आर्यन और ध्रुवी दोनों घर से सीधा शॉपिंग करने निकल पड़े। अपनी आने वाली नई ज़िंदगी को लेकर, अपनी आँखों में ढेर सारे ख़्वाबों को लिए, अपनी मंज़िल को पाने की चाह में, बस दोनों चल पड़े। बस अपनी मन की बनाई राह पर, इस बात से बिल्कुल बेख़बर और अनजान कि आखिर उनकी किस्मत में आगे लिखने वाले ने क्या लिखा है? और क्या वाकई में उनकी किस्मत में जीत लिखी थी? और देने वाली थी किस्मत उनका साथ? या फिर मिलने वाली थी उन्हें उनकी ही किस्मत से मात?

आर्यन और ध्रुवी दोनों मार्किट पहुँचे और अपनी ज़रूरत और बजट के अनुसार, आज के दिन के लिए अपनी शॉपिंग शुरू की। कुछ ही वक़्त में दोनों ने आज के लिए जितनी भी चीज़ों की ज़रूरत थी, उसकी शॉपिंग पूरी की। और अपनी शॉपिंग पूरी करने के बाद, आखिर में दोनों दोपहर को 2:00 बजे तक घर वापस आ गए। शादी के मुहूर्त में अब सिर्फ़ कुछ ही घंटे बचे थे।

फ़्रेश होने और खाना खाने के बाद ध्रुवी को दिशा और प्रिया की कॉल आई और उसने कुछ देर दोनों से बात की। इसके बाद आर्यन ने अपने हाथों से ध्रुवी के हाथों पर सिंपल गोल चंदा वाली मेंहदी लगा दी, जिसे देखकर ध्रुवी भावुक हो उठी।

आर्यन (ध्रुवी को छेड़ते हुए): “यार अब इतनी बुरी मेंहदी भी नहीं लगाई मैंने जो तुम रोने लगी हो!”

ध्रुवी (नम आँखों से मुस्कुराकर): “ऐसी कोई बात नहीं है!”

आर्यन (गंभीर भाव से): “जानता हूँ...ये शादी...ये सारी रस्में...तुम्हारी सोच और उम्मीदों पर बिल्कुल खरी नहीं उतरती...लेकिन ध्रुवी मैं...”

ध्रुवी (आर्यन की बात को बीच में ही काटते हुए): “और तुमसे किसने कहा कि मुझे ये रस्में और शादी स्पेशल फ़ील नहीं करा रहे? (एक पल रुक कर) ठीक कहा तुमने... मेरे लिए ये सब रस्में मेरी उम्मीदों से बिल्कुल परे हैं क्योंकि इन रस्मों को निभाने के लिए मेरा आर्यन सिर्फ़ मेरे साथ नहीं है, बल्कि मेरे लिए खुद उन रस्मों को निभा रहा है। और फिर ये रस्में, रीति-रिवाज सब नाम के लिए होते हैं। असल बात जिससे फ़र्क पड़ता है वो होता है आपका हमसफ़र, जिसके साथ आपको अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ारनी है। और मेरे लिए मेरा हमसफ़र वो है जिसे मेरा दिल, मेरी रूह, मेरा रोम-रोम चाहता है। तो ये शादी सिर्फ़ मेरे लिए ख़ास नहीं, बल्कि मेरी ज़िंदगी की सबसे ख़ूबसूरत और अहम खुशी है जिसे मैं अपनी ज़िंदगी कुर्बान करके भी नहीं खो सकती!”

आर्यन (ध्रुवी के माथे को चूमते हुए): “खुद तो इमोशनल होती ही है, मुझे भी साथ में कर देती है। आई लव यू...यू इडियट!!!”

ध्रुवी (नम आँखों से मुस्कुराते हुए): “लव यू टू!”

आर्यन (ध्रुवी के गाल पर प्यार से अपनी हथेली रखकर): “ठीक है...तुम अब रेस्ट करो और टाइम से रेडी हो जाना!”

ध्रुवी (आर्यन की ओर देखकर): “तुम कहीं जा रहे हो क्या?”

आर्यन (अपना सर हाँ में हिलाते हुए): “हाँ दरअसल पंडित जी ने हमारी शादी की पूजा के लिए कुछ ज़रूरी सामान बताया है, तो मुझे मिहिर के साथ उसकी शॉपिंग करनी है और तुम्हारे लिए एक सरप्राइज़ भी है!”

ध्रुवी: “लेकिन आर्यन...”

आर्यन (ध्रुवी का चेहरा अपने हाथों में थामते हुए): “कुछ लेकिन-वेकिन नहीं! (एक पल रुक कर) मैं जानता हूँ ध्रुवी...ये शादी...ये सारी तैयारियाँ...कुछ भी वैसे नहीं है जैसा तुमने अपनी शादी के लिए सोचा था!!!”

ध्रुवी (अपने चेहरे पर रखे आर्यन के हाथों को थामते हुए): “अभी मैंने कुछ देर पहले तुमसे क्या कहा आर्यन...कि भले ही ये सारी तैयारियाँ...ये रस्में...ये शादी वैसी ना हो जैसा मैंने कभी अपनी नादानी में सोचा था...लेकिन इन रस्मों को निभाने के लिए तुम मेरे साथ हो...मेरे लिए यही सबसे अहम भी है!”

आर्यन (मुस्कुराकर): “जानता हूँ...एंड दैट्स द रीज़न...दैट आई लव यू सो मच...लेकिन फिर भी मैं अपनी तरफ़ से तुम्हारे लिए कुछ करना चाहता हूँ। (ध्रुवी को बोलने की कोशिश करते देख) और प्लीज़ तुम इस बारे में बीच में कुछ भी नहीं बोलोगी...आफ्टर ऑल ये मेरा हक़ है और इसमें मेरी खुशी भी है...तो तुम इस मामले में कुछ भी नहीं कहोगी...कुछ भी नहीं...समझी!!!”

ध्रुवी (लगभग हार मानते हुए मुस्कुराकर): “अच्छा बाबा ठीक है...लेकिन जल्दी वापस आना...कहीं तुम्हारे सरप्राइज़ के चक्कर में हमारी शादी का मुहूर्त ही ना निकल जाए और मैं बस बैठी तुम्हारा इंतज़ार ही करती रह जाऊँ!”

आर्यन (हल्के से हंसकर): “डोंट वरी...मिस ध्रुवी अब मेरे पास भागने का कोई ऑप्शन बचा ही नहीं है जहाँ मैं भाग कर जा पाऊँ!!!”

ध्रुवी (आर्यन की बात सुनकर मुस्कुराकर): “हम्मम...लेकिन बाय चांस तुम कहीं चले भी गए तो तुम्हें काँधे पर डालकर उठाकर वापस यहीं ले आऊँगी!”

आर्यन (हँसकर): “तभी बस यही सोचकर कहीं नहीं भागता मैं! (आर्यन की बात सुनकर ध्रुवी जवाब में बस मुस्कुरा दी) ओके मैं बस यूँ गया और यूँ वापस आया, तब तक तुम रेडी हो जाना...ओके??!!!”

ध्रुवी: “हम्मम बाकी सब तो ठीक है... (एक्साइटेड होकर) मगर ये तो बताते जाओ कि सरप्राइज़ क्या है आखिर?”

आर्यन (प्लेफुली ध्रुवी की नाक पकड़ते हुए): “हैव सम पेशेंस मैम...कहा ना सरप्राइज़ है तो अभी नहीं बता सकता! (ध्रुवी को मुँह लटकाते देख) डोंट वरी शाम को पता चल जाएगा...अब मूड ठीक करो!”

ध्रुवी (मुस्कुराकर): “ओके...मुझे इंतज़ार रहेगा!”

आर्यन: “और हाँ जब तक मैं आता हूँ तुम रेडी रहना!”

ध्रुवी (मुस्कुराकर अपनी गर्दन हाँ में हिलाते हुए): “हम्मम ओके...और जल्दी आना...और हाँ ध्यान से जाना!!!”

आर्यन (अपनी पलकें झपकाते हुए): “हाँ ओके...और तुम भी ध्यान रखना...मिलता हूँ बस जल्दी... (ध्रुवी के माथे को चूमते हुए)...बाय!!!”

ध्रुवी (मुस्कुराकर): “बाय!!”

इसके बाद आर्यन घर से बाहर निकल गया। और आर्यन के जाने के कुछ देर बाद ध्रुवी ने अपने हाथों पर रची मेंहदी को हटाया और फिर उसने हिम्मत करके एक आखिरी कोशिश करते हुए अपने फ़ोन से अपने डैड का नंबर डायल किया और फ़ोन स्पीकर पर डाल दिया। लेकिन शायद उसकी किस्मत में यही लिखा था कि आज उसका उसके डैड से कोई राब्ता ही ना हो पाए। ध्रुवी ने नंबर तो डायल किया लेकिन उसके डैड का नंबर बंद था। ध्रुवी ने दिशा के पापा और मि. सिंघानिया के मैनेजर को भी कॉल की लेकिन उनका फ़ोन भी बंद आ रहा था। तब ध्रुवी को अचानक याद आया कि कल दिशा ने बताया था कि उसके पापा और मि. सिंघानिया न्यूयॉर्क जाने वाले हैं और ये याद आते ही ध्रुवी की आखिरी उम्मीद भी टूट गई थी।

ध्रुवी (चेहरे पर मायूसी भरे भाव से): “जैसा कि दिशा ने कहा था...तो क्या डैड सच में न्यूयॉर्क चले गए...मुझसे मिले बिना...मुझे बताए बिना...क्या सच में डैड मेरी शादी में शामिल नहीं होंगे!!!!”

ध्रुवी यही सब बातें सोचते-सोचते भावुक हो उठी। लेकिन कुछ पल बाद उसे अचानक कुछ सूझा और उसने झट से अपना मोबाइल फ़ोन उठाकर उसमें अपने डैड को मैसेज टाइप करना शुरू कर दिया।

ध्रुवी (अपने डैड को मैसेज टाइप करते हुए): “डैड जानती हूँ आप मुझसे नाराज़ हैं और इतना नाराज़ कि शायद मेरे मनाने से भी ना मानें। मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए डैड सिवाय आपके आशीर्वाद के। आज शाम को आर्यन और मैं राम मंदिर में शादी कर रहे हैं। बस अपनी बेटी को आशीर्वाद देने आ जाएँगे अगर...तो आपका ये एहसान कभी नहीं भूलूँगी मैं और फिर कभी ज़िंदगी में आपसे दुबारा कभी कुछ भी नहीं माँगूँगी। प्लीज़ डैड...प्लीज़!!!”

आपकी ध्रुवी!!!

अपने डैड को मैसेज करने के बाद काफ़ी देर तक ध्रुवी अपने फ़ोन को यूँ ही देखती रही कि शायद उसके डैड का कोई तो जवाब आए। लेकिन अफ़सोस कोई जवाब नहीं आया और आखिर में ध्रुवी ने उम्मीद छोड़ दी और नम आँखों से अपना फ़ोन बेड पर पटक दिया। तभी अचानक उसे आर्यन की कॉल आई और उसने ध्रुवी को बस घर जल्दी आने के लिए बोला और ध्रुवी को तब तक तैयार रहने के लिए कहा। आर्यन से बात करने के कुछ देर बाद ध्रुवी ने अपने सारे ख़्यालों और उदासी को आर्यन की खुशी के लिए झटक दिया और फिर उसने अपनी आज खरीदी हुई सिल्क की रेड एंड गोल्डन साड़ी को बेड से उठाया और तैयार होने के लिए बाथरूम की ओर चली गई।

ध्रुवी बाथरूम से बाहर आई, तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई। ध्रुवी ने जाकर दरवाज़ा खोला तो सामने प्रिया और दिशा उन दोनों के लिए जयमाला लिए आ पहुँची थीं। ध्रुवी ने उन्हें अंदर लिया और वापस से दरवाज़ा बंद किया। इसके बाद प्रिया और दिशा ने मिलकर ध्रुवी को तैयार किया और कुछ ही देर में ध्रुवी बिल्कुल तैयार हो चुकी थी और सिंपल से लुक में भी बहुत प्यारी और ख़ूबसूरत लग रही थी। दिशा और प्रिया ने उसे दुल्हन बन देखा तो उसकी बलाएँ लेते हुए उसकी भर-भर के तारीफ़ें करने लगीं। सिंपल सी शादी थी इसलिए आर्यन और ध्रुवी दोनों ने ही ज़्यादा तामझाम ना करते हुए अपने कपड़े भी सिंपल और कम्फ़र्टेबल ही रखे थे। ध्रुवी जब तक पूरी तैयार हुई तब तक 4 बज चुके थे। इसके बाद ध्रुवी ने आर्यन को कॉल किया।

ध्रुवी: “कहाँ हो आर्यन तुम???...4 बज चुके हैं??”

आर्यन: “हाँ मुझे थोड़ा लेट हो गया...एक काम करो तुम मुझे सीधा मंदिर ही मिलो...मैं सीधा वहीं पहुँच जाऊँगा...तुम मैनेज कर लोगी ना??”

ध्रुवी: “हाँ वो तो कोई प्रॉब्लम नहीं है...प्रिया और दिशा आ चुके हैं...मैं उनके साथ आ जाऊँगी...लेकिन तुम रेडी कैसे होगे वहाँ??”

आर्यन: “वो सब मैं मैनेज कर लूँगा...तुम बस आराम से पहुँचो वहाँ!!”

ध्रुवी (अपना सर हाँ में हिलाते हुए): “हम्मम...ओके!!!”

आर्यन: “ओके बाय...मिलते हैं मंदिर में ही!!”

ध्रुवी: “हम्मम...बाय एंड टेक केयर!!”

आर्यन: “या...एंड यू टू!!!”

इसके बाद ध्रुवी ने कॉल कट कर दी और फिर उसने आर्यन के कपड़े और कुछ ज़रूरी सामान को एक बैग में डाला और फिर घर को लॉक करके वो कुछ देर बाद ही प्रिया और दिशा को साथ लेकर उनके साथ ही सीधा मंदिर के लिए निकल गई। मंदिर पहुँचते-पहुँचते उन लोगों को साढ़े चार से ज़्यादा बज चुके थे। मंदिर पहुँचने के बाद ध्रुवी ने आर्यन को एक बार फिर कॉल की।

ध्रुवी (आर्यन के फ़ोन उठाने के बाद): “हैलो कहाँ हो तुम आर्यन??...हम लोग मंदिर पहुँच चुके हैं...तुम कब तक आओगे???”

आर्यन: “हाँ मैं भी बस यहाँ से निकल चुका हूँ और थोड़ी ही देर में मंदिर पहुँच जाऊँगा!!”

ध्रुवी: “ठीक है जल्दी से आओ...और ध्यान से आना!!”

आर्यन: “हाँ ठीक है...आता हूँ बस!!!”

इतना कहकर आर्यन फ़ोन काट देता है और ध्रुवी दिशा और प्रिया के साथ वहीं मंदिर में बैठकर बेसब्री से आर्यन के आने का इंतज़ार करने लगती है। देखते ही देखते साढ़े चार से पाँच, पाँच से सवा पाँच और सवा पाँच से छह बजने को आए थे लेकिन आर्यन अभी तक भी मंदिर नहीं पहुँचा था और हर बढ़ते पल के साथ ही ध्रुवी की परेशानियाँ और टेंशन हद से ज़्यादा बढ़ती ही जा रही थी। और पंडित जी भी अब ध्रुवी से बार-बार मुहूर्त निकलने की बात कह रहे थे और वो बार-बार उन्हें बस कुछ देर और रुकने के लिए कहती है। मगर अंदर ही अंदर हर बढ़ते पल के साथ उसकी बेचैनी और घबराहट बस बढ़ती ही जा रही थी और इसी के साथ उसके चेहरे पर उभरे परेशानी और टेंशन के भाव और भी ज़्यादा बढ़कर गहरे होते जा रहे थे!!!!

ध्रुवी ना जाने कब से और कितनी बार बस लगातार आर्यन को फ़ोन लगाने की कोशिश कर रही थी मगर उसका फ़ोन बंद आ रहा था और ध्रुवी की सारी कोशिशें बस बेकार ही जा रही थीं। मगर फिर भी ध्रुवी बेचैनी से इधर से उधर टहलते हुए बार-बार आर्यन को कॉल करने की, उससे बात करने की नाकाम कोशिश करती ही जा रही थी। लेकिन उसके हाथों सिवाय नाकामयाबी के और कुछ नहीं लगा। अब छह बज चुके थे और फिर देखते ही देखते साढ़े छह बज चुके थे लेकिन आर्यन का अभी तक कुछ भी अता-पता नहीं था। क्योंकि शुभ मुहूर्त निकल चुका था और अब शादी होना संभव नहीं था इसलिए पंडित जी ने ध्रुवी से आज शादी ना होने की बात कह दी और वहाँ से चले गए। ध्रुवी बुझे और मायूसी भरे भाव के चेहरे और कदमों से वहीं मंदिर की सीढ़ियों पर रुआँसी सी बैठ गई और दिशा और प्रिया लगातार उसे बस सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे।

दिशा (ध्रुवी को सांत्वना देते हुए): “तू फ़िक्र मत कर ध्रुवी...यक़ीनन आर्यन किसी ज़रूरी काम में फँस गया होगा या फिर कोई इमरजेंसी आ गई होगी तभी वह अब तक यहाँ नहीं पहुँचा है वरना अब तक आर्यन यहाँ कब का आ जाता और वो इतना गैर-ज़िम्मेदार नहीं है...ज़रूर कुछ तो बड़ी बात हुई है!”

प्रिया (संजीदगी भरे भाव से): “और यह भी तो हो सकता है ना कि वो यहाँ आना ही नहीं चाहता हो! (प्रिया की बात सुनकर ध्रुवी ने अपनी सवालिया नज़रें उठाकर प्रिया की ओर देखा!) देख ध्रुवी सच कड़वा ज़रूर होता है लेकिन सच...सच ही होता है...आर्यन ने जब तुझे और तेरे प्यार को एक्सेप्ट किया था तो तू ध्रुवी सिंघानिया थी...तेरे पास पूरी दुनिया जहाँ की दौलत, रुतबा और शोहरत थी...लेकिन आज तू सिर्फ़ ध्रुवी है और तेरे नाम के सिवा फ़िलहाल तेरे पास कुछ भी नहीं है...तो हो सकता है कि उसका प्यार भी इस बदलते वक़्त के साथ ना टिक पाया हो और इस एन मौके पर उसे इस बात का एहसास हुआ हो और उसने अपने कदम पीछे ले लिए हों!”

ध्रुवी (प्रिया की ओर देखकर अपने आँसू पोछते हुए): “पूरी दुनिया तो क्या...अगर ईश्वर भी खुद आकर अगर मुझे ये बात कहे कि आर्यन ने मुझे धोखा दिया या बीच राह में वो मेरा साथ छोड़कर चला गया...तब भी मैं इस बात को कभी नहीं मानूँगी...कभी भी नहीं...बिकॉज़ आई नो...आई नो दैट कि मेरे आर्यन का प्यार सच्चा है और वो भी मुझे इतना ही चाहता है जितना कि मैं उसे! (एक पल रुककर) मैं नहीं जानती...नहीं जानती कि वो आज यहाँ क्यों नहीं आया...मगर मैं इतना ज़रूर जानती हूँ कि वो मुझे धोखा कभी नहीं दे सकता...कभी भी नहीं...तो आइंदा ऐसी बात दोबारा फिर कभी अपनी जुबान पर भी मत लाना वरना मुझसे बुरा कोई भी नहीं होगा और रही बात भरोसे की तो मुझे खुद से ज़्यादा भरोसा है अपने आर्यन पर!!!”

प्रिया (एक्सप्लेन करने की कोशिश करते हुए): “ध्रुवी मैं तेरा दिल बिल्कुल भी नहीं दुखाना चाहती थी...मैं तो बस...”

ध्रुवी (अपनी हथेली दिखाकर प्रिया को बीच में ही टोकते हुए): “तुम लोगों को भी देर हो रही होगी...आई थिंक तुम्हें घर वापस जाना चाहिए!!”

दिशा: “लेकिन ध्रुवी तू इस वक़्त ऐसे अकेले...”

ध्रुवी (बीच में ही बात काटते हुए): “मैं बिल्कुल ठीक हूँ और मुझे कुछ देर अकेले रहना है!!!”

प्रिया: “लेकिन ध्रुवी...”

ध्रुवी (खड़े होकर अपनी नज़रें फेरते हुए): “प्लीज़...लीव मी अलोन!!”

ध्रुवी की बात सुनकर दिशा और प्रिया ने एक नज़र एक दूसरे की ओर देखा और उसकी बात सुनने के बाद आखिर में दोनों ने ही उससे आगे और कोई बहस नहीं की और उसे खुद का ख्याल रखने का कहकर आखिर में दोनों वहाँ से चले गए। और उनके जाने के बाद एक बार फिर ध्रुवी ने अपनी नम आँखों से अपना फ़ोन उठाया और एक बार फिर आर्यन को कॉल करने की कोशिश की। लेकिन हर बार की तरह ही इस बार भी उसे मायूसी ही हाथ लगी और अभी भी आर्यन का फ़ोन लगातार ऑफ ही आ रहा था। ये देखकर आखिर में ध्रुवी के सब्र का बाँध टूट गया और वो धम्म से वापस वहीं सीढ़ियों पर बैठ गई और इसी के साथ उसकी आँखों से झर-झर बिना रुके आँसू बह निकले और उसने अपने घुटनों के बीच अपना चेहरा छुपा लिया और कुछ पल में ही देखते ही देखते ध्रुवी बेतहाशा सिसक पड़ी!!!!

 

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