रोहन रिया को एक चाबी देकर उसे कहाँ और कैसे इस्तेमाल करना है, यह बताता है। रिया नए मिशन पर जाने के लिए तैयार हो गई पर आने वाले खतरे का उसे बिल्कुल अंदाजा नहीं होता। कबीर हर बार की तरह उसके साथ था  मगर इस बार रिया खुद मिशन लीड करना चाहती थी, क्योंकि उसे कानून के खिलाफ़ काम करने में और खतरनाक स्टंट करने में खूब मजा आने लगा था।    

मिशन पर जाते हुए वह रोहन को एक शानदार पार्टी का इंतजाम करने को कहती है क्योंकि उसे पूरा विश्वास था कि वह और कबीर जल्द ही कामयाब होकर वापस आएंगें।

रोहन के क्लब से निकल कर रिया और कबीर आकर गाड़ी में बैठते हैं।  इस बार गाड़ी रिया ड्राइव करती है, और गाड़ी चलाते हुए रिया के दिमाग में अपना काम नही, बल्कि विक्रम के शब्द घूम रहे थे कि वह  कैसे उसे किसी रिहैब सेंटर भेजना चाहते थे। उसके हिसाब से वह ऐसा सिर्फ खुद को बदनामी से बचाने के लिए करना चाहते थे । इसी धुन में उसकी गाड़ी की स्पीड बढ़ती चली जा रही थी। रिया हंसते हुए कबीर से कहती है,

रिया :  यह मिशन कितना खतरनाक है न कबीर, मगर पता है, फिर भी यह डैड के घर से ज्यादा पीसफ़ुल है।

थोड़ी ही देर में वह  दोनों उस जगह पहुंचते हैं, जहां से उन्हे अपना काम शुरू करना है। रिया गाड़ी साइड लगाती है, और देर किए बिना दोनों एक बड़े से आलीशान बंगले में घुसते हैं। वहाँ घुसते ही सामने हॉल में एक बिंदास पार्टी चल रही थी जिसे देख कर दोनों वहां से बाहर आ गए क्योंकि यह वह  हॉल नहीं था जिसमें रिया और कबीर को रास्ता खोजना था। वहां से निकल कर वह दूसरे हॉल की तरफ़ जाते हैं, यहां कबीर रिया को रोक कर समझाता है  

कबीर : अब आगे जो भी करना है, बहुत जल्दी करना होगा, एक सेकंड की भी देर हुई तो हम पकड़े जाएंगे और समझो हमारा खेल वहीं खत्म।

रिया: मुझे खेल खत्म होने का डर नहीं है,कबीर,  मुझे तो बस जीतने की जिद है।

रिया अपनी जिद पूरी करने में, रोहन के हाथ की कठपुतली बन चुकी थी। तभी उसने इस खतरनाक मिशन को चुन लिया था। उस पार्टी हॉल के बिल्कुल पास वाले हॉल में, एक नीले रंग के दरवाजे तक उन्हें पहुंचना था। सीधे हॉल के मेन दरवाजे  से जाना रिस्की हो सकता था इसलिए रोहन ने उसे एक सीक्रेट रास्ता बताया था। रिया दरवाजे से थोड़ी दूर टंगी एक बड़ी सी सीनरी , धीरे से खिसकाती है। उसके पीछे कुछ सीढ़ियाँ दिखती हैं और वह कबीर से कहती है,

रिया :  यह हमें सीधे उस नीले गेट तक पहुंचा देंगी। तुम आगे चलो, मैं पीछे से यह दरवाजा बंद करके आती हूँ।

रिया को अब किसी भी खतरे से डर नहीं लगता था, दरवाजा बंद करके वह  सीढ़ियां उतरती है, और उस हॉल में पहुंच जाती  है, जहां वह  नीला गेट बना था। उस गेट पर एक ताला था जिसकी रोहन ने उसे चाबी दी थी। रिया के पास चाबी होने के बावजूद उस ताले को खोलना आसान नहीं था। उसके पास 30 सेकेंड का टाइम था, जिसमें उसे चाबी लगाने से लेकर गेट खोलने और अंदर जाकर चाबी निकालने का काम करना था, वरना अलार्म बज जाता। रिया एक बार उसे ध्यान से देखती है, और झटके से चाबी लगा देती है। गेट खुलता है, रिया कबीर को अन्दर करती है, और खुद अन्दर जाते हुए चाबी खींच कर दरवाजा बन्द कर देती है। अन्दर आते ही दोनों चैन की सांस लेते हैं मगर यहां भी खतरा टला नहीं था। अंदर बहुत सारे रास्ते थे, सिक्यॉरिटी बहुत थी और सभी रास्ते एक जैसे लग रहे थे। उन्हें यहां से एक सुरंग तक पहुंचना था जो उन्हें उस ठिकाने तक ले जाती, जहाँ उन्हें मिशन को अंजाम देना था। तभी एक आवाज से दोनों शॉक्ड हो जाते हैं।

किसी अलार्म जैसी आवाज : टूं... टूं, टूं... टूं... 

कबीर रिया को हाथ पकड़ कर दीवार के पीछे खींचता है, इतने में ही धड़ाधड़, दस पन्द्रह लोग हाथों में खतरनाक हथियार लेकर निकलते हैं। कबीर के माथे से पसीने की बूंदें टपकने लगती हैं, वहीं रिया उन्हें देख कर रोमांचित होती है। उन सबके गुजरने से उन दोनों को भी रास्ता समझ आ जाता है।

उन लोगों के जाते ही अगले पल दोनों सुरंग में पहुँच गए। अब बिना आवाज करे  सुरंग पार करनी थी वरना फिर अलार्म बजता। किसी तरह बे-आवाज़  उस लम्बी सुरंग को पार करके, दोनों एक बड़े से गोदाम में पहुंच जाते हैं। वहां रखा सामान देख कर रिया की आंखें फटी रह गई, चारों तरफ़ हथियार ही हथियार थे। हथियारों से लैस गाडियां तैयार खड़ी थीं, और इन्हीं में से एक गाड़ी थी जिसे लेकर उन्हें यहां से निकलना था। कबीर रिया को फिर समझाता है।

कबीर: हमारे पास दस मिनट हैं, क्योंकि इसके बाद इनके लोग गाड़ी निकालने आएंगे और हम पकड़े जाएंगे। हमें इतनी देर में ही गाड़ी निकाल कर इनकी पहुंच से बाहर निकलना होगा वरना...

रिया कबीर की बात पर लापरवाही से हंसती है, और गाड़ियों को देखते हुए एक हरे रंग की बड़ी सी गाड़ी के पास जाकर,  वहां खड़े गार्ड के कान में कोई कोड वर्ड बोलती है जिसे सुनकर वह  उसे चाबी दे देता है। रिया कबीर को इशारा करती है, और दोनों गाड़ी में बैठते ही तेज स्पीड के साथ गाड़ी निकालते हैं। बाहर निकले  ही थे कि वहां वह लोग पहुंच जाते हैं, जिन्हें हथियार ले जाने की असल में पर्मिशन थी।  

गलत हाथों में गाड़ी पहुंचने की खबर से वहाँ हड़कंप मच जाता है, चारों तरफ सब अलर्ट हो जाते हैं। रिया और कबीर की गाड़ी पर गोलियों की बौछार शुरू हो जाती है, मगर वह दोनों काफी आगे निकल चुके थे। कुछ लोग उनका पीछा करते हैं, पर रिया बिना डरे गाड़ी ड्राइव करती रहती है।  

किसी तरह उन लोगों को चकमा देकर, ऊबड़ खाबड़ रास्तों से गाड़ी घुमा कर, वह  उन लोगों से तो बच जाते हैं पर दूसरे खतरों में फंस जाते हैं। भयानक सा जंगल, आगे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा, कहां पहुंच गए थे, यह समझना मुश्किल था। कबीर मोबाइल निकालता है, मगर नेटवर्क नहीं मिलता। चारों तरफ पेड़ ही पेड़ थे। रिया के चेहरे पर लेकिन, अब भी कोई डर नहीं था। वह  हंसते हुए कबीर से कहती है।

रिया: यहां कितना शांति है न कबीर… हम चाहें तो यहां लम्बे समय तक रुक सकते हैं।

कबीर: यू इडियट, यह जंगल है, अभी कोई जंगली जानवर आकर अटैक कर दे तो किसी को पता भी नहीं चलेगा हम कहाँ गायब हुए।

रिया उसकी बात सुन बेतहाशा हँसने लगती है क्योंकि वह तो खतरों को एंजॉय करती थी। दोनों गाड़ी में बैठ कर ही रात निकलने का इंतजार करते हैं, क्योंकि अंधेरे में वैसे भी कुछ समझ नहीं आने वाला था। सुबह होते ही दोनों, हथियारों से भरी गाड़ी वहीं जंगल में  छिपा कर, किसी तरह रास्ता ढूंढते हैं और रोहन के पास पहुँच जाते हैं। वहाँ से गाड़ी निकालना अब रोहन का काम था.. रिया को तो बस अपनी पार्टी का इंतजार था ।

वहीं विक्रम रिया के लिए चिंतित थे, उन्हें पता था कि रिया जो काम कर रही है कितना खतरनाक और गैर कानूनी था, मगर उसे रोकना ना-मुमकिन हो गया था । अब तो उसने फ़ोन उठाना तक बंद कर दिया था। विक्रम अब रिया तक पहुंचने के लिए एक प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर को रखते हैं ताकि रिया को वहां से निकालने की आखिरी कोशिश कर सकें। हाथ में रिया की फोटो लिए विक्रम अपने आप से कहते हैं, “ मैं तुम्हें इस तरह मौत के मुंह में नहीं जाने दे सकता, रिया। किसी भी कीमत पर तुम्हें वहाँ से निकाल लूंगा।”  

वहां रोहन, रिया को फिर नया काम सौंपता है, और कहता है कि इस बार और सतर्कता की जरूरत है। रिया बिना किसी डर के अपने काम पर लग जाती है क्योंकि अब तो उसका पसंदीदा काम यही था। एक शानदार पार्टी में उसे इस काम को अंजाम देना था जहाँ पहुंचते ही लोगों को म्यूजिक पर थिरकते देख कर, रिया भी उनके साथ डांस में मस्त हो जाती है। कबीर उसे याद दिलाता है।

कबीर: रिया,,, मुझे लगता है हमें काम पर ध्यान देना चाहिए।

रिया: काम पर ही ध्यान है कबीर, मैं काम करने के साथ साथ ज़िंदगी को इन्जॉय करना भी जानती हूँ, तुम्हारी तरह काम को ढोती नहीं।  

रिया: अपनी मस्ती में थिरकते हुए अपने क्लाइंट से डील करती है, और एक बैग उसे देकर, उससे दूसरा बैग ले लेती है। इससे पहले कि वह दोनों वहां से निकलते, एक के बाद एक गोली चलने की आवाज आती है, और अगले ही पल पुलिस उस जगह को चारों तरफ से घेर लेती है। हर तरफ भगदड़ मच जाती है, रिया भागने की कोशिश करती है मगर तभी उसके पैर में गोली लग जाती है। कबीर उसे छोड़कर भागता है और रिया उसे आवाज़ लगाती है।

रिया: कबीsssssssर रुको , तुम मुझे छोड़कर कैसे जा सकते हो?  

कबीर: अभी जैसे भी हो यहां से निकलना जरूरी है, रिया।  आई एम सॉरी ,  तुम भी कोशिश करो पुलिस के हाथ न लग पाओ।  

रिया की आँखों के सामने एक बार फिर वो मंज़र था जहाँ आकाश उसे छोड़ कर भाग था, बस इस बार उसका चेहरा कबीर के चेहरे में मिल गया। वह समझ गई  कि कबीर भी उसे बचाने नहीं आएगा लेकिन रिया इस बार भागने की हालत में नहीं थी क्योंकि उसके पैर में गोली लगी थी।  

पहली बार रिया खुद को हारते हुए देखती है… पुलिस की टीम उसके पास पहुंच जाती है, और भारी मात्रा में ड्रग्स के साथ रिया पुलिस की गिरफ्त में आ जाती है। जब उसे जेल में डाल देते हैं तो वह समझ नहीं पाती, उससे कहाँ गलती हुई। बुरी तरह फंस चुकी रिया को घुटन महसूस होने लगती है, और वह जोर से चिल्लाती है।

रिया : जाने दीजिए मुझे... मैं यहाँ नही रहूंगी। यहाँ घुटन होती है, बिल्कुल डैड के घर की तरह। , प्लीज अंकल जाने दीजिए मुझे।

रिया के चिल्लाने पर एक सब इंस्पेक्टर ने उसे डाँट कर कहा  कि वह किसी छोटे मोटे इल्जाम में नहीं, एक ड्रग सप्लायर की टीम के साथ पकड़ी गई थी इसलिए अब उसका बाहर निकलना मुश्किल है। जेल में ही रहने की आदत डाल ले अब।  

रिया को अब अपने किए पर पछतावा होने लगा, सभी रास्ते बंद दिखने लगे। वहाँ से  भागना मुश्किल था और अगर वहाँ रही तो लगता था, मर जाएगी क्योंकि जेल की बंद दीवारों में उसे अपनी मां का चेहरा दिखता हथा। अपने पिता के घर में कैद होने जैसा अहसास हो रहा था। रिया उस सब इंस्पेक्टर को फ़िर आवाज लगाती है,

रिया: अंकल, अंकल प्लीज मुझे यहाँ से जाना है। मैं यहाँ नहीं रह सकती, प्लीज मुझे जाने दीजिए न।

रिया की मासूमियत देखकर सब इंस्पेक्टर उसे समझा कर वहां से चला जाता है, रिया उसे रोकते हुए रोती रह जाती है। उसके साथ बंद बाक़ी लड़के लड़कियां उस पर हंसते हैं,और रिया का दिमाग काम करना बंद कर देता है। किस तरह यहां से निकलेगी, कुछ समझ नहीं आता। उसके काम का यह अंजाम भी हो सकता है, उसने कभी सोचा ही नहीं था । धीरे धीरे उसका नशा भी उतरने लगा और शरीर पर लगी चोटें का दर्द महसूस होने लगा। अब उसे सिर्फ एक ही चीज की जरूरत थी …  एक डोज़…  

 

क्या रिया इन उलझनों से बाहर आ पाएगी या उसकी ग़लतियाँ उसे ज़िंदगी भर सलाखों के पीछे रखेंगीं ?  

जानिये अगले एपिसोड में। 

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