हर बढ़ते पल के साथ ध्रुवी का रोना और सिसकना बढ़ता ही गया। कुछ देर में ही वहाँ ध्रुवी की बेतहाशा सुबकियाँ गूंजने लगीं। आर्यन लगातार ध्रुवी के सर को सहलाते हुए उसे शांत करने की भरपूर कोशिश कर रहा था। मगर ध्रुवी की सिसकियाँ शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थीं। जैसे उसकी आँखों के नीचे किसी ने पानी की टंकी फिट कर दी हो जो बिना रुके लगातार बह रहा था। न जाने कितनी देर तक ध्रुवी यूँ ही आर्यन के कंधे पर सर रखकर सिसकती रही।

काफी देर बाद ध्रुवी का सिसकना बंद हुआ तो आर्यन ने उसे संभाला और उसे सहारा देते हुए खड़ा किया। वहाँ से कुछ दूरी पर जाकर टैक्सी रोककर उसने ध्रुवी को बैठाया और वहाँ से सीधा अपने फ्लैट के लिए निकल गया। कुछ देर बाद टैक्सी ने उन दोनों को आर्यन के फ्लैट के बाहर छोड़ा। आर्यन ने टैक्सी का किराया चुकाकर इस वक्त पूरी तरह टूटी और बिखरी ध्रुवी का हाथ थामा और उसे अपने घर के अंदर ले गया।

घर के अंदर जाकर आर्यन ने ध्रुवी को सोफे पर बिठाया और टेबल पर रखे जग से ग्लास में पानी डालकर बड़े ही प्यार से ध्रुवी की ओर बढ़ा दिया। मगर ध्रुवी ने नम आँखों से अपनी गर्दन ना में हिलाते हुए पानी के गिलास को अपने मुँह से दूर कर दिया।

"ध्रुवी, इस तरह से परेशान होने और रोने से प्रॉब्लम का सलूशन तो नहीं निकलेगा ना? प्लीज स्टॉप क्राईंग मेरी जान। यू नो ना कि मैं तुम्हें यूँ रोता हुआ नहीं देख सकता!" आर्यन ने एक गहरी साँस लेकर कहा।

"आ...आर्यन, मु...मुझे कु...कुछ भी समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूँ। डे...डैड ने तो आज मुझसे खुले अल्फाज़ों में ना सिर्फ घर से जाने के लिए कहा, बल्कि उन्होंने..." ध्रुवी भावुकता भरी परेशानी से बोली।

"उन्होंने तो मुझे अपनी ज़िंदगी से ही पूरी तरह बेदखल कर दिया है," ध्रुवी ने दुख भरी भावुकता से कहा, “और उन्होंने तो मुझसे एक बेटी होने के सारे हक भी छीन लिए। और मैं बस...”

अपने निचले होंठ को अपने दाँतों तले दबाते हुए अपने इमोशन्स को रोकने की कोशिश करते हुए कुछ पल बाद ध्रुवी ने कहा, “मैं ज़िंदगी के ऐसे मोड़ पर आकर खड़ी हो गई हूँ आर्यन, जहाँ ना तो मैं वापस पीछे जाने का सोच सकती हूँ और ना ही मुझे आगे जाने की कोई राह ही नज़र आ रही है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं एक पल में ही बिल्कुल तन्हा और अकेली हो गई हूँ। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा आर्यन कि आखिर मैं क्या करूँ और कहाँ जाऊँ। मैं...”

अपना सर पकड़ते हुए ध्रुवी ने कहा, “...या मैं क्या करूँगी? मुझे कुछ भी तो समझ नहीं आ रहा, कुछ भी नहीं!”

"तुम्हें कुछ भी सोचने या परेशान होने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है ध्रुवी। सब ठीक हो जाएगा। और तुम फ़िक्र क्यों करती हो? तुम अकेली नहीं हो, मैं हूँ ना तुम्हारे साथ। और तुम कहीं क्यों जाओगी? तुम मेरे साथ, अपने...हमारे इस घर में रहोगी। तुम बेसक पीछे लौट कर नहीं जा सकती, लेकिन आगे की राह तुम्हारी आँखों के सामने है। मैं हूँ तुम्हारे साथ और इस राह पर हर कदम मैं तुम्हारा हाथ थाम कर कदम से कदम मिलाकर हर पल तुम्हारे साथ हूँ। बिलीव मी, सब ठीक हो जाएगा!" आर्यन ने ध्रुवी का चेहरा अपने हाथों में थाम कर प्यार से अपने अंगूठों से उसके आँसू साफ़ करते हुए कहा।

"बेसक मैं यहाँ तुमसे मिलने रोज़ आती रही हूँ और घंटों तुम्हारे साथ यहाँ वक़्त भी बिताती हूँ, लेकिन तुमसे मिलने आने में और तुम्हारे साथ यहाँ रहने में बहुत फ़र्क है आर्यन, बहुत फ़र्क।" ध्रुवी ने आर्यन की ओर देखकर थोड़ा संभल कर कहा।

एक पल रुककर ध्रुवी ने कहा, “लोग हम पर और हमारे रिश्ते पर उंगली उठाएँगे, जो मुझे हरगिज़ मंज़ूर नहीं है आर्यन, हरगिज़ नहीं!”

"जहाँ तक मैं अपनी ध्रुवी को जानता हूँ, मुझे तो नहीं लगता कि उसे दुनिया या दुनिया की बातों से कभी भी कोई भी या थोड़ा भी फ़र्क पड़ा हो, जो अब पड़ेगा!" आर्यन ने ध्रुवी की ओर देखकर कहा।

"हाँ, नहीं पड़ा कभी कोई फ़र्क, लेकिन अब पड़ता है आर्यन और उसकी वजह सिर्फ़ तुम हो। मुझे तुम्हारे लिए फ़र्क पड़ता है आर्यन। क्योंकि मैं खुद पर भले ही लोगों की बातें और ताने बर्दाश्त कर सकती हूँ, उन्हें इग्नोर कर सकती हूँ, उनका सामना कर सकती हूँ, लेकिन बात अगर तुम पर या तुम्हारे कैरेक्टर पर आए तो यह मुझसे हरगिज़ से हरगिज़ बर्दाश्त नहीं होगा आर्यन!" ध्रुवी ने आर्यन का हाथ थाम कर कहा।

 

आर्यन ध्रुवी को आगे कुछ कहता कि तभी डोर बेल बजी। आर्यन ने ध्रुवी का हाथ थपथपाकर जल्दी देखकर आने की बात कही और फिर दरवाजे की ओर बढ़ गया। आर्यन ने दरवाज़ा खोला तो सामने दिशा और प्रिया थीं। आर्यन ने साइड होकर उन दोनों को अंदर आने का रास्ता दिया और दोनों सीधा ध्रुवी के पास चली आईं। ध्रुवी ने दिशा और प्रिया को देखा तो एक बार फिर भावुक हो उठी।

इधर दूसरी तरफ, ध्रुवी के घर से चले जाने के बाद मिस्टर सिंघानिया ने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया था। घर के सभी नौकर और मिस्टर गुप्ता भी इन सारी बातों को लेकर परेशानी से घिरे हुए थे और अपने-अपने लेवल पर इस बात के सॉल्यूशन को खोजने की कोशिश कर रहे थे। सब जानते थे कि ध्रुवी और मि. सिंघानिया दोनों ही एक-दूसरे के लिए बहुत अहम हैं और एक-दूसरे की दुनिया भी। और आज से पहले जब कभी भी उन दोनों में नाराज़गी होती तो ज़्यादा देर तक ही दोनों बिना बात किए नहीं रह पाते थे या फिर दूसरा खुद पहले को मना लेता था। लेकिन इस बार तो दोनों ही बहुत ज़्यादा नाराज़ थे और इसी के साथ सबको यह भी पता था कि साथ ही दोनों ज़िद में भी एक जैसे ही थे। और जब तक दोनों अपनी ज़िद नहीं छोड़ देते, तब तक कुछ भी पहले की तरह ठीक नहीं हो सकता था। और इस बार यह दोनों की ही तरफ़ से आसान नहीं लग रहा था।

 

इधर दूसरी तरफ, इन सबसे अलग लंदन में ही एक जगह पर एक बड़े से आलीशान घर में, जिसकी शानोशौकत और ख़ूबसूरती देखते ही बन रही थी, इसी आलीशान बंगले में एक आदमी, जिसकी उम्र लगभग 28 से 30 के बीच होगी, लेकिन अपनी फ़िटनेस और चार्म की वजह से वह दिखने में बहुत ही अट्रैक्टिव और हैंडसम था और इसी वजह से 24 से 26 साल की उम्र का ही दिखता था। उसके महँगे और कीमती पहनावे और ठाट-बाट से यह साफ़ नज़र आ रहा था कि वह किसी बड़े और नामी घर-रुतबे-पैसे से ताल्लुक़ रखता था। उसका पूरा का पूरा अंदाज़ और पर्सनेलिटी लगातार किसी शाही या रॉयल फैमिली से होने का बखान कर रही थी। उस शख्स ने अपने बदन पर बहुत ही कीमती कपड़ों और जूतों के साथ डायमंड और गोल्ड की कीमती कलाई घड़ी अपने हाथ में पहनी हुई थी और दूसरे हाथ में उसने स्कॉच का एक गिलास पकड़ा हुआ था। और बड़े ही शान के साथ वह एक बड़ी सी कुर्सी पर एक टांग पर दूसरी टांग रखकर बैठा हुआ था। उसके सामने कुछ लोग ऐसे हाथ बाँधे खड़े थे जैसे वह कहीं का राजा-महाराजा हो और वह सब लोग उसके एक हुक्म के लिए अपना सर झुकाए उसके हुक्म को पूरा करने के लिए खड़े थे। कुल मिलाकर इस शख्स की पूरी पर्सनेलिटी बहुत ही अट्रैक्टिव, दमदार और स्ट्रॉन्ग नज़र आ रही थी। कुछ पल बाद उस शख्स ने अपनी दमदार और डोमिनेंट आवाज के साथ अपनी चुप्पी तोड़ी।

"क्या खबर है?" शख्स ने अपने आदमियों से पूछा।

"कुंवर सा, सब कुछ वैसे ही हो रहा है जैसे कि हमने चाहा था। सब हमारे प्लान के मुताबिक़ ही हो रहा है। आज उस लड़के के साथ अपने रिश्ते को ना तोड़ पाने की वजह से मिस्टर सिंघानिया ने अपनी इकलौती बेटी ध्रुवी को ना सिर्फ घर से निकाल दिया बल्कि उसे अपनी ज़िंदगी से पूरी तरह बेदखल भी कर दिया। और अपने घर से निकाले जाने के बाद फ़िलहाल अब वह उसी लड़के के साथ उसके घर में चली गई है। और कुंवर सा, हमारे लोग उन दोनों पर 24/7 नज़रें जमाए हुए हैं। बस आपके एक इशारे की देर है। आप बस हुकुम कीजिए कुंवर सा और हम आपके हुक्म को पूरा करने के लिए तैयार खड़े हैं। और इस बार आपके मक़सद को पूरा करने के लिए कोई रोक-टोक या बाधा भी नहीं है क्योंकि उस लड़के आर्यन की वजह से उस लड़की ध्रुवी के पिता ने उसे हमेशा के लिए अपनी ज़िंदगी से बेदखल कर दिया है और अब उसके पीछे उसके बाप का कोई भी सपोर्ट या सुरक्षा भी नहीं है। क्योंकि हमारी ख़बर के मुताबिक़ ध्रुवी से नाराज़गी के चलते उसके पिता ने अपने सारे रिश्ते और ताल्लुक़ ख़त्म कर दिए हैं और ज़िंदगी में कभी भी दोबारा उसकी शक्ल ना देखने की कसम खाई है। तो अब हमें कोई ख़तरा या डर नहीं है कुंवर सा। बस अब आप हुक्म कीजिए कुंवर सा, फिर उस लड़के के साथ ही हम उस लड़की ध्रुवी को भी अभी आपके कदमों में लाकर डाल देंगे!" पहले आदमी ने अपने हाथ बाँधे बड़े ही अदब के साथ कहा।

"अभी थोड़ा और सब्र करो शक्ति। कुछ देर और मनाने दो उन दोनों को अपने प्यार की खुशियाँ। क्योंकि इस बार हम सही और एन मौके पर ही अपनी आख़िरी चाल को कामयाब करते हुए उसे चलेंगे भी और पूरा भी करेंगे। तब तक सजाने दो उन्हें अपने प्यार भरे खुशियों के संसार के सलोने सपनों को क्योंकि फिर शायद ही कभी ज़िंदगी उन्हें दोबारा यह सुनहरा मौक़ा बख्शेगी।" कुंवर ने अपनी स्कॉच का घूँट भरते हुए अपने शाही अंदाज़ में कहा।

 

एक पल रुककर कुंवर ने कहा, “बाक़ी आप हमारी आख़िरी चाल और मोहरों के मुताबिक़ सारी तैयारियाँ मुकम्मल कर लीजिए क्योंकि अब हम हमारी मंज़िल और मक़सद से सिर्फ़ कुछ ही कदम की दूरी पर हैं!”

"जो हुकुम कुंवर सा। आप बिल्कुल बेफ़िक्र रहें। सारा काम और तैयारियाँ आपके बताए मुताबिक़ पूरी और बखूबी कर दी जाएँगी। और इसके अलावा अगर मेरे लिए कोई हुक्म हो तो बताएँ कुंवर सा?" शक्ति ने अदब से अपना सर झुकाते हुए कहा।

"फ़िलहाल के लिए इतना ही है। अभी जा सकते हैं आप लोग!" कुंवर ने कहा।

"जो हुकुम कुंवर सा!" शक्ति ने कहा।

 

इतना कहकर शक्ति एक बार फिर अपने लोगों के साथ अदब से अपना सर झुकाकर अपने बाक़ी लोगों के साथ वहाँ से फ़ौरन अपने हुक्म की तामील करने के लिए चला गया। और वह शख्स जिसे शक्ति कुंवर सा कहकर पुकार रहा था, उसने शक्ति और सब लोगों के वहाँ से जाने के बाद अपने पास टेबल पर उल्टी रखी ध्रुवी की तस्वीर को सीधा करते हुए अपने हाथ में उठाया और अपनी इंटेंस नज़रों से उसे देखते हुए ध्रुवी की फ़ोटो पर अपनी उंगली फ़िरने लगा। और कुछ पल बाद आख़िर में उसने अपनी चुप्पी तोड़ी।

"ध्रुवी...ध्रुवी सिंघानिया...आ रहे हैं हम...बहुत जल्द...आपसे मिलने और आपकी ज़िंदगी को पूरी तरह से बदलने के लिए...जस्ट वेट एंड वॉच!" कुंवर ने ध्रुवी की तस्वीर को देखते हुए पूरी संजीदगी के साथ अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा।

 

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