यादा ही फेमस हो गया है।” राकेश और लल्लन दोनों हंसने लगे। वहीं खड़े होकर इस गुत्थी को सुलझाने लगा। क्या होगा आगे? जानने के लिए पढ़ते रहिए
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