बांग्लादेश के आर्मी हेडक्वार्टर में हलचल तेज हो चुकी थी। हर दिशा से आदेशों की आवाजें गूंज रही थीं। सैटेलाइट इमेजेस, बॉर्डर पर तैनात जवानों की लाइव फीड और रेडियो संदेशों ने माहौल को ऐसा बना दिया था मानों जंग छिड़ चुकी हो। जनरल रहमान, अपने ऑफिस में बैठे, हर जानकारी पर पैनी नजर रख रहे थे। उनकी आंखों में चिंता साफ झलक रही थी। भारतीय कमांडोज का गुप्त मिशन उनके देश की इज्जत पर एक चुनौती जैसा लग रहा था। "अगर भारत ने बांग्लादेश की सीमा के अंदर अपने सैनिक भेजे हैं, तो यह गंभीर मामला है," उन्होंने खुद से कहा।
मेजर बशीर की रिपोर्ट ने स्थिति को और नाजुक बना दिया था। "उनके पास हमारा एक आदमी हो सकता है। लेकिन यह कैसे संभव है कि भारतीय ऑपरेशन हमारी जमीन पर हो रहा है और हमें इसका कोई संकेत नहीं मिला?"
दूसरी ओर, टीम गांडीव ने रफीक को एक सुनसान गुप्त ठिकाने पर कैद कर रखा था। उसके चेहरे पर कोई चिंता नहीं थी। उसकी हरकतें टीम को और परेशान कर रही थीं।
मीरा: “यह आदमी बंदी बनने के बाद भी इतना बेफिक्र कैसे हो सकता है?”
रफीक ने खाना खाते हुए अपनी कुटिल मुस्कान से टीम को और परेशान कर दिया। "तुम लोग सोचते हो कि तुमने मुझे पकड़ लिया और खेल खत्म हो गया? खेल तो अब शुरू हुआ है," उसने बिना किसी डर के कहा।
कबीर: "यह आदमी सिर्फ एक मास्टरमाइंड नहीं है, यह पहले से सबकुछ प्लान कर चुका है, मुझे लगता है कि यह सिर्फ एक मोहरा है। असली खेल इसके पीछे है।
अदिति: अगर यह सिर्फ मोहरा है, तो इसे इतनी आसानी से क्यों पकड़ने दिया गया? क्या यह जानबूझकर हुआ?"
सहदेव: अगर तुझे लगता है कि हम तेरे खेल को समझ नहीं पाएंगे, तो तू गलत है। तू और तेरा जो भी बाप बैठा है न! सबको घसीटते हुए भारत लेकर जाएंगे! समझा
रफीक ने यह सुनते ही एक बड़ी ही खौफनाक सी हसी के साठ कहा, "तुम सोचते हो कि तुमने मुझे यहां बंद करके सबकुछ खत्म कर दिया है? सच्चाई यह है कि मेरे पास वक्त बहुत कम है, और तुम्हारे पास उससे भी कम। जिससे तुम भिड़ रहे हो वह तुम्हारी सोच से 100 कदम आगे है!
विक्रम: "उसे अब जल्द से जल्द भारत वापस लाना होगा। याद रहे, हमारे दुश्मन हम पर नजर रखे हुए हैं, और बांग्लादेश की सेना भी किसी भी हलचल को लेकर चौकन्नी है। अगर उन्हें ज़रा भी शक हुआ कि हमने उनके इलाके में कोई गुप्त ऑपरेशन अंजाम दिया है, तो वो हमें रोकने की हर मुमकिन कोशिश करेंगे। एक बात और, दुश्मन को अब तक पता चल गया होगा कि हमने रफीक को पकड़ लिया है। वे अब किसी भी पल हम पर हमला कर सकते हैं। तुम सबके पास समय बहुत कम है। मेरा सुझाव है कि आज रात ही उसे लेकर प्राइवेट प्लेन से रवाना हो जाओ। मैं तुम्हें एक बंद पड़े हवाई अड्डे की लोकेशन भेज रहा हूँ—वहां एक प्राइवेट प्लेन तुम्हारे इंतजार में तैयार खड़ा मिलेगा”
कबीर ने विक्रम की बात सुनते ही स्थिति की गंभीरता को समझा और तुरंत टीम को अलर्ट कर दिया। हर किसी के चेहरे पर तनाव बढ़ गया था, लेकिन अब खेल तेजी से बदल रहा था। उन्हें बांग्लादेश की सीमा से निकलने का यही एक मौका था, और उसे गंवाना मतलब सब कुछ दांव पर लगाना था।
विक्रम की बात बिल्कुल सही थी—दुश्मन की नजर टीम गांडीव की हर चाल पर थी। और ये निश्चित था कि वह उस नौकर को छुड़ाने या फिर खत्म करने की कोशिश जरूर करेगा, ताकि सच्चाई का पर्दाफाश न हो सके। इसलिए, टीम का जल्द से जल्द भारत पहुंचना बेहद जरूरी था। बांग्लादेश में हर गुजरते पल के साथ खतरा बढ़ता जा रहा था, और अगर बांग्लादेशी अधिकारियों को उनके मिशन का पता चल गया, तो उनके लिए यहां से निकलना नामुमकिन हो जाएगा।
टीम को यह नहीं पता था कि बांग्लादेश की सेना को उनके मौजूद होने की भनक पहले ही लग चुकी थी और वह उन्हें खोजने में जुटी थी। लेकिन एक और शख्स था, जो इस समय टीम गांडीव को हर कीमत पर रोकना चाहता था।
जैसे ही विक्रम ने अपनी बात खत्म कर कॉल काटा, कबीर ने तुरंत टीम को इकट्ठा करते हुए कहा,
“गाय्ज, हमें अभी निकलना होगा! जल्दी से अपना सामान समेटो और गाड़ियों में बैठो। सर ने हमें एक लोकेशन भेजी है जहां से एक प्राइवेट प्लेन हमें दिल्ली वापस ले जाएगा। सर का कहना है कि यहां खतरा हमारे सिर पर हर वक्त मंडरा रहा है, और दुश्मन भी हमारी हर चाल पर नजर रखे हुए है। वो हमें रोकने की पूरी कोशिश करेगा, इसलिए हमें तुरंत निकलना होगा। अगर अभी नहीं निकले, तो शायद कभी न निकल पाएं!"
बिना वक्त गंवाए, सभी अपने-अपने सामान को पैक करने लगे। बाकी बचे सबूतों को भी फौरन जला दिया गया, ताकि दुश्मन को कुछ भी हाथ न लगे। फिर टीम ने तुरंत दो टुकड़ियों में बंटने का फैसला किया। पहली टुकड़ी में कबीर, मीरा और रफीक, आगे चलेंगे। दूसरी टुकड़ी में सहदेव और अदिति थे, जो पीछे से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
जैसे ही टुकड़ियाँ बनीं, सभी के हथियार लोड कर दिए गए। रफ़ीक़ के हाथ और मुँह बांधकर उसे बेहोशी का इन्जेक्शन दे दिया गया। टीम गांडीव अपने मिलिट्री कॉम्बैट सूट में पूरी तरह तैयार थे। उन्होंने एक-दूसरे को देखा, और बिना शब्दों के सिर हिलाते हुए इशारा किया कि वे इस मिशन के लिए तैयार हैं।
तुरंत ही सभी एक विशेष कार्गो जीप में बैठ गए और उस बंद हवाई अड्डे की ओर बढ़ने लगे, जहां विक्रम ने उनके लिए एक प्राइवेट प्लेन तैयार करवाया था। गाड़ी के इंजन की गूंज और चारों ओर पसरी अंधेरी सड़कों ने जैसे किसी तांडव का शंखनाद कर दिया हो। जैसे ही सफर शुरू हुआ, टीम को इस बात का अहसास था कि यह सफर जितना आसान दिख रहा है, उतना ही खतरनाक होने वाला है।
शहर की सीमा पार करते ही उन्हें एहसास हुआ की कुछ गड़बड़ है। सड़क पर और भी गाड़ियां थीं, लेकिन उनमें से पाँच से छह गाड़ियां कुछ अजीब तरह से चल रही थीं। ये गाड़ियां टास्कफोर्स की गाड़ियों के साथ-साथ चल रही थीं—कभी आगे निकलतीं, कभी पीछे हो जातीं, लेकिन हमेशा एक साथ। इन गाड़ियों के कांच गहरे रंग के थे, जिससे अंदर कोई साफ दिखाई नहीं दे रहा था।
मीरा ने तुरंत अपनी गाड़ी की रफ्तार बढ़ाई। साथ ही, उसने अपने कान में लगे माइक्रोफोन से सहदेव को भी सतर्क करते हुए कहा,
मीरा: "सहदेव, गाड़ी की स्पीड बढ़ाओ। हमें फॉलो किया जा रहा है।
सहदेव ने तुरंत उसकी बात को समझते हुए अपनी गाड़ी की रफ्तार तेज कर दी। सभी ने अपने हथियार तैयार कर लिए, क्योंकि उन्हें लगने लगा था कि ये सिर्फ पीछा नहीं, बल्कि एक घातक हमला हो सकता है।
सहदेव और मीरा दोनों की ही गाड़ियों ने अपनी रफ्तार बढ़ाई और वे लोग तेजी से उन गाड़ियों से बहुत दूर निकल गए, जब मीरा ने देखा की वह पाँच गाड़िया उनका पीछा नहीं कार रही तो मीरा को राहत हुई लेकिन उनके दिल में अभी भी एक बैचेनी घर चुकी थी ! बार बार मीरा का दिल कह रहा था की कुछ तो गड़बड़ है इसलीए वह बार बार पीछे मुड़कर देखती की कही वे पाँच गाड़िया उनका पीछा तो नहीं कर रही
वह गाड़ियां इस बार चारों तरफ से आती दिखी और अगले ही पल अपनी गन से टीम की गाड़ियों पर फायरिँग करने लगे थे ! टास्कफोर्स के सभी लग तुरंत ही अपने सिर नीचे कर लिए, लेकिन गोलियां बंद होने का नाम नहीं ले रही थी।
जैसे ही टास्कफोर्स ने हवाई अड्डे के लिए अपनी दौड़ दोबारा शुरू की, उन्होंने एक के बाद एक दुश्मन की गाड़ियों को ध्वस्त कर दिया। लेकिन खतरा अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ था। अदिति ने पीछे मुड़कर देखा और उसकी नजर एक काली कार पर पड़ी, जो अब भी उनके पीछे थी। वह तुरंत बोली, "दोस्तों, अभी भी खतरा हमारे पीछे है!"
मीरा ने तेजी से प्लान बनाते हुए कहा, "हमें तब तक उस गाड़ी को रोकना होगा, जब तक हम रफ़ीक़ को प्लेन में नहीं चढ़ा देते।" सहदेव ने स्थिति की कमान संभालते हुए जवाब दिया, "तुम लोग रफ़ीक़ को प्लेन में चढ़ाओ, बाकी इन लोगों से हम निपटते हैं!
जैसे ही वे प्लेन के पास पहुंचे, दोनों गाड़ियां रुक गईं। टीम ने तुरंत गाड़ियों को अपनी ढाल के रूप में इस्तेमाल किया। दूसरी तरफ, प्लेन के पायलट ने टास्कफोर्स को देखकर प्लेन स्टार्ट कर लिया था। कबीर और मीरा, रफ़ीक़ को प्लेन में चढ़ाने लगे। लेकिन पीछे से आने वाली काली कार से छह दुश्मन बाहर निकले और सहदेव और अदिति पर फायरिंग शुरू कर दी। वे दोनों कार के पीछे छिपे हुए थे, लगातार गोलियों की बौछार से खतरा बना हुआ था कि कार किसी भी वक्त फट सकती है।
जैसे ही कबीर और अदिति ने रफ़ीक़ को प्लेन में चढ़ाया, बाहर से एक जोरदार धमाके की आवाज आई। कबीर ने घबराकर देखा कि उनकी गाड़ियां, गोलियों की वजह से धमाके में उड़ चुकी थीं। उसे लगा कि सहदेव और अदिति भी उसी धमाके में मारे गए होंगे। वह जोर से चिल्लाया, "सहदेव... अदिति!"
लेकिन तभी सीढ़ियों से सहदेव की आवाज आई, "क्या है भाई? चिल्ला क्यों रहा है?" कबीर ने राहत की सांस ली। असल में, सहदेव ने लास्ट में अपनी चतुराई से काम लिया था। उसने खुद ही गाड़ी को उड़ा दिया था, ताकि दुश्मनों का ध्यान भटक सके और टीम को प्लेन तक पहुंचने का समय मिल जाए।
अब, प्लेन हवा में उड़ चुका था, और सभी सुरक्षित थे। मिशन सफल रहा था—रफ़ीक़ को सही-सलामत प्लेन में लाकर वे भारत की ओर बढ़ रहे थे। लेकिन प्लेन के अंदर एक अजीब खामोशी थी। टास्कफोर्स के सभी लोग राहत की सांस ले रहे थे, मगर वही रफ़ीक़, जो अब बंदी था, बिना किसी डर के टीम को घूरे जा रहा था। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, मानो उसके दिमाग में कुछ बड़ी योजना चल रही हो। उसकी खामोश निगाहें बता रही थीं कि यह कहानी यहीं खत्म नहीं होने वाली थी।
उसने पानी मांग और उसके लिए उसके मुँह से पट्टी निकालना पड़ी। "तुम लोग मुझे भारत ले तो जा रहे हो, लेकिन यह तुम्हारी सबसे बड़ी गलती होगी। वहाँ मैं ज्यादा सुरक्षित रहूँगा।"
उसकी बात ने टीम के भीतर हलचल मचा दी। यह एक संकेत था—शायद वह कुछ ऐसा जानता था, जो टीम नहीं जानती थी। क्या यह उसकी चाल थी, या भारत में उसके छुपे हुए साथी उसे बचाने की तैयारी कर रहे थे? क्या उसका यह दावा सच था, या सिर्फ टीम को असमंजस में डालने का एक और हथकंडा?
सच्चाई का पता लगाने के लिए, पढ़ते रहिए...
No reviews available for this chapter.