मेल्विन उस लड़की का स्केच बनाने में बिल्कुल खो चुका था। पीटर, रामस्वरूप जी और डॉक्टर ओझा चुपचाप मेल्विन को देख रहे थे।
“क्या लगता है डॉक्टर साहब, मेल्विन इस परीक्षा में पास होगा या नहीं?” रामस्वरूप जी ने पूछा।
“और कोई चैलेंज होता तो शायद मैं ठीक-ठाक जवाब न दे पाता। लेकिन एक कार्टूनिस्ट को स्केच बनाने का चैलेंज दिया गया है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मेल्विन इस परीक्षा में पास हो जाएगा।”
“बिल्कुल ठीक कहा आपने डॉक्टर साहब। स्केच बनाने में मेल्विन का कोई मुकाबला नहीं।” पीटर ने कहा।
“कुछ देर बाद मेल्विन ने एक स्केच बनाकर उस लड़की को दिखाया। आसपास खड़े लोग वो स्केच देखने की कोशिश करने लगे तो उस लड़की ने उसे छुपा लिया।
मेल्विन ने बेहद खूबसूरत स्केच बनाई थी। स्केच में एक लड़की की हंसती हुई तस्वीर थी जिसकी शक्ल हुबहू उस अजनबी लड़की से मिल रही थी।
“मैं कैसे मानूं कि ये स्केच मेरा है?” उस लड़की ने मेल्विन से पूछा।
“आप इस पूरे ट्रेन में किसी से भी पूछ लीजिए। कोई एक भी कह दे कि ये स्केच आपका नहीं है तो मैं इस शर्त में अपनी हार मान जाऊंगा।”
“किसी और के कहने से क्या होता है मेल्विन साहब? मेरा मानना ज्यादा जरूरी है।”
“आपके न मानने की क्या वजह है?” मेल्विन ने पूछा, “जब सब मानने को तैयार है?”
“इस स्केच पर मेरा नाम नहीं है।* उस लड़की ने कहा, “और आपका भी नाम नहीं है।”
“ओह सॉरी। दरअसल मुझे आपका नाम नहीं मालूम।” मेल्विन ने कहा।
“रेबेका फर्नांडीज।” उस लड़की ने कहा, “मेरा नाम है।”
लड़की का नाम सुनकर न सिर्फ मेल्विन हैरान रह गया बल्कि पीटर, रामस्वरूप जी और डॉक्टर ओझा का भी यही हाल था। मेल्विन फर्नांडीज और रेबेका फर्नांडीज, दोनों का सरनेम एक ही था।
मेल्विन ने उसके हाथ से वो स्केच लेकर नीचे रेबेका फर्नांडीस लिख दिया। साथ ही एक तरफ उसने अपना नाम भी लिखा।
“स्केच से खूबसूरत मुझे आपकी हैंडराइटिंग लगी मेल्विन साहब।” रेबेका ने कहा।
“मतलब मैं इस परीक्षा में फेल हो गया?” मेल्विन ने पूछा।
“वो मैं आपको आज नहीं, कल बताऊंगी। मेरा स्टेशन आने वाला है।” रेबेका ने इतना कहा और फिर वो भीड़ को हटाते हुए ट्रेन के दरवाजे पर पहुंच गई।
“ये लड़की तो तुम्हें फिर टाल गई मेल्विन।” पीटर ने उससे कहा, “मुझे लगता है कि वो तुम्हें सिर्फ परेशान कर रही है। उसने अपना इरादा पहले ही कर लिया है। या तो उसने तुम्हें रिजेक्ट कर दिया है या फिर एक्सेप्ट। लेकिन वो जानबूझकर बता नहीं रही है।”
“रिजेक्ट की बात क्यों करते हो पीटर!” डॉक्टर ओझा ने कहा, “अगर रिजेक्ट ही करना होता तो वो मेल्विन से इतनी देर तक बातें नहीं करती। न ही वो मेल्विन से स्केच बनवाती। शायद तुम लोगों ने एक बात नोटिस नहीं की। मेल्विन का नाम उसे शुरू से ही मालूम है। कोई लड़की किसी लड़के को इतना नोटिस क्यों करेगी कि उससे बात किए बिना ही उसके बारे में इतनी जानकारी हो उसे?”
“इसलिए कि वो उसे जज कर सके। उस इंसान को परख सके।” रामस्वरूप जी ने अंदाजा लगाते हुए कहा, “अब जबकि उसने मेल्विन को जांच ल–परख लिया है तो वो खुद सामने से मेल्विन से बात करने आई है। मुझे तो यहां से सब पॉजिटिव ही दिखाई दे रहा है।”
“अगर सब पॉजिटिव है राम स्वरूप जी तो फिर रेबेका ने जवाब क्यों नहीं दिया?” मेल्विन ने पूछा, “मुझे नहीं लगता कि वो मुझे परेशान करना चाहती है या फिर उसके दिमाग में पहले से ही सबकुछ तय है।”
“प्यार के मामले में ऐसा ही होता है मेल्विन।” रामस्वरूप जी की जगह पर पीटर ने जवाब देते हुए कहा, “लड़की बहुत सोच–समझ कर आगे बढ़ती है। रेबेका भी वही कर रही है। ये तुम्हारे लिए अच्छा ही है। बाद में छोटी-मोटी प्रॉब्लम नहीं आएगी।”
“बिल्कुल सही बात।” राम स्वरूप जी ने कहा, “अगर रेबेका को तुमसे कोई प्रॉब्लम होगा तो अभी पता चल जाएगा। बाद में अगर रेबेका को तुम में कोई खामी दिखाई दी तो वो बड़ी परेशानी का सबब होगा।”
तभी डॉक्टर ओझा अपना सूटकेस लेकर खड़े हो गए, “अच्छा, अब मैं चलता हूं। मुझे भी कल की सुबह का बेसब्री से इंतजार रहेगा।” इतना कह कर डॉक्टर ओझा ट्रेन के रुकते ही नीचे उतर गए।
मेल्विन के बॉस मिस्टर कपूर इस समय देश के बाहर थे। इसलिए मेल्विन ऑफिस न जाकर पहले सीधा पुलिस स्टेशन पहुंचा।
घनश्याम की हत्या की छानबीन चल रही थी। उसी सिलसिले में मेल्विन को पूछताछ के लिए बुलाया गया था।
“तो आप है मिस्टर मेल्विन फर्नांडीज।” पुलिस इंस्पेक्टर ने पूछा।
“जी, मेरा नाम ही मेल्विन फर्नांडीज है।”
“घनश्याम को आप कब से जानते थे?”
“जी, मैं उसे जानता नहीं था। एक दिन वो मेरे ऑफिस एक लेटर लेकर आया था। पहले उसके पिता मुझे ढूंढते हुए मेरे ऑफिस आया करते थे। उन्हें पालघर में रहने वाले एक शख्स की तलाश थी। वो मैं ही हूं ये बात उन्हें पता लगते–लगते बहुत देर हो चुकी थी। उनकी मौत के बाद ही उनका दिया हुआ लेटर लेकर घनश्याम मेरे पास आया था। बस मैं घनश्याम को इतना ही जानता हूं।”
“अच्छा तो फिर आप उस दिन घनश्याम की लाश के पास क्या कर रहे थे?” पुलिस इंस्पेक्टर ने अगला सवाल किया।
“जो लेटर घनश्याम ने मुझे दिया था, वो शायद मेरे पिता के बारे में था। मैं अपने पिता से बहुत प्यार करता था। जब मैं बहुत छोटा था तभी उनकी डेथ हो गई थी। मेरे पिता का जीवन अंधकार से घिरा हुआ था। क्योंकि घनश्याम के पिता मुझे ढूंढ रहे थे इसलिए मैंने ये अंदाजा लगाया कि एक जरूर मेरे पिता को जानते होंगे। घनश्याम की मदद से मैं अपने पिता के बारे में और जानकारी इकट्ठा करना चाहता था।”
“किस तरह की जानकारी?” पुलिस इंस्पेक्टर ने फिर पूछा।
*उनकी मौत कैसे हुई? वे आखिर काम क्या करते थे? मेरे पिता और घनश्याम के पिता के बीच संबंध कैसे थे? मैं और भी बहुत कुछ जानना चाहता था इंस्पेक्टर साहब। लेकिन मुझे लगता है कि कोई है जो ये नहीं चाहता। इसलिए उसने घनश्याम को जान से मार दिया।”
“मतलब पहले घनश्याम के पिता राधेश्याम आपसे मिलना चाहते थे लेकिन उनकी मौत हो गई और वो आपसे नहीं मिल सके। फिर आप राधेश्याम के बेटे घनश्याम से मिलना चाहते थे लेकिन फिर घनश्याम की भी मौत हो गई और आप उससे नहीं मिल सके। दोनों बातें एक–दूसरे से काफी रिलेट कर रही हैं। क्या आपको लगता है कि घनश्याम के पिता की भी हत्या हुई थी?” पुलिस इंस्पेक्टर ने अंत में एक और सवाल करते हुए मेल्विन से पूछा।
“इस बारे में मैं क्या कह सकता हूं इंस्पेक्टर साहब? मैं खुद कुछ सवाल लेकर घूम रहा था। ऐसे में मैं आपके इस सवाल का मैं क्या जवाब दूं?”
“दो लोगों की हत्या हुई है मिस्टर मेल्विन फर्नांडीस। आप अगर कुछ नहीं बोलेंगे तो फिर हम उस हत्यारे को ढूंढेंगे कैसे?”
“मैं भी चाहता हूं कि घनश्याम के हत्यारे का पता चले। मैं खुद बहुत कन्फ्यूज्ड हूं कि ऐसा कौन सा राज है जिसे छुपाने के लिए इतनी हत्याएं की जा रही हैं!”
“आपके पिता का क्या नाम था मिस्टर मेल्विन?”
“जी, उनका नाम जॉन फर्नांडिस का।”
“वे क्या काम करते थे?” पुलिस इंस्पेक्टर ने पूछा।
“जी, उनका काम लोडिंग का था। वे बड़े-बड़े पार्सल पानी वाले जहाज पर लोड करने का काम करते थे।”
“हमें घनश्याम की डेड बॉडी के पास से एक तस्वीर मिली है।” पुलिस इंस्पेक्टर ने एक तस्वीर टेबल पर रखते हुए कहा, क्या इन दोनों में से किसी को आप पहचानते हैं?”
ये तस्वीर एक बंदरगाह की थी जिसमें दो मजदूर हंसते हुए एक-दूसरे के गले में हाथ डाले खड़े थे।
“जी, ये मेरे पिता जॉन फर्नांडीज हैं।” मेल्विन अपने पिता को देखकर हैरान था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके पिता के साथ वो दूसरा आदमी कौन था।
“और इस दूसरे आदमी को आप नहीं जानते?” पुलिस इंस्पेक्टर ने पूछा।
“नहीं। मैंने इस आदमी को कभी नहीं देखा।” मेल्विन ने बताया।
“ये तस्वीर मुझे घनश्याम की लाश के पास से मिली है। तो क्या इसका मतलब ये हुआ मेल्विन कि घनश्याम या फिर उसके पिता का तुम्हारे पिता से कोई गहरा संबंध था?” पुलिस इंस्पेक्टर ने पूछा।
“हो सकता है कि कोई गहरा संबंध हो। लेकिन आप उन दोनों के बीच का संबंध निकाल कर साबित क्या करना चाहते हैं?” इस बार मेल्विन ने उल्टा सवाल करते हुए पूछा।
“जिसकी शिनाख्त आपने अपने पिता के रूप में की है वो दरअसल एक हाई प्रोफाइल क्रिमिनल था।” पुलिस इंस्पेक्टर ने बताया।
“ये आप कैसे कह सकते हैं इंस्पेक्टर साहब?” मेल्विन ने एक और सवाल किया।
“अगर एक कुर्सी पर बैठकर मैं किसी को हाई प्रोफाइल क्रिमिनल बता रहा हूं तो क्या इसके लिए मुझे तुम्हें सबूत भी देना पड़ेगा मिस्टर मेल्विन फर्नांडीज?”
“नहीं, मैं आपसे सिर्फ इसलिए सवाल किया कि अगर आपको मेरे पिता के बारे में इतनी जानकारी है तो फिर आपको दूसरे आदमी के बारे में कुछ भी मालूम क्यों नहीं है? और घनश्याम के पिता आपके उस लिस्ट में क्यों नहीं है? अगर मेरे पिता हाई प्रोफाइल क्रिमिनल थे तो जरूर ये दोनों भी जरूर उनके साथ ही होंगे और हाई प्रोफाइल क्रिमिनल ही होंगे।”
“ये हम जल्दी पता लगा लेंगे मिस्टर मेल्विन। फिलहाल मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि अब आपको पुलिस स्टेशन के चक्कर लगाते रहना होगा। अब आप जा सकते हैं। पुलिस इंस्पेक्टर के इतना कहते ही मेल्विन वहां से उठकर बाहर चला गया।”
जिस गड़े हुए मुर्दे को उसने उखाड़ने की कोशिश छोड़ दी थी अब पुलिस उसे उखाड़ने पर उतारू हो चुकी थी।
“ये तो हमारा काम बनने की बजाय और बिगड़ गया।” महेश ने मेल्विन के ऑफिस में आते ही कहा, “पुलिस स्टेशन से आ रहे हो न तुम?”
“हां। पुलिस ने कोई जानकारी देने की बजाय उल्टा मुझसे कई सवाल कर लिए हैं।” मेल्विन ने कहा, “उनके पास मेरे पिता की तस्वीर है। पिताजी उनके हाई प्रोफाइल क्रिमिनल की लिस्ट में शामिल है।”
“व्हाट!” महेश हैरान होते हुए बोला, “तुम्हारे पिता एक क्रिमिनल थे?”
“मुझे तो ये पहले से ही मालूम था।” मेल्विन ने कहा, “मेरी मां हमेशा पिताजी का जिक्र होने पर यही कहती थी कि गड़े हुए मुर्दे उखाड़ने से मुझे कुछ नहीं मिलेगा। उनकी जिंदगी अंधकार से भरी हुई थी। इस बात का क्या कुछ अच्छा भी मतलब निकल सकता है महेश?”
“तो कब तक पुलिस स्टेशन का चक्कर लगाने हैं तुम्हें?”
“ये सिलसिला लंबा चलेगा महेश! मैं तो वहां से ये जता कर चला आया कि मुझे मेरे पिताजी की जिंदगी से कोई मतलब नहीं है। लेकिन अगर इन हत्याओं से कहीं न कहीं मेरे पिताजी का तार जुड़ा हुआ है तो मेरा थाने में आना–जाना लगा रहेगा, ये तय है। कुछ दिन बॉस शहर में नहीं रहने वाले तब तक तो ठीक है लेकिन उनके आ जाने के बाद थाने के चक्कर लगाना मुश्किल हो जाएगा। समझ में नहीं आता कि इस उलझन से कैसे बाहर निकलूं।”
“हम तो लगभग बाहर निकल ही चुके थे मेल्विन लेकिन किस्मत को ही शायद कुछ और मंजूर है। अब घनश्याम वाले किस्से का आगे न जाने क्या हो? क्या पता जिस सच को ढूंढने निकले थे वो सच पुलिस तुम्हारे लिए ढूंढ निकाले।”
“मैं भी इसी उम्मीद में हूं महेश।”
मेल्विन को आने वाले समय से बहुत सारी अच्छी उम्मीदे थीं। लेकिन मेल्विन की जिंदगी में एक के बाद एक मुसीबत का आना जारी था। सबसे बड़ी मुसीबत तो उसकी जिंदगी में आधी रात के समय तब आई जब पूरा मुंबई शहर मुसलाधर बारिश से घिर चुका था।
हर साल मुंबई में ऐसी बारिश होती है जब पूरा मुंबई शहर जैसे थम सा जाता है। ये बारिश मेल्विन को उसी दिन की याद दिला रही थी। उसे रेबेका से उसके जवाब का इंतजार था। बारिश इतनी प्रचंड रूप से जारी थी जैसे लग रहा था अगले 24 घंटे तक ये थमने वाली नहीं है।
मेल्विन जब सुबह सोकर जगा तब भी बारिश में बिल्कुल कमी नहीं आई थी।
उसकी मां का रोजाना की तरह सुबह 6 बजे फोन आया।
“हेलो मेल्विन। न्यूज़ में दिखा रहे हैं कि मुंबई में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। हो सके तो आज घर से बाहर मत निकलना बेटे।” मेल्विन की मां ने फोन पर हिदायत देते हुए कहा, “और हो सके तो अपने दोस्तों को भी आज घर से बाहर निकलने से मना कर दो।”
“नहीं मां, मैं आज ऑफिस मिस नहीं कर सकता। मेरा आज ऑफिस जाना बहुत जरूरी है।”
“लेकिन बेटा बारिश…।” मेल्विन की मां ने कहा। इससे पहले कि वो अपनी बात पूरी कर पाती, मेल्विन ने उन्हें रोकते हुए कहा, “बारिश भी आज मुझे बाहर निकलने से नहीं रोक सकती मां।” इतना कहकर मेल्विन ने फोन कट कर दिया।
मेल्विन ने अपनी मां से ये कह तो दिया था लेकिन जब वो तैयार होकर फ्लैट से बाहर निकाला तो उसके होश उड़ गए। पूरा मुंबई शहर जैसे पानी में डूब चुका था। ट्रक, कार और मोटरसाइकिल पूरी तरह पानी में डूब चुकी थी। लोग जैसे अपनी जिंदगी बचा कर यहां–वहां छुपे हुए थे।
क्या मेल्विन को आज रेबेका का जवाब मिल सकेगा? क्या मुंबई की ये प्रचंड बारिश रुकने वाली थी? इस बारिश के साथ कौन सी नई मुसीबत दस्तक देने वाली है?
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