बलवंत सिंह के घर की पार्टी अपने शबाब पर थी...फोटोग्राफर और मीडिया वालों को भी बुलाया गया था, बलवंत के वे बच्चे भी थे जिन्हें उन्होंने सुमेधा की भांति गोद लिया था। इस पार्टी में बलवंत की पत्नी और दोनों बेटे नहीं आए थे, बलवंत चाहते भी नहीं थे कि वे आए….बेवजह सारा मजा किरकरा हो जाता।
फोटोग्राफर होने की वजह से ही राघव ओर जतिन इस पार्टी में देर से जा रहे थे, क्योंकि राघव नहीं चाहता था कि उसकी पहचान दुनिया के सामने आए और नैना उसके सारी उम्मीदों पर पानी फेर दे। बलवंत ने यही किया था, मीडिया वालों को बुलाकर और ढेर सारी फोटो खिंचवाकर दस बजे तक उन्हें विदा कर दिया था, उसके बाद राघव को आना था।
सुमेधा का इंतजार खत्म हुआ…एक सरकारी गाड़ी की एंट्री बंगले में हुई और सुमेधा का चेहरा खिल उठा, यह पुलिस कमिश्नर की कार थी यानी जतिन ऊर्फ यशवर्मन की जिसके साथ निसंदेह रॉकी ऊर्फ राघव होगा। राघव बंगले के आसपास सतर्क नजरों से देखते हुए जतिन के साथ आगे बढ़ रहा था, जतिन ने राघव की परेशानी दूर करते हुए कहा, ‘’टेंशन मत लो, यहां सीसीटीवी जरूर हैं, पर जब तक हम यहां रहेंगे यह काम नहीं करेगा...बलवंत जी को तुम्हारी प्राइवेसी का पूरा ख्याल है।
सुमेधा ने आगे बढ़कर दोनों का वेलकम किया, उसके चेहरे पर मित्रता भरी मुस्कान थी। वह यह तो जानती थी रॉकी का असली नाम राघव है और वह उसके पिता की सच्चाई जानने आया है पर सुमेधा को यह नहीं पता था कि उसका अपहरण भी इन्हीं दोनों ने मिलकर करवाया था...राघव कभी नहीं चाहेगा की उसे यह पता भी लगे। सुमेधा को लग रहा था कि राघव की किस्मत अच्छी है जो उसे मेरे बहाने मेरे पापा जो कि मेरे पापा हैं ही नहीं उनके करीब आने का मौका मिल गया।
‘’पार्टी खत्म हो गई है लगता है‘ जतिन ने अंदर घुसकर चारों ओर देखकर कहा, पार्टी में कुछ वेटर, बलवंत सिंह के कुछ बहुत करीबी ही दिखाई दे रहे थे, जैसा जतिन ने सोचा था कि लोगों की भीड़ होगी वैसा कुछ नहीं था।
सुमेधा ने एक टेबल की ओर जो इन्हीं दोनों के लिए रिर्जव थी उस ओर बैठने की रिक्वेस्ट करते हुए कहा, ‘’यह सब आप लोगों के लिए किया गया है, मेहमानों को जल्दी इसलिए भेज दिया गया कि हम आपका स्वागत और आपका धन्यवाद अच्छे से कर सकें वैसे यह पार्टी आप दोनों के सम्मान में रखी गई है, खासकर मिस्टर रॉकी जी के लिए जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए आग की लपटों से मुझे बचाया था, ऐसा कोई फिल्मी हीरो ही कर सकता है, लेकिन फिल्मी हीरो भी बहुत सारी सिक्योरिटी में यह सब करते है, वहां सब नकली होता है, कई सारे टेक होते हैं, पर मिस्टर रॉकी ने बिना किसी सिक्योरिटी और बिना किसी गलती के मुझे बचाया और मेरा बाल भी बांका नहीं होने दिया।‘’
रॉकी चेयर पर बैठकर बोला, ‘’यह तो मेरा फर्ज था मिस सुमेधा।
तभी बलंवत वहां आ गए और अपने साथ चल रहे सिक्योरिटी गार्ड को थोड़ी ही दूरी पर रोक दिया। वे चेयर पर बैठ गए और सुमेधा दोनों मेहमानों के लिए प्लेट में खाना लगाकर अपने हाथों से देने लगी। पहले उसने जतिन को खाना दिया, डिनर की प्लेट पकड़ते हुए जतिन ने सुमेधा से कहा, ‘’आप क्यों परेशान हो रही हैं, हम ले लेते, आप पार्टी तो इंजॉय करिए।‘
सुमेधा ने कहा, ‘’कमिश्नर साहब यहां इन्जॉय करने के लिए है ही क्या.? न कोई म्युजिक बैंड...न डीजे और ना ही कोई डांस ग्रुप‘’ कहकर उसने खाने से भरी प्लेट राघव को पकड़ाई, प्लेट पकड़ते हुए राघव की उंगलिया, सुमेधा की उंगलियों से टकरा गई। राघव का शरीर सनसना उठा...सुमेधा मुसकुरा दी।
सुमेधा की बात पर बलवंत ने कहा, ‘’ऐसी सिचुएशन में तुम्हें यह सब करने की सूझ रही है, मेरा तो दिल अभी तक धक-धक हो रहा है यह सोचकर कि तुम पता नहीं किस भयानक किस्म के दरिंदों के चंगुल में होगी....तुम बचकर आ गई तो मेरे लिए म्युजिक डांस सब कुछ हो गया समझी।‘
सुमेधा मुंह बनाकर बोली, ‘ओफ्हो पापा, आप बात को मत बदलिए...अरे कम से कम किसी लोकल या किसी फोक सिंगर डांसर को ही बुला लेते लगता तो कि पार्टी है, ऐसे सूखे सूखे लोग आ रहे हैं खापीकर मेरा हाल चाल लेकर चले जा रहे हैं।‘’
बलवंत ने कहा, ‘’इतनी जल्दी में यह सब अरेंज नहीं हो पता, तुम अपनी शादी में यह सारी कसर निकाल लेना।‘
सुमेधा की शादी वाली बात सुनकर राघव और जतिन एक दूसरे को देखने लगे, क्या सुमेधा की शादी आलरेडी कहीं तय हो गई है.? तो फिर हमारे प्लान का क्या होगा?
बलवंत ने सुमेधा को दूसरी ओर जाने का इशारा किया, सुमेधा को पता था कि बलवंत उसे यहां से क्यों भेज रहे हैं, पर वह यहां रहना चाहती थी, उसने मुंह बनाकर ना में गरदन हिलाई, लेकिन बलवंत ने उसे आंख दिखाकर फिर जाने को कहा। झुंझलाई हुई सुमेधा झटके से चेयर से उठी और पैर पटकती हुई दूसरी ओर चल दी। बाप बेटी की यह इशारे वाली नोकझोंक राघव और जतिन ने भी नोटिस कर ली थी पर अपने हावभाव से वे यह जता रहे थे कि कुछ देखा ही नहीं।
सुमेधा के जाने के बाद बलवंत ने जतिन और राघव से कहा, ‘’मैं तुम लोगों से घुमाफिराकर कुछ नहीं कहना चाहता हूं, तुम दोनों इस देश के जिम्मेदार नागरिक हो, मैं देश का सेवक होने के नाते एक पिता भी हूं और सुमेधा मेरी बेटी होने के नाते मेरी जिम्मेदारी है कि मैं उसकी शादी एक ऐसे शख्स से करवाउं जो उसका पूरा ख्याल रख सके और पूरी तरह से प्रोटैक्ट कर सके….राघव तुम्हारे अंदर वो सारी खूबियां हैं।
राघव अचकचाकर बलवंत को देखने लगा, वो तो यही चाहता था पर सबकुछ इतनी जल्दी हो जाएगा यह उसने सोचा ही नहीं था, क्या बलवंत सिंह अब वही कहने वाले हैं जो मैंने सोचा है?
‘’मैं जानता हूं कि तुम्हारे मन में कई सारे सवाल उमड़ रहे होंगे...मैं चाहता हूं कि तुम सुमेधा से शादी कर लो, इसी हफ्ते मैं तुम्हें यह बंगला दे दूंगा और तुम्हारी कोई भी डिमांड हो वह मैं पूरी कर दूंगा। देखो ना मत कहना..मैंने अपनी बेटी को रानियों की तरह पाला जरूर है पर उसमें जरा भी घमंड नहीं है...अगर तुम्हें घर में रहने वाली हाउसवाइफ चाहिए तो वह घर भी संभाल सकती है और अगर तुम्हें बाहर काम करके पैसे कमाने वाली लड़की पसंद है तो सुमेधा वह भी कर सकती है।‘’
राघव की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे? जिस लड़की से मिले अभी चौबीस घंटे भी नहीं हुए थे उससे अब राघव की शादी की बात चल रही थी। राघव ने कहा, ‘’पर बलवंत जी, मैं सुमेधा को अच्छी तरह से जानता भी नहीं हूं, पता नहीं मैं उसके टाइप का हूं भी या नहीं।‘’
बलवंत खड़े हो गए और राघव के पास आकर बोले, ‘तुम बिल्कुल मेरी बेटी के टाइप के हो, मुझे पूरा विश्वास है कि वह तुम्हारे साथ खुश रहेगी और जहां तक जानने की बात है तो शादी के बाद जान लेना, तुम्हारे मन को निराशा नहीं होगी।‘’
जतिन ने कहा, ‘’पर फिर भी आप एक बार सुमेधा से पूछ लेते तो अच्छा होता।‘’
बलवंत ने कहा, ‘’उससे क्या पूछना, हमारे यहां लड़कियों से उसकी मरजी नहीं पूछी जाती है। जो बाप ने कह दिया बेटी वह खुश होकर सिर झुकाकर मानती है, बाप की खुशी में ही बेटी अपनी खुशी समझती है।‘’
जतिन और राघव एक दूसरे का मुंह ताकने लगे, यह कुछ ज्यादा ही जल्दी हो गया था, बलवंत जी अब जल्दी से जल्दी सुमेधा की शादी करवाकर अपने बाप के फर्ज से मुक्त हो जाना चाहते थे।
राघव ने अपनी प्लेट टेबल पर रखते हुए कहा, ‘मुझे यह सब बड़ा ही अजीब लग रहा है, बेहतर होगा कि आप सुमेधा से एक बार बात कर लीजिए। क्या पता उसे अपने कालेज का कोई लड़का पसंद हो? आजकल की लड़कियां ऐसे ही किसी से भी शादी करने के लिए रेडी तो नहीं हो सकती हैं...उनकी मरजी जानना जरूरी है, भले ही वह अरेंज मैरिज ही क्यों न हो?‘’
‘तुम्हें तो कोई ऐतराज नहीं है ना.? बलवंत ने राघव से पूछा।
राघव को कोई जवाब देते नहीं बन रहा था... सुमेधा से शादी करने का मतलब था उसे केवल धोखे में रखना, क्योंकि वह सुमेधा से कभी प्यार नहीं कर पाएगा यह वह अच्छे से जानता था।
‘’नहीं मुझे कोई ऐतराज नहीं है‘’ अचानक राघव ने बोल दिया।
‘’तो फिर ठीक है, आज से चार दिन के बाद इसी बंगले में तुम दोनों की शादी करा दी जाएगी तब तक तुम दोनों एक दूसरे को अच्छे से जान जाओ, तुम चाहो तो इस बंगले में रह सकते हो, इससे तुम्हारी ओर सुमेधा की मुलाकात होती रहेगी और जल्दी ही एक दूसरे को समझ जाओगे।‘’
राघव कुछ न बोला, पर जतिन ने हां कह दिया। ‘’इससे अच्छी तो कोई बात ही नहीं है, आप से रिश्ता जोड़कर भला किसे खुशी नहीं होगी।‘’
राघव को अभी भी लग रहा था कि कहीं वह कुछ गलती तो नहीं कर रहा है....यह शादी करके सुमेधा को धोखा और मीरा के प्रति उसका जो लगाव था उस पर भी राघव को शक होने लगा था, क्या मैंने सच में मीरा से सच्चा प्यार नहीं किया था? मेरे मन में मीरा के अलावा कोई और बस सकती है क्या?‘
राघव ने सुमेधा की ओर देखा, वह एक क्रिसमस ट्री के पास खड़ी थी जिसपर रंगबिरंगी लाइटें जगमगा रही थी...सुमेधा के चेहरे पर बहुत ही प्यारी और मासूम सी स्माइल थी। अचानक उसने राघव को देखा तो उसकी मुस्कान और भी ज्यादा चौड़ी हो गई...राघव झेंप गया।
कहीं मैं इस मासूम लड़की की जिंदगी के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रहा हूं? बदला लेने के चक्कर में कहीं यह मेरे और बलवंत जी की इच्छओं के बीच पिसकर न रह जाए..बलवंत जी अपने बाप का फर्ज निभाने के लिए बिना सोचे समझे अपनी बेटी की बलि चढ़ाने पर तुले हुए हैं।
तभी बलवंत की आवाज राघव के कान में पड़ी, अभी तुम दोनों को घर जाने की जल्दी तो नहीं है ना?‘’ बलवंत राघव और जतिन दोनों से पूछ रहे थे।
जतिन ने अपनी रिस्ट वाच पर टाइम देखकर कहा, ‘’बारह बजने वाले हैं, मुझे तो मार्निंग में ड्युटी ज्वाइन करनी है पर मुझे लगता है कि राघव को जल्दी नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह मेरी तरह रेगुलर ऑफिस तो जाता नहीं है, जब गर्वमेंट की ओर से कोई आर्डर आता है तो ही काम पर लगता है, अभी तो मेरे ख्याल से यह कुछ दिनों तक फ्री रहेगा।‘ कहकर जतिन ने राघव को आंख मारी...वह भी चाहता था कि राघव यहीं रहे और सुमेधा से बातें करे।
राघव मन ही मन खीज उठा..वह यहां नहीं रूकना चाहता था भले ही अभी उसके पास कोई काम न हो तो क्या हुआ.? उसका अपना परिवार यहां पर है, वहां जा सकता था और उसे कबीर की भी याद आ रही थी। पर अभी तो फिलहाल वह एक तरह से यहां फंसा हुआ था।
बलवंत ने कहा, ‘’मैं तो चाहता हूं कि सुमेधा और राघव अभी थोड़ी देर के लिए चाहे तो बात कर सकते हैं, एक घंटे में आप दोनों निकल जाना फिर चाहे तो राघव कल आ सकता है, जब तक शादी नहीं हो जाती तब तक सुमेधा घर पर ही रहेगी।‘’
‘’ऐसा क्यों? राघव ने पूछा….इस बलवंत को बहुत जल्दी मची है अपनी बेटी की शादी की।
बलवंत ने कहा, ‘’अरे हमारे घर का ऐसा रिवाज है कि अगर बेटी की शादी तय हो जाए तो जब तक वह विदा नहीं हो जाती, वह घर के अंदर ही रहती है, एक्चुली हमारे यहां कहा जाता है कि होने वाली नई दुल्हन को लोग कुछ ज्यादा ही एकटक और ध्यान से देखते हैं और उसे नजर लगा देते हैं।‘’
‘’काफी इंटरस्टिंग रिवाज है ये।‘’
बलवंत और जतिन टेबल के पास बैठकर बातें करने लगे...सुमेधा, राघव के साथ लॉन में टहलते हुए बातें कर रही थी।
‘कितना अजीब है ना सब, जैसे चट मंगनी और पट ब्याह वाली बात होती है उससे भी कहीं ज्यादा जल्दी हमारी शादी हो रही है।‘’
राघव ने कहा, ‘’हां पर क्या आपको लगता है कि मैं आपके लिए अच्छा पति साबित होउंगा? आप तो मुझे बिल्कुल भी नहीं जानती है, आपका ड्रीम बॉय तो मेरे टाइप का नहीं होगा।‘’
‘’मैं बहुत ज्यादा सपने में नहीं जीती हूं, मेरा कोई ड्रीम बॉय था ही नहीं। बस मुझे ऐसा पति चाहिए था जो मेरा ख्याल रखे और मुझे खूब प्यार करे, मुझे पता है कि आपके अंदर वो सारी खुबियां हैं।‘’
राघव हैरान सुमेधा को देखने लगा, ‘’यह सचमुच बहुत ही भोली और मासूम है।‘’
क्या वाकई में यह शादी हो पाएगी?
सुमेधा ने और कितने राज अपने अंदर छुपा रखे हैं?
क्या बलवंत जान पाएंगे कि यह शादी सुमेधा और राघव की एक चाल है?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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