रिया बहुत एक्साईटेड थी कबीर के साथ जाने के लिए। पिछले एडवेंचर के बाद उसे कबीर पर पूरा विश्वास था कि वह उसे कुछ नया सिखाएगा और दिखाएगा। रिया बस रोज़ कुछ नया करना चाहती थी, पिछले से अलग, बड़ा, रोमांचक और उसके लिए वह  किसी भी गहरी खाई में उतरने के लिए तैयार थी। सीधे रास्ते चलना उसे बिल्कुल नहीं भा रहा था। नेहा का समझाना भी उसे फिज़ूल लगा। अपनी जिंदगी को अब वह रोज़ एक नई ऊंचाई पर ले जाना चाहती थी और उसके लिए केवल कबीर ऐसा था जिसके साथ वह आँख बन्द करके चलने को तैयार थी। सुबह से तैयार बैठी रिया बस कबीर को कॉल ही करने वाली थी कि गाड़ी की आवाज़ आई और तेज हॉर्न बजा।  

रिया फ़टाफ़ट गाड़ी में बैठ गई। कबीर की गाड़ी हमेशा की तरह स्पीड पकड़ लेती है। कबीर का तेज़ गाड़ी ड्राइव करना रिया को खूब रोमांचित करता था। रास्ते में कबीर ने बताया की वह उसे एक नए दोस्त से मिलाने वाला था और उसी के साथ फिर नया काम भी शुरू करना था। रिया पूरी तरह तैयार थी नए दोस्त और नए काम के लिए।  

थोड़ी ही देर में गाड़ी जाकर एक नाइट क्लब के पास रुकती है। कबीर रिया को लेकर अंदर जाता है और अपने दोस्त और उस नाइट के क्लब के मालिक, रोहन से मिलावाता है। रोहन रिया से हाथ मिलाते हुए पूछता है - “काम करते हुए डर तो नहीं जाओगी?”

रिया : डर??? सवाल ही नहीं उठता।  

रिया का कंफिडेंस देखकर रोहन उससे इम्प्रेस्ड होता है और कबीर को इशारा करता है। कबीर रिया को लेकर अंदर जाता है और रोहन का वेट करने को कहता है। काफ़ी देर इंतजार कराने के बाद जैसे ही रोहन अंदर आया तो रिया गुस्से से उस पर चिल्ला पड़ी।  

रिया : मिस्टर रोहन, क्या मुझे आपने यहाँ बैठने के लिए बुलाया था?  

रिया के ग़ुस्से को देख रोहन हंसकर बोला : रिलैक्स बेबी, यह लो। इतना कहकर उसने एक छोटी सी पुड़िया रिया को सूंघने को दी। रिया ने उस पुड़िया को सवालिया नज़रों से देखा और बंद करके वहीं टेबल पर रख दिया। रोहन हँसते हुए उसे फिर वह  पुड़िया खोलकर देता है और कहता है: “एक बार यूज़ तो करके देखो। न गुस्सा आएगा, न अकेलापन लगेगा और न ही कभी कुछ बुरा लगेगा।  

रिया इस बार उसकी बातों में आ गई और अपने अकेलेपन के दर्द से छुटकारा पाने के लिए ड्रग्स ट्राइ करने को तैयार हो गई। एक बार नाक से अंदर खींचते ही रिया को सिर में भारीपन महसूस होने लगा। वह  सिर पकड़ कर वहीं बैठ गई। सामने बैठे रोहन और कबीर उसे देख, मुस्कुराते हुए तीन चार लाइन खींच गए। सिर पकड़ कर बैठी रिया थोड़ी ही देर में कुछ हल्का फ़ील करने लगी... दिमाग में कुछ नहीं बचा... सब खाली लग रहा था।  

उसने एक झटके में फिर से वही पैकेट उठाया और फिर एक लम्बी सांस के साथ अंदर खींच गई लेकिन इस बार सिर भारी नहीं हुआ बल्कि नॉर्मल फ़ील कर रही थी।  

रिया जिसको नॉर्मल समझ रही थी, असल में वह उस ड्रग का असर था। उसको ट्राइ करना ही उसकी सबसे बड़ी ग़लती थी। रिया अब पूरी तरह रोहन के कंट्रोल में थी क्योंकि वह उसे नशे की लत लगाकर ड्रग्स सप्लाई करने के लिए ही यूज करना चाहता था। नशे में झूमती रिया को देख रोहन अपनी जीत पर हँसता है और कबीर से कहता है, “हमें अपने काम के लिए ऐसे ही हाई पोफ़ाइल फ़ैमिलीज़ के लड़के-लड़कियां चाहिए होते हैं जो किसी की नज़र में आ भी जाएं तो भी किसी को शक न हो।  

कबीर : एक्सेक्ट्लि.. और रिया तो इस काम के लिए बिल्कुल फ़िट है। इसके डैड का इतना रुतबा है कि कोई उनकी बेटी पर शक़ करने से रहा।  

एक दूसरे के हाथ पर हाथ मारकर दोनों ज़ोर से हंस पड़े और रिया भी उनकी बात को सुने बिना ही स्माइल करने लगी।  

रोहन ने कबीर को काम सौंपा कि रिया को पूरी तरह से उस नशे की आदत लग जानी चाहिए और कबीर पूरी ज़िम्मेदारी से रिया को एक बाद एक डोज़ लेना सिखाता रहा। कुछ ही समय में रिया एक एडिक्ट बन चुकी थी। अब उसे हर हाल में डोज़ चाहिए ही होता था। जब तक डोज़ का असर रहता, वह अपने आपको टेंशन फ़्री महसूस करती।  

रोहन के हिसाब से उसके काम के लिए रिया अब तैयार हो चुकी थी। तो एक दिन उसने कबीर को फ़ोन करके कहा कि रिया को उसके सीक्रेट ठिकाने पर लेकर आए। फ़ोन रखते ही कबीर, रिया को लेकर उस खतरनाक जगह पहुँच गया। वहाँ रोहन ने रिया के पास आकर कहा, “तुम्हारे सारे टेंशन मैंने खत्म कर दिए। अब अगर काम करना शुरू करोगी तो पैसा भी आना शुरू हो जाएगा और तुम अपनी लाइफ़ की क्वीन बन जाओगी। जो करना चाहो, कर सकोगी।  

रिया : तुम जो काम बोलो, मैं करने के लिए तैयार हूँ क्योंकि तुमने मुझे पीसफ़ुल रहने का ज़रिया दिया है। हर समय जो मेरा दिमाग मुझे परेशान करता था, अब नहीं करता और यह सब तुम्हारी वजह से । बताओ, क्या करना है?  

रोहन अपना खतरनाक प्लान रिया और कबीर को समझाता है और एक बैग कबीर को देते हुए कहता है- “ याद रहे, पेमेंट कैश में ही लेना है।”

कबीर थम्ब्स अप करते हुए रिया का हाथ पकड़ कर गाड़ी की तरफ़ चल पड़ता है।  

अगले ही पल उसकी गाड़ी हवा में थी।  

वहीं दूसरी तरफ़ विक्रम किसी अनहोनी के अंदेशे से घबराए हुए थे। वैसे तो कुछ दिन से रिया की कोई भी खबर नहीं मिली थी। वह घर कब आती थी, किसी को पता नहीं था। विक्रम का फ़ोन भी नहीं उठाती थी। मगर आज पता नहीं क्यूँ, विक्रम मन ही मन घबरा रहे थे..  रिया की फ़िक्र उन्हें कोई काम नहीं करने दे रही थी।  

घरवालों ने भी रिया की हरकतों की वजह से अब विद्रोह् कर दिया था। विक्रम किसी को भी नहीं समझा पा रहे थे। राजेश, आज चुपचाप बैठा विक्रम के फ़ैसले का इंतजार कर रहा था जबकि उसकी पत्नी शालू ने हर हाल में रिया पर कोई न कोई एक्शन लेने का दबाव विक्रम पर बना रखा था। “ रिया आपकी बेटी है, यह सिर्फ़ आपका सोचना है, भाईसाहब। उसके लिए तो न फ़ैमिली मायने रखती है और न ही अपने डैड। वह  सिर्फ़ अय्याशी करना चाहती है। हमारी तकलीफ़ से उसे कोई लेना देना नहीं है। अब तो वह हमारी फ़ैमिली के लिए बहुत बड़ा धब्बा बन गई है।”  

विक्रम : बस करो शालू। मैं मानता हूँ कि रिया का बर्ताव ठीक नहीं है लेकिन वह मेरी बेटी है। सोचो तो सही, उस बिन माँ की बच्ची पर क्या गुज़री है ज़िंदगी भर! तुम एक औरत हो, एक माँ हो.. क्या तुम अपनी बच्ची को इतने दुख से गुज़रते देख पाती? चाहे कितनी भी बड़ी ग़लती क्यूँ ना करती वह, क्या तुम उसे घर से निकाल पाती?  

शालू के बार-बार कहने पर भी विक्रम ऐसा कोई फ़ैसला नहीं लेते जिससे रिया को घर से बेदखल किया जाए। लोगों से सुनी रिया की कई कहानियाँ, राजेश विक्रम को सुनाता है। रिया कि वजह से घर का मज़ाक उड़ रहा है, कहते हुए राजेश उसके खिलाफ़ कोई सख्त क़दम लेने का दबाव बनाता है।  

विक्रम अपने इमोशंस को दबाये रखने में अभी भी कामयाब थे। अकेले में अनन्या की यादों से बात करके टूटने वाला विक्रम, परिवार के सामने अपनी बेटी के लिए दीवार बनकर खड़ा था। सब जानते थे कि उसका जो फ़ैसला होगा, वही आख़िरी होगा इसलिए सब मिलकर प्रेशर डाल रहे थे कि रिया को अब कोई मौका न दिया जाए।

विक्रम अपनी जगह से उठकर खड़े हुए। उन्होंने सबको एक नजर देखा और सीधा अपना फ़ैसला सुनाया।  

विक्रम : फ़िलहाल, मैं रिया का पता करना चाहता हूँ कि वह कहाँ है और किस हाल में है। उसके लिए जो भी फ़ैसला करना होगा, उसके सामने ही होगा।  

विक्रम को उम्मीद थी कि रिया के ना होने से उसके लिए फ़ैसला लेने में होती देरी को देख पूरा परिवार उसे ढूँढने में लग जाएगा और उसकी यह उम्मीद सही साबित हुई। राजेश ने फ़ोन  लगाकर कई लोगों से पूछना शुरू कर दिया.. शालू ने भी कितने फ़ोन  लगाए कि रिया का कोई पता मिल सके और उसे बुलाकर एक ही बार में सब खत्म कर दिया जाए।  

इधर रिया कबीर के साथ अपनी धुन में मग्न चली जा रही थी। गाड़ी कहाँ जाकर रुकी, इससे उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता था क्योंकि कबीर जहाँ ले जाए, वह वहीं  चल देती थी।  

अगले ही पल वह एक बहुत ही शानदार नाइट क्लब में थी। म्युज़िक के साथ रिया भी थिरक रही थी। कबीर उसे रोककर याद दिलाता है कि यहाँ वह एक स्पेशल काम को अंजाम देने आए हैं। रिया ने बेफ़िक्री से मटकते हुए कहा-  

रिया : काम को अंजाम काम के वक्त देंगे, कबीर। अभी तो नाचने गाने का वक्त है। लेट्स गो...!!!    

रिया की लापरवाही कबीर को बिल्कुल पसंद नहीं आ रही थी। वह  उसका हाथ पकड़ कर खींचते हुए उसे अंदर ले जाता है। रिया बीच-बीच में खुद को हल्का रखने के लिए हल्का-सा डोज़ ले लेती थी। कबीर किसी का इंतजार कर रहा था बैग देने के लिए। तभी एक लड़का अपनी पूरी टीम के साथ अंदर आता है और कोई कोड वर्ड कबीर के कान में बोलता है। कबीर उसे बैग उठाकर दिखा देता है और कहता है :  

कबीर : पहले पेमेंट। ऑल कैश ।  

अगले ही पल एक लड़का कैश लिए सामने आ जाता है। कबीर उसे बैग देता है और नोटों से भरा बैग उठाकर, रिया का हाथ पकड़कर, जाने लगता है। तभी गोली चलने की आवाज़ आती है।  

धांय... धांय...  

बाकी सबके साथ कबीर और रिया के कदम भी रुक जाते हैं। गोली चलाने वाली पूरी एक टीम थी जिसने सबको घेर लिया था। उनमें से एक आदमी आगे बढ़ाकर, कबीर का लाया हुआ बैग झपट लेता है। अब उसकी नजरें नोटों से भरा बैग ढूंढ रही थी। रिया और कबीर उसके इरादे भांप गए। कबीर ने आँखों-आँखों में रिया को इशारा किया और उसी बैग से पास खड़े आदमी को धक्का मारकर बिना देर किए उसकी गन उठा ली। रिया ने बैग लिया और कबीर के पीछे आ गई। रिया और कबीर पैर पीछे लेते हुए बाहर की तरफ़ निकालने लगे थे। कबीर बीच-बीच में गोली चलाकर खुद को और रिया को प्रोटेक्ट कर रहा था पर वह जानता था कि जैसे ही गोलियां ख़त्म होंगी, वह पकड़े जाएंगे। उसने रिया को बालकनी की तरफ़ धकेला और जम्प करने का इशारा कर, खुद वहीं एक दीवार के पीछे छिप गया।  

रिया बैग लेकर थर्ड फ़्लोर से जम्प करती है और रोड से निकल रही एक बस पर आकर गिरती है। किसी तरह खुद को संभालकर, वह अपने-आप को रोड पर गिरने से बचाती है। चलती बस के ऊपर रिया अपना बैलेंस बनाने की कोशिश करती है कि फिर गोलियों की आवाज़ आती है । रिया घबराकर पीछे देखती है.. कुछ गुंडे जैसे लोग, दो-तीन बाइक पर सवार, बस के पहियों पर लगातार गोली चलाते हुए पीछे आ रहे थे।  

ऊपर से जम्प करने पर रिया पहले ही चोटिल हो चुकी थी। दर्द मिटाने के लिए उसने एक ड्रुग का इंजेक्शन खुद को दिया और बस, कुछ ही समय में दर्द ग़ायब हो गया। वह फिर से वही ‘जाँबाज़ रिया’ की तरह महसूस करने लगी जो कोई भी खतरनाक स्टन्ट कर सकती थी। तभी उसने देखा कि साइड से एक ओपन-टॉप कार पास आ रही थी। फिर क्या था, उसने सीधे उसमें छलांग लगा दी और कूदकर जैसे ही थोड़ा संभली तो नज़र कार ड्राइव कर रहे शख्स पर पड़ी। खुश होते हुए बोली-  

रिया : अरे कबीर??  यू आर ग्रेट, यार।  तुम वहाँ ऊपर थे और अब यहाँ... वॉओ।  

कबीर रिया को एक स्माइल के साथ एक बैग देते हुए समझाता है कि गाड़ी में उसे खतरा है इसलिए पैसे वाला बैग छोड़कर यह बैग लेकर कर वह यहाँ से भाग जाए। बाइक सवार अब उनकी कार के पीछे लगे थे।  

रिया को कबीर से ज़्यादा विश्वास फ़िलहाल किसी पर नहीं था और ये सब उसे बहुत ही एक्साईटिंग लग रहा था । उसने कैश वाला बैग गाड़ी में छोड़कर दूसरा बैग उठाया और कबीर के इशारे का इंतजार करने लगी.. बाइक्स अभी भी पीछे थीं।  

कुछ ही दूरी पर एक मोड़ देखकर, कबीर गाड़ी की स्पीड कम करता है और रिया उसके  इशारे पर कार से जंप कर रोड पर आती है और बाइक्स को चकमा देकर निकलने में कामयाब हो जाती है।

भागते हुए रिया किसी गैराज में पहुंची थी शायद… कई गाड़ियां खड़ी थीं। वहाँ कुछ ट्रक्स भी थे। रिया को समझ में नहीं आ रहा था कि वह जगह असल में क्या है। अब उसका नशा धीरे-धीरे उतर रहा था और उसे दर्द महसूस हो रहा था।  

रिया : यार, खून बह रहा है , बार-बार बेहोशी भी आ रही है । क्या करूँ?? आई थिंक, मुझे जल्दी से किसी हॉस्पिटल जाना चाहिए। पर मैं हूँ कहाँ?? हॉस्पिटल कहाँ है??  

रिया असमंजस में थी। अचानक उसे कुछ सूझा और उसने झट से मोबाइल पर नज़दीकी हॉस्पिटल का लोकेशन निकालकर, उस तरफ़ चल पड़ी।    गिरते - उठते रिया आगे बढ़ रही थी.. नशे में उसे दर्द का अहसास थोड़ा कम ही हो रहा था इसलिए वह कोई गाना गुनगुनाते हुए चली जा रही थी। जैसे -तैसे रिया एक  हॉस्पिटल पहुँची। तब तक उसका शरीर पूरी तरह जवाब दे चुका था और वह  बेहोश होकर वहीं सीढ़ियों पर गिर गई।  

 

क्या कोई रिया को अंदर ले जाकर उसका ट्रीटमेंट करवाएगा?  

क्या विक्रम रिया की नफ़रत कम कर पाएगा?  

जानिये अगले एपिसोड में। 

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