नेहा, रोहित के इस व्यवहार से बहुत शॉक्ड थी। रोहित को बाहर छुपकर बातें करते नेहा ने खुद देखा था, पर अब रोहित का साफ इनकार करना नेहा को अजीब लग रहा था। आखिर ऐसा भी क्या था जो रोहित को झूठ बोलना पड़ रहा था?

नेहा को अब रोहित पर डाउट्स होने लगे, नेहा रोहित के सामने से चली गई। अब नेहा को खुद पर भी गुस्सा आने लगा। नेहा को रोहित को कुछ नहीं बोलना चाहिए था। यह रोहित नेहा का कॉलेज वाला रोहित नहीं है। नेहा खुद को यह सब समझाते हुए अपने मेडिटेशन क्लासेस करने चली गई। नेहा का मन क्लासेस में नहीं लग रहा था।

नेहा, रोहित के पास जाकर अपने डाउट्स क्लियर करना चाहती है, पर आखिर वह किस हक से उसके पास जाए? रोहित अब बदल चुका है। नेहा रोहित से पूरे दिन नहीं मिली। रोहित ने भी नेहा से बात करने की कोई कोशिश नहीं की। सेशंस के बाद नेहा कुछ देर के लिए गार्डन में जाकर सोचने लगी।

नेहा (खुद से): आखिर एक बार तो आकर मुझसे बात कर सकता है यह रोहित। कॉलेज में तो मैं उसे एक घंटे ना बात करूं तो मेरे आगे पीछे दौड़ने लगता था। कितना चेंज हो गया है; या फिर मैं ही अब उसके लिए इंपॉर्टेंट नहीं रही।

यह सोचकर नेहा की आँखों में आँसू आ गए। उसी वक्त वहाँ रोहित आ गया। नेहा ने तुरंत अपना मुंह फेर लिया और अपने आँसू पोछने लगी। नेहा का चेहरा देखकर रोहित समझ गया कि नेहा उसी बात के बारे में सोच रही है। रोहित, नेहा का हाथ पकड़कर उसे गार्डन से ले जाने की कोशिश करने लगा।

नेहा: कहाँ ले जा रहे हो?

रोहित: तुम बस एक मिनट आओ तो

नेहा: नहीं जाना मुझे तुम्हारे साथ कहीं

नेहा, रोहित से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी, मगर रोहित ने नेहा की एक भी चाल कामयाब नहीं होने दी। गार्डन में बैठे हुए मेंबर्स रोहित और नेहा की यह लड़ाई देखने लगे। नेहा को लोगों का अटेंशन बिल्कुल भी पसंद नहीं है। रोहित को यह बात अच्छे से पता है। नेहा शांत हो गई और रोहित के साथ चली गई।

रोहित नेहा को गार्डन के सबसे किनारे वाले सीट पर ले गया और बैठाया। रोहित भी नेहा का हाथ पकड़कर उसके कदमों के पास बैठ गया। रोहित इससे पहले कि कुछ कह पाता नेहा अपना हाथ रोहित के हाथ से छुड़ाने लगी। रोहित बेमन से नेहा का हाथ छोड़ देता है। रोहित बिना टाइम वेस्ट किए नेहा को समझाने लगा। पर नेहा ने उसकी एक भी बात नहीं सुनी और वहां से नाराज होकर जाने लगी। रोहित नेहा के पीछे-पीछे घूमने लगा।

 

रोहित - आइ एम सॉरी!

रोहित ने एक बार फिर नेहा का हाथ पकड़ लिया। नेहा को यह पता था कि इस बार रोहित अपनी बात कहे बिना नेहा का हाथ नहीं छोड़ेगा। इसलिए नेहा चुपचाप सीट पर बैठ गई।

रोहित - नेहा प्लीज़ अंडरस्टैंड. अगर तुम्हें कोई वहाँ सुन लेता तो फिर शायद मैं यहां तुम्हारे साथ नहीं बैठ पाता। अगर उन्हें पता चलता कि मैं यूं ही बाहर चला गया था तो शायद वो मुझे कैंप से निकाल देते। नेहा मुझे इस कैंप की बहुत जरूरत है। मैं यहां से जाना नहीं चाहता हूँ। आई होप यू विल अंडरस्टैंड।

नेहा: तो तुम्हें बाहर क्यों जाना है?

रोहित: अच्छा बाबा प्रॉमिस अब नहीं जाऊंगा।

 

यह कहकर रोहित अपना कान पकड़ लेता है। नेहा रोहित को माफ तो कर देती है पर अब नेहा रोहित को लेकर और भी ज्यादा कन्फ्यूज थी। रोहित की बातें और रोहित की हरकतें बिल्कुल भी मेल नहीं खा रही थीं। नेहा, रोहित को कॉलेज टाइम से जानती है। रोहित कभी झूठ नहीं बोलता था और आज वह इतनी आसानी से झूठ बोल रहा है, वह भी नेहा से।

रोहित ने नेहा को यह तो कह दिया कि उसे इस कैंप की बहुत जरूरत है, पर नेहा ने कभी रोहित को इस कैंप के दौरान परेशान नहीं देखा था। आज भी रोहित उतना ही शरारती और केयर फ्री था जितना कि वह कॉलेज डेज में रहा करता था। तो फिर रोहित इस मेडिटेशन कैंप में क्यों था? और यहां से क्यों नहीं जाना चाहता?  नेहा का पूरा ध्यान अब बस रोहित पर ही था। वह मृत्युंजय और बाकि बीती हुई बातों को लगभग भूल चुकी थी।

 

इधर रोहित इन सारी बातों को भूलकर नॉर्मली बिहेव करने लगा। कैंप में मस्ती और सबसे ढेर सारी बातें करना। रोहित को पता तो था कि नेहा अभी तक पूरी तरह कन्विंस नहीं हुई है, पर रोहित नेहा को जानता था। रोहित को पता था कि नेहा धीरे-धीरे यह सब भूल जाएगी।

रोहित के जाने के बाद, नेहा चुपचाप कैंप के गार्डन में सनसेट को देखने लगी। आज मौसम भी अच्छा था, हल्की हवाएं चल रही थीं। बैठे-बैठे कब रात हो गई नेहा को पता भी नहीं चला तभी किसी ने नेहा को आवाज दी कि डिनर लग गया है। नेहा अपने ख्यालों की दुनिया से निकलती है तो देखती है कि उसके सिवा गार्डन में अब कोई भी नहीं है। नेहा तुरंत उठकर अंदर डिनर करने के लिए चली जाती है।

डिनर टेबल पर रोहित नेहा के पास आकर बैठ गया।

रोहित - मे आई? मैम?

नेहा - अरे हाँ श्योर।

पर नेहा अब भी चुपचाप ही बैठी हुई है। वह रोहित से बात नहीं कर रही है, और रोहित से चुप रहा नहीं जा रहा था।

रोहित: अब भी गुस्सा हो?

 

नेहा अपना सिर ना में हिलाकर डिनर पर फोकस करने लगी। तभी अचनाक रोहित ने अपने पॉकेट्स से कुछ कैंडीज़ निकाली और नेहा की प्लेट में रख दी। नेहा रोहित की तरफ़ देखने लगी।

रोहित - क्या? कॉलेज में तो इतने में खुश हो जाया करती थी। अब भी इट वर्क्स?

 

नेहा के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। नेहा को अच्छा लगा कि रोहित को नेहा से जुड़ी बातें अब भी याद है। 10 साल से कोई कॉन्टैक्ट नहीं होते हुए भी रोहित को कॉलेज और नेहा से जुड़ी हर वो बात याद है जो नेहा को पसंद थी। रोहित का अटेंशन और केयर देखकर नेहा का गुस्सा अब थोड़ा शांत होने लगा। नेहा अब धीरे-धीरे रोहित के साथ कम्फर्टेबल हो रही थी। तभी नेहा को याद आया कि उसे आज तक रोहित के बारे में कुछ खास पता नहीं है। नेहा, रोहित से उसकी ज़िंदगी के बारे में पूछने लगती है। नेहा ने रोहित से उसकी शादीशुदा ज़िन्दगी  के बारे में पूछ लिया।

नेहा: तो फिर तुमने शादी की या नहीं?

 

नेहा का यह सवाल पूछते ही रोहित के एक्सप्रेशंस चेंज हो गए। रोहित ने अपनी आँखें निची कर ली। थोड़े देर पहले हंसता हुआ रोहित अब बिल्कुल शांत बैठा था। नेहा को समझ नहीं आ रहा था कि रोहित किस बात से नाराज़ हो गया कि अब वह नेहा की तरफ़ देख भी नहीं रहा।

 

 

जब नेहा ने ध्यान से रोहित की तरफ़ देखा, तो रोहित की आँखों में आँसू देखकर नेहा चौंक गई। यह वही रोहित था जिसने कॉलेज टाइम में हाथ टूटने पर भी एक उफ्फ तक नहीं किया था और आज उसके आँखों में आँसू। नेहा को कोई अंदाजा नहीं था कि वह इस सिचूऐशन को कैसे संभालेगी। रोहित डिनर टेबल से उठकर चला गया और नेहा उसके पीछे-पीछे जाने लगी, लेकिन रोहित उसकी नज़र से ओझल हो गया। नेहा वापस डिनर टेबल पर आ गई।

 

रोहित का रोता हुआ चेहरा नेहा के मन में बस गया था। वह कैंप में इसलिए आई थी कि वह शांत हो सके और अपनी शादीशुदा ज़िंदगी और मृत्युंजय के साथ अपने रिश्ते को सुधार सके। लेकिन अब नेहा को रोहित की परवाह ज्यादा हो रही थी। यह सब नेहा को सही नहीं लग रहा था, फिर भी वह अपने दिल को रोहित से दूर नहीं कर पा रही थी।

 

ये सब सोचते हुए नेहा ने अपना खाना खत्म किया और बगीचे की ओर चल पड़ी। रात का शांत वातावरण था, चांद की रोशनी बगीचे को एक सपने जैसा बना रही थी। दूर एक बेंच पर रोहित अकेला बैठा था।

 

नेहा धीरे से उसके पास गई। रोहित नेहा को देखकर भी कुछ नहीं बोला। उसकी आँखें चांद की ओर टिकी हुई थीं। नेहा थोड़ी देर खामोश खड़ी रही, फिर धीरे से बोली, "रोहित, तुम ठीक तो हो? आज तुम इतने उदास क्यों लग रहे हो?"

 

 

रोहित ने नेहा का हाथ अपने हाथ में ले लिया। रोहित की आँखें नम थीं। नेहा को रोहित की यह हालत देखकर बहुत दुख हुआ। वह समझ गई थी कि रोहित कुछ छुपा रहा है पर नेहा यह भी जानती थी कि अभी रोहित को फोर्स करना गलत होगा। यह पहली बार था जब नेहा ने रोहित को इतना उदास देखा था। नेहा बिना कुछ बोले रोहित के बगल में बैठकर चांद को देखने लगी।

 

आखिर ऐसी क्या बात थी जो रोहित की आँखों में आँसू ला सकती थी? नेहा का हाथ अब भी रोहित के हाथ में ही था। नेहा धीरे से रोहित को गले लगा लेती है। थोड़ी देर शांत रहने के बाद रोहित ने एक गहरी सांस ली और नेहा की तरफ़ देखा, मानो वह कुछ कहना चाह रहा हो।

नेहा: "रोहित टेक योर टाइम, तुम्हें मुझे कुछ भी बताने की ज़रूरत नहीं है।"

रोहित ने नेहा की ओर देखा और धीरे से बोला,

रोहित- "नेहा, तुम्हें याद है मैंने तुम्हें उस दिन क्या बताया था... जब हम पहली बार इस मेडिटेशन कैंप में मिले थे?"

नेहा- "हाँ रोहित मुझे याद है। तुमने कहा था कि..."

रोहित- "वो सब झूठ था।"

रोहित: "मैं जितना सिम्पल दिखता हूँ, उतना सिम्पल हूँ नहीं। कहीं ज्यादा राज़ है मेरे अंदर"

 

 

नेहा की सांस अटक गई। वह उठ खड़ी हुई और रोहित को बिना देखे वहां से जाने लगी। रोहित ने उसे रोकने की कोशिश तक नहीं की। ऐसा लग रहा था मानो वह चाहता हो कि नेहा उससे दूर चली जाए।

 

नेहा के मन में उथल-पुथल मच गई। वह सोचने लगी कि आखिर रोहित ने उससे इतना बड़ा झूठ क्यों बोला होगा? क्या वह उसे शुरू से ही धोखा दे रहा था? नेहा को यकीन नहीं हो रहा था कि वह जिस शख्स पर इतना भरोसा करती थी, वह इतना झूठा हो सकता है।

 

नेहा को याद आया कि रोहित इस कैंप में आने की क्या वजह बताई थी। उसने कहा था कि वह अपनी ज़िंदगी में शांति चाहता है। ज़िंदगी की उथल-पुथल से थोड़ा रेस्ट लेने के लिए ही रोहित इस कैंप में आया है। लेकिन अब ऐसा लग रहा था कि वह कुछ और ही ढूंढ रहा है। क्या हो सकता है वह? क्या रोहित इस कैंप में कोई और मकसद लेकर आया है? आखिर रोहित ने नेहा से कितने झूठ बोले है। क्या रोहित हमेशा से ऐसा था?

नेहा समझ नहीं पा रही थी कि आखिर क्या सच है और क्या झूठ। आखिर क्या था वो राज़ जो रोहित नेहा से अब तक छिपाते आ रहा है?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

 

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