ध्रुवी की हाँ सुनकर आर्यन ने खुशी भरी भावुकता से उसे वापस से कसकर अपने गले से लगा लिया। क्या वाकई में ध्रुवी और आर्यन की यहाँ से ज़िन्दगी की एक नई शुरुआत होने वाली थी? या फिर यहाँ से शुरुआत होनी थी ज़िन्दगी की किसी अनदेखी, अनजानी शतरंज की बिसात की? जो एक अनजाने तूफ़ान से पूरी बिसात को ना सिर्फ़ पलटने वाला था, बल्कि कई ज़िन्दगियों को पूरी तरह शतरंज के प्यादों की तरह बिखेर कर रख देने वाला था। ध्रुवी ने आर्यन से शादी के लिए हाँ कह दिया था। जिसे सुनकर आर्यन भी खुशी से भावुक हो उठा था। दूसरी तरफ प्रिया और दिशा भी कहीं ना कहीं आर्यन की बातें सुनकर खुश थीं। खुश थीं कि उनकी दोस्त ने, जिसके लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया, आख़िर में उसने भी उसका साथ दिया और बीच राह में उसका हाथ ना छोड़कर ज़िन्दगी भर उसके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ना सिर्फ़ तैयार था, बल्कि इस रिश्ते को निभाने के लिए दिल से निष्ठा थी उसमें। और यह भी कि कम से कम ध्रुवी ने जिसके लिए बिना सोचे एक पल में अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया था, उसने सारी हकीकत जानने के बाद भी, यह जानने के बाद भी कि ध्रुवी के पास अब सिवाय अपने नाम के, अपने पिता की दौलत और रुतबे के साथ ही अब उनका नाम तक भी उसके पास नहीं बचा था, और इस सबके बावजूद भी आर्यन ने उसका हाथ या साथ नहीं छोड़ा था। और अभी भी वह पूरी डिटरमिनेशन और सच्चाई के साथ ध्रुवी के लिए खड़ा था और हर हाल में उसका साथ निभाने के वादे कर रहा था।

 

इन्हीं कुछ बातों के साथ ही प्रिया और दिशा की गलतफ़हमी भी हमेशा के लिए दूर हो गई। क्योंकि कहीं ना कहीं उन्हें भी ऐसा लगता आया था कि आर्यन ध्रुवी के साथ शायद सिर्फ़ उसके नाम और रुतबे की वजह से ही है और जो सिर्फ़ ध्रुवी की मोहब्बत का फ़ायदा उठा रहा है। पर आज आर्यन के रवैये को देखकर ध्रुवी के साथ ही उन्हें भी यकीन हो चला था कि आर्यन से ज़्यादा कोई चाहने वाला और बेहतर जीवन साथी ध्रुवी के लिए कोई और हो ही नहीं सकता था। और इसी सोच को सोचते हुए प्रिया और दिशा का मन अपनी दोस्त ध्रुवी के भविष्य को लेकर काफ़ी हद तक चिन्तामुक्त हो चुका था। कुछ देर बाद ध्रुवी और आर्यन एक-दूसरे से अलग हुए तो प्रिया और दिशा ने आगे बढ़कर, खुश होते हुए, उन दोनों को उनकी आने वाली ज़िन्दगी के लिए ढेर सारी मुबारकबाद और दुआएँ दीं। जिसे सुनकर आर्यन और ध्रुवी के होंठों पर एक प्यार भरी मुस्कान तैर गई। कुछ देर और रुकने के बाद आख़िर में दिशा और प्रिया वहाँ से जाने लगे।

 

प्रिया (ध्रुवी के गले लगते हुए): “ठीक है फिर हम चलते हैं। अपना ध्यान रखना। हम्मम?”

ध्रुवी (अपना सर हाँ में हिलाते हुए): “हाँ!!”

दिशा (ध्रुवी के गले लगते हुए): “हाँ, और कोई भी टेंशन लेने की कोई ज़रूरत नहीं है। सब ठीक हो जाएगा। बस तुम कल की तैयारियों पर ध्यान दो!!”

ध्रुवी: “हाँ, लेकिन तुम लोग कुछ और देर रुक जाते तो अच्छा होता!!”

दिशा (ध्रुवी का हाथ थामे हुए ही): “रुक तो ज़रूर जाते, पर पापा की कॉल आ गई है दो बार। सॉरी, बट जाना पड़ेगा!!”

ध्रुवी: “इट्स ओके। तुम लोग जाओ!!”

प्रिया (मुस्कुरा कर): “हाँ, और डोंट वरी कल सुबह हम फिर से वापस यही आ जाएँगे। आख़िर तेरी शादी भी तो अटेंड करनी है ना। बाय गॉड, मैं तो खूब नाचने वाली हूँ जमकर!!”

दिशा: “नाच लेना मेरी माँ, लेकिन फ़िलहाल घर तो छोड़ दो मुझे!!”

प्रिया: “हाँ ठीक है तो चलो। मैंने कब मना किया?”

दिशा (ध्रुवी की ओर देखकर): “ओके ध्रुवी हम चलते हैं। और कोई भी काम या हेल्प की ज़रूरत हो तो जस्ट एक बार बोल देना। और बाकी फिर कल तो मिल ही रहे हैं हम लोग!!”

ध्रुवी (हौले से मुस्कुरा कर): “हाँ ज़रूर!!”

दिशा (आर्यन की ओर देखकर): “ध्यान रखना हमारी दोस्त का!!”

आर्यन (हौले से मुस्कुरा कर अपनी गर्दन हाँ में हिलाते हुए): “हम्मम!!”

प्रिया (आर्यन की ओर देखकर): “हम्मम, वरना अगर हमारी दोस्त को थोड़ी भी तकलीफ़ हुई तो बाकी लोग तो फिर भी बाद में आएंगे, पहले दिशा और मैं ही तुम्हारी अच्छे से बैंड बजा देंगे!!”

ध्रुवी (मुस्कुरा कर): “क्यों बेवजह डरा रही हो बिचारे को!!”

प्रिया (ध्रुवी की ओर देखकर अपनी भौंहें सिकोड़कर): “आई एम सीरियस ब्रो!!”

आर्यन (दिशा और प्रिया की ओर देखकर): "ओके मैम, मैं बहुत अच्छे से समझ गया आप दोनों की बात।" (ध्रुवी के काँधे पर हाथ रखते हुए) "और कभी भी आप दोनों की दोस्त को थोड़ी भी तकलीफ़ हो तो आप अपनी दोस्त से खुद पूछ सकती हैं। और अगर आपकी यह दोस्त मुझे थोड़ा भी कसूरवार ठहराती है..." (आर्यन की बात सुन ध्रुवी मुस्कुरा दी!!) “...तो जो भी सज़ा मुझे दी जाएगी, यकीनन मुझे मंज़ूर होगी!!”

प्रिया (लगभग चहकते हुए): “डील डन!!!”

दिशा: “हम्मम डन!!”

आर्यन (थोड़े गंभीर भाव से उन दोनों की ओर देखते हुए): "हम्मम..." (एक पल रुककर) “...एक चीज़ और है। दरअसल मैं नहीं चाहता कि अभी किसी को भी ध्रुवी और मेरी शादी के बारे में ज़्यादा पता चले। क्योंकि मैं नहीं चाहता कि हमारी लाइफ़ या प्यार में और प्रॉब्लम या अड़चन आए। इसीलिए जब तक हम दोनों की शादी नहीं हो जाती, मैं इस बात को सीक्रेट ही रखना चाहता हूँ और तुम लोगों से भी यही सेम उम्मीद करता हूँ कि प्लीज़ अभी यह बात बाहर ना जाए!!!”

प्रिया (आर्यन की ओर देखकर): “डोंट वरी, हम किसी से कुछ नहीं कहेंगे!!”

दिशा (ध्रुवी की ओर देखकर): “हाँ बस तुम नेहा और अपना ध्यान रखना!!”

आर्यन: “डोंट वरी, मैं इसका पूरा ख्याल रखूँगा!!!”

दिशा (मुस्कुरा कर): “हम्मम, हम चलते हैं अब। बाय!!”

ध्रुवी और आर्यन: “बाय!!!”

 

इसके बाद दिशा और प्रिया दोनों वहाँ से चली गईं। आर्यन ने उनके जाने के बाद दरवाज़ा लॉक किया और ध्रुवी को बैठने का कहकर खुद किचन में चला आया। ध्रुवी भी मगर उसके पीछे-पीछे चली आई और उन दोनों के लिए सैंडविच बनाने में उसकी हेल्प करने लगी। कुछ देर बाद दोनों ने एक साथ बैठकर सैंडविच खाए। उसके बाद आर्यन कपड़े चेंज करने रूम में चला गया और कुछ देर बाद अपने हाथ में अपनी टी-शर्ट और लोअर लेकर आया।

 

आर्यन (ध्रुवी की ओर अपने कपड़े बढ़ाकर): “लो चेंज कर लो तुम भी। एक्चुअली आज रात तो तुम्हें मेरे ही कपड़ों से काम चलाना होगा। फिर कल हम तुम्हारे लिए शॉपिंग कर लेंगे!!!”

ध्रुवी (आर्यन के हाथ से कपड़े लेते हुए): “इट्स ओके एंड थैंक्यू!!!”

आर्यन: “मोस्ट वेलकम। और अब जल्दी से चेंज करके आओ तुम। तब तक मैं हम दोनों के लिए एक बढ़िया सी कॉफ़ी बनाकर लेकर आता हूँ!!!”

ध्रुवी (अपना सर हाँ में हिलाते हुए): “हम्मम!!!”

 

कुछ देर बाद आर्यन कॉफ़ी बनाकर किचन से बाहर आया तो ध्रुवी को अपने ही ख्यालों में गुम पाया।

 

आर्यन (सोफ़े पर बैठी अपने ही ख्यालों में गुम ध्रुवी की ओर मग बढ़ाकर): “योर कॉफ़ी?”

ध्रुवी (हल्की सी मुस्कान के साथ कॉफ़ी का मग पकड़ते हुए): “थैंक्यू!”

आर्यन (अपनी कॉफ़ी का सिप लेते हुए): "हम्मम..." (एक पल सोचकर) “...क्या सोच रही हो?”

ध्रुवी (एक गहरी साँस लेकर): “बस यही कि कितनी खूबसूरत हो जाती ना ज़िन्दगी अगर हमने जैसे सोचा होता है वैसे ही कट जाती!!”

आर्यन: “हम्मम...शायद यही असल ज़िन्दगी है कि जो हम सोचते हैं, जो चाहते हैं, अक्सर वो कभी होता ही नहीं है!!”

ध्रुवी: “हम्मम शायद!!!”

 

कुछ देर यूँ ही बातें करने के बाद आख़िर में आर्यन ने ध्रुवी को आराम करने के लिए कहा और ध्रुवी ने भी बिना किसी ना-नुकुर के चुपचाप उसकी बात मान ली। आर्यन ध्रुवी को अपने कमरे में ले गया और उसे बेड पर लिटा दिया और कुछ देर बाद लाइट ऑफ़ करके वह कमरे से बाहर आ गया और खुद बाहर सोफ़े पर लेट गया। अपने फ़ोन में थोड़ी देर लगने के बाद आख़िर में वह भी सो गया। अगली सुबह जब आर्यन की नींद खुली तो ध्रुवी कॉफ़ी का मग थामे उसके सामने खड़ी थी। आर्यन ने उठते हुए मुस्कुरा कर उसके हाथ से कॉफ़ी का मग लिया और मुस्कुराते हुए प्यार से उसे गुड मॉर्निंग विश किया।

 

आर्यन (मुस्कुराते हुए प्यार से): “गुड मॉर्निंग माय लव!!”

ध्रुवी (मुस्कुरा कर जवाब देते हुए): “गुड मॉर्निंग!!”

आर्यन (ध्रुवी की ओर देखकर): “यकीनन इससे ज़्यादा खूबसूरत और प्यारी सुबह तो दूसरी कोई हो ही नहीं सकती कि सुबह आँखें खोलते ही तुम्हारा चेहरा सामने हो और तुम्हारे हाथ की कॉफ़ी पीने को मिले!!”

ध्रुवी (मुस्कुरा कर): “अगर ऐसी बात है तो अब से हर रोज़ तुम्हारी सुबह इतनी ही खूबसूरत और प्यारी होने वाली है!!”

आर्यन (मुस्कुरा कर): "आई होप सो।" (एक पल रुककर) "...आज के बाद हम दोनों की ज़िन्दगी पूरी तरह बदल जाएगी। यू नो, हमारी मोहब्बत को उसकी आख़िरी मंज़िल मिल जाएगी।" (खुशी भरी उत्सुकता के साथ) "यू नो व्हाट, मैं हमारी शादी को लेकर इतना ज़्यादा एक्साइटेड और खुश हूँ कि मैं तुम्हें बता भी नहीं सकता और मेरा तो मन कर रहा है कि मैं खुशी से नाच-नाच के पूरी पूरी दुनिया को बता दूँ कि फ़ाइनली हमारी शादी होने वाली है।" (एक्साइटेड होकर) “बाय गॉड, कहीं खुशी से कहीं पागल ही ना हो जाऊँ मैं!!”

ध्रुवी (फ़ीकी सी मुस्कान के साथ): “हम्मम!!”

आर्यन (खुश होकर ध्रुवी की ओर देखकर): “हाँ और तुम्हें पता है ध्रुवी कि...”

 

आर्यन कहते-कहते बीच में ही रुक गया जब उसने अचानक ही ध्रुवी के चेहरे पर आई गंभीरता और उदासी को महसूस किया।

 

आर्यन (ध्रुवी की ओर देखकर गंभीर भाव से): “क्या हुआ नेहा? किस सोच में डूब गई?”

ध्रुवी (अपना सर ना में हिलाते हुए बुझे मन से): “कुछ नहीं बस ऐसे ही!!!”

आर्यन (कॉफ़ी का मग नीचे रखकर ध्रुवी का हाथ थामते हुए): “जस्ट टेल मी व्हाट्स द प्रॉब्लम? तुम खुश तो हो ना इस फ़ैसले से ध्रुवी?”

ध्रुवी (आर्यन की ओर देखकर उदासी भरे लहजे से): "ऑफ़कोर्स मैं खुश हूँ आर्यन।" (एक पल बाद) "मैं तो सिर्फ़ इतना ही सोच रही थी कि कितना अच्छा होता ना आर्यन अगर डैड भी हमारे साथ हमारी खुशियों में शामिल होते और हमारे ज़िन्दगी के इतने बड़े दिन और खुशियों में हमें आशीर्वाद देने के लिए हमारे पास होते।" (मायूसी भरे लहजे से) “पर खैर छोड़ो यह सारी बातें!!”

आर्यन (प्यार से ध्रुवी का गाल छूकर): “मैं जानता हूँ कि आज तुम अपने डैड को बहुत मिस कर रही हो और मैं चाहूँ भी तो भी तुम्हारे इस स्पेशल दिन पर उनकी कमी को कभी भी पूरा नहीं कर पाऊँगा। बट आई प्रॉमिस, आई प्रॉमिस कि मैं ज़िन्दगी भर तुम्हें कभी भी कोई भी किसी भी तरह की कोई कमी नहीं होने दूँगा और हमेशा, हमेशा बस तुम्हें खुश रखूँगा और तुम्हें इतना प्यार दूँगा, इतना प्यार दूँगा कि तुम्हें उदास होने या मायूस होने का मौक़ा ही नहीं मिलेगा। आई प्रॉमिस देट!!”

ध्रुवी (मुस्कुरा कर प्यार से आर्यन का गाल छूकर): "तुम्हें मुझे कुछ भी कहने या एक्सप्लेन करने की कोई ज़रूरत नहीं है। आई नो कि तुम मुझे कितना चाहते हो।" (एक पल रुककर) “और बस जो भी हो जस्ट रिमेंबर देट आई लव यू एंड आई ऑलवेज़ लव यू!!!!”

आर्यन (मुस्कुरा कर): "आई लव यू टू।" (एक पल रुककर उत्सुकता से) "यू नो व्हाट ध्रुवी, मुझसे तो अब और सब्र ही नहीं हो रहा है। बस अब जल्दी से शाम हो जाए और बस हमारी शादी हो जाए और फिर देखना हम अपनी ज़िन्दगी में इतना खुश रहेंगे, इतना खुश, इतना खुश कि बस फिर कोई प्रॉब्लम कोई दुःख हमारे पास दूर-दूर तक भी नहीं भटकेगा।" (ध्रुवी की खिंचाई करते हुए) “और फिर बस मुझे अपनी ज़िन्दगी से और कुछ नहीं चाहिए सिवाय तुमसे 8-10 बच्चों के!!!”

ध्रुवी (अपनी आँखें बड़ी करते हुए): “8-10???”

आर्यन (ध्रुवी को छेड़ते हुए): “क्यों कम है??? ठीक है तुम जितने बोलो उतने सही फिर। 4-5 और ऐड कर लेंगे लिस्ट में। नो प्रॉबलम!!!”

ध्रुवी (आर्यन के काँधे पर प्लेफ़ुली मारते हुए): “जस्ट शटअप आर्यन, हमें क्रिकेट टीम थोड़ी बनानी है!!”

आर्यन (हँसकर ध्रुवी को अपने गले लगाते हुए): “अरे! रिलैक्स, बस मज़ाक कर रहा हूँ मैं!!”

ध्रुवी (मुस्कुरा कर): “आई नो!!”

आर्यन (ध्रुवी से अलग होते हुए): "हम्मम..." (एक पल रुककर) “...अच्छा हाँ अब तुम जल्दी से उठो और तैयार हो जाओ। पंडित जी से मेरी बात हुई थी। उन्होंने कहा है कि शाम 6:00 बजे का मुहूर्त बहुत अच्छा है तो तुम जल्दी से तैयार हो जाओ फिर हम जल्दी से शॉपिंग के लिए निकलते हैं। आख़िर अपनी शादी के लिए शॉपिंग भी तो करनी है ना अभी हमें। कितने सारे काम बाकी हैं अभी। जल्दी से तैयार हो जाओ बस तुम!!”

ध्रुवी (अपना सर हाँ में हिलाते हुए): “ठीक है। बस मैं दस मिनिट में तैयार होकर आई!!”

 

इसके बाद ध्रुवी वहाँ से उठकर नहाने के लिए चली गई और कुछ देर बाद दोनों ही तैयार होकर नाश्ता करने बैठे और नाश्ता करने के बाद दोनों घर से सीधा शॉपिंग करने के लिए निकल पड़े। अपनी आने वाली नई ज़िन्दगी को लेकर अपनी आँखों में ढेर सारे ख्वाबों को लिए, अपनी मंज़िल को पाने की चाह में बस दोनों चल पड़े, बस अपनी मन की बनाई राह पर। इस बात से बिलकुल बेखबर और अनजान कि आख़िर उनकी किस्मत में आगे लिखने वाले ने क्या लिखा है और क्या वाकई में उनकी किस्मत में जीत लिखी थी और देने वाली थी किस्मत उनका साथ या फिर मिलने वाली थी उन्हें उनकी ही किस्मत से मात।

 

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