कुंवर ने ध्रुवी की तस्वीर को देखते हुए, पूरी संजीदगी से अपनी चुप्पी तोड़ी, “ध्रुवी... ध्रुवी सिंघानिया... आ रहे हैं हम... बहुत जल्द... आपसे मिलने और आपकी ज़िंदगी को पूरी तरह से बदलने के लिए... जस्ट वेट एंड वॉच!!”

इधर, दूसरी तरफ, प्रिया और दिशा के साथ आर्यन के आने से ध्रुवी एक बार फिर भावुक हो गई थी। आर्यन को लगा कि शायद उसकी उपस्थिति के कारण वे खुलकर बात नहीं कर पाएँगे। इसीलिए, उन्हें स्पेस देने के लिए वह उन्हें अकेला छोड़कर कुछ देर के लिए अपने कमरे में चला गया।

प्रिया ध्रुवी के पास बैठते हुए बोली, “कैसी हो ध्रुवी तुम?”

ध्रुवी भावुकता से बोली, “डैड कैसे हैं?”

दिशा ध्रुवी के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली, “डोंट वरी, पापा अंकल के साथ हैं। और अंकल बिल्कुल ठीक हैं। तू उनकी बिल्कुल भी फ़िक्र मत कर, हम सब हैं ना उनके साथ। तू बस अपना ध्यान रख।”

प्रिया ध्रुवी का हाथ थामकर उसे दिलासा देने की कोशिश करते हुए बोली, “हम्मम... दिशा बिल्कुल ठीक कह रही है ध्रुवी। एंड डोंट वरी, शायद थोड़ा टाइम लगेगा अंकल के गुस्से को शांत होने में, लेकिन जैसे ही अंकल का गुस्सा शांत होगा, देखना वो खुद तुझे लेने आएंगे, और फिर सब ठीक हो जाएगा।”

ध्रुवी मायूसी भरे लहजे से बोली, “काश! काश कि ऐसा हो पाता... बट आई नो कि डैड अपनी बात से कभी पीछे नहीं हटेंगे। क्योंकि अगर उन्होंने कहा है कि वो कभी मेरी शक्ल नहीं देखेंगे और मुझसे कोई रिश्ता नहीं रखेंगे, तो फिर चाहे कुछ भी क्यों ना हो जाए, वो मेरी शक्ल कभी नहीं देखेंगे, कभी मुझे वापस लेने नहीं आएंगे, कभी भी नहीं!”

प्रिया बोली, “तू ऐसा क्यों सोच रही है ध्रुवी? तू बेटी है उनकी, और माँ-बाप चाहे अपनी औलाद से कितना भी क्यों ना नाराज़ हो लें, मगर उन्हें कभी भूल नहीं सकते। और तू भी देखना, अंकल ज़्यादा देर तक तुझसे नाराज़ नहीं रह सकते।”

ध्रुवी दुखी भाव से मुस्कुराकर बोली, “अगर वो सिर्फ़ नाराज़ होते तो मैं खुद उन्हें मना लेती, पर उन्होंने तो मुझसे रूठकर मुझे हमेशा के लिए खुद से दूर कर दिया है। और शायद ही अब वो मुझे कभी वापस अपनी ज़िंदगी में शामिल कर पाएँ। भले ही मैंने ये सब अपनी मोहब्बत के लिए किया, लेकिन हकीकत तो यही है ना कि मैंने डैड का दिल दुखाया है (भावुकता से)... और मैं जानती हूँ इसके लिए वो मुझे कभी भी माफ़ नहीं करेंगे, कभी भी नहीं!”

दिशा बोली, “ध्रुवी तू क्यों बेवजह इतना सोच रही है? तू कल सुबह जाकर अंकल से मिलना और मनाना, और देखना तब तक उनका गुस्सा भी बिल्कुल शांत हो गया होगा।”

ध्रुवी अपना सर ना में हिलाते हुए बोली, “डैड ने मुझे कसम दी है, वापस उस घर में या उनकी ज़िंदगी में दुबारा कभी भी कदम ना रखने के लिए। और मैं ये कसम कभी नहीं तोड़ सकती (दुखी भाव से)... उन्होंने कहा है कि अगर मैंने उनसे कोई भी रिश्ता रखने या उनसे मिलने की कोशिश भी की तो... तो मैं उनका मर चुकी...”

इतना कहते-कहते ही ध्रुवी भावुक हो उठी, और प्रिया और दिशा ने उसे सांत्वना देते हुए उसे चुप कराने की कोशिश की।

प्रिया ध्रुवी के कंधे पर हाथ रखकर उसे सांत्वना देते हुए बोली, “माँ-बाप चाहे अपनी औलाद से कितना भी नाराज़ क्यों न हो जाएँ, लेकिन उनसे प्यार करना और उनकी परवाह करना कभी नहीं छोड़ सकते। तुम ये बात समझ क्यों नहीं रही हो ध्रुवी?”

ध्रुवी ने प्रिया की बात का कोई जवाब नहीं दिया और बस खामोशी से अपने अंतर्मन में चल रही अनेकों बातों और सवालों से अंदर ही अंदर झूझती रही। तभी दिशा का फ़ोन बजा और उसने अपने पिता का नंबर स्क्रीन पर देखा, तो खड़े होकर कुछ दूरी पर जाकर उसने कॉल पिक की।

दिशा कॉल पिक करके बोली, “जी पापा... कहिए?”

मि. गुप्ता: “कितनी देर में घर वापस आओगी बेटा तुम?”

दिशा: “बस पापा, थोड़ी देर में निकल रहे हैं हम।”

मि. गुप्ता: “ध्रुवी बिटिया कैसी है?”

दिशा (गहरी साँस ले कर): “वो ठीक नहीं है पापा, बहुत परेशान है... (ध्रुवी की ओर देखकर उसकी बेचैनी भांपते हुए)... पापा अंकल तो ठीक हैं ना?”

मि. गुप्ता: “बेटा, दरअसल मैंने तुम्हें यही बताने के लिए कॉल किया था।”

कुछ देर बाद दिशा मि. गुप्ता से बात करने के बाद कॉल काट देती है और फिर प्रिया और ध्रुवी की ओर अपना रुख करती है, जो बेचैनी भरी उत्सुकता से पहले से ही उसकी ओर देख रही थीं।

ध्रुवी परेशानी भरे स्वर में बोली, “क्या कहा अंकल ने दिशा? डैड ठीक तो हैं ना?”

तभी आर्यन भी ध्रुवी को देखने के लिए अपने कमरे से बाहर आया और ध्रुवी की बात सुनकर वही दीवार के पीछे खड़ा हो गया।

ध्रुवी अपनी जगह से खड़े होकर दिशा के सामने आकर बेसब्री से दिशा की ओर देखकर बोली, “बोलो दिशा क्या कहा अंकल ने? डैड ठीक तो हैं ना?”

दिशा थोड़ा झिझकते हुए बोली, “आ... अंकल बिल्कुल ठीक हैं ध्रुवी, डोंट वरी!”

ध्रुवी शक भरी नज़रों से दिशा की ओर देखकर बोली, “पर तुम्हारी आँखें कह रही हैं कि तुम कुछ तो मुझसे ज़रूर छुपा रही हो? (थोड़ी सख्ती से) बात क्या है दिशा? खुलकर कहो और साफ़-साफ़ बताओ कि आखिर बात क्या है... (एक पल रुककर)... डैड सच में ठीक हैं ना दिशा?”

दिशा: “हाँ अंकल एकदम ठीक हैं... (थोड़ा झिझक कर)... बस बात दरअसल ये है कि...”

ध्रुवी: “कि? (दिशा को शांत देखकर गुस्से से) फॉर गॉड सेक दिशा, बोलो बात क्या है आखिर?”

दिशा (एक गहरी साँस ले कर): “दरअसल अंकल बिलकुल ठीक हैं... बस डैड ने बताया कि अंकल ने... (एक गहरी साँस ले कर एक साँस में)... अंकल ने तुझे अपनी प्रॉपर्टी और नाम से बेदखल करने और तुझसे कोई भी रिश्ता ना रखने का कड़ा फ़ैसला कर लिया है। और उन्होंने अपने लॉयर को बुलाकर अपनी वसीयत कर दी है कि आज से उनसे तेरा कोई भी या किसी भी तरह का कोई लेना-देना या रिश्ता नहीं है... (एक पल रुककर झिझकते हुए)... और तू... तू उन... उनके लिए मर चुकी है। और कुछ ही देर में अंकल कुछ दिनों के लिए डैड के साथ न्यूयॉर्क जा रहे हैं!”

 

दिशा की बात सुनकर जैसे ध्रुवी के पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई और उसको इस वक़्त ये बात सुनकर कितनी तकलीफ़ और दर्द महसूस हो रहा था, ये साफ़ उसके चेहरे के भाव से नज़र आ रहा था। दिशा की बात सुनकर ध्रुवी अपना सर लगातार ना में हिलाते हुए अगले ही पल धड़ाम से घुटनों के बल अपनी ही जगह पर बैठकर बेतहाशा सिसकने लगी। दिशा और प्रिया के साथ ही आर्यन भी जल्दी से उसकी ओर उसे संभालने के लिए भागा और रोती हुई दर्द से बिखरी ध्रुवी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके बालों को चूमते हुए लगातार उसे शांत करने की कोशिश करने लगा, मगर ध्रुवी की सुबकियाँ थमने का नाम ही नहीं ले रही थीं। ध्रुवी को यूँ दर्द में देखकर उसके पास बैठी प्रिया और दिशा की भी आँखें नम हो गईं।

आर्यन ध्रुवी के बालों को चूमते हुए लगातार उसे शांत करने की कोशिश करते हुए बोला, “ध्रुवी जस्ट रिलेक्स... सब ठीक हो जाएगा बच्चे... जस्ट रिलेक्स मेरी जान!”

ध्रुवी सुबकते हुए बोली, “न... नहीं आर्यन... कु... कुछ भी ठीक नहीं हो सकता अब... स... सब बर्बाद हो गया... सब ख... खत्म हो गया एक ही झ... झटके में... मैं अ... अकेली हो गई एक ही पल में... मैं अ... अकेली हो गई आर्यन... मैं अ... अकेली हो गई!”

आर्यन ध्रुवी को खुद से दूर कर उसका चेहरा अपने हाथों में थामते हुए बोला, “तुम अकेली नहीं हो... मैं हूँ तुम्हारे साथ... हर पल... हर कदम... मैं हूँ तुम्हारे साथ (आँसुओं भरी आँखों से खुद को देखती ध्रुवी को)... हाँ... मैं हूँ... हूँ तुम्हारे साथ... जस्ट रिलेक्स... रिलेक्स!”

आर्यन की बात सुनकर ध्रुवी वापस से कसकर उसके सीने से लग गई, मगर उसका सुबकना अभी भी बंद नहीं हुआ।

आर्यन कुछ पल शांत रहने के बाद बोला, “अगर तुम अभी भी अपना फ़ैसला बदलना चाहती हो तो तुम अभी भी यहाँ से जा सकती हो। तुम पर किसी भी तरह की कोई ज़बरदस्ती या ज़ोर नहीं है। मुझे सिर्फ़ तुम्हारी खुशी चाहिए ध्रुवी, फिर वो चाहे मेरे साथ रहने से है या फिर मुझसे दूर जाकर।”

ध्रुवी बिना आर्यन से अलग हुए ही बोली, “अ... अगर यही करना होता तो इ... इस वक़्त तु... तुम्हारे सा... साथ यहाँ मौ... मौजूद नहीं होती मैं।”

आर्यन एक पल रुककर गंभीरता से बोला, “ठीक है फिर... तुमने अपना फ़र्ज़ निभाया... अब मेरी बारी है अपना धर्म निभाने की... (एक पल रुककर)... हम कल के कल ही शादी करेंगे!”

आर्यन की बात सुनकर ध्रुवी ने झट से अपना सर उठाकर उसकी ओर देखते हुए उसकी आँखों में झाँका और प्रिया और दिशा ने भी झट से आर्यन की दिशा में देखा, जैसे उसके कहे शब्दों में छुपी गंभीरता को समझने की कोशिश कर रही थीं। ध्रुवी के साथ ही प्रिया और दिशा की नज़रें भी आर्यन की बात सुनकर उस पर ही टिक गई थीं, मगर उसके चेहरे की गंभीरता को देखकर सब बखूबी समझ रहे थे कि आर्यन इस बात को लेकर पूरी तरह गंभीर और पक्का था।

ध्रुवी असमंजस भरे भाव से बोली, “लेकिन आर्यन मैं... (एक पल रुककर)... मगर हमने तो फ़ैसला किया था ना कि जब तक... जब तक हम अपने सपनों को पूरा नहीं कर लेंगे, अपने पैरों पर नहीं खड़े हो जाएँगे, तब तक हम इस रिश्ते में आगे नहीं बढ़ेंगे?”

आर्यन ध्रुवी के चेहरे को अपने हाथों में थामते हुए बोला, “क्या सोचा था क्या नहीं... सब भूल जाओ... जस्ट टेल मी... यू वांट टू मैरी मी?”

ध्रुवी अपने गालों पर रखे आर्यन के हाथों को थामते हुए बोली, “यस ऑफ़कोर्स... आई वांट!”

आर्यन ध्रुवी की आँखों में देखते हुए बोला, “देन जस्ट फ़ॉरगेट इट ऑल... (एक पल रुककर)... और हम अपने सपने तो शादी के बाद भी पूरा कर सकते हैं ना... एक साथ... कदम से कदम मिलाकर चलते हुए... हम्मम?”

ध्रुवी नम आँखों से अपना सर हाँ में हिलाते हुए बोली, “हम्मम!”

आर्यन प्यार से ध्रुवी के आँसू साफ़ करते हुए बोला, “तुमने हमेशा अपने प्यार को प्रूफ़ किया है और निभाया भी है... अब बारी मेरी है... (ध्रुवी के माथे से अपना माथा टिकाते हुए)... एंड जस्ट बिलीव मी... सब ठीक हो जाएगा... सब... हूँह?”

ध्रुवी वापस आर्यन के गले लगते हुए बोली, “हाँ... बस हमेशा मेरे साथ यूँ ही रहना आर्यन... कभी मुझसे दूर मत जाना... कभी भी नहीं... मैं जी नहीं पाऊँगी तुम्हारे बिना... नहीं जी पाऊँगी!”

आर्यन ध्रुवी के बालों को चूमते हुए बोला, “मैं हूँ तुम्हारे साथ... हमेशा... हमेशा के लिए... और अपनी मोहब्बत के इस सफ़र को हम कल के कल ही मंज़िल देंगे!”

ध्रुवी आर्यन से अलग होकर थोड़ी असमंजसता से बोली, “मगर आर्यन कल...”

आर्यन नेहा की बात को बीच में ही काटते हुए बोला, “अगर मंज़िल एक ही है तो सफ़र... हमसफ़र बनकर ही साथ क्यों ना तय किया जाए। और फिर क्या फ़र्क पड़ता है कि ये सफ़र कल शुरू हो या कुछ सालों बाद... (एक पल रुककर ध्रुवी का हाथ थामते हुए)... और फिर इन सब बातों से अलग... मैं भी कभी नहीं चाहूँगा कि किसी को भी हमारे रिश्ते या मोहब्बत पर उंगली उठाने या लांछन लगाने का मौक़ा मिले। इसीलिए मैं अब बस हम दोनों के रिश्ते को, अपनी मोहब्बत की मंज़िल को, ये आखिरी मुक़ाम देना चाहता हूँ। बस इसे पूरा करने के लिए मुझे तुम्हारा साथ चाहिए, क्योंकि तुम्हारे साथ के बिना ये मंज़िल और सफ़र दोनों ही बिल्कुल अधूरे और बेमानी हैं। तो इस आखिरी मंज़िल तक पहुँचने में और इस सफ़र को पूरा करने में (अपनी हथेली ध्रुवी की ओर बढ़ाकर)... क्या तुम दोगी मेरा साथ ध्रुवी?”

ध्रुवी भावुकता से आर्यन की ओर देखकर एक पल बाद अपना सर हाँ में हिलाकर उसकी हथेली पर अपना हाथ रखकर बोली, “हाँ... हाँ दूँगी मैं तुम्हारा साथ... ज़िंदगी भर... अपनी आखिरी साँस तक!”

ध्रुवी की हाँ सुनकर आर्यन ने खुशी भरी भावुकता से उसे वापस से कसकर अपने गले से लगा लिया। क्या वाकई में ध्रुवी और आर्यन की यहाँ से ज़िंदगी की एक नई शुरुआत होने वाली थी या फिर यहाँ से शुरुआत होनी थी ज़िंदगी की किसी अनदेखी अनजानी शतरंज की बिसात की, जो एक अनजाने तूफ़ान से पूरी बिसात को ना सिर्फ़ पलटने वाला था, बल्कि कई ज़िंदगियों को पूरी तरह शतरंज के प्यादों की तरह बिखेर कर रख देने वाला था!

 

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