बेस पर सभी लोग इंतज़ार में थे कि कबीर आखिर क्या खुलासा करने वाला है।  

कबीर: दोस्तों, यह आदमी कितना भी चालाक हो, उसने एक बड़ी गलती कर दी। और वह गलती थी—उसकी असली आवाज। जब उसने बांग्लादेश मिलिटरी से बात की, तो उसने कुछ पलों के लिए वॉयस चेंजिंग डिवाइस बंद कर दिया। मैंने उस आवाज को ट्रैकर में डाल दिया। और गेस वॉट? अब मुझे पता है कि यह कौन है।

यह सुनते ही टीम खुशी से झूम उठी! मीरा और सहदेव ने राहत की सांस ली। अदिति ने हैरानी से पूछा , 
अदिति: तुमने सच में उसकी असली पहचान पता कर ली?

सहदेव: “तो अब यह लड़ाई खत्म होने वाली है। इसे अब छुपने का मौका नहीं मिलेगा।”

कबीर ने उनकी उत्सुकता को देखते हुए स्क्रीन पर एक फाइल खोली। धीरे-धीरे, एक चेहरा उभरने लगा—भूरी आंखों वाला और एकदम सीधा साधा सा इंसान । लेकिन नफरत उसकी आँखों में झलक रही थी।

कबीर: यह है रफीक-उल-हसन। बांग्लादेश का नागरिक, जो कभी भारत का निवासी था। 15 साल पहले, भारत ने इसे आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में देश से निकाल दिया था। तब से, यह सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ एक जिंदा साजिश बन गया है।

कबीर ने स्क्रीन पर डिटेल्स दिखाईं: नाम: रफीक-उल-हसन, आयु: 40 साल, पिछला कार्य: भारत में एक बड़ी निर्माण कंपनी में इंजीनियर, आरोप: आतंकी संगठनों के लिए लॉजिस्टिकल सपोर्ट और फंडिंग, देश निकाला: भारत ने उसके सभी नागरिकता अधिकार रद्द कर दिए थे। कबीर ने आगे बताया,  

कबीर: “जब भारत ने इसे निकाल बाहर किया, तो इसने दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक नेटवर्क्स से हाथ मिला लिया। हर मिशन, हर कदम का उद्देश्य भारत को नुकसान पहुंचाना रहा है। इसके लिए यह डार्क वेब का इस्तेमाल करता है, अपनी पहचान छुपाता है, और अपने मिशन को चालाकी से अंजाम देता है।”

मीरा ने गहरी सांस लेते हुए कहा, 
मीरा: "तो यह सिर्फ पैसा कमाने वाला नहीं है। यह अपनी नफरत को एक मिशन बना चुका है।"

सहदेव: इसने हमें कितनी बार चकमा दिया। लेकिन अब नहीं। अब यह हमारे सामने बेनकाब हो चुका है।"

अदिति: “लेकिन कबीर, यह तो एक अंतरराष्ट्रीय अपराधी है। अगर इसे पकड़ना है, तो हमें बेहद सतर्क रहना होगा। इसका नेटवर्क बहुत बड़ा होगा।”

कबीर ने स्क्रीन पर मौजूद डेटा को सबके सामने दिखाते हुए कहा, "यह आदमी चाहे जितना चालाक हो, लेकिन इसे हराना मुश्किल नहीं। इसने अपनी पहचान छुपाने के लिए जो नेटवर्क इस्तेमाल किया है, उसे मैंने ट्रैक करना शुरू कर दिया है। यह सिर्फ हमें लोकेशन्स भेजकर नचाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन अब, इसकी असली लोकेशन का पता लगाना ज्यादा दूर नहीं”। कबीर ने उसकी वॉयस के जरिए कुल 4 नंबर्स निकाले जिनसे वह मैच खाई और चारों ही अलग अलग नाम से थे। दिन के 24 घंटों में यह नंबर्स डिवाइडिड थे यानि की हर 6 घंटे में वह एक सिम बंद करता और दूसरी चालू इसलिए शायद जितने भी कॉल इसने इंडिया से किए थे वह 6 बजे किए थे क्योंकि उस व्यक्त यह नई सिम लगाता है जो रात 12 बजे तक चलती है।

कबीर: "हमारे पास अब आधे घंटे हैं। ठीक 6:00 बजे इन नंबरों में से एक एक्टिव होगा। मैं उस नंबर को ट्रैकिंग पर सेट कर दूंगा। एक बार एक्टिव होने पर हमारे पास 6 घंटे होंगे इसे पकड़ने के लिए। अगर सबकुछ सही रहा, तो हम आज रात ही भारत के लिए रवाना हो सकते हैं।  

कबीर की बात सुनते ही बेस पर हलचल शुरू हो गई। सहदेव और मीरा ने तुरंत अपने हथियारों की जांच करनी शुरू कर दी। अदिति ने हर रास्ते से एक एक्सट स्ट्रैटिजी बनाना शुरू कर दी थी।  

विक्रम ने तुरंत मेजर खान और फरीदा को इसके बारे में बताया  

विक्रम: हमें एक संदिग्ध व्यक्ति मिला है। उसकी हरकतें और लोकेशन उसके 'हॉक आई' होने की ओर इशारा करती हैं। हमें आपका सहयोग चाहिए, खासकर अगर वह बांग्लादेश से बाहर निकलने की कोशिश करे।

मेजर खान ने गंभीरता से जवाब दिया, "आपके पास जो भी योजना है, उसे सही तरीके से अंजाम दें। लेकिन याद रहे, अगर यहां कोई गड़बड़ी हुई, तो मैं अपनी ड्यूटी निभाने से पीछे नहीं हटूंगा।" "हमारी टीम स्टैंडबाय पर होगी। समय तेजी से बीत रहा था। कबीर की उंगलियां तेजी से कीबोर्ड पर चल रही थीं। उसने सभी संभावित नंबरों की सूची तैयार कर ली थी। "6:00 बजे जो भी नंबर एक्टिव होगा, मैं उसे रीयल-टाइम ट्रैक पर लगा दूंगा।"

मीरा और सहदेव ने सभी एग्जिट पॉइंट्स पर नजर रखने की योजना बनाई। अदिति ने उस इलाके के पिछले नेटवर्क ट्रैफिक को खंगालना शुरू किया, ताकि किसी भी गतिविधि का पता लगाया जा सके।

6 बजते ही एक नंबर ऐक्टिव हुआ और कबीर ने उसे ट्रैस करना चालू कर दिया! यह देखते ही सहदेव, अदिति और मीरा तुरंत वहाँ से निकले। रास्ते में ही कबीर ने एक और अपडेट दिया।    

कबीर: मुझे, उस एरिया में कुछ कैमरे मिले है, उनका एक्सेस अब मेरे पास है अगर मैं उस आदमी को किसी भी जगह देखता हूँ तो तुम्हें उस जगह के कॉर्डिनेट्स बात दूंगा, आशा है की हम उसे पकड़ लेंगे !

कबीर की बात सुन सहदेव ने उसकी तारीफ करते हुए कहा, क्या बात है , बहुत खूब मेरे हीरो! आज वह आदमी हमारे हाथों से बचकर नहीं जाना चाहिए ! ” कबीर ने टारगेट लॉक कर दिया और सभी को उसकी लोकैशन का लाइव ट्रैकर भेज दिया! फरीदा ने अपनी टीम से कुछ लोगों को इस मिशन पर लगाया हुआ था ग्राउन्ड सपोर्ट के लिए। सभी लोगों ने उस आदमी को चारों तरफ से घेरना शुरू किया।  

हैरानी की बात यह थी की जैसे ही टारगेट टीम गांडीव या उनके साथ आए लोगों को देखता वह अपना रास्ता बदल देता और उन उलझन भरी गलियों में फिर कहीं खो जाता, वह टीम को चकमा देने में बार बार कामयाब हो रहा था, लेकिन वह खुद भी इन गलियों में खो गया था और इस बात को अदिति ने गौर कर लिया था।  

एक तरफ टीम उन तंग गलियों में टारगेट को ढूंढ रहे थे वहीं दूसरी ओर उनका टारगेट भागते भागते थक चुका था, वह बार बार उस जगह को ढूँढने की कोशिश कर रहा था जहां से उसे उस दूसरी बिल्डिंग में जाने का रास्ता मिले और वह यहा से भाग निकले लेकिन टीम थी की उसका पीछा छोड़ने  का नाम ही नहीं ले रही थी !

कबीर: सहदेव, अदिति ! मुझे टारगेट मिल गया है, जहां पर तुम लोग हो उससे शायद 2 गली पीछे दाई ओर एक बाड़ी बिल्डिंग की ओर जाता हुआ एक रास्ता है, हमारा टारगेट उसी बिल्डिंग की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है, जल्दी से उसका पीछा करो।  

गलियां लोगों से भरी हुई थीं। सब्जी के ठेले, चाय की दुकानें, और खरीददारी में जुटी भीड़—यहां पीछा करना आसान नहीं था। सहदेव और मीरा को बार-बार लोगों को धकेलना पड़ रहा था। तभी, उनके सामने एक शख्स दौड़ता हुआ दिखा। यह वही था—मास्क हटाए, एक बैग लिए हुए। उसने उन्हें देखा और तेज दौड़ने लगा। वह एक गली में मुड़ा, और वहां का रास्ता और संकरा हो गया। दीवारें इतनी करीब थीं कि दो लोग एक साथ नहीं चल सकते थे। सहदेव ने दीवार का सहारा लिया और एक छलांग लगाई, लेकिन रफ़ीक़ तेजी से आगे बढ़ गया। मीरा ने पीछा करते हुए कबीर से पूछा, "कबीर, वह अब कहां है?"

कबीर की आवाज आई, "तुम्हारे दाईं ओर गली में मुड़ा है। वह अब एक संकरी छत के रास्ते जा रहा है।" सहदेव और मीरा ने बिना देर किए दीवार पर चढ़ना शुरू किया। छतें एक-दूसरे से सटी हुई थीं, लेकिन उनमें कूदने का खतरा साफ दिख रहा था। रफ़ीक़ ने छत पर कूदते हुए एक लोहे की सीढ़ी पकड़ी और तेजी से दूसरी छत पर पहुंच गया। मीरा ने उसी राह पर पीछा किया, लेकिन रफ़ीक़ ने अपने बैग से कुछ फेंका—धुएं का एक छोटा बम।  धुआं छत पर फैलने लगा। मीरा और सहदेव को कुछ पल के लिए रुकना पड़ा। "ध्यान से, यह हमें भटकाने करने की कोशिश कर रहा है," सहदेव ने कहा।

नीचे की गलियों में लोकल लोग इस हंगामे से परेशान हो गए। लोग चिल्ला रहे थे, "यह क्या हो रहा है? कौन हैं ये लोग?" कुछ दुकानदार अपनी दुकानें बंद करने लगे। बच्चों को अंदर बुलाया गया। यह पीछा अब पूरे इलाके का ध्यान खींचने लगा था।

रफ़ीक़ एक आखिरी छत पर पहुंचा, जहां एक पुरानी पानी की टंकी थी। वह तेजी से टंकी की सीढ़ियां चढ़ने लगा। सहदेव ने तुरंत पीछा किया, और मीरा ने नीचे से गली को ब्लॉक कर दिया। "अब बचने का कोई रास्ता नहीं," सहदेव ने मन ही मन कहा।

रफ़ीक़ टंकी के ऊपर पहुंचा, लेकिन वहां से उतरने का कोई रास्ता नहीं था। उसने अपनी जेब से कुछ निकालने की कोशिश की—एक छोटा सा डिवाइस। लेकिन सहदेव ने तुरंत उसे धक्का देकर नीचे गिरा दिया। डिवाइस उसके हाथ से फिसल गया। मीरा ने गली से चिल्लाया, "कबीर, लोकेशन लॉक हो गई है! इसे अब कहीं नहीं जाना है।"  

आखिरकार, टीम गांडीव ने अपने टारगेट को पकड़ ही लिया। अदिति ने तत्काल माइक्रोफोन पर रिपोर्ट किया, “हमने टारगेट को पकड़ लिया है!  

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। जब सहदेव ने रफ़ीक़ को मजबूती से पकड़ा, वह कुछ पल के लिए खुद को छुड़ाने की कोशिश करता रहा। जब उसे अहसास हुआ कि अब बचने का कोई रास्ता नहीं है, उसने जोर से हंसते हुए कहा, “पकड़ तो लिया है, लेकिन मेरी गिरफ्तारी से ये खेल खत्म नहीं होने वाला... असली खेल तो अब शुरू हुआ है!”  

टीम गांडीव के हाथ आखिरकार "हॉक आई" लग चुका था। पूरे इलाके में हुए हंगामे ने पुलिस और आर्मी का ध्यान खींच लिया था। मीरा ने कहा “

मीरा: हमें तुरंत यहां से निकलना होगा। पुलिस और आर्मी दोनों हमारे पीछे हैं।"

कबीर: तुम्हारे पास दो विकल्प हैं—या तो नदी के रास्ते भागो, या शहर के बाहरी हिस्से की तरफ जाकर सड़क के जरिए।  

सहदेव: “हमें नदी के रास्ते जाना होगा। बाजार के रास्ते में पुलिस हमें आसानी से पकड़ सकती है।”

टीम ने "हॉक आई" को हथकड़ी लगाई और उसे बीच में रखा, ताकि वह भाग न सके। तंग गलियों से भागते हुए, उन्होंने बाजार के मुख्य हिस्से से निकलने की कोशिश की। बाजार में पुलिस का सायरन गूंजने लगा। हर गली में लोगों ने उन्हें घूरना शुरू कर दिया। "वो रहे!" पुलिस के एक अफसर ने उन्हें देखकर चिल्लाया।

टीम को अब और तेज दौड़ना पड़ा। सहदेव ने लोगों को हटाते हुए रास्ता बनाया, जबकि मीरा ने "हॉक आई" को मजबूती से पकड़ रखा था।

टीम एक पुरानी गली के जरिए नदी के किनारे पहुंची। यहां कुछ छोटी नावें बंधी हुई थीं। लेकिन तभी, एक तेज फायरिंग की आवाज आई। पीछे से पुलिस और आर्मी जवानों का समूह तेजी से उनकी ओर बढ़ रहा था। सहदेव ने एक नाव का ताला तोड़ा, और टीम उसमें सवार हो गई। मीरा ने इंजन चालू किया, और नाव तेज गति से नदी में बढ़ने लगी।

पुलिस ने नदी के किनारे से फायरिंग शुरू कर दी। नदी के दूसरी ओर, आर्मी की एक मोटरबोट ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया। सहदेव ने नाव में मौजूद एक छोटी सी ढाल निकाली और गोलियों से बचाव करने लगा।  तभी कबीर ने कहा "नदी का रास्ता छोड़कर बाईं ओर एक पुराना गोदाम है। वहां छुपने की कोशिश करो।" मीरा ने नाव को एक मोड़ पर ले जाकर गोदाम के पीछे छुपा दिया। वे जल्दी से नाव से उतरे और गोदाम के अंदर चले गए। गोदाम सुनसान था, लेकिन यहां से उन्हें ज्यादा देर तक छुपा रहना मुश्किल था।

गोदाम के अंदर से कबीर ने टीम को एक नया रास्ता सुझाया। "गोदाम के पीछे एक ट्रक खड़ा है। जो सीधा एक हवाई पट्टी तक जाने वाला है! हम लोग उसी में तुरंत आओ” अब यह सिर्फ समय की बात थी। पुलिस और आर्मी हर तरफ खोज में जुटी थी। लेकिन टीम गांडीव ने अपनी चालाकी और तेज फैसलों से एक बार फिर दुश्मन को मात दी थी। क्या वे भारत तक सुरक्षित पहुंच पाएंगे, या यह मिशन एक और अप्रत्याशित मोड़ लेगा?  जानने के लिए पढ़ते रहिए 

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