आँख  खुलने पर रिया खुद को हॉस्पिटल के एक बेड पर पाती है। थोडी घबराई सी उठ कर बैठती है, फिर जैसे- जैसे, एक दिन पहले की कहानी याद आती है, खुद को सही सलामत देख चैन की सांस लेती है।

उधर विक्रम रिया के ना मिलने से घबराए हुए घर से निकल ही रहे थे कि हॉस्पिटल से कॉल आया कि रिया हॉस्पिटल में एडमिट है। उसे वहाँ कौन लाया, पता नहीं पर हॉस्पिटल की सीढ़ियों पर बेहोश मिली। विक्रम फोन काट कर जल्दी से गाड़ी निकालते हैं और हॉस्पिटल की तरफ गाड़ी दौड़ा देते हैं। रिया की हालत के लिए पहले ही कहीं न कहीं खुद को जिम्मेदार मानते थे विक्रम और अब रिया के सामने जाने में अजीब सा डर भी लग रहा था कि कहीं फिर कुछ ऐसा न हो कि रिया उनसे और दूर हो जाए।  

डर और गिल्ट के बीच उलझे विक्रम टूट कर अपने आप में ही बड़बड़ाते हैं –

विक्रम: यह क्या हो गया, रिया। मेरी मासूम बच्ची को मैंने देखते देखते क्या बना दिया?  

विक्रम की आंख से लगातार आंसू बह रहे थे। हॉस्पिटल पहुंचते ही विक्रम ने गाड़ी साइड लगाई और भागते हुए रिया के रूम की तरफ गए मगर अचानक गेट के बाहर ही रुक गए।  विक्रम नहीं चाहते थे कि रिया के सामने जाने से फिर उससे कोई बहस हो। उन्होंने पहले झांक कर देखा तो रिया सोई हुई थी।  फिर धीरे से गेट खोलकर अंदर चले गए। रिया के पास बैठकर विक्रम उसके सिर पर हाथ रखना चाहते थे मगर हाथ उठाते ही रुक गए। विक्रम को याद भी नहीं था कि आख़िरी बार कब उन्होंने रिया के सिर पर प्यार से हाथ रखा हो।  

आज विक्रम ने रिया को प्यार से देखा तो सोते हुए वह उन्हें एक मासूम गुड़िया सी लगी।

विक्रम कुछ बोलते इससे पहले रिया की आंख खुल गई। अपने डैड को अपने इतने पास बैठा देख रिया घबरा के उठकर  बैठ गई जबकि डॉक्टर ने अभी उसे उठने से मना किया था। विक्रम ने उसे रोका ।

विक्रम: लेटी रहो। अभी डॉक्टर ने उठने से मना किया है। बाद में बात करते हैं।

विक्रम की कोई भी बात वैसे भी रिया को सही नहीं लगती थी। आज भी वो उनकी कोई बात सुनना नहीं चाहती थी। उनका पास बैठना भी उसे अच्छा नहीं लगा,उसे लग रहा था डॉक्टर के मना करने से विक्रम चुप हैं नहीं तो वह सिर्फ उसे डांटने ही आए हैं।

वह हाथों से अपना चेहरा छिपाते हुए चीखते हुए बोली –

रिया: चले जाइए यहाँ से,  मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी।

विक्रम जितना भी चाहें, रिया की नफरत किसी भी तरह कम नहीं कर पा रहे थे, बल्कि हर बात किसी न किसी तरह उसकी नफरत को बढ़ावा ही दे रही थी। ऐसी कोई बात नहीं होती थी जिसमें वो विक्रम को सही समझे। विक्रम हारे हुए से बाहर निकल जाते हैं और रिया रोते हुए तकिये में मुंह छुपा लेती है।

बाहर आते ही विक्रम को पूरा परिवार खड़ा मिलता है। विक्रम के पीछे पीछे सभी  हॉस्पिटल आ गए थे। राजेश विक्रम से रिया की हालत के बारे में पूछता है और डॉक्टर से मिलने चला जाता है जोकि उसे बता देते हैं की रिया नशे की हालत में अस्पताल की सीढ़ियों पर बेहोश मिली थी। राजेश को रिया के खिलाफ़ विक्रम पर दवाब बनाने का एक बार फिर मौका मिल गया था। वह रिया को घर से निकालने की बात दोहराता हुया विक्रम से जल्दी डिसिशन लेने को कहता है मगर विक्रम रिया के पूरी तरह ठीक होकर घर आ जाने के बाद सोचने का कहकर उसे टाल देते हैं। अब तक चुप बैठी शालू विक्रम के सामने आकर कहती है – “ घर ले जाने लायक हरकत नहीं है उसकी, भाईसाहब।  बेहतर है कि उसे या तो हमेशा के लिए घर से बेदखल कर दीजिए या किसी रिहैब सैंटर भेज दीजिए।

विक्रम : शालू, रिहैब सेंटर भेजने का आईडिया अच्छा है लेकिन अभी पहले रिया ठीक होकर अस्पताल से घर वापस आ जाए। उसके बाद इस पर विचार करेंगे। शायद रिया को इसी की जरूरत है।  

रिया के कानों तक उन सबकी बातें पहुंच रही थी और आज अपने डैड के लिए उसकी नफरत और ज़्यादा हो गई थी क्योंकि उसके हिसाब से उसे इस हाल में पहुंचाने के लिए जिम्मेदार उसके डैड ही थे। अब जब वह एक खतरनाक दुनिया में उलझ गई तो अपनी इज्जत बचाने के लिए उसे रिहैब सेंटर भेजना चाहते थे ।  

तभी विक्रम डॉक्टर से पूछते हैं, रिया को घर कब ले जा सकते हैं। रिया यह सुनकर और घबरा गई। वह किसी भी कीमत पर अपनी मां की तरह उस घर में कैद नहीं रहना चाहती थी। शालू विक्रम पर एक बार फिर प्रेशर बनाने की कोशिश करती है– “मुझे लगता है भाईसाहब, अगर उसे किसी रिहैब सेंटर ही भेजना है तो रिया को घर ले जाने की बजाय यहीं डिसाइड कर लीजिए। यहाँ अस्पताल में डॉक्टर अच्छा सेंटर बता देंगे, सीधे उसे वहीं भेज देते हैं।”

विक्रम : मुझे पता है रिया के लिए कब क्या सही है, तुम्हें या राजेश को परेशान होने की जरूरत नहीं। मैं जल्द ही सब ठीक कर दूंगा।  

शालू अभी कुछ और बोलना चाहती थी पर विक्रम ने उसे रोक दिया। अंदर बैठी रिया परिवार के साथ विक्रम की बातें सुन डर गई थी । उसे वैसे भी पूरे परिवार में किसी पर भी ट्रस्ट नहीं था और विक्रम पर तो बिलकुल भी नहीं। डॉक्टर ने विक्रम को अगले दिन उसे घर ले जाने की इजाजत दे दी थी मगर रिया को वह घर किसी जेल की तरह लगता था। अब वह वहां जाकर कैद होना नहीं चाहती थी। उसे लगा उसी वक्त उसे अस्पताल से भाग जाना चाहिए।  

कमरे के बाहर चल रही बहस के बीच, रिया कमरे में उठकर खड़ी होती है और अपनी बॉडी पर आई चोटें देखती है। अपने हाथ से ड्रिप निकालने वाली होती है  कि डॉक्टर की एंट्री हो जाती है। उसे खड़ा देख डॉक्टर उसे डांटता है और लेटे रहने को कहता है क्योंकि उसे कभी भी चक्कर आ सकता था। रिया चुपचाप डॉक्टर की बात मानकर लेट जाती है।

विक्रम डॉक्टर से रिया की बात सुन लेते हैं जिससे वह रिया के लिए और सतर्क हो गए। उन्होंने मन ही मन ठान लिया की रिया को एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ेंगे।  

देखते ही देखते रात हो गई और विक्रम जानते थे आज की रात ही भारी थी। विक्रम सोई हुई रिया को देख अपने आप से कहते हैं,

 विक्रम: बस रिया,,, जो कुछ भी हुआ अब उसे पीछे छोड़ कर आगे बढ़ना होगा। अब मैं तुम्हारी लाइफ से सारे ग़लत लोग, ग़लत आदतें, सब कुछ हटा दूंगा।

विक्रम अपने आप से बात कर रहे थे और रिया को सोने का नाटक कर रही थी, उनके फैसले से घबराई बस किसी भी तरह वहां से निकलना चाहती थी। विक्रम कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे इसलिए वह रिया के बैड के पास ही चेयर पर बैठे थे मगर रात बढ़ने के साथ ही विक्रम की आंख लग गई। रिया को बस इसी मौके की तलाश थी। उसने झट से ड्रिप निकाली और धीरे से बैड से उतर कर दबे पाँव बाहर निकली और ग़ायब हो गई।

थोड़ी देर बाद अचानक विक्रम की आंख खुली तो रिया को न देखकर वह सिर पर हाथ मारकर रह गए।  हॉस्पिटल का सारा स्टाफ उसे ढूंढने में लग गया।  

यहां सब रिया की तलाश में थे, उधर रिया सीधे रोहन के नाइट क्लब पहुंच गई और अपने दर्द से रिलीफ पाने के लिए उससे इंजेक्शन मांगा। रोहन उसे इंजेक्शन देकर एक तरफ बिठा देता है। जैसे जैसे इन्जेक्शन का असर होता है, रिया का सिर दर्द जैसे खतम होने लगता है और वह हंसते हुए कहती है  

रिया: डॉक्टर, डैड, अंकल, आंटी और  पता नहीं कौन – कौन मेरा इलाज करना चाहता था और मुझे ठीक तुम्हारे एक इंजेक्शन ने कर दिया। है न कमाल?  

रिया खुशी से झूम रही थी जैसे कि उसने कोई जंग जीत ली। विक्रम जो कि उसे घर ले जाना चाहते थे, उनको चकमा देकर भागी रिया, अपनी जीत पर बार बार खिलखिला कर हंस रही थी। रोहन उसकी हालत समझ चुका था। अब उसे रिया अपने हर काम के लिए परफेक्ट लग रही थी। अपने आप से बातें करती रिया के पास आकर रोहन ने एक चाबी उसके सामने डाल दी। रिया हंसते हुए अचानक चुप हो गई और चाबी उठाकर रोहन से बोली  

रिया: रोहन? यह किस ताले की चाबी है ?  

रोहन हँसकर बोला , “ ताले की नहीं, यह क़िस्मत की चाबी है, बेबी। यह कहकर उसने चाबी को एक खूबसूरत से छाले में डालकर रिया को थमा दिया। रिया कुछ समझ नहीं पाती और रोहन से बात क्लियर करने को कहती है। रोहन उसे बताता है जिस काम के लिए लोग उससे रीक्वेस्ट करते हैं, वह काम रोहन उसे देना चाहता है। एक सेकंड के लिए रिया खुश हो गई मगर फिर अगले ही पल रोहन से इस मेहरबानी की वज़ह पूछती है।

रोहन रिया के पिछले स्टंट की तारीफ करते हुए कहता है - काम किसको देना है, यह मैं  इंसान देखकर डिसाइड करता हूं।”  

रिया रोहन की बातों में फंसती जा रही थी। वह उसे जिस मिशन पर भेजना चाहता था वह आसान नहीं था। रिया की जान अब खतरे में थी और रिया इसे सिर्फ एक खतरनाक स्टंट समझ कर आगे बढ़ रही थी। रोहन रिया को अपना सीक्रेट प्लान समझाता है और किसी भी कीमत पर उसे पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपता है। रिया अपने साथ इसमें कबीर को शामिल करना चाहती है तो रोहन इसका फैसला उसी पर छोड़ देता है। साथ ही उसे वॉर्न करता है - “अगर इसमें कुछ भी गड़बड़ हुई तो याद रहे तुम्हारी या तुम्हारे पार्टनर की जान भी जा सकती है।”  

रिया एक बार बच निकलने के बाद ओवर कॉन्फिडेंट हो गई थी। उसे लग रहा था वह कुछ भी कर सकती है। रोहन से प्लान समझने से पहले वह कबीर को कॉल करती है–

रिया: हैलो कबीर... अभी तक सो रहे हो?? अरे उठ जाओ जल्दी और रोहन के नाइट क्लब चले आओ। इस बार बहुत बड़ा काम हाथ आया है। मिलकर करते हैं।

कबीर से बात करने के बाद उसे और भी खुशी महसूस होती है। उसे लगा फिर एक नया एडवेंचर होगा जिसके लिए वो पूरी तरह तैयार है ॥ यूँ तो नाइट्क्लब बाहर की दुनिया के लिए बंद था लेकिन नशे की हर चीज वहाँ मौजूद थी॥ साथ में म्यूज़िक भी चल रहा था। बस रिया बियर का एक ग्लास हाथ में लिए अपनी मस्ती में थिरकने लगी।  

थोड़ी ही देर में कबीर अन्दर आते दिखता है। रिया दौड़ते हुए उसके पास जाती है और रोहन के प्लान के बारे में बताती है। कबीर उसकी बात चुपचाप सुनता है और रोहन को इस खतरनाक मिशन से रिया का नाम हटाने के लिए कहता है। रोहन गुस्से में कबीर पर चिल्लाता है - “ अगर रिया के लिए तुम्हारी कोई फीलिंग्स जा गईं हैं तो भूल जाओ क्योंकि हमारे काम में फीलिंग्स के लिए जगह नहीं होती।”

कबीर: मैं तुम्हारी तरह बेवकूफ नहीं हूँ। रिया एक हाई प्रोफाइल फैमिली से है और हम उसे और भी कई तरह से यूज कर सकते हैं। सिर्फ इस काम के लिए उसे भेजना , जिसमें उसके पकड़े जाने का ज़्यादा खतरा है, बेवकूफी ही है।

कबीर की बात से रोहन गहरी सोच में पड़ गया। मगर जो काम अभी रिया को उसने दिया था, वह भी हर किसी से नहीं करवाया जा सकता। वहीं रिया उन दोनों को सोच में डूबा देख क्लीयर कर देती है कि वह यह काम अब किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ना चाहती क्योंकि उसे अब रोज ऐसे खतरनाक स्टंट चाहिए थे किसी भी कीमत पर। उसकी जिद देखकर कबीर मान जाता है। रोहन दोनों को अन्दर ले जाकर एक बड़ी सी स्क्रीन पर मिशन का ब्लूप्रिन्ट समझाता है और प्रॉमिस करता है कि इस मिशन के सफल होते ही उन तीनों को इतना पैसा मिलेगा कि इससे भी बड़े काम कर सकेंगे।

 

क्या था ये मिशन?  

जिस खतरनाक मिशन पर रोहन रिया को भेज रहा है क्या रिया वहां से सही सलामत लौट पाएगी?

क्या विक्रम पता लगा पाएंगे रिया कहां गई ?  

 

जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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