मीरा एयरपोर्ट की ओर जाने वाली कार में बैठी हुई थी, आंखे रो रोकर लाल हो गई थी...आज का दिन शायद उसकी जिंदगी के सबसे बुरे दिनों में से एक था...इधर पांच साल से ज्‍यादा समय में मीरा ने इतने खराब से खराब दिन देख लिए कि अब ऐसे हादसों से उसका कोई रिश्‍ता सा बन गया था। 

उसकी शादी का टूटना, अनुज और अनन्‍या का रहस्‍यमई रिश्‍ता जिसे वह आज तक नहीं समझ पाई थी, नैना और अपने पिता का नाजायज रिश्‍ता, ऑफिस के कुछ छोटे मोटे हादसे, निहारिका मैडम का दिमागी रूप से भयानक शॉक लगना, जिससे वे आज तक नहीं उबर पाई थी, रजनीश का कत्‍ल और मारिया का आत्‍महत्‍या करना। रजनीश और मारिया का खून से सना हुआ चेहरा और शरीर मीरा की आंखो के सामने से हट नहीं रहे थे।

जगमग करती मुंबई की सड़के, अपने में मस्‍त होकर झूमते युवा जोडे़...बीच-बीच में कहीं दूर से दिखने वाला किसी फिल्‍मी सितारे का घर भी मीरा की तकलीफ को कम नहीं कर पा रहे थे। सड़क से गुजरते हुए वो मुंबई को देख रही थी...शायद आखिरी बार, कितनी ही यादें यहां से जुड़ी हुई थी...इसे ऐसे छोड़कर जान पड़ेगा, यह मीरा ने सोचा ही नहीं था। अब चीजें बदल गई थी, अब मुंबई  में उसे घुटन सी होने लगी थी…जब से राघव दोबारा उसकी जिंदगी में आया, भारी हलचल और तूफान मचाकर चला गया।

क्‍या उसका आना अच्‍छा था यह नहीं? अगर वह उस दिन शोरूम में नहीं मिला होता तो कितना अच्‍छा होता...वह चुपचाप एक नार्मल लाइफ जी रही होती - घर से ऑफिस और ऑफिस से घर...राघव से मिलने के बाद कितना कुछ घटित हो गया...सबकुछ पहले जैसा रहा ही नहीं। मुंबई आने के बाद एक के बाद एक हादसे होने लगे, इसी बीच वह आर्यन भी मिल गया। 

आर्यन का ध्‍यान आते ही मीरा के चेहरे पर बेबसी और अफसोस के भाव उभर आए...वह मुझे जरूर ढूंढने आएंगे, मैं भी कितनी सेलफिश हूं, उसके बारे में कोई खोजखबर लेने की कोशिश भी नहीं की…वह क्‍या सोचेगा कि मेरे एक आदमी का एक्‍सीडेंट हो गया…ऐसे समय में मैं यहां रहकर कम से कम आर्यन का इंतजार तो कर ही सकती थी पर मैं उसे बिना बताए जा रही हूं। मेरा जाना बहुत जरूरी है, मारिया के कहे मुताबिक चीफ मुझ तक भी पहुंच सकता है। 

बेचारी मारिया को न चाहते हुए भी ऐसी मौत चुननी पड़ी, अगर मारिया थोड़ा वेट कर लेती तो शायद आर्यन उसकी मदद कर सकता था, लेकिन मारिया को तो किसी पर भी भरोसा नहीं था। 

आर्यन जैसा आदमी मेरा पीछा कहां छोड़ने वाला है, क्‍या पता वह आ ही जाए..? मुझसे कई सवाल करे, तो मैं क्‍या जवाब दूंगी...मैं मुंबई में नहीं रहना चाहती....मेरी मरजी मैं जो चाहे वो करूंगी, मैं उसकी नौकर और उसकी गुलाम नहीं हूं, मैं आर्यन को वजह नहीं बता सकती…मारिया ने साफ मना किया है...वह चाहे जो भी हो...क्‍या पता आर्यन और चीफ एक दूसरे को जानते हों? ये दोनों ही तो बहुत बड़े बिजनेसमैन हैं।

टैक्‍सी वाले ने कार एयरपोर्ट के बाहर रोकते हुए कहा, ‘’मैडम एयरपोर्ट आ गया..’’ 

मीरा अपनी सोच से बाहर निकली और कार से उतरकर अपना सामान ट्राली पर रखकर टैक्‍सी वाले को पैसे दिए और अंदर की ओर चली गई। अंदर जाने से पहले मीरा ने यूं ही एक बार पलटकर देखा...पता नहीं फिर कब मुंबई वापस आना हो? सोचकर मीरा चारों ओर निहारने लगी..तभी अचानक मीरा को लगा कि उसने आर्यन के एक मुख्‍य बॉडीगार्ड को देखा, वह बॉडीगार्ड अक्‍सर ही आर्यन के साथ रहता है। क्‍या आर्यन ने मेरे पीछे अपने आदमी लगा रखे हैं? और क्‍या कारण है कि उसका एक खास आदमी यहां पर है? आर्यन ने जरूर मेरे पीछे किसी को लगाया होगा...यह कितना शक्‍की आदमी है, न जाने कैसे मुझे ऐसा आदमी पसंद भी आ गया? अच्‍छा है...वह मेरे पीछे-पीछे आए...सोचकर मीरा ने एक उड़ती नजर उस बॉडीगार्ड पर डाली और अंदर चेकिंग के लिए चली गई। 

मीरा की फलाइट डेढ़ घंटे बाद थी...वह मारिया के दिए हुए दोनों एड्रेस देखने लगी- एक एड्रेस तो मारिया के घर का था जिसे उसने मीरा को रहने के लिए दिया था, वैसे मीरा को दिल्‍ली में रहने के लिए रिश्‍तेदारों के घरों की कमी नहीं थी, उसके अपने ढेर सारे दोस्‍त थे…अगर उन्‍हें पता चलता तो वे मीरा को अपने घर पर रहने के लिए बुलाते...और दिल्‍ली से सटे नोएडा में भी मीरा का अपना घर था...पर उसके वहां जाने का मतलब था कि उसके सारे प्‍लान पर पानी फिर जाना...वह जिस काम के लिए जा रही थी उसे सीक्रेट रखना बहुत जरूरी था...ऐसा केवल मारिया के घर पर रहकर ही पॉसिबल होता...दूसरा एड्रेस चीफ की उस दिवंगत गलफ्रेंड का था जिसके घर में शायद चीफ से जुड़ी हुई चीजें मिल सकती थी। 

फ्लाइट रात के दो बजे टेकऑफ हुई...मीरा को अभी भी शक हो रहा था कि कहीं आर्यन का कोई आदमी मेरा पीछा तो नहीं कर रहा है, अपना शक दूर करने के लिए उसने उड़ते हुए प्‍लेन में वॉशरूम जाने के बहाने दो तीन बार पूरे प्‍लेन में बैठे यात्रियों को ध्‍यान से देखा...कोई भी ऐसा नहीं दिखा जिस पर शक किया जा सके...ज्‍यादातर सभी फैमिली वाले ही थे। 

हो सकता है कि उसे पता होगा मैं दिल्‍ली में लैंड करूंगी...तो वहां से मेरा पीछा करवाए...उसकी जो मरजी हो करवाए। मैं उसके बारे में सोच ही क्‍यों रही हूं..? वो मेरी प्राथमिकता नहीं है, वो जब मुझसे मिलेगा तो मिलेगा...जो कहना होगा कहेगा..अभी तो मुझे मारिया का काम करना है। 

जिस समय अभिजीत ने मीरा को एयरपोर्ट पर देखा था उसी समय चीफ और अभिजीत की बातें चल रही थी…चीफ, अभिजीत से कह रहा था...क्‍या  बकवास कर रहे हो.? इतनी रात को मीरा वहां एयरपोर्ट पर क्‍या कर रही है? तुम्‍हारी आंखो को जरूर कोई धोखा हुआ है, वह कोई और होगी। अपने आदमियों से कहो कि वे मीरा के घर पर जाकर पता करें, सर मैंने पता करवा लिया, मीरा के पड़ोसी ने बताया कि मीरा बहुत जल्‍दी में थी और जैसे तैसे जरूरी सामान बांधा और चाबी पड़ोसी को देकर निकल गई।‘’ 

अभी थोड़ी देर पहले जो चीफ एकदम टेंशन फ्री और मस्‍त लग रहा था अब अचानक से ही टेंशन में आ गया था।

‘कहां गई है वह...कुछ पता चला..?’ 

इधर से अभिजीत ने कहा, ‘’नहीं सर, हम तो एयरपोर्ट के बाहर हैं, वह अंदर चली गई...मुझे ऐसा लग रहा है कि शायद उसने मुझे देख लिया है।‘’ 

चीफ ने कहा, ‘’कोई बात नहीं...यह कोई टेंशन लेने वाली बात नहीं है वैसे भी वह शायद तुम्‍हें नहीं पहचानती, ऐसा करो मारिया को ढूंढो और निकलो वहां से….वह कहां गई है, मैं एयरपोर्ट की सीसीटीवी फुटेज से पता करवा लूंगा।‘’ 

चीफ ने फोन रखते हुए कहा, ‘’मैं वैसे ही इतना परेशान हूं यह लड़की मुझे और भी ज्‍यादा परेशान कर रही है। 

युग समझ गया था कि मीरा अब चीफ की कमजोरी बन चुकी है। 

वहीं नैना को चकमा देकर राघव अपने परिवार से मिलकर वापस जतिन के पास आ गया था…रात के समय वह जतिन के घर में था। जतिन और राघव को अब बलवंत के घर जाना था...वहां डिनर का प्रोग्राम था।

राघव एकदम रेडी होकर बैठा था और जतिन एक जरूरी काम निपटा रहा था उसे थोड़ी देर का काम और करना था, राघव ने वही पीला कुर्ता और पायजामा पहना था जो उसने अपने घर में घुसने के बाद अपने परिवार से मिलने से पहले जल्‍दी से पहन लिया था। उसके चेहरे पर खुशी और संतुष्‍टी के भाव थे। अभी थोड़ी देर पहले ही जतिन और राघव ने कबीर और रेयांश से बात की, वे भी एकदम ठीक थे और उन दोनों ने स्‍कूल में और भी नए नए फ्रेंड बना लिए थे। 

उसने लैपटॉप पर काम कर रहे जतिन से पूछा, ‘’अब आगे का क्‍या प्‍लान है?‘’

प्‍लान तो वही है, जो हमने सोचा था, हमारा पहला प्‍लान तो सक्‍सेसफुल हो गया...अभी तक तो किसी को शक भी नहीं हुआ कि सुमेधा का अपहरण करवाने में हमारा ही हाथ था। 

राघव ने कहा, ‘’अगर कभी किसी को पता चल गया तो..? बलवंत सिंह तुम्‍हारा क्‍या हाल करेगा तुम्‍हें पता भी है?‘’ 

‘’उसे कभी पता नहीं चल सकता, उसे केवल अपनी बेटी से मतलब है। सुमेधा के किडनैप होने में हमारा हाथ है अगर यह बलवंत जान भी जाता है तो भी वह हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता, क्‍योंकि मैं उसके बारे में बहुत कुछ जान गया हूं, उसकी कमजोर कड़ी मेरे हाथ लग गई है। अगर उसने कुछ भी किया तो उसे पता है कि उसका राजनीति कैरियर चौपट हो जाएगा और उसके बेटों का भी राजनीति में आने का ख्‍वाब बस ख्‍वाब ही रह जाएगा...भले ही उसके दोनों बेटों को राजनीति में कोई रूचि न हो पर इसके अलावा उनके पास कोई चारा भी तो नहीं है...बलवंत सिंह भले ही अपने बेटों से चिढ़ता है पर बाप होने के नाते उनके लिए उनका भविष्‍य भी बना रहा है।‘’

राघव ने कुछ सोचते हुए कहा, ’’पर फिर भी मुझे यह ठीक नहीं लग रहा है, तुम जानते हो जतिन मैं मीरा के बाद किसी और लड़की को प्‍यार नहीं कर सकता...शादी तो कतई नहीं निभा पाउंगा....इतने सालों में मीरा मेरे दिलों दिमाग से नहीं निकल पाई है...मैं लाख कोशिश कर लूं फिर भी।‘’ 

जतिन ने अपना लैपटॉप बंद कर दिया और राघव के पास आकर बैठ गया...तुम्‍हें कौन सा सुमेधा से सच में प्‍यार करना है? केवल प्‍यार करने का नाटक करना है, उसके करीब जाना है, इतना करीब कि वह तुम्‍हें अपना सबकुछ मान बैठे और बलवंत सिंह की कुछ बहुत प्राइवेट जानकारी हमें दिला सके।‘

‘’और अगर वह ऐसा नहीं कर पाई तो?‘’ राघव ने आशंकित होते हुए कहा। 

‘’वह कर लेगी...क्‍योंकि एक वही है जिसके जरिए हम बलवंत तक पहुंच सकते हैं और जहां तक मुझे लगता है वह तुम से इम्‍प्रेस हो गई है...बलवंत भी तुम से बेहद खुश है। इस मौके को हाथ से मत जाने दो, क्‍या पता प्‍यार का नाटक करते-करते तुम्‍हें फिर से प्‍यार हो ही जाए..?’

राघव ने ना में सिर हिलाते हुए कहा, ‘’ऐसा पॉसिबल नहीं है, वह प्‍यार तो मुझे हो चुका है जतिन...अब लड़कियां तो मुझे अच्‍छी लगती है पर अभी तक कोई ऐसी नहीं मिली जो मेरे दिल का कोना-कोना छू जाए...मेरे दिलो-दिमाग पर हावी हो जाएं, जैसे मीरा हो गई थी, सुमेधा बहुत ही अच्‍छी लड़की है पर मेरे टाइप की नहीं है।‘’ 

‘’नहीं है तो हो जाएगी...मैंने कई बार ऐसा देखा है कि प्‍यार का नाटक करते-करते लड़के और लड़की को सचमुच का प्‍यार हो गया है।‘’ 

ऐसा कहां देखा तुमने.?’’ राघव ने भौंह टेढ़ी करके पूछा। 

‘’फिल्‍मों में‘’ कहकर जतिन हंसने लगा और माहौल को थोड़ा हल्‍का करने का प्रयास करने लगा। 

‘छोड़ो यह बेकार की बातें...यह केवल फिल्‍मों में ही हो सकता है रियल लाइफ में नहीं, अगर सुमेधा मुझे दिलो-जान से चाहने लगी और मैं उसका एक परसेंट भी उससे प्‍यार नहीं कर सका तो यह उसके साथ नाइंसाफी होगी...’’ 

‘’तुम यह मत भूलो कि तुम यह सब एक लक्ष्‍य के लिए कर रहे हो, वह लक्ष्‍य जिसके लिए तुम बिजनेस मैन से एक अंडरकवर ऑफिसर बने, पांच साल में तुमने अपने आप को एकदम बदल लिया है अब केवल एक लड़की की फीलिंग के लिए तुम अपने टारगेट से नहीं हट सकते।’’ 

पर केवल अपने लक्ष्‍य को पूरा करने के लिए किसी भोली भाली और मासूम लड़की को सीढ़ी बनाना उससे प्‍यार का झूठा नाटक करना क्‍या गलत नहीं है? हमने ऑलरेडी इतना गलत किया उसके साथ...अपने ही गुंडो को भेजकर उसका किडनैप करवाया...उसे इतने डरावने माहौल में रखा, अगर उसे कुछ हो जाता तो? आई मीन हार्ट अटैक या कुछ ऐसा मेंटल पैनिक अटैक जिससे उसकी लाइफ ही खराब हो जाती तो?‘’ 

जतिन ने कहा, ‘तुम कुछ ज्‍यादा ही सोच रहे हो, इतना सबकुछ देखने के बाद सुमेधा तुम्‍हें फिर भी एकदम नार्मल ही लग रही थी ना, क्‍या वह तुम्‍हें कहीं से भी डरी सहमी और घबराई सी लगी, नहीं, वह बहुत ही स्‍ट्रांग लड़की है, मुझे लगता है कि अगर तुम उसे धोखा दोगे तो वह आसानी से सहन कर जाएगी‘’ कहकर जतिन रेडी होने के लिए बाथरूम में घुस गया। 

जतिन के जाते ही राघव के दिमाग में कुछ और चलने लगा...नहीं यह धोखा होगा..मीरा के साथ धोखा...कहीं ना कहीं उसे लग रहा था कि उसका और मीरा का मिलन जरूर होगा...मीरा उसके रूह में समाई थी। मुझे मीरा को लेटर लिखना होगा कि मैं क्‍या करने जा रहा हूं, मुझे पता है कि वह मेरा साथ देगी…हो सकता है इसी बहाने वह मुझसे मिलने भी आ जाए। सोचकर राघव दूसरे कमरे में आ गया और एक पेन पेपर लेकर मीरा को लेटर लिखने लगा। 

 

क्‍या राघव मीरा को प्रेम पत्र लिखेगा? 

क्‍या मीरा वापस राघव के पास लौट आएगी? 

क्‍या आर्यन मीरा को ढूंढते हुए दिल्‍ली आएगा?

क्‍या सुमेधा को पता चल जाएगा उसके अपहरण का सच?

जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्‍बत।  

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.