रात के लगभग 1 बजे टास्क फोर्स दिल्ली एयरपोर्ट पर लेंड हो चुकी थी ! एयरपोर्ट पर पहले से ही एक सैनिक टुकड़ी उन्हे सुरक्षित वापस हेडक्वार्टर्स ले जाने के लिए वहाँ पर मौजूद थी ! प्लेन लेंड होते ही टीम तुरंत ही हेडक्वार्टर्स के लीए निकल गये ! डिफेन्स मिनिस्टर विक्रम हेडक्वार्टर्स पर पहले से ही मौजूद थे और इतनी रात को भी वे टास्कफोर्स का इंतजार कर रहे थे, टास्कफोर्स के हेडक्वार्टर्स पहुंचते ही विक्रम ने टीम को देख गंभीरता से पूछते हुए कहा,
विक्रम: क्या तुम सब ठीक हो ? ”
Narrator
विक्रम को सामने देखते ही टास्कफोर्स ने विक्रम को सलामी दी और एक साथ बोल उठे, जय हिन्द ,सर ! विक्रम ने जवाब में जय हिन्द बोला और तब सहदेव ने सिचूऐशन को पूरा एक्सप्लैन किया की कैसे उन्हों ने अपने मिशन को अंजाम दिया ! पूरी रिपोर्ट सुनने के बाद विक्रम ने आपा सिर हाँ में हिलाते हुए कहा,
विक्रम: बहुत खूब, इसे मुझे लिखित में बाद में दे देना, फिलहाल इस रफ़ीक़ से सारी इनफोर्मेशन निकलवाओ ! वैसे इसने अपना मुह खोला क्या अभी तक? ”
अदिति ने जवाब देते हुए कहा,
अदिति: नहीं सर, वो बस अजीब तरीके से मुसकुराता है और एक ही चीज बोलता है की यह बस शुरुआत है असली खेल तो अभी बाकी है !
अदिति की बात सुन विक्रम सोच में पड़ गया, टीम आखिरकार रफ़ीक़ को भारत वापस लाने में सफल हो चुकी थी, जिसने प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश में अहम भूमिका निभाई थी। अब टीम के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी—इस आदमी से सच उगलवाना। लेकिन यह इतना आसान नहीं होने वाला था। रफ़ीक़ चुप्पी साधे हुए था। विक्रम ने जाते हुए कहा
विक्रम: ठीक है, सहदेव ईसे जरा दिखाओ की इस देश के जवान कौन सी चक्की का आटा खाते है। और अब ये दोबारा हसे तो इसके एक भी दांत दिखने नहीं चाहिए! जितनी बार यह हसेगा इसका एक दांत निकाल देना।
विक्रम की ओर से पर्मिशन मिलते ही खुश होते हुए सहदेव ने सलाम ठोंकते हुए कहा,
सहदेव: ठीक है सर, आप बेफिक्र रहे ! ”
जैसे ही विक्रम वहाँ से निकल गए, पिछले दिनो से बुरी तरह थकी हारी टीम सबसे पहला काम मुजरिम को सैनिकों की निगरानी में रख आराम करने चले गए ! उस दिन काफी दिनो बाद उन्होंने चैन की नींद ली थी, पिछली कुछ दिनों से मिशन सक्सेसफूल होगा की नहीं, रफ़ीक़ को पकड़ पाएंगे की नहीं और क्या वे लोग सही सलामत भारत वापिस पहुंचेंगे की नहीं इसी चिंता में ठीक से वे लोग सो ही नहीं पाए थे। लेकिन अब जब वह भारत आ चुके थे तो उनकी सारी चिंता मानो गायब ही हो चुकी थी।
सुबह से फिर एक बार पूछताछ का सिलसिला चालू होता है, सहदेव इंटेरोगेशन रूम में रफ़ीक़ के सामने एक फाइल लेकर बैठ गया, उसने उस फाइल से नाम पढ़कर कहा, हाँ तो रफ़ीक़। सहदेव के पूछने पर भी वह आदमी उसे देख बस मुस्कुरा देता है और कुछ भी नहीं बोलता, उसे इस तरह से अकड़ते देख सहदेव को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन उसके भी हाथ बंधे हुए थे इसलीए उसने मजाकियाँ अंदाज में आगे कहा,
सहदेव: देख यार, कब तक ऐसे चुप रहेगा ? आज नहीं तो कल तेरा और तेरे साथियों का भांडा जरूर फूटेगा, बेहतर होगा अब तुम खुद को बचाओ , मैं तुम्हें यकीन दिलाता हूँ की अगर तुमने सब सच सच बता दिया तो मैं कोशिश करूंगा की तुम्हारी सजा कुछ कम हो जाए। तुम वैसे ही बहुत गलत काम कर चुके हो, फिर भी तुम्हें मौका मिल रहा है तुम्हारी उस गलती को सुधारने का। ”
इंटेरोगेशन का पहला तरीका था मुजरिम को उसकी गलती का एहसास कराना, उसे उसके आसपास के लोगो की चिंता करने के लिए मजबूर करना, उसे इमोशनल कर उसके दिमाग को कमजोर करना जीससे की वो अपने लिए ना सही लेकिन अपने परिवार या अपने चाहने वाले लोगो के लिए तो सच्चाई उगल दे। हालांकि रफ़ीक़ पर सहदेव की इन बातों का कोई भी असर नहीं हो पा रहा था ! सहदेव के इतने समझाने पर भी उस आदमी का मुँह था की खुलने का नाम ही नहीं ले रहा था, वह बस एक अजीब सी मुस्कान के साथ सहदेव को देखे जा रहा था।
बारी बारी से सहदेव, कबीर और अदिति के कोशिश करने के बाद भी रफ़ीक़ कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं था, यह देख मीरा सोच में पड़ गई उसने बाकियों से बात करते हुए कहा,
मीरा: नहीं , नहीं ऐसे काम नहीं चलेगा ! ये आदमी हमारे सवालों का कोई भी जवाब नहीं दे रहा है, वो हर सवाल को टालने की कोशिश कर रहा है। पत्थर की तरह बेजूबान बन कर बैठ हुआ है , हमे इससे सच उगलवाने के ले कोई और ही रणनीति बनानी होगी ! ”
मीरा का साथ देते हुए अदिति ने अपना सुझाव देते हुए बोल उठा,
अदिति: ये हमसे बहुत कुछ छुपा रहा है क्यूंकी ये समझता है की हम इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते ! सबसे पहले हमे इसकी कमजोरी के बारे में जानना होगा। मैं अभी अपने नेटवर्क से कहकर इसके परिवार की और इसकी हर एक कमजोरी के बारे में सारी जानकारी इकट्ठा करती हूँ।
फिर एक बार टीम एक काम में जुट गए, यह काम था रफ़ीक़ से जानकारी उगलवाने का, इस बार पूछताछ करने की बारी थी मीरा की ! मीरा इंटेरोगेशन रूम मे गई और रफ़ीक़ के सामने बैठ उसकी आँखों में देखने लगी और फिर मुस्कुराते हुए बोल उठी !
मीरा: जो काम तुमने किए है, क्या तुम उससे खुश हो ? ”
लेकिन फीर भी रफ़ीक़ ने अपना मुह नहीं खोला , हालांकि यह बात तो मीरा भी जानती थी की वह कुछ नहीं बोलने वाला, इसी वजह से उसने इस बार सवालों को थोड़ा अलग तरहसे पूछा। थोड़ा घुमा फिराकर जिससे की रफ़ीक़ का मनोबल भी कमजोर हो और वह अपना मुँह भी खोले ! आगे पूछते हुए मीरा ने कहा,
मीरा: तुम सोचते हो कि तुम इस खेल में जीत रहे हो, है ना? लेकिन हर इंसान की एक कमजोरी होती है। और हमने तुम्हारी ढूंढ निकाली है।
मीरा ने उसकी फाइल से एक तस्वीर निकालकर टेबल पर फेंकी। "तुम्हें याद है यह?" तस्वीर में एक छोटा लड़का था, शायद 8-9 साल का, मुस्कुराता हुआ। रफीक का चेहरा पलभर के लिए सख्त हो गया। उसकी आंखों में हल्का डर दिखा, लेकिन उसने खुद को संभाला। मीरा मुस्कुराई। मीरा ने एक और तस्वीर निकाली। "तुम्हें पता है, यह लड़का अब कहां है? रफीक अब पूरी तरह उस फोटो में घुम हो चुका था। उसकी सांसें तेज होने लगी थीं। "अगर तुमने उसे कुछ भी किया, तो मैं तुम्हें बर्बाद कर दूंगा," उसने गुस्से से कहा।
मीरा: हमने उसे कुछ नहीं किया। तुम सोचते हो कि अपनी हरकतों से तुम उसे इस दुनिया से बचा लोगे। लेकिन सच्चाई यह है कि तुमने उसकी जिंदगी को सबसे बड़ा खतरा बना दिया है। "सच बताओ, रफीक। अगर तुमने हमारी मदद नहीं की, तो मुझे मजबूरन इसकी लोकैशन लीक करना होगी और फिर जिसके भी लिए तुम काम कर रहे हो वह इस तक पहुँच जाएगा!
मीरा ने सोच था की शायद रफ़ीक़ इससे टूट जाएगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। 3 घंटों की पूछताछ के बाद भी टीम के हाथ में अभी तक कुछ भी नहीं लगा था, भले ही उसका मनोबल कमजोर हुआ था लेकिन उसकी जुबान का ताला था की खुलने को तैयार ही नहीं था ! मानो किसीने उसके होंठ सी दिए हो।
कबीर जब अपनी स्क्रीन पर कुछ कर रहा था तबही रफ़ीक़ ने बोलना शुरू किया “तुम्हें ये लगता है ना की तुम इस साइबर दुनिया के बादशाह हो? मुझे भी यही लगता था! फिर एक दिन मेरा घमंड उसने तोड़ दिया! वह कौन है क्या है मैं नहीं जानता बस इतना जानता हूँ की पूरी दुनियाँ की ताक़तें भी अगर एकजुट हो जाए तो उस तक नहीं पहुँच सकती। उसकी जंग सिर्फ भारत से नहीं है बल्कि हर एक देश से है।
जैसे ही उसने बोलना शुरू किया सभी लोग उसे सुनने लगे। “मैंने कुछ भी अपने मन से नहीं किया, जैसा मुझे ऑर्डर मिला मैंने बस उन ऑर्डर्स को फॉलो किया ! और कुछ भी मैंने अकेले ने नहीं किया ! मैं अकेला जिम्मेदार नहीं हूँ इस हादसे के पीछे। अगर 100 लोग इसमें ईन्वोल्व्ड है तो उनमें से किसी को यह नहीं पता होता है की दूसरा आदमी कौन है। सभी को पॉइंट ए से पॉइंट बी तक का काम बताया जाता है बस। वो पूरी कड़ी क्या है सिर्फ उस इंसान को पता है जिसने कान्ट्रैक्ट दिया”।
कबीर: कौन कौन है इस साजिश के पीछे ? तुम्हें ऑर्डर्स किसने दिए थे ? मुझे तुम्हारी मदद करने दो और मैं तुम्हारी मदद करूंगा ! ”
कबीर की बात सुन रफ़ीक़ हंसने लगा, ये देख कबीर हैरान रह गया ! कबीर को इस तरह से चौंका हुआ देख उसने उससे कहा, “मुझे नहीं लगता की तुम मेरी मदद कर सकते हो! पहले तो तुम लोग हालत को समझ भी नहीं रहे हो क्यूंकी तुम समझ ही नहीं सकते जो इस साजिश में शामिल है वो कोई मामूली लोग नहीं है, वह बहुत ही बड़े और शक्तिशाली लोग है ! तुम उनका कुछ नहीं कर सकते, उन तक पहुंचना तो बहुत दूर की बात है।
सहदेव: बता, कौन कौन है इस साजिश में शामिल? यहाँ फालतू की बकवास मत कर! बता मुझे की आखिर कौन है इस साजिश के पीछे का मास्टरमाइन्ड? क्योंकि पता तो हम लगा ही लेंगे! तुझे भी तो हमने ढूंढ ही लिया न! बड़ा हॉक आई बना फिर रहा था।
सहदेव को इस तरह से देख रफ़ीक़ खुश हो रहा था, वह अपनी कुर्सी पर आराम से बैठता है और सहदेव को देख अपनी बीच की उंगली दिखाता है और फिर मानो अपने मुह पर ताला लगा रहा हो इस तरह से ऐक्टिंग करता है और चाबी को फेंक आराम से हँसते हुए सहदेव को देखे जाता है ! उसे इस तरह से एटीट्यूड में देख सहदेव और कबीर दोनों ही भौंचक्के रह गए थे !
आखिर कौन है वह जिसकी बात रफ़ीक़ कह रहा है? क्या यह कोई बाद इंटरनेशनल गिरोह है या कोई और? कौन है यह मास्टरमाइंड? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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