अचानक ही राकेश के पास एक फोन आया और उस पर, अर्णव ने उसे कहा” सर आपका शक बिल्कुल सही निकला। यह सब कुछ कोई और नहीं बल्कि वही इंसान करवा रहा है। नांदेड़ गांव के लोग उस पर बहुत विश्वास करते हैं। अब मुझे क्या करना है आगे ?”

अपना शक सही होता देखकर राकेश के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने अर्णव से कहा” बाकी दो काम जो कहे थे वह भी करो और इन सबके सबूत मुझे अभी मेल करो।”

वक्त बीतता जा रहा था। कोर्ट में सुनवाई के लिए अभी भी 40 घंटे बाकी थे। मुंबई के ही एक पॉश इलाके में बनी बड़ी सी बिल्डिंग के बाहर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था” लाइफ फॉरेवर ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज़ और उसे बिल्डिंग के 15 वे माले पर एक आलीशान ऑफिस में बैठा एक 60 साल का आदमी, गुस्से और बेबसी से अपना सर पकड़ कर बैठा हुआ था। ये आदमी था कैलाश रावत, जो लाइफ फॉरेवर का मालिक था। और उसके सामने 2 आदमी, जो दिखने में उसी की तरह अमीर और वेल क्लास लग रहे थे, अपना सिर झुकाकर वहीं खड़े थे। यह दोनों कोई और नहीं बल्कि कैलाश रावत के बेटे अर्जुन रावत और विक्रांत रावत थे। पूरा ऑफिस महंगे महंगे एंटीक पीसेज से सजा हुआ था। 

कैलाश रावत ने गुस्से से एक नजर अर्जुन और विक्रांत की तरफ देखते हुए कहां” मैं तुम लोगों को साफ-साफ कहा था कि यह काम शांति से करवाना। कोई भी मतलब कोई भी बात बाहर नहीं आनी चाहिए।,पर तुम लोगों ने सब कुछ बिगाड़ कर रख दिया। ना सिर्फ नांदेड़ गांव में तुम लोगो ने लुटेरों को भेजो बल्कि, वहां की औरतें बच्चों और बुजुर्गों पर अत्याचार करवाया। अब देखो यह मामला कहां से कहां पहुंच गया। बहुत कम  बहुत कम लोगों को पता था कि नांदेड़ गांव प्राकृतिक रूप से इतना संपन्न है। मैं चुपचाप इस डील को क्रैक कर लेना चाहता था। पूरे गांव को पहले ही खाली करवाकर वहा का कॉन्ट्रैक्ट लेकर, खनन का काम शुरू करवा देना चाहता था ताकि, किसी को पता भी ना चले और बाकी बिजनेसमैन इस पर अपनी नजर डालें उससे पहले मैं अपना काम करके निकल जाऊं। खनन मंत्रालय से भी मैंने पहले ही परमिशन ले ली थी लेकिन तुम लोग किसी काम के नहीं हो। जानते भी हो कितने पैसे दिए हैं मैंने उस मंत्री को इस काम के लिए और तुम लोगों ने सब बर्बाद कर दिया।”

अपने पापा की बात सुनकर अर्जुन ने फ्रस्टेड होते हुए कहा “ कम ऑन डैड, आप इतना परेशान क्यों हो रहे हैं? अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है। इन गांव वालों का क्या है छोटे-मोटे किसान है और कुछ नहीं। और फिर मैंने इन्हे प्यार से समझाने की कोशिश की थी। दुगनी कीमत ऑफर की।  अगर नहीं मान रहे तो इसके अलावा हमारे पास कोई दूसरा ऑप्शन भी तो नहीं था।”

अर्जुन की बात पर विक्रांत ने भी उसका साथ देते हुए कहा” आप चिंता मत कीजिए डैड, मैंने अपने आदमियों को लगा रखा है। जल्दी ही, वह हमारा काम कर देगा। रही बात उस वकील की, तो उसे भी मैंने अच्छे से समझा दिया है आप देख लीजिएगा कल कोर्ट में वह पहुंचेगा ही नहीं अगर पहुंच गया तो केस नहीं लड़ेगा। “ इतना कहकर विक्रांत के चेहरे पर एक सारकास्टिक स्माइल आ गई। जैसे वो बहुत पहले से सब कुछ प्लान करके बैठा था। 

धीरे-धीरे वक्त बीतता गया। और  तभी सुनवाई से करीब 12 घंटे पहले, रात को 10:00 बजे राकेश के फोन पर एक कॉल आया। यह कॉल किसी और का नहीं बल्कि विक्रम का था उसने राकेश से कहा” उस ड्राइवर का पता चल गया है। हमने उसे गिरफ्तार कर लिया है और पूछताछ करने पर पता चला कि, उसने यह सब किसी और के नहीं बल्कि, नांदेड़ गांव के ही एक आदमी के कहने पर किया था। जब मैंने उससे उस आदमी के बारे में पता किया तो, जो नाम मुझे पता चला वह काफी हैरान कर देने वाला था। इसका मतलब उसे बिजनेसमैन से गांव का ही कोई आदमी मिला हुआ है। सुनवाई में सिर्फ 10 घंटे रह गए हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि वह लोग जरूर कुछ ना कुछ करेंगे। तुम संभल कर रहना राकेश !” इतना कहकर विक्रम ने फोन कट कर दिया। 

अगले दिन कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। देश के बड़े-बड़े मीडिया पर्सन वहा मौजूद थे। चूंकि, इस केस के अंदर लाइफ फॉरएवर कंपनी के मालिक, कैलाश रावत पर भी शक किया गया था इसलिए, इस वक्त कोर्ट में कैलाश रावत और उनकी दोनों बेटे अर्जुन और विक्रांत भी मौजूद थे। वहीं दूसरी तरफ, कुछ गांव वाले और उनका प्रतिनिधित्व करने वाला गांव का सरपंच भी, बैठे हुए थे। कैलाश रावत ने एक नजर सामने की कुर्सी पर देखा जहां, अभी भी कोई नहीं बैठा था। वह जगह राकेश माधवानी की थी। उसे खाली जगह को देखकर कैलाश के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई जिसे उसने तुरंत सबसे छुपा लिया। गांव वाले अभी भी परेशान होकर बातें कर रहे थे क्योंकि राकेश के पास ही सारे सबूत थे और वही इस सुनवाई को आगे बढ़ा सकता था। 

दूसरी तरफ विक्रम भी कोर्ट पहुंच चुका था। पर राकेश को वहां न देखकर, उसने अभी तक 15 बार उसे कॉल किया था। पर एक बार भी राकेश का कोई जवाब नहीं आया। अब धीरे-धीरे विक्रम की चिंता भी बढ़ती जा रही थी एक तरफ कोर्ट की सुनवाई शुरू होने में सिर्फ 2 मिनट बाकी थे और दूसरी तरफ राकेश फोन नहीं उठा रहा था। कैलाश रावत को इतना आराम से वहां बैठा देखकर विक्रम समझ गया था कि, इसने जरूर कुछ ना कुछ किया है। कोर्ट में सभी लोग अलग-अलग तरह की बातें कर रहे थे। कुछ गांव वाले बोल रहे थे कि, राकेश बिक गया है इसलिए आज कोर्ट नहीं आया। तो कुछ लोग बोल रहे थे कि जरूर वह डर गया है इतने बड़े लोगों के सामने, इसीलिए वो पहले ही पीछे हट गया। जितने मुँह उतनी बातें, वहा हो रहा था। पर  कोई भी नही जानता था कि आखिर, सच्चाई क्या हैं और राकेश कहा हैं?

तभी कोर्ट में जज साहिबा मीरा आई और हथौड़ा बजा कर सबको शांत रहने को कहा। मीरा ने कहा ” नांदेड़ गांव पर हुए हमले के बारे में सब जानते हैं और यह एक शर्मसार कर देने वाली घटना है जिसने औरतों पर रहम किया ना बुजुर्गों पर और ना ही बच्चों पर। कोर्ट आज यहां पर नांदेड़ गांव के लोगों के साथ इंसाफ करने के लिए ही मौजूद हैं। सुनवाई को शुरू किया जाए।” 

इतना कहकर जज साहिबा अपने ऑफिशियल रजिस्टर में कुछ लिखने लगी। जब अगले 30 सेकंड तक भी कोई सुनवाई शुरू नहीं हुई तो, उन्होंने हैरानी से एक नजर सामने दौड़ाई और फिर इंस्पेक्टर विक्रम को देखते हुए पूछा “ नांदेड़ गांव की तरफ से जो वकील केस लड़ रहे थे वह कहां है ?” जज साहिबा के इस सवाल पर विक्रम ने अपना सिर नीचे कर लिया और माफी मांगते हुए बोला” माफी चाहता हूं मैडम! वकील साहब बस आते ही होंगे। प्लीज आप हमें कुछ मिनट की मोहलत और दे।“ 

विक्रम की इस अर्जी पर डिफेंस लॉयर मानसी, जो कैलाश रावत की तरफ से केस लड़ रही थी, उसने ऑब्जेक्शन करते हुए कहा” 

मानसी: ऑब्जेक्शन मी लॉर्ड! मेरे वकील दोस्त राकेश माधवानी जी को शायद कोर्ट के वक्त की कीमत नहीं पता है, इसीलिए वे आज वक्त पर यहां नहीं आए है। मैं कोर्ट से अपील करती हूं कि, बिना वक्त बर्बाद किए, जल्द से जल्द कोर्ट की सुनवाई को शुरू किया जाए “

मानसी की इस बात पर जज साहिबा ने थोड़ा चिढ़ते हुए कहा” अब्जेक्शन ओवररुल्ड….. कोर्ट बेहतर तरीके से जानता है कि उसे अपना काम कैसे करना है। आप कोर्ट को मत सिखाईए। राकेश माधवानी एक काबिल वकील है और समाज में उनका बहुत नाम है इसीलिए, 5 मिनट उनका इंतजार करेगा और अगर वह नहीं आए तो फिर एक पक्ष की बात सुनकर फैसला कर दिया जाएगा।” 

जज मीरा की बात सुनकर चारों तरफ शोर शराबा शुरू हो गया। कैलाश रावत और उनके बेटों के चेहरे पर मुस्कान थी तो वहीं दूसरी तरफ नांदेड़ गांव के सभी लोग और सरपंच काफी ज्यादा परेशान हो गए थे। पिछले तीन महीनो से वो लोग, कैलाश रावत और उनके बेटों की वजह से काफी ज्यादा परेशान थी। छोटे गांव से होने की वजह से और गांव में किसी तरह का कोई पुलिस स्टेशन या सिस्टम न होने की वजह से, यह लोग कभी भी प्रशासन तक अपनी पहुंच बना ही नहीं पाए थे। और ऊपर से कैलाश रावत ने इन्हें इतना डरा दिया था कि, किसी ने भी आगे बढ़ने की हिम्मत ही नहीं की। पर 1 हफ्ते पहले हुए किलर कमला के केस के बाद, पूरा देश राकेश माधवनी को जान गया था । 

देश के हर एक लोकल से लोकल न्यूज़पेपर में भी राकेश माधवानी और विक्रम के बारे में खबर छपी थी। जिसे पढ़कर ही, यह लोग बार-बार हिम्मत जुटाने की कोशिश कर रहे थे। हालाकि, उस रात तो सारी हदें पार हो गई थी और इसी वजह से, इन लोगों ने विक्रम और राकेश तक अपनी पहुंच बनाई। राकेश माधवनी पैसो के लिए काम नहीं करता था। पैसों की तो उसे कोई कमी ही नहीं थी। और गरीब लोगों से तो, वो कभी पैसे लेता भी नहीं था। पर आज वक्त पर नहीं आ पाने की वजह से, सब लोगों का विश्वास उस पर से डगमगा गया था।

इधर, जज साहिब की बात सुनकर लॉयर मानसी का मुंह उतर गया था। लॉयर मानसी, एक फेमस वकील थी। और उसने काफी केसेस लड़े थे। अगर इंटेलिजेंस और केसेस जीतने की बात देखी जाए तो, दोनों ने अपना करियर लगभग एक ही टाइम पर शुरू किया था और मानसी ने भी अभी तक कई हिट कैसे जीते थे। पर उसमे और  राकेश में एक ही डिफरेंस था। राकेश सच के लिए लड़ाई लड़ रहा था, और मानसी पैसों के लिए। वकालत में आने का सिर्फ उसका एक ही मकसद था दुनिया के अमीर अमीर क्लाइंट्स के केसेस लेना और  उन्हें जीत कर उनसे महंगे तोहफे लेना। आज भी मानसी ने कैलाश रावत से इस केस के लिए कई लाख रुपए चार्ज किए थे। और इसके साथ ही केस जीतने के बाद वह लंबी चौड़ी गिफ्ट की लिस्ट इन लोगो के सामने रखने वाली थी। 

5 मिनट जल्दी ही बीत गए। पर राकेश माधवानी का दूर-दूर तक कोई भी अता पता नहीं था। जज साहिबा मीनाक्षी इससे ज्यादा वक्त नहीं दे सकती थी इसलिए उन्होंने, मजबूरी में विक्रम की तरफ देखा और कैसे की सुनवाई शुरू करने के लिए हथोड़ा बचाकर सब लोगों को चुप रहने के लिए कहा। 

मीनाक्षी रावत” नांदेड़ कैस वर्सिज लाइफ फॉरेवर ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज़. केस की सुनवाई शुरू की जाए। “

जैसे ही मीनाक्षी रावत ने यह बात कही, सभी गांव वालों का चेहरा उतर गया उनकी आंखों में आंसू थे तो कुछ बेबस होकर अपने भगवान को याद कर रहे थे। मानसी और उसके क्लाइंट्स के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई और उसी के साथ, किसी गांव वाले के पीछे से आवाज आई” अरे देखो वकील साहब आ गए।” जैसे ही उस गांव वाले ने यह बात कही सभी लोग एक साथ पीछे मुड़कर देखें। कुछ के चेहरों पर मुस्कान थी और कुछ लोग लगातार भगवान को शुक्रिया अदा रहे थे। विक्रम ने जैसे ही राकेश को देखा तो पहले तो चैन की सांस ली और उसके बाद इशारों में उससे पूछने लगा कि वह इतनी देर से कहां था। जिस पर राकेश ने हल्की सी मुस्कान के साथ उसे इशारे से कहा कि वह सब कुछ बाद में बताएगा। 

मानसी ने जैसे ही राकेश को दिखा उसका दिमाग खराब हो गया और उसने सामने खड़े होते हुए कहा”  

मानसी: मी लॉर्ड, नांदेड़ गांव में जो कुछ भी हुआ उसके लिए मेरे क्लाइंट मिस्टर कैलाश रावत को जिम्मेदार ठहराना बिल्कुल गलत है। उनका इससे कुछ भी लेने देना नहीं है। मैं कोर्ट से रिक्वेस्ट करती हूं कि मेरे क्लाइंट मिस्टर कैलाश रावत को, बा इज्जत इस केस से बरी किया जाए।”

मानसी की बात सुनकर राकेश ने सामने खड़े होते हुए कहा” 

राकेश: my lord, नांदेड़ गांव के लोग ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है वह लोग प्रकृति के बीच रहकर प्रकृति को ही अपनी पूरी दुनिया मानते हैं। करीब 50-60 परिवारों से बसा ये गांव, आज से 3 महीने पहले तक खुद भी नहीं जानता था कि, ये प्रकृति का सबसे समृद्ध  गांव है। और  बड़े-बड़े लोग अपनी चील सी नजर इस पर बनाए हुए हैं। करीब 6 महीने पहले खनन मंत्रालय ने, इस गांव और आसपास के गांव में चुपचाप एक टीम बनाकर कुछ डाटा कलेक्ट करवाए थे, जिसके अनुसार तेलंगाना के नांदेड़ और आस पास के गांव में सबसे ज्यादा कॉपर पाया गया था। जिससे अगले 100 साल तक पूरा राज्य खनन कर न सिर्फ अपने राज्य और देश में इस्तेमाल कर सकता था बल्कि दूसरे देश में भी कॉपर बेचकर आत्मनिर्भर बन सकता था। जैसे ही ये बात खनन मंत्रालय के कुछ ऑफिसर्स और मंत्रियों को पता चली, तो उन्होंने तुरंत इसका सौदा लाइफ फॉरएवर ग्रुप के साथ कर लिया। और जल्दी ही खरबों रुपय का ये सौदा मंत्रियों और बड़े बड़े तनानशाहो  के साथ करोड़ों के शेयर्स में सेट हो गया। जल्दी ही लाइफ फॉरएवर ने अपने लोगों को नांदेड़ गांव और आस पास के गांव में भेज दिया। आसपास के गांव के लोगों को इन्होंने डरा कर, धमकाकर, लालच देकर और पैसे देकर उनकी जमीनों को अपने नाम कर लिया। पर नांदेड़ गांव के लोग अपनी जमीनों से बहुत ज्यादा गहराई से जुड़े हुए थे और यहां सब लोग खेती कर के ही अपना पेट पालते थे। पीढ़ियों से यही काम करता आ रहा था ये गांव। इसीलिए जब, लाइफ फॉरेवर  ने इन्हे जमीन बेचने के लिए कहा, तो इन लोगो ने मना कर दिया। पिछले तीन महीनो से वह लोग अलग-अलग तरह से पैसे देकर और डरा धमकाकर उनकी जमीन लेने की कोशिश कर रहे थे। इन लोगों की पानी, बिजली और सारी बेसिक सुविधा बंद कर दी गई थी ताकि, यह लोग परेशान होकर चले जाएं।  पर जब हर हाल में यह लोग नहीं माने तो, आखिरकार, लाइफ फॉरएवर ग्रुप ने डिसाइड किया कि लुटेरों का आतंक दिखाकर यहां के लोगों को इतना परेशान करेंगे कि, यह लोग खुद ही यह गांव, यह जमीन छोड़कर चले जाएंगे। पर, यह मामला कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ गया और मीडिया के कुछ लोगों ने इन तस्वीरों को लीक कर दिया। जिससे यह मामला पूरे देश में आग की तरह रातों-रात फैल गया। क्या होगा आगे? जानने के लिए पढ़ते रहिए 

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.