चीफ की आंखे गुस्से से जल रही थी.. इसलिए नहीं कि अभी मारिया का पता नहीं लग पाया, बल्कि इसलिए कि उनके आदमियों के रहते मीरा ऐसे घर छोड़कर कैसे और क्यों चली गई? घर छोड़कर जाने से पहले वह कहीं गई थी...कहां गई थी? यह भी अभिजीत के भेजे बाउंसरो को नहीं पता था।
आधी रात से भी ऊपर का समय हो गया था, चीफ की आंखो में नींद नहीं थी...मीरा कब और कहां चली गई यह बात उसे बहुत खल रही थी।
अभिजीत के हायर किए बाउंसर चीफ के सामने हाथ बांधकर नजरें नीची किए खड़े थे। उनसे गलती हो गई थी बहुत बड़ी गलती...उन्हें लगा था कि संडे का दिन है मीरा घर पर ही रहेगी और वह भी शाम के समय कहां निकलेगी...क्योंकि ज्यादातर संडे मीरा दिन भर घर में आराम करके ही बिताती थी और शाम को तो बिल्कुल भी कहीं नहीं निकलती थी, क्योंकि अगले दिन उसे ऑफिस जाना होता था।
यह जानते हुए मीरा की सोसाइटी के आसपास लेबर...प्रेस वाला और गार्ड बनकर रह रहे अभिजीत के बाउंसर लापरवाही कर गए और उनका ध्यान कहीं और चला गया, उनको लगा कि मीरा घर पर ही होगी इसलिए केयरलेस हो गए और सोसाइटी के कम्युनिटी सेंटर में बैठकर ताश खेलने लगे थे।
इन्हें मीरा के बारे में तब पता चला जब रात के आठ बजे एक बाउंसर ने मीरा को आटों में बैठकर सोसाइटी में एंट्री करते देखा, वह बहुत ही दुखी थी और उसकी आंखे रो रोकर सूजी हुई थी।
अभिजीत इन बाउंसरो पर चिल्लाया, ‘’तुम लोगों को वहां आराम करने के लिए भेजा गया था, केवल एक लड़की पर नजर ही तो रखनी थी वह भी तुम लोगों से नहीं हो पाया। मीरा क्या कर रही है? कहां जा रही है? किस से मिल रही है? क्या बातें कर रही है? इन सभी की जानकारी तुम लोगों को हमें देना था और तुम लोग ताश खेल रहे थे। ‘’
सारे बाउंसरों को मानो होंठ सिल गए थे।
जवाब दो मुझे...अभिजीत फिर से चिल्लाया।
चीफ के बगल में खड़े मकरंद और युग की आंखे बोझिल हो रही थी..अब उन्हें बहुत तेज नींद आ रही थी, आज सुबह से जो भागमभाग हो रही थी वह अभी तक नहीं खत्म हुई। सुबह से करन फिर दोपहर से मारिया और अब मीरा..चीफ को थकान नहीं लगती है क्या? इन्हें सोना नहीं है क्या?
युग और मकरंद इस समय अपने-अपने बेडरूम में जाकर रेस्ट करना चाहते थे..कल तक मारिया को भी ढूंढने का काम करना था, पर उसके लिए आराम की भी तो जरूरत थी और चीफ है कि कुछ न कुछ लेकर बैठे ही थे।
अपने सारे बाउंसरो को चुप देखकर अभिजीत फिर से बौखला उठा...वह फिर से कुछ बोलने ही वाला था कि चीफ ने हाथ उठाकर उसे चुप रहने के लिए कहा और बोला, सोसाइटी के सीसीटीवी कैमरे में दिख रहा है कि मीरा अपने आंख के आंसू पोछते हुए अंदर आ रही है, जरूर उसको या तो किसी ने कुछ कहा होगा या फिर कुछ तो ऐसा हुआ होगा जिससे वह इतनी दुखी हो गई कि वह रो रही है। मीरा बहुत ही स्ट्रांग गर्ल है, जरूर कोई बहुत बड़ी बात है तभी उसकी आंखों में आंसू आए, वरना उसे इस तरह से कोई नहीं रूला सकता है।‘’
पीछे खड़े मकरंद ने थके हुए स्वर में कहा,’’जी चीफ, आप परेशान मत होइए..मै पता करता हूं, वैसे भी एयरपोर्ट के अंदर की वीडियो मिल गई है, वहां से हमें पता चला है कि मीरा दिल्ली गई है, तो जाहिर सी बात है कि वह अपने परिवार से मिलने गई होगी।‘’
पर ऐसे अचानक से क्यों गई..? बिना कोई बहुत बड़ी बात हुए कोई यूं ही अपने कैरियर को छोड़कर चला जाता है‘’ अभिजीत ने मकरंद से कहा, वैसे अभिजीत को ऐसा बोलना नहीं चाहिए था, क्योंकि चीफ आलरेडी उससे गुस्सा था।
मीरा ने अपनी जॉब छोड़ दी थी यह अभिजीत को शांतनु से पता चला था, जॉब क्यों छोड़ी इसका रीजन मीरा ने शांतनु को नहीं बताया था, शांतनु तो क्या निका ब्रांड के किसी भी स्टाफ का नहीं बताया था।
उसका दिल्ली जाना तो समझ में आ रहा था कि शायद मीरा को अपनी फैमिली की याद आ रही होगी पर जॉब छोड़ना यह समझ से परे था....मीरा जिसके बारे में चीफ जानता था कि वह उससे प्यार का नाटक करने आई है, उसे बरबाद करने और मारने आई है। पर चीफ को तो मीरा से सच में प्यार हो गया था...वह चाहता था कि मीरा अपनी मरजी से उसके करीब आए, पर अचानक से ऐसा क्या हो गया था कि उसने अपना इरादा ही बदल दिया, उसने बहुत ही जल्दी घुटने टेक दिए, उसे पता है कि मुझे प्यार करके मुझे बरबाद करना है तो उसे यहीं मुंबई में ही रहना होगा...मीरा तुम तो बहुत ही कमजोर लड़की निकली..कहां तो मैंने तुम्हें इतनी स्ट्रांग गर्ल समझा था और कहां तुम.? खैर छोड़ो अब मुझे ही तुम्हारी खातिर दिल्ली आना होगा, अब मैं तुम्हारे सामने आकर तुम्हें बताउंगा कि मैं कौन हूं?
इस कमरे में इतने लोगों की मौजूदगी में केवल अभिजीत ही बोले जा रहा था...अचानक चीफ ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘’अब बस बहुत हो गया, ऐेसे बहस करने से कुछ नहीं होने वाला है, हमें पता करना था कि मीरा कहां है और अब हमें पता चल चुका है तो देरी नहीं करनी चाहिए...मारिया का काम खत्म करके मुझे दिल्ली निकलना होगा।‘’
युग मकरंद और अभिजीत हक्के बक्के होकर चीफ को देखने लगे।
लेकिन चीफ दो दिन बाद तो आपको दुबई के लिए निकलना है, वहां आपका एक ड्रीम प्रोजेक्ट स्टार्ट होने वाला है, कितनी मुश्किल से तो शेख ने आपके लिए टाइम निकाला है, हम कितने महीनों से कोशिश कर रहे थे अब जाकर बात बन पाई है, आप यह कैसे छोड़ सकते हैं?‘’ मकरंद ने चीफ को याद दिलाते हुए कहा।
चीफ ने अपना माथा सहलाते हुए कहा, ‘’अरे हां याद आया, मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट मेरे बचपन का सपना मेरे पिताजी का सपना जो उनके जीते जी पूरा नहीं हो सका पर मैं करूंगा...पर मीरा भी मेरे लिए इम्पॉटेंट है।‘’
‘’चीफ हम तीनों में से कोई दिल्ली जाकर मीरा के बारे में पता करता रहेगा, आप यह प्रोजेक्ट न छोड़िए, इस प्रोजेक्ट का काम कम्पलीट होते ही आप दुबई से सीधे दिल्ली आ जाइएगा फिर मीरा से फेस टू फेस होकर जो भी बाते करनी है कर लीजिएगा।‘’
चीफ ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘’हां, यह भी ठीक है, ऐसा ही करते हैं, पर कल मारिया को खत्म करना है यह सबको याद है ना..उसका पता चला कि वह किस बिल में छुपकर बैठी है,?’
अभिजीत ने कहा, ‘चीफ, मुंबई की पूरी पुलिस फोर्स लगी हुई है मुझे लगता है कि सुबह होने से पहले ही वह हमारे सामने होगी।‘
‘’गुड, वेरी गुड।‘’ चीफ ने कहा और अपनी रिस्ट वाच पर नजर डालने के बाद कहा, ‘’ओके बहुत टाइम हो गया है, रात के दो बजने वाले हैं, अब हम लोगों को सो जाना चाहिए, आगे का काम करने के लिए आराम की भी तो जरूरत होती है।‘
युग और मकरंद ने चैन की सांस ली, इस समय सच में उनहें आराम की सख्त जरूरत थी। चीफ उठा और अपने प्राइवेट रूम में जहां उसके अलावा किसी और के जाने की परमिशन नहीं थी वहां, चला गया।
अभिजीत ने अपने सारे बाउंसरो को थोड़ी बहुत और डांट पिलाने के बाद उन्हें जाने दिया। चीफ के रूम के बाहर वाले हॉल में रखे बड़े-बड़े सोफे पर ये तीनो लेट गए।
युग सोचने लगा, कल मारिया तो नहीं पर उसकी लाश जरूर पुलिस को मिलेगी...बस मीरा इन सबकी पकड़ में न आए वरना पता नहीं चीफ का जो प्यार मीरा पर उमड़ रहा है कहीं वह गुस्से में न बदल जाए।
राघव वह लेटर देख रहा था जो उसने मीरा के लिए लिखा था, क्या मुझे इसे पोस्ट करना चाहिए..? उसके घर का एड्रेस तो मैं जानता हूं कहीं वह चिढ़ न जाए?
‘’हे क्या देख रहे हो? यह पेपर कैसा है कुछ लिखा हुआ है क्या?‘ वाशरूम से बाहर निकलकर जतिन सीधा राघव के रूम में घुस गया और उस समय राघव वह लेटर पढ़ रहा था जिसे उसने खुद मीरा के लिए लिखा था।
राघव ने फट से वह लेटर मोड़कर अपने पीछे छिपाते हुए कहा, ‘अरे नहीं…नहीं यह कुछ नहीं है, यह तो बस यूं ही मिल गया था।‘
मिल गया था, क्या बात कर रहे हो? मिस्टर राघव यह सरकारी मकान है, मेरे आने से पहले यह पूरी तरह से खाली था और मेरे आने के बाद तो ऐसा कोई लेटर मेरे घर में नहीं आया था।‘’
‘’ओफ्हो जतिन, तुम मामूली सी बात को इतना डीपली क्यों सोचने लगते हो? कहा ना कि कुछ नहीं है, बस यूं ही मैंने ही लिखा, तुम वाशरूम गए थे, और तुम हमेशा वाशरूम में टाइम लगाते हो, घंटो नहीं निकलते…तो मुझे लगा कि अभी तुम बहुत जल्दी करोगे तो भी आधे घंटे तो लगाओगे, इसलिए बस यूं ही कुछ लिखने बैठ गया था।‘
‘’हां हां ठीक है, अब मै अपने वाशरूम में आने जाने का टाइम तो सेट नहीं करता हूं, पर यह कागज तो मुझे दिखाओ कि आखिर इसमें लिखा क्या है जो तुम मुझसे इस तरह से छिपा रहे हो।‘’ कहकर जतिन राघव के और करीब आया, राघव का वह हाथ जिसमें उसने लेटर पकड़ा था और पीछे किया हुआ था, उस पर झप्पटा मारा, लेकिन राघव भी कम नहीं था...वह पीछे हट गया और लेटर जतिन को देने से साफ मना कर दिया।
जतिन भी कहां मानने वाला था...दोस्तों के लवलेटर को चुरा कर पढ़ने की उसकी आदत बहुत ही पुरानी थी।
राघव कहता रह गया...नहीं जतिन नहीं...ऐसे किसी की प्राइवेट चीजों को नहीं पढ़ते हैं।‘’
जतिन ने फिर से राघव का हाथ आगे करके लेटर छीनने की कोशिश करते हुए कहा, ‘’अरे दोस्तों में कौन सा प्राइवेट और कौन सा पब्लिक.? मुझे दिखाओ कैसा लेटर है, अगर लव लेटर लिखा है, तो मैं तुम्हारी हेल्प कर सकता हूं।‘
‘’नहीं नहीं यह लव लेटर नहीं है, अरे हमें लेट हो रहा है। बलवंत जी के यहां जाना है, वह घड़ी देखो उसमें तो दस बज गए हैं, ओह गॉड अब तक तो हमें बलवंत जी के यहां होना चाहिए।‘’
आखिरकार जतिन ने राघव के हाथ से लेटर ले लिया और कहा, ‘’भाड़ में जाए बलवंत सिंह...वह दसवीं फेल नेता कम गुंडा ज्यादा है उसकी औकात नहीं है कि एक पुलिस कमिश्नर के साथ बैठकर डिनर करे पर उसकी किस्मत ऐसा करने से मजबूर कर रही है, उसे थोड़ा इंतजार तो करने दो, हमने उसका इतना बड़ा काम जो किया है, कहकर जतिन एक कोने में खड़ा होकर राघव का लिखा वह लेटर पढ़ने लगा।‘
लेटर पढ़कर जतिन ने कहा, ‘’ओह हो जनाब ने शेरो-शायरी लिखी है, धत्त तेरे की खोदा पहाड़ और निकली चुहिया, मुझे तो लगा कि तुमने सुमेधा के लिए लव लेटर लिखा है, और अब जब उसकी और तुम्हारी दूसरी मुलाकात होगी तो तुम उसे ये पकड़ाकर अपने दिल की बात कह दोगे।‘
राघव ने वह लेटर जतिन के हाथ से लेकर कहा, ‘’मैं उसे क्यों लव लेटर लिखने लगा? मैंने कहा ना अब मैं प्यार मोहब्बत कर ही नहीं सकता, पता नहीं मैं जो सुमेधा के साथ करने जा रहा हूं वह कर भी पाउंगा या नहीं, मैं उसे चीट तो नहीं करना चाहता हूं पर मुझे ऐसा करना पड़ेगा।‘’
अब चले, वाकई में बहुत लेट हो गया है।‘’
‘’हां…राघव ने कहा और राघव ने उस लेटर को रूम की आलमारी के शेल्फ में रखी एक किताब में दबा दिया, थैंक गॉड उसने लेटर में मीरा का नाम नहीं लिखा था, यह जतिन की नजरों में शायरी और कविता थी पर इसे केवल मीरा ही समझ सकती थी कि राघव उससे क्या कहना चाहता था?
बलंवत सिंह के द्वारिका वाले बंगले में एक शानदार पार्टी रखी गई थी...पार्टी किस खुशी में थी यह बलवंत नहीं बता सकते थे, बस यूं ही रखी गई थी।
सुमेधा बार-बार गेट से अंदर आने वाले मेहमानों को देख रही थी, उसे राघव का इंतजार था...सुमेधा को राघव पहली ही नजर में पसंद आ गया था। राघव के जाने के बाद जब बलवंत प्रेस कांफ्रेस से लौटे तो सुमेधा ने उन्हें अपनी पसंद के बारे में बता दिया था।
बलवंत सिंह खुद अब सुमेधा की शादी करना चाहते थे, पहली बात तो यह कि वह अठाइस की हो गई थी और अब उन्हें बदनामी का डर भी सता रहा था कि सुमेधा किसी ऐसे वैसे लड़के से शादी न कर ले, राघव को अपने पति के रूम में चुन लिया है ऐसा सुमेधा के मुंह से सुनकर बलवंत का दिल गदगद हो उठा था।
वह अच्छा लड़का है और साथ में पुलिस कमिशनर यशवर्मन का एक दोस्त है, तो विश्वसनीय ही होगा और राघव जरूर सुमेधा का ख्याल रखेगा।
बलवंत ने अपनी ओर से हां कह दिया था....
सुमेधा अपने होने वाले पति की राह उत्सुकता से देख रही थी...उसे पता था कि राघव उससे शादी जरूर करेगा...क्योंकि बलवंत के कुछ ऐसे राज थे जो सुमेधा ही जानती थी उसके लिए राघव को सुमेधा का बहुत करीबी बनना पड़ेगा।
क्या चीफ मीरा के सामने आकर उसके काम में बाधा डालेगा?
क्या मारिया की लाश चीफ को मिल पाएगी?
क्या सुमेधा का सच राघव को पता चल पाएगा?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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